चक्रवाती तूफान फेंगल का दिल्ली-NCR समेत उत्तर भारत में क्या पड़ेगा असर? जानिए बारिश होगी या बढ़ेगी ठंड

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डेस्क: दक्षिण भारत के कई राज्यों में चक्रवाती तूफान फेंगल का असर देखने को मिल रहा है। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और पुडुचेरी के कई जिलों में जमकर बारिश हो रही है। इस बीच, उत्तर भारत का मौसम सामान्य बना हुआ है। दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में चक्रवाती तूफान का कुछ खास असर नहीं है। यहां पहले के जैसे ही ठंड हो रही है। बारिश का भी कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया है।

रविवार सुबह दिल्ली-NCR का न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है। मौसम विभाग के अनुसार, रविवार को आसमान साफ रहेगा। दिन में धूप भी निकली रहेगी। अगले तीन दिन यानी सोमवार, मंगलवार और बुधवार को भी ऐसा ही मौसम रहने की संभावना है।

दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा के मौसम की बात करें तो यहां धीरे-धीरे ठंड बढ़ रही है। चक्रवाती तूफान का यहां भी कोई असर देखने को नहीं मिलेगा। हरियाणा के अधिकतर जिलों में इन दिनों सुबह और रात में अधिक ठंड महसूस की जा रही है। हरियाणा का सबसे अधिक ठंड वाला जिला हिसार रहा है, जबकि गुरुग्राम सबसे गर्म जिले के रूप में दर्ज किया गया है।

बता दें कि दिल्ली में पिछला महीना नवंबर 5 साल में सबसे गर्म रहा है। आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, 2019 के बाद सबसे देरी से तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे गया है। साल 2019 में एक दिसंबर को तापमान 10 डिग्री से नीचे गया था।

नवंबर महीने का औसत न्यूनतम तापमान 14.9 डिग्री सेल्सियस रहा, जो दीर्घावधि औसत 13 डिग्री सेल्सियस से लगभग दो डिग्री सेल्सियस अधिक है। इसी प्रकार औसत अधिकतम तापमान एलपीए से 1.1 डिग्री अधिक 29.5 डिग्री सेल्सियस रहा, जो 2019 के बाद से सबसे गर्म नवंबर है। न्यूनतम तापमान में तेज गिरावट 25 नवंबर को शुरू हुई, जब यह 14 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया।

संभल हिंसा: न्यायिक आयोग आज करेगा जांच, सुबह 10.30 से 11 बजे के बीच मस्जिद पहुंचेगी टीम

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डेस्क: जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर संभल में हुई हिंसा की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग की टीम शनिवार को देर शाम मुरादाबाद पहुंच गई है। आयोग के सदस्य रविवार (1 दिसंबर) को हिंसा की जांच के लिए संभल जाएंगे। आयोग में शामिल हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस डीके अरोड़ा और यूपी के पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन मुरादाबाद सर्किट पहुंचे। आयोग के तीसरे सदस्य रिटायर्ड प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद रविवा की सुबह मुरादाबाद पहुंचेंगे।

आयोग के सदस्यों के मुरादाबाद पहुंचते ही कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह और डीआईजी मुनिराज जी ने सर्किट हाउस पर पहुंच कर मुलाकात की और संभल बवाल के घटनाक्रम और हालातों से अवगत कराया। मंडलायुक्त ने बताया कि न्यायिक आयोग रविवार को हिंसा की जांच के लिए संभल जाएगा।

रविवार सुबह 10.30 से 11 बजे के बीच न्यायिक आयोग शाही जामा मस्जिद (प्राचीन हरिहर मंदिर ASI रिपोर्ट और स्कंध पुराण के नक्शे इतिहास के हिसाब से विष्णु मंदिर) पहुंचेगा। न्यायिक आयोग मुरादाबाद पहुंच गया है। कल हिंसा वाले इलाके में जाकर जांच करेगा। मृतक परिवार से मिलने का फिलहाल प्लान नहीं है वो आगे तय होगा।

संभल में एक वकील ने स्थानीय अदालत में याचिका दाखिल कर कहा था कि शाही जामा मस्जिद का सर्व होना चाहिए। यह मस्जिद उसी स्थान पर बनी है, जहां पहले मंदिर हुआ करता था। अदालत के आदेश पर टीम सर्वे करने गई। सर्वे के दूसरे दिन बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और सर्वे का विरोध करने लगे। इस दौरान विरोध कर रहे लोगों और सुरक्षाबलों की बीच झड़प में चार लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद सं संभल में हालात तनावपूर्ण हैं और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात हैं।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कोर्ट में अपने जवाब में कहा है कि मस्जिद के स्ट्रक्चर में बदलाव किया गया है। इसके साथ ही कुछ तस्वीरें भी पेश की गईं हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), मेरठ मंडल की टीम द्वारा मस्जिद के मुख्य द्वार पर से बाई तरफ एक पुराना कुआ देखा गया जोकि अब मस्जिद कमेटी/प्रसाशन द्वारा ढक दिया गया है, कुएं के ऊपर सुरक्षा दल हेतु एक बड़े कक्ष का निर्माण कर दिया गया है।

मस्जिद की हौज और फर्श को भी बदला गया है। मस्जिद को पूरी तरह सेइनेमल पेंट की मोटी परतों द्वारा पेंट कर दिया गया है। प्लास्टर औफ पेरिस का इस्तेमाल किया गया है जिससे मस्जिद का वास्तविक स्वरूप नष्ट हो गया है। मस्जिद के मुख्य हॉल के गुम्बद से लोहे की चेन से वर्तमान में कांच का एक खुमार लगाया गया है। पश्चिम की ओर दो चेम्बर, छोटे कमरेनुमा सरंचना और मस्जिद के उत्तरी भाग में एक चेंबर पाया गया। छोटे कमरेनुमा सरंचना में ही पुरानी छत के वास्तविक अवशेष दिखाई पड़ते है। ये कक्ष आम तौर पर बन्द रहते हैं।

बांग्लादेश में इस्कॉन पर बवाल जारी, अब चिन्मय प्रभु के सचिव लापता, 17 लोगों के बैंक खाते भी फ्रीज

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बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर शुरू हुआ विवाद नहीं थम रहा। इस्कॉन के चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के बाद से कई हिंदू संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच, चिन्मय प्रभु के सचिव के भी लापता होने खबर आ रही है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने कथित तौर पर देश के बैंकों को इस्कॉन से जुड़े 17 लोगों के खातों को फ्रीज करने का आदेश दिया है।

कोलकाता इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने दावा किया है कि चिन्मय प्रभु के सचिव भी शुक्रवार से लापता हैं। इसके अलावा, उन्होंने दावा किया कि चिन्मय दास के लिए प्रसाद लेकर गए दो भक्तों को मंदिर से लौटते समय अरेस्ट किया गया है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा कि एक बुरी खबर आई है। चिन्मय दास के लिए प्रसाद लेकर गए दो भक्तों को मंदिर लौटते समय गिरफ्तार कर लिया गया और चिन्मय दास के सचिव भी लापता हैं।

17 लोगों के बैंक खाते फ्रीज किए गए

इधर, ढाका में स्थानीय मीडिया ने शुक्रवार को बताया कि ‘बांग्लादेश वित्तीय खुफिया इकाई’ (बीएफआईयू) ने इस्कॉन बांग्लादेश से जुड़े 17 व्यक्तियों के बैंक खातों को 30 दिनों के लिए फ्रीज करने का आदेश दिया है। इसमें जेल में बंद इसके नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी भी शामिल हैं। रिपोर्टों से पता चला है, कि देश के कई बैंकों और वित्तीय संस्थानों को खातों से एक महीने के लिए सभी लेन-देन को निलंबित करने का सरकारी निर्देश भेजा गया है।

चिन्मय दास के अलावा इन लोगों पर आरोप

आपको बता दें कि चिन्मय कृष्ण दास को सोमवार को ढाका मेट्रोपोलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) ने हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया था। हिरासत के एक दिन बाद जेल भेज दिया गया था। कृष्ण दास के अलावा, बांग्लादेश सरकार द्वारा निशाना बनाए गए अन्य 16 हिंदुओं में कार्तिक चंद्र डे, अनिक पाल, सरोज रॉय, सुशांत दास, विश्व कुमार सिंघा, चंदिदास बाला, जयदेव करमाकर, लिपि रानी करमाकर, सुधामा गौर दास, लक्ष्मण कांति दास, प्रियतोष दास, रूपन दास, रूपन कुमार धर, आशीष पुरोहित, जगदीश चंद्र अधिकारी और साजल दास शामिल हैं।

कैसे शुरू हुआ मामला?

चटगांव में ‘सनातन जागरण जोत’ के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया। उन पर आरोप है कि उन्होंने पिछले महीने भगवा झंडा फहराने के लिए बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया। इसके बाद हिंदू समुदाय के विरोध प्रदर्शन के बीच दास को मंगलवार को चटगांव की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। अदालत परिसर में दास की पेशी के दौरान हिंसा भड़क गई।

क्या खत्म होगा रूस-यूक्रेन जंग? सीजफायर को तैयार जलेंस्की

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रूस और यूक्रेन के बीच ढाई साल से अधिक समय से युद्ध जारी है। अमेरिका समेत यूरोप के कई देश खुलेआम रूस के खिलाफ यूक्रन की मदद कर रहे हैं। बाइडेन ने यूक्रेन को ATACMS मिसाइलों से रूस पर हमले की मंजूरी दी। इसके बाद यूक्रेन ने रूस पर मिसाइलें दाग भी दी। यूक्रेन ने अमेरिकी और ब्रिटिश मिसाइलों की मदद से रूस पर कई हमले किए। इसके जवाब में रूस की ओर से इस युद्ध में पहली बार इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया गया। इस बीच दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका बढ़ गई है। गहरी होती युद्ध की आशंका के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने संकेत दिया है कि वे रूस के साथ एक अस्थायी युद्ध विराम समझौते पर हामी भर सकते हैं।

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द टेलीग्राफ ने दावा किया है कि जेलेंस्की शांति के लिए रूस को यूक्रेनी क्षेत्र भी देने को तैयार हो गए हैं। इस वक्त पूरी दुनिया के लिए यह खबर सबसे बड़ी है। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार ज़ेलेंस्की ने कह दिया है कि "मैं शांति हासिल करने के लिए यूक्रेनी क्षेत्र रूस को छोड़ दूंगा।

यूक्रेनी राष्ट्रपति ने पहली बार कहा कि उनका देश 'नाटो की छत्रछाया' में यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्र को रूस के लिए छोड़ने को तैयार हैं, बशर्ते वह नाटो की सुरक्षा में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नाटो के संरक्षण में यूक्रेन अपने उस क्षेत्र को रूस के लिए अस्थायी रूप से छोड़ सकता है, जो रूस के कब्जे में है। व्लादिमिर ज़ेलेंस्की ने शुक्रवार रात पहली बार कहा कि युद्ध समाप्त करने के लिए वह रूस को अपना क्षेत्र सौंपने को तैयार हैं।

जेलेंस्की ने कहा कि किसी भी समझौते में यूक्रेन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं को मान्यता देनी होगी। यह सुनिश्चित करना होगा कि कब्जे वाले क्षेत्र सैद्धांतिक रूप से यूक्रेन का हिस्सा बने रहें। जेलेंस्की ने भविष्य में रूसी आक्रमण को रोकने के लिए नाटो समर्थित युद्ध विराम को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि नाटो को तुरंत यूक्रेन के उस हिस्से को कवर करना चाहिए , जो हमारे नियंत्रण में है। ऐसा ना होने पुतिन की सेना फिर से यहां आ जाएगी वापस आ जाएगा।

हास्यास्पदः”बस में राहुल गांधी के खिलाफ सुनी जा रही थी डिबेट, सुक्खू सरकार ने ड्राइवर-कंडक्टर को भेजा नोटिस

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अगर आपका मूड खराब है तो निःसंदेश ये खबर आपके लिए ही है। ये खबर पढ़कर या तो आप हंसेंगे या फिर अपनी “भड़ास” निकालकर रिलैक्स महसूस करेंगे। ये खबर जूड़ी है हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार से। आए दिन हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार अपने कारनामों के लिए सुर्खियों में रहती है। इस बार हिमाचल पथ परिवहन निगम में तैनात ड्राइवर और कंडक्टर को भेजे गए एक नोटिस की वजह से सुक्खू सरकार चर्चा में है।

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हिमाचल पथ परिवहन निगम में तैनात ड्राइवर और कंडक्टर को राज्य सरकार की ओर से नोटिस जारी किया गया है। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने बस में एक यात्री को फोन पर डिबेट देखने से नहीं रोका, जिसमें राहुल गांधी और अन्य विपक्ष के नेताओं के खिलाफ टिप्पणी की जा रही थी।

पूरा मामला 1 नवंबर 2024 का है। यहां हिमाचल पथ परिवहन निगम की एक बस शिमला से संजौली जा रही थी। बस में कई लोग सवार थे, जिसमें से एक यात्री फोन पर डिबेट देख रहा था। यात्री के फोन में चल रही डिबेट में राहुल गांधी और अन्य विपक्ष के नेताओं के खिलाफ टिप्पणी की जा रही थी। इस संबंध में ड्राइवर और कंडक्टर को नोटिस जारी किया गया है। सैमुयल प्रकाश नाम के शिकायतकर्ता की शिकायत पर मुख्यमंत्री के अवर सचिव की तरफ से हिमाचल पथ परिवहन निगम के उप मंडलीय प्रबंधक ने नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही नोटिस में तीन दिन के भीतर स्पष्टीकरण की मांग की गई थी।

आरोप है कि इन सभी नेताओं के खिलाफ वीडियो में दुष्प्रचार किया जा रहा था। शिकायत में लगाए गए कि सार्वजनिक तौर से सरकारी वाहन में इस तरह से किसी भी राजनेता के विरुद्ध ऐसी वार्ता का ऑडियो चलाना उचित नहीं है। नोटिस में कहा गया है कि यह ड्राइवर और कंडक्टर का कर्तव्य बनता था कि वह इस प्रकार का आपत्तिजनक ऑडियो सरकारी गाड़ी में निषेध करें, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वह इसमें असमर्थ रहे।

25 नवंबर को दोनों को नोटिस जारी किया गया और तीन दिन के अंदर जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया। जवाब दाखिल न होने की स्थिति में विभागीय कार्रवाई की भी बात कही गई। ड्राइवर टेक राज और कंडक्टर शेषराम ने अपना जवाब भी दे दिया है।

अब एचआरटीसी विभाग ने पूरे मामले में सफाई दी है। शुक्रवार देर शाम को एचआरटीसी की तरफ से सफाई जारी की गई. शिमला के ढली के डिपो के सब डीवीजन मैनेजर ने एक नोट जारी किया और बताया कि शिकायत के बाद ड्राइवर कंडक्टर को नोटिस दिया गया था। और अब जांच के बाद इस नोटिस को रद्द कर दिया गया है। जांच और ड्राइवर कंडक्टर ने अपने जवाब में लिखा है कि ऐसा कोई वाक्या हमारी बस में नहीं हुआ था। उधर, शिकायतकर्ता की ओर से भी ऐसा कोई भी सुबूत शिकायत के साथ नहीं सौंपा गया था, जिसकी वजह से कंडक्टर और ड्राइवर पर एक्शन लिया जा सके।

खरगे की खरी-खीरः हरियाणा-महाराष्ट्र की हार पर सीडब्ल्यूसी की बैठक में लगाई क्लास, राहुल गांधी भी लपेटे में

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी को बड़ा झटका लगा है। इससे पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को इसी तरह हार का सामना करना पड़ा। हरियाणा और महाराष्ट्र में पार्टी और गठबंधन की हुई करारी हार के बाद हुई पहली कांग्रेस वर्किंग कमिटि की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पार्टी नेताओं की क्लास लगाई।मल्लिकार्जुन खरगे ने खरी-खरी सुनाई है। उन्होंने कहा कि दो करारी हार के लिए जवाबदेही तय करने का वक्त आ गया है। गुटबाजी को लेकर भी उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की है।शुक्रवार को हुई कांग्रेस के सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई की बैठक में खरगे के अलावा तमाम सीनियर नेता, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस की नवनिर्वाचित सांसद प्रियंका गांधी भी मौजूद थीं। हालांकि बैठक खत्म होने से पहले ही राहुल और प्रियंका निकल गए।

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पार्टी में अनुशासन की जरूरत पर दिया जोर

मीटिंग में खरगे ने पार्टी के जहां एक ओर इस निराशाजनक प्रदर्शन के लिए तमाम वजहों को गिनाया। कांग्रेस अध्यक्ष ने विधानसभा चुनाव में मिली हार पर कहा कि अब जवाबदेही तय करने का वक्त आ गया है। राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष से सख्त एक्शन लेने की भी बात कही है।

आपसी लड़ाई पर लगाई लताड़

खरगे ने पार्टी में गुटबाजी की ओर इशारा करते हुए कहा कि अनुशासन की कमी को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। खरगे का कहना है कि पार्टी में अनुशासन की कमी और पुराने ढर्रे की राजनीति के जरिए जीत नहीं मिल सकती। कांग्रेस के भीतर आपसी गुटबाजी एक स्थायी भाव बन चुकी है। खरगे ने इस ओर इशारा करते हुए कहा कि आपसी एकता की कमी और एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी हमें काफी नुकसान पहुंचाती है।

राहुल गांधी को यूं लपेटा

बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे पूरे फॉर्म में दिखे। उन्होंने राहुल गांधी को नसीहत देने के साथ-साथ कई बड़े नेताओं की क्लास लगाई। दरअसल, बैठक में राहुल गांधी ने चुनावी हारों का जिक्र करते हुए कहा कि हार से घबराना नहीं है। कांग्रेस हमेशा पुनर्जन्म लेने वाली पार्टी है और आगे भी रहेगी। इस पर तपाक से खरगे ने मुस्कुराते हुए कहा कि नहीं कांग्रेस अजर अमर है, जो अजर अमर होता है, उसे पुनर्जन्म की जरूरत नहीं होती। इस पर तुरंत राहुल ने कहा कांग्रेस अजर अमर है, ये बात सही है। मैं तो मुद्दे सामने आने पर, हार मिलने पर कांग्रेस नए सिरे से फिर लौटेगी उसकी बात कर रहा था।

सियासी रणनीतिकार सुनील कोनूगोलु को भी धोया

खरगे ने कांग्रेस के सियासी रणनीतिकार और सर्वे करने वाले सर्वे सर्वा पार्टी के पदाधिकारी सुनील कोनूगोलु को धो दिया। राहुल-प्रियंका के सामने खरगे ने कांग्रेस के पदाधिकारी बने सियासी रणनीतिकार सुनील कोनूगोलु को निशाने पर लिया। खरगे ने कहा कि बताते कुछ हो होता कुछ है। कई चुनावों से देख रहा हूं। अब तुम्हारे रिकॉर्ड के साथ बोलूं तो जहां बोलते हो जीत वहां मिलती है हार। ऐसे तो अंदाज लगाकर एक आध सही निकल जाता है, लेकिन सिस्टम तो तुम्हारा कतई ठीक नहीं है।

संभल जाने पर अड़ी सपा, प्रतिनिधिमंडल के दौरे से पहले एक्शन, डीएम ने लगाई रोक, लखनऊ में पुलिस का कड़ा पहरा

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उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के बाद अब शांति है। हालांकि, प्रशासन ने किसी भी बाहरी शख्स के संभल आने पर रोक लगा रखी है। इस बीच समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल आज संभल का दौरा करेगा। इस 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की अगुआई विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे करेंगे। इसको देखते हुए राजधानी लखनऊ में शनिवार की सुबह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय के घर के बाहर पुलिस लगा दी है। साथ ही विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव के डालीबाग स्थित आवास के बाहर भी पुलिस तैनात है।

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संभल में हुई हिंसा के बाद सपा का प्रतिनिधिमंडल आज वहां पहुंचने वाला है। इस दौरान वहां पीड़ितों से सपा प्रतिनिधिमंडल मुलाकात करेगा। सपा का प्रतिनिधिमंडल संभल में हुई हिंसा की विस्तृत जानकारी लेकर अखिलेश यादव को सौंपेगा।इस प्रतिनिधिमंडल में सपा नेता माता प्रसाद पांडेय, लाल बिहार यादव, श्याम लाल पाल, हरेंद्र मलिक, रुचि वीरा, इकरा हसन, जियाउर्रहमान बर्क, नीरय मौर्य, कमाल अख्तर, रविदास मेहरोत्रा, नवाब इकबाल महमूद, पिंकी सिंह यादव, अली अंसारी, जयवीर सिंह यादव और शिवचरण कश्यप शामिल रहेंगे।

अभी फिलहाल संभल में बाहरी लोगों की एंट्री पर रोक है। ये रोक 10 दिसंबर तक लागू रहेगी। सपा नेताओं के संभल दौरे से पहले ही पुलिस ने नेताओं को उनके घर में ही नजरबंद कर दिया है। माता प्रसाद पांडेय के घर के बाहर पुलिस का पहरा बढ़ा दिया गया है।विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय के सेक्टर-11 वृंदावन योजना स्थित आवास के बाहर रात से ही पुलिस तैनात कर दी गई थी। अभी पुलिस बाहर तैनात है। पुलिस ने उन्हें संभल के डीएम का एक लेटर उपलब्ध कराया है। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव के डालीबाग स्थित आवास के बाहर भी पुलिस तैनात है।इसके अलावा सपा अध्यक्ष श्यामलाल पाल के घर के बाहर भी पुलिस लगा दी गई है।

क्या बोले सपा नेता माता प्रसाद पांडेय

संभल की यात्रा को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता माता प्रसाद ने कहा कि अगर मीडिया वहां जा सकती है तो हम वहां क्यों नहीं जा सकते। माता प्रसाद ने कहा कि हम वहां लोगों को भड़काने के लिए नहीं जा रहे हैं। हमारा कहीं भी जाने का अधिकार है। सरकार लोगों का मौलिक अधिकार उनसे छीनना चाहती है। उन्होंने कहा कि हम पीड़ितों से मिलने के लिए संभल जाना चाह रहे हैं। सच सबके सामने आ जाएगा, इसलिए सरकार डर रही है और वहां जाने से हमें रोक रही है।

कांग्रेस और एआईएमआईएम के नेता भी जाएंगे संभल

समाजवादी पार्टी के बाद कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल भी दो दिसंबर को संभल जाएगा। इससे पहले एआईएमआईएम ने भी 20 नेताओं की टीम को संभल भेजने का ऐलान किया था जो हालात सामान्य होने पर वहां जाएगी। हालांकि, संभल में बीएनएस की धारा 163 लागू है। इसका मतलब ये हुआ कि यहां एक साथ पांच या उससे ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकते। वहीं, बीते दिन जुमे की नमाज के दौरान प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए थे। जुमे की नमाज शांतिपूर्ण तरीके से हुई।

महाराष्ट्र में सीएम पद पर आज होगा फैसला, शिंदे देंगे साथ या बढ़ाएंगे तनाव?

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महाराष्ट्र में चुनावी नतीजे घोषित होने के एक सप्ताह बाद भी नए मुख्यमंत्री को लेकर सस्पेंस बकरार है। सीएम और डिप्टी सीएम के चेहरे को लेकर लगातार सियासी गलियारों में हलचल मची हुई है। इस बीच, कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने पैतृक गांव चले गए। इस वजह से महाराष्ट्र सरकार के गठन पर फैसला लेने के लिए मुंबई में होने वाली महायुति की अहम बैठक स्थगित कर दी गई। इसके बाद अटकलें लगाई जाने लगी कि शायद एकनाथ शिंदे सरकार गठन के फैसले से नाराज हैं और इसलिए सतारा जिले में अपने गांव चले गए हैं। वहीं, शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने कहा कि एकनाथ शिंदे अगले 24 घंटों में कोई बड़ा फैसला लेंगे।

24 घंटों में कोई बड़ा फैसला लेंगे शिंदे

शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने कहा कि एकनाथ शिंदे अगले 24 घंटों में कोई बड़ा फैसला लेंगे। साथ ही उन्होंने दावा किया कि शिवसेना प्रमुख केंद्रीय मंत्रिमंडल में कोई पद नहीं लेंगे क्योंकि उनकी दिलचस्पी महाराष्ट्र की राजनीति में है। संजय शिरसाट ने कहा, महाराष्ट्र के नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर मुलाकात की। पीएम मोदी और अमित शाह तय करेंगे कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। 

शपथ ग्रहण समारोह 2 दिसंबर को- संजय शिरसाट

शिवसेना नेता ने कहा कि जब भी एकनाथ शिंदे को लगता है कि उन्हें सोचने के लिए कुछ समय चाहिए तो वह अपने पैतृक गांव चले जाते हैं। जब उन्हें (एकनाथ शिंदे को) कोई बड़ा फैसला लेना होता है तो वह अपने पैतृक गांव जाते हैं। 24 घंटे तक वह (एकनाथ शिंदे) बहुत बड़ा फैसला लेंगे। मुझे जानकारी है कि शपथ ग्रहण समारोह दो दिसंबर को होगा।

क्या चल रहा है शिंदे के मन में?

इससे पहले एकनाथ शिंदे ने गुरुवार रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि बातचीत सकारात्मक रही और अगले दौर की चर्चा शुक्रवार को मुंबई में होगी। एकनाथ शिंदे ने देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के साथ गुरुवार रात अमित शाह से मुलाकात की थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बैठक में सरकार गठन के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद एकनाथ शिंदे ने कहा था कि वह सरकार गठन में बाधा नहीं बनेंगे और अगले सीएम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह द्वारा लिए गए फैसलों का पालन करेंगे।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 132 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भारतीय जनता पार्टी की तरफ से देवेंद्र फडणवीस का नाम सीएम पद के लिए सबसे आगे है। रिपोर्ट के अनुसार, एकनाथ शिंदे से कहा गया है कि अगर फडणवीस के नाम पर विचार किया जा रहा है तो वह डिप्टी सीएम का पद स्वीकार कर लें। हालांकि, ऐसी खबरें भी हैं कि एकनाथ शिंदे अपने बेटे श्रीकांत शिंदे को इस पद के लिए आगे बढ़ा सकते हैं। शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने कहा कि अगर शिंदे नई सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार नहीं करते हैं तो पार्टी से किसी और को इस पद के लिए विचार किया जाएगा।

ह‍िन्‍दुओं की सुरक्षा करे बांग्‍लादेश की सरकार”, हिंदुओं पर हो रहे हमलों पर विदेश मंत्री एस जयशंकर की दो टूक

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बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद से हालात तनावपूर्ण हैं। अल्पसंख्यक हिंदू आबादी को पांच अगस्त को शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के पतन के बाद से देश के 50 से अधिक जिलों में 200 से अधिक हमलों का सामना करना पड़ा है। इस हफ्ते हालात तब और खराब हो गए जब हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया। बाद में उन्हें एक अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया है, जिसके बाद राजधानी ढाका और बंदरगाह शहर चटगांव सहित कई जगहों पर समुदाय के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। भारत सरकार भी बांग्लादेश में हिंदुओं के हालात पर चिंता जाहिर कर चुकी है। अब बांग्‍लादेश में ह‍िन्‍दुओं के ख‍िलाफ ह‍िंंसा पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में जवाब द‍िया।

अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार की-जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को लोकसभा में बताया कि अगस्त 2024 में शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कई हमले हुए हैं। दुर्गा पूजा के दौरान भी मंदिरों और पूजा पंडालों पर हमले की खबरें आईं। भारत सरकार ने इन घटनाओं पर बांग्लादेश सरकार से चिंता जताई है। जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश के सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार की है।

बांग्लादेश के हालात पर भारत सरकार की चिंता

उधर, विदेश मंत्रालय ने भी इस बारे में भारत सरकार की चिंता बताई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍त रणधीर जायसवाल ने कहा, भारत ने बांग्लादेश सरकार के साथ ह‍िन्‍दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर खतरों और लक्षित हमलों को लगातार और दृढ़ता से उठाया है। इस मामले पर हमारी स्थिति स्पष्ट है। अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

बांग्लादेश के हालात पर भारत में उठ रहे सवाल

बता दें कि भारत में कई राजनेताओं ने, जिनमें विपक्षी नेता भी शामिल हैं, चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और हिंदुओं के साथ हो रही हिंसा पर चिंता जताई है। उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी गिरफ्तार हिंदू साधु का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया है और उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।

क्या नाराज हैं एकनाथ शिंदे, अचानक क्यों चले गए अपने गांव? सरकार गठन का फैसला अधर में लटका

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महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आए 6 दिन बीत चुके हैं, विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो चुका है, लेकिन मुख्यमंत्री का फैसला अधर में लटका है। महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इसको लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। इस बीच दो बड़ा डेवलपमेंट हुआ है. पहला, महायुति की अहम बैठक होने वाली थी, जिससे टाल दिया गया है। दूसरी तरफ दिल्‍ली यात्रा के बाद महाराष्‍ट्र के कार्यवाहक मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे सतारा स्थित अपने गांव के लिए निकल गए हैं। ऐसे वक्‍त में जब गठबंधन की तरफ से मुख्‍यमंत्री का चेहरा अभी तक घोषित नहीं किया गया है, एकनाथ शिंदे के मुंबई छोड़ने पर कई तरह की बातें होने लगी हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या एकनाथ शिंदे रूठे हुए हैं?

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हाल ही में कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि उन्हें भाजपा का मुख्यमंत्री भी मंजूर है। महायुति और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व जो फैसला लेगा, हम समर्थन करेंगे। एकनाथ शिंदे के इस बयान के बाद कयास लगाए जाने लगे कि देवेंद्र फडणवीस ही महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे। ऐसे में एकनाथ शिंदे की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़ा होगा। क्या वह महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम बनकर काम करने के लिए तैयार होंगे, या फिर मंत्रिमंडल में शामिल होंगे?

इस बीच बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को मनाने के लिए कई प्रस्ताव बनाए, मगर वह नहीं माने। गुरुवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद कयास लगाए जाने लगे कि महायुति में सबकुछ ठीक है और शुक्रवार को महायुति की बैठक में सीएम के नाम का ऐलान हो जाएगा। लेकिन, इस बैठक को उस वक्त टालना पड़ा जब कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अचानक अपने गांव सातारा चले गए।

अब सवाल उठता है कि महायुति की शुक्रवार के होने वाली बैठक अचानक से रद्द क्‍यों कर दी गई? आखिर कौन सी वजह थी जिसके चलते मीटिंग टालनी पड़ गई? सूत्रों के अनुसार, अब पहले बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी। इस बैठक में बीजेपी विधायक दल का नेता चुना जाएगा। इसके बाद महायुति की संयुक्त बैठक होगी, जिसमें बीजेपी के साथ ही शिवसेना और एनसीपी के नेता भी शामिल होंगे। दिलचस्‍प बात यह है कि महायुति की तरफ से अभी तक मुख्‍यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं की गई है। हालांकि, शपथ ग्रहण की तारीख और तिथि तय कर दी गई है

रिपोर्टस के मुताबिक, गुरुवार रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मीटिंग में यह साफ किया गया कि देवेंद्र फडणवीस ही महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे। बीजेपी ने शिंदे के सामने एक बार डिप्टी सीएम बनने की चर्चा की। उन्हें बताया गया कि डिप्टी सीएम का पद लेने से महायुति की एकता का संदेश जाएगा। उन्हें फडणवीस के साथ अन्य दिग्गज नेताओं के बारे में बताया गया, जिन्होंने बड़े पद पर रहने के बावजूद दूसरी जिम्मेदारी ली। इस दलीलों से शिंदे नहीं माने। अब शिवसेना नेताओं नई दलील दी है। शिवसेना का कहना है कि देवेंद्र फडणवीस जाति से ब्राह्मण हैं। उनके नीचे दो मराठा नेता अजित पवार और एकनाथ शिंदे को डिप्टी के तौर से रखना राजनीतिक भूल साबित हो सकती है। मराठा वोटरों को यह रास नहीं आएगा।