*बिना पंजीकरण के चल रहे क्लीनिक और अस्पताल, विभाग है अंजान* *कार्रवाई होने के बाद कई ऐसे मिले जो नाम बदलकर कर रहे संचालन*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में बिना पंजीकरण के अस्पताल, क्लीनिक और लैब संचालित हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग इसको लेकर अनभिज्ञ बना है। शिकायत पर कुछ क्लीनिक व लैब पर कार्रवाई तो की जाती है, लेकिन विभागीय स्तर से इसकी जांच नहीं की जाती है।जिले में कही मेडिकल के नाम पर क्लीनिक, तो कही बिना पंजीकरण के अस्पताल संचालित हो रहे हैं। कई ऐसे भी हैं जो कार्रवाई होने के बाद नाम बदलकर लैब क्लीनिक और अस्पताल का संचालन कर रहे हैं। जिम्मेदार अनजान बने हैं। जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है।जिले में करीब डेढ़ सप्ताह पहले बड़वापुर गांव में झोलाछाप की लापरवाही से व्यक्ति की मौत हो गई थी। जांच में पता चला कि अस्पताल का कोई पंजीकरण नहीं था और न ही चिकित्सक के पास कोई डिग्री। युवक की मौत के बाद झोलाछाप पर मुकदमा तो दर्ज कर लिया गया, लेकिन विभागीय कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े हो गए। जिले में करीब 141 अस्पताल, 60 से 65 लैब और करीब 100 क्लीनिक पंजीकृत हैं। वहीं सैकड़ों क्लीनिक व लैब बिना पंजीकरण के चल रहे हैं। बड़वापुर में युवक की मौत के बाद विभाग ने एक ही गांव में चार ऐसे क्लिनिक संचालकों पर मुकदमा कराया। जिनके पास न तो अस्पताल का लाइसेंस था और न ही चिकित्सक की डिग्री। विभागीय कार्रवाई के बाद इस तरह के संचालकों में खलबली मची है। *यहां साहब की पड़े नजर, तो खुलेंगे कई राज* ज्ञानपुर। माधोसिंह, जयरामपुर, तिलोरपुर नहरा, घोसिया, खमरियां, औराई, माधोसिंह स्टेशन रोड, कठोरा, महराजगंज बाजार, उगापुर, कुरौना बाजार, महुआ, अभोली, दुर्गागंज, गोपीगंज, भदोही, असनाव, सुरियावां, चौरी, जंगीगंज आदि स्थानों पर संचालित अस्पताल, क्लीनिक, लैब, मेडिकल स्टोर की जांच की जाए तो हकीकत सामने आएगी। तिलोरपुर नहर पर संविदाकर्मी के इसारे पर क्लीनिक संचालित है। यहां विभागीय अधिकारी जल्द जांच करने नहीं पहुंचते हैं। *दूसरे प्रदेश से आकर बिना लाइसेंस चला रहे क्लीनिक* ज्ञानपुर। जिले के ग्रामीण अंचलों में ऐसे कई क्लीनिक संचालक हैं, जो दूसरे प्रदेश से आकर बिना लाइसेंस के क्लीनिक चला रहे हैं। हाल ही में संसारापुर में चार झोलाझाप पर एफआईआर हुई थी। इसमें से दो अन्य प्रदेश के रहवासी थे। कई संविदा कर्मी के खुद के अस्पताल, लैब, क्लीनिक संचालित हैं। *एमसीएच के चिकित्सक लगा रहे पतीला* ज्ञानपुर। सरकार की मंशा है कि सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाएं सदृण की जाए, मरीजों को बेहतर उपचार मिले। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। जिला चिकित्सालय, पीएचसी के कई संविदा डॉक्टरों के रिलेटिव के नाम से भदोही, गोपीगंज, चौरी में अस्पताल चलते हैं। जहां वह खुद बैठते हैं। मरीजों को डायवर्ट करके अपने यहां बुलाते हैं। केस 1- माधोसिंह के पास एक लैब संचालक पर फर्जीवाड़ा को लेकर करीब छह महीने पहले स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई की थी। वहीं व्यक्ति दोबारा लैब, क्लीनिक संचालित करके दूसरे जनपद के नाम से रिपोर्ट बना रहा है। केस 2 - सुरियावां में एक निजी अस्पताल बिना पंजीकरण के संचालित हो रहा था। विभागीय कार्रवाई करने के बाद नाम बदलकर संचालित किया जाने लगा। केस तीन- तिलोरपुर नहर के पास अस्पताल, क्नीलिक और लैब बिना लाइसेंस के संचालित होते हैं। विभागीय अधिकारी के पहुंचने से पहले ही उन्हें सूचना मिल जाती है और जिम्मेदार मौके से फरार हो जाते हैं। पंजीकरण के बाद सभी अस्पताल संचालित होते हैं। हर साल इनका रिनुवल भी किया जाता है। कहीं भी बिना पंजीयन के अस्पताल संचालित हैं तो शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। -डॉ. एसके चक, सीएमओ, भदोही।
Dec 09 2024, 19:49