भारत-श्रीलंका संबंध: वर्षों के दौरान एक संक्षिप्त अवलोकन
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भारत और श्रीलंका के बीच संबंध सदियों पुराने और विविध रहे हैं, जिनमें ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक आयाम शामिल हैं। दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रूप से गहरे सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध रहे हैं, लेकिन साथ ही समय-समय पर राजनीतिक और कूटनीतिक उतार-चढ़ाव भी देखे गए हैं।
प्रारंभिक संबंध और सांस्कृतिक समानताएँ
भारत और श्रीलंका के बीच संबंध पहले से ही प्राचीन काल में मजबूत थे, जब बौद्ध धर्म के प्रसार के साथ दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध स्थापित हुए थे। भारत ने श्रीलंका में बौद्ध धर्म को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेष रूप से अशोक महान के शासनकाल के दौरान। इस दौरान, दोनों देशों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी हुआ।
स्वतंत्रता के बाद: 1947-1970
भारत और श्रीलंका के स्वतंत्रता के बाद, दोनों देशों ने सामरिक और व्यापारिक संबंधों को मजबूत किया। 1948 में श्रीलंका (तत्कालीन सीलोन) ने ब्रिटिश उपनिवेश से स्वतंत्रता प्राप्त की, और भारत ने इसे शीघ्र ही मान्यता दी। 1950 के दशक में, भारत ने श्रीलंका को अपनी स्वतंत्रता की यात्रा में मदद की और दोनों देशों के बीच राजनीतिक और व्यापारिक रिश्ते आगे बढ़े। इस समय, भारत और श्रीलंका के बीच विश्वासपूर्ण कूटनीतिक संबंध बने रहे।
1970s-1980s: तामिल समस्या और युद्ध
1970 और 1980 के दशकों में, दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ा, खासकर श्रीलंका में तमिल अल्पसंख्यक की स्थिति को लेकर। 1980 के दशक में श्रीलंकाई सरकार और तमिल संघर्षरत समूहों के बीच हिंसक संघर्ष शुरू हो गया, जिसे भारत ने क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के संदर्भ में देखा। 1987 में, भारत और श्रीलंका के बीच एक ऐतिहासिक समझौता हुआ, जिसे "इंडो-लंकन एग्रीमेंट" कहा जाता है, जिसके तहत भारत ने श्रीलंका में सैन्य हस्तक्षेप किया। हालांकि, यह हस्तक्षेप विवादास्पद साबित हुआ, और 1990 के दशक तक दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गई।
2000: कूटनीतिक पुनर्निर्माण
2000 के दशक में, भारत और श्रीलंका ने अपनी कूटनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को फिर से स्थापित किया। भारत ने श्रीलंका को आतंकवाद और प्राकृतिक आपदाओं के मामलों में मदद की। इसके अतिरिक्त, व्यापार और आर्थिक संबंध भी मजबूत हुए। हालांकि, श्रीलंका के तमिल आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष के दौरान भारत ने मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर आलोचना की, जो दोनों देशों के रिश्तों में तनाव का कारण बना।
वर्तमान स्थिति: रणनीतिक साझेदारी
हाल के वर्षों में, भारत और श्रीलंका के संबंधों में निरंतर सुधार देखा गया है। श्रीलंका की वर्तमान सरकार ने भारत के साथ आर्थिक, सुरक्षा और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने का प्रयास किया है। दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश में वृद्धि हुई है, और भारत ने श्रीलंका को कई आर्थिक सहायता प्रदान की है, खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान। हालांकि, चीन की बढ़ती उपस्थिति श्रीलंका में, विशेष रूप से बंदरगाहों और बुनियादी ढांचे के विकास में, दोनों देशों के बीच कुछ रणनीतिक चिंताएँ भी उत्पन्न कर रही हैं। भारत ने इस संदर्भ में श्रीलंका को सतर्क किया है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते अब पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण और मजबूत हैं।
भारत और श्रीलंका के बीच संबंध एक लंबी और जटिल यात्रा रही है, जिसमें दोनों देशों के बीच सहयोग, विवाद और संघर्ष का मिश्रण रहा है। अब दोनों देशों ने एक दूसरे के साथ अपने रिश्तों को सुधारने और आगे बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। भविष्य में, यदि ये देश एक-दूसरे के साथ कूटनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो उनके रिश्ते और मजबूत हो सकते हैं, और क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान कर सकते हैं।
Dec 18 2024, 11:10