प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, दिल्ली सरकार को लगाई फटकार, ग्रैप-4 के प्रतिबंध जारी रखने के निर्देश
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण को लेकर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) ग्रैप-4 को सही से लागू नहीं करने को लेकर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि हवा की गुणवत्ता के खतरनाक स्तर के बावजूद, जीआरएपी चरण IV के तहत उल्लिखित उपायों के गंभीर क्रियान्वयन में कमी रही है, जो तब शुरू होता है जब वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक गिर जाती है। इस दौरान कोर्ट ने ग्रैप-4 प्रतिबंधों में ढील देने से इनकार कर दिया।कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जब तक कि उसे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के स्तर में गिरावट का रुझान नहीं दिखाई देता, तब तक ग्रैप-4 नहीं हटाया जाएगा।
दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।इस दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या एक्शन लिया गया है, जिसके बावजूद निर्धारित मानकों से कम नहीं होता प्रदूषण?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह सही है कि ग्रैप सिर्फ ऐसी व्यवस्था है जो हालात खराब होने पर लागू की जाती है। कोई नीति नहीं है। कोई स्थायी समाधान जरूर है। सुप्रीम कोर्ट ने एएसजी से कहा कि आपको रिकॉर्ड में रखना होगा कि क्या एफआईआर दर्ज की गई थी और बाकी सब दस्तावेज भी। इस पर एएसजी ने कहा बिल्कुल हम कार्रवाई करवाएंगे।
कोर्ट कमिश्नर मनन वर्मा ने अपनी रिपोर्ट पढ़ी और कहा कि सीएक्यूएम की धारा 14 के तहत अधिकारियों पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। मुकदमा दर्ज ना होने के कारण ग्रेप का कार्यान्वयन बहुत कम हुआ है। कोर्ट कमिश्नर ने वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में अध्ययन रिपोर्ट भी साझा किया। कोर्ट कमिश्नर ने कहा कि ग्रेप लागू करना एक आपातकालीन उपाय है। समस्या को रोकने के लिए कोई नीति नहीं है।
मामले में दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि वह जीआरएपी प्रतिबंधों का पालन न करने के आरोपों की जांच करेगी। सिर्फ दो या तीन घटनाओं के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि 1.5 करोड़ की आबादी वाला पूरा शहर नियमों का पालन नहीं कर रहा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जीआरएपी के चौथे चरण के प्रतिबंधों में ढील देने से पहले प्रदूषण में कमी आनी चाहिए। कोर्ट ने एनसीआर राज्यों के मुख्य सचिवों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश होकर यह बताने को कहा कि निर्माण श्रमिकों को मुआवजा दिया गया है या नहीं? अब दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मुख्य सचिव पांच दिसंबर को कोर्ट के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश होंगे और जवाब प्रस्तुत करेंगे।
Dec 02 2024, 18:44