मुंबई नाव हादसे में जर्मन टूरिस्ट की बहादुरी: 5 साल के बच्चे की बचाई जान ।

मुंबई में बीच समुद्र में नाव पलटने के हादसे के बीच एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने इंसानियत की एक नई मिसाल पेश की है. एक जर्मन टूरिस्ट ने समुद्र में नाव पलटने के बाद फरिश्ता बनकर एक पांच साल के बच्चे की जान बचाई है. जिस जर्मन टूरिस्ट ने बच्चे का रेस्क्यू किया है उसका एक साथी अभी भी लापता है. जर्मन टूरिस्ट की इस दरियादिली की जमकर तारीफ की जा रही है. वहीं बच्चे का फिलहाल हॉस्पिटल में इलाज किया जा रहा है.

जब बात इंसान की जान की हो तो इंसानियत सरहदें नहीं देखती. जी हां, ऐसा ही कुछ मुंबई में नाव हादसे में देखने को मिला है. नेवी के जहाज से टक्कर के बाद जो फेरी वाली नाव बीच समुद्र में पलटी थी उसमें कुछ विदेशी यात्री भी सवार थे. सभी यात्री बीच समुद्र में गिरने के बाद अपनी जान बचाने के लिए चिल्ला रहे थे. इसी बीच एक 5 साल का बच्चा भी अपनी जान बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा था. जर्मनी से आए एक टूरिस्ट ने इंसानियत के नाते उस बच्चे की ओर रुख किया और उसे सुरक्षित बचा लिया गया.

सोशल मीडिया पर हो रही तारीफ

बच्चे के साथ उसके माता-पिता और उसके एक चाचा भी थे. बच्चे का नाम प्रियांश है. वह फिलहाल सुरक्षित है और उसका इलाज किया जा रहा है. वहीं जब मीडिया ने जर्मन टूरिस्ट से बात की तो उसने बताया कि उसका दोस्त अभी भी लापता है और उसके बारे में प्रशासन की ओर से किसी तरह का कोई जवाब उसे नहीं दिया जा रहा है. जर्मन टूरिस्ट की इस बहादुरी की सोशल मीडिया पर भी तारीफ की जा रही है.

दर्दनाक हादसे में 13 की मौत

मुंबई में एलीफेंटा की ओर से नीलकमल नाम की फेरी जा रही थी. इसी दौरान नेवी की एक तेज रफ्तार स्पीड बोट आ गई. देखते ही देखते स्पीड बोट फेरी वाली नाव से टकरा गई. जिस वक्त ये हादसा हुआ है उस वक्त नाव पर करीब 120 लोग सवार थे. बताया जा रहा है कि इनमें 3 विदेशी टूरिस्ट भी सवार थे. नाव पलटने के बाद अफरा-तफरी मच गई और तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. अभी तक 101 लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है, वहीं 13 लोगों की मौत की पुष्टि भी की जा चुकी है.

बाकी लोग लापता बताए जा रहे हैं जिनकी खोज में अभी भी प्रशासन लगा हुआ है. वहीं जिस हॉस्पिटल में रेस्क्यू किए गए लोगों को भर्ती किया गया है वहां पर लोगों के रिश्तेदारों की भीड़ जमा हो गई है. नौसेना ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन में नौसेना के चार हेलीकॉप्टर, 11 नाव, एक तटरक्षक नौका और तीन समुद्री पुलिस नौकाओं ने सहायता की.

महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की सेहत के लिए विशेष स्वास्थ्य व्यवस्था:मात्र एक रुपये में होगी बीपी और शुगर की जांच ।

यूपी के प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है. मौसम विभाग के दौरान इस दौरान कड़ाके की सर्दी पड़ने के आसार हैं. सर्दी में बीपी और शुगर जैसी बीमारियों के मरीजों के लिए जोखिम बढ़ जाता है, जिससे उनकी स्थिति बिगड़ सकती है. ऐसे मेंमहाकुंभ के क्षेत्र में श्रद्धालुओं और कल्पवासियों की सेहत का पूरा ध्यान रखने के लिए विशेष स्वास्थ्य व्यवस्था की जा रही है, ताकि वे बिना किसी स्वास्थ्य समस्या के पूजा-अर्चना कर सकें.

महाकुंभ के दौरान संगम की रेत पर बने तंबुओं में एक महीने तक रहने वाले कल्पवासी आमतौर पर बुजुर्ग होते हैं. इस आयु वर्ग में बीपी और शुगर का खतरा अधिक होता है, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ शरीर के कई कार्य धीमे हो जाते हैं और मेटाबोलिज्म प्रभावित होता है. इस कारण से उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं.

बुजुर्गों की सेहत को लेकर खास ध्यान

बुजुर्गों का ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है. उनकी सेहत पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े, इसके लिए उनकी नियमित बीपी और शुगर जांच की आवश्यकता होती है. ऐसे में महाकुंभ में मात्र एक रुपये में बीपी और शुगर की जांच की व्यवस्था की जा रही है, जिससे कोई भी श्रद्धालु स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बच सके.

सेहत बिगड़ने पर तुरंत इलाज की व्यवस्था

छावनी अस्पताल के निदेशक, एके पांडेय के अनुसार, मेला क्षेत्र के प्रत्येक सेक्टर में यह सेवा उपलब्ध होगी. यह जांच उन श्रद्धालुओं, कल्पवासियों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगी, जिनका बीपी और शुगर नियंत्रण में रहना आवश्यक है. ऐसे में अगर किसी का बीपी या शुगर अनियंत्रित पाया जाता है, तो उनका तुरंत इलाज शुरू किया जाएगा.

महाकुंभ में 100 से ज्यादा मेडिकल गाइड तैनात होंगे

महाकुंभ के मेला क्षेत्र में कुल 23 सेक्टर हैं, और प्रत्येक सेक्टर में चार मेडिकल गाइड तैनात किए जाएंगे. प्रत्येक टीम में एक नर्सिंग स्टाफ और एक फार्मासिस्ट शामिल होगा. मेले में अगर किसी को स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या होती है, तो उसे तुरंत चिकित्सा सहायता दी जाएगी. इस प्रकार, महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं और कल्पवासियों की सेहत का पूरा ध्यान रखा जाएगा, ताकि वे अपनी श्रद्धा और भक्ति में पूरी तरह से लीन हो सकें और इस धार्मिक आयोजन का अनुभव अच्छे स्वास्थ्य में ले सकें.

पटना पुलिस के लिए बड़ा फैसला: पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान स्मार्टफोन का उपयोग बंद, जानें कब से लागू होगा आदेश?

पटना पुलिस के पुलिसकर्मी अब ऑन ड्यूटी स्मार्टफोन का उपयोग नहीं कर सकेंगे. ऐसा करने पर उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी. इस संबंध में एसएसपी ऑफिस पटना की तरफ से आदेश जारी कर दिया गया है. इस फैसले के बाद से ही पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है. एसएसपी का कहना है कि कुछ पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान लापरवाही बरतते हैं. मोबाइल चलाते है गैर जरूरी काम करते हैं.

एसएसपी कार्यालय से जारी आदेश के अनुसार क्षेत्र भ्रमण में ऐसा पाया गया है कि ऑन ड्यूटी के वक्त थाने की गश्ती, यातायात और ईआरएसएस वाहनों के सिपाही स्मार्टफोन से लगातार बातचीत करते रहते हैं या व्हाट्सएप चलाते हैं या गेम खेलने रहते हैं. जबकि, उनकी प्रति नियुक्ति कानून व्यवस्था को बनाए रखने, अपराध के नियंत्रण और यातायात को सुचारू रखने में लगी रहती है. लगातार फोन पर व्यस्त रहने के कारण इसका सीधा असर यातायात प्रबंधन, अपराध नियंत्रण और कानून व्यवस्था पर पड़ता है.

सिपाही साथ नहीं रखेंगे स्मार्टफोन

यह उनके कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही कर्तव्यहीनता, अनुशासनहीनता के साथ-साथ पुलिस की छवि को भी धूमिल करता है और यह अत्यंत गंभीर मामला है. आदेश पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि सिपाही संवर्ग के कर्मी अपनी ड्यूटी टाइम के दौरान स्मार्टफोन साथ में नहीं रखेंगे. विशेष परिस्थिति में सूचना का आदान-प्रदान करने के लिए कीपैड वाला मोबाइल रख सकते हैं. यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह आदेश 27 दिसंबर से पूरे पटना में लागू कर दिया जाएगा.

वरिष्ठ अधिकारी करेंगे ब्रीफिंग

एसएसपी ऑफिस ने जारी इस आदेश पत्र में स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में प्रतिनियुक्ति सिपाही कर्मियों को उनके संबंधित थानाध्यक्ष, पुलिस निरीक्षक, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ब्रीफिंग करेंगे. अपने भ्रमण के दौरान किसी पुलिसकर्मी को स्मार्टफोन का प्रयोग करने पर उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी. पुलिस की लगातार लापरवाही की शिकायत पुलिस के आला अधिकारियों तक पहुंच रही थी. साथ ही राजधानी की कानून व्यवस्था भी तेजी से चरमरा रही थी. इसी कारण से यह फैसला लिया गया है.

मिल गया अतुल सुभाष का बेटा व्योम, निकिता सिंघानिया ने भेज दिया था यहां

बेंगलुरु के सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष के बेटे व्योम (Atul Subhash Son Found) के बारे में जौनपुर से बड़ी जानकारी सामने आई है. पुलिस ने आखिरकार पता लगा ही लिया कि व्योम कहां है. जानकारी के मुताबिक, 4 साल का नन्हा व्योम इस वक्त अपनी मां निकिता सिंघानिया (Nikita Singhania) के रिश्तेदार के यहां रह रहा है. निकिता ने उसे पहले ही वहां ठहरा दिया था. व्योम सुरक्षित है और स्कूल भी जा रहा है.

अतुल सुभाष सुसइड केस में आरोपी व्योम की मां निकिता सिंघानिया, नानी निशा और मामा अनुराग फिलहाल बेंगलुरु जेल में बंद हैं. उन्हें कोर्ट ने 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा है. 30 दिसंबर को आरोपियों की न्यायिक हिरासत खत्म होगी. इसके बाद दोबारा उन्हें कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा. इस दौरान पुलिस को आरोपियों ने जो कुछ भी बताया होगा, उसे कोर्ट को बताया जाएगा. फिर आरोपियों के खिलाफ आगामी कार्रवाई की जाएगी.

9 दिसंबर को अतुल ने सुसाइड कर लिया था. अपनी पत्नी, सास, साला और चाचा ससुर पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था. 24 पन्नों के सुसाइड नोट में उन्होंने और भी कई बातें लिखी थीं. बेटे व्योम के लिए भी लिखा था- बेटा तुम एक न एक दिन मुझे जरूर समझोगे. ये लोग तुम्हारा भी बस इस्तेमाल ही कर रहे हैं. मुझे तुमसे मिलवने तक नहीं दिया जाता. बस तुम्हारी एवज में मुझसे पैसे ऐंठते रहते हैं. अतुल ने अपील की थी कि बेटे व्योम की कस्टडी उनके माता-पिता को दी जाए.

इसके बाद अतुल के भाई विकास ने बेंगलुरु पुलिस में चारों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था. पुलिस ने 13 दिसंबर के दिन निकिता को गुरुग्राम से और निशा एवं अनुराग को प्रयागराज से गिरफ्तार किया.

राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री से अपील

अतुल के पिता पवन मोदी अपने पौते के संरक्षण के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र भेज चुके हैं. उन्होंने निकिता की गिरफ्तारी के बाद आशंका जताई थी कि कहीं निकिता ने उनके पोते के साथ कुछ गलत न कर दिया हो. लेकिन अब जो खबर सामने आई है उससे कहीं न कहीं पवन मोदी को राहत जरूर मिली कि उनका पोता सुरक्षित है.

खुद निकिता ने दी जानकारी

जौनपुर पुलिस के इंस्पेक्टर रजनीश कुमार ने बताया- निकिता ने खुद बेंगलुरु पुलिस को बताया है कि उसका बेटा फरीदाबाद के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ता है. उसकी देखरेख उसके एक रिश्तेदार कर रहे हैं.

मुंबई नाव हादसा: 13 लोगों की मौत, जानें क्या हैं वो 4 बड़े कारण जिनसे हुआ यह दर्दनाक हादसा।

महाराष्ट्र में गेटवे ऑफ इंडिया के पास बुधवार शाम को हुए दर्दनाक नाव हादसे (Mumbai Boat Accident Update) में 13 लोगों की मौत हो गई. 100 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर बचा लिया गया है. इस पूरी घटना में कहां और क्या लापरवाही हुई, इसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. अब तक हुई जांच से जो तथ्य सामने आए हैं, उसके मुताबिक 4 कारणों से यह हादसा हुआ है. तो चलिए जानते हैं क्या हैं वो 4 कारण (Boat Accident Reasons) जिससे यह दर्दनाक हादसा हो गया.

हर दिन हजारों की संख्या में लोग मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया को देखने के लिए पहुंचते हैं. इस दौरान इनमें से ज्यादातर एलिफेंटा आईलैंड को भी देखने के लिए जाते हैं. एलिफेंटा आईलैंड के लिए नाव से जाना होता है. बुधवार दोपहर को भी लोग आईलैंड को देखने के लिए एक नीलकमल नाम की बड़ी नाव से जा रहे थे, लेकिन लापरवाही की वजह से यहां दर्दनाक हादसा हो गया. तेज रफ्तार नेवी की बोट यात्रियों से भरी नाव से टकरा गई और फिर 13 लोगों की मौत हो गई.

हादसे के पीछे ये 4 कारण सामने आए हैं-

नाव में क्षमता से अधिक यात्रियों का होना

गलत जगह पर नेवी बोट की टेस्टिंग

सेफ्टी गैजेट की कमी

नौसेना नाव के चालकों का स्टंट करना

कैपेसिटी से ज्यादा लोग

बताया जा रहा है जिस समय यह हादसा हुआ उस समय नीलकमल नाव में करीब 120 से ज्यादा लोग सवार थे. हालांकि, नाव की केपेसिटी केवल 80 लोगों की ही थी. प्रशासन की लापरवाही के कारण धड़ल्ले से यहां केपेसिटी से ज्यादा लोगों को बैठाकर नाव चलाई जा रही है, जो बीते बुधवार को 13 लोगों की मौत का कारण बनी हैं. हादसे को लेकर पीड़ित परिवार जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है.

सुरक्षित जगह पर टेस्टिंग

नाव हादसे को लेकर नेवी का बयान भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने बताया कि नेवी की स्पीड बोट इंजन टेस्टिंग चल रही थी. इसी दौरान इंजन ने अपना नियंत्रण खो दिया और एक बड़ा हादसा हो गया. हादसे को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि जब सभी को पता है कि यह रास्ता यात्री बोट के लिए है, तो यहां टेस्टिंग की क्या जरूरती थी. टेस्टिंग हमेशा ऐसी जगह पर करनी चाहिए जहां कोई यात्री बोट आती-जाती ना हो.

नीलकमल बोट में सेफ्टी गैजेटकी कमी

नेवी की तेज रफ्तार वोट के टकराते ही नीलकमल बोट में एक छेद हो गया था. यात्रियों के देखते ही देखते ही नाव समुद्र में डूबने लगी थी. सभी लोगों ने बचने की कोशिश की, लेकिन बोट पर सुरक्षा के पूरे उपकरण ही नहीं थे, जो थे भी वह बहुत कम थे. इस कारण से यह हादसा और भी ज्यादा बड़ा होता चला गया. लोग पानी में डूब रहे थे, लेकिन उनके पास सेफ्टी गैजेट नहीं थे. हादसे से पहले अगर सुरक्षा बिंदुओं की जांच की जाती तो, शायद इतना बड़ा हादसा नहीं होता.

नौसेना नाव चालकों का स्टंट

हादसे को लेकर प्रत्यश्रदर्थियों का कहना है कि नौसेना नाव के चालक बहुत ही तेजी से नाव पर स्टंट कर रहे थे. उनकी स्पीड लगभग 100 किलोमीटर घंटा थी. वह हवा में खुब तेजी से नाव गोल-गोल लहरा रहे थे. साथ ही नाव को हवा में उड़ा के खतरनाक स्टंट कर रहे थे. इसी दौरान नौसेना के नाव चालकों की लापरवाही के कारण उनकी नाव यात्रियों से भरी नाव में टकरा गई थी.

अलीगढ़ के मुस्लिम आबादी में मिला पुराना शिव मंदिर, हिंदूवादी संगठनों ने किया विरोध।

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के मुस्लिम आबादी के बीच मंदिर मिला है. मंदिर के अंदर देवी-देवताओं की मूर्तियां गायब हैं, उसमें सबमर्सिबल की खुदाई में निकली मिट्टी को नगर निगम के कर्मचारियों ने भर दिया. उसी मिट्टी के नीचे शिवलिंग दबा हुआ मिला. मंदिर की दयनीय हालत देख हिंदूवादी संगठन के लोग भड़क गए. उन्होंने मुस्लिम समुदाय पर मंदिर पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाया. जबकि, स्थानीय मुस्लिमों का कहना है कि मंदिर अपनी वास्तविक हालत में है, इसका रख-रखाव न होने के कारण यह जर्जर अवस्था में है.

शहर के सराय रहमान में मिला शिव मंदिर 50 साल पुराना बताया जा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले यहां हिंदू परिवार रहते थे. वह सभी लोग अपने-अपने घर बेचकर चले गए. पहले वह लोग मंदिर में पूजा किया करते थे. जब वह लोग यहां से गए तो मंदिर में रखी मूर्तियां अपने साथ ले गए. मंदिर के साथ किसी भी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की गई. एक बार मुस्लिम युवक द्वारा मंदिर की पुताई कराई गई. वहीं, मंदिर मिलने की जानकारी पर भाजपा से जुड़े कुछ नेता व करणी सेना सहित कई हिंदूवादी संगठनों में आक्रोश पनप गया. जिसके चलते हिंदूवादी संगठनों के लोग बड़ी तादाद में इकठ्ठा होकर मौके पर पहुंच गए.

बीजेपी नेता ने दी बुलडोजर की धमकी

मौके पर पहुंचे हिंदूवादी संगठनों के द्वारा मंदिर का दरवाजा खोला गया. उनके साथ पुलिस भी मौजूद थी. वह जब मंदिर के अंदर दाखिल हुए तो वहां मिट्टी भरी हुई थी. उसके नीचे शिवलिंग दबा हुआ था. मंदिर में पुराने टायर भी रखे हुए थे. हिंदूवादी संगठन के लोगों ने मंदिर के अंदर साफ-सफाई की. उन्होंने मुस्लिम समुदाय पर मंदिर पर अवैध कब्जा किए जाने के आरोप लगाए. यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी की पूर्व महापौर शकुंतला भारती ने मुस्लिम समुदाय के लोगों पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनके घरों पर बुलडोजर चलाए जाने की धमकी दी.

मुस्लिम समुदाय पर लगाया कब्जे का आरोप

मंदिर की दयनीय हालात देख करणी सेना और हिंदूवादी संगठनों के लोगों द्वारा अपर जिला अधिकारी के कार्यालय पर पहुंचकर मुस्लिम समुदाय के लोगों पर शिव मंदिर पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगाया और उसे कब्जा मुक्त कराकर पूजा पाठ कराये जाने की मांग की. इस दौरान भारतीय जनता पार्टी की पूर्व महापौर शकुंतला भारती ने कहा कि इस मामले से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फैक्स भेजकर अवगत कराया जाएगा.

उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने मंदिर पर अवैध कब्जा करने की कोशिश की उनके घरों के ऊपर बुलडोजर चलेगा. शकुंतला भारती ने आरोप लगाते हुए कहा कि मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा बाउंड्री बनाकर मंदिर पर अपना कब्जा करने की कोशिश की जा रही है. जिला प्रशासन और पुलिस को चेतावनी देते हुए शकुंतला भारती ने कहा एफआईआर दर्ज होनी चाहिए.

मूर्तियां ले गए थे साथ

मंदिर को लेकर स्थानीय निवासी जाकिर ने बताया कि वह पिछले करीब 20 वर्षों से सराय रहमान इलाके में निवास कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि मंदिर बहुत पुराना है. वहां पर रहने वाले हिंदू समाज के लोग अपने-अपने मकान उनको बेचकर दूसरी जगह पर चले गए. इस दौरान मकान बेचकर गए लोग मंदिर के अंदर रखी मूर्तियां भी उठा कर अपने साथ ले गए थे. मंदिर के ऊपर सिला पट्टीका और मंदिर के अंदर घंटा भी लगा हुआ है. जाकिर ने बताया कि कुछ दिन पहले नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा जमीन खोदकर सबमर्सिबल लगाया था. सबमर्सिबल लगाने के दौरान निकली मिट्टी को नगर निगम के कर्मचारियों ने मंदिर के अंदर डाल दिया था.

मुस्लिमों ने एक बार कराई थी पुताई

स्थानीय 46 वर्षीय निवासी बब्बू ने मंदिर को लेकर बताया कि मोहल्ले में वर्षों पुराना मंदिर है. जो लोग मकान बेचकर यहां से गए वो लोग मंदिर के अंदर रखी मूर्तियों को अपने साथ ले गए थे.जबकि मंदिर को वह ऐसे ही छोड़ गए. मंदिर की स्थिति दयनीय है. मंदिर की जगह आज भी ऐसी की वैसे ही पड़ी हुई है. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा एक बार मंदिर की पुताई भी कराई गई थी. मंदिर के दरवाजे पर ताला नहीं लगा हुआ था. इस दौरान नगर निगम के कर्मचारी मंदिर के पास सरकारी सबमर्सिबल लगाया था. उस दौरान सबमर्सिबल लगाने के दौरान जमीन से निकली मिट्टी को मंदिर के अंदर खाली पड़ी जगह में डाल दी.

जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़, 5 आतंकी ढेर,2 जवान घायल

जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ जारी है. इस मुठभेड़ में अब तक 5 आतंकियों के मारे जाने की खबर है. इस एनकाउंटर में 2 जवान भी घायल हुए हैं. ये मुठभेड़ कुलगाम जिले के कद्दर इलाके में हो रही है.

दक्षिण कश्मीर के कुलगाम और शोपियां जिलों की सीमा से सटे बिहिबाग-कद्दर में सुरक्षाबलों की घेराबंदी और तलाशी अभियान चल रहा था. इसी दौरान 4 से 5 आतंकवादियों के एक समूह के होने की सूचना मिली. जिसके बाद दोनों तरफ से गोलीबारी हुई.

जम्मू-कश्मीर पर अमित शाह की आज समीक्षा बैठक

ये मुठभेड़ उस दिन हुई है, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा कर सकते हैं. सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, सेना, अर्धसैनिक बल, जम्मू-कश्मीर प्रशासन, खुफिया एजेंसी और गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी शामिल हो सकते हैं. गृह मंत्री को मौजूदा हालात और सीमावर्ती इलाकों की स्थिति के बारे में जानकारी दी जाएगी.

जम्मू-कश्मीर में इस साल कई बार आतंकवादी घटनाएं सामने आईं. 20 अक्टूबर को मध्य कश्मीर में किए गए एक आतंकी हमले में सात लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना से पहले, कश्मीर में काम कर रहे बाहरी लोगों पर भी हमला किया गया था.

जम्मू-कश्मीर में साल 2019 में 142 आतंकवादी मारे गए थे और इस साल अब तक यह संख्या लगभग 45 ही है. 2019 में 50 नागरिक मारे गए थे, जबकि इस साल नवंबर के पहले सप्ताह तक यह आंकड़ा घटकर 14 रह गया.

मुंबई नाव हादसा: 13 की मौत, नौसेना ने शुरू किया बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन, 14 नावें और 4 हेलिकॉप्टर तैनात,अब तक 101 को बचाया गया

मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा के बीच समंदर में हुए नाव हादसे में अब तक 13 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. इनमें तीन नौसैनिक भी शामिल हैं. फिलहाल हादसे में लापता लोगों की तलाश के लिए बड़े स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया है. इसके लिए 14 नावें और 4 हेलीकॉप्टर बुलाए गए हैं. बताया जा रहा है कि बुधवार की शाम को नौसेना की एक जहाज के इंजन का परीक्षण हो रहा था. इसी दौरान जहाज अनियंत्रित हो गया और मुंबई के करंजा के पास एक पर्यटकों को लेकर जा रही नाव से टकरा गया.

जानकारी के मुताबिक यह हादसा शाम करीब चार बजे का है. इस हादसे में अब तक 101 लोगों को बचाया गया है. हादसे की सूचना मिलने पर महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने खुद रायगढ़ कलेक्टर से बातचीत की और रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया. उन्होंने बताया कि इस हादसे में अब तक 13 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. मौके पर 14 नाव ओर 4 हेलीकॉप्टर की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. सीएम फडणवीस के मुताबिक यह हादसा भारतीय नौसेना के जहाज और सिविल फेरी नील कमल के बीच टक्कर में हुआ है.

नेवी की जहाज से हुआ था टक्कर

मुंबई पुलिस के मुताबिक 100 से अधिक पर्यटकों को लेकर सिविल फेरी नीलकमल गेटवे ऑफ इंडिया से एलीफेंटा की ओर जा रहा था. जैसे ही यह जहाज मुंबई के करंजा के पास पहुंचा, अचानक से सामने से आई नेवी की जहाज ने टक्कर मार दिया. इससे नीलकमल बुरी तरह से क्षतिग्रस्त होकर डूबने लगा. आनन फानन में तटरक्षक बल और नेवी के जवानों ने सर्च, राहत और बचाव कार्य शुरू किया. चूंकि नीलकमल में 100 से अधिक लोग सवार थे, इसलिए सभी लोगों की जल्द से जल्द तलाश के लिए तत्काल नेवी के चार हेलीकॉप्टर और 11 जहाजों को उतारा गया.

101 लोग बचाए गए

इसके अलावा काफी संख्या में मछुआरों की नावों को भी बचाव कार्य में इस्तेमाल किया जा रहा है. अधिकारियों के मुताबिक अब तक 101 लोगों को समंदर में से सुरक्षित बाहर निकाला गया है. हालांकि 13 लोगों की मौत भी हो गई है. इनमें नेवी के 1 और ओईएम के 2 कर्मचारी शामिल हैं. अधिकारियों के मुताबिक अब तक साफ नहीं हो पाया है कि इस नाव में कुल कितने लोग सवार थे.

6G के लिए चीन के चिप पर डिपेंड नहीं रहेगा भारत, सरकार ने बनाया ये प्लान

भारत सरकार भविष्य की 6G टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है. इसका मेन मकसद चीन जैसे देशों पर चिपसेट के लिए निर्भरता को कम करना है. सरकार ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को बढ़ावा देते हुए, देश में ही 6G टेक्नोलॉजी के लिए जरूरी हार्डवेयर, खासकर एडवांस्ड चिपसेट का प्रोडक्शन करना चाहती है.

अभी तक हम टेलीकॉम हार्डवेयर के लिए विदेशों पर निर्भर रहते थे, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा रहता था. लेकिन अब सरकार ने इस चीज को बदलने का फैसला किया है. 6G टेक्नोलॉजी, जो 5G से 100 गुना ज्यादा तेज होगी, के लिए बेहद तेज और कम लेटेंसी वाले चिपसेट की जरूरत होगी. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का मानना है कि इन चिपसेट का देश में ही प्रोडक्शन जरूरी है.

6G के लिए देश में ही बनेंगे हार्डवेयर

इसके लिए सरकार असम और गुजरात में बन रही सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स का इस्तेमाल करेगी. इन यूनिट्स में 6G नेटवर्क के लिए जरूरी एडवांस्ड चिपसेट बनाए जाएंगे. सरकार का लक्ष्य है कि कच्चे माल से लेकर फाइनल प्रोडक्शन तक, पूरी प्रोडक्शन प्रोसेस देश में ही हो. इसके लिए सरकार, एजुकेशन सेक्टर और इंडस्ट्री के बीच सहयोग को भी बढ़ावा दे रही है ताकि पूरे प्रोडक्ट चेन में इन्वेस्टमेंट लाया जा सके.

R&D के लिए 650 करोड़ रुपये

सरकार 6G टेक्नोलॉजी के डेवलपमेंट के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) पर भी जोर दे रही है. टेलीकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट (DoT) ने 6G पर फोक्स्ड कई R&D प्रोजेक्ट्स के लिए 650 करोड़ रुपये अलॉट किए हैं. इनमें 111 रिसर्च प्रपोजल शामिल हैं जिनका मकसद 6G नेटवर्क इकोसिस्टम को बढ़ावा देना है.

इसके अलावा 19 प्रोजेक्ट्स ऐसे हैं जो 5G को बेहतर बनाने और 6G की नींव रखने पर काम कर रहे हैं. साइंस और टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट भी 6G पर फोक्स्ड एडवांस्ड कम्युनिकेशन सिस्टम पर पैसा लगा रहा है.

सरकार की प्लानिंग

ईटी के अनुसार, कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि टेलीकम्युनिकेशन R&D के लिए आवंटित 400 करोड़ रुपये का बजट काफी नहीं है, सरकार का कहना है कि उसकी 6G स्ट्रेटेजी सिर्फ बजट पर निर्भर नहीं है बल्कि इनोवेशन को बढ़ावा देने, इंफ्रास्ट्र्क्चर बनाने और स्किल्ड वर्कफोर्स तैयार करने पर भी फोकस्ड है.

सरकार ऐसी अप्रोच अपना रही है ताकि एक मजबूत एंड-टू-एंड टेलीकॉम प्रोडक्ट इकोसिस्टम बनाया जा सके जिसमें ‘मेक इन इंडिया’ पर खास ध्यान दिया जाए.

कुल मिलाकर भारत सरकार 6G टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनने और चीन जैसे देशों पर निर्भरता कम करने के लिए एक ठोस योजना पर काम कर रही है. इसका मकसद देश में ही 6G टेक्नोलॉजी के लिए जरूरी हार्डवेयर का प्रोडक्शन करना और इस रीजन में एक मजबूत इकोसिस्टम बनाना है.

नालंदा की 100 साल पुरानी मस्जिद, जिसकी आज भी देखभाल करते हैं हिंदू; गांव में नहीं एक भी मुस्लिम

एक भारत वह है, जहां संभल इलाके में स्थित मंदिर 46 वर्षों तक इसलिए बंद रहता है, क्योंकि इस इलाके के सभी हिंदू पलायन कर चुके हैं. इस इलाके में लगभग 100% मुसलमानों की आबादी है. इसलिए 46 वर्षों से इस इलाके में मंदिर को बंद कर दिया जाता है. दूसरा भारत वह है, जहां नालंदा के माड़ी गांव में लगभग 100% हिंदुओं की आबादी है. यहां से सभी मुस्लमान भाई पलायन कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद यहां पर रहने वाले हिंदू इस इलाके में स्थित मस्जिद की देखभाल करते हैं.

हिंदू भाइयों के द्वारा मस्जिद को पूरी तरह से सुरक्षित रखा गया है. इतना ही नहीं इस मस्जिद में हिंदू भाइयों के द्वारा पेन ड्राइव लगाकर माइक के सहारे पांच वक्त की नमाज भी अदा की जाती है. हिंदू समाज इस मस्जिद की देख-रेख ठीक उसी तरह से करते हैं, जैसे एक मंदिर की की जाती है. यह वो अंतर है, जो धर्मनिरपेक्ष भारत को दिखाता है. नालंदा ज्ञान की धरती रही है और हमेशा देश और दुनिया को ज्ञान की रोशनी देने का काम किया है, जिसका जीता जागता उदाहरण वेन प्रखंड का माड़ी गांव है, जो आज इस बात की गवाही दे रहा है.

100 साल पुरानी मस्जिद

इस गांव में रहने वाले स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि यह मस्जिद 100 साल से भी पुरानी है. इसकी देखभाल इस गांव के रहने वाले ग्रामीणों के द्वारा ही की जाती है. इस गांव में जिसके घर में भी शादी होती है, वह सबसे पहले इसी मस्जिद में आकर मत्था टेकने का काम करता है. इस मस्जिद के अंदर रखे एक पत्थर की खासियत है कि अगर किसी के गाल में सूजन आ जाती है तो इस पत्थर को घिस कर लगाने से वह ठीक हो जाता है.

गांव के जमींदार ने बनवाया था मस्जिद

इस मस्जिद का निर्माण इसी गांव के जमींदार के द्वारा कराया गया था. हालांकि इस गांव में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग अब इस गांव में नहीं रहते हैं, लेकिन मुस्लिम समुदाय के द्वारा बनाई निशानी को आज भी हिंदू समाज के लोग सहेज कर रखे हुए हैं. हालांकि गांव में अप्रिय घटना घट जाने के कारण फिलहाल कुछ महीनों से इस मस्जिद की देखभाल ठीक तरीके से नहीं की जा रही है.