*कैग रिपोर्ट में देरी होने पर हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकारा, कहा- आपकी ईमानदारी पर संदेह
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दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आई कैग रिपोर्ट का मुद्दा दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। 7 भाजपा विधायकों ने कैग की रिपोर्ट पर विधानसभा में चर्चा करवाने की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई थी, जिस पर सोमवार को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। दिल्ली हाईकोर्ट ने कैग रिपोर्ट पर विचार करने में देरी के लिए दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जिस तरह से आपने अपने कदम पीछे खींचे हैं, उससे आपकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है।
हाईकोर्टकी नाराजगी की वजह
कोर्ट ने विजेंदर गुप्ता सहित भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की ओर से दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने जोर देते हुए कहा, “आपको रिपोर्ट को तुरंत स्पीकर के पास भेजना चाहिए था और सदन में बहस शुरू करवानी चाहिए थी। दरअसल, दिल्ली सरकार की यह जिम्मेदारी थी कि इस रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जाता, लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार ने ऐसा नहीं किया। यही वजह है कि हाईकोर्ट ने सरकार के इस रवैये पर नाराजगी जाहिर की।
आपका टालमटोल बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण-हाई कोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से कहा कि आप जिस तरह से टालमटोल कर रहे हैं, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। आपको कैग रिपोर्ट को विधानसभा स्पीकर के पास भेजने और विधानसभा में चर्चा करने में तत्पर होना चाहिए था।
कैग रिपोर्ट में किया गया दावा
सीएजी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने सिविल लाइंस स्थित सरकारी आवास के रिनोवेशन पर 33.66 करोड़ रुपये खर्च किए थे। लागत से 342 प्रतिशत ज्यादा रकम इस काम के लिए खर्च की गई। रिपोर्ट में कहा गया कि अरविंद केजरीवाल के घर के रिनोवेशन का काम 8.62 करोड़ रुपये की निविदा पर किया जाना था। इसकी अनुमानित लागत 7.61 करोड़ तय की गई थी। शुरुआत में ही यह 13.21 प्रतिशत ज्यादा थी। जब अरविंद केजरीवाल के घर का काम खत्म हुआ तो यह अनुमानित लागत से 342.31 प्रतिशत ज्यादा था। यह रकम निविदा राशि से 290.49 प्रतिशत अधिक पाई गई।
Jan 13 2025, 15:37