क्या राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार का “पावर” खत्म हो गया है?
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हाल ही में संपन्न महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति ने झप्पर-फाड़ सफलता हासिल की। वहीं उद्धव ठाकरे की शिवसेना, कांग्रेस और शरद पवार एनसीपी के महाविकास अघाड़ी के लिए ये नतीजे किसी बुरे सपने की तरह आए। महाराष्ट्र चुनाव के ये नतीजे अगर किसी को सबसे अधिक निराश करने वाले हैं, तो वो हैं शरद पवार। दरअसल पवार कई बार कह चुके हैं कि 2026 में उनका राज्य सभा सदस्य का कार्यकाल खत्म होने के बाद वो सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेंगे। राजनीति की अपनी इस अंतिम पारी में इतने निराशाजनक प्रदर्शन की उम्मीद तो शायद शरद पवार को भी नहीं रही होगी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या शरद पवार का 'करिश्मा' ख़त्म हो गया?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान सोशल मीडिया पर एक वाक्य धूम मचा रहा था. वो था कि 'जहाँ बूढ़ा आदमी चल रहा है, वहाँ अच्छा हो रहा है।' शरद पवार के गुट के उम्मीदवार यह सोच रहे थे कि वो अपने प्रमुख नेता के 'जादू' से विधानसभा पहुँच जाएंगे। यही कारण था कि जहां एनसीपी (एसपी) के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे, वहां शरद पवार की रैलियों की ख़ूब मांग थी। 84 वर्षीय शरद पवार ने भी इस मांग के मद्देनज़र राज्य भर में 69 सार्वजनिक बैठकें कीं। वो समय-समय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए अपना राजनीतिक रुख़ बताते रहे। और उन्होंने लोगों को अपने पक्ष में करने का प्रयास भी किया। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी शरद पवार को 86 में से सिर्फ 10 सीटें ही मिलीं।
एक समय था जब शरद पवार के पास मजबूत जनाधार हुआ करता था लेकिन इस चुनाव के नतीजों ने पवार के राजनीतिक जीवन के ग्राफ को काफी नीचे की ओर धकेल दिया है। ऐसे में ये लगने लगा है कि एक तरफ उम्र भी उनका साथ नहीं दे रही और दूसरी ओर सियासी समीकरण भी उनके पाले में नहीं हैं। शरद पवार इतना मजबूर हो जाएंगे, ये महाराष्ट्र कि सियासी पंडितों के लिए वाकई चौंकाने वाली बात है। शरद पवार हमेशा से जमीनी नेता रहे लेकिन वर्तमान राजनीतिक गोटियां उनके हाथ से लगातार फिसल रही हैं।
लोकसभा चुनाव में पवार की एनसीपी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था। लेकिन पांच महीने बाद ही हुए विधानसभा चुनाव में एनसीपी की लुटिया डूब गई। महाराष्ट्र के इन नतीजों ने पवार की पार्टी के भविष्य पर भी सवाल उठा दिए हैं। कुछ महीने पहले बारामती लोकसभा से जीत हासिल करने वाले शरद पवार को बारामती विधानसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल पाई। इसलिए एक बार फिर से शरद पवार के राजनीतिक प्रभाव पर सवाल खड़े हो गए हैं। सबसे बड़ा सवाल यही पूछा जा रहा है कि क्या शरद पवार एक बार फिर राजनीति में खड़े हो पाएंगे? साथ ही ये भी कि शरद पवार और उनकी पार्टी का भविष्य क्या होगा?
हालांकि, ऐसा नहीं है कि पवार को लगा यह पहला झटका है। इससे पहले उन्हें एक ऐसा ही झटका उस समय लगा था जब उनके भतीजे अजित पवार ने कुछ विधायकों के साथ मिलकर एनसीपी में बगावत कर शिवसेना और बीजेपी की सरकार को समर्थन दे दिया था। उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। यह पवार को लगा बहुत बड़ा झटका था। अजित पवार ने अपने चाचा से पार्टी और पार्टी का चुनाव निशान भी हथिया लिया था।
इस बार भी चुनाव परिणाम के बाद उठ रहे सवालों का शरद पवार खुद जवाब दे चुके हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद शरद पवार ने कहा इस नतीजे के बाद कोई भी घर बैठ गया होगा। लेकिन मैं घर पर नहीं बैठूंगा। हमने नहीं सोचा था कि हमारी युवा पीढ़ी को ये परिणाम मिलेगा। उनका आत्मविश्वास बढ़ना चाहिए। उन्हें फिर से खड़ा करना, उनका आत्मविश्वास बढ़ाना, नए जोश के साथ एक उत्पादक पीढ़ी तैयार करना मेरा कार्यक्रम होगा।
Dec 09 2024, 20:03