भू-जलस्तर ठंड से भी खिसकने लगा, तीन फीट तक नीचे गया।
हाजीपुर।
इस साल दिसंबर में अधिकतर प्रखंडों में भूजल 15 फीट पर पहुंचा, पिछले साल 12 फीट पर था।
हाजीपुर
इस वर्ष बरसात में कम बारिश का असर भू- जलस्तर पर दिख रहा है। कम बारिश के कारण पोखर-नहर में पानी नहीं भरा, जिसके कारण भू-जलस्तर खिसका है। बरसात के दिनों में पोखर- तालाब-नहरों में पानी भर जाने से भू- जलस्तर (वाटर लेबल) चार्ज हो जाता था।
परन्तु पोखर-तालाब नहरे सुखा है, जिसके कारण आगामी गर्मी के मौसम में भू-जलस्तर ज्यादा खिसकने की संभावना से पानी की किल्लत हो सकती है।
बीते साल दिसम्बर में भू- जलस्तर 10 से 12 फुट नीचे था, लेकिन इस साल दिसम्बर में भू- जलस्तर अधिकांश प्रखंडों में 15.06 फुट नीचे बताया गया है।
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) से मिली जानकारी के अनुसार जिले में भू-जलस्तर (वाटर लेवल) एवरेज 14.04 फुट पर बताया गया है।
जानकारों का कहना है कि वाटर लेवल को बरकार रखने के साधनों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिसके कारण सर्दी के मौसम में भी जिले में भू-जलस्तर खिसक रहा है।
पहले कम बारिश होने पर बरसात के दिनों में गंडक नदी का पानी नहरनुमा नाले से होकर चंवर, पोखर-तालाब व नहरों में पानी भर जाता था, जिससे सालों पर भू-जलस्तर ज्यादा नहीं खिसकता था। लेकिन, जल संचयन के सभी साधन ध्वस्त होने के कगार यर है।
बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि पहले कम बारिश होने पर भी कुंआ, पोखर-तालाब व नहरों में पानी भर जाते थे, लेकिन अब भू-जलस्तर रिचार्ज होने के सारे साधन ध्वस्त हो गए हैं। उदाहरण स्वरुप राधोपुर में बाढ़ आने से कुंआ, पोखर-तालाब समेत गड्डों में पानी भर जाने से भू-जलस्तर रिचार्ज हो जाता है, जिससे राघोपुर में भू- जलस्तर 07.02" फुट पर बरकरार है।
जिले में सूखे के कारण हजारों बोरिंग, जलापूर्ति केन्द्रों से भी भू- जलखोत का दोहन होने से वाटर लेवल खिसकना बताया जाता है। पीएचईडी के मिली जानकारी के अनुसार जिले में भूमिगत वाटर लेवल बीते साल से ढ़ाई से तीन फुट खिसका है। इसके बावजूद अभी पेयजल खपत के अनुरुप आमजनों को मिल रहा है।
3900 नलजल जलापूर्ति से पेयजल आपूर्तिः
पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता अजय कुमार का कहना है कि जिले में निर्बाध रूप से पानी की सप्लाई हो रही है। किसी प्रखंड से जल संकट की शिकायत अभी नहीं है। जिले में 3900 नलजल योजना के जलापूर्ति केन्द्र, 19 पुराने ग्रामीण जलापूर्ति केन्द्र समेत करीब 4000 चापाकल के माध्यम से पेयजल की व्यवस्था है। जिले चापाकल एवं जलापूर्ति केन्द्रों के मेंटेनेंस कार्य के लिए सभी प्रखंडों में दो-दो चलंत मरम्मति दल कार्यरत है।
जिला कंट्रोल रूम कार्यरत पेयजल आपूर्ति को सुचारु बनाए रखने के लिए पीएचईडी कार्यालय में जिला कंट्रोल रुम खुला है जिसका नंबर- 06224-260320 है। कंट्रोल रूम से प्रतिदिन 50 जलापूर्ति केन्द्रों के ऑपरेटर बातचीत जलापूर्ति केन्द्रों की जानकारी लिया जाता है। किसी जलापूर्ति के खराब होने की सूचना पर तुरंत मरम्मत दल को भेजकर मरम्मत कराया जा रहा है।
जलस्तर जांच के सरकारी आंकड़े 30 नवम्बर तक के
भगवानपुर प्रखंड-15.06" फुट, हाजीपुर-15.03 फुट, वैशाली प्रखंड- 15.03" फुट, पटेढ़ी बेलसर-15.03" फुट, बिदुपुर-16.03" फुट, महनार-14.06" फुट, सहदेई बुजुर्ग- 15.05" फुट, देसरी-15 फुट, महुआ-14.03", जंदाहा 16.07" फुट, पातेपुर-15.05" फुट, राजापाकर-14.02" फुट, लालगंज- 15.07" फुट, चेहराकली-15.05" फुट, गोरौल-15.03" फुट एवं राघोपुर प्रखंड में भूजस्तर-07.04" फुट बताया गया है।
दिनों में गंडक नदी का पानी नहरनुमा नाले से होकर चंवर, पोखर-तालाब व नहरों में पानी भर जाता था, जिससे सालों पर भू-जलस्तर ज्यादा नहीं खिसकता था। लेकिन, जल संचयन के सभी साधन ध्वस्त होने के कगार यर है। बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि पहले कम बारिश होने पर भी कुंआ, पोखर-तालाब व नहरों में पानी भर जाते थे, लेकिन अब भू-जलस्तर रिचार्ज होने के सारे साधन ध्वस्त हो गए हैं। उदाहरण स्वरुप राधोपुर में बाढ़ आने से कुंआ, पोखर-तालाब समेत गड्डों में पानी भर जाने से भू-जलस्तर रिचार्ज है, जिससे राघोपुर में भू- जलस्तर 07.02" फुट पर बरकरार है। जिले में सूखे के कारण हजारों बोरिंग, जलापूर्ति केन्द्रों से भी भू- जलखोत का दोहन होने से वाटर लेवल खिसकना बताया जाता है। पीएचईडी के मिली जानकारी के अनुसार जिले में भूमिगत वाटर लेवल बीते साल से ढ़ाई से तीन फुट खिसका है। इसके बावजूद अभी पेयजल खपत के अनुरुम आमजनों को मिल रहा है। 3900 नलजल जलापूर्ति से पेयजल आपूर्तिः पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता अजय कुमार का कहना है कि जिले में निर्बाध रूप से पानी की सप्लाई हो रही है। किसी प्रखंड से जल संकट की शिकायत अभी नहीं है। जिले में 3900 नलजल योजना के जलापूर्ति केन्द्र, 19 पुराने ग्रामीण जलापूर्ति केन्द्र समेत करीब 4000 चापाकल के माध्यम से पेयजल की व्यवस्था है। जिले चापाकल एवं जलापूर्ति केन्द्रों के मेंटेनेंस कार्य के लिए सभी प्रखंडों में दो-दो चलंत मरम्मति दल कार्यरत है।
Dec 14 2024, 10:59