दुनिया में फिर दिखा भारत का दमः विश्व ध्यान दिवस के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में सभी देशों ने लगाई मुहर

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वैश्विक स्तर पर एक बार फिर भारत का कद बढ़ा है।संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के एक सह-प्रायोजित प्रस्ताव पर एकमत से मुहर लगी है। प्रस्ताव में 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित किया गया है। सभी देशों ने प्रस्ताव को स्वीकारते हुए एकमत से वोटिंग की। अब पूरी दुनिया में 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस मनाया जाएगा।

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भारत के साथ लिकटेंस्टीन, श्रीलंका, नेपाल, मैक्सिको और अंडोरा उन देशों के मुख्य समूह के सदस्य थे जिन्होंने 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘विश्व ध्यान दिवस’ शीर्षक वाले प्रस्ताव को शुक्रवार को सर्वसम्मति से पारित करने में अहम भूमिका निभाई। इन्हीं देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव को लेकर सभी जानकारियां साथी देशों के सामने रखीं। लिक्टेन्सटाइन की तरफ से संयुक्त राष्ट्र के पटल पर रखे गए इस प्रस्ताव को बांग्लादेश, बल्गेरिया, बुरुंडी, द डॉमिनिकन रिपब्लिक, आइसलैंड, लक्जमबर्ग, मॉरीशस, मोनाको, मंगोलिया, मोरक्को, पुर्तगाल और स्लोवेनिया की तरफ से सह-प्रायोजित किया गया था।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘व्यापक कल्याण और आंतरिक परिवर्तन का दिन! मुझे खुशी है कि भारत ने कोर समूह के अन्य देशों के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में घोषित करने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाए जाने की प्रक्रिया का मार्गदर्शन किया।’’ उन्होंने कहा कि समग्र मानव कल्याण के लिए भारत का नेतृत्व ‘‘हमारे सभ्यतागत सिद्धांत-वसुधैव कुटुम्बकम’’ पर आधारित है।

21 दिसंबर शीत संक्रांति

यूएन में भारत के राजदूत ने कहा कि 21 दिसंबर शीत संक्रांति का दिन है और भारतीय परंपरा के अनुसार यह दिन 'उत्तरायण' की शुरुआत का दिन है, जो कि साल के शुभ दिनों में से है, खासकर आंतरिक विचारों और ध्यान लगाने के लिए।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से ठीक छह महीने बाद ध्यान दिवस

विश्व ध्यान दिवस के साथ एक खास बात यह जुड़ी है कि यह 21 जून को पड़ने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से ठीक छह महीने बाद मनाया जाएगा। विश्व ध्यान दिवस से उलट योग दिवस ग्रीष्म संक्रांति के दिन मनाया जाता है। इस तथ्य का जिक्र करते हुए हरीश ने कहा कि 2014 में भी भारत ने नेतृत्व करते हुए 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर घोषित करवाने में अहम भूमिका निभाई थी। अब एक दशक बाद विश्व योग दिवस पूरी दुनिया में आम लोगों के लिए योग को उनके रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बनाने का वैश्विक आंदोलन बन गया है।

सीरिया के हालात गंभीर, भारत ने जताई चिंता, देर रात जारी की एडवाइजारी, दी ये सलाह

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सीरिया में इन दिनों जंग की वजह से हालात बहुत खराब हैं।यहां में बिगड़ती हालत पर भारत सरकार चिंतित है। इसे देखते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से एडवाइजरी जारी की गई है।भारत सरकार ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि अगली सूचना तक सीरिया की यात्रा करने से पूरी तरह बचें।विदेश मंत्रालय की तरफ से हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं।एडवाइजरी में आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर और ईमेल आईडी भी साझा की गई है।

विदेश मंत्रालय ने सीरिया में वर्तमान में सभी भारतीयों से दमिश्क में भारतीय दूतावास के संपर्क में रहने की अपील की है। इसके अलावा सलाह दी गई है कि जो लोग वहां से निकल सकते हैं, वे जल्द से जल्द उपलब्ध वाणिज्यिक उड़ानों के जरिए सीरिया छोड़ दें। जो लोग ऐसा नहीं कर सकते, वे अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क रहें और कम से कम अपने घरों से बाहर निकलें।

एमरजेंसी नंबर और ईमेल आईडी जारी

सोशल मीडिया एक्स पर विदेश मंत्रालय ने पोस्ट किया, "सीरिया के हालात को देखते हुए भारतीय नागरिकों को सीरिया की यात्रा तक तक न करने की सलाह दी जाती है, जब तक इस बारे में फिर से सूचना नहीं दी जाती। सीरिया में रह रहे भारतीय नागरिकों को सलाह है कि वो भारतीय दूतावास के संपर्क में रहे। दमिश्क में भारतीय दूतावास की इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर +963993385793 पर संपर्क किया जा सकता है। यही नंबर व्हाट्स एप पर भी उपलब्ध है। इस नंबर से सभी जरूरी सूचनाएं जारी की जा रही हैं। पर आप ईमेल भी कर सकते हैं। अभी जो लोग सीरिया में हैं वो जल्द से जल्द वहां से लौटने की कोशिश करें और जब तक ऐसा नहीं हो पाता अपनी सुरक्षा का ख्याल रखें।"

सीरिया में क्यों जारी है जंग?

सीरिया इन दिनों राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुज़र रहा है, रूस और ईरान समर्थित बशर अल-असद शासन खुद को विद्रोही समूहों और मिलिशिया से घिरा हुआ पा रहा है। इन समूहों को तुर्की का सपोर्ट है। विद्रोही बलों ने पिछले हफ़्ते सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद को उखाड़ फेंकने के मकसद से तेज़ गति से हमला किया है।

विद्रोही समूहों का आक्रमण इतना तेज है कि सीरिया का दूसरा शहर अलेप्पो और हमा पहले ही राष्ट्रपति के नियंत्रण से बाहर हो चुका है। 2011 के गृह युद्ध के बाद पहली बार सीरिया में ऐसा हमला हुआ।

बसर अल असद की सरकार सीरिया में पिछले पांच दशक से सत्ता में है और पहली बार उनकी सरकार पतन होने की कगार पर है। अगर विद्रोहियों ने सीरिया के प्रमुख शहर होम्स पर कब्जा कर लिया तो इससे राजधानी दमिश्क में सत्ता की सीट भूमध्यसागरीय तट से कट जाएगी। दरअसल, इसे बसर अल असद का प्रमुख गढ़ माना जाता है।

पश्चिमी देशों के विरोध के बीच ईरान का बड़ा कदम, लॉन्च किया सबसे भारी स्पेस पेलोड, अमेरिका-इजराइल की बढ़ेगी परेशानी!

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इजरायल के साथ चल रहे भारी तनाव के बीच ईरान ने अंतरिक्ष में सफल प्रक्षेपण कर अपने दुश्मनों को बड़ी चुनौती दे दी है। ईरान ने अंतरिक्ष में सफल प्रक्षेपण किया है।ईरान ने अपना सबसे भारी अंतरिक्ष पेलोड सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। ये ईरान के नवीनतम प्रक्षेपण कार्यक्रम का हिस्सा है। जिसकी पश्चिमी देश लगातार आलोचना करते आ रहे हैं।पश्चिमी देशों का आरोप है कि इस कार्यक्रम से तेहरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को बढ़ावा मिल रहा है। बता दें कि ईरान का यह बहुत गुप्त प्रक्षेपण कार्यक्रम था। प्रक्षेपण सफल होने के बाद ईरान की ओर से इसकी जानकारी साझा की गई।

अमेरिका और पश्चिम की ओर से बार-बार कहा गया है कि ईरान के इन लॉन्च का परमाणु मिसाइल बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। ईरान के इस लॉन्च का समय इसलिए भी खास है क्योंकि फिलहाल उसकी इजरायल और अमेरिका से तनातनी चरम पर है। ईरान की ओर से इस प्रक्षेपण की घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ इजरायल के जारी युद्ध तथा लेबनान में कमजोर युद्ध विराम समझौते के कारण पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ रहा है।

ईरान ने उपग्रह ले जाने में सक्षम अपने सिमोर्ग व्हीकल के जरिए यह लॉन्च किया। इससे पहले इस व्हीकल से की गई लॉन्च की कई कोशिशें नाकामयाब रही हैं। यह प्रक्षेपण ईरान के सेमनान प्रांत में स्थित इमाम खुमैनी स्पेसपोर्ट से किया गया। ईरान ने सिमोर्ग का पेलोड का वजन पहले के मुकाबले इस बार ज्यादा रखा है।

300 किलोग्राम वजन वाले इस पेलोड में फख्र-1 टेलीकम्युनिकेशन सैटेलाइट और समन-1 स्पेस टग शामिल हैं। समन-1 एक ऑर्बिटल ट्रांसमिशन सिस्टम है। यह लॉन्च शुक्रवार को घरेलू स्तर पर विकसित सैटेलाइट कैरियर से सफलता के साथ किया गया है। ये पेलोड सैटेलाइट्स को निचली कक्षाओं से ऊपरी कक्षाओं में ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह लॉन्च सैटेलाइट्स को ऊपरी कक्षाओं में स्थानांतरित करने की दिशा में एक ऑपरेशनल कदम है। इस सिस्टम को पहली बार फरवरी 2017 में एक समारोह में पेश किया गया था और इसका परीक्षण 2022 में किया गया था।

बता दें कि ईरान हाल के कुछ सालों में अपनी सैन्य ताकतों को बढ़ाने पर काम कर रहा है। ईरान ने हाल के वर्षों में 15 से ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च की है। जिनमें से कुछ सैटेलाइट रूस के सहयोग से सैटेलाइट लांच की गई हैं। आधिकारिक तौर पर ईरान इन लॉन्च का मकसद कृषि और रिसर्च जैसे नागरिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कहता है, हालांकि पश्चिमी विशेषज्ञ इसके पीछे छिपे एक व्यवस्थित सैन्य प्रयास होने का दावा करते हैं।

अमेरिका और पश्चिमी देशों ने बार-बार ईरान को ऐसे लॉन्च के खिलाफ चेतावनी दी है। उनका तर्क है कि सैटेलाइट के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक को बैलिस्टिक मिसाइलों पर लागू किया जा सकता है। ये मिसाइलें परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हो सकती हैं। ईरान इस बात से इनकार करता है कि वह परमाणु हथियार चाहता है। उसने लगातार कहा है कि उसके सैटेलाइट और रॉकेट लॉन्च नागरिक और रक्षा एप्लीकेशन पर केंद्रित हैं।

आमिर खान ने शाहरुख खान के ऑस्कर पर दिए बयान से जताई असहमति, जानें क्या कहा

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आमिर खान की ‘लगान’ की गिनती इंडिया की बेहतरीन फिल्मों में होती है. 2001 में आई इस फिल्म ने अच्छा बिजनेस भी किया था. फिल्म को ऑस्कर में बेस्ट फॉरेन लेैंग्वेज केटेगरी में नॉमिनेट भी किया गया था. लेकिन एक बार एक पुराने इंटरव्यू में शाहरुख खान ने ऑस्कर में इंडियन फिल्मों के नॉमिनेशन पर एक बात कही थी, जिसका अब सालों बाद आमिर खान ने जवाब दिया है और शाहरुख के बयान से असहमति जताई है.

आमिर खान ने ऑस्कर की प्रोसेस को लेकर कहा कि यह बहुत कठिन होता है. बीबीस एशियन नेटवर्क के साथ बातचीत में आमिर ने कहा, “लोग भूल जाते हैं कि शायद यह सबसे मुश्किल केटेगरी होती है, क्योंकि जब आप बेहतरीन फिल्म के लिए कॉम्पिटीशन में होते हैं तो आप लिमिटेड फिल्मों के साथ फाइट कर रहे होते हैं. लेकिन इंटरनेशनल लेवल पर बेस्ट फिल्म के लिए आपको हर एक देश की फिल्म के साथ कम्पीट करना होता है. आप एक ऐसे क्षेत्र में जाते हैं, जहां 80 और फिल्में हैं. अब उन 80 फिल्मों के बीच में नॉमिनेट होना बहुत कठिन है.”

लगान के ऑस्कर में जाने पर क्या बोले थे शाहरुख खान?

शाहरुख ने लगान के नॉमिनेट होने पर कहा था, “‘लगान’ एक आर्ट और कॉमर्शियल फिल्मों का कॉम्बिनेशन है. वो शानदार तरीके से बनाई गई फिल्म है. लेकिन हमें भारतीय फिल्मों के फॉर्मेट को बदलना होगा. शाहरुख ने ये भी कहा था कि अगर मुझे आपकी पार्टी में बुलाया जाता है, तो मुझे उस तरह से ड्रेसअप होना पड़ेगा जो आप बताएंगे. मैं ढाई घंटे और पांच गाने का अपना कोड नहीं पहन सकता हूं.”

आमिर खान ने क्या दिया जवाब?

इसपर आमिर खान ने जवाब देते हुए कहा, “नहीं मैं इससे बिल्कुल सहमत नहीं हूं, क्योंकि ‘लगान’ तीन घंटे और 42 मिनट की फिल्म थी और इसमें छह गाने थे. यह नॉमिनेट हो गई थी. नॉमिनेट होने के लिए मेंबर्स को वास्तव में आपकी फिल्म पसंद आनी होगी और लगान इस बात को साबित करती है. ‘लगान’ साबित करती है कि ये लंबी फिल्म है और साथ ही साथ इसमें छह गाने हैं.”

ये फिल्में जा चुकी हैं ऑस्कर में

ऑस्कर में जाने वाली भारतीय फिल्मों की बात करें तो लगान के अलावा ‘मदर इंडिया’, ‘सलाम बॉम्बे’ भी ऑस्कर में जा चुकी हैं. साल 2022 में रिलीज हुई फिल्म ‘आरआरआर’ ने गाने ‘नाटू-नाटू’ के गाने ने ऑस्कर अवॉर्ड जीता भी है. साथ ही शॉर्ट फिल्म केटेगरी में ‘एलिफेंट व्हिस्पर्स’ भी ये अवॉर्ड जीत चुकी है.

चीन के पैंतरे आजमा रहा बांग्लादेश, भारत की जासूसी पर उतरा! सीमा के पास तैनात किया खतरनाक ड्रोन

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भारत के साथ तल्ख होते संबंधों के बीच बांग्लादेश “चीन” के पैंतरे आजमा रहा है। भारत विरोधी गतिविधियों को हवा दे रही बांग्लादेश की सरकार ने भारत के खिलाफ एक नया मोर्चा खोल दिया है। पड़ोसी देश अब खुफिया जानकारी भी जुटाने की कोशिश में लग गया है। भारत के साथ चल रहे तनाव के बीच बांग्‍लादेश की सेना ने पश्चिम बंगाल से लगती सीमा पर अपना बायरकतार टीबी-2 किलर ड्रोन तैनात किया है। बांग्‍लादेशी सेना की इस तैनाती से इलाके में तनाव बढ़ गया है। यह पूरा इलाका भारत के चिकन नेक के करीब है और बेहद संवेदनशील माना जाता है।

बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार पर भारतीयों में बेहद गुस्सा है। भारत सरकार भी इन घटनाओं पर आपत्ति जता रही है और मोहम्मद यूनुस सरकार के सामने अपनी नाराजगी भी दर्ज करा चुकी है। जिसके बाद से दोनों देशों में तनाव बढ़ गया है। हालांकि, बांग्लादेश ने रिश्तों को बेहतर करने के बजाए भारत विरोधी रूख तो तेज कर दिया है।

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बांग्‍लादेश सरकार ने भारत के खिलाफ नई सिरे से तनाव को बढ़ाते हुए पश्चिम बंगाल में चिकेन नेक एरिया के पास टर्किश ड्रोन तैनात कर दिए हैं। ये ड्रोन अनमैन्ड एरियल व्हीकल बायरकतार टीबी 2 हैं और बांग्लादेश ने इसी साल तुर्की से ऐसे 12 ड्रोन खरीदे हैं।

बांग्लादेश के डिफेंस टेक्नोलॉजी के अनुसार तुर्की से लिए गए 12 बायरकतार टीबी2 में से 6 ऑपरेशनल हैं। रक्षा मामलों की वेबसाइट आईटीआरडब्‍ल्‍यू ने टीबी 2 ड्रोन के भारतीय सीमा के पास तैनाती की जानकारी दी है। रक्षा मामलों की वेबसाइट आईटीआरडब्ल्यू और इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इन ड्रोन को सर्विलांस और इंटेलीजेंस के लिए बांग्लादेश की 67वीं सेना ऑपरेट कर रही है।

तुर्की का टीबी-2 ड्रोन काफी शक्तिशाली है जो हमला करने के अलावा जासूसी करने में भी माहिर है। बांग्‍लादेशी सेना की इस तैनाती से भारत के साथ जमीन के साथ-साथ हवा में भी तनाव बढ़ गया है।

तुर्की के इस किलर ड्रोन को बांग्‍लादेश के अलावा भारत के दो अन्‍य पड़ोसियों पाकिस्‍तान और मालदीव ने भी खरीदा है। पाकिस्‍तान ने हाल ही में अपनी स्‍वदेशी बुरक एयर टु सरफेस मिसाइल को बायरकतार टीबी 2 ड्रोन में फिट किया है। इस ड्रोन को दुनिया के 33 से ज्‍यादा इस्‍तेमाल कर रहे हैं और यूक्रेन से लेकर आर्मीनिया अजरबैजान की लड़ाई में इस हमलावर ड्रोन ने अपनी ताकत का लोहा मनवाया है। इसके बाद बांग्‍लादेश की सेना ने भी तुर्की से इस टीबी 2 ड्रोन के लिए समझौता किया था। जब यह समझौता हुआ था, उस समय शेख हसीना ही बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री थीं जो अभी भारत में शरण लिए हुए हैं।

भारतीय खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारी के मुताबिक शेख हसीना के सत्‍ता से हटने के बाद बांग्‍लादेश में जिस तरह आतंकियों को जेल से रिहा किया गया है और पाकिस्तान, बांग्लादेश के मुद्दे पर भारत विरोधी कट्टरपंथियों के साथ खड़ा हुआ है।भारतीय खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि बांग्लादेश से सामरिक स्तर पर कोई खतरा नहीं है, लेकिन यदि वहां ऐसी अराजकता चलती रही और जमात के हाथों में क्षमता रही तो बांग्लादेश फिर से टेरर हब बन सकता है. खुफिया एजेंसियों को मिले इनपुट्स के मुताबिक बांग्लादेश की लड़खड़ाती स्थिति का फायदा उठाकर पाकिस्तान और उसकी सरपरस्‍ती में चल रहे आतंकी संगठन भारत के खिलाफ षडयंत्र रचने की कोशिश कर रहे हैं।

संसद में पहले भी मिल चुकी है नोटों की गड्डी, कभी 1 करोड़ कैश लेकर सदन में पहुंचे थे तीन सांसद

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राज्यसभा में 5 दिसंबर 2024 को कांग्रेस सांसद की बेंच से नोटों के बंडल मिलने का मामला सामने आया। गुरुवार को कार्यवाही के बाद सदन की जांच के दौरान ये गड्डी बरामद हुई। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे गंभीर मामला बताया। साथ ही इसकी जांच कराने की बात कही है।फिलहाल नोटों की गड्डी मिलने की जांच की मांग की जा रही है। संदन में पैसे से जुड़ा ये कोई पहला विवाद नहीं है। पहले भी इस पैसे जुड़े अलग-अलग मामले आते रहे हैं। कभी सांसदों पर पैसे लेकर वोट देने का आरोप लगा तो कभी पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगा। कभी खुद सांसदों ने ही सदन में नोटों की गड्डियां लहराईं तो कभी पैसे लेकर राज्यसभा चुनाव में वोट डालने का आरोप किसी विधायक पर लगा।

22 जुलाई 2008 का वो दिन जब एक करोड़ कैश लेकर पहुंचे तीन सांसद

राज्यसभा हो या लोकसभा, सदन में सत्र की कार्यवाही के दौरान असहज कर देने वाली घटनाओं का पुराना इतिहास रहा है। ऐसा ही एक वाक्या है 22 जुलाई 2008 का, जब संसद का मानसून सत्र चल रहा था। 2008 में अमेरिका के साथ मनमोहन सिंह की सरकार ने न्यूक्लियर डील किया। इस समझौते के खिलाफ सीपीएम ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसके तुरंत बाद बीजेपी ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया। संसद में इस अविश्वास प्रस्ताव पर खूब बहस हुई, लेकिन जब बारी वोटिंग की आई तो बीजेपी के 3 सांसदों ने नोट लहरा दिए। यह नोट तत्कालीन लोकसभा के स्पीकर सोमनाथ चटर्जी के टेबल पर लहराए गए।

बीजेपी के उन तीन सांसदों के नाम थे अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोरा, जिन्होंने लोकसभा में एक करोड़ रुपए नकदी के बंडल टेबल पर रखकर दावा किया कि उन्हें यूपीए सरकार के सदस्यों द्वारा रिश्वत दी गई थी ताकि वो सरकार के विश्वास मत में उनका साथ दें। ये एक करोड़ रुपए उन्हें एडवांस के बतौर दिए गए जबकि 9 करोड़ रुपए और देने की बात कही गई। बस इतना सुनते ही सदन में भारी हंगामा शुरू हो गई. कार्यवाही बाधित हो गई। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर “काला धब्बा” कहा। सरकार ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। इसे विपक्ष की साजिश बताया।

संसद की विशेष समिति ने इस मामले की जांच शुरू की। सीबीआई ने भी मामले की जांच की। भाजपा सांसदों, कांग्रेस नेताओं, और अन्य दलों के नेताओं से पूछताछ की गई। 2011 में सीबीआई ने अमर सिंह और अन्य पर आरोप लगाए, लेकिन ठोस सबूतों के अभाव में मामला ज्यादा आगे नहीं बढ़ सका। 2013 में, दिल्ली की एक अदालत ने अमर सिंह, भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और अन्य आरोपियों को जमानत दी। केस की लंबी प्रक्रिया के कारण इसमें कोई निर्णायक निष्कर्ष नहीं निकला।

जब शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर लगे रिश्वत लेने के आरोप

इससे पहले 1991 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी और पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बनाए गए थे। चुनाव के करीब दो साल बाद जुलाई 1993 में नरसिम्हा राव सरकार को अविश्वास मत का सामना करना पड़ा। हालांकि, सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 14 वोटों से गिर गया जब पक्ष में 251 वोट और विरोध में 265 वोट पड़े।

996 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद सूरज मंडल ने एक खुलासा किया। मंडल के मुताबिक 1993 में पैसे बंटने की वजह से राव की सरकार बच पाई। मंडल का कहना था कि सरकार बचाने के लिए एक-एक सांसदों को 40 लाख रुपए दिए गए थे। शिबू सोरेन और उनके चार सांसदों पर तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट देने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगा था। अल्पमत में रही नरसिम्हा राव सरकार उनके समर्थन से अविश्वास प्रस्ताव से बच गई। इसके बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (पीसीए) के तहत एक शिकायत दर्ज की गई जिसमें आरोप लगाया गया कि अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने के लिए कुछ सांसदों को रिश्वत दी गई थी।आगे चलकर यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत पहुंच गया, लेकिन केस में सभी आरोपी बरी हो गए

ट्रंप ने बढ़ाई 'ड्रैगन' की टेंशन! इसे चीन में नियुक्त किया अमेरिकी राजदूत

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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई सरकार वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन सरकार के अंतर्राष्ट्रीयवाद के दृष्टिकोण से बिल्कुल अलग काम करने जा रही है। ऐसा डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले के बाद कहा जा सकता है। डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद से लगातार अपनी टीम बनाने तैयारी में लगे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने चीन को लेकर भी पत्ते खोल दिए हैं। ट्रंप ने जॉर्जिया डेविड पर्ड्यू को चीन में एंबेसडर के लिए नॉमिनेट किया है।

ट्रंप ने गुरुवार को फैसले की जानकारी दी। अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, “फॉर्च्यून 500 के सीईओ के रूप में, जिनका 40 साल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार करियर रहा है और जिन्होंने अमेरिकी सीनेट में सेवा की है। डेविड चीन के साथ हमारे संबंधों को बनाने में मदद करने के लिए बहुमूल्य विशेषज्ञता लेकर आए हैं। वह सिंगापुर और हांगकांग में रह चुके हैं और उन्होंने अपने करियर के अधिकांश समय एशिया और चीन में काम किया है।”

पर्ड्यू की नियुक्ति के लिए अमेरिकी सीनेट की मंजूरी की आवश्यकता होगी, लेकिन उनके अनुमोदन की संभावना है, क्योंकि सदन में रिपब्लिकन का बहुमत है। राजदूत के रूप में पर्ड्यू को शुरुआत से ही चुनौतीपूर्ण कार्यभार का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि ट्रम्प अमेरिका को चीन के साथ एक व्यापक व्यापार युद्ध में ले जाने के लिए तैयार हैं।

अभी हाल ही में ट्रंप ने अवैध अप्रवास और ड्रग्स पर लगाम लगाने के अपने प्रयास के तहत पदभार संभालते ही मैक्सिको, कनाडा और चीन पर व्यापक नए टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि वह कनाडा और मैक्सिको से देश में प्रवेश करने वाले सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत कर लगाएंगे और चीन से आने वाले सामानों पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे, जो उनके पहले कार्यकारी आदेशों में से एक है।

इसके बाद वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने इस सप्ताह के प्रारंभ में चेतावनी दी थी कि यदि व्यापार युद्ध हुआ तो सभी पक्षों को नुकसान होगा। दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंगयु ने एक्स पर पोस्ट किया कि चीन-अमेरिका आर्थिक और व्यापार सहयोग प्रकृति में पारस्परिक रूप से लाभकारी है। कोई भी व्यापार युद्ध या टैरिफ युद्ध नहीं जीतेगा। उन्होंने कहा कि चीन ने पिछले साल नशीली दवाओं की तस्करी को रोकने में मदद करने के लिए कदम उठाए थे।

धमकियों पर कितना अमल करेंगे ट्रंप?

यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ट्रंप वास्तव में इन धमकियों पर अमल करेंगे या वे इन्हें बातचीत की रणनीति के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर टैरिफ लागू किए जाते हैं, तो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए गैस से लेकर ऑटोमोबाइल और कृषि उत्पादों तक हर चीज की कीमतें नाटकीय रूप से बढ़ सकती हैं। सबसे हालिया अमेरिकी जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका दुनिया में वस्तुओं का सबसे बड़ा आयातक है, जिसमें मेक्सिको, चीन और कनाडा इसके शीर्ष तीन आपूर्तिकर्ता हैं।

ट्रंप की चीन विरोधी टीम!

इससे पहले भी ट्रंप ने मार्को रूबियो और माइक वाल्ट्ज जैसे नेताओं को नई सरकार में अहम भूमिका के लिए चुना है। ये दोनों ही नेता चीन के विरोधी माने जाते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप चीन के प्रति सख्त रुख की नीति पर ही काम करने जा रहे हैं।

दिल्ली चुनाव से पहले बड़ी संख्या में वोटरों के नाम कटे, केजरीवाल का बीजेपी पर गंभीर आरोप

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दिल्ली के पूर्व सीएम और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर बेहद गंभीर आरोप लगाया है।अरविंद केजरीवाल ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने भाजपा पर आम आदमी पार्टी के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा दिल्ली के वोटरों के नाम लिस्ट से कटवा रही है। दिल्लीवासियों से मतदान का अधिकार छीनने की कोशिश कर रही है।

केजरीवाल का आरोप है कि दिल्ली में भाजपा गुपचुप तरीके से वोट कटवा रही है। भाजपा की योजना एक विधानसभा क्षेत्र से करीब 6 प्रतिशत वोट कटवाना है। भाजपा दिल्ली की वोटर लिस्टों में धांधली करने के हरसंभव प्रयास कर रही है। चुनाव आयोग को वोट कटवाने की एप्लिकेशन भेजी जा रही हैं और हर एप्लिकेशन भाजपा के लेटर हेड पर है। जिस पर भाजपा के पदाधिकारियों को हस्ताक्षर भी हैं। केजरीवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा ने शाहदरा, जनकपुरी, लक्ष्मी नगर और अन्य सीट पर हजारों मतदाताओं के नाम हटाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग में आवेदन दाखिल किए हैं।

केजरीवाल ने कहा कि शाहदरा विधानसभा में एक महीने में भाजपा ने 11 हजार 18 वोट कटाने की एप्लीकेशन दी है। इस एप्लिकेशन में वोटर लिस्ट से इतने लोगों का नाम कटवाने की वजह यह बताई गई कि इतने लोग या तो मर चुके हैं या दिल्ली से कहीं और शिफ्ट हो चुके हैं। इतने लोगों को वेरिफाई करना मुश्किल है, लेकिन जब आम आदमी पार्टी ने इनमें से रैंडम 500 लोगों को वेरिफाई किया तो उनमें से 372 लोग वे मिले, जो अभी भी दिल्ली के ही निवासी हैं और भविष्य में भी दिल्ली में ही रहने वाले हैं। शहादरा में एक लाख 86 हजार वोटर्स हैं। 11000 लोग मतलब 6 प्रतिशत वोट, जिन्हें भाजपा कटवाना चाहती है। पिछला विधानसभा चुनाव आप ने शहादरा से 5294 वोट लेकर जीता था।

आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा, पिछले चुनाव में शाहदरा विधानसभा सीट पर ‘आप’ ने करीब 5,000 मतों से जीत हासिल की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि अब उस निर्वाचन क्षेत्र में करीब 11,000 मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं और इनमें से अधिकतर मतदाता ‘आप’ समर्थक हैं। केजरीवाल ने निर्वाचन आयोग से शाम तक सभी आवेदनों को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने का आग्रह किया ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।

दिल्ली जाने पर अड़े किसान, एंट्री की जिद पर आंसू गैस के गोले दागे गए

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किसान आंदोलन के चलते 101 किसानों का जत्था दिल्ली जाना चाहता था। हालांकि किसानों के पास इसकी परमीशन नहीं है। इसको देखते हुए पुलिस ने भी पुख्ता इंतजाम किया है। पुलिस ने सुरक्षा को देखते हुए बॉर्डर के आसपास बैरिकैडिंग कर दी है। हालांकि, किसान अपनी जिद्द पर अड़े हैं। जिसके बाद हरियाणा-पंजाब शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया है।

रास्तों पर लगे लोहे की कीलों को किसान ने हटाया

किसानों को हरियाणा की तरफ से वापस जाने की अपील की जा रही है। वहीं किसानों का कहना है कि हमें अपनी राजधानी में जाने के लिए अनुमति की जरूरत नहीं है। हरियाणा पुलिस की तरफ से किसानों को रोकने के लिए लोहे की कीलें लगाई गई हैं। यह कीलें सीमेंट में गाड़ रखी हैं ताकि गाड़ियां आगे ना जा सकें। किसान कंटीले तारों को रास्ते से हटा रहे हैं ताकि वे अपनी गाड़ियों को वहां ला सकें। किसानों को कहना है कि हरियाणा सरकार हमें न रोके, हमारी लड़ाई केंद्र सरकार से हैं।

किसानों की वीडियोग्राफी

हरियाणा की और से लगातार किसानों की वीडियोग्राफी की जा रही है। मौके पर घोषणा भी की गई कि सरकारी संपत्ति का नुक्सान न करो, पुलिस कार्रवाई की जाएगी। किसान आगे बढ़ने को अडिग हैं।

या तो सरकार दिल्ली आने दे या फिर बात करे, बोले किसान नेता सरवन सिंह

शंभू बॉर्डर पर किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, "हमें शांतिपूर्वक दिल्ली की ओर जाने दिया जाए या फिर हमारी मांगों पर हमसे बात की जाए। किसानों की तरफ से बातचीत के दरवाजे खुले हैं। हम कहते रहे हैं कि अगर सरकार बात करना चाहती है तो हमें केंद्र सरकार या हरियाणा या पंजाब के सीएम ऑफिस का पत्र दिखाए। हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार हमारी मांगें मान ले। उन्हें हमें दिल्ली में प्रदर्शन करने के लिए जगह देनी चाहिए। अंबाला में इंटरनेट सेवाएं बहाल करनी चाहिए। या तो हमें दिल्ली जाने दिया जाए या फिर हमसे बात की जाए।"

भारत' विरोधी मोहम्मद यूनुस हर बीतते पल के साथ दिखा रहे तेवर, अब बांग्लादेश में शेख हसीना के भाषणों पर प्रतिबंध

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बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बुधवार को पहली बार मोर्चा संभालते हुए, देश में अल्पसंख्यकों के कथित उत्पीड़न को लेकर अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर तीखा हमला किया था। शेख हसीना ने कहा था कि देश की बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहे हैं। यही नहीं, हसीना ने आरोप लगाया कि यूनुस ने हिंदुओं के नरसंहार में सक्रिय रूप से भाग लिया। साथ ही अपने पिता शेख मुजीर्बुर रहमान और बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रचने का भी आरोप लगाया। जिसके बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के भड़काऊ भाषणों के प्रसारण पर रोक लगा दी है।

बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने बृहस्पतिवार को अधिकारियों को मुख्य धारा की मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के सभी ''घृणास्पद भाषणों'' के प्रसार पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। न्यायाधिकरण पूर्व प्रधानमंत्री के विरुद्ध दर्ज मानवता के खिलाफ अपराध के विभिन्न मामलों की सुनवाई शुरू करेगा।

सोशल मीडिया से भी हसीना के भाषणों को हटाने का आदेश

बांग्लादेश संगबाद संस्था के मुताबिक न्यायाधीश एमडी गोलाम मुर्तजा मौजूमदार की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने एक आदेश जारी किया। आदेश में अधिकारियों को हसीना के भड़काऊ भाषण को सोशल मीडिया से हटाने और भविष्य में इसके प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। अभियोजक अधिवक्ता अब्दुल्लाह अल नोमान ने कहा कि न्यायाधिकरण ने आईसीटी विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग को आदेश का पालन करने के निर्देश दिए। अभियोजक ने दायर याचिका में कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भड़काऊ भाषणों को हटाया जाए। क्योंकि गवाहों और पीड़ितों को डर लग सकता है या जांच में बाधा आ सकती है।

क्या कहा था हसीना ने?

बांग्लादेश के ट्रिब्यूनल का फैसला न्यूयॉर्क में वीडियो लिंक के जरिये हुए हसीना के संबोधन के बाद आया है। हसीना ने न्यूयॉर्क में मौजूद अपने समर्थकों को भारत ही से वीडियो लिंक के जरिये संबोधित किया था। हसीना ने अपने संबोधन में बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर सामूहिक हत्या का आरोप जड़ा था।न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में वर्चुअल संबोधन में उन्होंने मोहम्मद यूनुस पर 'नरसंहार' करने और हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की तरह ही उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की योजना बनाई गई थी। उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यकों पर यह अत्याचार क्यों किया जा रहा है? उन्हें बेरहमी से क्यों सताया जा रहा है और उन पर हमला क्यों किया जा रहा है? लोगों को अब न्याय का अधिकार नहीं है... मुझे कभी इस्तीफा देने का समय भी नहीं मिला। शेख हसीना ने कहा कि उन्होंने हिंसा को रोकने के उद्देश्य से अगस्त में बांग्लादेश छोड़ दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

हसीना के खिलाफ कम से कम 60 मुकदमें दायर

हसीना को इस साल जुलाई व अगस्त में विरोध प्रदर्शनों और उसके बाद हुए विद्रोह के दौरान नरसंहार व मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों में आईसीटी में दायर कम से कम 60 मुकदमों का सामना करना पड़ेगा। अभियोजन पक्ष की टीम ने हाल की परिस्थितियों के मद्देनजर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसके बाद न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण ने आदेश दिया।