पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला का निधन, 79 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
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पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) नवीन चावला का शनिवार को 79 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने आज सुबह अपोलो अस्पताल में अंतिम सांस ली. वे भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) एजीएमयूटी कैडर के 1969 बैच के अधिकारी थे. वह 2005 से 2009 के बीच चुनाव आयुक्त (ईसी) और फिर अप्रैल 2009 से जुलाई 2010 तक मुख्य चुनाव आयुक्त रहे. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान चुनाव आयोग में कई सुधारों का नेतृत्व किया. वहीं, पक्षपात के आरोपों के कारण उनका कार्यकाल विवादों में भी घिरा रहा.
पूर्व सीईसी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि उन्होंने कई सुधारों का नेतृत्व किया, जिसमें तीसरे लिंग के मतदाताओं को ‘पुरुष’ या ‘महिला’ के रूप में मतदान करने के लिए मजबूर करने के बजाय ‘अन्य’ की नई श्रेणी में मतदान करने की प्राथमिकता देना शामिल है. चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा, ‘उनका नेतृत्व और चुनावी प्रक्रिया के प्रति प्रतिबद्धता हमें भारत के चुनाव आयोग में प्रेरित करती रहेगी.’
चुनाव आयुक्त नियुक्त होने से पहले बने केंद्रीय सचिव
चुनाव आयोग ने अपने बयान में कहा कि 16वें मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में चावला ने चुनाव आयुक्तों को हटाने की प्रक्रिया को मुख्य चुनाव आयुक्त के समान बनाने की वकालत की थी. नवीन चावला का जन्म 30 जुलाई 1945 को हुआ था. उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज जाने से पहले लॉरेंस स्कूल सनावर से स्कूली शिक्षा प्राप्त की. अपने सिविल सेवा करियर के दौरान उन्हें कई जिम्मेदारियां सौंपी गईं. उनका कार्य जीवन मुख्य रूप से दिल्ली में रहा.
चुनाव आयुक्त नियुक्त होने से पहले वे केंद्रीय सचिव बने. चावला को मदर टेरेसा की जीवनी लेखक के रूप में भी जाना जाता है. ‘मदर टेरेसा’ नामक जीवनी पहली बार 1992 में यूके में प्रकाशित हुई थी और तब से इसके कई अनुवाद और संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं. उन्होंने रघु राय की तस्वीरों के साथ ‘फेथ एंड कम्पैशन: द लाइफ एंड वर्क ऑफ मदर टेरेसा’ का सह-लेखन भी किया, जिसे 1997 में यूके में प्रकाशित किया गया था.
EC को हटाने के लिए संशोधन की अपील
मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में, चावला ने चुनाव आयुक्तों को हटाने की प्रक्रिया को मुख्य चुनाव आयुक्त के समान बनाने के लिए कानून मंत्रालय को एक संवैधानिक संशोधन की सिफारिश की थी. उन्होंने उनके हटाने की मांग का हवाला देते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र भी लिखा था. साथ ही सरकार से चुनाव आयुक्तों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए संशोधन करने का आग्रह किया. हालांकि, सीईस और ईसी को हटाने की प्रणाली में कोई बदलाव नहीं हुआ.
बीजेपी ने लगाया था पक्षपात का आरोप
चुनाव निकाय में चावला का कार्यकाल काफी विवादास्पद रहा. तत्कालीन विपक्षी बीजेपी ने उन पर पक्षपात करने का आरोप लगाया. 2009 में सीईसी एन गोपालस्वामी ने सरकार से उस समय चुनाव आयुक्त रहे चावला को हटाने की सिफारिश की थी. हालांकि, सरकार ने उनकी सिफारिश पर कोई कार्रवाई नहीं की. यह सिफारिश बीजेपी की ओर से दायर याचिका पर आधारित थी.
इसमें चावला के खिलाफ पक्षपात करने की शिकायत की गई थी. यहां तक कि उस समय की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने भी इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में उठाया था. 2006 में लोकसभा में तत्कालीन विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी और 204 सांसदों ने राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को एक याचिका भी सौंपी थी. इसमें कथित पक्षपात के लिए नवीन चावला को चुनाव आयुक्त के पद से हटाने की मांग की गई थी
Feb 01 2025, 19:19