नेहरू की चिट्ठियां पर मचा हंगामा, बीजेपी ने पूछा-क्यों अपने साथ ले गईं सोनिया गांधी…’,संबित पात्रा ने की जांच की मांग
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* प्रधानमंत्री म्यूजियम की ओर से नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को लेटर लिखा गया है, जिसमें उनसे नेहरू से जुड़े डॉक्यूमेंट्स वापस करने की मांग की गई है। प्रधानमंत्री म्यूजियम और लाइब्रेरी सोसाइटी के सदस्य रिजवान कादरी ने सोमवार को कहा कि 2008 में यूपीए कार्यकाल में 51 बक्सों में भरकर नेहरू के पर्सनल लेटर सोनिया गांधी के पास पहुंचाए गए थे। या तो सभी लेटर वापस किए जाएं, या फिर इन्हें स्कैन करने की इजाजत दी जाए, क्योंकि ये डॉक्यूमेंट्स पहले ही पीएम म्यूजियम का हिस्सा थे। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़े पत्रों को लेकर अब सियासत गरमाती दिख रही है। इस मुद्दे पर सोमवार को संसद में भी हंगामा देखने को मिला। भाजपा सांसद संबित पात्रा ने लोकसभा में मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि संस्कृति मंत्रालय को मामले की जांच करनी चाहिए। ये चिठ्ठियां देश के प्रथम प्रधानमंत्री से जुड़े हैं, उनको वापस लाया जाए। सभी दस्तावेज देश के लिए जरूरी हैं। भाजपा सांसद संबित पात्रा ने कहा कि उन लेटर में ऐसा क्या लिखा था, जो गांधी परिवार नहीं चाहता कि वे बातें देश के सामने आएं। संबित पात्रा ने संसद में कहा कि क्या राहुल गांधी इन खतों को पीएम संग्रहालय को लौटाने में मदद करेंगे? इन खतों में आखिर क्या लिखा था, जो उठाने में इतनी जल्दबाजी की गई? इन्हें कहां रखा गया है, जनता इसके बारे में जानना चाहती है? पात्रा ने पूछा कि पीएम संग्रहालय का नाम नेहरू म्यूजियम एंड लाइब्रेरी था। जहां सिर्फ जवाहरलाल नेहरू से जुड़े दस्तावेज रखे गए थे। जितने पीएम अब तक बने हैं, उनकी भी पूरी जानकारी यहां होती थी। 2008 में यूपीए चेयरपर्सन सभी खत अपने साथ ले गई थीं। पात्रा ने सवाल उठाया कि पूरी सामग्री को डिजिटल अपलोड करने को लेकर 2010 में फैसला लिया गया था। लेकिन सोनिया गांधी इतनी जल्दी में क्यों थीं? वे अपने साथ सभी खतों को 51 डिब्बों में भरकर ले गईं। क्या वजह है कि आखिर गांधी परिवार इन खतों को देश को दिखाना नहीं चाह रहा? संविधान जैसे मुद्दे पर संसद में बहस हो रही है, ऐसे मौके पर इन खतों को छिपाया जा रहा है। पात्रा ने फिर सवाल दोहराया कि ये वजह बतानी जरूरी है। आखिर इन लेटर्स को डिजिटाइजेशन से पहले क्यों उठा लिया गया? ऐसी सेंसरशिप को क्यों लागू किया गया, जब संविधान जैसे अहम इश्यू पर डिबेट चल रही हो? यह पहली बार नहीं है कि नेहरू के खतों को लेकर बवाल मचा है। पहले भी एडविना माउंटबेटन औऱ नेहरू के बीच हुए पत्राचार पर बीजेपी कांग्रेस को निशाने पर लेती रही है। ऐसे में गांधी परिवार का इन लेटर को मेमोरियल से मंगवाना और फिर बार बार कहने पर भी न लौटाना, संदेह पैदा करता है। ये वे दस्तावेज हैं जो मेमोरियल को दान किए गए थे। इनमें नेहरू के एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन जैसी हस्तियों के साथ हुए पत्राचार हैं। पहले ये सारी चिट्ठियां नेहरू मेमोरियल के पास थीं.। लेकिन 2008 में सोनिया गांधी ने वहां से 51 कार्टन अपना एक प्रतिनिधि भेजकर मंगवाए।
श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके का भारत दौराः चीन के प्रभाव के बीच भारत यात्रा कैसे है कूटनीति का संतुलित करना?
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* श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके भारत के दौरे पर हैं। अनुरा कुमार दिसानायके रविवार से भारत की तीन दिवसीय यात्रा शुरू की है। सितंबर में पदभार संभालने के बाद दिसानायके की यह पहली द्विपक्षीय भारत यात्रा है। राष्ट्रपति पद संभालने वाले चीन के प्रभाव वाले दिसानायके ने अपने पहले विदेशी दौरे के लिए भारत को चुना है। रविवार को उन्होंने दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। सोमवार को उनका राष्ट्रपति भवन में परंपरागत रूप से स्वागत किया गया। दिसानायके की भारत यात्रा के दौरान दोनों में कई समझौते होने की उम्मीद है। भारत दौरे पर पहुंचे श्रीलंकाकाई राष्ट्रपति दिसानायके की जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) वामपंथी विचारधारा की है। उनकी पार्टी ने वामपंथी पार्टियों के गठबंधन नेशनल पीपल्स पावर (एनपीपी) में शामिल होकर चुनाव लड़ा था। इस गठबंधन की राजनीति को भारत विरोधी माना जाता है। इसी साल 22 सितंबर को आए नतीजों में वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने राष्ट्रपति चुनावों में जीत दर्ज की, उसके बाद से भारत की मीडिया में चिंता ज़ाहिर की गई थी। श्रीलंका की विदेश नीति को गुटनिरपेक्षता की रही है। वह भारत के साथ संबंधों को प्राथमिकता देता है। इसी के तहत श्रीलंकाई राष्ट्रपति अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुनते हैं। दिसानायके ने भी इस नीति को जारी रखते हुए अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को ही चुना है। उनकी इस पहल ने उस डर को दरकिनार किया है कि वामपंथी रूझान होने की वजह से दिसानायके का रूझान चीन की तरफ ज्यादा होगा। उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी सरकार में भी श्रीलंका के लिए भारत की अहमियत कम नहीं होगी। वहीं, दिसानायके दिल्ली का अपना दौरा पूरा करने के बाद जनवरी में चीन जाने वाले हैं। यह एक किस्म का संदेश है कि भारत के साथ मिलकर काम करने के बावजूद चीन के साथ श्रीलंका के दोस्ताना रिश्ते में कोई बदलाव नहीं आएगा। चुनाव से आठ महीने पहले फ़रवरी में ही दिसानायके जब भारत आए थे, जयशंकर से उनकी मुलाक़ात हुई थी। साल 2022 में जब श्रीलंका आर्थिक कठिनाई का सामना कर रहा था और उसके पास तेल और दवाएं खरीदने तक के पैसे नहीं थे। उस समय भी भारत ने श्रीलंका की मदद की थी। उस पर 83 अरब डॉलर का कर्ज था। महंगाई 70 फीसदी के आसपास पहुंच गई थी। वह अपने विदेशी कर्जों का भुगतान भी नहीं कर पा रहा था। संकट की इस घडी में भारत उसके साथ खड़ा हुआ। भारत ने उसे चार अरब डॉलर का कर्ज दिया और मानवीय मदद पहुंचाई थी। भारत ने श्रीलंका को अंततराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज लेने में भी मदद की थी। आज करीब दो साल बाद भी श्रीलंका की आर्थिक हालात अच्छी नहीं है। उसके अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष समेत भारत, जापान और चीन का अरबों डॉलर का कर्ज है। आईएमएफ इन कर्जों के पुनर्गठन के लिए कह रहा है। कर्ज के इस पैसे से ही श्रीलंका पिछले सात दशकों में पहली बार आए आर्थिक संकट से कुछ हद तक निपट पाया था। इस समय उसे आर्थिक मदद की सख्त जरूरत है। अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए ही श्रीलंका ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ्रीका की सदस्यता वाले ब्रिक्स में शामिल होना चाहता है। लेकिन उसे अभी इसकी सफलता नहीं मिली है। दिसानायके ने इसे समझा और भारत के साथ किसी टकराव में जाने की जगह उसके साथ मिलकर काम करने को चुना है। इसलिए उन्होंने अपने पहले विदेश दौरे के लिए भारत को ही चुना उनको लगता है कि इससे उनको आर्थिक लाभ होगा। इससे उन्हें कर्ज का पुनर्गठन करने में मदद मिलेगी। श्रीलंका की विदेश नीति में भारत की जितनी अहमियत है, उतनी ही अहमियत भारत के लिए श्रीलंका की रही है। यही कारण है कि दिसानायके की पार्टी को लेकर आशंकित भारत की ओर से उनकी जीत के बात त्वरित प्रतिक्रिया आई। जीत के एलान के कुछ ही घंटों बाद श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त संतोष झा ने अनुरा कुमारा दिसानायके से मुलाक़ात की और उन्हें जीत की बधाई दी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक्स पोस्ट में जीत की बधाई देते हुए लिखा, ''भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी और विजन में श्रीलंका का ख़ास स्थान है।'' इसके जवाब में अनुरा ने लिखा था, ''प्रधानमंत्री मोदी आपके समर्थन और सहयोग के लिए बहुत धन्यवाद। दोनों देशों में सहयोग को और मज़बूत करने के लिए हम आपकी प्रतिबद्धता के साथ हैं। हमारा साथ दोनों देशों के नागरिकों और इस पूरे इलाक़े के हित में है।'' भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अक्तूबर के पहले सप्ताह में श्रीलंका का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने श्रीलंका के नए प्रशासन से कई मुद्दों पर बात की और माना जाता है कि श्रीलंका में भारत के प्रोजेक्ट भी इस चर्चा में शामिल थे।
फिर धुंधलाया दिल्ली-एनसीआर में आकाश, ग्रैप-3 की पाबंदियां लागू, क्या फिर बंद होंगे स्कूल?*
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राजधानी की हवा में एक बार फिर से प्रदूषण का जहर घुलने लगा है। दिल्ली और आसपास के इलाकों में एक बार फिर से वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है। जिसके बाद आज दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप-3 को फिर से लागू कर दिया गया है। इसके साथ ही कुछ पाबंदियां भी बढ़ा दी गई हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की जीआरएपी उप-समिति ने आज ग्रैप-3 को तत्काल प्रभाव से पूरे दिल्ली एनसीआर में लागू करने का निर्णय लिया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर में ग्रेप-2 नियम की पाबंदियों वाले आदेश को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ग्रेप 4 के प्रतिबंध पर जो राहत दी गई थी, वो जारी रहेगी। केंद्र के वायु गुणवत्ता पैनल सीएक्यूएम की तरफ जारी आधिकारिक आदेश में कहा गया है, शांत हवाओं सहित बेहद प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियों के कारण दिल्ली का एक्यूआई बहुत खराब श्रेणी के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। इसे देखते हुए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान पर पैनल की उप-समिति ने पूरे एनसीआर में संशोधित ग्रैप शेड्यूल (शुक्रवार को जारी) के चरण 3 को तत्काल प्रभाव से लागू करने का फैसला किया है। *5वीं तक के क्लास को लेकर क्या आदेश?* इस योजना के अनुसार, दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर के स्कूलों को अनिवार्य रूप से ग्रैप चरण III के तहत कक्षा V तक की क्लासेज हाइब्रिड मोड में चलानी होगी। इस दौरान स्कूलों में फिजिकल क्लासेज तो चलेंगी, लेकिन स्टूडेंट्स और उनके अभिभावकों के पास ऑनलाइन क्लास चुनने का विकल्प होगा। *क्या लगाई गईं पाबंदियां* दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए जीआरएपी III (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) फिर से लागू कर दिया गया है। इसके तहत प्रदूषण रोकने के लिए सख्त उपाय किए गए हैं, जिनमें डीजल मालवाहक वाहनों पर प्रतिबंध, निर्माण और खुदाई कार्य पर रोक, और स्कूलों में हाइब्रिड मोड शामिल हैं।
गांधी परिवार ने बनाया और खत्म भी किया”, ऐसा क्यों बोले मणिशंकर अय्यर
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* क्या कांग्रेस के सीनियर नेता मणिशंकर अय्यर का भी पार्टी और पार्टी नेतृत्व से मोह भंग हो गया है? अपने बयानों के कारण पहले भी चर्चा में आ चुके कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। यही नहीं मणिशंकर के बयानों के बाद तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या मणिशंकर अय्यर भी कांग्रेस को “टाटा-बाय-बाय” करने वाले हैं? सवालों के उठने से पहले जानना ये जरूरी है कि आखिरकार मणिशंकर अय्यर ने कहा क्या है? वरिष्ठ कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने दावा किया है कि गांधी परिवार ने उनके उत्थान और पार्टी में उनके हाशिए पर जाने में भूमिका निभाई है। साथ ही साथ इस समय उनके पार्टी के साथ किस तरह के संबंध हैं इसको लेकर भी उन्होंने अपनी बात रखी है। अय्यर ने दावा किया है कि वे कभी भी भारतीय जनता पार्टी का दामन नहीं थामेंगे। न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में 83 वर्षीय अय्यर ने दावा किया कि उन्हें वर्षों से गांधी परिवार के प्रमुख सदस्यों के साथ कोई ठोस, सीधा संपर्क नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि 10 वर्षों तक, मुझे सोनिया गांधी से आमने-सामने मिलने का अवसर नहीं दिया गया। मुझे राहुल गांधी के साथ समय बिताने का एक बार अवसर को छोड़कर, एक बार भी मौका नहीं दिया गया। मणिशंकर अय्यर ने कहा कि मैंने प्रियंका के साथ एक या दो बार को छोड़कर नहीं मिल पाया। उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी ने कभी-कभी उन्हें फोन किया है, जिससे कुछ हद तक संपर्क बना हुआ है। इंटरव्यू में अय्यर ने दो किस्से बताए- एक बार राहुल गांधी को शुभकामनाएं भिजवाने के लिए उन्हें प्रियंका गांधी को फोन करना पड़ा था। एक विशेष घटना को याद करते हुए अय्यर ने कहा कि जब उन्हें पार्टी से निलंबित किया गया था, तब उन्हें राहुल गांधी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के लिए निर्भर रहना पड़ता था। उन्होंने कहा कि मैं उनसे (प्रियंका गांधी) मिला और वह हमेशा मेरे प्रति बहुत दयालु रही हैं। मैंने सोचा कि चूंकि राहुल का जन्मदिन जून में था, इसलिए मैं उनसे राहुल को मेरी शुभकामनाएं देने के लिए कह सकता हूं। अय्यर के अनुसार, जब प्रियंका गांधी ने पूछा कि वह खुद राहुल गांधी से बात क्यों नहीं कर रहे हैं, तो उन्होंने जवाब दिया कि मैं निलंबित हूं और इसलिए मैं अपने नेता से बात नहीं कर सकता। वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्होंने राहुल गांधी को एक पत्र लिखा था - एक इशारा जो जन्मदिन की बधाई के साथ शुरू हुआ था, लेकिन उनके निलंबन पर स्पष्टता भी मांगी, लेकिन उस पत्र का जवाब नहीं मिला। साथ ही एक बार उन्होंने सोनिया गांधी को मेरी क्रिसमस की शुभकामनाएं दीं तो मैडम ने कहा- 'मैं क्रिश्चियन नहीं हूं'। यही नहीं, अय्यर ने अपनी किताब ‘अ मैवरिक इन पॉलिटिक्स’ में भी कई बातों का खुलासा किया है। किताब में अय्यर ने राजनीति में अपने शुरुआती दिनों, पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के शासन, यूपीए-I में मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल, राज्यसभा में अपने कार्यकाल और फिर अपनी स्थिति में गिरावट, परिदृश्य से बाहर होने और राजनीतिक तौर पर पतन का भी जिक्र किया है। अय्यर ने लिखा, ‘‘2012 में प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) को कई बार ‘कोरोनरी बाईपास सर्जरी’ करानी पड़ी। वह शारीरिक रूप से कभी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो पाए। इससे उनके काम करने की गति धीमी हो गई और इसका असर शासन पर भी पड़ा। जब प्रधानमंत्री का स्वास्थ्य खराब हुआ, करीब उसी समय कांग्रेस अध्यक्ष भी बीमार पड़ी थीं। लेकिन पार्टी ने उनके स्वास्थ्य के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की।’’ उन्होंने कहा कि जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि दोनों कार्यालयों - प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष में रफ्तार की कमी थी, शासन का अभाव था। यही नहीं अय्यर ने बताया कि प्रणब मुखर्जी को उम्मीद थी कि उन्हें देश का प्रधानमंत्री और मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति बनाया जाएगा। यदि मुखर्जी प्रधानमंत्री होते तो कांग्रेस 2014 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह नहीं हारती।
बांग्लादेश में कब होने वाले हैं चुनाव? मोहम्मद यूनुस ने दी जानकारी
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* बांग्लादेश आज अपनी आजादी की 53वीं वर्षगांठ मना रहा है। बांग्लादेश ने 1971 में आज ही के दिन भारत की मदद से पाकिस्तान से आजादी हासिल की थी। इस मौके पर राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन और अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने सोमवार को राजधानी ढाका में राष्ट्रीय स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।मोहम्मद यूनुस ने इस मौके पर बांग्लादेश के लोगों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बांग्लादेश में चुनाव को लेकर बड़ा अपडेट दिया। सत्ता संभालने के बाद से ही अंतरिम सरकार से चुनाव की तारीखों का एलान करने की मांग की जा रही है। अब बढ़ते दबाव के बीच मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि 2025 के अंत में या फिर 2026 के शुरुआत में चुनाव होंगे। हालांकि, पिछले महीने ही यूनुस ने बांग्लादेश में जल्द चुनाव कराने से इनकार कर दिया था और इसकी वजह उन्होंने संविधान और चुनाव आयोग समेत अन्य संस्थाओं में सुधार का हवाला दिया था। यूनुस ने संविधान और विभिन्न संस्थानों में कई सुधारों की निगरानी के लिए एक आयोग का गठन किया है। यूनुस ने अपने संबोधन में कहा कि चुनाव की तारीख इस बात पर निर्भर करेगी कि राजनीतिक दल किस बात पर सहमत होते हैं। यूनुस ने कहा, मैंने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि चुनाव की व्यवस्था करने से पहले सुधार किए जाने चाहिए। अगर राजनीतिक दल न्यूनतम सुधारों, जैसे कि त्रुटिहीन मतदाता सूची के साथ ही चुनाव कराने पर सहमत होते हैं, तो चुनाव नवंबर के अंत तक कराए जा सकते हैं। लेकिन चुनाव सुधारों को पूरा करने के चलते कुछ महीनों की देरी हो सकती है। 5 अगस्त 2024 को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में फिलहाल अंतरिम सरकार स्थापित की गई। मोहम्मद यूनुस इस सरकार का सलाहकार नियुक्त किए गए हैं।बांग्लादेश में 5 जून को हाईकोर्ट ने जॉब में 30% कोटा सिस्टम लागू किया था, इसके बाद से ही ढाका में यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट कर रहे थे। यह आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को दिया जा रहा था। यह आरक्षण खत्म कर दिया गया तो छात्रों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी। देखते ही देखते बड़ी संख्या में छात्र और आम लोग प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आए। इस प्रोटेस्ट के दो महीने बाद 5 अगस्त को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गईं। इसके बाद सेना ने देश की कमान संभाल ली।
ड्रग्स लेना बिल्कुल भी 'कूल' नहीं” सुप्रीम कोर्ट ने युवाओं को दी चेतावनी
#supreme_court_said_drug_abuse_is_not_cool *
* सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश के युवाओं में बढ़ रही नशे की लत पर गहरी चिंता जाहिर की और युवाओं को चेताते हुए कहा कि ड्रग्स लेना बिल्कुल भी 'कूल' नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने ड्रग्स तस्करी के आरोपी अंकुश विपन कपूर के खिलाफ एनआईए जांच की मंजूरी देते हुए ये टिप्पणी की। अंकुश विपन कपूर पर आरोप है कि वह पाकिस्तान से समुद्र के रास्ते भारत में होने वाली हेरोइन तस्करी में शामिल है। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग को एक टैबू नहीं माना जाना चाहिए, लेकिन इस मुद्दे से निपटने के लिए एक खुली चर्चा की आवश्यकता है। जस्टिस नागरत्ना ने चेतावनी देते हुए कहा कि ड्रग्स इस्तेमाल के सामाजिक और आर्थिक खतरों के साथ ही मानसिक खतरे भी हैं। साथ ही पीठ ने युवाओं में बढ़ रही नशे की लत के खिलाफ तुरंत सामूहिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। अदालत ने माता-पिता, समाज और सरकारों से मिलकर इस समस्या के खिलाफ लड़ने को कहा। हम भारत में नशे संबंधी मुद्दों पर चुप रहते हैं और इसका फायदा आतंकवाद का समर्थन करने और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। पीठ ने कहा कि ड्रग्स का असर उम्र, जाति और धर्म से परे हैं और इसके पूरे समाज और व्यवस्था पर गंभीर परिणाम होते हैं। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि ड्रग्स से होने वाली कमाई से ही आतंकवाद और समाज को अस्थिर करने के लिए फंडिंग होती है। पीठ ने समस्याओं से भागने वाले रवैये पर चिंता जताते हुए कहा कि इस गंभीर खतरे के खिलाफ सभी को एकजुट होना पड़ेगा। खासकर युवाओं से इस चुनौती से निपटने के लिए प्रयास करने की अपील की। पीठ ने कहा कि नशे के शिकार व्यक्ति के साथ सहानुभूति और प्यार से पेश आने की जरूरत है। ड्रग तस्करों की कमाई पर प्रहार करने की जरूरत है। ड्रग्स का महिमामंडन बंद होना चाहिए और इसके खतरों के प्रति युवाओं को जागरुक किया जाना चाहिए।
राज्यसभा में जयराम रमेश पर क्यों भड़क गईं निर्मला सीतारमण, बोलीं-लिखित में माफी मांगें
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* संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। संविधान को अंगीकार किए जाने के 75 साल पूरे होने के अवसर संसद में संविधान पर चर्चा कराई जा रही है। पिछले हफ्ते लोकसभा में 2 दिन तक संविधान पर चर्चा हुई थी। राज्यसभा में आज और कल संविधान पर चर्चा होगी और पीएम मोदी मंगलवार को जवाब देंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज राज्यसभा में संविधान पर चर्चा बहस की शुरुआत की। *संविधान लागू होने के साल भर में बोलने की आजादी छीनी- सीतारमण* राज्‍यसभा में अपनी बात रखते हुए वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तत्‍कालीन पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार पर निशाना साधा। उन्‍होंने कहा कि जब संविधान लागू हुआ, देश में एक अंतरिम सरकार थी। यह सरकार ने संविधान लागू होने के एक साल के अंदर ही संविधान का पहला संशोधन लेकर आई। इस संशोधन की मदद से लोगों की बोलने की आजादी को छीना गया। निर्मला सीतारमण ने राज्‍यसभा में कहा कि साल 1949 में काग्रेस पार्टी ने उस जमाने के बड़े बॉलीवुड स्‍टार बलराज सहानी और मजरूह सुलतानपुरी को जेल में डाल दिया था। उनका कसूर बस इतना था कि दोनों ने एक कविता सुनाई थी, इस कविता में नेहरू की अलोचना की गई थी। दोनों ने इसके लिए कांग्रेस से माफी मांगने से मना कर दिया था। जिसके कारण उन्‍हें जेल जाना पड़ा था। ऐसे लोग हमारे सामने संविधान पर खतरा होने की बात कर रहे हैं। *अभिव्यक्ति की आजादी कम करने का कांग्रेस का रिकॉर्ड-सीतारमण* केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, अभिव्यक्ति की आजादी को कम करने का कांग्रेस का रिकॉर्ड इन दो लोगों तक ही सीमित नहीं था। साल 1975 में माइकल एडवर्ड्स की लिखी गई राजनीतिक जीवनी “नेहरू” पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्होंने “किस्सा कुर्सी का” नामक एक फिल्म (1975) पर भी बैन लगा दिया, क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे पर सवाल उठाए गए थे। सीतारमण ने आगे कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 50 से अधिक देश स्वतंत्र हो गए थे और उन्होंने अपना संविधान लिख लिया था, लेकिन कई लोगों ने अपने संविधान को बदल दिया है, न केवल उनमें संशोधन किया है बल्कि वस्तुतः उनके संविधान की संपूर्ण विशेषता को बदल दिया है। इस सबके बावजूद हमारा संविधान निश्चित रूप से समय की कसौटी पर खरा उतरा है और इसमें कई संशोधन हुए हैं। *जयराम रमेश पर भड़कीं सीतारमण* निर्मला सीतारमण राज्‍यसभा में अपनी बात रख रही थी। इसी बीच इमरजेंसी को लेकर जयराम रमेश ने इंदिरा गांधी का बचाव करने का प्रयास किया। दरअसल, जयराम रमेश ने यह तो कहा कि इंदिरा गांधी ने 42 संशोधन को हटाने में साथ दिया लेकिन वो यह बताना भूल गए कि यह संशोधन मोरारजी देसाई लेकर आए थे। अपने भाषण के दौरान निर्मला जीएसटी का जिक्र कर रही थीं इसी दौरान रमेश ने उन्हें झूठ बोलने वाला कहा। इस आरोप पर निर्मला भड़क गईं। निर्मला ने कहा कि रमेश मेरे ऊपर झूठ बोलने का आरोप लगा रहे हैं। जो मैंने कभी नहीं बोला है। सीतारमण ने कहा कि मैं बुरा नहीं मानूंगी कि अगर जयराम रमेश एक और बार मुझे झूठा कहेंगे। लेकिन रिकॉर्ड सब बता देंगे। जयराम रमेश कुछ संशोधन लाना चाहते थे लेकिन डॉक्‍टर मनमोहन सिंह ने निजी तौर पर उन्‍हें कहा कि आप ऐसा ना करें। क्‍योंकि इसे लेकर जीएसटी काउंसिल में एक सहमति बनी है। सीतारमण ने जयराम की ओर इशारा करते हुए कहा कि सर मैं झूठ नहीं बोल रही हूं। रिकॉर्ड्स झूठ नहीं बोलते हैं। अब मुझे झूठा बोलने की जल्‍दबाजी में मत रहे। वित्त मंत्री ने कहा कि मुझे झूठा बोलना ये साफ करता है कि कांग्रेस के खून में झूठ बोलना है। किसी को मुझे झूठा बोलने पर कोर्ट तक जान पड़ा था और वहां सॉरी बोलना पड़ा था। जब मैं रक्षा मंत्री थी। वो केवल पीएम मोदी को चोर नहीं कह रहे थे बल्कि मेरे ऊपर भी झूठ बोलने का आरोप लगा रहे थे। कौन थे वो? हालांकि, निर्मला ने साथ ही कहा कि सदन में बोले गए बातों को कोर्ट तक नहीं ले जाया जा सकता है। लेकिन मैं रमेश से माफी की मांग करती हूं।
हमने नहीं नरसिम्हा राव ने की थी शुरुआत”, विदेश नीति में बदलाव की जरूरत पर क्या बोले एस जयशंकर?
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* विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बदलते परिदृश्य में विदेश नीति में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि विदेश नीति में बदलाव को राजनीतिक हमले के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। आईसीसी में इंडियाज वर्ल्ड पत्रिका के विमोचन के बाद आयोजित कार्यक्रम में जयशंकर ने विदेश नीति मामलों के विशेषज्ञ सी. राजा मोहन के साथ परिचर्चा के दौरान ये बातें कहीं। 'इंडियाज व‌र्ल्ड' मैगजीन की शुरुआत के अवसर पर जयशंकर ने कहा कि ऐसे चार बड़े कारक हैं, जिनके कारण भारत में लोगों को स्वयं से पूछना चाहिए कि विदेश नीति में कौन से परिवर्तन आवश्यक हैं। एक बदलाव तो ऐसा है, जिसके बारे में उन्हें शनिवार को बात करने का मौका मिला था। डॉ. अरविंद पनगढि़या की पुस्तक के विमोचन समारोह में जयशंकर ने कहा था, 'नेहरू विकास मॉडल ने नेहरू की विदेश नीति को जन्म दिया और हम विदेश में इसे सही करना चाहते हैं, जैसे देश में इस मॉडल के परिणामों को सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं।' विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जब हम विदेश नीति में बदलाव की बात करते हैं और अगर नेहरू के बाद की बात होती है तो इसे राजनीतिक हमले के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। जयशंकर ने कहा कि विदेश नीति में बदलाव के लिए नरेन्द्र मोदी की जरूरत नहीं थी। नरसिम्हा राव ने इसकी शुरुआत की थी। एस जयशंकर ने कहा कई सालों तक हमारे पास नेहरू विकास मॉडल था। नेहरू विकास मॉडल ने नेहरूवादी विदेश नीति तैयार की। यह सिर्फ हमारे देश में क्या हो रहा था, इस बारे में नहीं था, 1940, 50, 60 और 70 के दशक में एक अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य था, जो द्विध्रुवीय था। फिर एकध्रुवीय परिदृश्य था। पिछले 25 वर्षों में बहुत तीव्र वैश्वीकरण, देशों के बीच बहुत मजबूत अंतर-निर्भरता देखी है इसलिए एक तरह से एक-दूसरे के प्रति राज्यों के संबंध और व्यवहार में भी बदलाव आया है। अगर कोई प्रौद्योगिकी के प्रभाव को देखता है, जैसे- विदेश नीति पर प्रौद्योगिकी, राज्य की क्षमता पर प्रौद्योगिकी और हमारे दैनिक जीवन पर प्रौद्योगिकी, तो वह भी बदल गया है इसलिए यदि घरेलू मॉडल बदल गया है। अगर परिदृश्य बदल गया है, राज्यों के व्यवहार पैटर्न बदल गए हैं और विदेश नीति के उपकरण बदल गए हैं तो विदेश नीति एक जैसी कैसे रह सकती है। विदेश मंत्री ने कहा, 'इसलिए मुझे लगता है कि हमें जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है। हमें यथार्थवादी होने की जरूरत है। हमें इस देश में व्यावहारिक होने की जरूरत है।' उन्होंने कहा कि डिजिटल युग की बदलती जरूरतों के अनुसार विदेश नीति अपनाने की जरूरत है। डिजिटल युग मौलिक रूप से विनिर्माण युग से अलग है, क्योंकि यह वैश्विक साझेदारी बनाने और अपने डाटा के साथ दूसरों पर भरोसा करने जैसी नई चुनौतियां पेश करता है।
देश में किशोर अपराधियों की बढ़ती संख्या, राजधानी में गैंग्स के निशाने पर है युवा*

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि खुद का “अनुयायी” बनाने, जल्दी पैसा कमाने का तरीका और रील और रियल लाइफ गैंगस्टर से “प्रेरणा” लेने की वजह से हाल के दिनों में नाबालिगों द्वारा किए जाने वाले जघन्य अपराधों की संख्या में उछाल आया है। ऐसे कई मामलों में, पकड़े जाने पर किशोरों को सुधार गृह भेज दिया जाता है, जहाँ उनकी काउंसलिंग की जाती है और उन्हें सुधार गतिविधियों में शामिल किया जाता है। बाल परामर्शदाताओं के अनुसार, इनमें से अधिकांश किशोर गैंगस्टरों से प्रेरित होते हैं और शिक्षा की पर्याप्त पहुँच के बिना वंचित परिवारों से आते हैं। इन नाबालिगों से अब तक की पूछताछ से पता चला है कि वे टूटे-फूटे परिवारों से आते हैं, जहाँ कोई भी उनके आचरण पर ध्यान नहीं देता है, जिसके कारण वे बुरी संगत में पड़ जाते हैं और आसानी से पैसे कमाने या शक्तिशाली महसूस करने के लिए अपराध करना शुरू कर देते हैं। हालाँकि, जैसा कि नाबालिग अपराधियों से जुड़े अपराधों की श्रृंखला से पता चलता है, पुलिस के अनुसार, 3 अक्टूबर को, दो किशोर दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में एक स्वास्थ्य सुविधा में घुसे और कथित तौर पर बदला लेने के लिए एक 54 वर्षीय यूनानी चिकित्सक की गोली मारकर हत्या कर दी। पिछले महीने, पांच किशोरों पर दक्षिण दिल्ली में गिरोह की प्रतिद्वंद्विता के कारण दो लड़कों को चाकू मारने का आरोप है। मई में, डकैती और हत्या के प्रयास के पूर्व आपराधिक मामलों में शामिल चार अन्य नाबालिगों ने कथित तौर पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में एक व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से कई बार चाकू मारा, क्योंकि पीड़ित ने पहले उनमें से एक को धमकी दी थी। क्राइम ब्रांच के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि नाबालिग अब छोटे-मोटे अपराधों तक सीमित नहीं हैं और अब वे बड़े अपराध करने में भी “नियमित” हैं, जिसमें पूर्व नियोजित गोलीबारी भी शामिल है। *प्रमुख अपराध* पुलिस के एक अध्ययन में पाया गया कि जनवरी 2022 से मई 2024 के बीच 259 नाबालिग हत्या, हत्या के प्रयास, बलात्कार, डकैती और जबरन वसूली की घटनाओं में शामिल थे। अकेले 2022 में, 3,002 नाबालिगों के कई अपराधों में शामिल होने की सूचना मिली, जिनमें 152 हत्याएं शामिल हैं। 2021 में, नाबालिगों की संख्या 3,317 थी और हत्याएं 125 थीं। इस साल मई में, उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद इलाके में एक पुराने विवाद को लेकर 35 वर्षीय एक व्यक्ति की कथित तौर पर 23 से अधिक बार चाकू घोंपकर हत्या कर दी गई, जबकि राहगीर और स्थानीय लोग देखते रह गए। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जांच में पता चला है कि पिछले साल जून में 16 साल की उम्र के दो नाबालिगों ने लूट की असफल कोशिश में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में एक कैब ड्राइवर का गला रेत दिया था। दोनों को किशोर न्याय बोर्ड ने दो महीने के लिए सुधार गृह भेज दिया था। उन्हें कुछ ही हफ़्तों में रिहा कर दिया गया और बाद में दिसंबर में हथियार रखने के आरोप में पकड़ा गया। पिछले नवंबर में, जिले में राष्ट्रीय राजधानी में सबसे भयानक किशोर अपराध हुए। सीसीटीवी कैमरे में कैद, एक 17 वर्षीय लड़के को 350 रुपये की लूट के लिए 18 वर्षीय व्यक्ति पर कम से कम 50 बार चाकू से वार करते देखा गया। कथित अपराध के बाद, किशोर को नाचते हुए और हत्या का जश्न मनाते हुए देखा गया। *गैंग वॉर* पुलिस का कहना है कि व्यक्तिगत उद्देश्यों और छोटे-मोटे अपराधों के अलावा, किशोर अपराध में वृद्धि एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गई है जहां कुख्यात गिरोह अब नाबालिगों की “सक्रिय रूप से” भर्ती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भी ऐसे गिरोह हैं जो पूरी तरह से नाबालिगों द्वारा चलाए जा रहे हैं। गैंगवार का एक मामला पिछले महीने सामने आया था, जब दक्षिणी दिल्ली के संगम विहार में 16 वर्षीय लड़के और उसके दोस्त को करीब 17 साल की उम्र के पांच लड़कों ने 13 बार चाकू घोंप दिया था। राकेश पावरिया (पूर्व डीसीपी क्राइम) ने बताया कि आरोपी हरि किशन गैंग (टिगरी में स्थित) के हैं, जिसका सरगना 45 वर्षीय किशन तिहाड़ जेल में बंद है। जांचकर्ताओं का मानना है कि शहर में कई गिरोह "ट्रिगर-फ्रेंडली नाबालिगों" द्वारा चलाए जा रहे हैं, जिन्हें कानून का डर नहीं है। दिल्ली में कम से कम चार गिरोह हैं, जिन्हें छोटे समूहों के अलावा नाबालिगों द्वारा चलाया जा रहा है, जो स्वतंत्र रूप से काम करते हैं। एक बाल परामर्शदाता, ने कहा, “अपराध में लिप्त बच्चे गैंगस्टरों से बहुत प्रेरित होते हैं। अपराध करने वाले अधिकांश किशोर कम आय वाले पृष्ठभूमि से आते हैं। उनके पास शिक्षा तक पहुंच नहीं है और अगर है भी, तो माता-पिता उनके कामों पर ध्यान नहीं देते क्योंकि वे आजीविका कमाने में व्यस्त रहते हैं।” *सक्रिय भर्ती* पिछले महीने, पुलिस ने तेवतिया गिरोह के एक गुर्गे, 20 वर्षीय हनी रावत को गिरफ्तार किया, जिसने कथित तौर पर दक्षिण दिल्ली में एक व्यवसायी के घर के बाहर आधा दर्जन गोलियां चलाईं। डीसीपी (क्राइम) संजय सैन के नेतृत्व में एक टीम ने रावत को गिरफ्तार किया। ऐसे मामलों में, जहाँ बड़े नाम शामिल होते हैं, नाबालिग पैसे या कोई अन्य वित्तीय प्रलोभन नहीं माँगते हैं वे प्रसिद्धि चाहते हैं। शुरुआत में, उन्हें रेकी के लिए ले जाया जाता है। कुछ समय बाद, गैंगस्टर उन्हें डकैती, जबरन वसूली, गोलीबारी और हत्या के लिए सौंप देते हैं।" पुलिस ने बताया कि गिरोह के किशोर इंस्टाग्राम पर नए फोन, बाइक और गैजेट्स का "दिखावा" करना पसंद करते हैं।
नेहरू से जुड़े जो पेपर सोनिया गांधी के पास वो लौटाएं, पीएम मेमोरियल की राहुल गांधी को चिट्ठी
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* प्रधानमंत्री संग्रहालय और लाइब्रेरी ने मांग की है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के निजी पत्र, जो सोनिया गांधी ने लिए थे, उन्हें वापस किया जाए। संग्रहालय ने इसे लेकर राहुल गांधी को चिट्ठी लिखी है। ये पत्र साल 2008 में यूपीए सरकार के कार्यकाल में सोनिया गांधी ने मंगवाए थे। प्रधानमंत्री संग्रहालय के सदस्य रिजवान कादरी की तरफ से राहुल गांधी को 10 दिसंबर को यह पत्र लिखा गया।रिजवान कादरी ने राहुल गांधी से नेहरू से जुड़े दस्तावेजों को लौटाने की गुजारिश की है। नेहरू से जुड़े कुछ जरूरी कागजात सोनिया गांधी के पास हैं जिन्हें उन्होंने 2008 में मंगवा लिया था। ये वे दस्तावेज हैं जो मेमोरियल को दान किए गए थे। इनमें नेहरू के एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन जैसी हस्तियों के साथ हुए पत्राचार हैं। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मेमोरियल के वर्तमान सदस्यों में से एक ने कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर उन महत्वपूर्ण दस्तावेजों को वापस देने में मदद मांगी है। इस पत्र में कादरी ने राहुल गांधी से अपील की कि वे सोनिया गांधी को दिए गए पत्रों, फोटो प्रति और डिजिटल प्रति को वापस करें। इससे पहले संग्रहालय द्वारा सितंबर में भी सोनिया गांधी को भी पत्र लिखा गया था। कादरी ने लेटर लिखकर कहा है कि 2008 में तत्कालीन यूपीए अध्यक्ष ने ‘दान किए गए’ दस्तावेजों का कुछ हिस्सा वापस लेने के लिए अपना प्रतिनिधि भेजा था। राहुल गांधी से सहयोग की मांग करते हुए कादरी ने अपने पत्र में कहा, ‘जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड’ ने 1971 में जवाहरलाल नेहरू के निजी कागजात पीएमएमएल को ट्रांसफर किए थे। ये दस्तावेज भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण दौर की बेहद अमूल्य जानकारी देते हैं। एनएमएमएल सोसायटी (अब प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय, या पीएमएमएल) ने इस साल फरवरी में अपनी पिछली वार्षिक आम बैठक के दौरान इस पर चर्चा की थी। कादरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली पीएमएमएल सोसाइटी के 29 सदस्यों में से एक हैं। पंडित नेहरू के ये निजी पत्र बेहद ऐतिहासिक माने जाते हैं। पहले ये पत्र जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल के पास थे, जिन्हें साल 1971 में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी को दिए गए। अब इसी नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी को प्रधानमंत्री मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के रूप में जाना जाता है। जिन पत्रों की मांग की गई है, उनमें पंडित नेहरू और एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, जयप्रकाश नारायण, पद्मजा नायडू, विजय लक्ष्मी पंडित, अरुणा आसफ अली, बाबू जगजीवन राम और गोविंद वल्लभ पंत आदि महान विभूतियों के बीच हुई बातचीत पर आधारित हैं।