महाराष्ट्र में सीएम पर सस्पेंस खत्म, बीजेपी ही बनाएगी मुख्यमंत्री, एकनाथ शिंदे ने साफ किया रुख

#maharashtra_eknath_shinde_press_conference 

Image 2Image 3Image 4Image 5

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर चले आ रहे संशय का अब पटाक्षेप हो चुका है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना शिंदे गुट के प्रमुख एकनाथ शिंदे ने बुधवार को सीएम पद को लेकर चल रही चर्चाओं को विराम दे दिया। उन्होंने कहा कि मेरे मन में सीएम बनने की लालसा नहीं है। पीएम मोदी और अमित शाह जो भी निर्णय लेंगे मुझे मंजूर होगा। एकनाथ शिंदे ने कह दिया है कि भाजपा अपना सीएम बनाए, शिवसेना उसका समर्थन करेगी।

एकनाथ शिंदे ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि महाराष्ट्र की जनता का धन्यवाद, जिन्होनें हमें शानदार जीत दिलाई। मैं मुख्यमंत्री नहीं, आम कार्यकर्ता की तरह काम करता हूं। हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए महायुति गठबंधन ने योजनाएं चलाई हैं। एकनाथ शिंदे ने पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह का धन्यवाद कि उन्होंने जनता का काम करने की मजबूती दी। एकनाथ शिंदे ने कहा कि केंद्र सरकार ने पूरा समर्थन दिया तभी महाराष्ट्र में विकास कार्यों में तेजी आई। हम बाला साहेब के विचारों को लेकर आगे बढ़े।

एकनाथ शिंदे ने कहा कि पिछले ढाई साल में पीएम मोदी और अमित शाह ने मेरा पूरा सहयोग किया। अमित शाह और पीएम मोदी ने बालासाहेब ठाकरे के एक आम शिवसैनिक को सीएम बनाने के सपने को पूरा किया है। वे हमेशा मेरे साथ खड़े रहे हैं। उन्होंने मुझ पर विश्वास किया। मुझे मुख्यमंत्री बनाया और बड़ी जिम्मेदारी दी। मैं रोने वालों और लड़ने वालों में से नहीं हूं। मैं भागने वाला नहीं समाधान करने वाला व्यक्ति हूं। हम मिलकर काम करने वाले लोग हैं। ढाई साल तक हमने खूब काम किया है। महाराष्ट्र में विकास की रफ्तार बढ़ी है। हमने हर वर्ग की भलाई के लिए काम किया। 

बता दें कि वर्तमान में शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे एनडीए सरकार के सीएम हैं, जबकि बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी नेता अजित पवार उपमुख्यमंत्री हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में महायुति ने रिकॉर्ड जीत हासिल की है। उसके बाद बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि राज्य में बीजेपी का मुख्यमंत्री हो और इसे लेकर एकनाथ शिंदे और अजित पवार से सहमति बन गई है। हालांकि गुरुवार को दिल्ली में बैठक के बाद अंतिम फैसला का ऐलान होगा।

क्या है कॉप 29, भारत ने क्यों खारिज किया नया जलवायु वित्त समझौता*
Image 2Image 3Image 4Image 5
#india_slams_cop_29_climate_finance_by_calling_it_optical_illusion


कोयला, तेल और गैस उत्पादन के परिणामस्वरूप हर साल अरबों टन कार्बनडाइऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ा जाता है। मानवीय गतिविधियों के कारण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जिसके कम होने के कोई संकेत नहीं हैं। जलवायु परिवर्तन हमारे समय का सबसे बड़ा संकट है और यह हमारी आशंका से भी कहीं ज़्यादा तेज़ी से हो रहा है। पिछले चार साल रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रहे। दुनिया का कोई भी कोना जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी परिणामों से अछूता नहीं है। बढ़ते तापमान के कारण पर्यावरण क्षरण, प्राकृतिक आपदाएँ, मौसम की चरम सीमाएँ, खाद्य और जल असुरक्षा तेजी से बढ़ रही है। इसी बीच हाल ही में अजरबैजान के बाकू में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (कॉप-29) का आयोजन किया गया। इस दौरान भारत ने 'ग्लोबल साउथ' के लिए 300 अरब अमेरिकी डॉलर के नए जलवायु फंडिंग पैकेज को रविवार को खारिज कर दिया। कहा कि यह पैकेज बहुत कम है। समझौते को मंजूरी से पहले भारत को बात रखने का मौका नहीं दिया गया। अजरबैजान के बाकू में आयोजित कॉप 29 सम्मेलन में 300 अरब डॉलर वार्षिक क्लाइमेट फाइनेंस का लक्ष्य तय किया गया, जिससे विकासशील देशों को मदद मिल सके। लेकिन यह समझौते पर भी विवादों के बादल छा गए। भारत ने इसे एक “दृष्टि भ्रम” बताते हुए कहा कि इससे असली जलवायु समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। दरअसल, विकासशील देशों ने इसके लिए कम से कम एक ट्रिलियन डॉलर (1000 अरब डॉलर) की मांग की थी। भारत ने कॉप-29 के अध्यक्ष पद व संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन अधिकारी पर समझौते को थोपने और आपत्ति दर्ज करने का मौका नहीं देने का आरोप लगाया। इस बीच जलवायु कार्यकर्ताओं ने कॉप-29 के आयोजन स्थल के बाहर सम्मेलन के अंतिम दिन भी प्रदर्शन जारी रखा। कार्यकर्ताओं की मांग है कि जलवायु समस्याओं को देखते हुए वित्त बढ़ाया जाना चाहिए। *भारत ने जलवायु वित्त पैकेज पर क्या कहा* आर्थिक मामलों के विभाग की सलाहकार चांदनी रैना ने यहां संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के समापन सत्र में भारत की ओर से कड़ा बयान देते हुए इस प्रस्ताव को अपनाने की प्रक्रिया को ''अनुचित'' और ''पहले से प्रबंधित'' करार दिया तथा कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में भरोसे की चिंताजनक कमी को दर्शाती है।विकासशील देशों के लिए यह नया जलवायु वित्त पैकेज या नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (एनसीक्यूजी) 2009 में तय किए गए 100 अरब अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य का स्थान लेगा। समझौते पर वार्ता के बाद जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश विभिन्न स्रोतों- सार्वजनिक और निजी, द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय तथा वैकल्पिक स्रोतों से कुल 300 अरब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष मुहैया कराने का लक्ष्य 2035 तक हासिल करेंगे। वित्तीय मदद का 300 अरब अमेरिकी डॉलर का आंकड़ा उस 1.3 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से बहुत कम है, जिसकी मांग 'ग्लोबल साउथ' देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पिछले तीन साल से कर रहे हैं। *विकसित देश ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार* भारतीय आर्थिक सलाहकार रैना ने कहा, विकसित देश ऐतिहासिक रूप से जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार रहे हैं। उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे विकासशील व निम्न आय वाली अर्थव्यवस्थाओं को वित्त, प्रौद्योगिकी तथा क्षमता निर्माण सहायता प्रदान करें, ताकि उन्हें गर्म होती दुनिया से निपटने में मदद मिल सके। उन्होंने 2009 में 100 अरब डॉलर के पैकेज का एलान किया था। वर्ष 2020 तक पैकेज के सिर्फ 70 प्रतिशत लक्ष्य को ही हासिल किया सका और वह भी कर्ज की शक्ल में। 300 अरब डॉलर से विकासशील देशों का कुछ नहीं होने वाला। भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद अब विकसित देशों पर जलवायु वित्त को बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है। *इन देशों ने किया भारत का समर्थन* संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में वैश्विक दक्षिण के लिए 300 अरब डॉलर के नए जलवायु वित्त पैकेज पर भले ही सहमति बन गई हो, लेकिन बड़ी संख्या में देशों की प्रतिक्रियाओं से पता चलता है कि इससे हर कोई खुश नहीं है। अल्प विकसित देशों (एलडीसी) समूह के अध्यक्ष इवांस नेजेवा ने इसे निराशाजनक बताया। वहीं, नाइजीरिया, मलावी और बोलीविया ने भी भारत का समर्थन किया है। नाइजीरिया की वार्ताकार नकिरुका मडुकेवे ने कहा कि जलवायु फंडिंग पैकेज 'मजाक' है। गरीब देशों के संघ एलडीसी के अध्यक्ष इवांस नजेवा ने पैकेज को निराशाजनक करार देते हुए कहा कि पृथ्वी की सेहत सुधारने का मौका गंवा दिया। वहीं अफ्रीकी वार्ताकारों के समूह के अध्यक्ष ने कहा कि यह समझौता 'कड़वे मन से' किया गया। *क्या है COP 29 में तय समझौता?* संयुक्त राष्ट्र के अंतिम आधिकारिक मसौदे के अनुसार, कॉप 29 का मुख्य उद्देश्य जलवायु से जुड़ी पिछली फाइनेंस योजना को तीन गुना बढ़ाना था। पहले हर साल 100 अरब डॉलर (₹8.25 लाख करोड़) की योजना थी, जिसे अब 300 अरब डॉलर (24.75 लाख करोड़ रुपये) किया गया है। समझौते के मुताबिक, साल 2035 तक यह प्रयास किया जाएगा कि सार्वजनिक और निजी स्रोतों से विकासशील देशों को कुल 1.5 ट्रिलियन डॉलर (123.75 लाख करोड़ रुपये) तक की वित्तीय सहायता मिले। इसके अलावा, 1.3 ट्रिलियन डॉलर (1,07,25,000 करोड़ रुपये) विशेष रूप से अनुदानों और सार्वजनिक निधियों के रूप में कमजोर देशों के लिए सुनिश्चित किए जाएंगे।
भारत को सिर्फ यूरोप को खुश करने के लिए ऊंची कीमतें क्यों चुकानी चाहिए”, जयशंकर के इन चुभते सवालों के क्या हैं मायने?*
Image 2Image 3Image 4Image 5
#jaishankar_slams_western_countries_for_critice_india_purchase_of_russian_oil


भारतीय विदेश मंत्री अपनी हाजिरजवाबी के लिए जाने जाते हैं। एस जयशंकर अपने जवाब से अच्छे-अच्छों को लाजवाब कर चुके हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर हो रही आलोचनाओं पर पश्चिमी देशों को दो टूक जवाब दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दुनिया के हर हिस्से के अपने-अपने हित होते हैं और यह समझना जरूरी है। उन्होंने यूरोप के चयनात्मक दृष्टिकोण की आलोचना की और पूछा कि अगर यह सिद्धांतों का मामला है, तो यूरोप ने खुद रूस के साथ अपने कारोबार में कटौती क्यों नहीं की। इटली में इतालवी न्यूज़पेपर कोरिएरे डेला सेरा को दिए इंटरव्यू में एस जयशंकर ने दुनिया के अन्य हिस्सों से यूरोप की अनुचित अपेक्षाओं पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही एस जयशंकर ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर बात की और यूक्रेन वॉर डिप्लोमैटिक हल पर जोर दिया। उन्होंने इंटरव्यू के दौरान भारत-चीन संबंधों समेत कई मुद्दों पर भी बात की। जयशंकर ने कहा, दुनिया के इस हिस्से (पश्चिमी देश) को यह समझना होगा कि दुनिया के हर हिस्से के अपने हित हैं। यूरोप की प्राथमिकताएं स्वाभाविक रूप से एशिया या अफ्रीका या लैटिन अमेरिका के देशों से अलग होंगी। अगर सब कुछ इतने गहरे सिद्धांत का मामला है तो यूरोप को खुद ही रूस के साथ अपने सभी व्यापार खत्म कर देने चाहिए थे, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। वह बहुत ही चयनात्मक रहा है और उसने बहुत ही सावधानी से अपने अलगाव को आगे बढ़ाया है। इसलिए, यह कहना कि यह क्षेत्र (यूरोप) अपने लोगों की चिंता करेगा और दूसरों को इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए कि उन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, उचित नहीं है।' *जयशंकर के तीखे सवाल* जयशंकर ने आगे पूछा कि भारत को सिर्फ यूरोप को खुश करने के लिए ऊंची कीमतें क्यों चुकानी चाहिए। उन्होंने बताया कि यूरोप ने पहले रूस से ऊर्जा खरीदी थी, लेकिन अब वह अन्य देशों से ऊर्जा खरीद रहा है, जिससे बाजार में दबाव बढ़ा है। भारत को इस स्थिति में अपनी कीमतें क्यों बढ़ानी चाहिए? *रूसी तेल खरीदने को लेकर पहले भी दे चुके हैं जवाब* यह पहली बार नहीं है जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सस्ता रूसी तेल खरीदने के लिए भारत के रुख को जाहिर किया हो। पहले भी कई मंचों पर वे भारत का रुख साफ शब्दों में रख चुके हैं। जयशंकर ने कहा कि रूस एक सोर्स है। भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प चुनने का अधिकार है।
इजरायल-लेबनान सीज़फायर पर भारत का बड़ा बयान, जानें क्या कहा?*
Image 2Image 3Image 4Image 5
#india_welcomes_ceasefire_between_israel_and_lebanon
इजरायल और हिजबुल्लाह में समझौते के बाद लेबनान में युद्ध विराम हो गया है। इजराइल और ईरान समर्थित हथियारबंद समूह हिज़्बुल्लाह के बीच एक युद्धविराम समझौते की घोषणा के बाद पिछले 13 महीनों से चल रही लड़ाई थम जाएगी। इस समझौते के तहत 60 दिनों का युद्ध विराम रहेगा और हिजबुल्ला दक्षिण लेबनान से पीछे हटेगा। दोनों के बीच सालभर से अधिक समय तक संघर्ष चला। इजरायल-हिजबुल्लाह के बीच सीज फायर का ऐलान होने के बाद भारत का बड़ा बयान सामने आया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर शांति समझौते का स्वागत किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि "हम इजरायल और हिजबुल्लाह में हुए शांति समझौते का स्वागत करते हैं। हम हमेशा हमलों में वृद्धि को रखने शांति स्थापित करने और बातचीत के रास्ते पर लौटने की पक्षधर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि इस फैसले से पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता आएगी। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि इजरायल और लेबनान के हिज्बुल्ला ने अमेरिकी मध्यस्थता वाले शांति समझौते को स्वीकार कर लिया है, जिसे दोनों पक्षों के बीच शत्रुता की ‘‘स्थायी समाप्ति’’ के उद्देश्य से तैयार किया गया है। बाइडेन ने इजरायल और हिज्बुल्ला के बीच हुए युद्धविराम समझौते को ‘‘अच्छी खबर’’ बताया और उम्मीद जताई कि 13 महीने से अधिक समय से जारी लड़ाई में विराम गाजा में युद्ध को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। इजराइल और लेबनान के बीच युद्ध विराम आधिकारिक तौर पर बुधवार तड़के चार बजे से प्रभावी हो गया। इसी के साथ लेबनान से विस्थापित हजारों लोग स्वदेश लौटने के लिए तैयार हो गए हैं। लेबनान की सेना ने विस्थापित नागरिकों से दक्षिणी लेबनान के कस्बों और गांवों में लौटने से पहले इजराइली सैनिकों के हटने का इंतजार करने का आह्वान किया है। लेबनान में इस समय संयुक्त राष्ट्र अंतरिम शांति सेना के 10 हजार जवान मौजूद हैं। *समझौते में 60 दिनों का युद्धविराम* इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच हुए सीजफायर की शर्तों के अनुसार इस समझौते में 60 दिनों का युद्धविराम किया गया है। सीजफायर के अनुसार इजरायली सैनिक लेबनान से वापस जाएंगे। हिजबुल्लाह के लड़ाके भी दक्षिणी लेबनान में इजरायली सीमा से हटेंगे। वहीं, समझौते में इस बात पर जोर दिया गया है कि हिजबुल्लाह अगर युद्धविराम का उल्लंघन करता है तो इजरायल को हमला करने का अधिकार होगा। हालांकि, लेबनान की ओर से इस प्रावधान का कड़ा विरोध जताया गया।
राहुल गांधी का तीखा हमला: अडानी को जेल जाना चाहिए, वह क्यों करेंगे आरोपों को स्वीकार ?*
Image 2Image 3Image 4Image 5

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को अरबपति गौतम अडानी पर कहा कि 'अडानी समूह ने कहा है कि उसके संस्थापक और उनके भतीजे सागर अडानी पर अमेरिकी विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के उल्लंघन का कोई आरोप नहीं लगाया गया है, जैसा कि रिश्वतखोरी के मामले में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा अदालत में दायर अभियोग में आरोप लगाया गया है।' कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि यह स्पष्ट है कि व्यवसायी गौतम अडानी आरोपों को स्वीकार नहीं करेंगे, उन्होंने कहा कि उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। जब देश में सैकड़ों लोगों को "छोटे" आरोपों में गिरफ्तार किया जाता है, तो "अडानी जेल में क्यों नहीं हैं?" लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बुधवार को संसद के बाहर संवाददाताओं से बात करते हुए कहा। संसद का शीतकालीन सत्र अभी चल रहा है। गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर प्रतिभूति धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है जिसमें मौद्रिक दंड लगाया जाता है। राहुल ने कहा, 'अडानी को गिरफ्तार किया जाना चाहिए, 'आपको लगता है कि अडानी आरोपों को स्वीकार कर लेंगे। आप किस दुनिया में रह रहे हैं? जाहिर है, वह आरोपों से इनकार करेंगे,'' अडानी समूह द्वारा आरोपों से इनकार किए जाने के बारे में पूछे जाने पर राहुल गांधी ने कहा। ''मुद्दा यह है कि उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। जैसा कि हमने कहा है, सैकड़ों लोगों को छोटे-छोटे आरोपों में गिरफ्तार किया जा रहा है और उस सज्जन पर अमेरिका में हजारों करोड़ रुपये का आरोप लगाया गया है। उन्हें जेल में होना चाहिए, सरकार उन्हें बचा रही है,'' पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने कहा। गांधी उन पहले लोगों में से थे जिन्होंने अडानी के खिलाफ अमेरिका द्वारा कथित रिश्वतखोरी के आरोप लगाए जाने के बाद उनकी गिरफ्तारी की मांग की थी। कांग्रेस नेता ने चुनाव प्रचार के दौरान भी कई बार अडानी समूह पर सवाल उठाए हैं। इससे पहले, अडानी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि व्यवसायी या उनके सहयोगियों के खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं हैं और रिश्वतखोरी के आरोप बहुत सामान्य हैं और इस बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं दी गई है कि किसने किसको रिश्वत दी।
कांग्रेस ने बांग्लादेश में इस्कॉन साधुओं पर हो रहे हमलों को लेकर मोदी सरकार से हस्तक्षेप की मांग की

Image 2Image 3Image 4Image 5

कोलकाता स्थित अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना संस्था (इस्कॉन) ने बांग्लादेश में अपने साधुओं और हिंदू वैष्णव समुदाय के अन्य सदस्यों पर हो रहे हमलों के बारे में केंद्र को अवगत कराया है। इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमण दास ने कहा कि साधु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पिछले तीन महीनों में इस्कॉन और अन्य हिंदू धार्मिक समूहों के खिलाफ इस्लामवादियों द्वारा किए गए हमलों और धमकियों की श्रृंखला में नवीनतम घटना है।

पीटीआई ने दास के हवाले से कहा, "इस्कॉन और रामकृष्ण मिशन जैसे अन्य हिंदू धार्मिक समूहों के खिलाफ इस्लामवादियों द्वारा की जा रही गिरफ्तारी और धमकियां पिछले तीन महीनों से जारी थीं और दास की गिरफ्तारी अब तक की आखिरी घटना थी। स्थिति चिंताजनक है और हमने विदेश मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय से ऐसे हमलों में लोगों के जीवन और संपत्ति को बचाने और उनकी रक्षा करने के लिए उचित कदम उठाने का आग्रह किया है।" इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष दास ने कहा, "हमने केंद्र से बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालने का आग्रह किया है ताकि ऐसी घटनाएं रुकें।" उन्होंने कहा कि इस्कॉन संयुक्त राष्ट्र से भी स्थिति पर ध्यान देने और चिन्मय कृष्ण दास की तत्काल रिहाई के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह करता है, जिन्हें बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की वकालत करने के लिए गिरफ्तार किया गया था, उन्होंने जोर देकर कहा कि वे अन्य समुदायों के सदस्यों की तरह ही राष्ट्र का हिस्सा हैं। इस्कॉन के प्रवक्ता ने कहा, "बांग्लादेश में कई स्थानों पर हमारे भिक्षुओं को हाल के दिनों में सभाओं में कुछ इस्लामी तत्वों द्वारा अपहरण किए जाने और उनके जीवन का पाठ पढ़ाने की धमकियाँ मिल रही थीं, लेकिन अधिकारियों ने बताए जाने के बावजूद हमारी चिंताओं को दूर करने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए।"

बांग्लादेश पुलिस ने हिंदू समूह सम्मिलिता सनातनी जोत के नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को सोमवार को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उस समय गिरफ्तार किया, जब वे चटगाँव जा रहे थे। बांग्लादेश की एक अदालत ने मंगलवार को उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया और देशद्रोह के आरोप में जेल भेज दिया। इस बीच, कांग्रेस ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा, "भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उम्मीद करती है कि भारत सरकार बांग्लादेश सरकार पर आवश्यक कदम उठाने और देश में अल्पसंख्यकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाएगी।"

महाराष्ट्र के सीएम पर सस्पेंस जारी, एकनाथ शिंदे जल्द ही करेंगे मीडिया को संबोधित

Image 2Image 3Image 4Image 5

महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे आज दोपहर 3 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करेंगे, क्योंकि हाल ही में निर्वाचित महायुति गठबंधन अपने सीएम के रूप में किसे नामित करेगा, इस पर सस्पेंस जारी है। 280 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में से 132 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी विजेता बनकर उभरी, जबकि उसके सहयोगी - एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी - ने क्रमशः 57 और 41 सीटें जीतीं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को हुए थे और नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए गए थे।

शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और नई सरकार के गठन तक उन्हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। हालांकि, महायुति गठबंधन ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि महाराष्ट्र सरकार का नेतृत्व कौन करेगा।

एकनाथ शिंदे नाखुश? 

भाजपा के एक प्रमुख सहयोगी, आरपीआई (ए) के नेता रामदास अठावले ने मंगलवार को महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री पर जल्द निर्णय लेने का आह्वान किया और सुझाव दिया कि मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को केंद्रीय मंत्री के रूप में केंद्र में जाना चाहिए। मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अठावले ने महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के रूप में वरिष्ठ भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस का भी समर्थन किया और कहा कि भगवा पार्टी ने 288 सदस्यीय विधानसभा में अधिकतम सीटें जीती हैं और राज्य में शीर्ष कार्यकारी पद पर उसका अधिकार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में एक अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई है, जहां भाजपा नेता फडणवीस को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं, जबकि शिवसेना के नेता चाहते हैं कि शिंदे पिछले ढाई साल में उनके द्वारा किए गए अच्छे काम का हवाला देते हुए पद पर बने रहें। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि शिंदे थोड़े "नाखुश" हैं, जब उन्हें पता चला कि भाजपा आलाकमान ने अगले सीएम के रूप में देवेंद्र फडणवीस को "अंतिम रूप" दे दिया है।

बांग्लादेश में इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग, यूनुस सरकार ने बताया “धार्मिक रुढ़िवादी संगठन” क्या होगा अगला कदम?

#bangladesh_high_court_seeking_ban_on_iskcon_writ_petition_filed 

पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश इस समय भारी उथल-पुथल से गुजर रहा है। बांग्लादेश में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले शेख हसीन सरकार के समय आरक्षण को लेकर हिंसा चरम पर देखी गई। अब तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में इन दिनों हिंदुओं पर लगातार अत्याचार किया जा रहा है। इस बीच इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार कर लिया गया है। हिंदुओं पर हमले और धर्मगुरु चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के बाद इस्कॉन पर बैन लगाने की तैयारी की जा रही है। इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है।

Image 2Image 3Image 4Image 5

बांग्लादेश में हिंदू संगठन इस्कॉन को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर इसपर प्रतिबंधन लगाने की मांग की गई है। इस पर बुधवार को बांग्लादेश सरकार ने इस्कॉन को धार्मिक रुढ़िवादी संगठन बताते हुए कहा कि वह इसकी जांच कर रही है। दरअसल, इस याचिका पर कोर्ट ने बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल से इस्कॉन की जानकारी मांगी और पूछा कि बांग्लादेश में इसकी स्थापना कैसे हुई। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि यह संगठन कोई राजनीतिक दल नहीं है। यह एक रुढ़िवादी संगठन है। सरकार पहले ही इसकी जांच कर रही है। 

इसके बाद हाईकोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को निर्देश दिया कि वह इस्कॉन पर सरकार का पक्ष रखें और देश में गुरुवार सुबह तक कानूनी स्थिति के बारे में बताएं। कोर्ट ने सरकार से कानून व्यवस्था को और बिगड़ने से रोकने का आदेश दिया।

बता दें कि बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण की गिरफ्तारी के बाद से ही प्रदर्शनों का दौर जारी है। बांग्लादेश की लॉ एंफोर्समेंट एजेंसी ने चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में 25 नवंबर को गिरफ्तार किया था। बांग्लादेश की अदालत ने उन्हें मंगलवार को उन्हें जमानत नहीं दी और जेल भेज दिया। इसके बाद चिन्मय दास के समर्थक सड़कों पर उतर आए और उग्र विरोध प्रदर्शन शुरू किया।

आपको बता दें कि 5 अगस्त, 2024 को तख्तापलट के बाद से देश के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर उन पहले हिंदू स्थलों में से एक था, जिन पर उपद्रवियों ने हमला किया था। इस्कॉन को निशाना बनाना राजनीतिक चालबाजी और बांग्लादेश में बढ़ती इस्लामी भावनाओं का परिणाम लगता है।

डिजिटल प्लॉफॉर्म पर बढ़ती अश्लीलता से टीवी के “राम” परेशान, अरूण गोविल ने सदन में उठाया सवाल

#tv_ram_arun_govil_first_question_in_parliament_on_ott_content 

Image 2Image 3Image 4Image 5

संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। सेमवार से शुरू हुए सत्र में अब तक हंगामा ही हंगामा हो रहा है। विपक्ष के जोरदार हंगामे की वजह से अब तक कामकाज नहीं हो पाया है। इसी बीच टीवी के प्रभु राम यानी भाजपा सांसद अरुण गोविल ने सदन में एक अहम मुद्दा उठाया। घर घर में रामायण के श्रीराम बनकर फेमस होने वाले अरुण गोविल ने पहला सवाल ओटीटी को लेकर पूछा। उन्होंने संसद में कहा कि आज के समय में ओटीटी का कंटेंट ऐसा है कि आप फैमिली के साथ बैठकर टीवी नहीं देख सकते हैं। 

उत्तर प्रदेश के मेरठ से भाजपा सांसद अरुण गोविल ने प्रश्न काल के दौरान लोकसभा में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अश्लील कंटेंट के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने कहा, ‘ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जो दिखाया जा रहा है, वह बहुत अश्लील है। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आने वाले ये कंटेंट परिवार में साथ बैठकर देख नहीं सकते हैं। इससे हमारे नैतिक मूल्यों का हरास हुआ है। क्या मंत्री हमें बता सकते हैं कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सेक्स कंटेंट को रोकने के लिए मौजूदा तंत्र क्या है? और उक्त कानून इन प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग को रोकने के लिए ज्यादा प्रभावी नहीं है। सरकार के पास मौजूदा कानून को और सख्त बनाने का प्रस्ताव है।’

बीजेपी सांसद ने कहा कि पिछले कुछ सालों में बहुत सारे प्राइवेट प्लेटफॉर्म आए हैं। कोई कानून नहीं होने के कारण इन प्लेटफॉर्म पर कुछ भी दिखाया जा रहा है इस कंटेंट के कारण युवाओं को गुमराह किया जा रहा है। सोशल मीडिया कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर आए कंटेंट के लिए जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, जिससे वो ऐसे कंटेंट के खिलाफ तुरंत कार्रवाई कर सकें।

इस मामले पर केंद्रीय आईटी मंत्री अश्वनी वैष्णव ने जवाब दिया। अरुण गोविल के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विण वैष्णव ने कहा, ये एक अहम सवाल है। सोशल मीडिया और ओटीटी के युग में बहुत सारी चीजें अनियंत्रित हो रही है। आगे इसे और कड़ा करने का जरूरत है।

क्या महाराष्ट्र में चलेगा बिहार मॉडल? शिवसेना की मांग पर ये है बीजेपी का जवाब

#who_will_be_new_cm_of_maharashtra_bjp_says_no_to_bihar_formula 

Image 2Image 3Image 4Image 5

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के 3 दिन बाद भी सीएम पद को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है। महाराष्ट्र में शीर्ष पद कौन लेगा? देवेंद्र फडणवीस या एकनाथ शिंदे। इस पर महायुति गठबंधन के बीच बातचीत जारी है। इस बीच बीजेपी ने संकेत दिया है कि राज्य में सीएम पद के लिए बिहार फॉर्मूला दोहराने की जरूरत नहीं है। 

दरअसल, महाराष्ट्र में सीएम पद के लिए बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस का नाम करीब करीब फाइनल हो चुका है। हालांकि, शिवसेना नेता और प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी दोबारा सीएम बनने का मोह त्याग नहीं पा रहे। इसलिए कई बार शिवसेना की ओर से भारतीय जनता पार्टी पर दबाव बनाया गया, कि क्यों न महाराष्ट्र में भी बिहार मॉडल लागू किया जाए।बीजेपी ने शिवसेना नेताओं द्वारा सुझाए गए बिहार मॉडल को खारिज कर दिया है।

शिवसेना शिंदे के बिहार मॉडल को अपनाए जाने की बात पर बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा कि बिहार चुनाव 2020 में एनडीए ने बहुमत मिलने पर नीतीश कुमार को सीएम बनाने की बात कही थी। यह घोषणा चुनाव से पहले की गई थी। महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ ऐसी कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई गई थी। दूसरा हमने बिहार में जेडीयू के साथ गठबंधन इसलिए किया ताकि बीजेपी राज्य में जनता के बीच अपनी पैठ बना सके।

प्रेम शुक्ला ने आगे कहा कि महाराष्ट्र में हमने ऐसा कोई वादा नहीं किया था, क्योंकि यहां पर हमारा बेस और नेतृत्व मजबूत है। उन्होंने कहा कि हमने ऐसे कोई वादा नहीं किया था कि चुनाव के बाद शिंदे ही सीएम बनेंगे। चुनाव प्रचार में पार्टी के नेता ये कहते रहे कि सीएम का फैसला नतीजे के बाद ही होगा।