क्या कुछ छिपा रहे हैं सैफ अली खान? नवाब और बेगम के बयानों से उलछी गुत्थी

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बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान पर 16 जनवरी की तड़के सवेरे मुंबई के बांद्रा स्थित उनके अपार्टमेंट में घुसे एक चोर ने हमला कर दिया था। एक्टर को काफी चोटें आई थीं जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था। वहीं पुलिस ने 60 घंटे की मशक्कत के बाद आरोपी को धर दबोचा था। इस मामले में पुलिस लगातार आरोपी के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने में जुटी हुई है। पुलिस ने सैफ अली खान का बयान भी दर्ज कराया। हालांकि अब इस मामले में नया मोड़ सामने आया है। इस केस में सैफ अली खान और करीना कपूर खान के बयानों में अलगाव देखने को मिल रहा है। 

सैफ अली खान ने पुलिस को दिए बयान में उस रात की पूरी कहानी बताई। सैफ ने बताया कि वह और करीना अपने रूम में थे। जहांगीर की नैनी एलियामा की चीख सुनकर वे जेह के कमरे में भागे थे वहां उन्होंने हमलावर को देखा था। सैफ ने बताया था कि हमलावर को रोकने की कोशिश के दौरान उनकी उससे हाथापाई हो गई थी और उसने उन पर चाकू से हमला कर दिया था। सैफ ने ये भी बताया था कि घायल होने के बावजूद उन्होंने आरोपी को जेह के कमरे में बंद कर दिया था। हालांकि बाद में आरोपी भाग खड़ा हुआ।

सैफ ने अपने बयान में बताया है कि करीना उनके साथ घटना वाली रात बैडरूम में ही थीं। तो सवाल सैफ के दिए बयान की इस बात पर ही उठता है कि करीना वहां थी तो वो उनके साथ अस्पताल में क्यों नहीं थीं। सैफ ने पुलिस को बताया कि जहांगीर के कमरे में हमलावर घुसा था और नर्स जेह के कमरे में उसके साथ सोती है। सैफ ने अपने बयान में तैमूर के नाम का जिक्र नहीं किया।

लेकिन ऑटो ड्राइवर भजन सिंह राणा और अस्पताल के डॉक्टर का कहना था कि सैफ अली खान बेटे तैमूर के साथ अस्पताल पहुंचे थे। उसी बीच एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें करीना अस्पताल बाहर खड़ी काफी परेशान नजर आ रही थीं। सैफ के घर के बाहर सीसीटीवी न लगा होना गार्ड का उस रात लापरवाह होना, किसी को न कोई शोर सुनाई दिया न आरोपी के घर में घुसने का कोई पक्का सबूत मिला है। इन जैसे कई और सवालों के बीच अभी तक सैफ के केस की गुत्थी सुलझ नहीं पाई है।

वहीं, इन्वेस्टिगेशन के तहत जांच के लिए अभिनेता के खून के नमूने और कपड़े जमा किए गए थे। अब इसकी जांच होगी। पुमुंबई पुलिस के सूत्रों ने बताया है कि जिस समय सैफ अली खान पर हमला हुआ था उस समय उन्होंने जो कपड़े पहने थे उन कपड़ों को पुलिस ने जांच के लिए अपने कब्जे में लिया है। इसके अलावा घटना वाली रात आरोपी शरीफुल इस्लाम ने जो कपड़े पहने थे उसपर भी खून के धब्बे मिले है जिसे जांचने के लिए सैफ अली खान के ब्लड सैम्पल को भी कलेक्ट किया गया है। पुलिस विभाग में चर्चा ये भी है कि सैफ हमले के समय कुछ और पहने थे और जब वह घर से निकले तो उनके शरीर पर कुछ और था।

पाकिस्तान-बांग्लादेश की नजदीकियों से सतर्क हुआ भारत, पड़ोसी देशों की हर हरकत पर है कड़ी नजर

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बांग्लादेश और पाकिस्तान की नजदीकियां बढ़ रही है। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही पाकिस्तान करीब आता दिख रहा है। बांग्लादेश के कार्यवाहक मंत्री मोहम्मद युनुस के फैसले संकेत दे रहे हैं कि भारत के साथ दूरी बनाने के क्रम में पाकिस्तान के साथ नजदीकियां काफी बढ़ रही है। जानकारों का मानना है कि बांग्लादेश-पाकिस्तान का करीब आना भारत के लिए टेंशन बढ़ाने वाली बात है। इस बीच पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई के अधिकारियों की हालिया बांग्लादेश यात्रा ने क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से भारत को सतर्क जरूर कर दिया है। पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई ने गोपनीय तरीके से अपने चार शीर्ष सदस्यों को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में भेजा है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि भारत अपने आस-पास के इलाकों में हो रही घटनाओं पर बहुत करीबी नजर रख रहा है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच तेजी से बढ़ते सैन्य संबंधों पर सवाल पूछा गया। इस पर रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाली हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखता है। उन्होंने कहा कि हम बांग्लादेश के साथ मैत्रीपूर्ण और समावेशी संबंधों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा उद्देश्य दोनों देशों के लोगों के बीच समृद्धि और आपसी सहयोग बढ़ाना है।

दोनों देशों के बीच सीमा पर बाड़ लगाने को लेकर बांग्लादेश की आपत्तियों पर भी भारत ने स्थिति स्पष्ट की। मंत्रालय ने कहा कि यह कदम मानव और पशु तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए उठाया जा रहा है और यह मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों के दायरे में है। भारत की यह प्रतिक्रिया स्पष्ट करती है कि वह अपनी क्षेत्रीय सुरक्षा और पड़ोसी देशों के साथ संतुलन बनाए रखने के लिए पूरी तरह सतर्क है।

बता दें कि आईएसआई के विश्लेषण महानिदेशक मेजर जनरल शाहिद अमीर अफसर समेत कई पाकिस्तानी अधिकारी इन दिनों बांग्लादेश में हैं। यह यात्रा तब हो रही है जब हाल ही में बांग्लादेशी सैन्य अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान गया था और वहां की तीनों सेनाओं के प्रमुखों से मुलाकात की थी

गणतंत्र दिवस पर वीरता पुरस्कारों का एलान, 942 जवानों को मिलेगा गैलेंट्री अवॉर्ड-सर्विस मेडल

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गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू कुल 942 पुलिस, अग्निशमन, नागरिक सुरक्षाकर्मियों को वीरता और सेवा पदक से सम्मानित करेंगी। ये पदक विभिन्न श्रेणियों में दिए जाएंगे, जिनमें 95 वीरता पदक भी शामिल हैं। इसके अलावा 101 जवानों को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक और 746 जवानों को सराहनीय सेवा के लिए पदक से नवाजा जाएगा। शनिवार को जारी एक सरकारी बयान में इसकी जानकारी दी गई है।

जिन 95 जवानों को वीरता पुरस्कार मिलेगा, उनमें 78 पुलिसकर्मी हैं और 17 फायर विभाग के कर्मचारी हैं। वहीं, जिन 101 जवानों को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया जाएगा। इनमें 85 पुलिस सेवा, 05 अग्निशमन सेवा, 07 नागरिक सुरक्षा-होम गार्ड और 04 सुधार सेवा के जवानों के नाम शामिल हैं। इसके अलावा जिन 746 जवानों को सराहनीय सेवा के लिए गैलेंट्री अवॉर्ड दिया जाएगा, उनमें 634 अवॉर्ड पुलिस सेवा, 37 अग्निशमन सेवा, 39 पुरस्कार नागरिक सुरक्षा-होम गार्ड और 36 अवॉर्ड सुधार सेवा के जवानों को दिए जाएंगे।

गृह मंत्रालय के बयान के अनुसार, वीरता पुरस्कार विजेताओं में से 28 कर्मी नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं। 28 जवान जम्मू कश्मीर क्षेत्र में और तीन पूर्वोत्तर क्षेत्र में सेवाएं दे रहे हैं। वहीं देश के अन्य हिस्से में सेवा दे रहे अन्य 36 कर्मचारियों को भी वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा।

वीरता पदक, सेवा के दौरान वीरता के काम के लिए दिया जाता है, जिसमें जीवन और संपत्ति की रक्षा करना, अपराध को रोकना या अपराधियों को गिरफ्तार करना शामिल है। इसमें जोखिम का आकलन संबंधित अधिकारी के दायित्वों और कर्तव्यों के अनुसार किया जाता है। वहीं सेवा में विशेष काम के लिए 'विशिष्ट सेवा का राष्ट्रपति पदक' दिया जाता है। संसाधन और कर्तव्य के प्रति सराहनीय समर्पण के लिए 'सराहनीय सेवा पदक' से सम्मानित किया जाता है।

ट्रंप की टीम में एक और भारतवंशी, कुश देसाई बने डेप्युटी प्रेस सेक्रेटरी

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टीम में एक और भारतीय मूल के शख्स को एंट्री मिली है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय-अमेरिकी पूर्व पत्रकार कुश देसाई को अपना उप प्रेस सचिव नियुक्त किया है. ‘व्हाइट हाउस’ ने यह घोषणा की। बता दे कि राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय मूल के कई लोगों पर भरोसा जताया है। कुश देसाई भी इसी कड़ी का हिस्सा हैं।

देसाई इससे पहले रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन के लिए डिप्टी कम्युनिकेशन डायरेक्टर और आयोवा रिपब्लिकन पार्टी के कम्युनिकेशन डायरेक्टर के रूप में कार्यरत थे। वह रिपब्लिकन नेशनल कमेटी में डिप्टी बैटलग्राउंड स्टेट्स और पेंसिल्वेनिया कम्युनिकेशंस डायरेक्टर भी थे। इस पद पर रहते हुए उन्होंने खास तौर पर पेंसिल्वेनिया में प्रमुख बैटलग्राउंड स्टेट्स में मैसेजिंग और नैरेटिव सेट करने में अहम भूमिका निभाई। ट्रंप ने सभी सात बैटलग्राउंड स्टेट्स में जीत हासिल की।

ट्रंप की कैबिनेट में ये भारतवंशी शामिल

• काश पटेल- ट्रंप ने भारतवंशी काश पटेल को अमेरिका का नया एफबीआई चीफ बनाया है।

• जय भट्टाचार्य- ट्रंप ने जय भट्टाचार्य को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ’ (एआईएच) का निदेशक बनाया है।

• तुलसी गबार्ड- ट्रंप ने तुलसी गबार्ड को नेशनल इंटेलिजेंस का डायरेक्टर बनाया है। वह हाल ही में डेमोक्रेटिक पार्टी को छोड़कर रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हुई थीं।

• हरमीत के ढिल्लों- ट्रंप ने ढिल्लों को न्याय विभाग में नागरिक अधिकारों के लिए सहायक अटॉर्नी जनरल के रूप में नामित किया।

क्या है “अल्पाइन क्वेस्ट ऐप” जो बना आतंकियों का नया हथियार, सीमा पर इस नई चुनौती से जूझ रही है सेना

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भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में सीमा पार आतंकवाद और उग्रवाद के अलावा तकनीकी युद्ध के एक नए युग से जूझ रही है। दरअसल, समय के साथ आतंकी भी हाइटेक होते जा रहे हैं। आतंकी हमलों के लिए आधुनिक तरीके अपना रहे हैं। ऐप और सैटेलाइट उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं। क्षेत्र में सक्रिय कई आतंकवादी समूहों ने अपने अभियानों को अंजाम देने के लिए आधुनिक गैजेट्स और सॉफ्टवेयर का उपयोग करना शुरू कर दिया है। जो सीमा पर तैनात सुरक्षाबलों के लिए नया सिरदर्द साबित हो रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम 50 उच्च प्रशिक्षित लश्कर--तैयबा के आतंकवादी कश्मीर घाटी में छिपे हुए हैं। ये अत्याधुनिक रेडियो संचार प्रणाली और मोबाइल ऐप्लीकेशन का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये आतंकवादी ऊंची जगहों में छिपकर और रणनीति बदलकर सुरक्षाबलों की चुनौतियों को बढ़ा रहे हैं।

सुरक्षाबल की निरंतर निगरानी से बचने के लिए वह सेटेलाइट और रेडियो फोन के इस्तेमाल से बच रहे हैं। यही वजह है कि वह अपनी गतिविधियों लिए स्थानीय नेटवर्क के भरोसे रहने की बजाय ऑफलाइन लोकेशन ऐप ‘अल्पाइन क्वेस्ट’ का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे उन्हें पुलिस मूवमेंट, बैरिकेड्स और सुरक्षाबलों के कैंपों की सारी जानकारी मिलती है।

आतंकवादियों द्वारा इस ऐप का इस्तेमाल पहली बार सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले साल कठुआ और डोडा में मुठभेड़ों में मारे गए आतंकवादियों के मोबाइल फोन का विश्लेषण करने के बाद देखा था। मूल रूप से ऑस्ट्रेलियाई नेविगेशन उपकरण के रूप में पैदल यात्रियों और पर्वतारोहियों के लिए डिज़ाइन किया गया ऐप, सुरक्षा बल शिविरों, सेना आंदोलन मार्गों, चौकियों और बाधाओं पर डेटा शामिल करने के लिए पाकिस्तानी सेना द्वारा संशोधित किया गया है। यह संशोधन आतंकवादियों को सुरक्षा बलों से प्रभावी ढंग से बचने में मदद करता है।

सुरक्षा बलों द्वारा ओजीडब्ल्यू के खिलाफ कार्रवाई के जवाब में, आतंकवादियों के लिए स्थानीय समर्थन कम हो गया है, जिससे उन्हें पहाड़ों में प्राकृतिक रूप से मौजूद गुफाओं में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। चलते समय, आतंकवादी इस डर से ओजीडब्ल्यू से बच रहे हैं कि वे सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी लीक कर सकते हैं, जिससे उनका सफाया हो सकता है।

इसके अलावा, आतंकवादियों को पाकिस्तान स्थित सर्वर के साथ अत्यधिक एन्क्रिप्टेड अल्ट्रा-रेडियो संचार उपकरणों का उपयोग करते हुए पाया गया है। यह तकनीक रिपीटर स्टेशनों और सर्वरों के माध्यम से सिग्नलों को रूट करके आतंकवादियों के बीच सुरक्षित संचार को सक्षम बनाती है, जिससे सुरक्षा बलों के लिए वास्तविक समय में उनके संचार को रोकना या डिकोड करना मुश्किल हो जाता है।

सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों की एक साल की लंबी जांच से पता चला है कि 2022 के बाद से कश्मीर घाटी, चिन्नाब घाटी और पीर पंजाल रेंज में आतंकवादी गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पिछले साल कश्मीर घाटी के कुछ हिस्सों के अलावा जम्मू के कठुआ, उधमपुर, किश्तवाड़, डोडा, रियासी, पुंछ और राजौरी जिलों के ऊपरी इलाकों में आतंकवादी गतिविधियां देखी गईं। आतंकवादियों ने शिव खोरी मंदिर में सुरक्षा बलों, ग्राम रक्षा गार्ड (वीडीजी) और तीर्थयात्रियों पर हमले किए हैं। सुरक्षा बलों के आतंकरोधी अभियानों में कई आतंकवादी मारे गये।

रिपोर्टों से पता चलता है कि आतंकवादी अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं, वे उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और जनता के बीच डर पैदा करने के लिए हमले के वीडियो का उपयोग करते हैं। घुसपैठ की इस नई लहर और उन्नत परिचालन रणनीतियों का मुकाबला करने में एजेंसियों को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

मुंबई हमले का दोषी तहव्वुर राणा भारत लाया जाएगा, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से प्रत्यर्पण की मंजूरी

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अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हमले का दोषी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने मामले में उसकी दोषसिद्धि के खिलाफ समीक्षा याचिका खारिज कर दी है। भारत कई साल से पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद शुक्रवार को इसको लेकर फैसला आया है। राणा 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में दोषी है।

अगस्त 2024 में अमेरिकी कोर्ट ने भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को भारत भेजने का आदेश दिया था। निचली अदालत ने पिछले साल सितंबर में ही तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ कर दिया था। मगर राणा ने निचली अदालत के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

13 नवंबर 2024 को राणा ने निचली अदालत के प्रत्यर्पण के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को खारिज कर दिया था। राणा के पास प्रत्यर्पण से बचने का ये आखिरी मौका था। इससे पहले उसने सैन फ्रांसिस्को की एक अदालत में अपील की थी, जहां उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया था। अमेरिकी अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे भारत भेजा जा सकता है।

तहव्वुर राणा पर आरोप है कि उसने 26/11 के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली की मदद की थी। हेडली के इशारे पर ही पूरी साजिश को अंजाम दिलवा रहा था। राणा डेविड का राइट हैंड था। बताया जाता है कि कंट्रोल रूम में जो शख्स बैठा हुआ था, वो तहव्वुर राणा ही था। मुंबई हमले के दोषी राणा के भारत आने के बाद जांच एजेंसियां 26/11 की साजिश को बेपर्दा करेगी। इसमें किसका क्या रोल था, ये साफ होगा। इसके अलावा इसमें कौन कौन से लोग शामिल थे, जिनके नाम अभी तक सामने नहीं आए हैं, उनके नाम भी सामने आएंगे।

मुंबई हमले की 405 पन्नों की चार्जशीट में राणा का नाम भी आरोपी के तौर पर दर्ज है। इसके मुताबिक राणा आईएसआई और लश्कर-ए-तैयबा का मेंबर है। चार्जशीट के मुताबिक राणा हमले के मास्टरमाइंड मुख्य आरोपी डेविड कोलमैन हेडली की मदद कर रहा था। मुंबई पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, राणा आतंकियों को हमले की जगह बताने और भारत में आने के बाद रुकने के ठिकाने बताने में मदद कर रहा था। राणा ने ही ब्लूप्रिंट तैयार किया था, जिसके आधार पर हमले को अंजाम दिया गया। राणा और हेडली ने आतंकवादी साजिश रचने का काम किया था। चार्जशीट में बताया गया कि मुंबई हमले की साजिश की प्लानिंग में राणा का रोल बहुत बड़ा रोल था।

ट्रंप ने यूक्रेन को दिया बड़ा झटका, अमेरिकी मदद पर रोक, इजराइल-मिस्र की जारी रहेगी मदद

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डोनाल्ड ट्रंप एक्शन मोड में हैं। शपथ लेने के बाद वह लगातार सबको झटका दे रहे हैं। पहले कनाडा और मैक्सिको को चोट दी। अब अमेरिका ने अपने दोस्त यूक्रेन को ही घाव दे दिया है। उन्होंने कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को दी जाने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है। इसी कड़ी में उन्होंने यूक्रेन को दी जाने वाली मदद को भी रोकने का ऐलान किया है। ट्रंप का ये फैसला यूक्रेन के लिए तगड़ा झटका है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद अमेरिकी प्रशासन लगातार नए आदेश जारी कर रहा है। शुक्रवार को अमेरिका के विदेश विभाग ने लगभग सभी विदेशी वित्तपोषण पर रोक लगा दी है और अपवाद के तौर पर सिर्फ मानवीय खाद्य कार्यक्रमों और इस्राइल और मिस्त्र को मदद जारी रखी जाएगी। इसके साथ ही अमेरिका दुनियाभर में स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास, नौकरी प्रशिक्षण की जो भी मदद देता है, उन पर तत्काल प्रभाव से रोक लग जाएगी।

बता दें कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि सभी सहायता कार्यक्रम अमेरिका के हित में नहीं हैं। इस संबंध में सभी अमेरिकी दूतावास को यह आदेश जारी कर दिया गया है। जिसमें बताया गया है कि नई सरकार वैश्विक आर्थिक सहायता के मद में कोई खर्च नहीं करेगी और दूतावास के पास ही जो फंड बचा है, उसके खत्म होने तक वे सहायता कार्यक्रम चला सकते हैं।

अमेरिका के इस फैसले से सबसे बड़ा झटका यूक्रेन को लगेगा, जो रूस के साथ युद्ध में उलझा हुआ है। हालांकि पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन पहले ही बड़ी मात्रा में यूक्रेन के लिए फंडिंग की मंजूरी दे गए हैं, लेकिन अमेरिकी विदेश विभाग के फैसले से नई फंडिंग पर रोक लग गई है। ऐसे में यूक्रेन के सामने भारी चुनौती आने वाली है।

यही नहीं अमेरिका अन्य देशों को भी जो मदद देता है, उसको भी ट्रंप प्रशासन ने रोकने का निर्णय लिया है.हालांकि, इसमें इजराइल, इजिप्ट को शामिल नहीं किया गया, यानी इन देशों को अमेरिका की मदद मिलती रहेगी. यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के अनुरूप है, जिसमें विदेशों में सहायता को सख्ती से प्रतिबंधित किया गया है। इस आदेश से डेवलपमेंट से लेकर मिलिट्री सहायत तक काफी कुछ प्रभावित होने की उम्मीद है. जो बाइडेन के कार्यकाल में रूस का सामना करने के लिए यूक्रेन को अरबों डॉलर के हथियार मिले थे। अमेरिकी मदद की वजह से यूक्रेन इनतें दिनों तक युद्ध में डटा रहा. अमेरिका ने 2023 में यूक्रेन को 64 बिलियन डॉलर से अधिक की मदद दी थी. पिछले साल कितनी की मदद दी गई, रिपोर्ट में इसकी जानकारी नहीं दी है

मिशन दिल्ली' के लिए बीजेपी का माइक्रोमैनेजमेंट, ऐसे हर सीट पर वोट बढ़ाने का है प्लान

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दिल्ली में इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबले ने राष्ट्रीय राजधानी के सियासी परिदृश्य को काफी हद तक बदल दिया है। जैसे जैसे चुनावी तारीख नजदीक आ रही बीजेपी और आक्रामक होती जा रही है। अपने प्रचार अभियान के आखिरी दिनों में उसे धार देने के लिए बीजेपी ने दिल्ली में विशाल रैलियां कराने का खाका खींच लिया है। इसके तहत पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा, मनोहर लाल खट्टर और नितिन गडकरी सहित तमाम पार्टी नेता दिल्ली में बीजेपी उम्मीदवारों के लिए वोट मांगेगे। इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और नेता भी अभियान में शामिल होंगे।

बीजेपी ने दिल्ली फतह करने के लिए लक्ष्य भी तय कर लिया है। हर विधानसभा सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में 20 हजार वोट बढ़ाना, हर बूथ पर पचास प्रतिशत वोट हासिल करना और हर बूथ पर पिछली बार की तुलना में अधिक वोट डलवाना। इन तीनों लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बीजेपी ने बूथ दर बूथ, वोटर लिस्ट दर वोटर लिस्ट माइक्रोमैनेजमेंट की एक रणनीति तैयार की है।बड़े नेताओं को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। हर बूथ का विश्लेषण कर क्षेत्रवार ब्यौरा तैयार किया गया है।

बीजेपी पिछले कई महीनों से मतदाता सूचियों को खंगाल रही है। हर बूथ के मतदाताओं का डेटा तैयार किया गया। नए वोटर जुड़वाए गए और फर्जी वोटर हटवाए गए। ऐसे मतदाताओं की सूची बनाई गई जो अब उस बूथ के क्षेत्र में नहीं रहते लेकिन वोटर लिस्ट में उनका नाम है। कोविड के समय दिल्ली से अपने गांवों में चले गए मतदाताओं से संपर्क किया जा रहा है। उनसे कहा जा रहा है कि मतदान के लिए दिल्ली आएं और बीजेपी को वोट दें। ऐसे वोटरों की सूची भी तैयार की गई है, जो किसी दूसरे कारण से दिल्ली से बाहर चले गए लेकिन उनका वोट अब भी दिल्ली में ही है। उन्हें भी पांच फरवरी को वोट डालने के लिए दिल्ली आने के लिए तैयार किया जा रहा है।

बीजेपी ने उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से बसे पूर्वांचलियों और उत्तराखंड से आकर बसे पहाड़ियों पर भी ध्यान केंद्रित किया है। पूर्वांचल से बीजेपी नेताओं को लेकर पूर्वांचली मतदाताओं के बीच प्रचार की जिम्मेदारी दी गई है। पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी इसका समन्वय देख रहे हैं। बीजेपी पूर्वांचलियों का दिल जीतना चाहती है। वह आप के इस प्रचार का भी जवाब देना चाहती है कि बीजेपी ने पूर्वांचलियों को बड़ी संख्या में टिकट नहीं दिया।

बीजेपी ने राज्यवार मतदाताओं की सूची भी तैयार की। हर बूथ के वोटरों की सोशल प्रोफाइल भी खंगाली गई। उदाहरण के तौर पर यह पता लगाया गया कि वह मूलत दिल्ली निवास है या किसी अन्य राज्य से दिल्ली में आकर बसा है। अगर बाहर से आकर बसा है तो जहां से आया, वहां के स्थानीय बीजेपी नेताओं को उस वोटर से व्यक्तिगत संपर्क स्थापित करने को कहा गया ताकि स्थानीय संबंधों का लाभ उठा कर उसे बीजेपी के पक्ष में वोट डालने के लिए मनाया जा सके। उदाहरण के तौर पर करीब तीन लाख मतदाता तेलुगु भाषी हैं। उनसे संपर्क स्थापित करने की जिम्मेदारी आंध्र प्रदेश के बीजेपी और टीडीपी नेताओं को दी गई है। इसी तरह उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात जैसे राज्यों के दिल्ली में रह रहे लोगों को बीजेपी के पाले में लाने के लिए वहां के बीजेपी नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है।

शरद पवार के बगल में थी कुर्सी, नेमप्लेट हटाकर दूर बैठे अजित, फिर बंद कमरे में की सीक्रेट मीटिंग, माजरा क्या है?

#ajit_pawar_avoids_sitting_next_to_sharad_pawar

महाराष्ट्र की सियासत कब किस करवट ले ले, ये कहना मुश्किल है। इस दौरान अक्सर सबसे बड़ा सवाल और सबसे ज्यादा अटकलें “पवार परिवार” को लेकर होती है। सवाल और अंदेशा “पवार परिवार” के एक होने को लेकर होती रहती हैं। कभी शरद पावर और अजीत पवार में नजदीकियां देखी जाती है तो कभी ये दूर दिखने लगते हैं। ऐसा ही एक वाक्या वसंतदादा चीनी संस्थान (वीएसआई) की वार्षिक आम सभा की बैठक में नजर आया। जहां दोनों नेताओं के बीच दूरियां नजर आईं। हालांकि उससे पहले अजीत पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बंद कमरे में मुलाकात भी की। यह मीटिंग वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट के परिसर में ही हुई।

शरद पवार और उनके भतीजे शरद पवार दोनों वार्षिक आम सभा की बैठक के लिए वहां गए थे। एनसीपी के विभाजन के बाद पहली बार वसंतदादा चीनी संस्थान (वीएसआई) की वार्षिक आम सभा की बैठक में दोनों नेताओं ने भाग लिया। हालांकि, कार्यक्रम में डिप्टीसीएम अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के बगल में बैठने से किनारा कर लिया और मंच पर कुछ दूरी पर बैठे नजर आए। शुरुआती व्यवस्था के मुताबिक, दोनों को एक-दूसरे के बगल में बैठना था, लेकिन उपमुख्यमंत्री ने अपनी नेमप्लेट एक कुर्सी दूर कर दी, जिससे राज्य के सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल उनके बीच बैठ गए।

अजित पवार से जब मीडिया ने शरद पवार के बगल में बैठने के बजाय सहकारिता मंत्री के बगल में बैठने का सवाल किया तो उन्होंने कहा कि बाबासाहेब पवार साहब से बात करना चाहते थे। इसीलिए मैंने बैठने की व्यवस्था बदलने के लिए कहा है। मैं उनसे (शरद पवार से) कभी भी बात कर सकता हूं। मैं एक कुर्सी दूर भी बैठूं तो मेरी आवाज इतनी तेज होगी कि दूर बैठा कोई भी व्यक्ति सुन सकता है। उनकी आवाज काफी तेज है और पहली दो लाइनों में बैठे लोग उन्हें सुन सकते हैं।

इसके ठीक बाद एनसीपी प्रमुख ने शरद पवार और एनसीपी विधायक दिलीप वलसे पाटिल सहित अन्य नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की। वीएसआई के चेयरमैन शरद पवार कुछ बोर्ड सदस्यों के साथ अपने केबिन में थे। तभी वीएसआई के ट्रस्टी अजित पवार अंदर आए। इसके बाद वे और उनके चाचा कुछ बेहद करीबी सहयोगियों की मौजूदगी में करीब आधे घंटे तक उनसे मिले और फिर बैठक में चले गए। यह स्पष्ट नहीं है कि उनके बीच क्या बातचीत हुई।

पिछले कुछ सालों से उपमुख्यमंत्री वीएसआई की बैठकों में शामिल नहीं हुए हैं। पूछे जाने पर उन्होंने कहा, मैं अपनी पार्टी के विधायकों की संख्या बढ़ाने की योजना बनाने में व्यस्त था। बाद में अजित पवार ने कहा कि चर्चा चीनी उद्योग और वीएसआई से जुड़े मुद्दों पर हुई। उन्होंने कहा, चूंकि उद्योग को राज्य सरकार के सहकारिता, राज्य उत्पाद शुल्क, कृषि और ऊर्जा विभागों से निपटना पड़ता है, इसलिए हमने उनके मुद्दों पर चर्चा की। वीएसआई के बारे में मेरे कुछ विचार थे, जिन्हें मैंने उन्हें बता दिया।

बजट से पहले हलवा सेरेमनी, वित्त मंत्री ने कराया सभी का मुंह मीठा, जानें क्या है ये परंपरा

#halwaceremonybeforeunionbudget_2025

वित्त मंत्रालय की ओर से केंद्रीय बजट पेश होने से ठीक पहले एक हलवा समारोह का आयोजन किया जाता है। हलवा समारोह के जरिए यह संकेत दिया जाता है कि बजट को अंतिम रूप दिया जा चुका है और इसके छपने का काम शुरू गया है। केंद्रीय बजट 2025 से पहले हलवा सेरेमनी का आयोजन आज हो रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 01 फरवरी 2025 को वित्तीय वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी। हर साल बजट बनाने की प्रक्रिया 'लॉक-इन' में जाने से पहले यह रस्म निभाई जाती है।

बजट से पहले हलवा समारोह (हलवा सेरेमनी) का आयोजन केंद्रीय वित्त मंत्री उपस्थिति में नॉर्थ ब्लॉक में होता है। बजट तैयार करने की "लॉक-इन" प्रक्रिया शुरू होने से पहले इसे आयोजित करने की परंपरा है। इस दौरान वित्त मंत्रालय की रसोई में एक बड़ी कढ़ाई में हलवा बनाया जाता है, जिसे वित्तमंत्री खुद अपने हाथों से बजट तैयार करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को परोसती हैं।

वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक का दफ्तर बंकर में तब्दील

हलवा सेरेमनी के बाद वित्त मंत्रालय का नॉर्थ ब्लॉक का दफ्तर एक बंकर में तब्दील हो जाता है। यहां काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों को ना तो फोन पर बात करने की परमिशन होती है, ना ही वह अपने घर पर कॉल कर सकते हैं और ना ही मोबाइल रख सकते हैं। इतना ही नहीं किसी को भी दफ्तर परिसर से बाहर आने-जाने की भी इजाजत नहीं होती।

हलवा सेरेमनी के बाद बजट की छपाई

बजट सत्र से पहले हलवा सेरेनमी की कई तस्वीरें और वीडियो आपने देखी ही होंगी। एक बड़ी सी टेबल पर बड़ी कढ़ाई रखी होती, जिसमें हलवा होता है। इस दौरान वित्तमंत्री के साथ मंत्रालय के बड़े अधिकारी और कर्मचारी वहां मौजूद रहते हैं, जो हलवा खाने के बाद बजट की छपाई का काम शुरू करते हैं। बजट की छपाई शुरू होने से वित्तमंत्री के बजट भाषण तक ये अधिकारी व कर्मचारी मंत्रालय में ही रहते हैं। यह प्रक्रिया काफी गोपनीय होती है।

बजट पेश होने के बाद ही कोई भी घर जाएगा

अब बजट की तैयारियों में लगे अधिकारी और कर्मचारी यहां तब तक रहेंगे, जब तक कि वित्त मंत्री का संसद में बजट भाषण पूरा नहीं हो जाता। बजट पेश होने के बाद ही वह अपने घर जा सकेंगे। सिर्फ किसी बहुत इमरजेंसी की हालत में ही उन्हें घर जाने की अनुमति मिल सकती है, लेकिन उसके लिए भी काफी सख्त निगरानी रखी जाती है। इस बीच अधिकारी या कर्मचारियों को अपने घर पर बात भी करनी होती है, तो वह हाई सिक्योरिटी लैंडलाइन से ही होती है।

कब से चल रही ये परंपरा?

हलवा सेरेमनी की परंपरा आजादी से पहले से चली आ रही है। हलवा सेरेमनी का आयोजन बजट पेश करने की सभी तैयारियां पूरी होने के बाद किया जाता है। इस दौरान व‍ित्‍त मंत्री के अलावा वित्त मंत्रालय के अध‍िकारी और कर्मचारी मौजूद रहते हैं। परंपरा के अनुसार हलवा सेरेमनी का आयोजन नॉर्थ ब्लॉक के नीचे बेसमेंट में बजट प्रेस में क‍िया जाता है। हलवा बनने के बाद बजट की छपाई शुरू होती है। ज‍िस दिन हलवा सेरेमनी के दौरान हलवा बांटा जाता है, उसके बाद बजट प्रकाश‍ित करने वाले कर्मचारी और अधिकारी वहीं पर रहते हैं।