समंदर' बनकर वापस लौटे फडणवीस, बीजेपी के लिए क्यों जरूरी बने देवेंद्र

#whybjpchoosedevendrafadnavismaharashtracm

साल 2019 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद विधानसभा सत्र के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने शायराना अंदाज में कहा था कि ‘मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना। मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा।’ महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजों के 12 दिनों तक मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस बना हुआ था। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर खाफी खींचतान भी हुई। आखिरकर फडणवीस ने बाजी मार ली। सारी बाधाओं को तोड़ता हा 'समंदर' वापस आ गया।

बुधवार को मुंबई में पर्यवेक्षक विजय रूपाणी और निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में हुई विधायक दल की बैठक में देवेंद्र फडणवीस को सर्वसम्मति से अपना नेता चुन लिया गया है। वे तीसरी बार महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं। वे पिछले एक दशक से महाराष्ट्र में बीजेपी का चेहरा बने हुए हैं। हालांकि, चुनाव परिणाम के बाद 12 दिनों के भीतर राजनीतिक गलियारों में इस बात की बहुत चर्चा थी कि भारतीय जनता पार्टी अंतिम समय में कुछ सरप्राइज दे सकती है। पार्टी फडणवीस की जगह किसी ओबीसी नाम को सामने ला सकती है।

देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनाए जाने का इशारा भारतीय जनता पार्टी की ओर कई बार किया जा चुका था। पर जिस तरह पिछले कुछ सालों में मुख्यमंत्रियों के नामों के फैसले बीजेपी में हुए हैं उसके चलते रानजीतिक गलियारों में अफवाहों के बाजार गर्म थे।मध्यप्रदेश में बीजेपी ने जिस तरह शिवराज सिंह चौहान को किनारे लगा दिया, जिस तरह राजस्थान में वसुंधरा राजे का पत्ता साफ हुआ उसे देखते हुए देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लगने में थोड़ा संदेह तो सभी को नजर आ रहा था। इसके साथ ही देवेंद्र फडणवीस का ब्राह्मण होना वर्तमान राजनीतिक माहौल में सीएम पद के लिए सबसे नेगेटिव बन जा रहा था। हालांकि, काफी खींचतान के बाद बीजेपी ने संघ के गढ़ से आने वाले ब्राहाण चेहरे पर भरोसा जताते हुए फडणवीस के नाम पर मुहर लग गई। ऐसे में सवाल है कि आखिरकार देवेंद्र फडणवीस को बीजेपी क्यों दरकिनार नहीं कर सकी?

महाराष्ट्र में क्यों जरूरी फडणवीस

महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति दूसरे राज्यों से अलग है। बीते कुछ सालों का इतिहास देखें तो वहां किसी भी समय कोई भी पार्टी किसी भी पाले में जा सकती है। ऐसी स्थिति में देवेंद्र फडणवीस ही एक ऐसे नेता है जो साम दाम दंड भेद लगाकर सरकार को चलाने की कूवत रखते हैं। बता करें 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से की, तो 2019 विधानसभा चुनावों के बाद जब बीजेपी को दगा देते हुए शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने सीएम बनने की जिद पकड़ ली थी तब फडणवीस ने शरद पवार जैसे राजनीतिज्ञ को मात देकर सरकार बनाई थी। एनसीपी की तरफ से अजित पवार ने भाजपा के समर्थन का एलान कर दिया। सुबह-सुबह फडणवीस और अजित पवार का शपथ ग्रहण कार्यक्रम पूरा कर दिया गया। लेकिन ये कोशिश फेल हो गई। शरद पवार ने अजित के कदम से किनारा कर लिया और एनसीपी ने अपना समर्थन खींच लिया और 80 घंटे के अंदर खेल हो गया। हालांकि, “हार” कर भी फड़णवीस जीत गए थे। फडणवीस ने पवार परिवार में आग सुलगाने का काम कर ही दिया था।

उस वक्त केवल देवेन्द्र फडणवीस को ही झटका नहीं लगा था। अजित पवार अपमान का घूंट पीकर बैठे थे। मौका मिलते ही उन्होंने बगावत कर दी और अपने विधायकों को लेकर भाजपा के साथ हो लिए। एक बार फिर से सत्ता की चाबी भाजपा के पास आ गई थी। इस वक्त, देवेंद्र फिर से मु्ख्यमंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन हाईकमान ने उन्हें संयम रखने को कहा। भाजपा ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट किया। फडणवीस और अजित पवार को डिप्टी का पद ऑफर किया गया। फडणवीस चुप रहे।

शिवसेना-एनसीपी टूट का दोष फडणवीस पर

शिवसेना और एनसीपी जब दो फाड़ हुई तो इसका सारा दोष फडणवीस पर मढा गया। उद्धव ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस का राजनीतिक करियर खत्म करने की धमकी दी थी। इस दौरान उन्होंने स्वयं को बचाए रखा और बीजेपी को दोबारा सत्ता में कुर्सी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फडणवीस ने अपने स्तर पर संगठन का काम जारी रखा। 2024 में जब लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए, तो 48 सीटों में से भाजपा को महज 9 पर जीत मिली। ये नतीजे फडणवीस के लिए भी चौंकाने वाले थे। लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद देवेंद्र फडणवीस ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की बात कही। इसके बाद बीजेपी आलाकमान ने उन्हें पद बने रहने को कहा।

पार्टी के प्रति समर्पण भाव से जीता भरोसा

फडणवीस देश के कुछ चुनिंदा नेताओं में शामिल हो गए हैं जिन्होंने लोकसभा चुनावों में अपेक्षित सफलता न मिलने पर इस्तीफे की पेशकश की। फिर विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को दूसरी बार अधिकतम सीटें दिलवाने वाले नेता ने अपनी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के कहने पर अपने से एक बहुत जूनियर शख्स के नीचे डिप्टी सीएम बनना भी स्वीकार कर लिया। यही नहीं सीनियर होने के बावजूद , पार्टी और शासन में तगड़ी पकड़ रखते हुए भी कभी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिकायत का मौका नहीं दिया। पार्टी के प्रति समर्पण का जो उदाहारण देवेंद्र फडणवीस ने रखा है वो बिरले ही देखने को मिलता है। शायद यही वजह है कि पीएम मोदी के वह भरोसमंद बनकर उभरे हैं।

बढ़ती लोकप्रियता

बीजेपी ने उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाकर ही उन्हें प्रचार अभियान का जिम्मा सौंपा था। इसके अलावा सबसे अधिक रैलियां और सभाएं उन्होंने की। ऐसे में अगर उन्हें साइडलाइन कर किसी को सीएम बनाया जाता तो पार्टी के अंदर असंतोष बढ़ता।

संघ की पहली पसंद

फडणवीस संघ के अंदर भी लोकप्रिय हैं। उन पर संघ भी भरोसा जताता आया है।फडणवीस संघ की विचारधारा के बीच पले-बढ़े हैं। उनके पिता भी संघ से जुड़े हुए थे। आरएसएस अपने 100 साल पूरे करने जा रहा है। जिस राज्य में संघ की नींव रखी गई, आज उसी की बागडोर स्वयंसेवक के हाथ में तीसरी बार दी जाने वाली है।

क्या इंडिया गठबंधन में पड़ गई दरार, ममता बनर्जी को “इंडिया” गठबंधन का फेस घोषित करने की मांग पर खिंची तलवारें?

#tmcgiveshocktocongresstmc

संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद से ही अडानी मुद्दे को लेकर हंगामा मचा हुआ है। विपक्ष लगातार अडानी का नाम लेकर सत्तापक्ष को घेरने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर “इंडिया” गठबंधन का “हाथ” छोड़ दिया है। तृणमूल कांग्रेस ने पिछले हफ्ते ही साफ कर दिया था कि वह केवल अदाणी और मणिपुर मसले पर सत्र को केंद्रित रखने के पक्ष में नहीं है और कुछ अन्य मुद्दों के जरिए सरकार को घेरेगी। टीएमसी राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की बुलाई जा रही बैठकों में भी शामिल नहीं हुई। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस और टीएमसी के बीच तनातनी बढ़ गई है? क्या दोनों पार्टिंयों के बीच ममता बनर्जी को “इंडिया” गठबंधन का फेस घोषित करने की मांग को लेकर गतिरोध है?

हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस की हालिया चुनावी नतीजों और बंगाल उपचुनावों में टीएमसी की जीत के बाद कांग्रेस और टीएमसी में तनाव बढ़ता दिख रहा है। इसका असर चालू शीतकालीन सत्र में दिखा। तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने साफ कर दिया है कि अदाणी रिश्‍वत मुद्दे पर संसद को ठप करने के लिए वे कांग्रेस पार्टी का साथ नहीं देंगे। वहीं, अडानी मुद्दे की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग पर इंडिया गठबंधन को तृणमूल कांग्रेस का साथ नहीं मिलेगा। गठबंधन की सोमवार को बुलाई बैठक में तृणमूल कांग्रेस का एक भी सदस्य नहीं पहुंचा। सोमवार को कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर इंडिया ब्लॉक की बैठक में शामिल नहीं हुई थी।

टीएमसी ने अडानी विवाद से किया किनारा

टीएमसी ने पहले ही कांग्रेस से रूख बदलने की गुजारिश की थी। पार्टी का कहना था कि संसद में जनहित के मुद्दे उठाए जाने चाहिए। टीएमसी ने अडानी विवाद को ज्यादा प्राथमिकता नहीं दी है। पार्टी ने तर्क दिया है कि संसद सत्र का उपयोग बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि और केंद्र द्वारा विपक्षी शासित राज्यों के खिलाफ धन आवंटन में कथित भेदभाव के मुद्दों को उठाने के लिए किया जाना चाहिए।

इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व को लेकर घमासान

कांग्रेस और टीएमसी के बीच मतभेद की वजह ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक का चेहरा बनाने की मांग को माना जा रहा है। दरअसल, हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस की हालिया चुनावी हार और बंगाल उपचुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन का जिक्र करते हुए, टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी ने कहा था कि नेता के अभाव में पूरा गठबंधन उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया। आज, अगर हम वास्तव में बीजेपी और नरेंद्र मोदी के खिलाफ लड़ना चाहते हैं, तो इंडिया गठबंधन को मजबूत होना चाहिए। इसे हासिल करने के लिए, एक निर्णायक नेता आवश्यक है। कल्याण बनर्जी ने बीजेपी और पीएम मोदी को चुनौती देने के लिए ममता बनर्जी को एक संभावित दावेदार के रूप में इशारा करते हुए अपनी बात रखी।

ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक का नेता होना चाहिए- कीर्ति आजाद

कल्याण बनर्जी के बाद टीएमसी सांसद कीर्ति आजाद ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बड़ा कोई नेता नहीं है। उन्हें इंडिया ब्लॉक का नेता होना चाहिए। आने वाले समय में वह प्रधानमंत्री भी बनेंगी। टीएमसी सांसद कीर्ति आजाद ने कहा कि ममता बनर्जी के पास बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एकदम सही रिकॉर्ड है। ममता बनर्जी का रिकॉर्ड शानदार है। जब भी नरेंद्र मोदी को हार का सामना करना पड़ा है तो वह हमेशा पश्चिम बंगाल में ही हुआ है। कीर्ति आजाद ने कहा कि ममता दीदी ऐसी हैं जो सभी को साथ लेकर चलती हैं। उन्होंने ये भी कहा कि टीएमसी, विपक्षी इंडिया गठबंधन में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही है। वह चाहती है कि गठबंधन में उसकी भी सुनी जाए, जबकि कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है और इसलिए विपक्ष का नेतृत्व करती है।

विपक्ष संसद में विभाजित नहीं है- डेरेक ओब्रायन

कांग्रेस और टीएमसी के बीच रार की खबरों को राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने खारिज किया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि संसद में भारतीय जनता पाटी (भाजपा) को घेरने की रणनीति में विपक्षी दल एकजुट हैं, लेकिन उनके तरीके अलग हैं। डेरेक ओब्रायन की यह टिप्पणी उन अटकलों के बीच आई है कि अदाणी मुद्दे पर संसद परिसर में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा आयोजित प्रदर्शन से तृणमूल के दूर रहने से ‘इंडिया’ गठबंधन में दरार पैदा हो गयी है। ब्रायन ने संवाददाताओं से कहा, 'संसद में विपक्ष एकजुट है, विभाजित नहीं है। हम संसद में भाजपा को घेरने की रणनीति पर एकजुट हैं, विभिन्न दल अलग-अलग तरीका अपनाते हैं।' उन्होंने कहा कि हर पार्टी संसद में अपने मुद्दे उठाना चाहती है।

संसद के शीतकालीन सत्र का आठवां दिन, अडानी मामले पर विपक्षी संसदों का विरोध प्रदर्शन

#parliamentwintersession

संसद का शीतकाली सत्र चल रहा है। संसद के दोनों सदनों में अब तक भारी हंगामा और नारेबाजी देखी गई है। लोकसभा और राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष में तकरार बनी हुई है। हालांकि, बीते दो दिनों से सदनों की कार्यवाही चल रही है। आज भी दोनों सदनों में हंगामे के आसार हैं। आज सत्र का आठवां दिन है।

जैकेट के जरिए विपक्ष का विरोध

विपक्षी सांसदों ने आज अडानी मुद्दे पर विरोध के प्रतीक के रूप जैकेट पहना और संसद परिसर में प्रदर्शन किया। कांग्रेस सांसद काले रंग की जैकेट पहनकर प्रदर्शन करते दिखे। जैकेट पर लिखा है कि मोदी अदानी एक हैं। इस प्रदर्शन में प्रियंका गांधी भी शामिल रहीं।

अडानी मामले को लेकर संसद परिसर में प्रदर्शन किया

विपक्षी गठबंधन ‘ इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस ’ (इंडिया) के कई घटक दलों के सांसदों ने अडानी समूह से जुड़े मुद्दे को लेकर बुधवार को संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग दोहराई। कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कुछ अन्य दलों के सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ नारे लगाए और जवाबदेही तय किए जाने की मांग की।

विपक्षी सांसद संसद भवन के ‘मकर द्वार ’ के निकट एकत्र हुए तथा नारेबाजी की। रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों में अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी और कंपनी के अन्य अधिकारियों पर अमेरिकी अभियोजकों द्वारा अभियोग लगाए जाने के बाद कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दल संयुक्त संसदीय समिति से आरोपों की जांच कराए जाने की मांग कर रहे हैं।

जाति आधारित हमले के मामले में पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज न किए जाने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने किया हस्तक्षेप

एक खाद्य वितरण एजेंट द्वारा नवी मुंबई पुलिस में एफआईआर दर्ज करने के प्रयासों को छह महीने तक बार-बार नजरअंदाज किए जाने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा। कलवा के निवासी 43 वर्षीय रामसजीवन छोटेलाल कनौजिया को जून में रबाले के पटनी रोड पर पांच लोगों ने कथित तौर पर अगवा कर लिया और उसके साथ बुरी तरह मारपीट की। हमलावरों ने कथित तौर पर हमले के दौरान उसे जातिवादी गालियां दीं, जो 2022 से चली आ रही दुश्मनी से उपजी थी।

आरोपियों की पहचान लालचंद सरोज, जयप्रकाश यादव, जयप्रकाश गौड़, विजय शर्मा और प्रमोदकुमार सिंह के रूप में की गई है, जो कनौजिया को जानते थे, जो खाद्य वितरण एजेंट के रूप में काम करते हैं और अनुसूचित जाति से हैं। कनौजिया का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता तुषार सोनवाने ने कहा, "पांचों आरोपियों ने पीड़ित को निचली जाति का होने के कारण पहले भी अपमानित किया था और उसे परेशान करने के लिए लगातार तरीके खोज रहे थे, लेकिन वह उनसे बचता रहा। जून में, पांचों आरोपियों ने उसके दोपहिया वाहन को रोका और उसे जबरदस्ती अपने वाहन में ले गए, उसे एक सुनसान जगह पर ले गए और उसके साथ बेहद घिनौने तरीके से मारपीट की। उसे लात मारी गई, बेल्ट से मारा गया और यहां तक ​​कि लोहे की रॉड से भी मारा गया। उसके पैर और हाथ पकड़े गए और आरोपियों में से एक ने उसका गला घोंटने की कोशिश की और जातिवादी गालियां दीं।"

घटना के बाद, कनौजिया ने कथित तौर पर नवी मुंबई पुलिस आयुक्तालय में शिकायत दर्ज कराने के कई प्रयास किए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। सोनवाने ने कहा, "उन्होंने वेब पोर्टल के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई और फिर व्यक्तिगत रूप से रबाले पुलिस स्टेशन के साथ-साथ आयुक्त कार्यालय में भी शिकायत की, लेकिन कोई संज्ञान नहीं लिया गया। इसलिए, उन्होंने आखिरकार उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।" कनौजिया ने 12 नवंबर को एक आपराधिक रिट याचिका दायर की और 23 नवंबर को उच्च न्यायालय ने पुलिस को उनका बयान दर्ज करने और उसके बाद उचित कार्रवाई करने का आदेश दिया। रबाले पुलिस ने 3 दिसंबर को धारा 118(1)(2), 352, 110, 189(1), 191(2), 190, 140(4) के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की संबंधित धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की।

रबाले पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक बालकृष्ण सावंत ने कहा, "हमले के बाद, वह उत्तर प्रदेश में अपने पैतृक स्थान पर चले गए थे और वापस आने के बाद उन्होंने सीधे अदालत का दरवाजा खटखटाया और शिकायत की कि उनकी शिकायत नहीं ली गई। हमने उन्हें पहले ही बता दिया था कि उनके वापस आने पर उनका बयान लिया जाएगा। मामला अत्याचार से संबंधित है और इसकी जांच सहायक पुलिस आयुक्त द्वारा की जा रही है।" मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

अमित शाह से क्यों मिलीं प्रियंका गांधी, एमपी बनने के बाद मुलाकात के क्या हैं मायने?

#priyankagandhiwhatdemandamit_shah

प्रियंका गांधी केरल के वायनाड से सांसद चुनीं गई हैं। इसी चल रहे शीतकालीन सत्र में ही उन्होंने सांसद पद की शपथ ली है। सांसद चुने जाने के बाद प्रियंका एक्शन में दिख रही हैं। बाढ़ से अस्त-व्यस्त हो चुके केरल के वायनाड को उबारने के लिए प्रियंका गांधी लगातार सक्रिय हैं। इसी क्रम में प्रियंका गांधी ने बुधवार को वायनाड के स्पेशल पैकेज की मांग को लेकर संसद में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।

2221 करोड़ का रिलीफ फंड की मांग

केरल के वायनाड में 30 जुलाई को भारी बारिश के बीच भूस्खलन हुआ था, जिससे बड़े इलाके में तबाही मच गई थी। इस लैंडस्लाइड में हजारों की संख्या में लोग प्रभावित हुए और सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी। उन्हीं पीड़ित लोगों के लिए वायनाड सांसद प्रियंका गांधी ने विशेष पैकेज के लिए केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है। इस मुलाकात के दौरान 21 और सांसद मौजूद थे। प्रियंका ने अमित शाह से वायनाड के लिए 2221 करोड़ का रिलीफ फंड जारी करने की मांग की है।

गृह मंत्री ने सकारात्मक भरोसा दिया

प्रियंका गांधी ने बताया कि वायनाड भूस्खलन पीड़ितों के लिए केंद्र सरकार से मुआवजे की मांग को लेकर हमने ये अमित शाह से मुलाकात की है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि वहां जो स्थिति है, उससे हमने उन्हें अवगत कराया है। उन्हें बताया है कि वहां क्या-क्या हुआ है और लोग पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं। लोगों के पास कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं बचा है। पत्रकारों से बात करते हुए प्रियंका ने कहा कि गृह मंत्री ने सकारात्मक भरोसा दिया है।

प्रियंका की अपील- राजनीति को परे रखते हुए मदद करें

प्रियंका गांधी ने कहा कि हमने अपील की है कि राजनीति को परे रखते हुए वहां लोगों की जितनी मदद की जाए वो करें। हमने उनसे कहा कि प्रधानमंत्री भी वायनाड गए थे। उन्होंने वहां के पीड़ित लोगों से मुलाकात की थी। अब उन लोगों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री आए थे तो जरूर कुछ मदद मिलेगी।

केन्द्र ने ठुकरायी राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग

बता दें कि जुलाई-अगस्त के महीने में केरल के वायनाड को भयावह बाढ़ का सामना करना पड़ा था। इस बाढ़ की वजह से करीब 400 लोगों की जान जा चुकी है। केरल सरकार ने वायनाड के इस बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की थी, लेकिन केंद्र ने इसे ठुकरा दिया था। केरल सरकार का कहना था कि बिना राष्ट्रीय आपदा घोषित किए यहां राहत और पुनर्वास का काम आसान नहीं है। केरल सरकार ने इसके लिए केंद्र से 2 हजार करोड़ रुपए की मांग की थी।

यह मुलाकात इस वजह से भी अहम कही जा सकती है क्योंकि गांधी परिवार की तरफ से केंद्र सरकार के किसी मंत्री और खास और पर गृह मंत्री से अपने लोकसभा क्षेत्र को लेकर इस तरह की मुलाकातें कम ही याद आती है।

महाराष्ट्र में फिर फडणवीस सरकार, बीजेपी, शिंदे गुट और अजित पवार खेमे से कौन-कौन बन सकता है मंत्री? देखें संभावित लिस्ट

#maharashtracabinetministers_list

महाराष्ट्र में आज देवेंद्र फडणवीस सीएम पद की शपथ लेंगे। मुंबई के आजाद मैदान में शाम साढ़े 5 बजे शपथ ग्रहण समारोह होगा।सरकार में पिछली बार की तरह की दो डिप्टी सीएम भी होंगे। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। इसके अलावा एनडीए शासित राज्यों के सीएम भी भाग लेंगे।शपथ ग्रहण समारोह में देश की कई सारी नामचीन हस्तियां शामिल होगी। समारोह में तीनों दलों के 40 हजार कार्यकर्ता-पदाधिकारी, साधु संत सहित 2,000 अति विशिष्ट व्यक्ति शामिल होंगे।

तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे फडणवीस

देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। कल उन्हें सर्वसम्मति से महाराष्ट्र बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया था, जिससे उनके तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का रास्ता साफ हो गया। मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला कार्यकाल 2014 से 2019 के बीच पूरे पांच साल का था, जबकि दूसरा कार्यकाल नवंबर 2019 में लगभग 80 घंटे तक रहा।

शिंदे लेंगे डिप्टी सीएम पद की शपथ

फडणवीस के साथ महाराष्ट्र सरकार में दो डिप्टी सीएम भी होंगे। इनमें एक नाम एनसीपी नेता अजित पवार का माना जा रहा है, जबकि दूसरा नाम एकनाथ शिंदे का है। पहले इनके नाम पर कुछ साफ नहीं था लेकिन अब यह तय हो गया है कि शिंदे डिप्टी सीएम पद की शपथ लेंगे। सूत्रों के मुताबिक देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद उन्होंने यह फैसला लिया है।

मंत्रिमंडल को लेकर चर्चा तेज

शपथ ग्रहण से पहले बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के किन नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा, इसकी चर्चा तेज हो गई है। बीजेपी के एक नरिष्ठ नेता के मुताबिक, बीजेपी के 17 कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं, जबकि एनसीपी अजित पवार गुट और शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट को 7-7 कैबिनेट मंत्री मिल सकते हैं।

बीजेपी से संभावित मंत्री

बीजेपी से जिन नेताओं के मंत्री पद मिल सकता है, उनमें कोकण विभाग (मुंबई और ठाणे) से आशीष शेलार, मंगल प्रभात लोढ़ा, राहुल नार्वेकर, अतुल भातखलकर और नितेश राणे का नाम शामिल है। वहीं ठाणे जिले से रवीन्द्र चव्हाण और गणेश नाइक कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं। पश्चिम महाराष्ट्र से माधुरी मिसाल, शिवेंद्र सिंह राजे भोसले, राधाकृष्ण विखे पाटिल और गोपीचंद पडलकर को मौका मिल सकता है। इसके अलावा विदर्भ रीजन से चन्द्रशेखर बावनकुले और संजय कुटे कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं, जबकि उत्तर महाराष्ट्र से जयकुमार रावल और गिरीश महाजन कैबिनेट में जगह मिल सकती है। मराठवाड़ा से अतुल सावे और पंकजा मुंडे महायुति सरकार में कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं।

शिवसेन-एनसीपी के संभावित मंत्री

अगर शिवसेना की बात करें तो शिवसेना से एकनाथ शिंदे, शंभूराज देसाई, दादा भुसे, गुलाबराव पाटिल, संजय राठौड़, उदय सामंत और अर्जुन खोतकर को जगह मिल सकती है। इसके साथ ही एनसीपी अजित पवार गुट से अजित पवार, छगन भुजबल, अदिति तटकरे, धनंजय मुंडे, संजय बनसोडे, अनिल भाईदास पाटिल और नरहरि जिरवाल मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।

महाराष्ट्र में बीजेपी 132 सीटों के साथ बड़ी पार्टी

महाराष्ट्र में एक ही चरण में 20 नवंबर को चुनाव हुआ था और 23 नवंबर को नतीजे आए थे। चुनाव में महायुति ने शानदार जीत हासिल की थी। 132 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसके अलावा शिंदे की शिवसेना को 57 और अजित पवार को एनसीपी को 41 सीटें मिली थीं।

मोहम्मद यूनुस नरसंहार में शामिल', बांग्लादेश सरकार पर शेख हसीना का तीखा हमला

#sheikhhasinaattackonyunus

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर तीखा हमला बोला है। शेख हसीना ने कहा है कि देश की बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहे हैं। जबकि उन्‍होंने (शेख हसीना) हिंसा रोकने के लिए देश तक छोड़ दिया, लेकिन गोली नहीं चलने दी। यही नहीं, हसीना ने आरोप लगाया कि यूनुस ने हिंदुओं के नरसंहार में सक्रिय रूप से भाग लिया। साथ ही अपने पिता शेख मुजीर्बुर रहमान और बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रचने का भी आरोप लगाया।

बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रची गई-हसीना

हसीना ने न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित करते हुए यूनुस पर नरसंहार करने और हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया। अगस्त में बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण देश छोड़कर भारत में शरण लेने के बाद यह हसीना का पहला सार्वजनिक संबोधन था। इस दौरान उन्होंने पांच अगस्त को ढाका में अपने आधिकारिक आवास पर हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा, ''हथियारबंद प्रदर्शनकारियों को गणभवन की ओर भेजा गया। अगर सुरक्षाकर्मियों ने गोलियां चलाई होतीं, तो कई लोगों की जान जा सकती थी। मुझे वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। मैंने सुरक्षाकर्मियों से कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, वे गोलियां न चलाएं।'' उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की तरह ही उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रची गई थी।

यूनुस सुनियोजित तरीके से नरसंहार में शामिल रहे-हसीना

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए में हसीना ने कहा, ‘‘आज मुझ पर नरसंहार का आरोप लगाया जा रहा है। वास्तव में, यूनुस एक सुनियोजित तरीके से नरसंहार में शामिल रहे हैं। इस नरसंहार के पीछे मुख्य षड्यंत्रकारी छात्र समन्वयक और यूनुस हैं।'' हसीना ने कहा कि ढाका में मौजूदा सत्तारूढ़ सरकार अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रही है। हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का परोक्ष संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हिंदू, बौद्ध, ईसाई - किसी को भी नहीं बख्शा गया है। ग्यारह गिरजाघरों को ध्वस्त कर दिया गया है, मंदिरों और बौद्ध उपासनास्थलों को तोड़ दिया गया है। जब हिंदुओं ने विरोध किया, तो इस्कॉन के संत को गिरफ्तार कर लिया गया।

हसीना ने पूछा- अल्पसंख्यकों पर अत्याचार क्यों हो रहा है?

हसीना ने इस दौरान बांग्लादेश सरकार से पूछा, ‘‘अल्पसंख्यकों पर यह अत्याचार क्यों हो रहा है? उन्हें क्यों सताया जा रहा है और उन पर हमला क्यों किया जा रहा है?'' उन्होंने कहा, ‘‘मुझे तो इस्तीफा देने का भी समय नहीं मिला।'' हसीना ने कहा कि उन्होंने हिंसा रोकने के उद्देश्य से अगस्त में बांग्लादेश छोड़ दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।''

इस बार सर्दियों में नहीं पड़ेगी कड़ाके की ठंड, शीतलहर के दिनों में कमी की यह है सबसे बड़ी वजह


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

इस बार सर्दियों में कड़ाके की ठंड नहीं पड़ेगी। दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 के दौरान देश के उत्तर-पश्चिम, मध्य, पूर्व और उत्तर-पूर्व हिस्सों के अधिकतर इलाकों में शीतलहर वाले दिनों की संख्या भी सामान्य कम रहने की उम्मीद है।मौसम विभाग की ओर से जारी पूर्वानुमान के अनुसार देश के अधिकतर हिस्सों में सर्दियों के दौरान न्यूनतम और अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने के आसार हैं। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि ला नीना की अनुपस्थिति के कारण इस साल सर्दी सामान्य से गर्म रह सकती है। ला नीना प्रशांत महासागर और ऊपर के वायुमंडल के बीच परस्पर क्रिया के कारण होता है। ला नीना आमतौर पर ठंडी सर्दियों से जुड़ा होता है, लेकिन इस साल यह घटना नहीं हुई है। ला नीना के दौरान व्यापारिक हवाएं मजबूत हो जाती हैं जिससे जल की बड़ी मात्रा पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र की ओर बढ़ जाती है, इससे पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में तापमान ठंडा हो जाता है। हालांकि जनवरी, फरवरी 2025 के आसपास ला नीना की स्थिति के विकसित होने की अधिक संभावना जताई गई है। नए वर्ष की शुरुआत तक ला नीना की स्थिति बढ़ने के आसार हैं।

दिसंबर माह में सामान्य से अधिक हो सकती है वर्षा

दिसंबर महीने के दौरान पूरे देश में बारिश सामान्य से अधिक होने की संभावना है। यह लाॅन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) से 121 फीसदी अधिक हो सकती है। प्रायद्वीप के अधिकांश हिस्सों, पश्चिम-मध्य भारत, पूर्व-मध्य भारत और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना जताई गई है। भारत के दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य से अधिक यानी लंबी एलपीए के 131 फीसदी से अधिक बारिश होने की संभावना है। दक्षिणी प्रायद्वीप में तमिलनाडु, पुडुचेरी, कराईकल, तटीय आंध्र प्रदेश, यनम, रायलसीमा, केरल और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक शामिल हैं। यहां होने वाली बारिश बारिश का औसत पूरे देश में परिलक्षित हो हो रहा है। अन्यथा देश के अन्य हिस्सों में बारिश ज्यादा नहीं होगी।

असम में गोमांस पर बैन:होटल-रेस्टोरेंट या किसी भी सार्वजनिक स्थानों पर नहीं परोसा जाएगा बीफ

#assam_beef_ban

असम की हिमंता बिस्वा सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने राज्य के गोमांस पर बैन लगाया दिया है।असम के किसी भी होटल या रेस्टोरेंट में अब बीफ नहीं परोसा जा सकेगा। यही नहीं, किसी भी तरह के पब्लिक फंक्शन में भी बीफ की डिशेज नहीं सर्व की जा सकेंगी। सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने बुधवार को इस बाबत प्रतिबंधों की घोषणा की।

सरमा ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि 'पहले हमारा फैसला मंदिरों के पास गोमांस खाने पर रोक लगाने का था, लेकिन अब हमने इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया है। यानी आप किसी भी सामुदायिक स्थान, सार्वजनिक स्थान, होटल या रेस्तरां में गोमांस नहीं खा सकेंगे।'

सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि असम में गो-हत्या रोकने के लिए हम 3 साल पहले कानून लाए थे. इस कानून से हमें गो-हत्या के खिलाफ काफी सफलता मिली है. अब हमने फैसला लिया है कि राज्य में किसी होटल, रेस्टोरेंट या सार्वजनिक स्थान पर बीफ नहीं परोसा जाएगा. पहले हमारा फैसला था कि किसी मंदिर के 5 किलोमीटर दायरे तक गोमांस नहीं परोसा जाएगा। सरमा ने कहा, 'हमने फैसला किया है कि किसी भी रेस्तरां या होटल में गोमांस नहीं परोसा जाएगा। इसलिए आज से हमने होटलों, रेस्तरां और सार्वजनिक स्थानों पर गोमांस की खपत को पूरी तरह से बंद करने का फैसला किया है।

हिमंता बिस्वा सरमा के इस फैसले के बाद सरकार में मंत्री पीजूष हजारिका ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने असम कांग्रेस को चैलेंज किया है। हजारिका ने कहा,मैं असम कांग्रेस को चुनौती देता हूं कि वो गोमांस प्रतिबंध का स्वागत करे या फिर पाकिस्तान जाकर बस जाए।

असम सरकार का ये फैसला उस वक्त आया है जब राज्य में गोमांस को लेकर सियासत तेज है। दरअसल, कांग्रेस सांसद रकीबुल हुसैन ने आरोप लगाया था कि नगांव जिले के सामगुरी विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी कार्यकर्ताओं की ओर से बीफ पार्टी का आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा था कि इसका मकसद मुस्लिम मतदाताओं को रिझाना था। सामगुरी सीट पर उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान हुआ था। 23 नवंबर को रिजल्ट आने के बाद कांग्रेस की हार पर सांसद रकीबुल हुसैन ने भाजपा पर बीफ बांटने का आरोप लगाया था।

सरमा ने इन आरोपों पर कहा था कि रकीबुल हुसैन ने एक अच्छी बात कही है कि बीफ खाना गलत बात है।सीएम ने सोमवार को कहा था, मैं रकीबुल हुसैन से जानना चाहता हूं कि बीफ पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने खुद इस बात को स्वीकार किया कि बीफ खाना गलत है, तो ऐसी स्थिति में इस पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, मैं अब रकीबुल हुसैन के बयान को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेन बोरा को पत्र लिखूंगा और उनसे पुछूंगा कि क्या वो भी रकीबुल हुसैन की तरह बीफ पर प्रतिबंध लगाने की वकालत करते हैं।

दादा को अनुभव है शाम और सुबह भी लेने का, जब शपथ लेने को लेकर शिंदे ने ली अजित पवार की चुटकी

#maharashtra_deputy_cm_eknath_shinde_ajit_pawars_reply_funny_moment

महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस कल शपथ लेंगे। हालांकि, एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होंगे या नहीं इसपर संशय बना हुआ है। उन्होंने कहा है कि कल तक का इंतजार करो। इससे पहले आज महायुति के नेताओं ने राज्यपाल से मिलकर राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया है। वहीं इसके बाद महायुति के तीनों नेताओं (एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें एकनाथ शिंदे और अजित पवार एक-दूसरे के बयानों पर मजाकिया अंदाज में चुटकी लेते नजर आए हैं।

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद फडणवीस, शिंदे और पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। फडणवीस और शिंदे दोनों ने कहा कि कितने और कौन-कौन मंत्री शपथ लेंगे, इसकी जानकारी दे दी जाएगी। शपथ ग्रहण का कार्यक्रम कल 5:30 बजे आजाद मैदान में होगा। फडणवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में यह कार्यक्रम होगा।

मीडिया ने सवाल पूछा कि शिंदे और पवार डिप्टी सीएम की शपथ लेंगे? इस सवाल के जवाब में एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह सब आपको बुधवार शाम तक पता चल जाएगा। तभी अजित पवार बीच में बोलते हैं कि शाम तक उनका समझ में आएगा, मैं तो शपथ लेने वाला हूं। जिसके बाद राजभवन में ठहाके लगे। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने मजाकिया लहजे में यह भी कहा कि दादा को सुबह और शाम कभी भी शपथ ले सकते हैं।अजित दादा को दिन में और शाम को शपथ लेने का अनुभव है। जिसपर पवार ने कहा कि पहले तो सुबह शपथ ले ली थी, तो कुछ रह गया था इसलिए अब शाम को शपथ लेंगे मजबूती के साथ।

यह सुनते ही पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बार फिर हंसी गूंज उठी। शिंदे का यह बयान पिछले सियासी घटनाक्रम की ओर इशारा था, जब 2019 में अजित पवार ने सुबह-सुबह देवेंद्र फडणवीस के साथ डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। लेकिन उसी शाम वे महाविकास अघाड़ी में शामिल हो गए थे और सरकार का नेतृत्व उद्धव ठाकरे ने किया था।