रिजिजू ने बिना नाम लिए राहुल गांधी को जमकर सुनाई खरी-खरी, जानें भारत में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर क्या कहा?

#kirenrijijuattackedrahulgandhibymentioningofminorities

Image 2Image 3Image 4Image 5

लोकसभा में संविधान पर चर्चा का आज दूसरा दिन है। संविधान पर चर्चा के दौरान संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। रिजिजू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा अपनाए गए सिद्धांतों पर गर्व व्यक्त किया और संविधान की भावना के साथ इसके संरेखण पर जोर दिया। अपने संबोधन में रिजिजू ने कहा, मुझे गर्व है कि जब प्रधानमंत्री मोदी का कार्यकाल शुरू हुआ, तो उन्होंने संविधान की उसी भावना का पालन करते हुए अपनी सरकार का मंत्र इस देश के सामने रखा. और वह मंत्र है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास।

यूरोपियन यूनियन में 38 फीसदी लोग भेदभाव का शिकार हुए-रिजिजू

संविधान पर चर्चा के दौरान केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उनपर हमला बोला। किरेन रिजिजू ने संविधान पर चर्चा के दौरान कहा, 'एक सर्वे है, ग्लोबल सर्वे है। हम सबने पढ़ा है। सेंटर फॉर पॉलिसी ऐनालिसिस इन यूरोपियन यूनियन के सर्वे के मुताबिक ईयू में 38 प्रतिशत लोग भेदभाव का शिकार हैं, जिसमें ज्यादातर मुस्लिम हैं। फ्रांस में भेदभाव की कई बाते हैं। बुर्का पर प्रतिबंध को लेकर ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आपत्ति की और भेदभाव बताया। स्पेन में मुसलमानों के खिलाफ आंतरिक घृणा अपराधों की रिपोर्ट इतनी अधिक है, इसका भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है। पाकिस्तान की स्थिति आप जानते हैं, बांग्लादेश में क्या होता है, आप लोग जानते हैं कि अफगानिस्तान में सिखों, हिंदुओं, ईसाइयों के साथ क्या हुआ है।

जब कोई समस्या होती है तो भारत की शरण में आते हैं लोग- रिजिजू

रिजिजू ने आगे कहा, चाहे तिब्बत हो या म्यांमार, श्रीलंका हो या बांग्लादेश, पाकिस्तान हो या अफगानिस्तान, अगर अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार होता है या कोई समस्या आती है, तो सबसे पहले वे भारत आते हैं। भारत सेफ है, इसलिए तो आते हैं। घर-परिवार में भी झगड़े होते हैं। इसको भारत में अल्पसंख्यकों को कोई जगह नहीं दी जा रही है, सिखों को गुरुद्वारा नहीं जाने दिया जा रहा है, मुसलमानों को दरगाह नहीं जाने दिया जा रहा है, ऐसा क्यों कहते हैं। मैं यह कह रहा हूं कि ऐसी बातें नहीं कही जानी चाहिए जिससे देश की छवि को नुकसान पहुंचे, मैं यह किसी एक पार्टी के लिए नहीं कह रहा हूं। मैं यह देश के लिए कह रहा हूं।

दिल्ली आने पर अड़े किसान, रोकने के लिए पुलिस ने छोड़ा वाटर कैनन

#farmers_protest_shambhu_border_delhi_march

Image 2Image 3Image 4Image 5

पंजाब के किसान फरवरी से अपनी मांगों को लेकर शंभू बाॅर्डर पर बैठे हैं। किसान दो बार दिल्ली कूच का प्रयास कर चुके हैं, लेकिन दोनों बार हरियाणा पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया था। आज फिर किसान दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं। किसानों के आगे बढ़ते ही पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। इसके अलावा आंसू गैस के गोले छोड़े गए। पुलिस की कार्रवाई से किसानों में भगदड़ मच गई है। कई किसानों के घायल होने की सूचना है।

शंभू बॉर्डर से आज 101 किसानों का जत्था दिल्ली की ओर दोपहर 12 बजे रवाना हुआ था। किसान इसके पहले भी दो बार दिल्ली कूच की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन दोनों बार हरियाणा पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया था। शंभू बॉर्डर पर पुलिस ने किसानों से कहा-जब तक आप शांतिपूर्वक हो, हम आपसे दोगुना शांतिपूर्वक हैं। अगर आपको दिल्ली जाकर धरना देना है तो आप परमिशन के लिए अप्लाई कर दें और अगर परमिशन मिलती है तो हम आपको खुद वहाँ पर छोड़कर आएंगे।

हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने किसानों के दिल्ली कूच करने पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि किसानों की चर्चा सुप्रीम कोर्ट से चल रही है और सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि किसानों के साथ जो चर्चा चल रही है वह ठीक ट्रैक पर है। उसके लिए हमें थोड़ा समय चाहिए और किसानों को थोड़े समय के लिए अपना आंदोलन स्थगित कर देना चाहिए। विज ने कहा कि मुझे भी लगता है कि किसानों को सुप्रीम कोर्ट की राय मान लेनी चाहिए।

शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए कांग्रेस नेता और पहलवान बजरंग पूनिया सुबह 10 बजे करनाल पहुंचे। उन्होंने किसान को समर्थन देने का एक दिन पहले ही ऐलान कर दिया था। करनाल पहुंचे बजरंग पूनिया ने कहा कि हमें जात-पात से ऊपर उठ कर किसानों का साथ देना चाहिए। क्योंकि किसान देश का अन्नदाता है और हम लोग जो अनाज खाते है। उस अनाज को किसान खेतों में कड़ी मेहनत कर के उगाता है। उन्होंने कहा कि किसान अपनी फसलों का न्यूनतम दाम मांग रहे है। हरियाणा के किसानों को लेकर उन्होंने कहा कि नोएडा व गाजीपुर बॉर्डर पर किसान अपनी मांगों को लेकर बैठे है। हरियाणा सरकार को लेकर कहा कि हर साल 12000 किसान आत्महत्या करते है । क्योंकि कि किसानों को उनकी फसलों का सही दाम नहीं मिल रहा। जितनी उनकी लागत होती है वो भी उनको नहीं मिल रहा है। सरकार को यह आंकड़े देख कर किसानों की मांगों को पूरा करना चाहिए ताकि किसान आज के समय में आत्महत्या करने पर मजबूर न हो।

OpenAI और ChatGPT पर सवाल उठाने वाले सुचिर बालाजी कौन? जिनकी अमेरिका में मौत

#indian_american_suchir_balaji_who_questioned_openai_dies

Image 2Image 3Image 4Image 5

चैटजीपीटी (ChatGPT) डेवलप करने वाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी OpenAI के पूर्व रिसर्चर सुचीर बालाजी को उनके फ्लैट में मृत पाया गया है। OpenAI पर गंभीर सवाल खड़े करने वाले सुचीर बालाजी की मौत सैन फ्रांसिस्को में उनके अपार्टमेंट हुई।शुरुआती रिपोर्ट में सामने आ रहा है कि बालाजी ने आत्महत्या की है। वह अपने फ्लैट में मृत मिले।

सैन फ्रांसिस्को पुलिस विभाग के प्रवक्ता अधिकारी रॉबर्ट रुएका ने बताया कि शुरुआती जांच के दौरान किसी गड़बड़ी का कोई सबूत नहीं मिला है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बालाजी का शव 26 नवंबर को उनके बुकानन स्ट्रीट अपार्टमेंट में मिला। उनके लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, उन्होंने नवंबर 2020 से अगस्त 2024 तक ओपनएआई के लिए काम किया था।

26 साल के सुचिर बालाजी ने OpenAI को लेकर दुनिया को सतर्क किया था। सुचिर ने एआई में योगदान तो दिया ही था साथ ही इस कंपनी में गलत परंपराओं ओर हरकतों को लेकर मजबूत आवाज उठाई थी। दरअसल, सुचिर का कहना था कि ओपनएआई ने चैट जीपीटी बनाने के लिए बिना अनुमति के पत्रकारों, लेखकों, प्रोग्रामरों आदि के कॉपीराइटेड सामग्रियों का इस्तेमाल किया है, जिसका सीधा असर कई बिजनेसों और कारोबारों पर पड़ेगा। माना जा रहा था कि ओपनएआई के खिलाफ चल रहे कानूनी मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

सुचीर बालाजी ने मौत से तीन महीने पहले सार्वजनिक रूप से दावा किया था कि OpenAI ने अमेरिका के कॉपीराइट कानून का उल्लंघन किया है। 23 अक्टूबर को विदेशी मीडिया को एक इंटरव्यू देते समय बालाजी ने यह तर्क दिया था कि OpenAI उन व्यवसायों और उद्यमियों पर नैगेटिव प्रभाव डाल रहा था जिनको चैटजीपीटी को ट्रेन करने के लिए जानकारी हासिल करने के लिए इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने कहा, अगर आप मेरी बातों पर यकीन करते हैं, तो आपको कंपनी छोड़ देनी होगी। साथ ही उन्होंने कहा था, “यह इंटरनेट इकोसिस्टम के लिए एक टिकाऊ मॉडल नहीं है।

लालकृष्ण आडवाणी की तबीयत बिगड़ी, दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती
Image 2Image 3Image 4Image 5
#bjp_leader_lal_krishna_advani_admitted_to_apollo
* बीजेपी के दिग्गज नेता व पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की तबीयत बिगड़ गई है। शनिवार को उन्हें दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। अपोलो सूत्रों के मुताबिक उनकी हालत फिलहाल स्थिर है। थोड़ी देर में मेडिकल बुलेटिन जारी किया जाएगा। *आडवाणी लंबे समय से हैं अस्वस्थ* इससे पहले 04 जुलाई 2024 को भी आडवाणी को अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उससे कुछ दिन पहले आडवाणी को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ले जाया गया था। उन्हें एम्स में एक रात रखने के बाद छुट्टी दे दी गई थी। लालकृष्ण आडवाणी को दिल्ली के एम्स से 27 जून को डिस्चार्ज किया गया था। उन्हें उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के कारण अस्पातल में भर्ती कराया गया था। *97 साल के हो चुके हैं आडवाणी* लालकृष्ण आडवाणी 97 साल के हैं। आडवाणी को बार-बार स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस साल उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पिछले 4-5 महीनों के अंदर वो करीब चौथी बार अस्पताल में भर्ती हुए हैं। *बीजेपी के अब भी सक्रिय सदस्य* 1980 में बीजेपी के गठन के बाद से लाल कृष्ण आडवाणी बीजेपी के एक सांगठनिक नेता के रूप में उभरे। उसके बाद वो उप-प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे। आडवाणी लंबे समय तक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। 22 अक्टूबर 2024 को बीजेपी के तीन नेता विनोद तावड़े, अरुण सिंह और शोभा कंरदलाजे ने 96 साल के आडवाणी को सक्रिय सदस्य बनाया। इसी साल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल कृष्ण आडवाणी को उनके घर जाकर भारत रत्न से सम्मानित किया था। 2015 में आडवाणी को भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
लोकसभा में आज शाम पीएम मोदी का संबोधन, संविधान पर चर्चा का देंगे जवाब

#parliament_winter_session_pm_modi_reply_to_debate_on_constitution

Image 2Image 3Image 4Image 5

देश में संविधान के 75 साल पूरे होने पर संसद में चर्चा हो रही है। संविधान पर चर्चा के दौरान आज पीएम नरेंद्र मोदी लोकसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब देंगे। पीएम मोदी से पहले नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी लोकसभा में बोलेंगे। प्रधानमंत्री का भाषण शाम चार बजे के करीब होगा, जबकि राहुल गांधी का संबोधन करीब दो बजे के आसपास होगा।

लोकसभा में संविधान पर चर्चा का आज दूसरा दिन है। लोकसभा में 13 दिसंबर से दो दिवसीय संविधान पर चर्चा का आयोजन किया जा रहा है। शुक्रवार को इस चर्चा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने अपने-अपने भाषण दिए। राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में संविधान के एतिहासिक महत्व और देश के शासन को आकार देने में इसकी भूमिका पर जोर दिया। वहीं प्रियंका गांधी ने कहा कि ये देश भय से नहीं चल सकता।

राजनाथ सिंह करीब एक घंटे से ज्यादा वक्त तक भाषण दिया था। संविधान पर चर्चा करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि संविधान सिर्फ कानूनी दस्तावेज नहीं है बल्कि यह देश की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। संविधान से हमें सरकार चुनने का अधिकार मिला। संविधान ने हमें प्रजा से नागरिक का दर्जा दिया। संविधान ने हमें मौलिक अधिकार दिए। हमारा संविधान सर्व सक्षम है। संविधान निर्माण से जुड़े महापुरुषों को नमन करता हूं। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला।

राजनाथ सिंह का कांग्रेस पर वार

अपने भाषण में रक्षा मंत्री ने कांग्रेस पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत के संविधान का निर्माण केवल एक विशेष राजनीतिक दल ने नहीं किया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज लोग संविधान की रक्षा की बात कर रहे हैं। लेकिन ये समझने की जरूरत है कि किसने संविधान का सम्मान किया है और किसने अपमान किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में कुल 62 बार संविधान संशोधन किया गया।कांग्रेस ने न केवल संविधान संशोधन किया है बल्कि दुर्भावना के साथ-साथ धीरे-धीरे संविधान को बदलने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू जब देश के पीएम थे,तो उस समय लगभग 17 बार संविधान में बदलाव किया गया। इंदिरा गांधी के समय लगभग 28 बार संविधान में बदलाव किए गए। राजीव गांधी के समय लगभग 10 बार और मनमोहन सिंह के वक्त 7 बार संविधान में बदलाव किया गया।

प्रियंका गांधी ने सत्ता पक्ष पर किया पलटवार

वहीं, लोकसभा में अपने पहले भाषण के दौरान प्रियंका गांधी 32 मिनट तक बोलीं। इस दौरान उन्होंने जातीय जनगणना, अदाणी मुद्दे, देश की एकता जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी। प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का जिक्र करके भी सत्ता पक्ष को घेरा।लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि संविधान हमारे देशवासियों के लिए एक सुरक्षा कवच है। यह न्याय, एकता, और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संरक्षण करता है। लेकिन सत्ताधारी दल ने पिछले 10 वर्षों में इस सुरक्षा कवच को तोड़ने का प्रयास किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए आरक्षण को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। अगर चुनाव के नतीजे कुछ अलग होते, तो शायद संविधान बदलने का काम भी शुरू हो जाता। लेकिन जनता ने इसे रोक दिया।

एक देश-एक चुनाव' बिल सोमवार को लोकसभा में होगा पेश, जानें किन पार्टियों का है समर्थन, पास होने में क्या परेशानी?
Image 2Image 3Image 4Image 5
#onoe_election_bill_table_on_16_december_in_lok_sabha *
* केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सोमवार 16 दिसंबर को लेकसभा में एक देश एक चुनाव बिल 2024 पेश करेंगे। इस बिल को चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में भेजा जाएगा। लोकसभा के चुनाव एकसाथ कराने के लिए पहला संशोधन विधेयक लाया जाएगा। दूसरा विधेयक दिल्ली और जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी में विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए लाया जाएगा। विधेयक में 2034 के बाद एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव है। इस बिल की कॉपी सांसदों को सर्कुलेट कर दी गई है। विपक्ष लगातार एक देश एक चुनाव का विरोध करती आई है। ऐसे में लोकसभा में सोमवार को कार्यवाही हंगामेदार रहने वाली है। सरकार इस बिल को पेश करने के बाद ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी यानी जेपीसी को भी भेजना चाहती है। अगर जेपीसी ने क्लियरेंस दे दी और संसद के दोनों सदनों से ये बिल पास हो गया, तो इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति के साइन करते ही ये बिल कानून बन जाएगा। अगर ऐसा हो गया तो देशभर में 2034 तक एक साथ चुनाव होंगे बिल के जरिए संविधान में 129वां संशोधन और दिल्ली व जम्मू-कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश के कानून में बदलाव किया जाएगा। सरकार इससे जुड़े बिल को संसद में पेश करके संविधान के चार अनुच्छेद में संशोधन का प्रस्ताव करेगी। ये चार अनुच्छेद हैं 82A, 83, 172, 327। संविधान संशोधन विधेयक में एक नया अनुच्छेद 82ए (लोकसभा और सभी विधान सभाओं के लिए एक साथ चुनाव) सम्मिलित करने और अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि), अनुच्छेद 172 (राज्य विधानमंडलों की अवधि) और अनुच्छेद 327 (में संशोधन करने का प्रस्ताव है। सरकार ने एक साथ चुनाव के लिए केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम और एनसीटी सरकार की धारा 5 में संशोधन करने का प्रस्ताव किया है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 17 में भी संशोधन किया जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को 'एक देश, एक चुनाव' विधेयक को मंजूरी दे दी। इससे पहले सितंबर में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'एक देश, एक चुनाव' को लेकर बनी कोविंद समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से एक देश एक चुनाव के समर्थक रहे हैं। प्रधानमंत्री ने 2019 के स्वतंत्रता दिवस पर एक देश एक चुनाव का मुद्दा उठाया था। पीएम मोदी ने सबसे पहले 2019 में 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक देश एक चुनाव के अपने विचार को आगे बढ़ाया था। उन्होंने कहा था कि देश के एकीकरण की प्रक्रिया हमेशा चलती रहनी चाहिए। तब से अब तक कई मौकों पर भाजपा की ओर एक देश एक चुनाव की बात की जाती रही है। 2024 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी प्रधानमंत्री ने इस पर विचार रखा था। भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज पर का नोटिस, जानें क्या है जजों को हटाने की प्रक्रिया
Image 2Image 3Image 4Image 5
#judge_impeachment_process_and_justice_shekhar_yadav_controversy

* इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शेखर यादव के विवादास्पद बयान के लिए उनके खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए राज्यसभा में नोटिस दिया। सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग के लिए राज्यसभा में दिए गए नोटिस पर 55 विपक्षी सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। इनमें कांग्रेस के कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा और दिग्विजय सिंह, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जॉन ब्रटास, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज कुमार झा और तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले शामिल हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के हाल के बयानों को लेकर हाल के दिनों में काफी विवाद देखने को मिला है। कार्यक्रम में 'वक़्फ़ बोर्ड अधिनियम', 'धर्मांतरण-कारण एवं निवारण' और 'समान नागरिक संहिता एक संवैधानिक अनिवार्यता' जैसे विषयों पर अलग-अलग लोगों ने अपनी बात रखी। इस दौरान जस्टिस शेखर यादव ने 'समान नागरिक संहिता एक संवैधानिक अनिवार्यता' विषय पर बोलते हुए कहा कि देश एक है, संविधान एक है तो क़ानून एक क्यों नहीं है? लगभग 34 मिनट की इस स्पीच के दौरान उन्होंने कहा, हिन्दुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यकों के अनुसार ही देश चलेगा। यही कानून है। आप यह भी नहीं कह सकते कि हाई कोर्ट के जज होकर ऐसा बोल रहे हैं। कानून तो भैय्या बहुसंख्यक से ही चलता है। जस्टिस शेखर यादव ने ये भी कहा कि 'कठमुल्ले' देश के लिए घातक हैं। जस्टिस यादव कहते हैं, जो कठमुल्ला हैं, 'शब्द' गलत है लेकिन कहने में गुरेज नहीं है, क्योंकि वो देश के लिए घातक हैं। जनता को बहकाने वाले लोग हैं। देश आगे न बढ़े इस प्रकार के लोग हैं। उनसे सावधान रहने की ज़रूरत है। जस्टिस शेखर यादव की इन्हीं टिप्पणियों पर विवाद हो गया है। उनके विवादित बयान वाले वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया और इलाहाबाद हाई कोर्ट से इस बारे में जानकारी मांगी थी। बढ़ते विवाद के बीच न्यायिक जवाबदेही और सुधार अभियान (सीजेएआर) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को पत्र लिखा जिसमें न्यायमूर्ति शेखर के खिलाफ आंतरिक जांच की मांग की गई। सीजेएआर के संयोजक प्रशांत भूषण ने न्यायमूर्ति पर न्यायिक नैतिकता का उल्लंघन करने और निष्पक्षता और धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। कई अन्य अधिवक्ता संगठनों ने भी न्यायमूर्ति शेखर के खिलाफ आंतरिक जांच और अनुशासनिक कार्रवाई की मांग की। अब इस मामले को विपक्षी सदस्य संसद में उठाने की तैयारी में हैं। विपक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल ने एक याचिका तैयार की है जिस पर 55 सांसदों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। *किस आधार पर किसी जज को हटाया जा सकता है?* संविधान में जजों को हटाने की पूरी प्रक्रिया बताई गई है। संविधान के अनुच्छेद 124(4), (5), 217 और 218 में इन प्रक्रियाओं का ज़िक्र है।संविधान का अनुच्छेद 121 कहता है कि सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के आचरण पर संसद में चर्चा नहीं की जा सकती है। हालांकि, राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किए जाने वाले उस प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है जिसमें किसी जज को हटाने की बात की गई हो। सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय का कोई न्यायाधीश राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा दे सकता है। हालांकि, किसी जज को हटाने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया का पालन करना होगा जिसका जिक्र संविधान के अनुच्छेद 124(4) में है। किसी भी जज को संसद के प्रत्येक सदन द्वारा निर्धारित तरीके से अभिभाषण के बाद पारित राष्ट्रपति के आदेश के अलावा उनके पद से नहीं हटाया जा सकता है। किसी न्यायाधीश को हटाने के लिए याचिका केवल 'सिद्ध कदाचार' या 'अक्षमता' के आधार पर ही राष्ट्रपति को प्रस्तुत की जा सकती है। *क्या होती है महाभियोग की प्रक्रिया? * सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू कराने के लिए राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों की ओर से सदन के पीठासीन अधिकारी के सामने नोटिस के रूप में अनुरोध प्रस्तुत किया जाता है। नोटिस स्वीकार करने के बाद जज पर लगाए गए आरोपों की जांच के संदर्भ में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने के लिए तीन सदस्यी समिति गठित की जाती है। सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ शिकायत के मामले में गठित समिति में सुप्रीम कोर्ट के दो मौजूदा न्यायाधीश और एक न्यायविद, जबकि हाईकोर्ट के जज के मामले में गठित कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के साथ एक न्यायविद को शामिल किया जाता है। महाभियोग प्रस्ताव को पारित कराने के लिए संबंधित सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों की कम से कम दो तिहाई सदस्यों का प्रस्ताव के पक्ष में समर्थन जरूरी है। यदि दोनों सदनों का प्रस्ताव संविधान के तहत है, तो राष्ट्रपति न्यायाधीश को पद से हटाने का आदेश जारी करते हैं। उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के कदाचार या अक्षमता की जांच की प्रक्रिया का उल्लेख न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 में किया गया है।
भारत विरोधी भावनाएं भड़का रहा बीएनपी, बांग्लादेश के लिए “Boycott India” कितना मुश्किल
Image 2Image 3Image 4Image 5
#boycott_india_reason_why_it_is_not_possible_for_bangladesh
* शेख हसीना के तख्तापलट और नई अंतरिम सरकार के गठन के बाद बांग्लादेश ने एक अलग ही राह पकड़ ली है। वो राह जो भारत से दूर करता है। बीते कुछ दिनों से लगातार भारत के खिलाफ मुखर बांग्लादेश अब हदों को पार करता हुआ नजर आ रहा है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ बढ़े अत्याचार के बीच अब राजनीतिक दलों ने बॉयकाट इंडिया का नारा बुलंद करना शुरू कर दिया है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के महासचिव ने अपनी पत्नी का भारतीय साड़ी जलाने के साथ ऐलान किया कि मेड इन इंडिया प्रोडक्ट्स का बायकाट किया जाएगा। बांग्लादेश, भारत से आने वाली किसी भी सामान का बहिष्कार करेगा। हालांकि, ये तकनीकि रूप से असंभव सा है। बांग्लादेश की जैसी भौगोलिक स्थिति है, उसमें भारत के साथ उसके संबंध काफ़ी अहम हो जाते हैं। बांग्लादेश को 'इंडिया लॉक्ड' मुल्क कहा जाता है। दरसअल, बांग्लादेश की 94 प्रतिशत सीमा भारत से लगती है। भारत और बांग्लादेश के बीच 4,367 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है और यह उसकी अंतरराष्ट्रीय सीमा का 94 फ़ीसदी है। यानी बांग्लादेश लगभग चारों तरफ़ से भारत से घिरा हुआ है। ऐसे में बांग्लादेश सुरक्षा और व्यापार के मामले में भारत पर निर्भर है। हाल ही में बीएनपी के महासचिव ने रूहुल कबीर रिजवी ने अपनी पत्नी की भारत से ली हुई साड़ी जलाते हुए भारत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। रिज़वी ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि भारतीय प्रोडक्ट्स का समर्थन करने के बजाय हमें अपनी अर्थव्यवस्था में निवेश करना चाहिए। वहीं उनका ये भी मानना है कि भारतीय प्रोडक्ट्स का बॉयकॉट शांतिपूर्वक लेकिन सबसे ताकतवर जवाब है। रिजवी के मुताबिक चाहे हम (बांग्लादेशी आवाम)दिन में एक ही बार खाना खा पाएं लेकिन उसके बाद भी हम गर्व से खड़े होंगे और आत्मनिर्भर रहेंगे। *किस हद तक निर्भरता?* बीएनपी का ये “बायकाट इंडिया” का आह्वान बड़ा ही हास्यास्पद है।बांग्लादेश चावल, गेहूं, प्याज, लहसुन, चीनी, कॉटन, अनाज, रिफाइंड पेट्रोलियम, इलेक्ट्रिक उपकरण, प्लास्टिक और इस्पात के लिए भारत पर निर्भर है। बांग्लादेश का कपड़ा उद्योग भारत से जाने वाले कच्चे माल पर निर्भर है। अगर भारत से बांग्लादेश का संबंध और बिगड़ता है तो उसका निर्यात प्रभावित होगा। इसका असर जीडीपी पर पड़ेगा और फिर महंगाई के साथ बेरोज़गारी बढ़ेगी। बांग्लादेश के लिए भारत से संबंध खराब होने की कीमत चुकाना आसान नहीं होगा। *एशिया में भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार* बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है और भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। बांग्लादेश एशिया में सबसे ज़्यादा निर्यात भारत में करता है। बांग्लादेश ने वित्त वर्ष 2022-23 में भारत में दो अरब डॉलर का निर्यात किया था। वित्त वर्ष 2022-23 में दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 15.9 अरब डॉलर का था। 2021 में बांग्लादेश में भारत का निर्यात 14 अरब डॉलर का था जो कि 2022 में 13.8 अरब डॉलर था। 2023 में यह घटकर 11.3 अरब डॉलर हो गया। बांग्लादेश में भारत के निर्यात कम होने के पीछे की मुख्य वजह मांगों में आई कमी थी। जानकार बताते हैं कि मांग में ये कमी रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग से सप्लाई चेन में आई बाधा के कारण हुई। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था कोविड महामारी के पहले वाले दौर में अब भी नहीं आ पाई है। इसी बीच शेख़ हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा। भारत के साथ ख़राब होते संबंधों के कारण बांग्लादेश को आर्थिक मोर्चे पर एक और चोट लग सकती है। *पाक-चीन के करीब आ रहा बांग्लादेश* पिछले महीने ही पाकिस्तान का एक मालवाहक पोत कराची से बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित चटगांव बंदरगाह पर पहुँचा था। 1971 में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के बाद से दोनों देशों के बीच यह पहला समुद्री संपर्क हुआ था। इससे पहले दोनों देशों के बीच समुद्री व्यापार सिंगापुर या कोलंबो के जरिए होता था। यह पाकिस्तान के साथ करीबी बढ़ने की ठोस शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। बांग्लादेश में निवेश का चीन सबसे बड़ा स्रोत है। बांग्लादेश चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा है। चीन ने बांग्लादेश में सात अरब डॉलर का निवेश किया है और 2023 में चीन ने बांग्लादेश में 22 अरब डॉलर का निर्यात किया था। *क्या भारत की जगह कोई और ले सकता है?* हालांकि, पिछले डेढ़ दशक में बांग्लादेश ने आर्थिक प्रगति की जो राह पकड़ी थी, वो राह भारत से ख़राब होते संबंधों के कारण अड़चनों से भरती दिख रही है। भारत एक बड़ा मुल्क है। किसी छोटे देश से संबंध बिगड़ता है तो बड़े पर असर कम पड़ता है। पाकिस्तान से पिछले सात सालों से भारत के राजनयिक संबंध नहीं हैं लेकिन इसका असर भारत पर नहीं पड़ा। पाकिस्तान पर ज़रूर पड़ा है। भारत से जो सामान जिस क़ीमत में बांग्लादेश पहुँचता है, उस क़ीमत में कोई भी देश नहीं दे सकता है। भारत से बांग्लादेश सामान जाने में परिवहन का खर्च कम होता है लेकिन वही सामान चीन से आएगा या दूसरे देशों से तो ज़्यादा महंगा हो जाएगा। अगर बांग्लादेश को ये बर्दाश्त है तो ठीक है। बांग्लादेश के लिए भारत जो मायने रखता है, उसकी भरपाई चीन नहीं कर सकता है
बांग्‍लादेश की 271 किलोमीटर सीमा पर इस विद्रोही सेना का कब्जा, जानें पूरा मामला

#myanmar_arakan_army_claims_taking_control_of_border_with_bangladesh

Image 2Image 3Image 4Image 5

भारत पर आंखे तरेर रहे बांग्लादेश की मुसीबत बढ़ने वाली है। म्यांमार में विद्रोही गुट अराकान आर्मी ने बांग्लादेश से सटे शहर माउंगदाव पर कब्जा करने का दावा किया है। माउंगदाव अराकान राज्य का उत्तरी इलाका है। यह बांग्लादेश के कॉक्स बाजार इलाके से सटा हुआ है और 271 किमी लंबी सीमा साझा करता है।म्यांमार में लंबे समय से चल रहे गृह युद्ध में विद्रोही लड़ाकों को बड़ी कामयाबी मिली है और जुंटा शासन की सेना की जबरदस्त हार हुई है। अराकान आर्मी (एए) ने सेना के बेहद मजबूत ठिकाने, बीजीपी5 बैरक पर कब्जा कर लिया है। यह बैरक रखाइन राज्य में बांग्लादेश की सीमा के पास है।

न्यूज एजेंसी एपी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, म्यांमार की सेना से लड़ने वाले सबसे शक्तिशाली जातीय अल्पसंख्यक सशस्त्र समूहों में से एक ने रणनीतिक पश्चिमी शहर मौंगडॉ में अंतिम सेना चौकी पर कब्ज़ा करने का दावा किया है,जिससे बांग्लादेश के साथ 271 किलोमीटर (168 मील) लंबी सीमा पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त हो गया है। अराकान सेना द्वारा कब्ज़ा करने से समूह का रखाइन राज्य के उत्तरी भाग पर नियंत्रण पूरा हो गया है।

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, म्यांमार में 2021 में सेना के सत्ता हथियाने के बाद से ही अराकान आर्मी लड़ रही है और कई इलाकों पर कब्जा कर चुकी है। इस कड़ी में बीजीपी5बेस पर कब्जा अराकान आर्मी की सबसे बड़ी जीत है। इससे सेना की स्थिति काफी कमजोर हो गई है और विद्रोही गुट का प्रभाव बढ़ गया है। बीजीपी5बेस म्यांमार सेना के लिए रखाइन राज्य में आखिरी गढ़ था। एए ने इस बेस पर कई महीनों से घेराबंदी कर रखी थी और भीषण हमले के बाद आखिरकार कब्जा कर लिया। रोहिंग्या बहुल इलाके में बना यह बेस लगभग 20 हेक्टेयर में फैला है।

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक म्यांमार में मिलिट्री सरकार के खिलाफ कई गुट लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने मिलकर एक एलायंस बनाया है जिसमें म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (एमएनडीएए), तांग नेशनल लिबरेशन आर्मी (टीएनएलए) और अराकान आर्मी शामिल हैं।

ये गुट कई सालों से म्यांमार की सरकार के खिलाफ लड़ रहे हैं। पहले इनका मकसद अपने इलाके और समुदाय के हितों की मांग करना था लेकिन अब एलांयस का मकसद म्यांमार की सैन्य सरकार को उखाड़ फेंकना है। साल 2021 में सेना ने म्यांमार में चुनी हुई सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था। इसके बाद स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन मिंट समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था।

सू की फिलहाल राजधानी नेपीता में 27 साल की सजा काट रही हैं। इसके बाद मिलिट्री लीडर जनरल मिन आंग हलिंग ने खुद को देश का प्रधानमंत्री घोषित कर दिया था। सेना ने देश में 2 साल के आपातकाल की घोषणा की थी। हालांकि, बाद में इसे बढ़ा दिया ग

अराकान सेना द्वारा रखाइन राज्य पर कब्ज़ा करने और बांग्लादेश के साथ 270 किलोमीटर लंबी म्यांमार सीमा पर पूर्ण नियंत्रण की खबरों के बीच कॉक्स बाजार में स्थानीय लोग और रोहिंग्या डरे हुए हैं। सुरक्षा चिंताओं के कारण, टेकनाफ उपजिला प्रशासन ने कल नाफ पर यातायात पर प्रतिबंध लगा दिया, जो टेकनाफ और म्यांमार क्षेत्र के बीच बहती है।

लोकसभा में प्रियंका गांधी का पहला भाषण, सत्ता पक्ष पर भड़कीं, जानें क्या कहा

#priyankagandhispeechonconstitutioninlok_sabha

Image 2Image 3Image 4Image 5

लोकसभा में संविधान पर चर्चा जारी है। संविधान पर बहस के दौरान लोकसभा में प्रियंका गांधी वाड्रा ने पहला भाषण दिया। लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान पहली बार बोलते हुए प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। लोकसभा में अपने पहले भाषण के दौरान प्रियंका गांधी 32 मिनट तक बोलीं। इस दौरान उन्होंने जातीय जनगणना, अदाणी मुद्दे, देश की एकता जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी। प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का जिक्र करके भी सत्ता पक्ष को घेरा। संसद में दिए अपने पहले ही भाषण में वाड्रा महफिल लूट ली गईं। विपक्षी सदस्यों ने भाषण के दौरान बार-बार मेजें थपथपाई।

संविधान केवल दस्तावेज नहीं...-प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में कहा कि भारत हजारों साल पुरानी संवाद और चर्चा की परंपरा वाला देश है। हमारी संस्कृति में वाद-विवाद और संवाद की गहरी जड़ें हैं, जो अलग-अलग धर्मों और समाजों में भी दिखाई देती हैं। इसी परंपरा से प्रेरित होकर हमारा स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ, जो अहिंसा और सत्य पर आधारित था। यह आंदोलन लोकतांत्रिक था, जिसमें हर वर्ग ने हिस्सा लिया। इसी संघर्ष से उभरी एक सामूहिक आवाज, जिसने हमारे संविधान का रूप लिया। यह संविधान केवल दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह न्याय, अभिव्यक्ति और आकांक्षाओं का दीपक है।

उन्नाव, हाथरस की घटनाओं का किया उल्लेख

प्रियंका गांधी ने कहा कि इस संविधान ने हर नागरिक को अधिकार दिया कि वो सरकार बना भी सकता है और सरकार बदल भी सकता है। संविधान की जोत ने हर नागरिक को यह विश्वास दिया कि देश बनाने में उसकी भी भागीदारी है। उन्नाव में मैं एक रेप पीड़िता के घर गई, उसे जलाकर मार डाला गया। हम सब के बच्चे हैं, हम सोच सकते हैं कि उस पर क्या बीती होगी। पीड़िता ने अकेले अपनी लड़ाई लड़ी। ये लड़ने की क्षमता और ये हिम्मत उस पीड़िता को और करोड़ों महिलाओं को ये ताकत हमारे संविधान दी। मैं हाथरस गई, वहां अरुण बाल्मिकी एक पुलिस स्टेशन में साफ-सफाई का काम करता था, उसे चोरी के आरोप में पीटा गया, उसकी मौत हुई। उसके परिवार ने कहा हमें न्याय चाहिए और ये ताकत उन्हें हमारे संविधान ने दी।

संविधान रूपी सुरक्षा कवच को तोड़ने का प्रयास किया गया-प्रियंका गांधी

लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि संविधान हमारे देशवासियों के लिए एक सुरक्षा कवच है। यह न्याय, एकता, और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संरक्षण करता है। लेकिन सत्ताधारी दल ने पिछले 10 वर्षों में इस सुरक्षा कवच को तोड़ने का प्रयास किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए आरक्षण को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। अगर चुनाव के नतीजे कुछ अलग होते, तो शायद संविधान बदलने का काम भी शुरू हो जाता। लेकिन जनता ने इसे रोक दिया।

पंडित नेहरू का नाम लेकर सत्ता पक्ष को घेरा

प्रियंका गांधी ने कहा कि 'आज जनता की मांग है कि जाति जनगणना हो। सत्ता पक्ष ने भी इसका जिक्र इसलिए किया ताकि आम चुनाव के ऐसे नतीजे आए। जब चुनाव में पूरे विपक्ष ने जातीय जनगणना की आवाज उठाई तो सत्ता पक्ष ने गंभीरता नहीं दिखाई। संविधान ने आर्थिक न्याय की नींव डाली। भूमि सुधार किया, जिनका नाम लेने से आप झिझकते हैं, उन्होंने (पंडित नेहरू) ही एचएएल, ओएनजीसी, आईआईटी तमाम पीएसयू बनाए। उनका नाम पुस्तकों , भाषणों से मिटाया जा सकता है, लेकिन देश निर्माण में उनकी जो भूमिका रही, उसे कभी नहीं मिटाया जा सकता।

अडानी के नाम पर सरकार को घेरा

वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रिंका गांधी ने कहा कि पहले संसद चलती थी कि लोगों की उम्मीद होती थी कि संसद मुद्दों पर चर्चा करेगी, कोई आर्थिक नीति बनेगी तो उनकी भलाई होगी। आज संसद में बैठे सत्ता पक्ष के लोग अतीत की बात करते हैं, वर्तमान की बात करिए। देश को बताइए आपकी क्या जिम्मेदारी है, आप क्या कर रहे हैं। देश का किसान आज परेशान है। छोटे किसान रो रहे हैं, क्योंकि एक व्यक्ति के लिए सबकुछ बदला जा रहा है। अडानी को सारे कोल्ड स्टोरेज इस सरकार में दिए गए। देश देख रहा है कि एक व्यक्ति को बचाने के लिए 142 करोड़ जनता को नकारा जा रहा है। सारे बिजनेस, सारे संसाधन और सारे मौके एक ही व्यक्ति को सौंपे जा रहे हैं। सारे बंदरगाह, खदाने, एयरपोर्ट्स एक व्यक्ति को दिए जा रहे हैं। जनता के मन में एक विश्वास होता था कि अगर कुछ नहीं है तो संविधान उनकी रक्षा करेगा, लेकिन आज देश में गैर बराबरी बढ़ रही है। अमीर और अमीर हो रहे हैं और गरीब, ज्यादा गरीब हो रहा है।

ईडी-सीबीआई और आईटी की जिक्र

सरकार पर निशाना साधते हुए प्रियंका ने कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए देश की एकता को भी ताक पर रखा जा रहा। इनका कहना है कि देश के अलग-अलग हिस्से हैं, लेकिन संविधान कहता है कि देश एक है और एक ही रहेगा। जहां खुला संवाद और अभिव्यक्ति का कवच होता था, वहां इन्होंने भय का माहौल पैदा किया। इस देश की जनता ने निडर होकर देश की सत्ता को ललकारा, उन्हें चेतावनी दी, उनसे जवाब मांगा। इस देश के घर-घर, गली-मोहल्ले और न्यायपालिका में चर्चाएं कभी बंद नहीं हुईं, लेकिन आज जनता को सच बोलने से डराया-धमकाया जाता है। सभी का मुंह बंद कराया जाता है, किसी पर ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग पर फर्जी मुकदमे लगाए जाते हैं।

देश भय से नहीं चल सकता-प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि यह देश भय से नहीं, साहस और संघर्ष से बना है। इसे बनाने वाले किसान, मजदूर और करोड़ों जनता है। ये देश भय से नहीं चल सकता। भय की भी एक सीमा है, जब उसे इतना दबाया जाता है और उसके पास उठ खड़े होने के सिवाय कोई चारा नहीं होता। ये देश कायरों के हाथों में ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकता। ये देश लड़ेगा, सत्य मांगेगा।