एक साल में 16 बाघों की हो गई मौत, रणथंभौर नेशनल पार्क के इस आंकड़े ने खड़े किए कई सवाल
रणथंभौर नेशनल पार्क, जो बाघों के लिए दुनिया भर में मशहूर है, पिछले दो सालों में बाघों की मौत के कारण सुर्खियों में है. 2023 से लेकर 2024 तक इस पार्क में 16 बाघों, बाघिनों और शावकों की मौत हो चुकी है. इन मौतों के मुख्य कारण टेरेटोरियल फाइट (क्षेत्रीय संघर्ष) रहे हैं, जो बाघों के बीच टेरेटरी और मादा के लिए होते हैं.
रणथंभौर में बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन इस वृद्धि के साथ बाघों के बीच संघर्ष भी बढ़ गया है. जैसे ही कोई नया शावक अपनी मां से अलग होकर अपनी नई टेरेटरी बनाता है, वह पहले से मौजूद बाघों के साथ टकराता है. ऐसे संघर्षों में कमजोर बाघ की जान चली जाती है.
मौतों के कारण और आंकड़े
2023 और 2024 में हुई बाघों की मौतों में ज्यादातर मौतें टेरेटोरियल फाइट के कारण हुई हैं. 2023 में जनवरी से लेकर दिसंबर तक 8 बाघ, बाघिन और शावक मारे गए थे, जबकि 2024 में जनवरी से लेकर दिसंबर तक कुल 8 बाघ और बाघिनों की मौत हुई. इनमें से कुछ बाघों की मौत ओवरडोज़ से, कुछ की मादा के लिए संघर्ष के दौरान और कुछ की टेरेटोरियल फाइट में हुई.
विशेषज्ञों की राय और क्षेत्रीय संघर्ष
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि रणथंभौर के क्षेत्र में बाघों के लिए आवश्यक संसाधन पर्याप्त हैं, लेकिन बाघों के बीच टेरेटोरियल फाइट बढ़ रही है, जिससे इनकी मौत हो रही है. बाघों के बीच यह संघर्ष मादा और क्षेत्र को लेकर होता है. रणथंभौर में नर बाघों और मादा बाघिनों का अनुपात भी ठीक नहीं है, जो इन संघर्षों को बढ़ा देता है.
समाधान नया ग्रासलैंड विकसित करना
इस समस्या को हल करने के लिए विशेषज्ञों का सुझाव है कि राज्य सरकार और वन विभाग को रणथंभौर में नया ग्रासलैंड विकसित करना चाहिए, जिससे बाघों को ज्यादा क्षेत्र मिल सके और संघर्ष कम हो सके. इसके अलावा, कुछ नर बाघों को अन्य स्थानों पर शिफ्ट किया जा सकता है, ताकि उनकी टेरेटरी को लेकर संघर्ष कम हो.
रणथंभौर में लगातार हो रही बाघों की मौत न केवल वन्यजीव प्रेमियों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि यह सरकार और वन विभाग के लिए भी एक गंभीर मुद्दा है. यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं निकाला गया, तो बाघों की संख्या और भी कम हो सकती है. सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि रणथंभौर में बाघों का आनंद लेने आने वाले पर्यटकों को भी निराशा का सामना न करना पड़े.











Dec 26 2024, 15:22
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