इस बार बजट में क्या होगा खास? यहां समझिए पूरी बात
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज सुबह 11 बजे संसद में वित्त वर्ष 2025-26 का आम बजट पेश करने जा रही हैं. ये बजट ऐसे समय पेश होने जा रहा है जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद दुनिया की इकोनॉमी में बड़े बदलाव की आशंका है. देश में महंगाई नियंत्रण में होते हुए भी जमीन पर उतरती नहीं दिख रही है. कॉरपोरेट टैक्स अपने निचले स्तर पर होते हुए भी देश में प्राइवेट इंवेस्टमेंट ना के बराबर है और रोजगार से लेकर थाली तक की चिंता आम आदमी के माथे की शिकन बनी हुई है. ऐसे में इस बार बजट में क्या खास होने वाला है, गरीब, मिडिल क्लास, सैलरी क्लास, महिला और युवा के हाथ में क्या आने वाला है, यहां समझते हैं पूरी बात आसान भाषा में…
बजट से ठीक पहले इकोनॉमिक सर्वे 2024-25 पेश हो चुका है. ये भी देश की इकोनॉमी को लेकर कई खुलासे करता है. इसमें देश की इकोनॉमिक ग्रोथ अगले वित्त वर्ष में 6.5 से 6.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान जताया गया है. तो आखिर सरकार किस मोर्चे पर क्या कदम उठाने जा रही रही है? वित्त मंत्री अब बजट को अंतिम रूप दे चुकी हैं.
इनकम टैक्स
आम आदमी या कहें सैलरी क्लास के लिए इनकम टैक्स में छूट या उसकी स्लैब चेंज का मुद्दा सबसे बड़ा होता है. सरकार ने जुलाई में आए पिछले बजट के बाद कई संकेत दिए हैं कि वह इनकम टैक्स के लेवल पर आम आदमी को कुछ राहत दे सकती है. ऐसे में इस बात की सबसे ज्यादा उम्मीद है कि सरकार न्यू इनकम टैक्स में नई राहत का ऐलान कर सकती है. पिछले बजट में भी सरकार ने स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को 50,000 से बढ़ाकर 75,000 कर दिया था. हालांकि ओल्ड टैक्स रिजीम को लेकर कोई बड़ा बदलाव होने की गुंजाइश नहीं है, क्योंकि सरकार उस दिशा में सोच भी नहीं रही है. इसकी वजह भी है.
देश की इकोनॉमी इस समय उपभोक्ता मांग में कमी से जूझ रही है. ऐसे में सरकार इनकम टैक्स में राहत देकर आम आदमी के हाथ में थोड़ा एक्स्ट्रा पैसा छोड़ सकती है. इससे देश में डिमांड बेहतर हो सकती है. किसी भी इकोनॉमी में महंगाई का ऊंचा होना उतना चिंताजनक नहीं होता, जितना की डिमांड का कम होना. भारत में इस स्थिति और अजीब है रिटेल महंगाई नीचे बनी हुई है, लेकिन फूड इंफ्लेशन हाई पर है. उसके बावजूद देश में डिमांड का स्तर कम है.
रोजगार
बजट में रोजगार के मुद्दे पर भी सरकार फोकस कर सकती है. पिछले बजट में भी सरकार ने ‘प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना’ को पेश किया था. हालांकि ये अभी धरातल पर पूरी तरह से नहीं उतर पाई है. ऐसे में वित्त मंत्री सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों को भरने से लेकर प्राइवेट सेक्टर में रोजगार बढ़ाने को लेकर ऐलान कर सकती हैं. इसके अलावा सरकार प्राइवेट इंवेस्टमेंट को बढ़ाने के लिए कोई प्रोत्साहन योजना का ऐलान कर सकती हैं, जो रोजगार से लिंक्ड हो सकती है.
गरीब और महंगाई
बजट में सरकार महंगाई से राहत के उपाय भी कर सकती है, ताकि गरीब की थाली में रोटी पहुंचती रहे. इसके लिए सरकार ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ का दायरा बढ़ाने से लेकर खाने-पीने की तमाम वस्तुओं पर टैक्स में कटौती, खाद्य तेल पर आयात शुल्क में छूट और पेट्रोल-डीजल पर टैक्स में कमी जैसे उपाय अपना सकती है. हालांकि इसके साथ सरकार को राजकोषीय घाटे पर लगाम रखने, देश पर बढ़ते कर्ज के बोझ को संभालने का भी उपाय करना है. इसलिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक बैलेंस अप्रोच रख सकती हैं.
महंगाई को नियंत्रण में लाना इकोनॉमी में कंजप्शन बढ़ाने के लिए जरूरी भी है. अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में साबुन-तेल बेचने वाली कंपनियों (एफएमसीजी सेक्टर) की सेल महज 3 प्रतिशत बढी है. कंज्यूमर बास्केट में शामिल चाय से लेकर खाने के तेल और स्किन केयर प्रोडक्ट्स तक की कीमतों में 5 प्रतिशत से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. तमाम ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर सितंबर के बाद से ही लगातार सेल चल रही है, जो नए साल में भी जारी है. ये सभी देश में कंजप्शन की कमी की ओर इशारा करते हैं.
इंफ्रास्ट्रक्चर
बजट में जहां सरकार को टैक्स में कटौती करने का दबाव है, वहीं रोजगार बढ़ाने का भी प्रेशर है. इसलिए पिछले कई बजट की तरह सरकार का फोकस कैपेक्स पर रहेगा. पिछले बजट में सरकार ने रेलवे, डिफेंस ओर सड़क एवं राजमार्ग पर बजट का बड़ा हिस्सा खर्च किया था. इंफ्रास्ट्रक्चर पर किया खर्च इकोनॉमी में मल्टीप्लायर इफेक्ट डालता है. अगर सरकार 1 रुपए इंफ्रा पर खर्च करती है, तो इकोनॉमी को उसका फायदा करीब 3.5 रुपए का मिलता है. इसलिए इस बार भी बजट में जहां रेलवे और सड़क परिवहन मंत्रालय को अच्छा बजट मिलने वाला है. वहीं डिफेंस का बजट ‘मेक इन इंडिया’ से प्रेरित हो सकता है, ताकि हथियारों के स्वदेशीकरण से लेकर रोजगार तक सब बढ़ें.
इलेक्ट्रिक व्हीकल
साल 2024 वाहन उद्योग के लिए बस ठीकठाक ही रहा है. कई नई गाड़ियों के लॉन्च के बावजूद उनकी सेल्स में तेजी नहीं दर्ज की गई. वहीं ये देश के टोटल मैन्यूफैक्चर सेक्टर का करीब 40 प्रतिशत है. इतना ही नहीं बड़े पैमाने पर रोजगार भी जेनरेट करता है. सरकार बजट में इलेक्ट्रिक व्हीकल और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने पर फोकस कर सकती है. इससे दो फायदे होंगे, एक तो सरकार को अपना पेट्रोलियम इंपोर्ट कम करने में मदद मिलेगी. वहीं चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर नए तरह के व्हीकल बनाने से नए रोजगार भी जेनरेट होंगे.
इसके अलावा सोशल सिक्योरिटी, हेल्थ सिक्योरिटी और महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ बजट में सरकार का फोकस कृषि पर भी रहने वाला है. पीएम नरेंद्र मोदी ने बजट सत्र की शुरुआत से पहले कहा भी है कि मां लक्ष्मी देश के गरीब और मिडिल क्लास पर विशेष कृपा बनाए रखें हैं. ये सरकार के बजट की प्रायोरिटी को इंगित करता है.
Feb 01 2025, 10:00