जय जोहार- जय जमुनापार
विश्वनाथ प्रताप सिंह
प्रयागराज।जोहार' आदिवासी समाज का प्राचीन शब्द है। जोहार का अर्थ है 'प्रकृति' , जो प्रकृति हमें जीवन प्रदान करती है, जो हमारा पालन- और भरण पोषण करती है। वही ब्रह्मांड की सर्वश्रेष्ठ सुपर पावर , हमारे सम्पूर्ण अस्तित्व का एक मात्र स्रोत हमारी अमूल्य प्रकृति।
इसीलिए हमारा आदिवासी समाज प्रकृति पूजक है, और प्रकृति को ईश्वर मानकर जय जोहार का अभिवादन करता है।
प्रकृति के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का इससे बड़ा शब्द, शब्दकोष में और दूसरा नहीं ।
जय जमुनापार का नारा हमारे सीनियर जमुनापार की माटी के लाल डाक्टर भगवत पांडेय जी ने दिया है।
जमुनापार की लोक परंपरा, लोक संस्कृति, जमुनापार की अति प्राचीन सभ्यता व अमूल्य धरोहर को सहेजने व संवारने में 25 वर्षों से निरंतर संघर्ष कर रहे डाक्टर साहब का दृष्टिकोण विल्कुल साफ है। वह कहते जमुनापार में सब कुछ है। बहुत अमूल्य धरोहर और प्रचुर प्राकृतिक संपदा है।
लेकिन वह बहुत दुखी मन से कहते हैं सकल सम्पदा होते हुये यदि कमी है तो इस बात की कि जमुनापार में जनता का कोई सच्चा प्रतिनिधि नहीं है । जो कभी नेता रहा ही नहीं वह नेता बनने का दावा करता रहा। बाहरी लोग , जो जमुनापार की प्राकृतिक संपदा ( बालू- पत्थर) का दोहन कर पूंजीपति बन गये, आज वह भी अपने को जमुनापार का नेता घोषित कर रहे हैं। जमुनापार को कड़े का बजनिया बनाने वाले जब मन किया बजाकर निकल लिये।
लेकिन आगे ऐसा न हो । इस पर विचार हो।
तो आइये - बोलिए - जय जमुनापार।
जमुनापार की माटी जिन्दाबाद।
जमुनापार के जमीनी नेता जिन्दाबाद।
अपने डाक्टर साहब के इस नारे के साथ हमने एक महान अभिवादन और जोड़कर आपसे निवेदन कर रहा हूं ।
आज से -
जय जोहार- जय यमुनापार।
हम सबका, जन जन का यही नारा होगा। यही मिशन , यही कर्मभूमि । एक मात्र लक्ष्य जमुनापार की जय जयकार।
जमुनापार में जमुनापार के लाल
बाकी सारे बहुत बड़े-दलाल ।।
जय जोहार- जय जमुनापार
Dec 02 2024, 15:50