लोकसभा में सिटिंग प्लानःगडकरी के बैठने की जगह बदली, जानें अब बैठेंगी प्रियंका? ऐसा है नया सीटिंग अरेंजमेंट*
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देश की सबसे बड़ी पंचायत में सीटों की व्यवस्था तय कर दी गई है। 18वीं लोकसभा में सीटों में बैठने के क्रम में थोड़ा बदलाव किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लोकसभा में सीट नंबर एक आवंटित की गई है, जबकि अगली पंक्ति के दूसरी तरफ उनके सामने वाली सीट विपक्ष के नेता राहुल गांधी के लिए निर्धारित की गई है। लोकसभा सचिवालय की ओर जारी लेटर के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पहले दूसरे कॉलम में डिवीजन नंबर 58 आवंटित किया गया था, लेकिन अब उन्हें गृह मंत्री अमित शाह के बगल वाली सीट संख्या चार दी गई है। वहीं पहली बार लोकसभा पहुंचीं प्रियंका गांधी की सीट भी निर्धारित कर दी गई है। लोकसभा सचिवालय ने एक सर्कुलर जारी किया है जिसमें पार्टियों से मिले इनपुट के आधार पर लोकसभा स्पीकर ने सीटों का आवंटन किया हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के पास ट्रेजरी बेंच में पहली तीन सीटें होंगी। पीएम मोदी की सीट नंबर 1 है। पीएम के बाद पहली पंक्ति में राजनाथ सिंह, अमित शाह बैठेंगे। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी अगली पंक्ति में सीटें आवंटित की गई हैं। भारी उद्योग मंत्री और जनता दल (सेक्युलर) नेता एचडी कुमारस्वामी, मत्स्य पालन मंत्री और जदयू के नेता राजीव रंजन सिंह, नागरिक उड्डयन मंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के नेता राममोहन नायडू, एमएसएमई मंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी को एनडीए के कोटे से अग्रिम पंक्ति की सीटें मिली है। हाल ही में वायनाड लोकसभा सीट से उपचुनाव जीतने वाली कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को सीट नंबर 517 आवंटित की गई है, जो चौथी लाइन में है। विपक्ष की ओर से पहली कतार में पहली सीट पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी बैठेंगे। उनकी सीट का नंबर 498 है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव विपक्षी दीर्घा की आगे की पंक्ति में सीट संख्या 355 पर बैठेंगे।अखिलेश यादव तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता सुदीप बंदोपाध्याय के बगल में बैठेंगे। टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी, कल्याण बनर्जी और सौगत रॉय को दूसरी पंक्ति में क्रमशः 280, 281 और 284 नंबर की सीटें आवंटित की गई हैं। द्रमुक नेता टी आर बालू और ए राजा को भी आगे की पंक्ति में सीटें आवंटित की गई हैं।
दिल्ली की दहलीज पर डटे किसान, इन मांगों पर हैं अड़े, सात दिनों में बनेगी बात?*
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दिल्ली कूच कर रहे किसानों ने अगले एक सप्ताह के लिए अपने आंदोलन पर ब्रेक लगा दिया है। हालांकि, वे इस दौरान किसान दलित प्रेरणा स्थल पर डटे रहेंगे।किसानों ने कहा कि अगर सात दिनों के भीतर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे फिर से दिल्ली की ओर कूच करेंगे। उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 5,000 किसानों ने सोमवार को संसद तक अपना ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू किया। अपनी दस मांगों को लेकर निकले किसानों को किसी तरह पुलिस ने बॉर्डर पर रोका। हालांकि, ये ब्रेक अभी अस्थायी है। अधिकारियों के आश्वासन पर किसानों का कहना है कि एक हफ्ते तक वो दलित प्रेरणा स्थल में ही प्रदर्शन करेंगे। फिर भी अगर उनकी मांगें न मानी गईं तो वो दिल्ली कूच करेंगे। इस बार लड़ाई आर-पार की होगी। *सचिव स्तर पर बात होगी* किसान एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर खलीफा का कहना है कि अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि शासन के सचिव स्तर पर बात होगी। अगर, एक सप्ताह में बात नहीं कराई गई तो हम दिल्ली जाकर संसद का घेराव करने के लिए निकलेंगे। किसान ठंड में धरने पर जोर-शोर से डटे हुए हैं। उनके खाने-पीने की व्यवस्था की गई है। *बैरिकेडिंग के कारण ट्रैफिक व्यवस्था पर असर* किसानों के आंदोलन के कारण नौएडा में ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गयी है। यातायात अवरूद्ध हो जाने के कारण दिल्ली-नोएडा सीमा से गुजरने वाले यात्रियों को असुविधा हुई। किसानों के महाजुटान को देखते हुए मंगलवार को भी ट्रैफिक व्यवस्था पर असर की आशंका है। हालांकि मंगलवार को किसान सड़क पर नहीं उतरेंगे। किसानों के जमावड़े को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। प्रशासन की तरफ से जगह-जगह पर बैरिकेडिंग की गई है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके। बैरिकेडिंग के कारण ट्रैफिक व्यवस्था पर असर देखने को मिल रहा है। *5,000 पुलिसकर्मी तैनात* नोएडा के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त शिवहरि मीणा ने बताया कि किसानों को रोकने के लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है। विभिन्न स्थानों पर चेकिंग के लिए 5,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। 1,000 से अधिक पीएससीकर्मी भी तैनात है। किसी भी आपात स्थिति से निपटने और यातायात प्रबंधन के लिए वाटर कैनन, टीजीएस दस्ते, अग्निशमन दस्ते को भी तैनात किया गया है। *किसानों की मांगें* ➤कानूनी गारंटी वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) ➤कृषि ऋण माफ ➤किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन ➤पिछले विरोध प्रदर्शनों के दौरान दर्ज किए गए पुलिस मामलों को वापस लेना ➤2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय ➤भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना ➤2020-21 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा
इस साल हल्की पड़ेगी सर्दी, कम रहेगी शीतलहर- मौसम विभाग का अनुमान; 1901 के बाद सबसे गर्म रहा नवंबर महीना

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रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

मौसम विभाग ने कहा कि भारत में हल्की सर्दी और कम शीत लहर वाले दिनों का अनुभव होने वाला है और इस मौसम में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है। अपेक्षाकृत गर्म सर्दियों का पूर्वानुमान तब आया जब देश ने 1901 के बाद से दूसरा सबसे गर्म नवंबर अनुभव किया, जिसमें औसत अधिकतम तापमान 29.37 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया - जो इस मौसम के सामान्य 28.75 डिग्री से 0.623 डिग्री अधिक है।

पूर्वानुमान के अनुसार, सर्दियों के मौसम में सामान्य पांच से छह दिनों की तुलना में कम शीत लहर वाले दिन रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इस मौसम के दौरान देश के अधिकांश भागों में सामान्य से अधिक अधिकतम तापमान रहने की संभावना है, सिवाय दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के अधिकांश क्षेत्रों के, जहां सामान्य से कम अधिकतम तापमान रहने की संभावना है।

शीतलहर को लेकर मौसम विभाग का अनुमान

मृत्युंजय महापात्रा ने कहा 'सामान्य रूप से, हम दिसंबर से फरवरी के दौरान ठंडे कोर जोन में पांच से छह शीत लहर वाले दिन देखते हैं, जिसमें उत्तर-पश्चिम, मध्य, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत शामिल हैं। इस साल, हम औसत की तुलना में दो से चार कम शीत लहर वाले दिनों की उम्मीद कर सकते हैं।

कब माना जाता है शीतलहर?

आईएमडी के अनुसार, शीत लहर तब मानी जाती है जब न्यूनतम तापमान (टी-मिन) दैनिक जलवायु मूल्य के 10वें प्रतिशत से कम हो और जलवायु दैनिक टी-मिन 15 डिग्री सेल्सियस से कम हो। इन स्थितियों को लगातार तीन दिनों तक देखा जाना चाहिए ताकि इसे एक शीत लहर घटना के रूप में योग्य बनाया जा सके। मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति नवंबर के गर्म होने का कारण थी।

शांति का नोबेल...फिर अशांत बांग्लादेश को क्यों नहीं संभाल पा रहे मोहम्मद यूनुस?

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बांग्लादेश में अगस्त में तख्तापलट हुआ था। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण में सुधार को लेकर जून से लगातार प्रदर्शन हो रहे थे। अगस्त में प्रदर्शन इतना भयावह हो गया कि शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा। इसके बाद मोहम्मद यूनुस को अंतरिम मुख्य सलाहकार के तौर पर चुना गया। नोबेल पुरस्कार विजेता यूनुस के साथ ही उम्मीद थी कि बांग्लादेश के हालात बेहतर होंगे। अगस्त के बाद यानी शेख हसीना के जाने के बाद चार महीने बीत चुके हैं। हालांकि, देश में लॉ एंड ऑर्डर के हाल बद से बद्दतर होते जा रहे हैं। यूनुस सरकार से बांग्लादेश नहीं संभल रहा। बांग्लादेश में लगातार हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। न केवल हिंदू मंदिरों को तोड़ा जा रहा, बल्कि हिंदुओं पर अत्याचार भी हो रहे हैं। इस हालात में मोहम्मदपर ये कहावत बड़ी सटीक बैठती है कि “जब रोम जल रहा था तो नीरो बाँसुरी बजा रहा था।”

बांग्लादेश के हालात पर पूरी दुनिया में सवेल उठ रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर मोहम्मद यूनुस सरकार क्या कर रही है? किसके इशारे पर यूनुस हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हमले करवा रहे हैं? क्यों वह इसे रोक पाने में नाकाम साबित हो रही है? कुछ तो यूनुस के शांति के नोबेल पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।

कट्टरपथियों को बढ़ावा दे रही

बांग्लादेश में 4 अगस्त के बाद से कट्टरपंथियों का राज कायम हो गया है। मोहम्मद यूनुस इन इस्लामिक फंडामेंटलिस्ट के हाथों की कठपुतली बने हुए हैं। हिंदुओं पर हमले के 2 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन मोहम्मद यूनुस की सरकार इन हमलों को रोक पाने में नाकाम रही है। कट्टरपथियों को बढ़ावा देने और उनके सामने घुटने टेकने के लिए बांग्लादेश की मौजूदा सरकार की इस वक्त पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है।

हमलों के पीछे किनका हाथ?

अमेरिकन एनजीओ, फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज के मुताबिक, 5 अगस्त के बाद से हिंदू समुदाय पर हिंसा के दो सौ से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं, जबकि ज्यादातर मामले सामने ही नहीं आए। चिन्मय कृष्ण दास की राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी ने अशांति को और भड़का दिया है। इसके बाद से ढाका समेत कई बड़े शहरों में प्रोटेस्ट हो रहे हैं। अल्पसंख्यकों पर हमलों के पीछे कथित तौर पर जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश के लोग हैं।

अगस्त में तख्तापलट के बाद से दो घटनाओं में जेल से लगभग सात सौ कैदी फरार हो गए, इनमें से काफी सारे कैदी जमात-उल-मुजाहिदीन के सपोर्टर थे। इस दौरान ही हिंदुओं पर हमले बढ़ते चले गए।

यूनुस के जमात-ए-इस्लामी से रिश्तों के मायने

एक बड़ी चिंता ये है कि यूनुस के जमात-ए-इस्लामी से अच्छे रिश्ते बने हुए हैं। कम से कम उनके हालिया राजनैतिक फैसलों से यही झलकता है। अंतरिम सरकार के लीडर बतौर उन्होंने इस गुट पर लगी पाबंदियां हटा दीं। बता दें कि जमात-ए-इस्लामी पर कट्टरपंथी राजनैतिक गुट है, जिसके खिलाफ खुद वहां की सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए उसके चुनाव में हिस्सा लेने पर रोक लगा दी। पॉलिटिकल गतिविधियों के अलावा वो कोई सभा भी नहीं कर सकती थी। लेकिन अंतरिम सरकार के आते ही उसपर से सारी रोकटोक खत्म हो गई।

हेफाजत-ए-इस्लाम से भी मेल-मिलाप

हेफाजत-ए-इस्लाम भी एक कट्टरपंथी संगठन है, जिससे यूनुस से रिश्ते सामने आ रहे हैं। इस गुट की विचारधारा महिलाओं के बिल्कुल खिलाफ है, यहां तक कि इसके नेता भी अपनी भारत-विरोधी सोच के लिए जाने जाते हैं। यूनुस का हाल में इन नेताओं से संपर्क बढ़ा है। अगस्त 2024 में, उन्होंने इसके नेता ममनुल हक से मुलाकात की थी।

संसद में गतिरोध खत्म करने के लिए सरकार और विपक्ष साथ आए, सर्वदलीय बैठक में बनी सहमति

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संसद के शीतकालीन सत्र में शुरुआत से ही हंगामा जारी है। जिससे सदन का कार्य प्रभावित हो रहा है। जिसको देखते हुए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सोमवार को सभी दलों के फ्लोर लीडर्स की बैठक बुलाई। ये बैठक संसद के सुचारू कामकाज पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि बैठक में तय हुआ है कि कल से सदन सुचारू रूप से चलेगा। साथ ही तय हुआ है कि देश के संविधान के 75 साल पूरे होने पर 13-14 दिसंबर को लोकसभा में और 16-17 को राज्यसभा में चर्चा होगी।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने तमाम दलों के साथ एक बैठक भी की है। इस बैठक में टीडीपी के लवू श्री कृष्ण देवरायलू, कांग्रेस नेता गौरव गोगोई, डीएमके सांसद टी आर बालू , एनसीपी-एसपी सांसद सुप्रिया सुले, समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव, जेडी(यू) के दिलेश्वर कामैत, आरजेडी के अभय कुशवाह, टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी, शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत और सीपीआई(एम) के राधाकृष्णन शामिल हुए।बैठक में दोनों पक्षों (सरकार और विपक्ष) में गतिरोध खत्म करने के साथ संविधान पर बहस की सहमति बन गई है।

इस बैठक के बाद जानकारी देते हुए संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि, आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ सर्वदलीय फ्लोर लीडर्स की बैठक हुई। कुछ दिनों से संसद में गतिरोध चल रहा है, सभी ने इस पर अपनी चिंता व्यक्त की है। हमने भी कहा कि सभी चुने हुए प्रतिनिधि भारत की संसद में अपनी बात रखने आते हैं और पिछले कई दिनों से संसद का न चलना ठीक नहीं है। सभी ने इसे स्वीकार किया। विपक्ष की ओर से कई मांगें की गई हैं। बिजनेस एडवाइजरी कमेटी के सामने संविधान पर चर्चा करने का प्रस्ताव रखा गया। सरकार ने उसे मंजूरी दे दी है।

उन्होंने आगे कहा कि, 13-14 दिसंबर को हम संविधान पर चर्चा करेंगे। सबसे पहले लोकसभा में चर्चा होगी। सभी ने इसे स्वीकार किया है। 16-17 दिसंबर को राज्यसभा में चर्चा होगी। स्पीकर ने यह भी कहा कि अगर कोई मुद्दा उठाना चाहता है तो उसके लिए नियम है। आप इसके लिए नोटिस दे सकते हैं लेकिन संसद में हंगामा करना और कामकाज में बाधा डालना ठीक नहीं है। सभी ने इसे भी स्वीकार किया है। यह अच्छी बात है कि सभी ने स्वीकार किया है कि कल से चर्चा होगी। हम कल लोकसभा में चर्चा के बाद पहला विधेयक पारित करेंगे। राज्यसभा में भी सूचीबद्ध कार्य पारित किए जाएंगे। मैं एक बार फिर सभी विपक्षी सांसदों और नेताओं से अपील करता हूं कि आज जो भी समझौते हुए हैं, उसे कायम रहें। हमें संसद को सुचारू रूप से चलाना चाहिए। कल से संसद सुचारू रूप से चलेगी। ऐसा समझौता हुआ है। मुझे उम्मीद है कि ऐसा होगा।

महाराष्ट्र के लिए बीजेपी ने नियुक्त किए पर्यवेक्षक, सीतारमण-विजय रूपाणी को मिली ये बड़ी जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र में चुनाव खत्म होकर नतीजे आए भी हफ्ते से ज्यादा हो गया है। लेकिन एनडीए को बंपर जीत के बाद भी अब तक मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसका तक ऐलान नहीं हुआ है।महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर अभी तक सस्पेंस की स्थिति बनी हुई है। यह तो तय है कि मुख्यमंत्री बीजेपी का ही होगा, लेकिन कौन होगा इस पर फैसला अभी होना बाकी है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र में पार्टी विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया है। बीजेपी ने गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।इनकी मौजूदगी में ही पार्टी विधायक दल के नेता का चयन होगा।

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बीजेपी की ओर से सोमवार को जारी एक बयान में यह घोषणा की गई। भाजपा महासचिव अरुण सिंह की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि पार्टी के संसदीय बोर्ड ने महाराष्ट्र में पार्टी विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए विजय रूपाणी और निर्मला सीतारमण को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। महाराष्ट्र में पार्टी विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए इन दोनों नेताओं की नियुक्ति की गई है। 4 दिसंबर को महाराष्ट्र में बीजेपी के विधायक दल की बैठक होनी है। विधायक दल की बैठक में नेता का चुनाव होगा और इसके बाद सरकार गठन के आगे की कार्यवाही होगी।

बीजेपी विधायक दल की बैठक में जिस नेता के नाम पर मुहर लगेगी उसी के नेतृत्व में महाराष्ट्र में महायुति की सरकार के गठन का दावा पेश किया जाएगा। महायुति में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है। सबकी नजरें इसी बात पर टिकी हैं कि बीजेपी का नेता कौन होगा। सूत्रों की मानें तो देवेंद्र फडणवीस इस रेस में सबसे आगे चल रहे हैं।

चुनावी नतीजों की घोषणा के एक हफ्ते से अधिक समय बाद भी महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन नहीं हुआ है। कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि वह नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर भाजपा के फैसले का समर्थन करेंगे 0उनकी इस घोषणा के बाद लगभग यह स्पष्ट हो गया है कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री भाजपा से होगा। भाजपा ने घोषणा की है कि नई महायुति सरकार का शपथ ग्रहण समारोह पांच दिसंबर की शाम दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में होगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसमें शामिल होंगे।

बता दें कि महाराष्ट्र में महायुति ने 288 सदस्यीय विधानसभा में 230 सीट पर जीत हासिल की है। भाजपा ने सबसे ज्यादा 132 सीट पर जीत दर्ज की, जबकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को 57 और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को 41 सीट मिलीं।

प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, दिल्ली सरकार को लगाई फटकार, ग्रैप-4 के प्रतिबंध जारी रखने के निर्देश

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण को लेकर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) ग्रैप-4 को सही से लागू नहीं करने को लेकर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि हवा की गुणवत्ता के खतरनाक स्तर के बावजूद, जीआरएपी चरण IV के तहत उल्लिखित उपायों के गंभीर क्रियान्वयन में कमी रही है, जो तब शुरू होता है जब वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक गिर जाती है। इस दौरान कोर्ट ने ग्रैप-4 प्रतिबंधों में ढील देने से इनकार कर दिया।कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जब तक कि उसे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के स्तर में गिरावट का रुझान नहीं दिखाई देता, तब तक ग्रैप-4 नहीं हटाया जाएगा।

दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।इस दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या एक्शन लिया गया है, जिसके बावजूद निर्धारित मानकों से कम नहीं होता प्रदूषण?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह सही है कि ग्रैप सिर्फ ऐसी व्यवस्था है जो हालात खराब होने पर लागू की जाती है। कोई नीति नहीं है। कोई स्थायी समाधान जरूर है। सुप्रीम कोर्ट ने एएसजी से कहा कि आपको रिकॉर्ड में रखना होगा कि क्या एफआईआर दर्ज की गई थी और बाकी सब दस्तावेज भी। इस पर एएसजी ने कहा बिल्कुल हम कार्रवाई करवाएंगे।

कोर्ट कमिश्नर मनन वर्मा ने अपनी रिपोर्ट पढ़ी और कहा कि सीएक्यूएम की धारा 14 के तहत अधिकारियों पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। मुकदमा दर्ज ना होने के कारण ग्रेप का कार्यान्वयन बहुत कम हुआ है। कोर्ट कमिश्नर ने वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में अध्ययन रिपोर्ट भी साझा किया। कोर्ट कमिश्नर ने कहा कि ग्रेप लागू करना एक आपातकालीन उपाय है। समस्या को रोकने के लिए कोई नीति नहीं है।

मामले में दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि वह जीआरएपी प्रतिबंधों का पालन न करने के आरोपों की जांच करेगी। सिर्फ दो या तीन घटनाओं के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि 1.5 करोड़ की आबादी वाला पूरा शहर नियमों का पालन नहीं कर रहा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जीआरएपी के चौथे चरण के प्रतिबंधों में ढील देने से पहले प्रदूषण में कमी आनी चाहिए। कोर्ट ने एनसीआर राज्यों के मुख्य सचिवों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश होकर यह बताने को कहा कि निर्माण श्रमिकों को मुआवजा दिया गया है या नहीं? अब दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मुख्य सचिव पांच दिसंबर को कोर्ट के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश होंगे और जवाब प्रस्तुत करेंगे।

संघ प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, हिंदुओं को 3-3 बच्‍चे पैदा करने की सलाह, जानें क्या वजह बताई

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भारत में हिंदुओं की घटती जनसंख्या पर चिंता जाहिर की है।उन्होंने हिंदुओं का नाम लिए बगैर भारत में उनकी घटती जनसंख्या पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि अगर समाज की जनसंख्या वृद्धि दर गिरते-गिरते 2.1 प्रतिशत के नीचे चली गई तो तब समाज को किसी को बर्बाद करने की जरूरत नहीं, वह अपने आप ही नष्ट हो जाएगा। इसलिए कम से कम तीन बच्चे पैदा करना बेहद जरूरी है।

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मोहन भागवत ने रविवार को नागपुर में कठाले कुल सम्मेलन में एक सभा में बोलते हुए कहा, कुटुंब समाज का हिस्सा है और हर परिवार एक इकाई है। हालांकि जनसंख्‍या वृद्ध‍ि को देखते हुए सालों से ‘बच्‍चे 2 ही अच्‍छे’ का नारा सरकार की तरफ से लगाया जाता रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जनसंख्या वृद्धि दर को सही बनाए रखना देश के भविष्य के लिए जरूरी है।

आधुनिक जनसंख्या विज्ञान का हवाला देते हुए भागवत ने कहा, किसी भी समाज की जनसंख्या 2.1 से नीचे चली जाती है, तो वो समाज दुनिया से खत्म हो जाता है। भागवत ने कहा कि हमारे देश की जनसंख्या नीति, जो 1998 या 2002 के आसपास तय की गई थी, वो ये कहती है कि जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं होनी चाहिए। हमें दो से अधिक बच्चों की जरूरत है, यानी तीन (जनसंख्या वृद्धि दर के रूप में), जनसंख्या विज्ञान यही कहता है। यह संख्या महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे (समाज को) जीवित रहना चाहिए।' यहां 2.1 जनसंख्या से उनका आशय प्रजनन दर से था।

भारत में हिंदू आबादी गिरी

इसी साल भारत बढ़ती आबादी की लंबी छलांग लगाते हुए चीन को पछाड़ कर जनसंख्या में मामले में दुनिया में नंबर वन पर आ गया। हालांकि, भारत में बहुसंख्यक हिंदू पिछली जनगणना में 80 प्रतिशत थे। जो अब इस साल तक उनकी जनसंख्या वृद्धि दर घटने से देश में उनकी कुल आबादी घटकर 78.9 प्रतिशत ही रह गई है। वहीं, हिंदू आबादी अब भी देश में करीब 100 करोड़ है। दुनिया के 95 प्रतिशत हिंदू भारत में रहते हैं। वहीं, देश में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर बढ़ी है।

चंद्रबाबू नायडू भी कर चुके अधिक बच्चों की वकालत

मोहन भागवत से पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने भी दो से अधिक बच्चा पैदा करने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के राज्यों के लोगों को ज्यादा बच्चा पैदा करने की जरूरत है। दक्षिण में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। गांव खाली हो रहे हैं। आंध्र प्रदेश की सरकार दो से अधिक बच्चा पैदा करने वाले परिवारों को प्रोत्साहन राशि देने पर भी विचार कर रही है। सरकार यह भी कानून बनाने की तैयारी में है कि दो से अधिक बच्चे वाले लोग ही स्थानीय निकाय का चुनाव लड़ने के योग्य होंगे। नायडू का कहना है कि गांवों से युवाओं के पलायन की वजह से समस्या और विकराल हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय प्रजनन दर 2.1 है। जबकि दक्षिण के राज्यों में 1.6 फीसदी है।

प्रदर्शनकारी किसानों ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़कर दिल्ली की ओर किया मार्च शुरू

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पंजाब के किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर चर्चा की मांग को लेकर दिल्ली की ओर मार्च करने की घोषणा की थी, उन्होंने नोएडा में दलित प्रेरणा स्थल के पास पुलिस बैरिकेड्स तोड़ दिए और दिल्ली की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। भारतीय किसान परिषद के नेतृत्व में किसानों के पहले समूह ने सोमवार को अपना मार्च शुरू किया, जिसके बाद पुलिस ने बैरिकेड्स लगा दिए और नोएडा से दिल्ली आने-जाने वाले यात्रियों के लिए एडवाइजरी जारी की।

प्रदर्शनकारियों को दोपहर में नोएडा के महा माया फ्लाईओवर से अपना मार्च शुरू करना था। दिल्ली पुलिस के पूर्वी रेंज के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त सागर सिंह कलसी ने पीटीआई को बताया कि किसानों के विरोध के कारण, उन्होंने पूर्वी दिल्ली की सभी प्रमुख, छोटी सीमाओं पर मजबूत व्यवस्था की है। "हमने बैरिकेडिंग की है, दंगा-रोधी उपकरण हैं। व्यापक व्यवस्था है, हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि आम लोग प्रभावित न हों, हम यातायात पुलिस के साथ भी समन्वय कर रहे हैं। हम ड्रोन से निगरानी कर रहे हैं," कलसी ने कहा।

इस बीच, किसानों द्वारा पुलिस बैरिकेड्स तोड़ने के दृश्य की तस्वीरें उनके द्वारा किए गए विरोध के पैमाने को दर्शाती हैं। इसके अलावा, संयुक्त सीपी संजय कुमार ने कहा कि संसद सत्र के चलते राष्ट्रीय राजधानी में भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 लागू कर दी गई है। कुमार ने कहा, "महामाया फ्लाईओवर, चाहे वह जिला सीमा हो, डीएनडी हो या कालिंदी, यह सुनिश्चित करने के लिए कर्मियों की अतिरिक्त तैनाती की गई है कि भीड़ बिना अनुमति के प्रवेश न कर सके। सीमाओं पर सीएपीएफ, स्थानीय पुलिस, बैरिकेडिंग की गई है। ड्रोन के जरिए भी निगरानी की जा रही है।" गौरतलब है कि किसानों की ओर से यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल को प्रदर्शनकारी किसानों को राजमार्गों को बाधित न करने और लोगों को असुविधा न पहुँचाने के लिए मनाने के लिए कहने के कुछ ही घंटों बाद आया है।

दल्लेवाल किसानों की मांगों को स्वीकार करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए खनौरी सीमा बिंदु पर आमरण अनशन पर हैं। दल्लेवाल की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की शीर्ष अदालत की पीठ ने यह भी कहा कि किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दे को अदालत ने नोट कर लिया है और लंबित मामले में इस पर विचार किया जा रहा है। “लोकतांत्रिक व्यवस्था में, आप शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन लोगों को असुविधा न पहुँचाएँ। आप सभी जानते हैं कि खनौरी सीमा पंजाब के लिए जीवन रेखा है। हम इस पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं कि विरोध सही है या गलत,” पीठ ने पंजाब के किसान नेता की ओर से पेश अधिवक्ता गुनिन्दर कौर गिल से कहा।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जब सुरक्षा बलों द्वारा राष्ट्रीय राजधानी की ओर उनके मार्च को रोक दिया गया था। प्रदर्शनकारी किसानों ने केंद्र पर उनकी मांगों को पूरा करने के लिए कदम नहीं उठाने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि केंद्र ने 18 फरवरी से उनके साथ कोई बातचीत नहीं की है। एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान स्वामीनाथन आयोग द्वारा दी गई सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने और पिछले 2020-21 के आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं।

मल्लिकार्जुन खरगे ने बीजेपी को क्या नसीहत दी, भागवत की किस सलाह का दिया हवाला?

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को बड़ी नसीहत दी है। मल्लिकार्जुन खरगे ने इसके लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की सलाह का हवाला भी दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने बीजेपी पर देश की हर मस्जिद में सर्वेक्षण कराकर समाज को बांटने का प्रयास करने का आरोप लगाया। खरगे ने कहा कि ऐसा कर सत्तारूढ़ दल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की सलाह की अवहेलना कर रहा है। खरगे की टिप्पणी उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मद्देनजर आई है। संभल में एक मस्जिद में यह पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है कि क्या वहां कोई मंदिर था।

सर्वे के नाम पर खोद-खोदकर झगड़ा क्यों लगाया जा रहा-खरगे

मल्लिकार्जुन खरगे रविवार को दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के एक महासंघ की ओर से दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित एक विशाल रैली को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष ने बीजेपी से मोहन भागवत के 2022 के बयान पर ध्यान देने को कहा। खरगे ने आरएसएस प्रमुख का हवाला दिया जिन्होंने कहा था कि हमारा उद्देश्य राम मंदिर का निर्माण करना था और हमें हर मस्जिद के नीचे शिवालय नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, आज देश में हर जगह सर्वे वाले ये पता लगा रहे हैं कि कहां पहले मंदिर थे और कहां मस्जिद थी, लेकिन 2023 में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि हमारा लक्ष्य राम मंदिर बनाने का था, हर मस्जिद के नीचे शिवालय ढूंढना गलत है। जब बीजेपी-आरएसएस वाले ही ये बातें कह रहे हैं, तो फिर सर्वे के नाम पर खोद-खोदकर झगड़ा क्यों लगाया जा रहा है। हम सभी तो एक हैं।

क्या लाल किला, ताजमहल, कुतुब मीनार भी ध्वस्त होगा-खरगे

खरगे ने कहा, पीएम नरेंद्र मोदी कहते हैं 'एक हैं तो सेफ हैं', लेकिन वे किसी को भी सेफ नहीं रहने दे रहे हैं। आप एकता की बात करते हैं, लेकिन आपके कार्य इसे धोखा देते हैं। आपके नेता मोहन भागवत ने कहा है कि अब जब राम मंदिर बन गया है, तो और अधिक पूजा स्थलों की तलाश करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप उनके शब्दों का सम्मान करते हैं, तो और कलह क्यों पैदा करते हैं?' खरगे ने बीजेपी से पूछा कि क्या वह लाल किला, ताजमहल, कुतुब मीनार और चार मीनार जैसी संरचनाओं को भी ध्वस्त कर देगी, जो मुसलमानों की तरफ से बनवाई गई थीं।

आखिर भागवत ने क्या कहा था

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जून 2022 में ज्ञानवापी विवाद को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। भागवत ने कहा था कि इतिहास वो है जिसे हम बदल नहीं सकते। उनका कहना था कि इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा.... हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? उनका कहना था कि अब हमको कोई आंदोलन नहीं करना है। संघ प्रमुख नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग, तृतीय वर्ष 2022 के समापन समारोह के दौरान बोल रहे थे।