पुष्पा 2' के डायरेक्टर सुकुमार के घर इनकम टैक्स ने मारा छापा, एयरपोर्ट पर ही पकड़े गए सुकुमार*

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साल 2024 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म ‘पुष्पा 2’ अभी भी बॉक्स ऑफिस पर छाई हुई है। इस फिल्म ने दुनियाभर में कमाई के कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और भारत की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई है। इस बीच 'गेम चेंजर' जैसी फिल्म को प्रोड्यूस करने वाले प्रोड्यूसर दिल राजू के बाद बुधवार को भी हैदराबाद के कई जगह छापेमारी की खबरें सामने आईं। बुधवार को सुकुमार के घर और ऑफिस पर रेड मारी गई। बताया जा रहा है कि जिस वक्त सुकुमार के घर आईटी विभाग ने छापा मारा, उस वक्त सुकुमार हैदराबाद एयरपोर्ट पर थे।'साक्षी पोस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक, सुकुमार को आईटी अधिकारी एयरपोर्ट से ही उनके घर ले गए।

आयकर विभाग के अधिकारियों ने बुधवार (22 जनवरी) को ‘पुष्पा 2’ के डायरेक्टर सुकुमार के हैदराबाद स्थित घर और ऑफिस पर छापा मारा। साक्षी पोस्ट के अनुसार, ये छापे सुबह जल्दी शुरू हुए और कई घंटों तक चले। बताया जा रहा है कि सुकुमार हैदराबाद एयरपोर्ट पर थे जब आयकर अधिकारी उन्हें उनके निवास स्थान पर ले गए और फिर छापेमारी की गई।

हालांकि, छापे के उद्देश्य और परिणामों के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं दी गई है। आयकर विभाग के किसी भी अधिकारी ने इस छापे के बारे में कोई बयान नहीं दिया है।फिल्म मेकर की ओर से भी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

आयकर अधिकारियों को कथित तौर पर टैक्स चोरी का संदेह है। वे दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह कार्रवाई बेहिसाब बढ़ी आय की जांच का एक हिस्सा है। अधिकारी संभावित कर चोरी का पता लगाने के लिए वित्तीय रिकॉर्ड और लेन-देन की जांच कर रहे हैं।

इससे पहले 21 जनवरी यानी मंगलवार को भी इनकम टैक्स की कार्रवाई की खबरें सामने आई थीं। विभाग की 55 टीमों ने 8 से ज्यादा अलग अलग स्थानों पर छापेमारी की। इनमें पुष्पा 2 के प्रोड्यूसर नवीन येरनेनी और मैत्री मूवी मेकर्स के संस्थापक रविशंकर येलमंचिली से लेकर दिल राजू का नाम शामिल था।

सुकुमार हाल में ही अल्लू अर्जुन की पुष्पा 2 को लेकर चर्चा में थे। उनकी ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर रही। जिसमें अल्ल के अलावा फहाद फासिल और रश्मिका मंदाना लीड रोल में थे। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 1800 करोड़ से अधिक का कारोबार भी किया।

अजय माकन का केजरीवाल पर जोरदार हमला, आप संयोजक को बताया “फर्जीवाल” और “एंटी नेशनल”

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कांग्रेस दिल्ली में बड़े मुकाबले के लिए कमर कस चुकी है। कांग्रेस मान चुकी है कि गठबंधन धर्म को आगे बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है। कांग्रेस कई राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में कमजोर हो गई है या समाप्त हो गई है जब उसने अन्य खिलाड़ियों या क्षेत्रीय पार्टियों को अपने ऑप्शन के रूप में बढ़ने दिया। दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के विकल्प के रूप में आई और पैर पूरी तरह से जमा लिया। हालांकि, अब कांग्रेस की ओर से आप पर जोरदार हमले हो रहे हैं।अब कांग्रेस नेता अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल फर्जीवाल है और केजरीवाल एंटी नेशनल हैं।

बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर माकन ने अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए। पत्रकारों से बात करते हुए अजय माकन ने कहा कि दिल्ली को लेकर जो कैग की रिपोर्ट आई है, उसमें एक रिपोर्ट काफी गंभीर है। यह रिपोर्ट इंगित करती है कि राष्ट्रीय राजधानी में 382 करोड़ रुपए का हेल्थ स्कैम हुआ है। कैग की रिपोर्ट बताती है कि तीन नए हॉस्पिटल बनकर तैयार हुए। जबकि ये तीनों ही शीला दीक्षित सरकार में बन गए थे, केवल उनकी समय सीमा आगे खिसक गई थी। अरविंद केजरीवाल ने इन हॉस्पिटल के लिए अलग से फंड लिए। माकन ने कहा कि केजरीवाल सरकार को बताना चाहिए आखिर यह भ्रष्टाचार कैसे हुआ?

अजय माकन ने आगे कहा कि इंदिरा गांधी अस्पताल, बुरारी अस्पताल और मौलाना आजाद दंत अस्पताल के निर्माण में भ्रष्टाचार किया गया है। इनमें सबसे ज्यादा 314 करोड़ रुपए इंदिरा गांधी अस्पताल के निर्माण में टेंडर से ज्यादा पैसे लगाए गए। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाते हुए कहा कि आप सरकार ने 15 जगह भूमि ली थी नए अस्पताल बनाने के लिए, लेकिन नहीं बना पाए। केंद्र से मिले पैसे का भी 56 प्रतिशत यह सरकार खर्च ही नहीं कर पाई। 635 में से 360 करोड़ वापस करने पड़ गए। आम आदमी पार्टी सरकार ने 32 हजार बेड बनाने की घोषणा की थी मगर बने सिर्फ 1,235। देश की राजधानी में नौ अस्पताल ऐसे हैं जहां एक बेड पर दो-दो मरीज लिटाए जाते हैं। चार हॉस्पिटल सर्वे के लिए चुने गए, वहां ओटी तक का हाल बेहाल है।

विश्व स्तरीय स्वास्थ्य मॉडल की कलई खुली-माकन

अजय माकन ने आरोप लगाते हुए आगे कहा कि लोकनायक में सर्जरी के लिए 12 महीने की वेटिंग है। 50 से 74 प्रतिशत डॉक्टरों की कमी दो नए अस्पतालों में चल रही है। कैग ने केजरीवाल सरकार के तथाकथित विश्व स्तरीय स्वास्थ्य मॉडल की कलई खोलकर रख दी है, इसलिए ये लोग रिपोर्ट्स को टेबल नहीं कर रहे। माकन ने आगे कहा कि दिल्ली के 27 में से 14 अस्पतालों में ICU ही नहीं है। CAT एम्बुलेंस में आवश्यक उपकरण तक नहीं हैं। 49 मामलों में नहीं होने के कारण एम्बुलेंस भेजी ही नहीं जा सकी। जिस मुद्दे पर विधानसभा में डिबेट होनी चाहिए, लेकिन हमें यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ रही है।

केजरीवाल से कैग रिपोर्ट्स के हर मुद्दे पर डिबेट के लिए तैयार-माकन

स्वास्थ्य के क्षेत्र में 8 हजार से ज्यादा रिक्तियां हैं, जिन्हें आप सरकार भर ही नहीं सकी। केजरीवाल जवाब दें कि क्या यही है दिल्ली का विश्वस्तरीय स्वास्थ्य मॉडल? ये केजरीवाल नहीं बल्कि फर्जीवाल हैं। जल्द ही मैं यह भी बताऊंगा कि केजरीवाल किस तरह से राष्ट्रद्रोही है। आप सरकार भ्रष्ट तो है ही, कार्य कुशल भी नहीं है। चोर की दाढ़ी में ही तिनका होता है, केजरीवाल की दाढ़ी में तिनका है तभी वो इसे टेबल नहीं होने दे रहे हैं। मैं केजरीवाल से कैग रिपोर्ट्स के हर मुद्दे पर डिबेट करने को तैयार हूं।

आप के पाप नाम से कैंपेन की शुरुआत

अजय माकन ने प्रेस वार्ता में कहा कि दिल्ली में एक पार्टी का गठन भ्रष्टाचार के खिलाफ हुआ था। उस वक्त एक नेता कैग की रिपोर्ट लाकर कांग्रेस के खिलाफ झंडा उठाते थे लेकिन अब वही कैग रिपोर्ट उनके भ्रष्टाचार के बारे में बता रही है। माकन ने कहा कि आप के पाप नाम से हम लगातार कैंपेन चला रहे हैं। अरविंद केजरीवाल की सरकार ने इन कैग रिपोर्ट्स को विधानसभा के पटल पर नहीं रखते हैं, जो उनकी मंशा को भी बता रही है।

श्रीलंका ने 41 भारतीय मछुआरों को किया रिहा, श्रीलंकाई राष्ट्रपति के भारत दौरे पर एस जयशंकर ने फटाया था मुद्दा

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श्रीलंका ने 41 भारतीय मछुआरे को रिहा कर दिया है। चार महीने से भी ज्यादा वक्त के बाद ये मछुआरे अपने देश लौट आए हैं।श्रीलंका की नौसेना ने इन मछुआरों को 8 सितंबर, 2024 को अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) पार करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। भारत सरकार से उन मछुआरों के परिवारों ने गुहार लगाई थी। जिसके बाद केन्द्र की मोदी सरकार के प्रयास के बाद श्रीलंका ने 41 भारतीय मछुआरों को रिहा कर दिया। ये सभी अब स्वदेश लौट चुके हैं।

तमिलनाडु तटीय पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, 41 मछुआरों में से 35 रामनाथपुरम के निवासी हैं, जबकि अन्य नागपट्टिनम और पुदुकोट्टई जिलों के रहने वाले हैं। स्वदेश लौटने पर मछुआरों को नागरिकता सत्यापन, सीमा शुल्क जांच और अन्य औपचारिकताओं से गुजरना पड़ा। तमिलनाडु मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने मछुआरों का स्वागत किया। इसके बाद अलग-अलग वाहनों में उनके गृहनगरों तक परिवहन की व्यवस्था की गई। इससे पहले श्रीलंका ने तमिलनाडु के 15 मछुआरों के एक समूह को रिहा किया था, जो 16 जनवरी को चेन्नई पहुंचे थे।

हाल के महीनों में भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश के मछुआरों को अनजाने में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमाओं को पार करने के लिए हिरासत में लिए जाने की कई घटनाएँ हुई हैं। तमिलनाडु के मछुआरा संघों ने तटीय जिलों में बड़े पैमाने पर इन गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन किए और निर्णायक कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखकर उनसे बीच समुद्र में होने वाली गिरफ्तारियों और मछली पकड़ने वाली मशीनीकृत नावों की जब्ती पर रोक लगाने का आग्रह किया था, जो उनकी आजीविका के लिए महत्वपूर्ण हैं।

इन चुनौतियों का समाधान करने और मछुआरों की आजीविका की रक्षा करने के लिए निरंतर कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता पर ध्यान दिया। पिछले महीने यानी दिसंबर में श्रीलंका के राष्ट्रपति भारत दौरे पर आए थे, तब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके के साथ चर्चा की थी और पुरजोर तरीके से मछुयारे की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाया था। इसके बाद खुद राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके ने भारत को भरोसा दिया था कि श्रीलंका सरकार उन सभी मछुआरों को रिहा कर देगी। स्वदेश लौटते ही जयशंकर की बातों पर श्रीलंका के राष्ट्रपति ने अमल किया और रिहा करने का आदेश जारी हो गया।

केजरीवाल की केंद्र के सामने उठाया मिडिल क्लास का मुद्दा, रखी ये 7 मांगें

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दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने हैं। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी तीसरी बार सत्ता वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही है। आप ने इस चुनाव में जीत पक्की करने के ले हर एक वर्ग को साधने की कोशिश की है। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने महिलाओं से लेकर बुजुर्गों और युवाओं तक पर दांव खेला है। अब केजरीवाल की नजर मिडिल क्लास पर है। इस बीच बुधवार को आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और देश के मिडिल क्लास को लेकर कई जरूरी मुद्दों पर बात की। इसके साथ ही केंद्र सरकार से 7 मांगें भी की हैं।

मिडिल क्लास केवल एटीएम बनकर रह गया-केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कई वादे धर्म और जाति के नाम पर किए जाते हैं। कई वादे समाज के निचले तबके के लिए किए जाते हैं। कई वादे उद्योगपतियों के लिए किए जाते है। कुछ लोग इनके वोट बैंक हैं। एक वर्ग इनके बीच में है जो पिसकर रह गया है। 75 सालों में एक के बाद एक दूसरी पार्टी सत्ता में आई। हर सरकार ने मिडिल क्लास को दबाकर रखा है। ये मिडिल क्लास के लिए करते कुछ नहीं है लेकिन टैक्स का हथियार चला देती है। मिडिल क्लास सरकार का एटीएम बनकर रह गया है।

मिडिल क्लास की आवाज उठाएगी आप-केजरीवाल

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मिडिल क्लास पर टैक्स का बोझ सबसे ज्यादा है। मिडिल क्लास को हमारे देश में सबसे ज्यादा परेशान किया जाता है। मिडिल क्लास वालों की 50 प्रतिशत से ज्यादा आमदनी टैक्स देने में चली जाती है। केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी सड़क से लेकर संसद तक मिडिल क्लास की आवाज उठाएगी। आने वाले बजट में आम आदमी पार्टी के सांसद मिडिल क्लास के मुद्दों को ही संसद में उठाएंगे।

मिडिल क्लास के लिए केजरीवाल की 7 मांगे

• शिक्षा का बजट 2 परसेंट से बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया जाए।

• पूरे देश में प्राइवेट स्कूलों की फीस पर लगाम लगाई जाए, उच्च शिक्षा के लिए सब्सिडी दी जाए।

• स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट भी बढ़ाया जाए और हेल्थ इंश्योरेंस से टैक्स भी कम किया जाए।

• इनकम टैक्स की छूट की सीमा को 7 लाख से बढ़ाकर 10 लाख किया जाए।

• आवश्यक वस्तुओं के ऊपर से जीएसटी खत्म की जाए।

• सीनियर सिटिजन्स के लिए मजबूत रिटायरमेंट प्लान और पेंशन योजना बनाई जाए। इसके साथ ही देशभर में वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त और अच्छा इलाज दिया जाए।

• बुजुर्गों को पहले रेलवे में किराए पर 50 प्रतिशत छूट मिलती थी, जो अब खत्म कर दी गई है, उसे दोबारा शुरू किया जाए।

भारत के साथ तख्त रिश्ते के बीच पहले पाक फिर चीन से संबंध बढ़ा रहा बांग्लादेश, क्या हैं मोहम्‍मद यूनुस के इरादे

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चीन और भारत के रिश्ते कभी सामान्य नहीं रहे। खासकर दुनियाभर में भारत की बढ़ती ताकत ने चीन को बार-बार “चोट” पहुंचाई है। यही वजह है कि चीन, भारत को कमजोर करने की कोई भी चाल को हाथ से गंवाना नहीं चाहता है। भारत के पड़ोसी देशों में पिछले एक साल में कई बदलाव आए हैं। मालदीव, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों में राजनीतिक उथल-पुथल देखी गई है। चीन ने इसका फायदा उठाने की कोशिश लगातार की है। चीन अपनी लोन नीति के चलते कई देशों में अपनी पकड़ मजबूत कर चुका है। पाकिस्तान को अपने चंगुल में लेने के बाद चीन अब बांग्लादेश पर नजर रखे हुए है।

हाल के दिनों में भारत-बांग्लादेश के रिश्ते तल्ख हुए हैं। भारत के ससाथ संबंधों में आई गिरावट के साथ ही बांग्लादेश पहले पाकिस्तान अब चीन के करीब आने लगा है। इसी बीच बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन चीन दौरे पर हैं। बांग्‍लादेश आर्मी के टॉप जनरल कमरुल हसन ने कुछ दिनों पहले ही पाकिस्‍तान की यात्रा की थी। उन्‍होंने पाकिस्‍तान आर्मी चीफ असीम मुनीर से मुलाकात की थी। अब यूनुस ने अपने विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन को बीजिंग भेजा है।

बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार हसन की यात्रा पर टिप्पणी करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन बांग्लादेश के साथ विभिन्न स्तरों पर बातचीत को मजबूत करने, राजनीतिक आपसी विश्वास को बढ़ाने, उच्च गुणवत्ता वाले बेल्ट एंड रोड सहयोग और अन्य क्षेत्रों में आदान-प्रदान और सहयोग को गहरा करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि चीन-बांग्लादेश व्यापक रणनीतिक सहकारी साझेदारी को बढ़ाया जाएगा।

बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हसन चीन दौरे पर हैं और उनके इस दौरे में चीन से लिए लोन भुगतान की मियाद को बढ़ाना अहम मुद्दों में से एक है। द डेली स्टार के खबर के मुताबिक चीन ने इस पर सहमति भी व्यक्त कर दी है। बीजिंग चीनी लौन भुगतान के लिए समय सीमा बढ़ाने पर राजी हो गया और ढाका को आश्वासन दिया है कि वह बांग्लादेश के विदेशी ऋण भुगतान के दबाव को कम करने के लिए ब्याज दर कम करने के अनुरोध पर विचार करेगा।

हसन ने चीन से ब्याज दर को 2-3 फीसद से घटाकर 1 फीसद करने की मांग की है, साथ ही अनुरोध किया है कि भुगतान करने के अच्छे रिकार्ड को देखते हुए, लोन चुकाने की अवधि को 20 साल से बढ़ाकर 30 साल कर दिया जाए। खबरों के मुताबिक चीनी ने दोनों ही मांगों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।

हसीन के तख्तापलट के बाद आ रहे करीब

बांग्‍लादेश में प्रचंड विरोध प्रदर्शन से कुछ दिन पहले शेख हसीना ने आधिकारिक तौर पर चीन का दौरा किया था। वहां से लौटने के बाद उनका तख्‍ता पलट हो गया था। वहीं, अंतरिम सरकार के गठन के बाद से, सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के दौरे की मेजबानी की, जिसके बाद कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी सहित बांग्लादेशी इस्लामी दलों के प्रतिनिधिमंडल का भी दौरा हुआ।

छोटे देशों को फांसना चीन की चाल

बता दें कि छोटे देशों को लोन देना चीन के लिए कोई नया नहीं है। देशों को अपने लोन की जाल में फंसाना चीन की नीति का पुराना हिस्सा रहा है। श्रीलंका को भी चीन ने बड़े पैमाने पर लोन दिया है और भुगतान करने में विफल रहने पर श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर कब्जा कर लिया है। हंबनटोटा बंदरगाह पर चीन की मौजूदगी भारत के लिए बड़ा खतरा है।

चीन ने अपने नौसैनिक निगरानी और जासूसी जहाजों को हंबनटोटा में खड़ा किया है। पिछले दो सालों में बीजिंग ने कई मौकों पर अपने 25 हजार टन वजनी सैटेलाइट और बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकिंग जहाज युआन वांग 5 को हंबनटोटा में तैनात किया है, जो श्रीलंका की भारत से करीबी की वजह से भारत के हितों के लिए हानिकारक है। हालांकि भारत के चिंताओं के बाद श्रीलंका ने आश्वासन दिया है कि वह देश धरती भारत के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देगा।

अमेरिका में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक, मीटिंग के बाद यूएस के नए विदेश मंत्री से मिले जयशंकर

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डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बन चुके हैं। शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे भारतीय विदेशमंत्री जयशंकर ने अमेरिका में शपथ के बाद मंगलवार को क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया। नए ट्रंप प्रशासन में होने वाली ये पहली बड़ी बैठक थी। इसमें मीटिंग में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की ये पहली बैठक थी। वे पद संभालने के महज 1 घंटे बाद ही इसमें शामिल हुए। इसके बाद मार्को रुबियो ने अपनी पहली द्विपक्षीय बातचीत भी भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ की।

क्वाड मंत्रिस्तरीय बैठक के तुरंत बाद अमेरिका के नए विदेश मंत्री रुबियो की जयशंकर के साथ पहली द्विपक्षीय बैठक हुई, जो एक घंटे से अधिक समय तक चली। बैठक में अमेरिका में भारत के राजदूत विनय क्वात्रा भी मौजूद थे। रुबियो और जयशंकर बैठक के बाद एक फोटो सेशन के लिए प्रेस के सामने आए, हाथ मिलाया और कैमरों की ओर देखकर मुस्कुराए।

मार्को रुबियो से मुलाकात के बाद विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने एक्स पर लिखा कि अपनी पहली द्विपक्षीय बैठक के लिए मिलकर खुशी हुई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘आज वाशिंगटन डीसी में क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल हुआ. मार्को रूबियो का आभार, जिन्होंने हमारी मेजबानी की। पेनी वोंग और ताकेशी इवाया का भी शुक्रिया, जिन्होंने इसमें हिस्सा लिया। ये अहम है कि ट्रंप प्रशासन के शपथ ग्रहण के कुछ घंटों के भीतर ही क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई। इससे पता चलता है कि ये अपने सदस्य देशों की विदेश नीति में कितनी महत्वपूर्ण है। हमारी व्यापक चर्चाओं में एक स्वतंत्र, खुले, स्थिर और समृद्ध इंडो-पैसिफिक को सुनिश्चित करने के अलग-अलग पहलुओं पर बात हुई। इस बात पर सहमति बनी कि हमें बड़ा सोचने, एजेंडा को और गहरा करने और अपने सहयोग को और मजबूत बनाने की जरूरत है। आज की बैठक एक स्पष्ट संदेश देती है कि अनिश्चित और अस्थिर दुनिया में क्वाड देश वैश्विक भलाई के लिए एक ताकत बने रहेंगे।

डॉ जयशंकर और मार्को रुबियो की मुलाकात के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया, 'विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने आज वाशिंगटन डीसी में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका और भारत के बीच साझेदारी को मजबूत करने के लिए साझा प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने क्षेत्रीय मुद्दों और अमेरिका-भारत संबंधों को और गहरा करने के अवसरों सहित कई विषयों पर चर्चा की।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका ने चीन की बढ़ती ताकत पर चिंता जताई। इस बैठक में चीन को साफ-साफ सुना दिया गया। बैठक में चारों देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा कि वे किसी भी एकतरफा कार्रवाई का विरोध करते हैं, जो बल या दबाव से यथास्थिति को बदलने की कोशिश करती है। यह बात चीन की उस धमकी के संदर्भ में कही गई है, जिसमें उसने लोकतांत्रिक रूप से शासित ताइवान पर अपनी संप्रभुता का दावा किया है। क्वाड बैठक में यह तय किया गया कि वे एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए प्रतिबद्ध हैं।

अमेरिका के लिए भारत अहम

ट्रंप के शपथ समारोह के बाद क्वाड देशों की अमेरिका में एक अहम बैठक हुई। ट्रंप के शपथ के अगले दिन ही इस बैठक से यह समझ आता है कि अमेरिका के लिए भारत और अन्य सहयोगी कितने अहम साथी हैं। यही नहीं, अमेरिका के लिए भारत कितना अहम है, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने मंगलवार को एस जयशंकर से अलग से मुलाकात भी की।

क्वाड के लिए भारत आ सकते हैं ट्रम्प

यही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इस साल क्वाड देशों की बैठक के लिए भारत के दौरे पर आ सकते हैं। भारत ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के नेताओं के साथ क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला है। ये सम्मेलन अप्रैल या अक्टूबर में आयोजित किया जा सकता है। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस साल के अंत तक अमेरिकी दौरे पर जा सकते हैं। इस दौरान वे व्हाइट हाउस में ट्रम्प के साथ औपचारिक बैठक में हिस्सा लेंगे।

क्या है अमेरिका की बर्थराइट पॉलिसी जिसे खत्म करने जा रही ट्रंप सरकार, क्या भारत पर भी होगा असर?

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डोनाल्‍ड ट्रंप ने सोमवार को अमेरिका के 47वें राष्‍ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण के बाद अपने संबोधन में कई बड़े ऐलान किये और इसके बाद कई एग्‍जीक्‍यूटिव आदेशों पर हस्‍ताक्षर किए। दुनिया के कई देशों के लिए यह आदेश मुसीबत लेकर आए हैं तो खुद उनके ही देश में ऐसे आदेशों ने बहुत से लोगों की परेशान बढ़ा दी है। नागरिकता को लेकर डोनाल्‍ड ट्रंप के एक एग्‍जीक्‍यूटिव आदेश ने अमेरिका में रहने वाले कई देशों के लोगों के साथ लाखों भारतीयों के लिए भी परेशानी खड़ी कर दी है। इस आदेश के मुताबिक, यदि किसी बच्‍चे के माता-पिता अमेरिका के नागरिक नहीं हैं और बच्‍चे का अमेरिका में जन्‍म होता है तो भी उसे नागरिकता नहीं दी जाएगी।

अमेरिका के कानून के मुताबिक अब तक वहां जन्म लेने वाला हर शख्स अमेरिकी नागरिक होता है। अमेरिका में यदि किसी बच्‍चे का जन्‍म होता है तो उसे स्‍वत: ही अमेरिका का नागरिक मान लिया जाता है। फिर चाहे बच्‍चे के माता-पिता अमेरिका के हों या नहीं। साथ ही यदि बच्‍चे के माता-पिता अवैध रूप से यहां पर आए हैं और बच्‍चे का जन्‍म अमेरिका में होता है तो भी उसे अमेरिकी नागरिक माना जाएगा। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

क्या है अमेरिका की बर्थराइट पॉलिसी

यह जानने से पहले की ट्रंप ने बर्थराइट पॉलिसी में किन चीजों को बदलने की मांग की है यह जानना जरूरी है कि देश की बर्थराइट पॉलिसी क्या है? अमेरिका के संविधान के 14वें संशोधन जोकि 1868 में किया गया, उसके मुताबिक, देश में पैदा हुए सभी बच्चों को जन्मजात नागरिकता दी जाती है। इस संशोधन का मकसद पूर्व में देश में गुलाम बनाए गए व्यक्तियों को नागरिकता और समान अधिकार देना था।

संविधान के मुताबिक, अमेरिका में जिन सभी बच्चों का जन्म हुआ उनके अधिकार क्षेत्र के अधीन वो अमेरिका और जिस भी राज्य में पैदा हुए वहां के नागरिक बन जाते हैं।

इस बर्थराइट पॉलिसी में विदेशी राजनयिकों के बच्चों को छोड़ कर, अमेरिका में पैदा हुए लगभग सभी व्यक्तियों को शामिल किया गया है। हालांकि, जहां संविधान देश में पैदा हुए सभी बच्चों को जन्मजात नागरिकता देने की बात करता है, वहीं अब ट्रंप के प्रशासन का मकसद इस खंड को फिर से परिभाषित करना है। ट्रंप के आदेश में कहा गया है कि जन्मजात नागरिकता में गैर-दस्तावेजी आप्रवासियों के बच्चों को बाहर रखा जाना चाहिए और उन्हें जन्मजात नागरिकता नहीं दी जानी चाहिए।

क्‍या है ट्रंप का आदेश?

अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने कहा है कि उनकी सरकार अवैध रूप से देश में प्रवेश करने वाले लोगों के अमेरिका में बच्‍चों को नागरिक नहीं मानेगी। ट्रंप ने फेडरल एजेंसी को आदेश दिया है कि वह 30 दिनों के बाद ऐसे बच्‍चों को नागरिकता दस्‍तावेज जारी न करे। ट्रंप काफी वक्‍त से यह मुद्दा उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि वैध स्थिति के बिना आप्रवासियों के बच्चों को अमेरिका की नागरिकता प्रदान करना उन्हें स्‍वीकार्य नहीं है।

किन पर ज्यादा असर

अमेरिका के इमिग्रेशन नियमों में इस बड़े बदलाव का असर एच-1बी, एच-4 या एफ-1 वीजा पर रह रहे माता-पिता के बच्चों पर पड़ेगा। ये नियम उन बच्चों पर लागू होगा जिनके माता-पिता ग्रीन कार्ड होल्डर या अमेरिकी नागरिक नहीं हैं। इस फैसले से रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे दस लाख से अधिक भारतीयों पर सीधा असर पड़ेगा। इनमें से कई लोग तो पिछले कई दशकों से ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं।

भारत पर असर

अमेरिका के जनसंख्‍या ब्‍यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में रहने वाले भारतीयों की संख्‍या करीब 50 लाख है जो कि वहां की जनसंख्या का करीब 1.47 फीसदी है। इनमें से महज 34 फीसदी लोग ही ऐसे हैं जो कि अमेरिका में पैदा हुए हैं। शेष दो तिहाई आप्रवासी हैं। अमेरिका में काम कर रहे अधिकतर भारतीय वहां एच1-बी विजा के आधार पर काम कर रहे हैं। इस दौरान वहां पैदा होने वाले भारतीय मूल के बच्चों को अब स्वत: अमेरिका की नागरिकता नहीं मिल पाएगी। ग्रीन कार्ड मिलने का इंतजार कर रहे 10 लाख से ज्‍यादा भारतीय भी इस फैसले से प्रभावित होंगे।

जेपीसी की बैठक में शिया वक्फ बोर्ड ने किए तीखे सवाल, संपत्तियों के भविष्य को लेकर जताई चिंता
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 को लेकर जेपीसी की बैठक संपन्न गई है। जिसमें जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल, जेपीसी के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी समेत 11 सदस्य शामिल हुए। बैठक में शिया वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी और दीगर मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि तथा सरकार के नुमाइंदे शामिल हुए। जेपीसी बिल पर मुस्लिम धर्मगुरुओं और संगठनों से सुझाव और आपत्तियां ली गईं। इस दौरान शिया वक्फ बोर्ड ने 'वक्फ बिल इस्तेमाल' संपत्तियों के भविष्य को लेकर चिंता जताई। शिया वक्फ बोर्ड ने कई कानूनी पहलू भी जेपीसी के सामने रखे।

उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अली जैदी ने कहा, मसौदे में ‘वक्फ बिल इस्तेमाल’ संपत्तियों को वक्फ की श्रेणी से बाहर करने की बात है। ऐसे में सवाल यह है, अगर ऐसा किया गया तो उन संपत्तियों का क्या होगा, उनका प्रबंधन कौन करेगा। उन्होंने जेपीसी को बताया कि इमामबाड़े, दरगाहें, खानकाहें, कर्बलाएं और कब्रिस्तान ऐसी सम्पत्तियां हैं जो इस्तेमाल में आती हैं। मगर, वक्फ के रूप में लिखित रूप से दर्ज नहीं हैं। इनका प्रबंधन वक्फ अधिनियम के जरिए ही होता है।

बैठक में शामिल उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने बताया कि बैठक में जेपीसी सदस्यों के सामने वक्फ संपत्तियों से जुड़े पक्षकारों ने अपनी-अपनी बात रखी। राजभर के मुताबिक सरकार की मंशा बिल्कुल साफ है। वह वक्फ संपत्तियों का लाभ गरीब मुसलमानों को भी देना चाहती है। उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा, जिन लोगों ने वक्फ की जमीनों पर अवैध कब्जा किया है, वे ही वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे हैं।

बता दें कि केंद्र सरकार ने बीते अगस्त में संसद में वक्फ विधेयक-2024 पेश किया था। इसके जरिए साल 1995 में तत्कालीन सरकार द्वारा पेश किए गए संशोधन में बदलाव करने का प्रस्ताव है। लोकसभा में पेश होने के बाद इसे लेकर काफी हंगामा हुआ था। लगभग सभी विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया था। इसके बाद इसे संयुक्त संसदीय कमेटी गठित कर उसके सुपुर्द दिया गया था। यह जेपीसी सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में गठित हुई है।
ट्रंप के सत्ता संभालते ही दुनियाभर में खलबली! जिनपिंग की पुतिन से वीडियो कॉल पर हुई बात
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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर सत्ता में वापसी कर ली है। डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी के एक दिन बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग ने बातचीत की। डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालते ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ वर्चुअल मीटिंग की है।इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की।

क्रेमलिन की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ एक वीडियो कॉल पर बातचीत की है। बातचीत के दौरान रूस और चीन के बीच के रिश्तों को पहले से और भी बेहतर करने पर जोर दिया गया।

शी के साथ फोन पर बातचीत को लेकर पुतिन ने कहा कि रूस-चीन संबंध साझा हितों, समानता और आपसी लाभों पर आधारित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ये संबंध अंदरूनी राजनीतिक कारकों और मौजूदा अंतरराष्ट्रीय माहौल पर निर्भर नहीं हैं। रूसी राष्ट्रपति ने कहा, हम एक समान बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था के विकास का समर्थन करते हैं और यूरेशिया व पूरी दुनिया में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए काम करते हैं। उन्होंने आगे कहा, रूस और चीन के साझा प्रयास वैश्विक मामलों को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

वहीं, चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने भी मॉस्को और बीजिंग के बीच सहयोग की सराहना की और कहा कि यह वैश्विक प्रणाली के सुधार और विकास में सकारात्मक भूमिका निभा रहा है। दोनों नेताओं ने सीधे तौर पर ट्रंप का नाम नहीं लिया। हालांकि,बातचीत का समय इस बात का संकेत हो सकता है कि पुतिन और शी दोनों ही नए अमेरिकी प्रशासन के साथ मिलकर काम करें और आपस में संवाद करें।

इससे पहले जिनपिंग ने शुक्रवार को ट्रंप से फोन पर बात की थी और अमेरिका के साथ सकारात्मक संबंधों की उम्मीद जताई थी। दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय विवादों और फेंटानल बनाने में उपयोग होने वाली वस्तुओं के निर्यात पर सहयोग के तरीकों पर भी चर्चा की थी। हालांकि, ट्रंप ने पहले अपने दूसरे कार्यकाल में चीन पर शुल्क और अन्य प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी। वहीं, पुतिन ने अब तक ट्रंप से फोन पर बात नहीं की है।
बंगाल सरकार ने आरजी कर बलात्कार-हत्या के दोषी के लिए मौत की सजा की मांग की

पश्चिम बंगाल सरकार ने संजय रॉय के लिए मौत की सजा की मांग करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया है, जिसे आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक पोस्ट-ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सरकार का तर्क था कि यह अपराध बहुत जघन्य और दुर्लभतम श्रेणी का था, और इसलिए मृत्युदंड दिया जाना चाहिए।

रॉय को सियालदह अदालत द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 66 (बलात्कार), 64 (हत्या) और 103 (1) (हत्या) के तहत सजा सुनाई गई। इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें फैसले से निराशा हुई क्योंकि राज्य सरकार ने शुरुआत से ही मृत्युदंड की मांग की थी। वे इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने के लिए तैयार थीं। ममता बनर्जी ने अपराध को दुर्लभतम अपराध बताया और यह भी कहा कि राज्य सरकार ने इस मामले में सख्त कदम उठाने के लिए एक विधेयक पारित किया है, जिसमें बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामलों में मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि रॉय अकेले अपराधी नहीं थे और उनकी 31 वर्षीय बेटी की हत्या एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी, जिसमें प्रभावशाली लोग शामिल थे। इस दौरान विपक्षी दलों ने भी इस मामले में सीबीआई की निष्क्रियता पर सवाल उठाए। सीबीआई ने आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल और ताला पुलिस स्टेशन के पूर्व प्रभारी के खिलाफ आरोप तय नहीं किए थे, जिनका नाम इस मामले में आया था।

भाजपा ने इसे एक संस्थागत अपराध करार दिया और कहा कि ममता बनर्जी इसे राजनीतिक रूप से भुना रही हैं। इस पूरे मामले पर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस जारी है, और उच्च न्यायालय में होने वाली अपील के परिणाम का सभी को इंतजार है।