*लखनऊ में आयोजित हुई एसएलक्यूएसी की अहम बैठक, डीडीयूजीयू की कुलपति ने लिया हिस्सा*
लखनऊ- उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय की अध्यक्षता में स्टेट लेवल क्वालिटी एश्योरेंस सेल (SLQAC) की एक महत्वपूर्ण बैठक आज लखनऊ में आयोजित हुई। बैठक का संचालन उच्च शिक्षा के प्रमुख सचिव श्री एम.पी. अग्रवाल ने किया।
दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयूजीयू) की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बैठक में भाग लिया। वह एसएलक्यूएसी की सदस्य बनने वाली उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों की एकमात्र कुलपति हैं। डीडीयूजीयू उत्तर प्रदेश का सबसे उच्च-ग्रेड एनएएसी-मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय है।
एसएलक्यूएसी का उद्देश्य राज्य के शैक्षणिक संस्थानों को राष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों के अनुरूप बनाकर शैक्षणिक उत्कृष्टता और नेतृत्व को बढ़ावा देना है। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश के सरकारी, अनुदानित और स्ववित्तपोषित कॉलेजों को एनएएसी (राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद) और एनआईआरएफ (राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क) जैसे प्रत्यायन और रैंकिंग प्रक्रियाओं में भाग लेने के लिए तैयार करना और प्रोत्साहित करना था।
बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय:
1.क्षेत्रीय गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आरक्यूएसी) की स्थापना: विश्वविद्यालय क्षेत्रीय उच्च शिक्षा कार्यालय (आरएचईओ) के समन्वय से आरक्यूएसी का गठन करेंगे, जो संबद्ध कॉलेजों को प्रत्यायन और रैंकिंग प्रक्रियाओं में मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
2. क्षमता निर्माण कार्यशालाएँ: एनएएसी और एनआईआरएफ प्रत्यायन के लिए कॉलेजों की तैयारी बढ़ाने हेतु नियमित कार्यशालाएँ आयोजित की जाएंगी।
3. प्रत्यायन और रैंकिंग के लिए प्रोत्साहन: प्रत्यायन और रैंकिंग अपनाने वाले कॉलेजों को वित्तीय और अन्य प्रोत्साहन दिए जाएंगे।
4. फैकल्टी के लिए समान अवसर: एनएएसी-प्रत्यायित या एनआईआरएफ-रैंक प्राप्त स्ववित्तपोषित कॉलेजों के प्राध्यापकों को पीएचडी सुपरविजन और परीक्षक जैसे दायित्वों के लिए वही अधिकार मिलेंगे, जो सरकारी और अनुदानित कॉलेजों के प्राध्यापकों को प्राप्त हैं। ऐसे प्राध्यापक राज्य सरकार की अनुसंधान और विकास अनुदान, संगोष्ठी अनुदान और अन्य पहल के लिए पात्र होंगे। एनएएसी-मान्यता प्राप्त और एनआईआरएफ-रैंक वाले सरकारी और अनुदानित कॉलेजों को भी अतिरिक्त लाभ प्रदान किए जाएंगे।
5. अनुदान आवेदन सामर्थ पोर्टल के माध्यम से: राज्य संगोष्ठी अनुदान, अनुसंधान और विकास अनुदान, और संबंधित प्रोत्साहनों के लिए सभी आवेदन सामर्थ पोर्टल के माध्यम से स्वीकार किए जाएंगे।
6. 2027 तक प्रत्यायन अनिवार्य: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 30 जून 2027 तक सभी संस्थानों के लिए एनएएसी/एनआईआरएफ प्रत्यायन को अनिवार्य कर दिया है। यह 12बी दर्जा प्राप्त करने की शर्त है, जो उन्हें पीएम-उषा जैसी केंद्रीय सरकारी योजनाओं के लिए पात्र बनाता है।
प्रो. पूनम टंडन ने इन पहलों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “आज की बैठक में प्रस्तावित उपायों से उत्तर प्रदेश के कॉलेज शैक्षणिक उत्कृष्टता प्राप्त कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनेंगे। इससे न केवल उनकी पहचान बढ़ेगी, बल्कि उन्हें अधिक वित्तीय और सहयोगी अवसर भी मिलेंगे।”
बैठक में राज्य के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए गुणवत्ता आश्वासन और नेतृत्व ढांचे को मजबूत करने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। एसएलक्यूएसी-यूपी का लक्ष्य सरकारी, अनुदानित और स्ववित्तपोषित कॉलेजों और प्राध्यापकों के लिए 100% एनएएसी प्रत्यायन और एनआईआरएफ रैंकिंग प्राप्त करने हेतु वित्तीय प्रोत्साहन और रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करना है।
Dec 14 2024, 18:52