नदीम खान ने एक खास समुदाय के उत्पीड़न की झूठी कहानी बनाई: दिल्ली हाईकोर्ट में पुलिस

दिल्ली पुलिस ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष दावा किया है कि कथित तौर पर दुश्मनी को बढ़ावा देने के मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ता नदीम खान ने "चुनिंदा सूचनाओं के लक्षित प्रसार" के माध्यम से मौजूदा सरकार द्वारा एक खास समुदाय के उत्पीड़न की कहानी गढ़ने की कोशिश की। पुलिस ने कहा कि इस तरह की कार्रवाइयां असंतोष और अशांति को भड़काने के लिए जानबूझकर किए गए प्रयास का संकेत देती हैं, जो सांप्रदायिक सद्भाव और सार्वजनिक व्यवस्था को कमजोर करने की एक बड़ी साजिश है।


पुलिस ने खान की याचिका के जवाब में दायर एक स्थिति रिपोर्ट में आरोप लगाए, जिसमें 30 नवंबर को उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी। अदालत ने खान की याचिका पर स्थिति रिपोर्ट मांगने के लिए पुलिस को नोटिस जारी किया था और जांच में शामिल होने के अधीन, सुनवाई की अगली तारीख तक उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था। पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है, "याचिकाकर्ता ने विशिष्ट अतीत की घटनाओं से संबंधित चुनिंदा और भ्रामक सूचनाओं के लक्षित प्रसार के माध्यम से एक विशेष समुदाय के सदस्यों को मौजूदा सरकार द्वारा व्यवस्थित उत्पीड़न के शिकार के रूप में चित्रित करने की कोशिश की है।"


इसमें कहा गया है कि चुनिंदा चित्रण न केवल तथ्यात्मक रूप से विकृत था, बल्कि समुदाय के भीतर उत्पीड़न और उत्पीड़न की भावनाओं को जगाने के लिए गणना की गई थी। पुलिस ने दावा किया कि उनके द्वारा प्रसारित की गई जानकारी की प्रकृति और सामग्री से ऐतिहासिक और सामाजिक संवेदनशीलता का फायदा उठाने का स्पष्ट इरादा पता चलता है, जिससे धार्मिक समुदायों के बीच दुश्मनी और अविश्वास को बढ़ावा मिलता है। पुलिस ने आरोप लगाया कि खान के आचरण ने सांप्रदायिक सद्भाव पर संभावित प्रभावों के प्रति जानबूझकर उपेक्षा का प्रदर्शन किया। इसमें कहा गया है, "इस तरह की जानकारी प्रसारित करके, याचिकाकर्ता ने इस तरह से काम किया है जो न केवल वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है, बल्कि भारत के संविधान में निहित शांति और एकता के मूलभूत मूल्यों के लिए एक गंभीर खतरा भी पैदा करता है।"


जांच अभी शुरुआती चरण में है और अदालत से याचिकाओं को खारिज करने और उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने का आग्रह किया गया है। पुलिस ने खान और एनजीओ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स की एफआईआर को रद्द करने की याचिका का विरोध किया। वह संगठन के राष्ट्रीय सचिव हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने के बाद उन पर दुश्मनी को बढ़ावा देने और आपराधिक साजिश रचने के कथित अपराधों के लिए मामला दर्ज किया गया था। पुलिस का दावा है कि इससे दुश्मनी भड़क सकती है और कभी भी हिंसा हो सकती है। उनके वकील ने पहले तर्क दिया था कि एफआईआर दुर्भावनापूर्ण थी और इसमें किसी संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं किया गया था और यह बिना किसी आधार के केवल अनुमानों पर आधारित थी।

मामले की सुनवाई 11 दिसंबर को होगी।
बेहद खेदजनक’: उपराष्ट्रपति धनखड़ को हटाने के लिए इंडिया ब्लॉक के प्रस्ताव पर भाजपा

केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता किरेन रिजिजू ने मंगलवार को विपक्षी इंडिया ब्लॉक द्वारा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए नोटिस प्रस्तुत करने के कदम को “बेहद खेदजनक” बताया।

मीडिया को संबोधित करते हुए संसदीय कार्य मंत्री रिजिजू ने उपराष्ट्रपति, जो राज्यसभा के अध्यक्ष भी हैं, की सराहना करते हुए कहा कि वे बेहद पेशेवर और निष्पक्ष हैं।

“विपक्ष ने अध्यक्ष की गरिमा का अनादर किया है, चाहे वह राज्यसभा हो या लोकसभा...कांग्रेस पार्टी और उनके गठबंधन ने अध्यक्ष के निर्देशों का पालन न करके लगातार गलत व्यवहार किया है। उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ जी एक साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं। वे हमेशा संसद के अंदर और बाहर किसानों और लोगों के कल्याण के बारे में बात करते हैं। वे हमारा मार्गदर्शन करते हैं। हम उनका सम्मान करते हैं,” रिजिजू ने एएनआई के हवाले से कहा।

“जो नोटिस दिया गया है - मैं उन 60 सांसदों के कदम की निंदा करता हूं जिन्होंने नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा, "एनडीए के पास बहुमत है और हम सभी को चेयरमैन पर भरोसा है। जिस तरह से वह सदन का मार्गदर्शन करते हैं, उससे हम खुश हैं..."

मंगलवार को विपक्ष के करीब 60 सांसदों ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए नोटिस दिया और आरोप लगाया कि उनके संक्षिप्त कार्यकाल में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां उन्होंने "विपक्ष के सदस्यों के प्रति स्पष्ट रूप से पक्षपातपूर्ण और अनुचित तरीके से काम किया है"। सांसदों ने राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी को सौंपे गए अपने नोटिस में कहा, "जिस तरह से श्री जगदीप धनखड़ राज्यसभा के संसदीय मामलों का संचालन करते हैं, वह बेहद पक्षपातपूर्ण है। यह रिकॉर्ड में दर्ज है कि श्री जगदीप धनखड़ ने विपक्ष के सदस्यों को बोलते समय बार-बार बाधित किया है, विपक्ष के नेताओं को चुप कराने के लिए विशेषाधिकार प्रस्तावों का अनुचित तरीके से इस्तेमाल किया है और सरकार के कार्यों के संबंध में असहमति को बेहद अपमानजनक तरीके से खुलेआम अपमानित किया है।"

यदि प्रस्ताव पेश किया जाता है, तो विपक्ष को इसे पारित कराने के लिए साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है, लेकिन 243 सदस्यीय सदन में उनके पास अपेक्षित संख्या नहीं है।

हालांकि, विपक्षी सदस्यों ने जोर देकर कहा है कि यह कदम "संसदीय लोकतंत्र के लिए लड़ने का एक मजबूत संदेश" है। भारत में किसी भी उपराष्ट्रपति पर महाभियोग नहीं लगाया गया है।
ट्रंप की नई कैबिनेट में एक और भारतवंशी को जगह, हरमीत ढिल्‍लों को दिया ये बेहद अहम पद

#trump_nominated_indo_american_harmeet_dhillon_as_assistant_attorney_general

अमेर‍िका के नव‍निर्वाचित राष्‍ट्रपत‍ि डोनाल्‍ड ट्रंप अपनी नई पारी के लिए लगातार भारतीयों पर जमकर भरोसा जता रहे हैं। एक बार फिर डोनाल्‍ड ट्रंप ने अपनी कैब‍िनेट में एक और भारतवंशी को जगह दी है। अब ट्रंप ने भारतीय मूल की अमेरिकी हरमीत ढिल्लों को न्याय विभाग में नागरिक अधिकारों के लिए सहायक 'अटॉर्नी जनरल' नामित किया है। ढिल्लों जानी-मानी वकील हैं। वह नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए काम करती रही हैं।

ट्रंप अपने सोशल मीडिया एकाउंट ट्रुथ सोशल पर घोषणा की, मुझे अमेरिकी न्याय विभाग में नागरिक अधिकारों के लिए सहायक अटॉर्नी जनरल के रूप में हरमीत के ढिल्लों को नामित करते हुए खुशी हो रही है। हरमीत देश के शीर्ष चुनावी पैरोकारों में से एक हैं, जो यह सुनिश्चित करने के लिए लड़ रही हैं कि सभी और केवल वैध वोट की गिनती की जाए। हरमीत सिख धार्मिक समुदाय की एक सम्मानित सदस्य हैं। न्याय विभाग में अपनी नयी भूमिका में हरमीत हमारे संवैधानिक अधिकारों की रक्षक होंगी और हमारे नागरिक अधिकारों एवं चुनाव कानूनों को निष्पक्ष तथा दृढ़ता से लागू करेंगी।

हरमीत ढिल्‍लों के बारे में

54 साल की ढिल्लों का जन्म चंडीगढ़ में हुआ था। बचपन में ही वह अपने माता-पिता के साथ अमेरिका चली गई थीं। उन्होंने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा नॉर्थ कैरोलिना स्कूल ऑफ साइंस एंड मैथमेटिक्स से हासिल की। इसके बाद उन्होंने डार्टमाउथ कॉलेज से शास्त्रीय साहित्य में बीए की डिग्री और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया से कानून की डिग्री हासिल की। 1993 में ढिल्लों ने पॉल वी. नीमेयर, यूनाइटेड स्टेट्स कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फोर्थ सर्किट में बतौर लॉ क्लर्क काम शुरू किया। 1994 से 1998 तक उन्होंने शियरमैन एंड स्टर्लिंग में एसोसिएट के रूप में काम किया। 1998 से 2002 तक ढिल्‍लों ने सिडली एंड ऑस्टिन और कूली गॉडवर्ड जैसी लॉ फर्मों में एसोसिएट के रूप में काम किया।

फ्रीडम ऑफ स्‍पीच की लड़ाई से बनी पहचान

हरमीत ढिल्लों फ्रीडम ऑफ स्‍पीच की लड़ाई के ल‍िए जानी जाती हैं। फ्री स्पीच सेंसरशिप के लिए आवाज उठाते हुए वे टेक कंपनियों के ख‍िलाफ लंबी जंग लड़ चुकी। अपने पूरे करियर के दौरान हरमीत ने नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए लगातार आवाज उठाई है। इलेक्‍शन की पारदर्शिता की बात हो या फ‍िर कांस्‍टीट्यूशन और नागर‍िक अध‍िकारों की रक्षा वे हमेशा आगे रही हैं।

ट्रंप की टीम में कई भारतीय मूल के

इससे पहले विवेक रामास्वामी, जय भट्टाचार्य, तुलसी गबार्ड और काश पटेल को ट्रंप महत्‍वपूर्ण ज‍िम्‍मेदारी दे चुके हैं। इससे ट्रंप के भारतीयों के करीब होने का संकेत मिलता है। लेकिन हरमीत ढिल्लों की नियुक्‍त‍ि को लेकर भारत में ही सवाल उठने लगे हैं। एक्‍सपर्ट उन्‍हें खाल‍िस्‍तान सपोर्टर बता रहे हैं। उनके पुराने ट्वीट्स की खूब चर्चा में है।

अवैध रूप से रहे बांग्लादेशियों पर कार्रवाई करें, एलजी वीके सक्सेना का आदेश, दो महीना का दिया वक्त
#bangladeshi_infiltrators_leave_delhi_in_2_months_lg_vinai_kumar_saxena_order
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशियों पर एक्शन का आदेश दिया गया है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से जारी लेटर में सख्त कार्रवाई की बात कही गई है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर राजधानी में अवैध रूप से रहे बांग्लादेशियों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। पत्र में एलजी ने साफ तौर पर कहा है कि

राजभवन की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि दो महीने का विशेष अभियान चलाया जाए और अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशियों पर कार्रवाई की जाए। इसमें अवैध रूप से सड़क, पार्क, फुटपाथ आदि में रहने वाले घुसपैठियों पर एक्शन का आदेश दिया गया है।

*उलेमाओं और मुस्लिम नेताओं से मुलाकात के बाद आदेश*
एलजी वीके सक्सेना ने यह कदम हजरत निजामुद्दीन और बस्ती हजरत निजामुद्दीन के उलेमाओं और मुस्लिम नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद उठाया। बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हमलों को लेकर हजरत निज़ामुद्दीन दरगाह क्षेत्र और बस्ती हज़रत निज़ामुद्दीन के उलेमाओं और मुस्लिम नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को एलजी वीके सक्सेना से मुलाकात की, जिसके बाद यह घटनाक्रम सामने आया है। प्रतिनिधिमंडल ने इस मुलाकात में बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों के बारे में गहरी चिंता जताई थी। इसके साथ ही राजधानी में रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।

*उलेमाओं ने की थी ये मांग*
हजरत निजामुद्दीन के उलेमाओं ने एलजी को सौंपे ज्ञापन में मांग की थी कि अवैध रूप से भारत में घुसे बांग्लादेशियों को तत्काल बाहर निकाला जाए। इन्हें न किराए पर घर दिए जाएंऔर न ही किसी प्रतिष्ठान में नौकरी दी जाए, जो लोग पहले से काम कर रहे हैं उन्हें बर्खास्त कर दिया जाए। अगर किसी ने सड़क फुटबात पर कब्जा कर लिया है तो एमसीडी और पुलिस से कहकर उसे हटाया जाए। अगर किसी ने छल से कोई पहचान पत्र हासिल कर दिया है तो उसे निरस्त कर दिया जाए।

*क्या हैं एलजी के आदेश*
दिल्ली में रह रहे अवैध प्रवासी बांग्लादेशी लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उपराज्यपाल ने दिल्ली के मुख्य सचिव और पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया है। दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना की ओर से मुख्य सचिव ने पत्र जारी किया है। इसमें हजरत निजामुद्दीन के उलेमाओं का जिक्र कर कहा गया है कि दो माह के अंदर दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को चिह्नित किया जाए और इस संबंध में आख्या प्रस्तुत की जाए। इस पत्र में ये भी कहा गया है कि जो मुद्दा उठाया गया है वो बेहद गंभीर है। इसलिए हर सप्ताह ही इसकी रिपोर्ट दी जाए।
क्या पाकिस्तान के करीब जा रहा बांग्लादेश, जानें भारत के लिए क्यों है टेंशन की बात?

#bangladesh_inching_closer_to_pakistan

बांग्लादेश लगातार भारत के साथ अपना संबंध खराब कर रहा है। हाल के दिनों में बांग्लादेश ने जिस तरह के फैसले लिए हैं उससे साफ झलक रहा है कि बांग्लादेश भारत से फासले बढ़ा रहा है और पाकिस्तान के नजदीक जा रहा है।कभी भारत ने बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद कराया। 1971 में बांग्लादेश की आज़ादी के लिए भारत ने जंग लड़ी। पूरा बांग्लादेश पाकिस्तान से आज़ादी के लिए लड़ रहा था लेकिन 64 साल बाद फिर से बांग्लादेश पाकिस्तान की चाल में फस रहा है।

ढाका-इस्लामाबाद हो रहें करीब

इसी साल सितंबर में पाकिस्तान ने घोषणा की थी कि बांग्लादेशी बिना किसी वीजा शुल्क के पड़ोसी देश की यात्रा कर सकेंगे। इसके बाद इसके बाद अंतरिम सरकार ने बांग्लादेशी वीजा के लिए आवेदन करने से पहले पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सुरक्षा मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता को हटा दिया है। इसके अलावा दोनों देशों में सीधी उड़ाने फिर से शुरू करने की भी घोषणा की गई है। दोनों देशों के बीच आखिरी सीधी उड़ान 2018 में पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस द्वारा संचालित की गई थी। वीजा छूट से लेकर रक्षा सौदों और समुद्री मार्गों की बहाली तक, ये ऐसे कदम हैं, जो ढाका को इस्लामाबाद के ज्यादा करीब लेकर जा रहे हैं।

2019 में शेख हसीना के शासनकाल में बांग्लादेश ने यह अनिवार्य कर दिया था कि उनके देश आने की इच्छा रखने वाले सभी पाकिस्तानी नागरिकों को बांग्लादेश के सुरक्षा सेवा प्रभाग से 'अनापत्ति' मंजूरी लेनी होगी। हालांकि, अब इसकी आवश्यकता नहीं होगी। 

बांग्लादेश-पाकिस्तान सीधा समुद्री मार्ग

वीजा नियमों में बदलाव दोनों देशों के बीच संबंधों में आई नरमी का एकमात्र संकेत नहीं है। इससे पहले नवंबर में, कराची से एक पाकिस्तानी मालवाहक जहाज बांग्लादेश के दक्षिणपूर्वी चटगांव बंदरगाह पर पहुंचा, जिसने 47 वर्षों के बाद दोनों देशों के बीच सीधे समुद्री संपर्क की फिर से स्थापना को चिह्नित किया। सितंबर में, बांग्लादेश ने पाकिस्तानी सामानों पर आयात प्रतिबंध भी हटा दिए। इससे पहले, पाकिस्तान से आने वाले सभी सामानों को बांग्लादेश आने से पहले दूसरे जहाजों - ज्यादातर श्रीलंका या मलेशिया के बंदरगाहों पर उतारना पड़ता था। इन जहाजों को बांग्लादेशी अधिकारियों द्वारा अनिवार्य जांच की भी आवश्यकता होती थी।

हथियारों का व्यापार

वहीं, शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के ठीक तीन सप्ताह बाद, ढाका ने पाकिस्तान से तोपखाना गोला-बारूद की नई आपूर्ति का ऑर्डर दिया। भारत सरकार के सूत्रों ने द ट्रिब्यून को बताया कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने 40,000 राउंड तोपखाना गोला-बारूद, 2,000 राउंड टैंक गोला-बारूद, 40 टन RDX विस्फोटक और 2,900 उच्च-तीव्रता वाले प्रोजेक्टाइल मंगाए थे। सूत्रों ने कहा कि हालांकि यह गोला-बारूद का पहला ऐसा ऑर्डर नहीं था, लेकिन संख्या सामान्य से कहीं ज़्यादा थी। उदाहरण के लिए, 2023 में, ढाका ने 12,000 राउंड गोला-बारूद का ऑर्डर दिया था।

'बॉयकॉट इंडिया' कैंपेन शुरू

बांग्लादेश में लगातार चल रही हिंदू विरोधी हिंसा और मंदिरों में तोड़फोड़ के बीच वहां 'बॉयकॉट इंडिया' कैंपेन भी शुरू हुआ है। बीएनपी के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रूहुल कबीर रिजवी ने ढाका में अपने कार्यकर्ताओं के साथ भारत विरोधी प्रदर्शन किया था। इसमें रिजवी ने अपनी पत्नी की भारत से खरीदी गईं साड़ियों को जलाते हुए 'बॉयकॉट इंडिया' कैंपेन शुरू किया था। रिजवी ने भारतीय प्रॉडक्ट्स के बहिष्कार की अपील की थी। रिजवी ने कहा,'हम एक समय खाना नहीं खाएंगे, लेकिन भारत के सामने नहीं झुकेंगे। हमारी माताएं-बहनें भारतीय साड़ियां नहीं पहनेंगी और वहां के साबुन-टूथपेस्ट नहीं इस्तेमाल करेंगी। बांग्लादेश आत्मनिर्भर है। हम अपनी आवश्यकता के सारे सामान का उत्पादन कर सकते हैं। भारत से आने वाली चीजों को मत खरीदिए, जो बांग्लादेशी संप्रभुता को कमजोर करने की कोशिश कर रहा

मोहम्मद यूनुस का एक और भारत विरोधी कदम, अब यूरोपीय देशों से बांग्लादेशी वीजा सेंटर दिल्ली से हटाने की मांग
#bangladesh_muhammad_yunus_european_union_ambassadors_visa_centers_shifted_from_delhi
* बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की खबरों के बीच वहां की अंतरिम सरकार लगातार भारत विरोधी रूख अपनाए हुए है। ताजा घटनाक्रम में अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद यूनुस ने यूरोपीय देशों से आग्रह किया है कि वे बांग्लादेशियों के लिए अपने वीजा केंद्रों को दिल्ली से हटाकर ढाका या किसी अन्य पड़ोसी देश में स्थापित करें। सोमवार को ढाका में यूरोपीय संघ के देशों के राजनयिकों के साथ बैठक में यह आह्वान किया.। बांग्लादेश में नियुक्त यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख माइकल मिलर ने दोपहर 12 बजे राजधानी के तेजगांव स्थित मुख्य सलाहकार के कार्यालय में मोहम्मद यूनुस के साथ बैठक की। इस बैठक में 19 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल शामिल हुए। इस दौरान यूनुस ने भारत के "वीजा प्रतिबंधों" को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, "बांग्लादेशियों के लिए वीजा पर भारत के प्रतिबंधों ने कई छात्रों के लिए अनिश्चितता पैदा कर दी है, जो यूरोपीय वीजा के लिए दिल्ली की यात्रा नहीं कर सकते हैं।" मोहम्मद यूनुस ने आरोप लगाया कि इसके परिणामस्वरूप यूरोपीय विश्वविद्यालय प्रतिभाशाली बांग्लादेशी छात्रों से वंचित रह रहे हैं। यूनुस ने कहा कि कई छात्र दिल्ली जाकर यूरोपीय वीजा पाने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि भारत ने बांग्लादेशियों के लिए वीजा प्रतिबंधित कर दिया है। परिणामस्वरूप, उनके शैक्षिक करियर को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है। उन्होंने राजनयिकों से कहा, "वीजा कार्यालयों को ढाका या किसी नजदीकी देश में स्थानांतरित करने से बांग्लादेश और यूरोपीय संघ दोनों को लाभ होगा।" ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, ढाका के अधिकारियों ने बुल्गारिया का उदाहरण भी दिया, जिसने बांग्लादेशियों के लिए अपने वीजा केंद्र को पहले ही इंडोनेशिया और वियतनाम में ट्रांसफर कर दिया है। राजनयिकों ने कहा कि वे ढाका की सुधार पहल का समर्थन करते हैं और नये बांग्लादेश के निर्माण में सलाह और सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता का वादा करते हैं। इस बीच, बांग्लादेश ने सोमवार को कहा कि भारत ने बांग्लादेशी नागरिकों के लिए वीजा बढ़ाने के लिए कदम उठाने का वादा किया है। यह बयान मुख्य सलाहकार डॉ. मुहम्मद यूनुस की भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री से मुलाकात के ठीक बाद आया है। पर्यावरण सलाहकार सईदा रिजवाना हसन ने संवाददाताओं से कहा कि मिस्री ने बांग्लादेशी पक्ष से वादा किया है कि वह कदम उठाएंगे। मौजूदा समय में भारत बांग्लादेशियों को सीमित वीजा दे रहा है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, वे चिकित्सा और अन्य जरूरी कारणों से सीमित वीजा दे रहे हैं।
क्या राज्यसभा के सभापति को हटा सकते हैं विपक्षी दल, जानिए क्या है उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया?*
#can_opposition_parties_really_remove_vice_president_jagdeep_dhankhar

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने आज राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया है। इस अविश्वास प्रस्ताव में कुल 71 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। इन सबके बीच दिलचस्प बात यह है कि इंडिया गठबंधन का हिस्सा कहे जाने वाली टीएमसी ने सदन से वॉकआउट कर दिया है। ममता बनर्जी की पार्टी की तरफ से इसपर कोई भी फैसला नहीं लिया गया है।अब बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या विपक्ष के इस प्रस्ताव के बाद उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकेगा? बता दें कि बेशक कांग्रेस और अन्य दल अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हों, लेकिन उन्हें पद से हटाना इतना आसान नहीं होगा।दरअसल, उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। उन्हें हटाने के लिए राज्यसभा में बहुमत से प्रस्ताव पारित कराना होगा। इस प्रस्ताव को लोकसभा में भी पारित कराना होगा। यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 67(बी), 92 और 100 का पालन करती है। *उपराष्ट्रपति को कैसे हटाया जा सकता है?* इस प्रस्ताव के लिए संविधान के अनुच्छेद 67(B) के तहत 14 दिन का नोटिस देना होता है। प्रस्ताव पास होने के लिए राज्यसभा और लोकसभा दोनों में बहुमत चाहिए,जो विपक्ष के लिए मुश्किल है। कांग्रेस और अन्य दलों को लगता है कि इस प्रस्ताव से इंडिया गठबंधन को एकजुट करने में मदद मिलेगी,जो अभी दोनों सदनों में बंटा हुआ है।दोनों सदनों की बात करें तो विपक्ष के पास जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है। लोकसभा में उसके पास 543 सीटों में 236 सीटे हैं और राज्यसभा में 231 में केवल 85 सीट हैं। बहुमत 272 पर है। इंडिया गठबंधन अपने साथ 14 दूसरे सदस्यों को भी लाए तब भी इस प्रस्ताव को पास करा पाना मुश्किल होगा *क्या है अनुच्छेद 67(बी)?* भारतीय संविधान का अनुच्छेद 67(बी) के अनुसार, उपराष्ट्रपति को तभी हटाया जा सकता है, जब राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद उसे 50 प्रतिशत सदस्यों द्वारा पारित किया गया है। इसके बाद लोकसभा भी उस प्रस्ताव पर सहमत हो। हालांकि, इसके बाद भी इसके लिए 14 दिन का नोटिस देना होता है। अनुच्छेद 67 में लिखा है कि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल का होता है। उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को एक लेटर लिख उस पर दस्तखत कर अपना पद त्याग सकता है। अगर उसके पद की अवधि खत्म भी हो गई है, तो उसके उत्ताधिकारी के पद ग्रहण करने तक वह उस पद पर बना रहेगा। *उपराष्ट्रपति से क्यों नाराज विपक्ष?* उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव लाने के पीछे विपक्ष का सबसे बड़ा तर्क है कि वह राज्यसक्षा में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं। ऐसे आरोप उनके खिलाफ पिछले कुछ समय लगातार लगते रहे हैं। जॉर्ज सोरोस से जुड़े मुद्दे पर उनकी भूमिका से समूचा विपक्ष बुरी तरह नाराज है, इसने उन्हें फिर एकजुट कर दिया है। सोरोस मुद्दे पर राज्यसभा में बुरी तरह हंगामा हुआ। इस साल अगस्त में भी विपक्ष उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी कर चुका था। तब उनके खिलाफ आरोप था कि उनके इशारे पर नेता विपक्ष का माइक्रोफोन बार-बार बंद कर दिया जाता है। संसदीय नियम-कायदों का पालन नहीं किया जाता। विपक्षी सांसदों पर व्यक्ति टिप्पणी की जा रही है। विपक्षी नेताओं का ये भी कहना है कि वो हेडमास्टर की तरह बर्ताव करते हैं। मनमाने तरीके से सदन को चलाते हैं। उनके संचालन का तरीका पक्षपातपूर्ण लगता है।
पूरा हुआ ड्रैगन का ड्रीम प्रोजेक्ट, पाकिस्तान में इंटरनेशनल ग्वादर एयरपोर्ट बनकर तैयार
#gwadar_international_airport_to_start_operations
* पाकिस्तान में चीन की मदद से तैयार 'इंटरनेशनल ग्वादर एयरपोर्ट' का ऑपरेशन जल्द शुरू हो होने वाला है। पाकिस्तान में इंटरनेशनल ग्वादर एयरपोर्ट बनतक तैयार है और जल्द ही ऑपरेशन भी शुरू होने वाला है।इस प्रोजेक्ट को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे सीपीईसी के तहत विकसित किया गया है, जो चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने 'पाकिस्तान एयरपोर्ट अथॉरिटी' (पीएए) के कार्यवाहक महानिदेशक एयर वाइस मार्शल जीशान सईद ने कहा, न्यू ग्वादर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा दिसंबर के अंत तक परिचालन शुरू करने के लिए तैयार है।एयरपोर्ट दौरे के दौरान सईद को एयरपोर्ट की अत्याधुनिक सुविधाओं और इसके परिचालने से भविष्य में होने वाले व्यापार और निवेश की जानकारी दी गई। *पाकिस्तान का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा ग्वादर* असल में ग्वादर एयरपोर्ट को 4एफ-ग्रेड का दर्जा दिया गया है, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े और आधुनिक विमानों को संभालने में सक्षम बनाता है। 3,658 मीटर लंबे और 75 मीटर चौड़े रनवे के साथ, यह एयरपोर्ट इंजीनियरिंग का बेंचमार्क स्थापित करता है। एयरपोर्ट पर वाइड-बॉडी विमानों के लिए पांच स्लॉट, विशाल एप्रन, और विशेष कार्गो शेड जैसी सुविधाएं हैं, जो इसे व्यापार और निवेश के लिए आकर्षक बनाती हैं। *ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में स्थापित होगा* इस एयरपोर्ट में वाइड-बॉडी विमानों के लिए पांच स्लॉट के साथ एक विशाल एप्रन है। इसके अलावा एक डेडिकेटेड कार्गो शेड और भविष्य के विस्तार के साथ बड़े कार्गो संचालन की योजना है। यह एयरपोर्ट क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ाएगा और ग्वादर को 'चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे' (सीपीईसी) से जुड़े एक ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में स्थापित करेगा। *चीन इन देशों में भी बना चुका है एयरपोर्ट्स* चीन और पाकिस्तान के बीच 2015 में ग्वादर एयरपोर्ट को लेकर डील हुई थी। साल 2019 इस पर काम शुरू हुआ। चीन इस एयरपोर्ट को बनाने के लिए 246 मिलियन डॉलर (लगभग 2000 करोड़ भारतीय रुपए) खर्च कर चुका है। ग्वादर एयरपोर्ट करीब 4 हजार एकड़ में फैला है। इस पर केवल एक रनवे होगा। इसका इस्तेमाल घरेलू और इंटरनेशनल उड़ानों के लिए हुआ है। यहां अमेरिका के एयरबस जैसे बड़े विमानों को भी उतारा जा सकता है। चीन, पाकिस्तान के अलावा नेपाल, कंबोडिया, जिम्बाब्वे और श्रीलंका में भी एयरपोर्ट्स बना चुका है।
दिल्ली चुनाव में एआईएमआईएम की एंट्री, ओवैसी ने दिल्ली दंगों के आरोपी को दिया टिकट
#delhi_chuna_2025_owaisi_gave_ticket_to_accused_of_delhi_riot_tahir_hussain
दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले ही सियासी बिसातें बिछने लगीं हैं। चुनाव आयोग की ओर से दिल्ली विधानसभा चुनाव तारीखों की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) धुआंधार तरीके से अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर रही है। इसी क्रम में दिल्ली विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की भी एंट्री हो गई है। एआईएमआईएम ने भी अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। पार्टी ने दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन को मुस्तफाबाद से टिकट दिया गया है। असदुद्दीन ओवैसी ने ताहिर हुसैन की उम्मीदवारी की औपचारिक रूप से ऐलान किया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, एमसीडी पार्षद ताहिर हुसैन एआईएमआईएम में शामिल हुए। वह आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र से हमारे उम्मीदवार होंगे। उनके परिवार के सदस्यों और समर्थकों ने आज मुझसे मुलाकात की और पार्टी में शामिल हुए। *बीजेपी हमलावर* ओवैसी की पार्टी ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को चुनावी मैदान में उतारा है। जिसके बाद बीजेपी हमलावर है। ओवैसी के इस फैसले पर बीजेपी ने निशाना साधा है और भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने कहा है कि ऐसे जिहादी को चुनाव मैदान में उतारकर दिल्ली के हिंदुओं को चुनौती देने की कोशिश की जा रही हैं। *“जिहादी को चुनाव मैदान में उतारकर...”* बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने असदुद्दीन ओवैसी पर निशाना साधा है। उन्होंने एक्स पर लिखा, 'जिस ताहिर हुसैन ने दिल्ली में सैकड़ो हिंदुओं की हत्या की साजिश रची थी। जिसके घर से हिंदुओं को मारने के लिए बम, पत्थर, गुलेल रखे थे। जिसने IB ऑफिसर अंकित शर्मा की हत्या 400 बार चाकुओं से गोद कर शव नाले में फेंक दिया था। ऐसे जिहादी को चुनाव मैदान में उतारकर दिल्ली के हिंदुओं को चुनौती देने की कोशिश की जा रही हैं। अगर दिल्ली में दुबारा दंगे करवाने की कोशिश की गई तो अंजाम तुम्हारी सात पीढ़ियां याद रखेंगी। *आप का हिस्सा रह चुके हैं ताहिर हुसैन* ताहिर हुसैन आम आदमी पार्टी का हिस्‍सा रहे हैं। फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों में उनका नाम सामने आने के बाद उन्‍हें आरोपी बनाया गया। वह आम आदमी पार्टी से निगम पार्षद रह चुके हैं। लेकिन दंगों में नाम आने के बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था। कुछ दिनों पहले ही ताहिर हुसैन को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत मिली थी, जिसके बाद उनके फिर से राजनीति में सक्रिय होने की चर्चा हो रही थी। अब ओवैसी की पार्टी ने उन्‍हें अपना उम्‍मीदवार बनाया है। ताहिर हुसैन के चुनाव मैदान में उतरने से आम आदमी पार्टी की मुश्किल बढ़ सकती हैं। *अभी जेल में बंद हैं ताहिर हुसैन* दिल्ली की एक कोर्ट ने इस साल मई में 2020 के दिल्ली दंगों के एक मामले में पार्षद ताहिर हुसैन को जमानत दे दी थी और कहा था कि उनकी भूमिका 'दूरस्थ प्रकृति की' थी और वह पहले ही तीन साल से अधिक समय हिरासत में बिता चुके हैं। हालांकि, जमानत मिलने के बाद भी ताहिर हुसैन जेल में बंद हैं, क्योंकि वह दंगों के अन्य मामलों में भी आरोपी हैं, जिसमें सांप्रदायिक दंगे के पीछे साजिश और वित्तपोषण से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग का मामला शामिल है।
अखिलेश-उद्धव के बाद लालू ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन, कहा- विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व ममता बनर्जी करें
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* हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में करारी हार के बाद इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लुसिव एलायंस 'इंडिया' गठबंधन में नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं। दो राज्य में मिली पराजय का ठीकरा राहुल गांधी पर फोड़ा जा रहा है। जिसके बाद अब इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगी इसको लेकर सहयोगी दलों के बीच आपसी राय बनते हुए दिखाई दे रही है। इसी बीच लालू प्रसाद यादव का बयान चर्चा में है। लालू यादव चाहते हैं कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गठबंधन के नेतृत्व करें। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने भी कह दिया है कि ममता के हाथों में नेतृत्व सौंप देना चाहिए।लालू यादव ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन का नेतृत्व ममता बनर्जी को दे देना चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि कांग्रेस को इस पर ऐतराज नहीं होगा? तो लालू यादव ने कहा कि कांग्रेस की आपत्ति का कोई मतलब नहीं है। *ममता बनर्जी के नाम पर सियासत तेज* बता दें, बीते दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीते दिनों एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू इंडिया गठबंधन को लीड करने का दावा किया था। ममता बनर्जी ने महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव के परिणाम पर चर्चा करते हुए कहा था कि अगर उन्हें मौका मिलता है तो वह इंडिया गठबंधन को लीड करते हुए बेहतर करने का काम करेंगी। उनके इसी बयान के बाद से देशभर की सियासत में ममता बनर्जी के नाम पर सियासत तेज हो गयी है। *ममता बनर्जी ने क्या कहा?* शुक्रवार को उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा,'मैंने इंडिया ब्लॉक का गठन किया था, अब इसे संभालने का काम मोर्चे का नेतृत्व करने वालों पर है. अगर वे इसे नहीं चला सकते तो मैं क्या कर सकती हूं? मैं बस इतना कहूंगी कि सभी को साथ लेकर चलना होगा.' यह पूछे जाने पर कि वह एक मजबूत भाजपा विरोधी ताकत के रूप में अपनी साख को देखते हुए ब्लॉक की कमान क्यों नहीं संभाल रही हैं, बनर्जी ने कहा,'अगर मौका मिला तो मैं इसके सुचारू संचालन को सुनिश्चित करूंगी. मैं पश्चिम बंगाल से बाहर नहीं जाना चाहती, लेकिन मैं इसे यहीं से चला सकती हूं.' *लालू यादव के बयान के बड़े मायने* लालू प्रसाद यादव के इस बयान के बड़े मायने हैं। दरअसल, बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। यहां कांग्रेस उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन में है। महागठबंधन में राजद के बाद कांग्रेस ही सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस हर चुनाव में राजद पर दबाव बनाती है और पिछले चुनाव में भी ऐसा दिख रहा था। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह दो साल पूरे कर चुके हैं। इन दो वर्षों में उन्होंने कभी भी तेजस्वी यादव को ठीक से स्वीकार नहीं किया। जब महागठबंधन सरकार थी तो इस तनातनी के बीच वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कांग्रेस के लिए दो और मंत्री पद मांगते रह गए। सीएम तब तत्कालीन डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के पाले में गेंद फेंकते रहे। जब तक अखिलेश सिंह ने तेजस्वी से पटरी बैठाई, सरकार ही बदल गई। पुरानी बातें याद दिलाने की वजह यही कि कांग्रेस की दबाव की राजनीति को अभी ही लालू प्रसाद यादव नियंत्रित कर देना चाहते हैं।