ब्रिक्स में शामिल हुआ दुनिया का सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश, पाकिस्तान के सपनों पर फिरा पानी
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दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के औपचारिक समूह ब्रिक्स में देशों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अब ब्रिक्स में एक और देश शामिल हो गया है। दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया ब्रिक्स का पूर्ण सदस्य बन गया है। इंडोनेशिया सोमवार को ब्रिक्स समूह का दसवां पूर्ण सदस्य बन गया। इसका ऐलान 2025 तक ब्रिक्स की अध्यक्षता करने वाले ब्राजील ने किया है।
ब्राजील ने की घोषणा
ब्रिक्स के मौजूदा अध्यक्ष ब्राजील ने मंगलवार को इस बात का ऐलान किया कि इंडोनेशिया ब्रिक्स समूह का पूरी तरह से सदस्य बन गया है। ब्राजील के आधिकारिक बयान में कहा गया है, ब्राजील सरकार ब्रिक्स में इंडोनेशिया के प्रवेश का स्वागत करती है। ब्राजील ने कहा कि 2023 में जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन में ब्लॉक के सदस्यों ने इंडोनेशिया की उम्मीदवारी का समर्थन किया था। जिसके बाद इंडोनेशिया को समूह में शामिल करने का फैसला लिया गया।
पाकिस्तान को लगा झटका
इंडोनेशिया का ब्रिक्स में आना पाकिस्तान के लिए झटके की तरह है। दरअसल पाकिस्तान नहीं चाहता था कि दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया इस ग्रुप में आए। इसके उलट पाकिस्तान खुद ब्रिक्स में आने की जुगत में लगा था। इसके लिए वह चीन को भी रिझा रहा था। साल 2023 में पाकिस्तान ने ब्रिक्स की सदस्यता के लिए आवेदन किया था। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि ब्रिक्स के सदस्य उसकी सदस्यता को मंजूरी देंगे। लेकिन उसे अब निराशा हाथ लगी है। ब्रिक्स का दरवाजा उसके लिए नहीं खुला और इंडोनेशिया को एंट्री मिल गई।
पाकिस्तान के लिए क्यों मुश्किल है सदस्यता?
ब्रिक्स की सदस्यता आम सहमति से मिलती है। यानी अगर सभी सदस्य न चाहें तो कोई भी देश ब्रिक्स में शामिल नहीं हो सकता है। जाहिर तौर पर भारत ने इंडोनेशिया की सदस्यता का समर्थन किया। भारत इसमें शामिल है जो पाकिस्तान के लिए हमेशा चिंता की बात रही है। पाकिस्तानी मीडिया हर बार यह कहता रहा है कि भारत उसकी सदस्यता ब्लॉक कर रहा है।
कई देश चाहते हैं ब्रिक्स की सदस्यता
साल 2009 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन ने मिलकर इस ग्रुप की स्थापना की थी। साल 2010 में दक्षिण अफ्रीका इसमें शामिल हुआ था। पिछले साल इस समूह में मिस्र, ईरान, इथियोपिया और यूएई को शामिल किया गया था। सऊदी अरब को भी इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है, लेकिन अभी तक वह इसमें शामिल नहीं हुआ है। तुर्की, अजरबैजान और मलेशिया ने औपचारिक रूप से सदस्यता के लिए आवेदन किया है। कुछ और देश भी इसमें रुचि दिखा रहे हैं।
ब्रिक्स को अमेरिका एक पश्चिम विरोधी गुट के तौर पर देखता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हाल के वर्षों में रूस और चीन डॉलर का विकल्प खोजने में लगे हैं। वह ब्रिक्स की करेंसी बनाना चाहते हैं।
Jan 07 2025, 15:40