पूर्वांचलियों को बीजेपी ने नहीं दिया सम्मान, काटे जा रहे उनके वोट”, केजरीवाल के इस बयान पर दिल्ली में बवाल

#bjp_vs_aap_row_over_purvanchal_voters

दिल्ली में पूर्वांचल वोटरों को लेकर एक बार फिर राजनीति तेज हो गई है। अरविंद केजरीवाल के पूर्वांचलियों वाले बयान पर दिल्ली में बवाल मच गया है। दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल के खिलाफ विरोध मार्च निकाला। यह मार्च अशोक रोड से केजरीवाल के घर तक निकाला गया। बीजेपी ने इसे पूर्वांचल सम्मान मार्च नाम दिया है। सांसद मनोज तिवारी इसे लीड किया। बड़ी संख्या में बीजेपी के कार्यकर्ता केजरीवाल के घर पर प्रदर्शन करने पहुंचे। इस दौरान पुलिस ने कार्यकर्ताओं पर काबू पाने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया है। कई प्रदर्शनकारी बैरिकेड पर चढ़ गए।पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया है।

Image 2Image 4

विरोध मार्च को लेकर अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्वांचलियों का सबसे ज्यादा अपमान बीजेपी करती है। प्रदर्शन को लेकर केजरीवाल बोले कि वे अपने घर के बाहर एक टेंट लगा देता हूं। बीजेपी के अपने 100 लोगों को वहीं बैठा दे। बस आरोप वाले बैनर रोज बदल दिया करे।

इससे पहले बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि सत्ता जाने के भय से अरविंद केजरीवाल अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। अपनी सत्ता खोने का बदला केजरीवाल जी आप दिल्ली वालों से ले रहे हैं।

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा, भाजपा ने दिल्ली को भारत की अपराध राजधानी बना दिया है। दिल्ली में डकैती, चेन स्नैचिंग, गैंगवार हो रहे हैं, महिलाओं का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। भाजपा दिल्ली के लोगों से नफरत करती है। अपनी नफरत के कारण ही वे पिछले 25 सालों से दिल्ली की सत्ता में वापस नहीं आए हैं। मैंने दिल्ली के लोगों को भरोसा दिलाया है कि आप की सरकार बनने पर आरडब्ल्यूए को दिल्ली सरकार से फंड मिलेगा, ताकि वे अपने-अपने इलाकों में निजी सुरक्षा गार्ड नियुक्त कर सकें। भाजपा अब धरना पार्टी बन गई है। कल मैं चुनाव आयोग में शिकायत करने गया था कि भाजपा रोहिंग्या के नाम पर पूर्वांचल और दलितों के वोट काट रही है।'

पत्नी को कितनी देर निहारोगे, एक हफ्ते में 90 घंटे काम करें” L&T चेयरमैन सुब्रह्मण्यन की नसीहत पर बढ़ा विवाद

#ltchairmansnsubrahmanyan90hoursworking

Image 2Image 4

इंजीनियरिंग सेक्टर की दिग्गज कंपनी लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन और एमडी एसएन सुब्रह्मण्यम सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हो रहे हैं। एसएन सुब्रह्मण्यम ने लोगों को 90 घंटे काम करने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि अगर संभव हुआ तो कंपनी आपसे रविवार को भी काम करवाएगी। छुट्टी के दिन घर में बीवी को कितने देर तक घूरेंगे।

उनका एक वीडियो आया है जिसमें वह कर्मचारियों को 90 घंटे काम करने की नसीहत दे रहे हैं। सुब्रह्मण्यन को रेडिट पर सामने आए एक वीडियो में कर्मचारियों से यह कहते हुए सुना गया कि, मुझे खेद है कि मैं आपको रविवार को काम नहीं करवा सकता। अगर मैं आपको रविवार को काम करवा सकता हूं, तो मुझे ज्यादा खुशी होगी, क्योंकि मैं रविवार को काम करता हूं। आप घर पर बैठकर क्या करते हैं? आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक घूर सकते हैं? पत्नी अपने पति को कितनी देर तक घूर सकती है?”

इस बात के सपोर्ट में सुब्रमण्यन ने एक चीन के व्यक्ति से हुई बातचीत भी शेयर की। उन्होंने कहा, 'उस व्यक्ति ने दावा किया कि चीन, अमेरिका से आगे निकल सकता है क्योंकि चीनी एम्प्लॉई हफ्ते में 90 घंटे काम करते हैं, जबकि, अमेरिका में 50 घंटे काम करते हैं।'

नारायण मूर्ति ने दी थी 70 घंटे काम करने की सलाह

सुब्रह्मण्यन के इस बयान के बाद वर्क-लाइफ बैलेंस पर चल रही बहस को बढ़ावा मिलने की संभावना है। इससे पहले इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति ने कुछ दिनों पहले देश के युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी। हालांकि, लार्सन एंड टुब्रो के चेयर मैन उनसे भी आगे निकल गए। उन्होंने 90 घंटे काम करने की बात कह दी।

वर्क-लाइफ पर अडाणी की राय

वहीं, वर्क-लाइफ बैलेंस पर गौतम अडाणी ने कहा था कि 'आपका वर्क-लाइफ बैलेंस मेरे ऊपर और मेरा आपके ऊपर थोपा नहीं जाना चाहिए। मान लीजिए, कोई व्यक्ति अपने परिवार के साथ चार घंटे बिताता है और उसमें आनंद पाता है, या कोई अन्य व्यक्ति आठ घंटे बिताता है और उसमें आनंद लेता है, तो यह उसका बैलेंस है। इसके बावजूद यदि आप आठ घंटे बिताते हैं, तो बीवी भाग जाएगी।'

अडाणी ने कहा था कि संतुलन तब महसूस होता है जब कोई व्यक्ति वह काम करता है जो उसे पसंद है। जब कोई व्यक्ति यह स्वीकार कर लेता है कि उसे कभी ना कभी जाना है, तो उसका जीवन आसान हो जाता है।

कितना है एसएन सुब्रह्मण्यन का वेतन?

सुब्रह्मण्यन के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी जमकर छीछालेदर हो रही है। यूजर्स उनकी सैलरी तक खोज लाए हैं। कंपनी की सालना रिपोर्ट के मुताबिक सुब्रह्मण्यम को 2023-24 में 51 करोड़ रुपये की सैलरी मिली जो कंपनी को कर्मचारियों की औसत सैलरी से 534.47 गुना ज्यादा है। सुब्रह्मण्यम को इस दौरान बेस सैलरी के रूप में ₹3.6 करोड़, भत्तों के रूप में ₹1.67 करोड़ और कमीशन के रूप में ₹35.28 करोड़ रुपये मिले। साथ ही उन्हें ₹10.5 करोड़ रुपये का रिटायरमेंट बेनिफिट भी मिला। इस तरह उनके खाते में कुल 51.05 करोड़ रुपये आए जो साल 2022-23 की तुलना में 43.11 फीसदी अधिक है।

मौसम के मुताबिक बढ़ रहा एच‌एमपीवी, कोई खतरा नहीं: डब्ल्यूएचओ

Image 2Image 4

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस यानी एचएमपीवी की बढ़ोतरी मौसम के स्वरूप के मुताबिक हो रही है। इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है और परेशानी की कोई बात नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने उत्तरी गोलार्ध में तीव्र श्वसन संक्रमण सहित एचएमपीवी के प्रसार के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कई देशों में श्वसन संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन यह इस समय के लिए सामान्य है। डब्ल्यूएचओ वैश्विक स्तर पर श्वसन बीमारियों की निगरानी जारी रखता है और जरूरत पड़ने पर अपडेट देता है। डब्ल्यूएचओ इस वजह से किसी भी यात्रा या व्यापार पर प्रतिबंध लगाने की सलाह नहीं दी है। इसका मतलब है कि लोग सामान्य तरीके से सफर और व्यापार कर सकते हैं, बगैर किसी अतिरिक्त पाबंदी के। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, संक्रमण में यह बढ़ोतरी आमतौर पर मौसमी वायरस जैसे इन्फ्लूएंजा, रेस्पिरेटरी सिंकिशियल वायरस एचएमपीवी और बैक्टीरियल संक्रमण जैसे माइकोप्लाज्मा निमोनिया की वजह से होती है। सर्दियों में कई वायरस के एक साथ प्रसार से कभी-कभी स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव बढ़ सकता है। डब्ल्यूएचओ ने एचएमपीवी को लेकर कहा कि यह वायरस आमतौर पर सर्दियों और वसंत की शुरुआत में फैलता है। एचएमपीवी से संक्रमित ज्यादातर लोग हल्के लक्षण अनुभव करते हैं, जो सामान्य सर्दी जैसे होते हैं और कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह ब्रोंकाइटिस या निमोनिया का कारण बन सकता है और अस्पताल में भर्ती होने जरूरत पड़ सकती है।

चीन पर नजर

डब्ल्यूएचओ चीन में एचएमपीवी के हालात को लेकर वह चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ संपर्क में है। अब तक चीन में एचएमपीवी जैसे श्वसन संक्रमण के किसी असामान्य स्वरूप या प्रकोप की रिपोर्ट नहीं मिली है। चीनी स्वास्थ्य प्रणाली सामान्य रूप से काम कर रही है और वहां कोई आपात स्थिति या दबाव नहीं है। चीन के मुताबिक, एचएमपीवी सहित श्वसन संक्रमण का स्तर सर्दियों के मौसम के लिए सामान्य है। अस्पतालों का इस्तेमाल बीते साल के इसी वक्त के मुकाबले कम है और किसी आपात उपाय की जरूरत नहीं पड़ी है।

ज्यादा ठंडे क्षेत्रों में बरते एहतियात

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सुझाव दिया है कि सर्दियों वाले क्षेत्रों में लोग खुद को और दूसरों को संक्रमण से बचाव के लिए उपाय करें। इसमें बीमार महसूस करने पर घर पर रहना, आराम करना, भीड़भाड़ वाली या कम हवादार जगहों पर मास्क पहनाना,हाथ धोना और खांसते या छींकते समय रुमाल या कोहनी का इस्तेमाल करना शामिल है।

दावा : फरवरी तक खत्म हो जाएगा वायरस का असर

फरवरी तक एचएमपीवी का प्रसार लगभग समाप्त हो जाएगा। लगभग दो साल तक सांस की दिक्कतों की वजह से एक अस्पताल में भर्ती बच्चों पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि केवल 1.4 फीसदी बच्चे ही एचएमपीवी से प्रभावित थे। यह जानकारी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की ओर से दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कीं ‘सेम सेक्स मैरिज’ पर पुनर्विचार याचिका, कहा- फैसले में कोई खामी नहीं

#supreme_court_dismisses_review_petitions_against_same_sex_marriage_judgment

सुप्रीम कोर्ट ने भारत में सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता खारिज करने के अपने ऐतिहासिक फैसले को चुनौती देने वाली समीक्षा याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें कोई खामी नहीं है। फैसले कानून के मुताबिक हैं। इसमें हस्तक्षेप ठीक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2023 में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार कर दिया था। उस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से दोबारा विचार की मांग की गई थी। लेकिन 5 जजों की बेंच ने माना है कि वह फैसला सही था। पहले दिए गए एक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने माना कि समान-लिंग संघों को कानूनी मंजूरी देने का कोई संवैधानिक आधार नहीं था।

Image 2Image 4

अपने नए फैसले में, कोर्ट ने कहा कि उसके पहले के फैसले में रिकॉर्ड के अनुसार कोई त्रुटि स्पष्ट नहीं थी। पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि मूल फैसले में व्यक्त विचार कानून के अनुरूप थे और इसमें किसी और हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। नतीजतन, फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली सभी समीक्षा याचिकाएं खारिज कर दी गईं, जिससे कोर्ट के पहले के रुख को बल मिला।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने पुनर्विचार याचिकाओं के लिए तय नियम के मुताबिक इसे बंद चैंबर में देखा। अगर जजों को लगता कि पहले आए फैसले में कोई कानूनी कमी है या कुछ अहम सवालों के जवाब उस फैसले में नहीं दिए गए, तब वह इसे खुली अदालत में सुनवाई के लिए लगाने का निर्देश देते। लेकिन जजों को दोबारा सुनवाई की ज़रूरत नहीं लगी।

जस्टिस गवई के साथ जो 4 जज बेंच में शामिल थे, उनके नाम हैं- जस्टिस सूर्य कांत, बी वी नागरत्ना, पी एस नरसिम्हा और दीपांकर दत्ता। इनमें से सिर्फ जस्टिस नरसिम्हा ही इकलौते जज हैं, जो 2023 में फैसला देने वाली 5 जजों की बेंच के सदस्य थे। उस बेंच के बाकी 4 सदस्य जज अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

जिस फैसले पर दोबारा विचार की मांग करते हुए 13 याचिकाएं दाखिल हुई थीं, उसमें कहा गया था कि विवाह कोई मौलिक अधिकार नहीं है। समलैंगिकों को भी अपना साथी चुनने और उसके साथ रहने का अधिकार है, लेकिन उनके संबंधों को शादी का दर्जा देने या किसी और तरह से कानूनी मान्यता देने का आदेश सरकार को नहीं दिया जा सकता. सरकार अगर चाहे तो ऐसे जोड़ों की चिंताओं पर विचार करने के लिए कमेटी बना सकती है। कोर्ट ने माना था कि यह विषय सरकार और सांसद के अधिकार के क्षेत्र में आता है। कोर्ट ने यह भी साफ किया था कि समलैंगिक जोड़े बच्चा गोद नहीं ले सकते।

पोडकास्ट पर पीएम मोदी का डेब्यू, जानें किसे दिया पहला इंटरव्यू?

#who_is_nikhil_kamath_interview_pm_narendra_modi

Image 2Image 4

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोडकास्ट की दुनिया में डेब्यू किया है। पीएम मोदी ने जीरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ के साथ अपना पहला पॉडकास्ट किया है। 'पीपल बाय डब्ल्यूटीएफ' शो में पीएम मोदी पहली बार किसी पॉडकास्ट में नजर आएंगे। जिसका एक ट्रेलर अभी सामने आया है। निखिल भारत के सफल एंटरप्रेन्योर की लिस्ट में शामिल है। साल 2024 फोर्ब्स के विश्व अरबपतियों की लिस्ट में वो शामिल थे।

निखिल कामथ ने पीएम मोदी के पहले पॉडकास्ट का एक टीजर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया है। यह टीजर शेयर करते हुए उन्होंने लिखा "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लोग। एपिसोड 6 ट्रेलर मोदी।" इस टीजर में पीएम मोदी को कुछ दिलचस्प सवालों के जवाब देते हुए देखा जा सकता है। इस इंटरव्यू का ट्रेलर जमकर वायरल हो रहा है।

पोडकास्ट के 2 मिनट के ट्रेलर में पीएम से निखिल कामथ कह रहे हैं, मैं आपके साथ बैठ कर बाते कर रहा हूं इसमें मैं नर्वस फील कर रहा हूं। इस पर पीएम मोदी ने मुसकुराते हुए कहा, मेरे लिए यह पोडकास्ट पहली बार हो रहा है, पता नहीं यह कैसा जाएगा। पीएम मोदी ने भी सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर निखिल कामथ की पोस्ट पर रीपोस्ट कर लिखा, मुझे उम्मीद है कि आप सभी को इस में उतना ही आनंद आएगा, जितना हमें इसको आप के लिए तैयार करने में आया था।

निखिल कामथ ने बुधवार को एक पॉडकास्ट की क्लिप पोस्ट की थी, जिसमें वे एक अतिथि से सवाल पूछते नजर आ रहे थे। जवाब देने वाला व्यक्ति नहीं दिख रहा था, लेकिन यह एक बड़ा संकेत था कि जवाब देने वाले व्यक्ति पीएम मोदी ही थे। ऐसे में जब कामथ ने प्रधानमंत्री के चेहरे के साथ वीडियो शेयर किया तो लोगों को ज्यादा हैरानी नहीं हुई। बुधवार की क्लिप में कामथ अपने गेस्ट को कुछ साल पहले बेंगलुरु में हुई मुलाकात की याद दिलाते नजर आ रहे थे।

पीएम का इंटरव्यू लेते समय निखिल ने कहा कि माफ कीजिएगा अगर मेरी हिंदी अच्छी नहीं हुई। इस पर पीएम ने कहा कि हम दोनों की ऐसे ही चलेगी। इसी में पीएम कहते हैं कि एक भाषण में मैंने कहा था कि मैं भी मनुष्य हूं, मैं कोई देवता थोड़ी हूं।

निखिल कामथ ने पीएम मोदी से पूछा कि क्या राजनीति एक गंदी जगह है? इस पर भी पीएम मोदी ने सहजता से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता तो वो कामथ के साथ नहीं बैठे होते। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राजनीति में अच्छे लोग आते रहने चाहिए। उन्हें महत्वाकांक्षाएं लेकर राजनीति में नहीं आना चाहिए, बल्कि एक मिशन लेकर आना चाहिए।

इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले पॉडकास्ट इंटरव्यू में बतौर पीएम अपने कार्यकाल, दुनिया के वर्तमान हालात और अपने व्यक्तिगत द्रष्टिकोण के साथ ही भारत के रुख और युवाओं की राजनीति में भागीदारी पर खुलकर बात की।

शरद पवार ने क्यों की आरएसएस की सराहना? पार्टी के विलय को लेकर भी साफ की तस्वीर

#sharadpawarpraises_rss

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तारीफ की। उन्होंने अपनी पार्टी से कहा कि वे भी समाज सुधारकों शाहू महाराज, महात्मा फुले, बी आर आंबेडकर और राजनीतिक दिग्गज यशवंतराव चव्हाण के प्रगतिशील विचारों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ अपने कार्यकर्ताओं का आधार तैयार करने का आह्वान किया। यही नहीं, एनसीपी के दोनों धड़ों का विलय को लेकर जारी अटकलों पर भी शरद पवार से स्थिति साप की।

Image 2Image 4

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद एनसीपी (एसपी) की दो दिवसीय बैठक हुई। शरद पवान ने संगठनात्मक मामलों पर चर्चा के लिए बैठक की। वाईबी चव्हाण केंद्र में आयोजित इस बैठक में शरद पवार के अलावा पार्टी के राज्य स्तरीय पदाधिकारी, जिला और तालुका अध्यक्ष शामिल हुए। इस दौरान शरद पवार ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पास प्रतिबद्ध कार्यकर्ता हैं जो हिंदुत्व संगठन की विचारधारा के प्रति अटूट निष्ठा दिखाते हैं और किसी भी कीमत पर अपने रास्ते से विचलित नहीं होते।

पवार ने कहा, आरएसएस का काम करने का तरीखा अनोखा है। इसमें उल्लेख किया गया है कि अगर संघ परिवार किसी कार्यकर्ता के जीवन के महत्वपूर्ण 20 वर्ष छीन भी लेता है, तो उसे संयोग पर नहीं छोड़ा जाता, बल्कि शेष जीवन के लिए उसे सही स्थान पर समायोजित किया जाता है। हमारे पास भी ऐसा काडर आधार होना चाहिए जो छत्रपति शाहू महाराज, महात्मा फुले, बीआर आंबेडकर और यशवंतराव चव्हाण की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध हो।

महाराष्ट्र में हार पर भी बोले पवार

महाराष्ट्र में नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार पर शरद पवार ने कहा कि लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद हम आत्मसंतुष्ट हो गए, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन ने अपनी हार को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए। उन्होंने कहा कि पार्टी ओबीसी को यह नहीं बता पाई कि उसने उनके उत्थान के लिए क्या किया।

एनसीपी के विलय पर शरद गुट का बयान

वहीं, शरद पवार की एनसीपी-एसपी, आरएसएस और इंडिया गठबंधन के विलय की बात पर शरद गुट के नेता जीतेंद्र आव्हाड का भी बयान आया है। उन्होंने कहा कि बैठक में यह चर्चा हुई है कि आगे बढ़ेंगे, लड़ेंगे और जीतेंगे। हमारी पार्टी शरद पवार की पार्टी है। हम लोग लड़ना जानते हैं।

कौन हैं भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य? ठोकी कनाडा में पीएम पद के लिए दावेदारी

#indianorigincanadianmpchandraaryapresentedclaimforpostof_pm

Image 2Image 4

कनाडा में इस समय सियासी हलचल मची हुई है। साल 2015 से प्रधानमंत्री पद पर काबिज जस्टिन ट्रूडो ने देश में लंबे समय से चल रहे विरोध प्रदर्शन के चलते इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है। इसी के बाद भारतीय मूल के चंद्र आर्य ने भी पीएम पद की दावेदारी ठोकी है। इसके साथ ही कनाडा में पीएम पद की रेस में अब एक नया नाम जुड़ गया है। ट्रूडो इस्तीफे के बाद अगला नया नेता चुने जाने तक देश के प्रधानमंत्री पद पर रहेंगे। नए प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद वह प्रधानमंत्री पद से हट जाएंगे। ऐसे में कई नेता अब पीएम पद की रेस में है।

कनाडा के भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य ने गुरुवार को घोषणा की कि वे कनाडा के अगले प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल होंगे। चंद्र आर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि वह कनाडा के अगले प्रधानमंत्री बनकर देश के पुनर्निर्माण और समृद्धि की दिशा में काम करना चाहते हैं। एक वीडियो बयान में आर्य ने कहा कि यदि कनाडा की जनता उन्हें निर्वाचित करती है तो तो वे एक कुशल और छोटी सरकार का नेतृत्व करेंगे, जो देश के पुनर्निर्माण और भविष्य की पीढ़ियों के लिए समृद्धि सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा कनाडाई लोगों के लिए सबसे अच्छा काम किया है। हमें ऐसे साहसिक निर्णय लेने होंगे जो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए उपयोगी होंगी।

चंद्र आर्य कनाडा के ओटावा से सांसद हैं। उनकी घोषणाओं में कई नीति प्रस्ताव भी शामिल हैं, जिनमें 2040 तक सेवानिवृत्ति की आयु में दो साल की बढ़ोतरी और नागरिकता-आधारित कर प्रणाली की शुरुआत शामिल है। आर्य ने कहा कि उन्हें कनाडा का अगला प्रधानमंत्री बनने के लिए चुनाव लड़ने की प्रेरणा मिली है ताकि देश को पुनर्निर्माण और भविष्य की पीढ़ियों के लिए समृद्धि सुनिश्चित की जा सके। साथ ही आर्य ने यह भी कहा कि कनाडा को ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो बड़े और कठिन निर्णय लेने से न डरें। वह हमेशा लिबरल पार्टी की नीतियों से सहमत नहीं रहे हैं और हाल ही में उन्होंने कनाडा में विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ एक याचिका का समर्थन किया था।

कर्नाटक से रखते हैं तालुक

चंद्र आर्य का जन्म कर्नाटक के तुमकुर जिले के द्वारलू गांव में हुआ था और उन्होंने धारवाड़ के कर्नाटक विश्वविद्यालय से एमबीए किया। 2006 में कनाडा जाने के बाद, उन्होंने पहले इंडो-कनाडा ओटावा बिजनेस चैंबर के अध्यक्ष के रूप में काम किया और बाद में 2015 के कनाडाई संघीय चुनाव में नेपियन राइडिंग से सांसद बने। उन्हें 2019 और 2021 में भी दोबारा चुना गया।

चंद्र आर्य की राजनीति में सक्रियता विशेष रूप से भारतीय समुदाय और कनाडा के समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों पर रही है। उन्होंने 2022 में कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में अपनी मातृभाषा कन्नड़ में भाषण दिया और टोरंटो में हिंदू मंदिरों की तोड़फोड़ के मामलों में भी मुखर रूप से अपनी आवाज उठाई। इस हमले के लिए उन्होंने खालिस्तानी चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराया।

शपथग्रहण से 10 दिन पहले ट्रंप को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट का रहम दिखाने से इनकार

#donald_trump_us_supreme_court_rejects_plea_halt_hush_money_case

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हश मनी मामले में राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप की ओर दाखिल की गई सजा में देरी करने की अपील को खारिज कर दिया। इस आदेश के बाद न्यायाधीश जुआन एम. मर्चन के लिए शुक्रवार को ट्रंप को सजा सुनाने का रास्ता साफ हो गया है। बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका क राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। 20 जनवरी को शपथ ग्रहण के चलते उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सजा को रोकने की अपील की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप की सजा को रोकने से इनकार कर दिया है और याचिका खारिज कर दी है।

Image 2Image 4

डोनाल्ड ट्रंप ने सजा सुनाए जाने से अंतिम समय पहले बुधवार यानी 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से सजा रोकने की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि, ट्रंप की हश मनी केस में सजा को रोकने की अपील को खारिज कर दिया है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने शीर्ष अदालत से इस बात पर विचार करने का आग्रह किया था कि क्या वह अपनी सजा पर स्वत: रोक लगाने के हकदार हैं, लेकिन जज ने आवेदन को 5-4 से खारिज कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के दो कंजर्वेटिव जज – जॉन रॉबर्ट्स और एमी कोनी बैरेट ने तीन लिबरल जजों के साथ मिलकर बहुमत की और ट्रंप की सजा रोकने की अपील से इनकार कर दिया। बाकी चार न्यायाधीशों – क्लेरेंस थॉमस, सैमुअल अलिटो, नील गोरसच और ब्रेट कवनुघ – ने ट्रंप की अपील को स्वीकार कर दिया था, लेकिन 5-4 के मतों के साथ ट्रंप की अपील को अस्वीकार कर दिया गया।

इस केस को देख रहे जज जुआन मर्चन ने ट्रंप को सजा सुनाने के लिए 10 जनवरी का दिन तय किया है। जज ने हालांकि पहले ही संकेत दे दिए हैं कि ट्रंप को जेल की सजा नहीं दी जाएगी। साथ ही वो उन पर जुर्माना या प्रोबेशन नहीं लगाएंगे।

हश मनी केस साल 2016 का एक केस है। जिसमें कथित रूप से ट्रंप पर एडल्ट स्टार को पैसे देने का आरोप है। 2016 के राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले एडल्ट स्टार को संबंधों पर चुप्पी साधने के लिए आरोप है कि ट्रंप ने पैसे दिए। एडल्ट स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को 1 लाख 30 हजार डॉलर देने का आरोप दर्ज किया गया है। हालांकि, ट्रंप सभी आरोपों को खारिज कर चुके हैं।

जाटों को क्यों रिझानें की कोशिश में अरविंद केजरीवाल? जानें दिल्ली के लिए ये कितने जरूरी

#arvindkejriwaltryingtohappydelhijatsforthis_reason

Image 2Image 4

पिछले कई माह से दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियां तैयारी भी कर रही थीं। अब चुनावी रण में उतरने का समय आ गया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। इस बीच मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए सभी दलों ने कसरत तेज कर दी गयी है। बीजेपी और आप दोनों ही इस वोट बैंक को अपनी ओर खींचने के लिए कोशिश कर रही हैं। इस बीच आम आदमी पार्टी के मुखिया व दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रेस को संबोधित करते हुए न्द्र की बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाया। यही नहीं, आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी है।

आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी पर जाट वोटर्स की उपेक्षा का आरोप लगाया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए केजरीवाल ने कहा कि पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इन लोगों ने पिछले 10 साल से बहुत बड़ा धोखा किया है। दिल्ली सरकार की एक ओबीसी लिस्ट है। इस लिस्ट में जाट समाज का नाम आता है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार की एक ओबीसी लिस्ट है उसमें दिल्ली का जाट समाज नहीं आता है। केजरीवाल का कहना है कि केंद्र की ओबीसी लिस्ट में न होने की वजह से दिल्ली के जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोग न तो पुलिस की नौकरी में आरक्षण ले पा रहे हैं और न ही दिल्ली विश्वविद्यालय के नामांकन में।

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के जाट समाज के लोग जब केंद्र की किसी योजना का लाभ लेने जाते है तो उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। 4 बार पीएम मोदी ने जाट समाज के लोगों को कहा था कि केंद्र की ओबीसी लिस्ट में दिल्ली के जाट समाज को शामिल किया जाएगा लेकिन नहीं किया। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री झूठ बोल कर अपने वादे पुरे नहीं करते हैं। चुनाव के समय उन्हें केवल जाटों की याद आती है लेकिन कभी उनका काम नहीं करते हैं। अगर वे ऐसे झूठ बोलेंगे तो देश में कुछ बचेगा ही नहीं। दिल्ली के अंदर दिल्लीवालों को आरक्षण नहीं मिलता है, बाहर वालों को मिलता है। उन्होंने कहा कि मैंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर उनको उनके वादे याद दिलाए हैं। उन्होंने कहा कि जाट समाज के साथ 5 और जातियां हैं जिन्हें ओबीसी की लिस्ट में शामिल किया जाए।

दिल्ली के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केजरीवाल का यह कदम सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। केजरीवाल की ओर से उठाए गए इस कदम को जाट समुदाय और अन्य जातियों को रिझाने की बड़ी कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में जानते हैं ओबीसी वोट बैंक दिल्ली में क्यों महत्वपूर्ण हैः-

दिल्ली में लगभग 10 प्रतिशत जाट वोटर्स

दिल्ली में जाट वोटर्स की संख्या लगभग 10 प्रतिशत मानी जाती है। दिल्ली की कई ग्रामीण सीटों पर जाट वोटर्स निर्णायक माने जाते हैं। दिल्ली की 8 ऐसी सीटें हैं जो जाट बहुल है। इन सीटों पर हार और जीत जाट मतों से तय होता रहा है।

जाट सीटों का क्या रहा है गणित

जाट बहुल 8 सीटों में से 5 पर अभी आम आदमी पार्टी का कब्जा रहा है। वहीं तीन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी जाट वोटर्स को साधने के लिए लगातार कदम उठा रही है। दिल्ली के चुनावों में बीजेपी को जाट वोटर्स का साथ भी मिलता रहा है।

जाट समुदाय की दिल्ली की राजनीति पर अच्छी पकड़

दिल्ली के जातीय समीकरण और धार्मिक समीकरण की अपनी सियासी अहमियत है। धार्मिक आधार पर देखें तो कुल 81 फीसदी हिंदू समुदाय के वोटर हैं। हालांकि हिंदू समुदाय के वोट में कई जाति समूहों का अलग-अलग चंक रहा है। हिंदू वोटर्स में सबसे बड़ा प्रभाव जाट समुदाय का देखने को मिलता है।

संगठित वोट बैंक

जाट समुदाय आमतौर पर एक संगठित वोट बैंक के रूप में कार्य करता है। यह समुदाय आमतौर पर अपनी राजनीतिक ताकत को समझता है और एकजुट होकर मतदान करता है, जिससे उसकी सामूहिक शक्ति बढ़ जाती है। जब जाट समुदाय किसी पार्टी के पक्ष में एकजुट होकर मतदान करता है, तो यह चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकता है।

दिल्ली के गांवों में जाट वोटर्स का दबदबा

दिल्ली के लगभग 60 प्रतिशत गांव पर जाट वोटर्स का दबदबा देखने को मिलता है। दिल्‍ली के ग्रामीण इलाकों की सीटों पर जाट वोटर ही हार-जीत जाट वोटर्स तय करते रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से नई दिल्ली सीट पर दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री रहे स्व.साहेब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश सिंह वर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है। प्रवेश साहेब सिंह वर्मा के मार्फत बीजेपी जाट वोटर्स को साधना चाहती है।

पाक‍िस्‍तान के 16 परमाणु वैज्ञान‍िकों का अपहरण! TTP ने वीडियो जारी क‍र ली जिम्मेदारी

#pakistan_tehrik_e_taliban_claim_kidnap_16_pakistani_nuclear_scientists

Image 2Image 4

पाकिस्तान के 16 परमाणु वैज्ञानिकों के अपहरण कर लिया गया है। पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग के 16 वैज्ञानिक पाकिस्तानी तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) के कब्जे में हैं। टीटीपी ने खुद पाकिस्तान के 16 वैज्ञानिकों को अगवा कर लेने का दावा किया है। टीटीपी ने इन वैज्ञानिकों का एक वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में ये टीटीपी की मांगों को मानकर अपनी रिहाई की अपील पाकिस्तान की सरकार से करते हुए नजर आ रहे हैं।

सोशल मीडिया में यह वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, ज‍िसमें दावा क‍िया जा रहा है क‍ि टीटीपी ने डेरा इस्‍माइल खान में पाक‍िस्‍तान ऊर्जा आयोग के इंजीनियरों को पकड़ ल‍िया है। लोग कह रहे क‍ि साइंटिस्‍ट की यह दशा पाक‍िस्‍तान की बिगड़ती सुरक्षा और सेना की बेबसी का नमूना है। वहीं, कुछ रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि स्थानीय प्रशासन और सरकार ने अपहृत लोगों को वैज्ञानिक नहीं बल्कि आम नागरिक बताया है।

दावा किया जा रहा है कि 16 से 18 कर्मचारियों का अपहरण किया गया है, जो लक्की मरवत में काबुल खेल एटॉमिक एनर्जी खनन परियोजना में काम कर रहे थे। इस दौरान हथियारबंद लोगों ने कंपनी के कर्मचारियों के वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया। टीटीपी लड़ाकों के यूरेन‍ियम लूटने का भी दावा किया गया है। हालांकि टीटीपी ने अपने बयान में कहा है कि हमने सिर्फ कुछ लोगों को कब्जे में लिया है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि सरकार से हमारी कुछ मांगे हैं। सरकार को हमारी मांगें माननी चाहिए।