अब दुश्मनों की खैर नहीं, समंदर में ही होगा काम तमाम, इंडियन नेवी ने मिली K-4 बैलिस्टिक मिसाइल
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भारतीय नौसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ है। इंडियन नेवी ने बुधवार को K-4 बैलिस्टिक मिसाइल की सफल टेस्टिंग की। यह टेस्टिंग न्यूक्लियर सबमरीन अरिघात से की गई थी। अरिघात को 2017 में लॉन्च किया गया था। इसका अपग्रेड वर्जन जल्द ही कमीशन किया जाएगा। यह परीक्षण न केवल भारत की परमाणु ताकत को नई ऊंचाई पर ले जाता है, बल्कि देश की दूसरी मारक क्षमता को भी प्रमाणित करता है। इस सफलता के बाद नौसेना इस मिसाइल प्रणाली के और भी परीक्षण करेगी, जिससे भारत की सामरिक स्थिति और मजबूत होगी।
भारतीय नौसेना ने हाल ही में शामिल की गई परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात से 3,500 किलोमीटर की क्षमता वाली K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया। इसे बंगाल की खाड़ी में विशाखापत्तनम के पास से लॉन्च किया गया। परीक्षण में ये मिसाइल अपनी सभी तय मानकों पर खरी उतरी। हालांकि इस लॉन्च की आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है।पहली बार इस मिसाइल को सबमरीन से फायर किया गया। 2010 में इसका डेवलपमेंट ट्रायल किया गया था। उसके बाद से आधा दर्जन से ज्यादा सफल टेस्ट किए जा चुके हैं। 10 मीटर लंबा 20 टन वजनी इस मिसाइल से एक टन पैलोड को 3500 किलोमीटर तक दागा जा सकता है।
हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ेगी भारत की ताकत
फिलहाल सबमरीन से दागे जाने वाली मिसाइलों में शार्ट रेंज बैलेस्टिक मिसाइल K-15 मौजूद है जो कि आईएनएस अरिंहत में लगी है। इसकी रेंज 750 किलोमीटर है। दूसरी मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल K-4 है जिसकी रेंज 3500 किलोमीटर है। अरिघात की ताकत और K-4 मिसाइल की क्षमता के कारण भारत की स्ट्रैटेजिक पोजिशन में बड़ा सुधार हुआ है। इस सफलता ने चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है। यह परीक्षण हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की ताकत और न्यूक्लियर ट्रायड को और भी मजबूत बनाता है।
भारत ने तैयार की परमाणु मिसाइलों से लैस 3 पनडुब्बियां
भारतीय नौसेना अब तक 3 न्यूक्लियर सबमरीन तैयार कर चुकी है। इसमें से एक अरिहंत कमीशंड है, दूसरी अरिघात मिलने वाली है और तीसरी S3 पर टेस्टिंग जारी है। इन सबमरीन के जरिए दुश्मन देशों पर परमाणु मिसाइल दागी जा सकती हैं। 2009 में पहली बार सांकेतिक तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पत्नी ने कारगिल विजय दिवस के मौके पर INS अरिहंत को लॉन्च किया था। इसके बाद 2016 में इसे नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। अगले 5 साल में दो और पनडुब्बियों को भारतीय नौसेना ने लॉन्च किया है।
2009 में लॉन्च करने से पहले भारत ने पनडुब्बियों को दुनिया से छिपा रखा था। 1990 में भारत सरकार ने एडवांस टेक्नोलॉजी वेसल प्रोग्राम शुरू किया था। इसके तहत ही इन पनडुब्बियों का निर्माण शुरू हुआ था।
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