1 दिसंबर को पटना में मैराथन का होगा आयोजन, नशा मुक्त बिहार के लिए दौड़ेंगी बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल

डेस्क : बिहार में नशा के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए 1 दिसंबर को पटना में होगा अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैराथन का आयोजन होगा। इस वर्ष का थीम ‘रन फॉर नशा मुक्त बिहार’ रखा गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस मैराथन में देश की बैडमिंटन स्टार सायना नेहवाल भी दौड़ेंगी। मैराथन में चार श्रेणियों 42 किमी, 21 किमी, 10 किमी और 5 किमी की दौड़ का होगी।

उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सचिव विनोद सिंह गुंजियाल ने बुधवार को सूचना भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि विजेताओं को पुरस्कृत भी किया जाएगा। कुल पुरस्कार राशि 50 लाख रुपये रखी गई है। इस वर्ष के मैराथन में पहली बार बिहार फॉस्टेस्ट श्रेणी रखी गई है, जिसमें सबसे तेज पुरुष और महिला धावक को अलग से पुरस्कृत किया जाएगा। इसके अलावा एक एलिट (अतिविशिष्ट) श्रेणी भी रखी गई है, जिसमें अलग-अलग देशों के 40 से अधिक धावकों ने भी भाग लेने के लिए निबंधन कराया है।

यह दौड़ गांधी मैदान के गेट नंबर-1 से शुरू होकर मरीन ड्राइव, दीघा होते हुए शिवपुरी फुट ओवर ब्रिज तक होगी। यहां तक की दूरी 10.5 किमी होती है। यहां से यू-टर्न लेकर वापस गांधी मैदान लौटेंगे। फुल मैराथन (42 किमी) और हाफ मैराथन (21 किमी) का रूट समान ही रहेगा। इसके लिए 30 नवंबर की रात 11 बजे से रविवार सुबह 11 बजे तक मरीन ड्राइव के एक लेन को वाहनों के लिए पूरी तरह से बंद रखा जाएगा। 42 किमी की दौड़ सुबह 5 बजे, 21 किमी की 5:30 बजे, 10 किमी की 6:30 बजे और 5 किमी वाली दौड़ सुबह 7:30 बजे से शुरू होगी।

बिहार में 3 आईपीएस अधिकारियों का तबादल 1 को प्रोन्नति, गृह विभाग ने जारी की अधिसूचना

डेस्क : बिहार में एकबार फिर बड़ा प्रशासनिक फेर-बदल हुआ है। राज्य सरकार ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के तीन अधिकारियों का तबादला कर दिया है। वहीं एक आईपीएस अधिकारी को प्रोन्नति दी गयी है और एक आईपीएस अधिकारी को अतिरिक्त प्रभार से मुक्त कर दिया गया है। दूसरी ओर, बिहार पुलिस सेवा के डीएसपी स्तर के अधिकारी को स्थानान्तरित किया गया है। बुधवार को गृह विभाग की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी की गयी।

गृह विभाग से जारी अधिसूचना के अनुसार एडीजी, यातायात सुधांशु कुमार को एडीजी सह अपर आयुक्त असैनिक सुरक्षा के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त कर दिया गया है। नागरिक सुरक्षा की डीआईजी सह उप निदेशक को अनुसूईया रणसिंह साहू को प्रोन्नत करते हुए पुलिस महानिरीक्षक, नागरिक सुरक्षा बनाया गया है।

पटना के एसपी, विधि व्यवस्था विवेक कुमार को प्रोन्नत और स्थानांतरित करते हुए अपराध अनुसंधान विभाग में डीआईजी नियुक्त किया गया है। एसडीआरएफ के समादेष्टा मो. फरोगुद्दीन को प्रोन्नत और स्थानांतरित करते हुए गृह रक्षावाहिनी और अग्निशमन सेवाएं का डीआईजी सह उप महा समादेष्टा बनाया गया है। वहीं, गृह रक्षा वाहिनी के डीआईजी मृत्युंजय कुमार चौधरी तबादला करते हुए निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में डीआईजी बनाया गया है।

दूसरी ओर, सीआईडी के अपर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार नंबर-1 को स्थानांतरित करते हुए एसडीआरएफ का समादेष्टा नियुक्त किया गया है।

विधान सभा में बिहार सरकारी परिसर (संशोधन) विधेयक 2024 पास, अब ये काम करने वालों को जाना पड़ेगा जेल

* डेस्क : बिहार सरकारी परिसर (आवंटन, किराया, वसूली एवं बेदखली) (संशोधन) विधेयक, 2024 विधान सभा में पारित हो गया है। अब सरकारी परिसर पर अवैध कब्जा करने या सरकारी परिसर का आवंटन रद्द होने पर उसे खाली नहीं करने पर अब छह महीने तक जेल हो सकता है। 10 हजार तक जुर्माने का भी प्रावधान है। जुर्माना और जेल दोनों भी हो सकता है। बिहार सरकारी परिसर (आवंटन, किराया, वसूली एवं बेदखली) (संशोधन) विधेयक, 2024 में यह प्रावधान किया गया है। विधेयक पर विधानसभा ने बुधवार को मुहर लगा दी। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति विधेयक के प्रावधानों का उल्लंघन करता है या फिर प्रदत्त शक्ति के तहत की जा रही कार्रवाई में बाधा डालता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। *अबतक 1956 का अधिनियम था प्रभावी* बीते बुधवार को शीतकालीन सत्र की कार्यवाही के दौरान विधानसभा की दूसरी पाली प्रारंभ होते ही वक्फ संशोधन बिल वापसी की मांग को लेकर विपक्ष के वेल में प्रदर्शन के बीच भवन निर्माण मंत्री जयंतराज ने सदन में सरकारी जमीन, मकान और संपत्ति से संबंधित संशोधन विधेयक पेश किया। मंत्री ने बताया कि सरकारी परिसरों का उपयोग करने वाले व्यक्तियों से किराया वसूल करने, आवंटन निरस्त करने या फिर उक्त सरकारी संपत्ति से संबंधित व्यक्ति को बेदखल करने के लिए 1956 का अधिनियम प्रभावी था। परंतु समय के साथ कई नए आयाम और मुद्दे उत्पन्न हुए हैं। गौरतलब है कि अब तक सरकारी संपत्ति के आवंटी या लीजधारी से आवंटन, किराया, वसूली या बेदखली का कोई कठोर कानून नहीं था। संशोधन विधेयक के तहत सरकारी परिसर के आवंटन, किराया, वसूली और बेदखली को लेकर सजा के प्रावधानों को सख्त बनाया गया है। साथ ही नियमों को और स्पष्ट किया गया है। यही नहीं सरकारी जमीन, मकान या किसी भी अन्य संपत्ति पर कब्जा करना या लीज पर लेने के बाद समय पर भुगतान न करने की स्थिति में संबंधित लोगों से सख्ती से निपटा जा सकेगा।
तेजस्वी का सीएम पर बड़ा हमला : नीतीश कुमार गांधी का अनुयायी होने का दावा करते है और गोडसे के अनुयायी वाले लोगों का पक्ष लेते है*


डेस्क : नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होने कहा है कि सीएम नीतीश कुमार अपने को गांधी का अनुयायी होने का दावा करते है। लेकिन गांधी की हत्या करने वाले गोडसे के अनुयायियों का पक्ष लेते है। दरअसल आज बुधवार को विधान मंडल के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही के दौरान विधानसभा में विपक्षी सदस्यों ने सदन के बीचों-बीच आकर केंद्र सरकार से वक्फ संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग की और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस विवादास्पद मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने सदस्यों से बार-बार अनुरोध किया कि वे अपनी सीटों पर वापस लौट जाएं और समझें कि यह ऐसा मामला है जिसका फैसला राज्य स्तर पर नहीं किया जा सकता। बाद में, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, जो हंगामे के बीच चुपचाप बैठे रहे, उन्होंने सदन के बाहर मीडिया से कहा कि वे इस विवादास्पद मुद्दे पर आंदोलनकारी सदस्यों के साथ पूरी तरह से हैं। आरजेडी नेता ने आरोप लगाया कि "हमने संसद के अंदर और सड़कों पर भी इस विधेयक का विरोध किया है। इस विधेयक का उद्देश्य हिंदू-मुस्लिम विभाजन पैदा करना है, यह हमारी सांस्कृतिक विविधता के लिए हानिकारक होगा और यह असंवैधानिक है।" वहीं उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि नीतीश कुमार गांधी के अनुयायी होने का दावा करते हैं, लेकिन उन्होंने उन लोगों का पक्ष लिया है जो गोडसे के प्रति लगाव रखते हैं। उनकी जेडी(यू) के केंद्रीय मंत्रियों ने संसद के अंदर इस विधेयक का खुलकर बचाव किया है। तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारा मानना है कि जेडी(यू) सुप्रीमो की मंजूरी के बिना मंत्री ऐसा नहीं कर सकते थे। हालांकि, नीतीश कुमार के पास अपने पापों का प्रायश्चित करने का अवसर है। उन्हें अब इसके खिलाफ बोलना चाहिए और सदन के अंदर बयान देने से बेहतर कोई तरीका नहीं है।"
केन्द्रीय मंत्री ललन सिंह का यह बयान उनके लिए खड़ा कर दिया मुश्किल, मुजफ्फरपुर कोर्ट में दायर हुआ परिवाद*

डेस्क : केंद्रीय मंत्री व जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह द्वारा मुस्लिम समुदाय जदयू को वोट नहीं देता उनके लिए मुश्किलें खड़ा कर दिया है। इस बयान को लेकर ललन सिंह के खिलाफ मुजफ्फरपुर कोर्ट में परिवाद दर्ज हुआ है। केंद्रीय मंत्री के खिलाफ BNS एक्ट के धारा 298, 299, 302, 352 के तहत मामला दर्ज कराया गया है। जिसको लेकर अगली सुनवाई की तारीख 4 दिसंबर मुकरर्र की गई है। परिवाद दर्ज कराने वाले वकील तम्मना हाशमी ने बताया कि बीते दिनों केंद्रीय मंत्री व जदयू नेता ललन सिंह मुजफ्फरपुर पहुंचे थे। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों को लेकर कहा था कि मुसलमान जदयू को वोट नहीं करता। इससे मुस्लिमों की भावनाए आहत हुई हैं। उन्होंने कहा कि जदयू पार्टी से सभी धर्म के लोग जुड़े हुए है। इसके बावजूद केंद्रीय मंत्री द्वारा इस तरह का बयान देना बेहद निंदनीय है।
डिप्टी सीएम के पद पर बैठकर सफेद झूठ बोल रहे सम्राट चौधरी, शर्म से डूब मरना चाहिए : तेजस्वी यादव

* डेस्क : नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि उपमुख्यमंत्री के पद पर रहकर सम्राट चौधरी झूठा बयान दे रहे हैं। सम्राट चौधरी को ऐसा झूठा और असत्य बयान देने से पहले शर्म से डूब मरना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सम्राट चौधरी ने कल कहा था कि 1990 से 2004 तक हमलोगों (राजद) ने आरक्षण नहीं दिया। सम्राट चौधरी जी हमलोग की ही पार्टी में थे.. मंत्री भी बनाए गए थे क्या क्या हंगामा हुआ सब जान रहा है। लेकिन उनको जानकारी होना चाहिए कि लालू जी और राबड़ी जी की सरकार ने कितना आरक्षण लोगों को दिया। तेजस्वी ने बताया कि, 1978 में जननायक कर्पूरी ठाकुर ने अतिपिछड़ों को 12 प्रतिशत, पिछड़ों को 8 प्रतिशत आरक्षण दिया था। उस समय भाजपा के लोग कर्पूरी जी के खिलाफ क्या क्या नारा लगाते थे। वहीं जब 1990 में लालू जी सरकार ने आए तो उन्होंने अतिपिछड़ों के 12 प्रतिशत आरक्षण को 14 प्रतिशत कर दिया। वहीं ठीक 10 साल बाद जब राबड़ी देवी 2000 में बिहार की पहली मुख्यमंत्री बनी तो उन्होंने 14 प्रतिशत के आरक्षण को बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया। उन्होंने कहा कि पंचायती राज वाला कहते हैं वो तो राबड़ी सरकार ने ही प्रस्ताव रखा था कोर्ट से निरस्त हुआ तो उसे सीएम नीतीश ने लागू किया। जो पंचायतों में अतिपछिड़ों का आरक्षण था और सच्चाई जान जानी चाहिए की आज जिसके दम पर राजनीति में हैं सम्राट चौधरी। मंडल कमीशन लागू कराने में लालू जी का योगदान नहीं भूलना चाहिए। लालू जी के चक्कर में बीपी सिंह को गाली खाना पड़ा। शर्म आना चाहिए इन मंत्रियों को जिनको इतिहास नहीं पत्ता। तेजस्वी ने कहा कि 2005 में जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने उसके बाद से एसएसटी, ओबीसी आरक्षण की सीमा को कभी नहीं बढ़ाई गई। और फिर ये आरक्षण कब बढ़ी हमारे 17 महीने की सरकार में...हमलोगों ने पिछड़ों का अतिपिछड़ों के आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया। उन्होंने कहा कि कर्पूरी जी ने शुरुआत की फिर लालू राबड़ी जी ने आगे बढ़ाया फिर महागठबंधन की 17 महीने की सरकार बनी तो हमने उसे 65 प्रतिशत करने का काम किया।
बिहार विधान मंडल शीतकालीन सत्र : अपनी ही सरकार की एक योजना का लेकर बीजेपी ने उठाया सवाल, विपक्षी राजद ने भी दिया साथ*

डेस्क : बिहार विधान मंडल के शीतकालीन सत्र का आज तीसरा दिन है। आज सदन में दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश होंगे। साथ हीं विधायकों के वेतन और भत्तों से संबंधित नियमावली में संशोधन पर चर्चा की जाएगी। वहीं सदन की कार्यवाही शुरु होने से पहले ही विपक्ष का भारी हंगामा देखने को मिल रहा है। आज सदन के बाहर विपक्ष के नेता आंखों पर काली पट्टी बांधकर पहुंचे। सदन के गेट पर विपक्ष के नेता तख्ती लेकर बिहार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। वही सदन के अंदर आज एक और बड़ी बात हुई। सदन की कार्यवाही के दौरान भाजपा अपनी ही सरकार के एक योजना के खिलाफ राजद के साथ एकजुट हो गई। ग्राम पंचायतों में सफाई कार्य में लगे स्वच्छता कर्मियों के मानदेय भुगतान नहीं होने और स्वच्छता कार्य में उपयोग किए जाने वाले ठेला किस्म की गाड़ियों की जर्जर स्थिति के मुद्दे पर भाजपा और राजद दोनों दलों के विधायक एकसुर में विरोध में उतर गए। भाजपा के अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने इस मुद्दे को उठाया। इस पर ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री श्रवण कुमार ने कहा पंचायतों में स्वच्छता कर्मियों के मानदेय भुगतान एक वर्ष तक विभाग द्वारा किया जाता है। उसके बाद पंचायत अपने स्तर पर उनका भुगतान करती है। इसके लिए 30 रुपए प्रति महीना प्रति घर लेती है। हालाँकि श्रवण कुमार के इस जवाब पर भाजपा के सदस्य संतुष्ट नहीं हुए। राजद की ओर से सूर्यकान्त पासवान सहित कई सदस्यों ने एक सुर में कहा कि पंचायतों में स्वच्छता कर्मियों के मानदेय भुगतान कई महीनों से शेष है। हालाँकि श्रवण कुमार ने कहा कि ऐसे स्वच्छता कर्मियों का नाम बताया जाए हम उनका मानदेय भुगतान 15 दिनों में कराएंगे। इस पर राजदस सदस्यों ने फिर से कहा कि यह संख्या कोई एक दो नहीं बल्कि बड़ी संख्या में है। ऐसे में स्वच्छता कर्मियों के मानदेय भुगतान के मुद्दे पर भाजपा और राजद के सदस्य एक सुर में सदन में नीतीश सरकार के विभाग के खिलाफ एकजुट दिखे।
बिहार विधान मंडल के शीतकालीन सत्र आज तीसरा दिन, काली पट्टी बांधकर विधान सभा पहुंचे विपक्षी सदस्य

* डेस्क : बिहार विधान मंडल के शीतकालीन सत्र का आज तीसरा दिन है। आज सदन में दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश होंगे। साथ हीं विधायकों के वेतन और भत्तों से संबंधित नियमावली में संशोधन पर चर्चा की जाएगी। वहीं सदन की कार्यवाही शुरु होने से पहले ही विपक्ष का भारी हंगामा देखने को मिल रहा है। सदन के बाहर विपक्ष के नेता आंखों पर काली पट्टी बांधकर पहुंचे हैं। सदन में विपक्ष के नेता तख्ती लेकर बिहार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। एक ओर जहां राजद विधायक आखों पर काली पट्टी लगाकर पहुंचे हैं तो वहीं दूसरी ओर लिफ्ट के विधायक सामाजिक सुरक्षा पेंशन केरल के तर्द पर प्रति माह 3 हजार रुपए देने की मांग कर रहे हैं। साथ ही जीविका आशा कर्मी और ममता को स्थायी कर 25000 वेतन देने की भी मांग कर रहे हैं। लिफ्ट विधायकों को कहना है कि बिहार सरकार जो पैसा दे रही है वो अपर्याप्त है। विधवा, विकलांग और वृद्धजनों को सरकार द्वार दिए गए 400 रुपए से कोई मदद नहीं मिल रहा है। इसलिए इस मंहगाई में बिहार सरकार को भी केरल के तर्ज पर सामाजिक सुरक्षा पेंशन 3 हजार प्रति माह देना चाहिए। साथ ही लिफ्ट विधायकों की मांग है कि जीविका आशा कर्मी और ममता कर्मियों को स्थायी की जाए और 25000 हजार पेंशन दें। लिफ्ट विधायकों ने कहा कि सरकार केवल अडानी-अंबानी के बारे में सोचती है, सरकार बहरी हो गई है। राजद विधायक आंख पर काली पट्टी लगाकर सदन पहुंचे हैं। साथ ही उनके हाथों में तख्ती भी है जिसपर लिखा है कि 'मैं सुशासन बाबु हूं, मैं अंधा हो गया हूं, मुझे कुछ नहीं दिख रहा है"। दूसरे तख्ती पर लिखा गया है कि शराब नहीं किताब दो मदिरालय नहीं पुस्तकालय दो। दोनों तख्ती पर सीएम नीतीश का कार्टून भी बनाया गया है। राजद विधायक का कहना है कि, बिहार में अफसरशाही का बोलबाला है। बिहार में लूट-खसोट जारी है। राजद विधायक ने कहा कि बिहार में जिस तरह से घटनाएं घट रही है और सभी लोग कह रहे हैं कि सुशासन की सरकार है उनको मैं आइना दिखाना चाहता हूं कि यहां जनप्रतिनिधि भी सुरक्षित नहीं है, बैग में शराब ले जाया जा रहा है, हर तरफ अपराधिक घटनाएं बढ़ती जा रही है। राजद विधायक मुकेश रौशन सदन की कार्यवाही शुरु होने से पहले बिहार विधानसभा के बाहर भारी बवाल काटा है।
सीएम नीतीश कुमार ने बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के भवन निर्माण कार्य और जिला अतिथि गृह का किया निरीक्षण, जल्द कार्य पूरा करने का दिया निर्दे


* डेस्क : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीते मंगलवार की शाम विधानमंडल की कार्यवाही खत्म होने के बाद वे आला अधिकारियों के साथ बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के भवन निर्माण कार्य और जिला अतिथि गृह का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का निर्माण जल्द पूरा करने को कहा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि जिला अतिथि गृह के पुराने कमरों को तोड़कर यहां जो 55 कमरे का नया अतिथि गृह भवन बना है, उसके अनुरूप नया निर्माण कराया जाये। अतिथि गृह के इस नये निर्माण से आने वाले अतिथियों को काफी सुविधा होगी। उन्होंने जिला अतिथि गृह के अंदर के रास्तों को भी ठीक कराने और परिसर में पौधरोपण का भी निर्देश दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय भवन परिसर का निरीक्षण किया। इस दौरान अधिकारियों को निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि बिहार पशु विज्ञान विवि भवन के बचे हुए निर्माण कार्य में तेजी लाकर जल्द पूर्ण कराएं। इसके पहले भवन निर्माण सचिव कुमार रवि ने निर्माणाधीन कार्यों की प्रगति के संबंध में मुख्यमंत्री को विस्तृत जानकारी दी।
लैंड फॉर जॉब स्कैम : रेलवे के 30 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ चलेगा मुकदमा, सीबीआई को गृह मंत्रालय से मिली मंजूरी*

डेस्क : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहने के कार्यकाल में हुए बहुचर्चित नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में बड़ी खबर सामने आई है। अब इस मामले में रेलवे के 30 अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलेगा। मामले की जांच कर रही सीबीआई को गृह मंत्रालय से इस अनुमति मिल गई है। हालांकि, इसमें कुछ रेल अधिकारी सेवानिवृत हो गए हैं। जबकि कुछ अभी भी कई स्थानों पर तैनात हैं। दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में इस मामले में बीते मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सीबीआई ने स्पेशल जज विशाल गोगने की अदालत में बताया कि मामले में आरोपी 30 सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मिल गई है। यह भी बताया कि मामले में एक आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मिलने का अभी इंतजार है। वहीं पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति पहले ही मिल चुकी है। अदालत ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 23 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध किया है। रेलवे के सभी नामजद कर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति सीबीआई ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस मामले में चार्जशीट दायर करने के बाद ही मांगी थी। इस मामले की जांच तकरीबन पूरी हो गई है। सीबीआई ने 6 मार्च 2024 को इस मामले में अंतिम चार्जशीट दायर की थी, जिसमें 78 नामजद आरोपी बनाए गए हैं। 38 वैसे उम्मीदवार हैं, जिन्होंने गलत तरीके से नौकरी प्राप्त की थी। जबकि, 30 सरकारी मुलाजिम हैं, जो रेलवे में अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न पदों पर तैनात हैं। बताते चले कि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के 2004 से 2009 के कार्यकाल में जमीन लेकर रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरी देने का फर्जीवाड़ा बड़े स्तर हुआ था। मामला उजागर होने के बाद इसकी जांच सीबीआई को सितंबर 2021 को सौंपी गई थी। सीबीआई ने मई 2022 में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की। इसमें लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, मीसा भारती समेत उनके परिवार के सदस्य और करीबियों समेत 15 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया था। इस मामले की जांच में अब तक दो चार्जशीट दायर की जा चुकी है। पहली चार्जशीट 7 अक्टूबर 2022 और दूसरी चार्जशीट 3 जुलाई 2023 में दायर की गई थी। दोनों चार्जशीट राउज एवेन्यू कोर्ट में दायर की गई थी।