रांची में आयोजित क्लासिक डेट लिफ्ट प्रतियोगिता में आर्य व्यायाम शाला ने किया बेहतर प्रदर्शन


66 किलो में अभय बर्मन तथा 74 किलो में सुमित हुए प्रथम

कतरास : झारखंड राज्य क्लासिक डेडलिफ्ट प्रतियोगिता 1 दिसंबर को रांची के गुरुनानक हाई स्कूल में अयोजित की गयी. प्रतियोगिता में लगभग 200 खिलाड़ियों ने भाग लिया. 

उक्त प्रतियोगिता में आर्य व्यायामशाला के 3 खिलाड़ियों ने भाग लिया जिसमें 66 किलो मास्टर वर्ग में अभय बर्मन ने प्रथम स्थान प्राप्त किया.वहीं 74 किग्रा वर्ग में सुमित ने प्रथम स्थान लाकर क्लब का मान बढ़ाया.जबकि 105 किग्रा वर्ग में अनुज कुमार महतो ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। 

वही राजा लहेरी, आयुष गुप्ता, नूर आलम, अंकुश आदि शामिल थे. क्लब के पावरलिफ्टिंग के खिलाड़ियों द्वारा बेहतर प्रदर्शन किए जाने पर अध्यक्ष विजय कुमार झा,गुरुजी दुर्गा राम, वरीयअधिवक्ता दीपनारायण भट्टाचार्य, सचिव दीपक गुप्ता, रणधीर बर्मन, माणिक महतो, राजेश सिंह, कालाचंद बावरी, राजा लहेरी, आयुष गुप्ता, अंकुश विश्वकर्मा, एमडी नूर, राज रवानी, आकाश रवानी, सिंटू मुखर्जी, धनस्वर रे, अभिषेक सिंह, फैज़ान रज़ा आदि ने बधाई दी है।

मलेशिया में फंसे झारखंड के 52 मजदूर,हजारीबाग के सबसे ज्यादा; 20 दिसंबर तक लौटेंगे वापस


हजारीबाग : मलेशिया में फंसे झारखंड के 52 मजदूरों में सर्वाधिक 27 मजदूर हजारीबाग के हैं। हजारीबाग जिले के टाटी झरिया प्रखंड के 16 व बिष्णुगढ़ प्रखंड के 11 मजदूर शामिल हैं।

मलेशिया में फंसे झारखंड के 52 मजदूर, हजारीबाग के सबसे ज्यादा; 20 दिसंबर तक लौटेंगे वापस

झारखंड के गिरिडीह के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के प्रयास से मलेशिया में फंसे 61 मजदूरों की देश वापसी का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

सांसद ने बताया कि मलेशिया में गत जुलाई 2023 से ही 61 मजदूर फंसे हुए हैं, जिनमें 52 मजदूर झारखंड के हैं। सभी मजदूर 11 से 20 दिसंबर तक अपने देश लौट जाएंगे। सांसद ने बताया कि फंसे मजदूरों का मामला उन्होंने सोमवार को संसद में नियम 377 के तहत सभा पटल पर रखा।

भारत सरकार की ओर से अवगत कराया गया कि सभी मजदूरों को मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर स्थित भारतीय दूतावास में रखा गया है। कुछ कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा रही है। इसके बाद तय तिथि पर इन मजदूरों को देश वापस लाया जाएगा।

विदेश मंत्री को पत्र लिख वापसी का किया प्रयास

सांसद ने बताया कि कई मौके पर उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिखकर व उनसे मिलकर इन मजदूरों की ओर देश वापसी का प्रयास किया। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय के अधिकारियों व केंद्र सरकार के आला अधिकारियों से संपर्क कर मजदूरों की वतन वापसी का मार्ग प्रशस्त कराया है।

झारखंड के चार जिलों के मजदूर फंसे

मलेशिया में फंसे झारखंड के 52 मजदूरों में सर्वाधिक 27 मजदूर हजारीबाग के हैं। सांसद ने बताया कि फंसे मजदूरों में झारखंड के गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड के 07, बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड के 18, हजारीबाग जिले के टाटी झरिया प्रखंड के 16 व बिष्णुगढ़ प्रखंड के 11 मजदूर शामिल हैं। शेष मजदूर ओडिशा, उत्तर प्रदेश व तेलंगाना राज्य के हैं।

भोजन के भी लाले पड़े हैं : मजदूर

उधर, मलेशिया में फंसे बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड अंतर्गत छोटकी सीधावारा निवासी गणेश कुमार महतो ने बताया कि जब से हम लोग यहां पर आए हैं, तब से ही मुसीबत में हैं। वेतन तो दूर भोजन के भी लाले पड़े हैं। बीमार पड़ने पर इलाज कराने वाला भी कोई नहीं है। 

भांति-भांति की धमकियां सहनी पड़ रही है। स्थिति दयनीय हो गई। किसी तरह से हम मजदूरों ने गिरिडीह के सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी को अपनी दशा से अवगत करवाकर देश वापसी की गुहार लगायी। उनके प्रयास का प्रतिफल है कि हम सब फिलहाल भारतीय दूतावास में ठहरे हुए हैं। उम्मीद है शीघ्र ही अपना देश लौटेंगे।

श्रीमद् भागवत कथा प्रारंभ के पूर्व निकली गई कलश भव्य यात्रा

धनबाद ;मंगलवार को समस्त हाउसिंग कॉलोनीवासी कथा प्रेमी भक्तजनों द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन बहुत धूम धाम से प्रातः 9 बजे -कथा स्थल से गाजे बाजे के साथ भक्तों ने भव्य कलश यात्रा निकाली। जिसमें नगर भ्रमण करते हुये पुनः कथा स्थल पर पहुंचे। हाउसिंग कॉलोनी में कथा के पहले दिन भागवत‌ कथा के महत्म पर प्रकाश डालते हुयें श्रीमद भागवत कथा के कथा व्यास महन्त राजीव लोचन शरण पीठाधीश्वर श्री सदगुरु बधाई भवन,अयोध्या ने बतलाया कि कल‌युग में भक्तों को मुक्ति का मार्ग केवल भगवत नाम, संकीर्तन व भागवत कथा है।

 जो सज्जन सच्चे मन से कथा का श्रवण करते उनके जीवन के सभी पातक नष्ट हो जाते है। तथा अंतिम में मोक्ष की प्राप्ती होती है। पुण्यात्मा तो कथा श्रवण कर मुक्ति पाते ही है लेकिन बुरे कर्म करने वाले के नाम से संकल्प करके कथा उनके परिवार जन भथा। सुनते तो उनके 7 पीढ़ी का उद्धार हो जाता है।

जिसमें धुन्धकारी प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया अतः प्रत्येक व्यक्ति जब संसार में जन्म लेता तो उस मानव का एक कर्तव्य होता कि ज्यादा से ज्यादा सत्कर्म करो क्योकि हमारा सनातन हिन्दू धर्म केवल अपनो से बड़ों का आदर सम्मान करना, समाज में भाईचारा लाना तथा अपने युवा पीढ़ी को संस्कार प्रदान करना होता। अतः जो जीवन को कथा से जोड़ने से ही प्रभू कृपा प्राप्त होती है।अतः भागवत कथा ही इस युग में केवल मुक्ति का भार्ग प्रदान करती है। और भागवत माहत्म से हम सभी को यही प्रेरणा मिलती। 

कथा में समाजसेवी उदय प्रताप सिंह, रामा सिन्हा कांग्रेस जिला अध्यक्ष संतोष सिंह सोनी सिंह, विवेक सिंन्हा, अविनाश पांडे, आर के शाही, कार्तिकेय गौतम, मनीष रंजन, राहुल, पवन कुमार तथा मुख्य जजमान आरके सिंह और उनकी पत्नी तथा समस्त हाउसिंग कॉलोनी और धनबाद जिला के हजारों श्रोताओं ने कथा श्रवण कर कथा व्यास महंत राजीव लोचन शरण का आशीर्वाद लिया।

बेटी का बर्थ डे मनाकर घर से निकले युवक की मिली लाश, हत्या या दुर्घटना जांच में जुटी पुलिस

गिरिडीह - बिहार के बॉर्डर पर एक युवक की लाश मिली है. इससे सनसनी फैल गई है. पुलिस जांच में जुटी है.

बेटी का बर्थ डे मनाकर घर से निकले युवक की मिली लाश

गिरिडीहः अपनी बेटी का बर्थडे मनाने के बाद घर से निकले युवक की लाश मिली है, जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है. युवक की लाश जमुआ- देवघर मुख्य मार्ग पर देवरी थाना क्षेत्र के पथराटांड के पास सड़क के किनारे मिली है. शव से महज ढाई मीटर की दूरी पर उसकी बाइक भी पड़ी हुई मिली है. मृतक युवक की पहचान बिहार के चकाई थाना क्षेत्र के घुटिया गांव निवासी कारू राम के 21वर्षीय पुत्र अजय कुमार के रूप में हुई है.

मंगलवार की सुबह शव पर लोगों की नजर पड़ी जिसके बाद पुलिस और परिजनों को खबर दी गई. घटना की सूचना पर देवरी थाना के सब इंस्पेक्टर उपेंद्र यादव मौके पर पहुंचे और लाश को कब्जे में लेकर छानबीन शुरू की. घटनास्थल पर मौजूद मृतक के परिजनों का कहना है कि सोमवार की रात को अजय अपनी पुत्री का बर्थडे मना रहा था. बर्थडे मनाने के बाद देर रात को अजय घर से यह कह कर निकला कि वह मकडीहा जा रहा है.

मंगलवार की सुबह उन्हें यह जानकारी मिली कि अजय की लाश सड़क के किनारे पड़ी हुई है. इधर अजय की मौत को लेकर सस्पेंस बरकरार है. कुछ लोग इसे दुर्घटना बता रहे हैं तो कुछ लोग हत्या की आशंका व्यक्त कर रहे हैं. देवरी थाना के सब इंस्पेक्टर उपेंद्र यादव का कहना है कि अभी लाश को कब्जे में लिया गया है, शब का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा उसके बाद ही या साफ होगा कि अजय की मौत कैसे हुई है.

सरायकेला: खरकाई नदी से सटे जंगल में एक युवती की हत्या में शामिल लोगों की गिरफ्तारी को लेकर भाजपा नेता ने दिया धरना


सरायकेला जिले के आरआईटी थाना अंतर्गत मीरूडीह सीतारामपुर की रहने वाली आदिवासी युवती संजना हांसदा की गत बुधवार की रात सरायकेला थाना अंतर्गत राजननगर मार्ग पर स्थित राधा स्वामी सत्संग के पीछे खरकाई नदी से सटे जंगल में बेरहमी से हत्या कर दी गई थी.

 चार दिनों बाद परिजनों ने शव की पहचान की. इसके बाद पुलिस हरकत में आई और एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. मगर परिजन इससे संतुष्ट नहीं है. परिजनों का आरोप है कि युवती की हत्या में और लोग शामिल हैं जिन्हें पुलिस बचा रही है.

मंगलवार को भाजपा नेता रमेश हांसदा के नेतृत्व में सैकड़ों लोग जिला मुख्यालय पहुंचे और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए मामले की निष्पक्ष जांच करने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए. आक्रोशित लोगों ने सरायकेला- टाटा मुख्य मार्ग को जाम कर दिया. 

समाचार भेजे जाने तक धरना- प्रदर्शन जारी था. भाजपा नेता रमेश हांसदा ने बताया कि जब तक पीड़िता को इंसाफ नहीं मिलेगा तब तक उसके शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा. उन्होंने बताया कि घटना स्थल से पुलिस ने जो सामान जब्त किया है उसके अनुसार घटना में एक से अधिक लोगों के होने की संभावना जताई जा रही है.

निष्पक्ष जांच को लेकर सरायकेला- टाटा मार्ग किया जाम

बुधवार की रात सरायकेला थाना अंतर्गत राजननगर मार्ग पर स्थित राधा स्वामी सत्संग के पीछे खरकाई नदी से सटे जंगलों में बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. चार दिनों बाद परिजनों ने शव की पहचान की उसके बाद पुलिस हरकत में आई और एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन परिजन इससे संतुष्ट नहीं है.

 परिजनों का यह है आरोप

परिजनों का आरोप है कि युवती की हत्या में और लोग भी शामिल हैं, जिन्हें पुलिस बचा रही है. जिसको विरोध में आज बीजेपी नेता रमेश हांसदा के नेतृत्व में सैकड़ो लोग जिला मुख्यालय पहुंचे और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए मामले की निष्पक्ष जांच करने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए हैं. आक्रोशित लोगों ने सरायकेला- टाटा मुख्य मार्ग को जाम कर दिया है.

झारखंड की ट्रेजरी से निकाले गए 2,812 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिलने का मामला गरमाया, बाबूलाल मरांडी ने कहां सरकार इसका हिसाब दे

झारखण्ड डेस्क 

रांची, झारखंड की ट्रेजरी से निकाले गए 2,812 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिलने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। ट्रेजरी से 2,812 करोड़ गायब होने को लेकर भाजपा नेता और प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है।

उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि 2800 करोड़ से ज्यादा रुपये कहां गायब हो गए, यह सरकार को बताना चाहिए। ऐसी लापरवाही नहीं चल सकती। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि शायद इन लोगों ने अपनी तिजोरी भर ली है, कहां क्या किया है यह जांच का विषय है। सरकार को जनता को बताना चाहिए पैसा कहां गया है। पैसा जनता का होता है, यह जनता का पैसा है। अगर पैसा इधर से उधर होता है, गायब होता है, उसका हिसाब नहीं मिलता है तो उसके लिए सरकार जिम्मेदार है। सरकार को बताना चाहिए कि पैसा कहां गया?

बता दें कि इससे पहले बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट कर कहा, झारखंड सरकार के खजाने से 2,812 करोड़ रुपये के गबन का गंभीर मामला सामने आया है। यह राशि पिछले कई सालों में एसी-डीसी बिल के तहत एडवांस के रूप में निकाली गई, लेकिन अब तक इसका कोई हिसाब नहीं दिया गया। महालेखाकार (सीएडी) ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि 4,937 करोड़ रुपये के डीसी बिल लंबित हैं, जिनमें से सिर्फ 1,698 करोड़ रुपये का समायोजन हुआ है।

उन्होंने आगे कहा, रिपोर्ट के अनुसार, विशेष रूप से ग्रामीण विकास विभाग से 411 करोड़ रुपये अन्य विभागों ने निकाले, जिसका कोई हिसाब नहीं। नियमों के अनुसार, एडवांस में निकाली गई राशि का उपयोग और हिसाब एक महीने के भीतर देना अनिवार्य है, लेकिन राज्य सरकार के कई विभाग इस प्रक्रिया को सालों से नजरअंदाज कर रहे हैं। मार्च 2023 में गठित उच्चस्तरीय समिति ने इस मुद्दे की समीक्षा की थी, लेकिन इसके बाद भी रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। गबन का यह मामला न केवल सरकारी तंत्र की उदासीनता को दर्शाता है, बल्कि वित्तीय पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल उठाता है।

नवनिर्वाचित विधायक की गाड़ियों का काफिला आपस में टकराई, मची अफरातफरी



झारखण्ड डेस्क 

गढ़वा। बड़ी खबर झारखंड के गढ़वा जिले से आई है, झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक नवनिर्वाचित विधायक की गाड़ियों का काफिला आपस में टकरा गया। इसमें 3 गाड़ियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। घटना के बाद अफरातफरी मच गयी।

दुर्घटना भवनाथपुर-श्री बंशीधरनगर मुख्य पथ पर वन डिपो के पास हुई। विधायक अनंत प्रताप देव एक दर्जन गाड़ियों के काफिले के साथ पूजा-पाठ करने के लिए केतार मंदिर जा रहे थे। गनीमत यह रही कि दुर्घटना में किसी को चोट नहीं आई

साहिबगंज तीनपहाड़ थाना क्षेत्र में दो नकाबपोश अपराधियों ने गंगोत्री फिलिंग स्टेशन के मालिक को गोली मार कर कर दी हत्या


झारखण्ड डेस्क 

बड़ी खबर झारखंड के साहिबगंज से आई है, जहां तीनपहाड़ थाना क्षेत्र में दो नकाबपोश अपराधियों ने गंगोत्री फिलिंग स्टेशन के मालिक शालिग्राम मंडल को गोली मार दी। घायल शालिग्राम को आनन-फानन में राजमहल अनुमंडल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

मिली जानकारी के मुताबिक राजमहल मेन रोड के लालवन बाइपास के पास सोमवार को नकाबपोश अपराधियों ने लगभग 10:45 बजे मंडल कोच बस और गंगोत्री फिलिंग स्टेशन बभनगामा के मालिक शालिग्राम मंडल की गोली मारकर हत्या कर दी।

राजमहल थाना क्षेत्र दलाही गांव निवासी शालिग्राम मंडल रोज की तरह तीनपहाड़ अस्थायी बस स्टैंड गए। उसके बाद अपने गंगोत्री फिलिग स्टेशन बभनगामा से लाखों रुपए नगद लेकर भारतीय स्टेट बैंक पररिया के लिये निकल गए। जैसे ही वह लालवन बाईपास पार किये, दो नकाबपोश अपराधियों ने उनको साइड से सटा कर गोली मार दी, जिससे वह वहीं गिर गए।

गोली लगने के बाद शालिग्राम मंडल के आसपास लोग जमा हो गए। कुछ देर बाद तीनपहाड़ थाना का गश्ती दल भी पहुंच गया। घायल शालिग्राम मंडल को उठा कर इलाज के लिये अनुमंडल अस्पताल राजमहल ले जाया गया। जहां इलाज कर रहे चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

घटना के बाद बरहरवा एसडीपीओ नितिन खण्डेलवाल, तीनपहाड़ थाना प्रभारी मो. शाहरुख, राधानगर थाना प्रभारी नितेश पांडे, तालझारी थाना प्रभारी अमर कुमार मिंज, राजमहल थाना प्रभारी गुलाम सरवर पुलिस बल के साथ घटना स्थल पर पहुंचे और मामले की जांच की आसपास के लोगों से पूछताछ की।

हेमंत सरकार के सर्वदलीय समिति जाएगी असम,वहां झारखण्ड से ले जाकर बसाये गए आदिवासी कि स्थिति का लेगी जयजा


झारखण्ड डेस्क 

झारखण्ड में विधानसभा चुनाव के दौरान हिमंता विश्व सरमा चुनाव प्रभारी के रूप में लगातार हेमंत सोरेन पर हमलाबर रहे. हालांकि हिमांता का बयान भाजपा के लिए उल्टा दाव पड़ा और भाजपा झारखण्ड में बुरी तरह हार गए और हेमंत सोरेन की सरकार एक तिहाई बहुमत से वापस आयी. अब हेमंत सोरेन ने अपनी राजनितिक दाव चलते हुए असम को बड़ा झटका देने की तैयारी में लग गए हैं जिससे बबाल मच गया है.

नए सरकार में शपथ लेने के बाद झारखण्ड सरकार ने निर्णय लिया है कि असम की चाय बागानों में काम करने गए झारखंड के मजदूरों के हित को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। हेमंत सोरेन सरकार ने असम में काम कर रहे झारखंडी मजदूरों की स्थिति के बारे में जानकारी हासिल करने का फैसला लिया।आदिवासियों को असम, अंडमान और निकोबार में बसाया गया।

झारखंड कैबिनेट की बैठक के बाद समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया को बताया कि एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा हुई है। उन्होंने बताया कि झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों को देश के विभिन्न हिस्सों में बसाया गया। असम, अंडमान और निकोबार और अन्य जगहों में बसाया गया है।उन्हें अंग्रेज़ काम करने के लिए वहां ले गए थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन आदिवासियों की आबादी 15-20 लाख है, लेकिन उन्हें अभी तक वहां आदिवासी का दर्ज़ा नहीं मिला है। उनकी सरकार ऐसे सभी मूल निवासियों को झारखंड लौटने के लिए आमंत्रित कर रही है। इस मुद्दे के लिए एक मंत्री स्तर की समिति बनाई जाएगी। यह एक सर्वदलीय समिति होगी जिसके प्रतिनिधि उन सभी जगहों पर जाएंगे। वहां के मुद्दों का आकलन करेंगे और राज्य सरकार को बताएंगे।

चाय जनजातियों के लिए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण

कैबिनेट की बैठक समाप्त होने के बाद विभाग की सचिव वंदना दादेल ने बताया कि असम राज्य में झारखंड मूल की चाय जनजातियां को अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा प्राप्त है। उन्होंने बताया कि इन चाय जनजातियों की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक कल्याण सर्वेक्षण कराया जाएगा।

कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में कमेटी गठित होगी

चाय जनजातियों की आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण के लिए एक समिति गठित की जाएगी। झारखंड के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री के नेतृत्व में एक समिति गठित की जाएगी। झारखंड सरकार की ओर से आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण करा कर चाय जनजातियों को उनका हक-अधिकार दिलाने के लिए पहल की जाएगी।

क्या विधानसभा चुनाव के दौरान हिमांता विस्व सरमा द्वारा सोरेन परिवार पर प्रहार का है यह जवाब 

राजनीतिक जानकारों के अनुसार असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरकार बार-बार झरखंड आ रहे हैं, इसलिए झारखंड कैबिनेट के इस फैसले का दूरगामी प्रभाव पड़ने वाला है। जानकरों के अनुसार असम की अर्थव्यवस्था में वहां के चाय बगान का 5000 करोड़ रुपए का योगदान है, जबकि तीन हजार करोड़ रुपये फॉरेन करेंसी की मिलती है। इतना ही नहीं वहां चाय बगानों में लगभग सात लाख मजदूर काम करते हैं, जिसमें 70 फीसदी झारखंड संताल परगना और राज्य के अलग-अलग इलाकों के आदिवासी-मूलवासी हैं।

ये 1840 में ले जाये गए असम

1840 के दशक के दौरान छोटानागपुर क्षेत्र के आदिवासी ब्रिटिश नियंत्रण के विस्तार के खिलाफ विद्रोह कर रहे थे और असम में चाय उद्योग के विस्तार के लिए सस्ते श्रमिकों की कमी हो रही थी। इस कारण ब्रिटिश अधिकारियों ने मुख्य रूप से आदिवासियों और कुछ पिछड़ी जाति के हिन्दुओं को अनुबंधित मजदूरों के रूप में असम के चाय बागानों में काम करने के लिए भर्ती किया। इस तरह से धीरे-धीरे झारखंड के हजारों-लाख आदिवासी असम जाकर मजदूर बन गए।

अब झारखंड सरकार के इस फैसले से असम की राजनीति पर भी असर पड़ेगा। पहले तो वहां की सरकार पर झारखंड के आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने की मांग के जोर पकड़ने की संभावना है। वहीं इन चाय मजदूरों को आर्थिक तौर पर उनके योगदान को सम्मान भी मिलने की उम्मीद है।

हेमंत सरकार के सर्वदलीय समिति जाएगी असम,वहां झारखण्ड से ले जाकर बसाये गए आदिवासी कि स्थिति का लेगी जयजा

* झारखण्ड डेस्क झारखण्ड में विधानसभा चुनाव के दौरान हिमंता विश्व सरमा चुनाव प्रभारी के रूप में लगातार हेमंत सोरेन पर हमलाबर रहे. हालांकि हिमांता का बयान भाजपा के लिए उल्टा दाव पड़ा और भाजपा झारखण्ड में बुरी तरह हार गए और हेमंत सोरेन की सरकार एक तिहाई बहुमत से वापस आयी. अब हेमंत सोरेन ने अपनी राजनितिक दाव चलते हुए असम को बड़ा झटका देने की तैयारी में लग गए हैं जिससे बबाल मच गया है. नए सरकार में शपथ लेने के बाद झारखण्ड सरकार ने निर्णय लिया है कि असम की चाय बागानों में काम करने गए झारखंड के मजदूरों के हित को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। हेमंत सोरेन सरकार ने असम में काम कर रहे झारखंडी मजदूरों की स्थिति के बारे में जानकारी हासिल करने का फैसला लिया।आदिवासियों को असम, अंडमान और निकोबार में बसाया गया। झारखंड कैबिनेट की बैठक के बाद समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया को बताया कि एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा हुई है। उन्होंने बताया कि झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों को देश के विभिन्न हिस्सों में बसाया गया। असम, अंडमान और निकोबार और अन्य जगहों में बसाया गया है।उन्हें अंग्रेज़ काम करने के लिए वहां ले गए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन आदिवासियों की आबादी 15-20 लाख है, लेकिन उन्हें अभी तक वहां आदिवासी का दर्ज़ा नहीं मिला है। उनकी सरकार ऐसे सभी मूल निवासियों को झारखंड लौटने के लिए आमंत्रित कर रही है। इस मुद्दे के लिए एक मंत्री स्तर की समिति बनाई जाएगी। यह एक सर्वदलीय समिति होगी जिसके प्रतिनिधि उन सभी जगहों पर जाएंगे। वहां के मुद्दों का आकलन करेंगे और राज्य सरकार को बताएंगे। *चाय जनजातियों के लिए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण* कैबिनेट की बैठक समाप्त होने के बाद विभाग की सचिव वंदना दादेल ने बताया कि असम राज्य में झारखंड मूल की चाय जनजातियां को अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा प्राप्त है। उन्होंने बताया कि इन चाय जनजातियों की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक कल्याण सर्वेक्षण कराया जाएगा। *कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में कमेटी गठित होगी* चाय जनजातियों की आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण के लिए एक समिति गठित की जाएगी। झारखंड के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री के नेतृत्व में एक समिति गठित की जाएगी। झारखंड सरकार की ओर से आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण करा कर चाय जनजातियों को उनका हक-अधिकार दिलाने के लिए पहल की जाएगी। *क्या विधानसभा चुनाव के दौरान हिमांता विस्व सरमा द्वारा सोरेन परिवार पर प्रहार का है यह जवाब* राजनीतिक जानकारों के अनुसार असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरकार बार-बार झरखंड आ रहे हैं, इसलिए झारखंड कैबिनेट के इस फैसले का दूरगामी प्रभाव पड़ने वाला है। जानकरों के अनुसार असम की अर्थव्यवस्था में वहां के चाय बगान का 5000 करोड़ रुपए का योगदान है, जबकि तीन हजार करोड़ रुपये फॉरेन करेंसी की मिलती है। इतना ही नहीं वहां चाय बगानों में लगभग सात लाख मजदूर काम करते हैं, जिसमें 70 फीसदी झारखंड संताल परगना और राज्य के अलग-अलग इलाकों के आदिवासी-मूलवासी हैं। *ये 1840 में ले जाये गए असम* 1840 के दशक के दौरान छोटानागपुर क्षेत्र के आदिवासी ब्रिटिश नियंत्रण के विस्तार के खिलाफ विद्रोह कर रहे थे और असम में चाय उद्योग के विस्तार के लिए सस्ते श्रमिकों की कमी हो रही थी। इस कारण ब्रिटिश अधिकारियों ने मुख्य रूप से आदिवासियों और कुछ पिछड़ी जाति के हिन्दुओं को अनुबंधित मजदूरों के रूप में असम के चाय बागानों में काम करने के लिए भर्ती किया। इस तरह से धीरे-धीरे झारखंड के हजारों-लाख आदिवासी असम जाकर मजदूर बन गए। अब झारखंड सरकार के इस फैसले से असम की राजनीति पर भी असर पड़ेगा। पहले तो वहां की सरकार पर झारखंड के आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने की मांग के जोर पकड़ने की संभावना है। वहीं इन चाय मजदूरों को आर्थिक तौर पर उनके योगदान को सम्मान भी मिलने की उम्मीद है।