एक दिवसीय कार्यशाला "बौद्धिक संपदा अधिकार" का बायोटेक्नोलॉजी विभाग में बौद्धिक संपदा अधिकार जागरुकता कार्यशाला का हुआ आयोजन
गोरखपुर। उत्तर प्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में शोध की गुणवत्ता को बढ़ाने और शिक्षकों तथा शोधार्थियों को बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) की ओर प्रेरित करने के लिए प्रायोजित एक दिवसीय कार्यशाला "बौद्धिक संपदा अधिकार" को बायोटेक्नोलॉजी विभाग में बौद्धिक संपदा अधिकार जागरुकता कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसके अंतर्गत पेटेंट, कॉपीराइट, भौगोलिक संकेत, ट्रेडमार्क, व्यापार रहस्य आदि विषयों पर वक्ताओं द्वारा जानकारी दी गई। उक्त कार्यशाला माननीय कुलपति प्रो. पूनम टण्डन के निर्देश व नेतृत्व मे आयोजित किया गया।
कार्यशाला का शुभारम्भ मां सरस्वती को दीप प्रज्वलित कर, विश्वविद्यालय के कुलगीत से किया गया। तत्पश्चात कार्यक्रम के संरक्षक/विश्विद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. शांतनु रस्तोगी का विभाग के अध्यक्ष प्रो. राजर्षि कुमार गौड़, मुख्यअतिथि प्रो. एच. एस. चावला का स्वागत डॉ. रामवन्त गुप्ता, विशिष्ट अतिथि डॉ. कनिका मालिक का प्रो. दिनेश यादव ने पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह दे कर स्वागत किया।
इस श्रृंखला में कार्यशाला के संयोजक प्रो. दिनेश यादव द्वारा स्वागत उद्बोधन दिया गया जिसके उपरांत रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल व आईपीआर सेल द्वारा निर्मित पुस्तिका का विमोचन किया गया।
इस बार की कार्यशाला भी जैव प्रौद्योगिकी विभाग में आयोजित की गई, जिसमें पाँच विशेषज्ञ व्याख्यानो को दो तकनीकी सत्रों में किया गया, इस अवसर पर माननीय प्रति कुलपति व संकाय अध्यक्ष विज्ञान प्रो. शांतनु रस्तोगी ने अध्यक्षीय भाषण दिया।
प्रो. एच. एस. चावला, डीन पोस्ट ग्रेजुएट स्टडीज, प्रोफेसर एवं प्रमुख, आनुवंशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग, CEO, बौद्धिक संपदा प्रबंधन केंद्र, जी. बी. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर, "बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR): एक अवलोकन" पर व्याख्यान दिया।
डॉ. कनिका मलिक, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, CSIR-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (NIScPR), नई दिल्ली, "कॉपीराइट और प्रकाशन मुद्दे" पर व्याख्यान दिया।
अधिवक्ता आशीष शर्मा, मैनेजिंग पार्टनर, IP नेशन, नई दिल्ली, "पेटेंट सुरक्षा का मार्ग: फाइलिंग से ग्रांट तक के चरण" विषय पर व्याख्यान दिया।
प्रो. राम चेत चौधरी, पद्म श्री और अध्यक्ष, PRDF, गोरखपुर, "उत्तर प्रदेश में भौगोलिक संकेत टैग: लाभ और हानि" पर चर्चा किया।
प्रो. दिनेश यादव, निदेशक, अनुसंधान और विकास प्रकोष्ठ, "IPR प्रेरित अनुसंधान: एक अवलोकन" पर चर्चा किया।
कार्यशाला में सहभागिता कर रहे प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए।
कार्यक्रम का संचालन विभाग के सहायक आचार्य डॉ. गौरव सिंह ने किया। इस कार्यशाला में लगभग 200 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया, जिनमें नेपाल के प्रतिभागी भी शामिल हैं। प्रतिभागियों में विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के संकाय सदस्य, पीएचडी शोधार्थी और स्नातकोत्तर छात्र शामिल हैं।
Feb 01 2025, 19:55