शपथग्रहण से 10 दिन पहले ट्रंप को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट का रहम दिखाने से इनकार

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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हश मनी मामले में राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप की ओर दाखिल की गई सजा में देरी करने की अपील को खारिज कर दिया। इस आदेश के बाद न्यायाधीश जुआन एम. मर्चन के लिए शुक्रवार को ट्रंप को सजा सुनाने का रास्ता साफ हो गया है। बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका क राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। 20 जनवरी को शपथ ग्रहण के चलते उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सजा को रोकने की अपील की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप की सजा को रोकने से इनकार कर दिया है और याचिका खारिज कर दी है।

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डोनाल्ड ट्रंप ने सजा सुनाए जाने से अंतिम समय पहले बुधवार यानी 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से सजा रोकने की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि, ट्रंप की हश मनी केस में सजा को रोकने की अपील को खारिज कर दिया है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने शीर्ष अदालत से इस बात पर विचार करने का आग्रह किया था कि क्या वह अपनी सजा पर स्वत: रोक लगाने के हकदार हैं, लेकिन जज ने आवेदन को 5-4 से खारिज कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के दो कंजर्वेटिव जज – जॉन रॉबर्ट्स और एमी कोनी बैरेट ने तीन लिबरल जजों के साथ मिलकर बहुमत की और ट्रंप की सजा रोकने की अपील से इनकार कर दिया। बाकी चार न्यायाधीशों – क्लेरेंस थॉमस, सैमुअल अलिटो, नील गोरसच और ब्रेट कवनुघ – ने ट्रंप की अपील को स्वीकार कर दिया था, लेकिन 5-4 के मतों के साथ ट्रंप की अपील को अस्वीकार कर दिया गया।

इस केस को देख रहे जज जुआन मर्चन ने ट्रंप को सजा सुनाने के लिए 10 जनवरी का दिन तय किया है। जज ने हालांकि पहले ही संकेत दे दिए हैं कि ट्रंप को जेल की सजा नहीं दी जाएगी। साथ ही वो उन पर जुर्माना या प्रोबेशन नहीं लगाएंगे।

हश मनी केस साल 2016 का एक केस है। जिसमें कथित रूप से ट्रंप पर एडल्ट स्टार को पैसे देने का आरोप है। 2016 के राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले एडल्ट स्टार को संबंधों पर चुप्पी साधने के लिए आरोप है कि ट्रंप ने पैसे दिए। एडल्ट स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को 1 लाख 30 हजार डॉलर देने का आरोप दर्ज किया गया है। हालांकि, ट्रंप सभी आरोपों को खारिज कर चुके हैं।

जाटों को क्यों रिझानें की कोशिश में अरविंद केजरीवाल? जानें दिल्ली के लिए ये कितने जरूरी

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पिछले कई माह से दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियां तैयारी भी कर रही थीं। अब चुनावी रण में उतरने का समय आ गया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। इस बीच मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए सभी दलों ने कसरत तेज कर दी गयी है। बीजेपी और आप दोनों ही इस वोट बैंक को अपनी ओर खींचने के लिए कोशिश कर रही हैं। इस बीच आम आदमी पार्टी के मुखिया व दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रेस को संबोधित करते हुए न्द्र की बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाया। यही नहीं, आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी है।

आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी पर जाट वोटर्स की उपेक्षा का आरोप लगाया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए केजरीवाल ने कहा कि पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इन लोगों ने पिछले 10 साल से बहुत बड़ा धोखा किया है। दिल्ली सरकार की एक ओबीसी लिस्ट है। इस लिस्ट में जाट समाज का नाम आता है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार की एक ओबीसी लिस्ट है उसमें दिल्ली का जाट समाज नहीं आता है। केजरीवाल का कहना है कि केंद्र की ओबीसी लिस्ट में न होने की वजह से दिल्ली के जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोग न तो पुलिस की नौकरी में आरक्षण ले पा रहे हैं और न ही दिल्ली विश्वविद्यालय के नामांकन में।

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के जाट समाज के लोग जब केंद्र की किसी योजना का लाभ लेने जाते है तो उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। 4 बार पीएम मोदी ने जाट समाज के लोगों को कहा था कि केंद्र की ओबीसी लिस्ट में दिल्ली के जाट समाज को शामिल किया जाएगा लेकिन नहीं किया। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री झूठ बोल कर अपने वादे पुरे नहीं करते हैं। चुनाव के समय उन्हें केवल जाटों की याद आती है लेकिन कभी उनका काम नहीं करते हैं। अगर वे ऐसे झूठ बोलेंगे तो देश में कुछ बचेगा ही नहीं। दिल्ली के अंदर दिल्लीवालों को आरक्षण नहीं मिलता है, बाहर वालों को मिलता है। उन्होंने कहा कि मैंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर उनको उनके वादे याद दिलाए हैं। उन्होंने कहा कि जाट समाज के साथ 5 और जातियां हैं जिन्हें ओबीसी की लिस्ट में शामिल किया जाए।

दिल्ली के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केजरीवाल का यह कदम सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। केजरीवाल की ओर से उठाए गए इस कदम को जाट समुदाय और अन्य जातियों को रिझाने की बड़ी कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में जानते हैं ओबीसी वोट बैंक दिल्ली में क्यों महत्वपूर्ण हैः-

दिल्ली में लगभग 10 प्रतिशत जाट वोटर्स

दिल्ली में जाट वोटर्स की संख्या लगभग 10 प्रतिशत मानी जाती है। दिल्ली की कई ग्रामीण सीटों पर जाट वोटर्स निर्णायक माने जाते हैं। दिल्ली की 8 ऐसी सीटें हैं जो जाट बहुल है। इन सीटों पर हार और जीत जाट मतों से तय होता रहा है।

जाट सीटों का क्या रहा है गणित

जाट बहुल 8 सीटों में से 5 पर अभी आम आदमी पार्टी का कब्जा रहा है। वहीं तीन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी जाट वोटर्स को साधने के लिए लगातार कदम उठा रही है। दिल्ली के चुनावों में बीजेपी को जाट वोटर्स का साथ भी मिलता रहा है।

जाट समुदाय की दिल्ली की राजनीति पर अच्छी पकड़

दिल्ली के जातीय समीकरण और धार्मिक समीकरण की अपनी सियासी अहमियत है। धार्मिक आधार पर देखें तो कुल 81 फीसदी हिंदू समुदाय के वोटर हैं। हालांकि हिंदू समुदाय के वोट में कई जाति समूहों का अलग-अलग चंक रहा है। हिंदू वोटर्स में सबसे बड़ा प्रभाव जाट समुदाय का देखने को मिलता है।

संगठित वोट बैंक

जाट समुदाय आमतौर पर एक संगठित वोट बैंक के रूप में कार्य करता है। यह समुदाय आमतौर पर अपनी राजनीतिक ताकत को समझता है और एकजुट होकर मतदान करता है, जिससे उसकी सामूहिक शक्ति बढ़ जाती है। जब जाट समुदाय किसी पार्टी के पक्ष में एकजुट होकर मतदान करता है, तो यह चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकता है।

दिल्ली के गांवों में जाट वोटर्स का दबदबा

दिल्ली के लगभग 60 प्रतिशत गांव पर जाट वोटर्स का दबदबा देखने को मिलता है। दिल्‍ली के ग्रामीण इलाकों की सीटों पर जाट वोटर ही हार-जीत जाट वोटर्स तय करते रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से नई दिल्ली सीट पर दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री रहे स्व.साहेब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश सिंह वर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है। प्रवेश साहेब सिंह वर्मा के मार्फत बीजेपी जाट वोटर्स को साधना चाहती है।

पाक‍िस्‍तान के 16 परमाणु वैज्ञान‍िकों का अपहरण! TTP ने वीडियो जारी क‍र ली जिम्मेदारी

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पाकिस्तान के 16 परमाणु वैज्ञानिकों के अपहरण कर लिया गया है। पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग के 16 वैज्ञानिक पाकिस्तानी तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) के कब्जे में हैं। टीटीपी ने खुद पाकिस्तान के 16 वैज्ञानिकों को अगवा कर लेने का दावा किया है। टीटीपी ने इन वैज्ञानिकों का एक वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में ये टीटीपी की मांगों को मानकर अपनी रिहाई की अपील पाकिस्तान की सरकार से करते हुए नजर आ रहे हैं।

सोशल मीडिया में यह वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, ज‍िसमें दावा क‍िया जा रहा है क‍ि टीटीपी ने डेरा इस्‍माइल खान में पाक‍िस्‍तान ऊर्जा आयोग के इंजीनियरों को पकड़ ल‍िया है। लोग कह रहे क‍ि साइंटिस्‍ट की यह दशा पाक‍िस्‍तान की बिगड़ती सुरक्षा और सेना की बेबसी का नमूना है। वहीं, कुछ रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि स्थानीय प्रशासन और सरकार ने अपहृत लोगों को वैज्ञानिक नहीं बल्कि आम नागरिक बताया है।

दावा किया जा रहा है कि 16 से 18 कर्मचारियों का अपहरण किया गया है, जो लक्की मरवत में काबुल खेल एटॉमिक एनर्जी खनन परियोजना में काम कर रहे थे। इस दौरान हथियारबंद लोगों ने कंपनी के कर्मचारियों के वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया। टीटीपी लड़ाकों के यूरेन‍ियम लूटने का भी दावा किया गया है। हालांकि टीटीपी ने अपने बयान में कहा है कि हमने सिर्फ कुछ लोगों को कब्जे में लिया है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि सरकार से हमारी कुछ मांगे हैं। सरकार को हमारी मांगें माननी चाहिए।

क्या है ग्रूमिंग गैंग जिसके खिलाफ बुलंद हो रही आवाज? प्रियंका चतुर्वेदी ने इसपर क्या कहा साथ आए एलन मस्क

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ब्रिटेन में लगातार ग्रूमिंग गैंग्स के मामले बढ़ रहे हैं। ब्रिटेन के ग्रूमिंग गैंग्स की इन दिनों पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। खासकर सोशल मीडिया पर इन्हें लेकर काफी कुछ लिखा जा रहा है। इस मुद्दे पर अब सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। ब्रिटिश पीएम किम स्टार्मर से लेकर एलन मस्क तक खूब बोल रहे हैं। एलन मस्क ने तो ब्रिटेन के राजा किंग चार्ल्स से कीर स्टार्मर सरकार को बर्खास्त करने की ही मांग कर दी है क्योंकि स्टार्मर सरकार पर इन ग्रूमिंग गैंग्स के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का आरोप लग रहा है। अब तो भारत में भी इसकी बात होने लगी है।

शिवसेना (उद्धव गुट) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी की ने ग्रूमिंग गैंग को लेकर एक पोस्ट शेयर की है। दरअसल, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने पिछले दिनों बाल शोषण पर बोलते हुए ‘एशियाई’ शब्द का इस्तेमाल किया था। जिसके बाद राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने अपनी आपत्ति जताई। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ये एशियाई देश नहीं बल्कि इन सभी अपराधों के पीछे पाकिस्तान का हाथ है, चतुर्वेदी के इस बयान पर अमेरिकी कारोबारी एलन मस्क ने भी सहमति जताई है।

दरअसल, उद्धव ठाकरे की गुट की शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर पाकिस्तानी ग्रूमिंग गैंग को लेकर एक पोस्ट शेयर किया। राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ‘ब्रिटेन में ये एशियन ग्रूमिंग गैंग नहीं है, बल्कि पाकिस्तानी ग्रूमिंग गैंग हैं। एशियाई लोगों को एक बहुत ही दुष्ट राष्ट्र के लिए क्यों दोषी ठहराया जाना चाहिए?’ इस पोस्ट को देखते ही एलन मस्क भी कूद पड़े।

एलन मस्क ने किया समर्थन

प्रियंका चतुर्वेदी के पोस्ट पर जवाब देते हुए स्पेसएक्स और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने कहा कि हां बात तो सही है। ब्रिटेन में इन दिनों 'रॉदरहैम स्कैंडल' का मामला सुर्खियों में है, इसे 'ग्रूमिंग गैंग स्कैंडल' के नाम से भी जाना जाता है। साल 2022 में एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि इंग्लैंड के रॉदरहैम, कॉर्नवाल, डर्बीशायर समेत कई शहरों में साल 1997 से 2013 के बीच करीब 1400 नाबालिग बच्चियों का संगठित अपराध के तहत शोषण किया गया। इन संगठित गैंग्स ने बच्चियों को बहला-फुसलाकर उनका शोषण किया और उनकी तस्करी की। इन बच्चियों का शोषण करने वाले लोगों में अधिकतर पाकिस्तानी मूल के लोग हैं।

क्या है वो बयान जिस पर प्रियंका ने खड़े किए सवाल?

कीर स्टार्मर के उस बयान पर आपत्ति जताई, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2008 से 2013 के बीच क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस के प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने एशियाई ग्रूमिंग गिरोह के खिलाफ पहली बार मुकदमा चलाया था।

विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी ने उत्तरी इंग्लैंड में बच्चों के खिलाफ दशकों पुराने यौन अपराधों के लिए एक राष्ट्रीय जांच की मांग उठाई है। जांच में पाया गया था कि कई मामलों के अपराधी पाकिस्तानी मूल के हैं, इसके बाद ही प्रधानमंत्री ने ये बयान दिया था। यूनाइटेड किंगडम में लंबे समय से ग्रूमिंग गैंग्स के काले इतिहास से जूझ रहा है।

क्या हैं ग्रूमिंग गैंग्स?

ग्रूमिंग गैंग्स का मतलब उन लोगों से है, जो छोटी बच्चियों को अपना शिकार बनाते हैं और उनका शारीरिक, मानसिक शोषण करते हैं। ये बच्चों के दोस्त बनकर पहले उनका विश्वास जीतते हैं और फिर इस विश्वास का फायदा उठाकर उनका शोषण करते हैं। आरोप है कि इन ग्रूमिंग गैंग्स से जुड़े लोग बच्चियों को पार्टियों में ले जाकर उन्हें ड्रग्स देते और उन्हें नशे का आदी बनाते। नशे की लत लगने पर बच्चियों का यौन शोषण किया जाता और उन्हें अन्य लोगों से भी संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जाता। कई लड़कियों को देह व्यापार में धकेल दिया गया। कई लड़कियां मानव तस्करी की भी शिकार हुईं। शोषण का शिकार हुईं कई लड़कियों ने बच्चों को जन्म भी दिया, जिनके पिता के बारे में जानकारी नहीं है। ये ग्रूमिंग गैंग्स नाबालिग लड़कियों को फंसाकर उनसे पैसों की उगाही भी करते थे। कई लड़कियों के अश्लील वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल भी किया गया।

*ट्रूडो के इस्तीफे के साथ ही बदल गया कनाडा? निज्जर मर्डर केस के चारों आरोपियों को जमानत

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भारत और कनाडा के रिश्तों के बीच खटास की सबसे बड़ी वजह रही खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का मामला। हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए थे। जिसके बाद दोनों देशों के संबंध सबसे खराब स्तर पर पहुंच गए। इस बीच इस मामले में एक नया मोड आया है। निजजर की हत्या मामले में कनाडा में गिरफ्तार किए गए सभी चार भारतीयों को कनाडा की कोर्ट ने जमानत दे दी है। इनके नाम करण बराड़, अमनदीप सिंह, कमलप्रीत सिंह और करणप्रीत सिंह हैं। इनपर प्रथम डिग्री हत्या और हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। ये सब तब हुआ है जब ट्रूडो को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा है।

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खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के आरोपी बनाए गए चार भारतीय नागरिकों को कनाडा के सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया है। कनाडाई सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कनाडाई पुलिस को पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाने के चलते फटकार भी लगाई है। अब इस मामले की सुनवाई 11 फरवरी को निचली अदालत में होगी, जहां नवंबर, 2024 में पुलिस ने इन चारों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।

पुलिस अदालत में पेश नहीं हुई

दरअसल, इस केस में कनाडा पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है. निचली अदालत में सबूत पेश करने में असफल रहने के कारण पुलिस अदालत में पेश नहीं हुई. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की इस निष्क्रियता को देखते हुए चारों आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया।

कौन हैं चारों आरोपी?

कनाडा ने निज्जर मर्डर केस में साल 2024 में मई के महीने में चार भारतीयों को अरेस्ट किया गया था। आईएचआईटी ने 3 मई को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए तीन भारतीय नागरिक, करण बराड़ (22), कमलप्रीत सिंह (22) और करणप्रीत सिंह (28) को गिरफ्तार किया था। तीनों व्यक्ति एडमोंटन में रहने वाले भारतीय नागरिक थे और उन पर फर्स्ट डिग्री की हत्या और हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था।

इसी के बाद आरोपी अमरदीप सिंह (22) को भी इस केस में अरेस्ट किया गया था। अमरदीप सिंह पर फर्स्ट-डिग्री हत्या और हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) की इंटीग्रेटेड होमिसाइड इन्वेस्टिगेशन टीम (आईएचआईटी) ने कहा था कि अमरदीप सिंह को निज्जर की हत्या में उनके रोल के लिए 11 मई को गिरफ्तार किया गया था।

क्या था हरदीप सिंह निज्जर मर्डर केस?

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून साल 2023 में कनाडा के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वह भारत में वांटेड घोषित था। निज्जर साल 1997 में कनाडा भाग गया था और उसके खिलाफ भारत में दर्जन भर से ज्यादा कत्ल और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर केस दर्ज हैं। इसके बावजूद कनाडा की सरकार ने निज्जर के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया था। साल 2023 में निज्जर की हुई हत्या के बाद भारत और कनाडा के बीच एक नया विवाद पैदा हुआ।

क्या भारत से संबंध सुधारने की कवायद शुरू?

बता दें कि कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार पर निज्जर की हत्या का आरोप लगाकर तहलका मचा दिया था। सिख वोटों को अपने पक्ष में जुटाने के लिए ट्रूडो इस आरोप पर अड़े रहे, लेकिन कोई सबूत पेश नहीं कर सके। इसके चलते भारत-कनाडा के संबंध लगातार खराब होते चले गए। हालांकि ट्रूडो को इससे कोई लाभ नहीं हुआ है और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है। उनके इस्तीफा देते ही चारों भारतीय आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का फैसला आ गया है। इससे यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या ट्रूडो के बाद कनाडा में भारत से संबंध सुधारने की कवायद शुरू हो गई है।

“न एजेंडा और न कोई लीडरशीप, 'इंडिया' गठबंधन को खत्म कर देना चाहिए, उमर अब्दुल्ला का बड़ा बयान

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लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को केन्द्र की सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए बड़े जोश के साथ तमाम विपक्षी पार्टियों ने 'इंडिया' गठबंधन बनाया। हालांकि, गठबंधन बनने पहले से ही इसके बने रहने पर सवाल उठने लगे थे। जो गठंबधन बनने के कुछ दिन बाद ही दिखने भी लगा। सबसे पहले गठबंधन की एक अहम पार्टी जेडीयू ने किनारा किनारा किया और भाजपा के साथ एनडीए में शामिल हो गई। इसके अलावा लोकसभा चुनावों में भी राज्य की पार्टियों ने कांग्रेस से किनारा किया। ना सिर्फ लोकसभा में बल्कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को इंडिया गंठबंधन की सहयोगी पार्टिया से अलग होकर चुनाव लड़ना पड़ रहा है। खासकर हरियाणा और महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम ने गठबंधन की रही-सही एकता पर जोरदार प्रहार किया। जिसके बाद लगभग पार्टियों ने राहुल गांधी की क्षमता पर सवाल उठाया है।

दिल्ली में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है। इस चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच कोई गठबंधन नहीं है। दोनों पार्टी अलग-अलग चुनाव लड़ते हुए नजर आ रही है, जबकि लोकसभा चुनाव में ये दोनों ही पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा थीं। दिल्ली में आप-कांग्रेस के बीच जारी घमासान पर अब उमर अब्दुल्ला ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि अगर यह गठबंधन संसदीय चुनाव के लिए था तो इसे खत्म कर देना चाहिए।

इंडिया गठबंधन के घटक दल आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के दिल्ली में अलग-अलग चुनाव लड़ने से राजनीतिक गलियारों में दोनों पार्टियों के बीच मनमुटाव की खबरें हैं। इस पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की प्रतिक्रिया सामने आई है। मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने दिल्ली में भाजपा के खिलाफ लड़ रहे दलों को नसीहत देते हुए कहा कि भाजपा का मुकाबला किस तरह से बेतहर ढंग से किया जा सकता है, यह तो आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और वह पार्टियां तय करें जो वहां पर मैदान में हैं।

इस दौरान उनसे एक और सवाल पूछा गया कि आरजेडी के एक नेता की ओर से कहा गया है कि इंडिया गठबंधन लोकसभा के लिए था। जिस पर जवाब देते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जहां तक मुझे याद है कि इस पर कोई वक्त की सीमा नहीं लगाई गई थी। बदकिस्मती की बात यह है कि इंडिया गठबंधन की कोई बैठक नहीं बुलाई जा रही है। इसलिए इस पर कोई स्पष्टता नहीं है, न नेतृत्व को लेकर, न एजेंडा को लेकर और यह भी कि हम आगे साथ रहेंगे या नहीं। दिल्ली के चुनाव हो जाएं उसके बाद इंडिया गठबंधन के जो सहयोगी दल हैं उनको बुलाया जाए और इन बातों को स्पष्ट किया जाए। अगर यह सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था तो इसे बंद करिए, फिर हम अपना काम अलग से करेंगे। अगर लोकसभा चुनाव के बाद यह विधानसभा के लिए भी है तो फिर हमें मिलकर काम करना होगा।

बढ़ी सांसद अमृतपाल सिंह की मुश्किलें, NSA के बाद इस मामले में UAPA भी लगा

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पंजाब के खडूर साहिब से निर्दलीय सांसद व खालीस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह की मुश्किल और बढ़ गई है। अमृतपाल सिंह पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यूएपीए लगाया गया है। पंजाब के फरीदकोट जिले के हरिनौ गांव में गुरप्रीत सिंह हत्याकांड में पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ यूएपीए लगा दिया है। आरोपियों में सांसद अमृतपाल सिंह और विदेश में छिपकर बैठा गैंगस्टर अर्श डल्ला भी शामिल हैं।

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अमृतपाल सिंह पहले से ही नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है।अब फरीदकोट के इस मामले में यूएपीए की धाराएं लगने से उसके लिए कानूनी मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं। पंजाब पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने से पहले यूएपीए की धाराएं भी जोड़ी हैं।

गुरप्रीत सिंह हरीनौ की पिछले साल 9 अक्टूबर को मोटरसाइकिल सवार शूटरों ने गोलियां मारकर हत्या कर दी थी और इस केस की जांच कर रही पंजाब पुलिस की एसआईटी ने जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर सांसद अमृतपाल सिंह खालसा व आतंकी अर्श डल्ला को भी नामजद किया था। इस केस में हत्या करने वाले दोनों शूटर, रेकी करने वाले तीन आरोपी और उनका साथ देने वाले सह आरोपी भी पकड़े जा चुके है। वे इन दिनों न्यायिक हिरासत के चलते जेल में बंद हैं। अब एसआईटी ने इस केस में यूएपीए की धारा भी लगा दी है, जिसके बारे में अदालत को लिखित रूप में जानकारी दी गई है।

अमृतपाल सिंह अप्रैल 2023 से जेल में बद है। 23 फरवरी 2023 को अमृतपाल सिंह के नेतृत्व में हजारों की भीड़ अमृतसर के अजनाला पुलिस स्टेशन में घुस गई थी। पुलिस स्टेशन में तोड़फोड़ की गई थी। 18 मार्च को अमृतपाल घर से फरार हो गया। इस घटना के बाद अमृतपाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए गए थे। इसके बाद 23 अप्रैल को पंजाब पुलिस ने उसे मोगा से गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ एनएसए के तहत मामला दर्ज करने के बाद उसे असम की डिब्रूगढ़ जेल में भेज दिया गया। जेल से ही उसने लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता भी था।

क्या फिर एक होंगे उद्धव-फडणवीस? शिवसेना को भाने लगी भाजपा

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महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में उद्धव ठाकरे के सियासी स्टैंड को लेकर चर्चा है। सवाल उठ रहा है कि 5 साल से बीजेपी पर सियासी तौर पर मुखर उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीब आ रहे हैं। ऐसे सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि कुछ दिन पहले उद्धव ठाकरे ने अपने मुखपत्र सामना में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की जमकर तारीफ की थी। जिसके बाद उनकी पर्टी के सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रशंसा की। इधर देवेंद्र फडणवीस के पांच दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद 35 दिनों के बीच शिवसेना उद्धव गुट के नेता आदित्य ठाकरे सीएम फडणवीस से तीन बार मुलाकात कर चुके हैं। ठाकरे ने गुरुवार को एक बार फिर सीएम से मुलाकात की। उनकी इस मुलाकात ने कई राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दिया है।

देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महायुति की सरकार बन जाने के बावजूद महाराष्ट्र की राजनीति में चीजें शांत नहीं हुई हैं। महायुति की सरकार में देवेंद्र फडणवीस अपने दोनों उप मुख्यमंत्रियों अजित पवार और एकनाथ शिंदे के साथ बहुत सहज नहीं हैं। उनके सरकार में रहने की वजह से उनके पास फ्री हैंड नहीं है। इसकी झलक सरकार गठन और उसके बाद विभागों के बंटवारे के वक्त दिख चुकी है। ऐसे में राज्य में नए राजनीतिक समीकरण की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है। इस बीच हालात भी इस तरह के उत्पन्न हो रहे हैं कि कयासों का सिलसिला शुरू है।

भाजपा और उद्धव की शिवसेना के संबंध

कभी भाजपा और उद्धव की शिवसेना साथ-साथ थे। अच्छे दोस्त थे। मगर सियासत का पहिया ऐसा घूमा कि आज दुश्मन हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना (संयुक्त) गठबंधन ने बड़ी जीत दर्ज की। इस चुनाव में बीजेपी को 105 और शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली। बीजेपी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया, लेकिन इसी बीच उद्धव की पार्टी ने सीएम पद पर पेच फंसा दिया।

उद्धव ठाकरे ने सीएम पद की डिमांड रख दी, जिसके बाद दोनों का गठबंधन टूट गया। फडणवीस 5 दिन के लिए मुख्यमंत्री जरूर बने, लेकिन बहुमत न होने की वजह से उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ गई. इसके बाद उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनाए गए।

2022 में उद्धव की पार्टी में टूट हो गई. एकनाथ शिंदे 40 विधायकों को लेकर एनडीए में चले गए। नई सरकार में शिंदे मुख्यमंत्री बने और फडणवीस उपमुख्यमंत्री। उस वक्त शिवेसना तोड़ने का आरोप भी फडणवीस पर ही लगा। कहा गया कि महाराष्ट्र में शिंदे के साथ कॉर्डिनेट करने में फडणवीस ने बड़ी भूमिका निभाई।

2023 में शरद पवार की पार्टी में भी टूट हुई। 2024 के लोकसभा चुनाव में इन सब बगावत के बावजूद शरद पवार और उद्धव के साथ कांग्रेस गठबंधन ने बेहतरीन परफॉर्मेंस किया, लेकिन विधानसभा के चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने बड़ी बढ़त बना ली। फडणवीस इसके बाद फिर मुख्यमंत्री बनाए गए।

क्या बदलेगी महाराष्ट्र का सियासी तस्वीर?

महाराष्ट्र में कॉर्पोरेशन, नगर निगम और स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव पास हैं और भाजपा-शिवसेना के बीच संबंध सुधरने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। सामना में फडणवीस की तारीफ उद्धव की एक रणनीतिक चाल है या महाराष्ट्र की राजनीति में किसी बड़े बदलाव का संकेत, यह तो आने वाला वक्त बताएगा। मगर इसकी पूरी संभावना है कि महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ दिलचस्प होने वाला है।

केजरीवाल ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी, जाट समाज को लेकर लगाए गंभीर आरोप

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दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सभी पार्टियां पूरे दम ख़म के साथ मैदान में उतर चुकी है। खासकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। आप का इरादा जहां सत्ता में वापसी पर है तो भाजपा किसी भी कीमत पर दिल्ली की गद्दी हासिल करना चाहती है। इन सबके बीच आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने दिल्ली के जाट समाज को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल करने को लेकर चिट्ठी लिखी है। साथ ही केजरीवाल ने केन्द्र की मोदी सरकार पर जाट समाज को धोखा देने का आरोप लगाया है।

बीजेपी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप

केजरीवाल ने पत्र में लिखा, एक महत्वपूर्ण विषय पर 10 साल पहले आपका किया वादा आपको याद दिलाने के लिए यह पत्र लिख रहा हूं। दिल्ली के जाट समाज के कई प्रतिनिधियों से पिछले कुछ दिनों में मुलाकात हुई। इन सभी ने केंद्र की ओबीसी लिस्ट में दिल्ली के जाट समाज की अनदेखी किये जाने पर चिंता जाहिर की। जाट समाज के प्रतिनिधियों ने मुझे बताया कि आपने 26 मार्च 2015 को दिल्ली के जाट समाज के प्रतिनिधियों को अपने घर बुलाकर ये वादा किया था कि जाट समाज, जो दिल्ली की ओबीसी लिस्ट में है, उसे केंद्र की ओबीसी लिस्ट में भी जोड़ा जाएगा ताकि उन्हें दिल्ली में मौजूद केंद्र सरकार के कॉलेजों और नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिल सके।

केजरीवाल ने लिखा है, फिर 8 फरवरी 2017 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यूपी चुनाव से पहले चौधरी बीरेंद्र सिंह के घर पर दिल्ली और देश के जाट नेताओं की मीटिंग बुलाई और उनसे वादा किया कि स्टेट लिस्ट में जो ओबीसी जातियां हैं उनको केंद्र की लिस्ट में जोड़ा जाएगा। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली में फिर भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के आवास पर अमित शाह जाट नेताओं से मिले और उन्होंने फिर वादा किया कि दिल्ली के जाट समाज को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल किया जाएगा लेकिन चुनाव के बाद इस पर कोई काम नहीं हुआ।

ओबीसी आरक्षण को लेकर केंद्र की नीतियों में कई विसंगतियां-केजरीवाल

केजरीवाल ने लिखा, ओबीसी आरक्षण को लेकर केंद्र की नीतियों में कई विसंगतियां हैं जिनकी तरफ मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। जैसे कि मुझे पता चला कि केंद्र की ओबीसी लिस्ट में होने की वजह से राजस्थान से आने वाले जाट समाज के युवाओं को दिल्ली यूनिवर्सिटी में ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलता है, लेकिन दूसरी तरफ दिल्ली के ही जाट समाज को दिल्ली यूनिवर्सिटी में ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है क्योंकि आपकी सरकार ने दिल्ली में जाट समाज को ओबीसी आरक्षण होने के बावजूद उन्हें केंद्रीय ओबीसी लिस्ट में शामिल नहीं किया है। ये तो दिल्ली के जाट समाज के साथ धोखा है। और भाजपा की केंद्र सरकार पिछले 10 सालों से लगातार ये धोखा कर रही है। सिर्फ जाट समाज ही नहीं रावत, रौनियार, राय तंवर, चारण व ओड, इन सभी जातियों को दिल्ली सरकार ने ओबीसी दर्जा दिया हुआ है, लेकिन केंद्र सरकार इन जातियों को दिल्ली में मौजूद अपने संस्थानों में ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं दे रही है।

ओबीसी समाज के हजारों युवाओं के साथ अन्याय-केजरीवाल

दिल्ली के पूर्व सीएम ने आगे लिखा, दिल्ली में केंद्र सरकार की सात यूनिवर्सिटी हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के दर्जनों कॉलेज हैं। दिल्ली पुलिस, एनडीएमसी, डीडीए, एम्स, सफदरजंग, राम मनोहर लोहिया जैसे केंद्र सरकार के कई संस्थानों में नौकरियां हैं जिनमें केंद्र सरकार के नियम लागू होते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार की इस वादाखिलाफी की वजह से दिल्ली के ओबीसी समाज के हजारों युवाओं के साथ अन्याय हो रहा है। दिल्ली में जाट समाज व ओबीसी की 5 अन्य जातियों के साथ केंद्र सरकार का ये पक्षपातपूर्ण रवैया इन जातियों के युवाओं को शिक्षा और रोजगार के उचित अवसर हासिल नहीं होने दे रहा है। इसलिए केंद्र सरकार को तुरंत केंद्रीय ओबीसी सूची की विसंगतियों में सुधार कर दिल्ली में ओबीसी दर्जा प्राप्त सभी जातियों को केंद्र सरकार के संस्थानों में भी आरक्षण का लाभ देना चाहिये।

इजराइल ने जारी किया नया नक्शा, भड़के ये अरबी देश, जताया कड़ा विरोध

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सीरिया में गृहयुद्ध चरम पर है. देश में तख्तापलट के बाद अब तक राष्ट्रपति रहे बशर अल-असद को रूस भागना पड़ा। इस बीच, इज़राइल ने सीरियाई सीमा पर गोलान हाइट्स के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लिया है। इस बीच इजराइल ने नया मैप शेयर किया है। इजराइल के विदेश मंत्रालय के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक मानचित्र शेयर किया है। इस मानचित्र में बाइबिल में बताए गए इजरायल और जुदेया राज्य की सीमाओं को दिखाया गया है। मैप में इजरायल के कब्जे वाले फिलिस्तीनी इलाकों और पड़ोसी अरब जमीनों को ग्रेटर इजरायल के रूप में दर्शाया गया है। इस मानचित्र के प्रकाशित होने के बाद सऊदी अरब समेत अरब देश भड़क उठे हैं, जिसमें इजरायल का दोस्त मुस्लिम देश जॉर्डन भी शामिल है। इस मानचित्र के बाद कहा जा रहा है कि यहूदी देश अब ग्रेटर इजरायल प्लान की तरफ बढ़ रहा है।

इजरायली विदेश मंत्रालय की ओर से अरबी भाषा के इंस्टाग्राम और एक्स पर एक पोस्ट शेयर की गई है। इसमें लिखा है, क्या आप जानते हैं कि इजरायल का साम्राज्य 3000 साल पहले स्थापित हुआ था? इसमें आगे लिखा था,हालांकि, प्रवासी यहूदी लोग अपनी शक्तियों और क्षमताओं के पुनरुद्धार और अपने राज्य के पुनर्निर्माण की प्रतीक्षा कर रहे थे, जिसे 1948 में इजरायल राज्य में मध्य पूर्व में एकमात्र लोकतंत्र घोषित किया गया था।

फिलिस्तीनियों समेत अरबी देश भड़के

इजरायल के इस पोस्ट ने फिलिस्तीनियों समेत अरबी देशों में आक्रोश पैदा कर दिया है। संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन और कतर ने इजरायल के इस कदम की कड़ी निंदा की है। इन अरब देशों ने इजरायल की इस हरकत को उनकी संप्रभुता का सीधे उल्लंघन के रूप में देखा। जॉर्डन और कतर के विदेश मंत्रालय ने इसे शांति संभावनाओं के लिए खतरा बताया।

अरब लीग ने क्या कहा

इजरायल के नक्शे की आलोचना करते हुए अरब लीग के महासचिव अहमद अबुल घेइत ने इसे भड़काऊ कार्रवाई बताया और चेतावनी दी कि इस तरह के भड़काऊ कदम और गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी से निपटने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की विफलता से सभी पक्षों में चरमपंथ और अतिवाद का विरोध बढ़ने का खतरा है। कतर और संयुक्त अरब अमीरात ने भी अलग-अलग बयानों में इस कदम की निंदा करते हुए इसे कब्जे को बढ़ाने का जानबूझकर किया गया प्रयास बताया।