क्या ममता बनर्जी होंगी “इंडिया” गठबंधन की नेता? टीएमसी ने उठाया राहुल गांधी की क्षमता पर उठाया सवाल

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“जिसका डर था बदर्दी वही बात हो गई…” हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। इसके बाद से ही राहुल गांधी के नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं। अब तृणमूल कांग्रेस ने सीधे-सीधे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का नेता बनाने की मांग कर दी है। सांसद कल्याण बनर्जी ने कांग्रेस से कहा है कि वो अपना अहंकार त्याग दे और ममता बनर्जी को ‘इंडिया' गठबंधन का नेता मान ले। उन्होंने महाराष्ट्र में चुनावी हार के लिए कांग्रेस की भी आलोचना की।

टीएमसी से चार बार के लोकसभा सांसद कल्याण बनर्जी ने मांग उठाई कि कांग्रेस को अब पीछे हट जाना चाहिए और ममता बनर्जी को विपक्षी गठबंधन की कमान अपने हाथों में ले लेनी चाहिए। कल्याण बनर्जी की इस मांग का पार्टी के दूसरे सीनियर नेताओं ने भी समर्थन किया है।

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कल्याण बनर्जी ने कहा, कांग्रेस हरियाणा या महाराष्ट्र में इच्छानुसार नतीजे पाने में विफल रही है। हमें कांग्रेस से बहुत उम्मीद थी कि वे बेहतर प्रदर्शन करेंगे। “इंडिया” गठबंधन तो है लेकिन अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं हो सका और परिणाम प्राप्त करने में कांग्रेस की ओर से बड़ी विफलता है। आज अगर आप बीजेपी के खिलाफ लड़ना चाहते हैं तो यह जरूरी है कि “इंडिया” गठबंधन मजबूत हो और इसे मजबूत बनाने के लिए एक नेता की जरूरत है। अब नेता कौन हो सकता है? यही मूल प्रश्न है। कांग्रेस ने यह कर दिखाया है। सभी प्रयोग किए गए हैं, लेकिन वे विफल रहे हैं।

कल्याण बनर्जी ने आगे कहा कि महाराष्ट्र के नतीजे पर से यह बात स्पष्ट हो गया है कि विरोधी दलों में नेतृत्व का अभाव है। तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ही बीजेपी को परास्त कर सकती है। टीएमसी सांसद ने ममता बनर्जी के सिद्ध नेतृत्व और जमीनी जुड़ाव’ को विपक्षी गठबंधन के लिए ‘सबसे मुफीद’ बताया। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों को हालिया चुनावों में अपनी नाकामी को स्वीकार करना चाहिए और निजी महत्वाकांक्षा से ऊपर विपक्षी एकता को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्हें अपना अहंकार छोड़कर ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक का नेता स्वीकार करना चाहिए।

अब कांग्रेस के कार्यक्रम में अचानक बंद हुआ राहुल गांधी का माइक, संविधान रक्षा पर बोल रहे थे नेता प्रतिपक्ष

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संविधान दिवस के मौके पर राहुल गांधी ने तालकटोरा स्टेडियम में एक कार्यक्रम को संबोधित किया। इस कार्यक्रम का आयोजन कांग्रेस पार्टी द्वारा किया गया था।इस कार्यक्रम को राहुल गांधी संबोधित कर रहे थे। लेकिन संबोधन के बीच में ही उनका माइक बंद हो गया। उनका माइक काफी देर तक बंद रहा। लेकिन जब उनका माइक ठीक हुआ तो उन्होंने कहा कि जितना माइक बंद करना है कर लो मैं फिर भी बोलूंगा। बता दें कि राहुल गांधी कई बार संसद में उनका माइक बंद करने का आरोप लगा चुके हैं। अब खुद उनकी ही पार्टी के कार्यक्रम में माइक बंद होने पर राहुल गांधी भी मुस्कुराते दिखाई दिए।

तालकटोरा स्टेडियम में संविधान दिवस का आयोजन किया गया। इस मौके पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी दलितों और जाति जनगणना की बात कर रहे थे, तभी वहां लाइट चली गई। कुछ देर इंतजार करने के बाद लाइट आने पर राहुल गांधी ने कहा कि ये कितनी भी कोशिश कर लें, लेकिन हमें चुप नहीं करा सकते हैं, मुझे जो बोलना है वो बोलूंगा।उन्होंने कहा कि इस देश में जो भी दलितों और पिछड़ों की बात करता है, उसका माइक इसी तरह से बंद हो जाता है।

मोदी जी ने संविधान की इस किताब को पढ़ा होता तो...-राहुल गांधी

नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा कि अगर नरेंद्र मोदी जी ने संविधान की इस किताब को पढ़ा होता तो वो रोज जो करते हैं उसे वैसा नहीं करते। इसको किताब का फॉर्म दे रखा है, मगर ये महज किताब नहीं है। हिंदुस्तान की 21 वीं सदी में सोशल एंपावरमेंट की सोच इसी संविधान के अंदर है। इसमें अंबेडकर, फुले, विवेकानंद, बुद्ध आदि जैसे महान विचारकों की सोच आपको मिलेगी। उन्होंने कहा कि क्या इसमें लिखा है क्या कि किसी के साथ हिंसा करनी चाहिए? क्या किसी को डराने ये हिंदुस्तान का सत्य है और अहिंसा का रास्ता दिखाती है।

जातीय जनगणना की मांग दोहराई

कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने जातीय जनगणना की मांग फिर दोहराई। कुछ दिनो पहले तेलंगाना में कास्ट सेंसेस का काम शुरू किया. पहली बार कास्ट सेंसेस को जनता की एक्सरसाइज बना दिया. इसमें लाखों दलित पिछड़े सभी वर्गों के लोग शामिल हुए। आने वाले समय में जहां भी हमारी सरकार आएगी वहां पर हम जाति जनगणना कराएंगे। अगर हिंदुस्तान में 15 प्रतिशत दलित, 8 प्रतिशत आदिवासी, 10 प्रतिशत अल्पसंख्यक से जुड़ी जनसंख्या है। लेकिन पिछड़े वर्ग के कितने लोग इसमें शामिल हैं इसकी कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग 50 प्रतिशत तक हो सकता है। उन्होंने कहा कि सभी को जोड़ लें तो 90 प्रतिशत जनसंख्या इन्हीं वर्गों से आती है।

पाकिस्तान में शूट एट साइट के आदेश, इमरान खान के समर्थकों ने इस्लामाबाद में भड़काई हिंसा

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पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान एक साल से भी ज़्यादा समय से जेल में बंद हैं। इमरान की रिहाई के लिए उनके समर्थक मांग उठा रहे हैं। अपने नेता की रिहाई के लिए इमरान के समर्थक बड़ी संख्या में पाकिस्तानी राजधानी इस्लामाबाद में घुस गए हैं। हालांकि शहबाज़ सरकार की ओर से इस्लामाबाद में विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी गई, लेकिन इसके बावजूद देशभर से इमरान के समर्थक बड़ी संख्या में इस्लामाबाद में पहुंच चुके हैं और अभी भी इनके इस्लामाबाद पहुंचने का सिलसिला जारी है। इस वजह से इस्लामाबाद में हालात काफी बिगड़ गए हैं।इस्लामाबाद में इमरान खान के समर्थकों का प्रदर्शन हिंसक हो गया है। इस हिंसक प्रदर्शन में चार रेंजरों की मौत हो गई है। इसके बाद सेना ने शूट एट साइट का आदेश जारी किया है।

इमरान खान के कॉल के बाद हजारों की तादाद में इमरान समर्थकों का इस्लामाबाद की तरफ़ कूच जारी है और इस प्रदर्शन की बागडोर इमरान खान की बीवी बुशरा बेगम और ख़ैबर पख़्तून ख्वा के मुख्यमंत्री अली अमी गंदापुर ने संभाली है। चूंकि इस्लामाबाद को जाने वाली सारी सड़कों को शिपिंग कंटेनरों से बंद की जा चुकी है। प्रदर्शनकारियों ने आगजनी शुरू करवा दी और सुरक्षाबलों के साथ झड़प भी।लिहाजा पाकिस्तान सरकार ने सरकार कानून और व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 245A को लागू करने और सरकार की मदद के लिए इस्लामाबाद राजधानी इलाके में सैन्य कार्रवाई के लिए आर्मी को डिप्लॉय करने का फैसला लिया है।

इधर, मंगलवार को भी विरोध प्रदर्शन जारी रहा और प्रदर्शनकारियों ने राजधानी में कई रणनीतिक इमारतों के करीब डी-चौक तक अपना मार्च फिर से शुरू किया। सोशल मीडिया पर वीडियो में इमरान खान के समर्थकों को गैस मास्क और सुरक्षात्मक चश्मे पहने हुए दिखाया गया है, ताकि भारी सुरक्षा तैनाती के बीच मार्च निकाला जा सके, जिनके जरिए कैमिकल का छिड़काव किया जा रहा है। जिससे इस्लामाबाद और अन्य शहरों के बीच यात्रा करना लगभग असंभव हो गया है। पंजाब प्रांत में प्रमुख ग्रैंड ट्रंक रोड हाईवे के किनारे के इलाकों से एंबुलेंस और कारों को वापस लौटते देखा गया, जहां सड़कों को रोकने के लिए शिपिंग कंटेनरों का इस्तेमाल किया गया था।

दरअसल, इमरान ने विरोध प्रदर्शन के लिए अंतिम आह्वान किया था। इसमें उन्होंने अपने समर्थकों से इस्लामाबाद तक मार्च करने का आग्रह किया था ताकि वे इमरान सहित पीटीआई के सभी कैदियों की रिहाई की मांग कर सकें। इसके अलावा उन्होंने अपने समर्थकों से आठ फरवरी के चुनावों में उनकी कथित जीत को मान्यता देने के अलावा 26वें संविधान संशोधन को निरस्त करने जैसी मांग करने को भी कहा। 26वें संविधान संशोधन ने न्यायाधीशों और मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया को बदल दिया था।

पूर्व क्रिकेट स्टार इमरान खान एक साल से ज़्यादा समय से जेल में हैं और उन पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल से जुड़े 150 से ज़्यादा मामले चल रहे हैं। इसी साल जनवरी में इमरान को तोशाखाना मामले में 14 साल की सजा और 20 लाख रुपये का जुर्माना सुनाया गया था।

एकनाथ शिंदे ने दिया सीएम पद से इस्तीफा, महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन का रास्ता साफ
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महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल आज यानी मंगलवार को समाप्त हो रहा है। हालांकि, अगले सीएम को लेकर सस्पेंस बरकार है। अभी तक किसी नेता के नाम पर मुहर नहीं लगी है। इस बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुंबई के राजभवन में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा सौंप दिया। राज्यपाल ने उन्हें नई व्यवस्था होने तक कार्यवाहक सीएम बने रहने को कहा है। इस दौरान उपमुख्यमंत्री अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस उनके साथ मौजूद रहे। *कार्यवाहक सीएम की जिम्मेदारियां संभालेंगे शिंदे* विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत दर्ज करने वाले गठबंधन महायुति ने अभी तक मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान नहीं किया है। रेस में देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे हैं, लेकिन किसके नाम पर मुहर लगेगी, ये बीजेपी आलाकमान तय करेगा। कहा जा रहा है कि अगले एक-दो दिन में महाराष्ट्र की तस्वीर साफ हो जाएगी। 28 या 29 नवंबर को शपथ ग्रहण हो सकता है। अगले सीएम के चुनाव तक एकनाथ शिंदे बतौर कार्यवाहक सीएम पद की जिम्मेदारियां संभालेंगे। *देवेंद्र फडणवीस को मिल सकती है जिम्मेदारी* मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महायुति में भाजपा को सीएम पद देने पर सहमति बन गई है और भाजपा की तरफ से देवेंद्र फडणवीस को यह जिम्मेदारी मिल सकती है। साथ ही शिवसेना और राकांपा गुट से भी एक-एक डिप्टी सीएम होगा। विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के बाद भाजपा और शिवसेना के बीच सीएम पद को लेकर खींचतान चल रही है। दरअसल शिवसेना एकनाथ शिंदे को ही सीएम बनाने की मांग कर रही है। शिवसेना महाराष्ट्र में भी बिहार फार्मूला लागू करने की मांग कर रही है, जहां भाजपा ने ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद नीतीश कुमार को सीएम बनाया है। शिवसेना के सात सांसद भी प्रधानमंत्री से मुलाकात कर सकते हैं। इसे शिवसेना द्वारा दबाव की राजनीति करने के तौर पर भी देखा जा रहा है। *बीजेपी नहीं करेगी सीएम पद से समझौता* राज्य में संपन्न विधानसभा चुनाव में महायुती गठबंधन की शानदार जीत हुई है। 288 सदस्यीय विधानसभा में महायुती को 232 सीटें मिली हैं। चुनाव में बीजेपी ने 132 सीटों पर कब्जा किया है। वहीं, शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 सीट पर जीत हासिल की। अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 41 सीट पर जीत दर्ज की है। जल्द ही महायुती की ओर विधायक दल का नेता चुना जाएगा। इस रेस में भाजपा के देवेंद्र फडणवीस सबसे आगे बताए जा रहे हैं। हालांकि एकनाथ शिंदे ने अभी तक सीएम पद की दावेदारी छोड़ी नहीं है। मगर भाजपा के सबसे बड़े दल बनकर उभरने के बाद उम्मीद यही की जा रही है कि वह इस बार सीएम पद से कोई समझौता नहीं करेगी।
संविधान देश का सबसे पवित्र ग्रंथ”, संसद के संयुक्त सत्र में बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
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* भारत आज 'संविधान दिवस' मना रहा है। इस मौके पर मुख्य समारोह संविधान सदन (पुराने संसद भवन) के सेंट्रल हॉल में आयोजित किया गया। ‘संविधान दिवस’ के अवसर पर भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित किया। इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान दिवस के अवसर पर विशेष स्मारक सिक्का भी जारी किया। साथ ही राष्ट्रपति ने एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया। संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी, उपराष्ट्रपति ने संस्कृत भाषा में संविधान की प्रति का विमोचन भी किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस पर संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधन में कहा, संविधान दिवस के पावन अवसर पर आप सभी के बीच आकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। आज हम सब एक ऐतिहासिक अवसर के भागीदार बन रहे हैं। 75 साल पहले संसद के इसी कक्ष में देश के संविधान के निर्माण का बहुत बड़ा काम संपन्न किया और उसी दिन इस संविधान को अपनाया गया। संविधान हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की आधारशिला है। आज कृतज्ञ राष्ट्र की तरफ से संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, 'हमारा संविधान एक जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज है। न्याय, स्वतंत्रता, समता, बंधुत्व संविधान के आदर्श हैं। हमारा संविधान अन्य देशों के लिए आदर्श है। संविधान से सामाजिक न्याय के लक्ष्य प्राप्त किए। नारी शक्ति वंदन अधिनियम से महिला सशक्तिकरण हुआ। राष्ट्रपति ने कहा कि 'भारत लोकतंत्र की जननी है। इसी भावना के साथ हम इस विशेष अवसर पर इकट्ठा हुए हैं। हमें उन अधिकारियों के अमूल्य योगदान को भी याद रखना चाहिए, जिन्होंने नेपथ्य में रहकर काम किया और देश के संवैधानिक मूल्यों को मजबूती दी। जिनमें प्रमुख भूमिका बीएन राव की थी, जो संविधान सभा के सलाहकार थे। आगामी 26 जनवरी को हम अपने गणतंत्र की 75वीं वर्षगांठ बनाएंगे। ऐसे समारोह हमारी राष्ट्रीय एकता को दर्शाते हैं। हमारी संविधान सभा में देश की विभिन्नता में एकता प्रदर्शित हुई थी। आज जिन पुस्तकों का विमोचन किया गया, उनमें लोगों को हमारे संविधान निर्माण के गौरवशाली इतिहास के बारे में पता चलेगा। हमारा संविधान कई वर्षों की मेहनत से बना, लेकिन ये हमारी आजादी की लड़ाई का परिणाम था। संविधान में भारत के आदर्शों, न्याय, स्वतंत्रता और समानता को भी परिलक्षित किया गया है।'
भारत के इन दो दुश्मनों को सबक सिखाएंगे डोनाल्ड ट्रंप,राष्‍ट्रपति बनते ही बड़ा फैसला लेने का ऐलान*
#donald_trump_to_impose_tariffs_on_canada_mexico_and_china अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद से ही कुछ देश खौफ में हैं। कहा जा रहा था कि डोनाल्ड ट्रंप इन देशों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। अमेरिका के राष्‍ट्रपति चुने गए ट्रंप भले ही 20 जनवरी को कुर्सी संभालेंगे लेकिन दुश्‍मनों की नींद उन्‍होंने अभी से उड़ा दी है। ट्रंप ने सोमवार को एक बड़ा ऐलान किया है। ताजा ऐलान भारत को दो दुश्मन देशों को लेकर है। ट्रंप ने कहा कि वह जनवरी में कार्यभार संभालने के पहले दिन ही ऐसे आदेशों पर हस्ताक्षर करेंगे, जिसके तहत मेक्सिको और कनाडा से आने वाले सभी सामानों पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगाया जाएगा। ट्रंप का कहना है कि वो ऐसा तब तक करेंगे जब तक ये देश अपने अमेरिका में अवैध अप्रवासियों और फेंटेनाइल दवाओं के प्रवाह को बंद नहीं करते हैं। *अवैध अप्रवासी कई समस्‍याओं की जड़-ट्रंप* ट्रंप ने ट्रूंथ सोशल नेटवर्क पर एक पोस्ट में लिखा है कि 20 जनवरी को ऑफिस संभालते ही कनाडा, मेक्सिको और चीन के ख़िलाफ़ टैरिफ लगाने के लिए एक एग्जेक्युटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर करेंगे।ट्रंप ने कहा, ''सभी को पता है कि कनाडा और मेक्सिको से हज़ारों लोग अमेरिका में घुस रहे हैं। ये अपने साथ ड्रग्स ला रहे हैं और कई अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। जिस स्तर पर ये सब हो रहा है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ।'' *कैसे हैं ट्रंप-ट्रूडो के संबंध?* कनाडा और अमेरिका के बीच दुनिया का सबसे लंबा लैंड बॉर्डर है और दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंध एक ट्रिलियन डॉलर से भी ज़्यादा का है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्रंप की जीत के तत्काल बाद ही बधाई दी थी लेकिन दोनों नेताओं के संबंधों में पर्याप्त तनाव रहा है। अमेरिका में कोई भी राष्ट्रपति कमान संभालने के बाद पारंपरिक रूप से पहला विदेशी दौरा कनाडा या मेक्सिको का करता था लेकिन ट्रंप ने 2017 में पहला विदेशी दौरा सऊदी अरब का किया था। यानी ट्रंप ने आते ही संदेश दे दिया था। जस्टिन ट्रूडो पर ट्रंप व्यक्तिगत हमले भी करते रहे हैं। ट्रूडो को ट्रंप ने 'घोर-वामपंथी पागल' कहा था। कनाडा की आर्थिक स्थिति पहले से ही चिंताजनक है और ट्रंप के टैरिफ से वहाँ की अर्थव्यवस्था के मंदी में जाने की आशंका बढ़ जाएगी। कनाडा का 75 प्रतिशत निर्यात अमेरिका में होता है. ऐसे में 25 प्रतिशत का टैरिफ कनाडा को भारी पड़ सकता है। ट्रूडो के लिए ये मुश्किलें तब खड़ी हो रही हैं, जब कनाडा में चुनाव सिर पर है। कई चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में बताया जा रहा है कि ट्रूडो चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी से हार सकते हैं। *चीन पर निशाना साधा* ट्रंप ने ट्रुथ पर एक दूसरे पोस्ट में चीन पर निशाना साधा, उन्होंने पोस्ट में लिखा, "मैंने चीन से संयुक्त राज्य अमेरिका में भेजी जा रही ड्रग्स, विशेष रूप से फेंटेनाइल के बारे में कई बार बातचीत की, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। चीन के प्रतिनिधियों ने मुझसे कहा था कि वह इस काम में शामिल किसी भी ड्रग तस्कर को मौत की सजा देंगे, लेकिन अफसोस, उन्होंने कभी इसे लागू नहीं किया और ड्रग्स हमारे देश में मुख्य रूप से मेक्सिको के जरिए भारी मात्रा में आ रही हैं। जब तक यह नहीं रुकता, हम चीन पर उनके सभी उत्पादों पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में आयात हो रहे हैं, किसी भी अन्य टैरिफ के ऊपर होगा।" *टैरिफ डोनाल्ड ट्रंप का अहम एजेंडा* टैरिफ डोनाल्ड ट्रंप के आर्थिक एजेंडे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, रिपब्लिकन पार्टी के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ने 5 नवम्बर की अपनी जीत से पहले चुनाव प्रचार के दौरान सहयोगियों और विरोधियों पर समान रूप से व्यापक शुल्क लगाने की कसम खाई थी। हालांकि, कई अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि टैरिफ से विकास को नुकसान पहुंचेगा और मुद्रास्फीति बढ़ेगी, क्योंकि टैरिफ का भुगतान मुख्य रूप से अमेरिका में सामान लाने वाले आयातकों द्वारा किया जाता है, जो अक्सर उन लागतों को उपभोक्ताओं पर डाल देते हैं।
क्यों मचा है मेवाड़ राजपरिवार में बवाल? उदयपुर सिटी पैलेस के बाहर फोर्स तैनात

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वीर महाराणा प्रताप के वंशज इन दिनों राजगद्दी की लड़ाई को लेकर सुर्खियो में हैं। विवाद दादा भगवंत सिंह के समय से ही शुरू हो गया था। भगवंत सिंह ने साल 40 साल पहले अपनी वसीयत में छोटे बेटे अरविंद सिंह को संपत्तियों का एक्ज्यूक्यूटर बना दिया था। साथ ही बड़े बेटे महेंद्र सिंह को ट्रस्ट और संपत्ति से बेदखल कर दिया था। अब महेंद्र सिंह की मौत के बाद जब 25 नवंबर को चित्तौड़गढ़ किले में उनके बेटे विश्वराज सिंह को राजपरिवार के मुखिया के रूप में नियुक्त किया गया तो अरविंद सिंह की फैमिली ने इसका विरोध किया। उनका कहना है कि राजगद्दी पर लक्ष्यराज सिंह का हक है, न कि विश्वराज का।

बवाल तब शुरू हुआ जब धूणी दर्शन के लिए मेवाड़ राजवंश के नए महाराणा विश्वराज अपने समर्थकों के साथ सिटी पैलेस पहुंचे। लेकिन उनके चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ ने परंपरा निभाने से रोकते हुए सिटी पैलेस का गेट बंद कर दिया। इसके चलते विश्वराज के समर्थक गुस्सा गए और पत्थरबाजी शुरू हो गई। आनन-फानन में पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश की। लेकिन कोई बात बनी नहीं।

चितौड़ में फतेह निवास महल में सोमवार को राज तिलक कार्यक्रम आयोजित किया। देशभर से पूर्व राजा महाराजा और पूर्व जागीरदार शामिल हुए। देर शाम राजतिलक की रस्म पर विवाद छिड़ गया। महेंद्र सिंह मेवाड़ के भाई और विश्वराज के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ के परिवार ने परंपरा निभाने से रोकने के लिए उदयपुर के सिटी पैलेस (रंगनिवास और जगदीश चौक) के दरवाजे बंद कर दिए। चित्तौड़गढ़ में राजतिलक की रस्म होने के बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ परंपरा के तहत धूणी दर्शन के लिए उदयपुर पहुंचे लेकिन सिटी पैलेस के रास्ते पर बैरिकेड्स लगे मिले। विश्वराज के समर्थकों ने बैरिकेड्स हटा दिए। 3 गाड़ियां पैलेस के अंदर घुसीं। मौके पर भारी संख्या में पुलिस फोर्स ने हल्का बल प्रयोग किया। कलेक्टर और एसपी ने करीब 45 मिनट तक विश्वराज सिंह मेवाड़ से उनकी गाड़ी में बैठकर बात की लेकिन सहमति नहीं बन सकी।

उदयपुर के जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल और पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल भी सिटी पैलेस के गेट पर मौजूद थे। उन्होंने मामले को सुलझाने के लिए विश्वराज और उसके बाद अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे से बात की। हालांकि, सिंह को प्रवेश नहीं दिया गया और वह सिटी पैलेस से कुछ मीटर दूर जगदीश चौक पर बैठे हैंविश्वराज मेवाड़ और उनके समर्थक धूणी के दर्शन करने की बात पर अड़े हैं।

अरविंद सिंह ने दस्तूर कार्यक्रम के तहत विश्वराज के एकलिंग नाथ मंदिर और उदयपुर में सिटी पैलेस में जाने के खिलाफ सार्वजनिक नोटिस जारी किया है। मंदिर और महल दोनों ही अरविंद के नियंत्रण में हैं जो उदयपुर में श्री एकलिंग जी ट्रस्ट के अध्यक्ष और प्रबंध न्यासी हैं। उनके वकील की तरफ से अखबारों में दिये गये दो सार्वजनिक नोटिस में आरोप लगाया गया कि समारोह के नाम पर 'आपराधिक अतिचार' करने का प्रयास किया जा रहा है और अनधिकृत व्यक्तियों का मंदिर और सिटी पैलेस में प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा।

इधर, मौजूदा हालात को देखते हुए, स्थानीय प्रशासन ने सिटी पैलेस में बड़ी पोल से धूणी व जनाना महल तक के विवादित क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लिया है। घंटाघर थाना अधिकारी को रिसीवर नियुक्त किया गया है।

महाराष्ट्र में सीएम पर सस्पेंस बरकरार, बीजेपी फडणवीस के नाम पर अड़ी, शिंदे का हठ भी जारी

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 288 सीटों में से 235 सीटों पर महायुति गठबंधन के जीतने के बाद महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिला है। बीजेपी से देवेंद्र फडणवीस और वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अगले मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में हैं। फडणवीस के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने की चर्चा के बीच, शिवसेना के विभिन्न नेताओं ने बयान दिया कि शिंदे को पद पर बने रहना चाहिए, क्योंकि मुख्यमंत्री के रूप में भारी जीत उनके नेतृत्व में ही मिली है। बता दें कि विधानसभा 2019 का कार्यकाल खत्म हो रहा है। हालांकि अभी तक महाराष्ट्र में सीएम पद को लेकर नाम फाइनल नहीं हुआ है।

महायुति के भीतर सीएम के नाम पर खींचतान के चलते महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन में देरी हो रही है। बीजेपी जहां देवेंद्र फडणवीस को फिर से महाराष्ट्र का सीएम बनाना चाहती है, वहीं शिवसेना भी एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बने रहने पर अड़ी हुई है। बीजेपी-शिवसेना के बीच जारी रस्साकशी के बीच फडणवीस सोमवार रात दिल्ली पहुंच गए। लेकिन उन्होंने यह कहते हुए उम्मीदों पर पानी फेर दिया कि इस मामले पर कोई बैठक की योजना नहीं बनाई गई है।वह लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए दिल्ली में हैं।

क्या है बीजेपी का प्लान?

टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि बीजेपी ने फडणवीस को फिर से सीएम बनवाने की मंशा एनसीपी (अजित पवार) को बता दिया है। पवार खेमे को फडणवीस के सीएम बनने से कोई परेशानी नहीं है। जल्द ही बीजेपी यह बात शिवसेना को भी साफ कर देगी कि सीएम तो उसी का होना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी, शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) को डिप्टी सीएम का पद देने की पेशकश करेगी। बीजेपी सूत्रों ने उम्मीद जताई कि शिंदे मान जाएंगे क्योंकि बीजेपी के पास संख्‍या बल है। बीजेपी ने 132 सीटें जीती हैं और एनसीपी की 41 सीटों के साथ वह बहुमत के 145 सीटों के आंकड़े को आसानी से पार कर जाएगी।

नागपुर में देवेंद्र फडणवीस के अगले सीएम बनने के लगे पोस्टर्स

इधर, नागपुर में देवेंद्र फडणवीस को अगला सीएम बनाए जाने के पोस्टर लगे हैं। उनके घर के पास लगे एक होर्डिंग में लिखा है, 'देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे।' पोस्टर ऐसे समय में लगाया गया है, जब राज्य में राजनीतिक हलचल तेज है और मुख्यमंत्री पद की संभावनाओं को लेकर देवेंद्र फडणवीस की चर्चा हो रही है। इन पोस्टरों के जरिए यह संकेत दिया जा रहा है कि देवेंद्र फडणवीस अपनी पार्टी और समर्थकों की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार हैं। ऐसा पहली बार नहीं है। इससे पहले भी देवेंद्र फडणवीस के कार्यकर्ताओं ने उन्हें भावी मुख्यमंत्री बताते हुए बैनर लगाए थे। इससे पहले भी बारामती में कुछ पोस्टर्स लगे थे, जिसमें प्रदेश के अगले सीएम के तौर पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष अजित पवार को दिखाया गया था।

एकनाथ शिंदे की समर्थकों से अपील

दूसरी तरफ, एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को अपने समर्थकों से कहा कि वे उनके मुख्यमंत्री बने रहने के पक्ष में समर्थन जताने के लिए दक्षिण मुंबई स्थित उनके सरकारी आवास ‘वर्षा’ के बाहर एकत्र नहीं हों। शिंदे ने एक्स पर पोस्ट किया, 'महायुति गठबंधन की बड़ी जीत के बाद राज्य में एक बार फिर हमारी सरकार बनेगी। हमने एक महागठबंधन के रूप में मिलकर चुनाव लड़ा और हम आज भी साथ हैं।' उन्होंने अपने समर्थकों से ‘वर्षा’ के बाहर या उनके समर्थन में किसी अन्य स्थान पर इकट्ठा नहीं होने की अपील की। शिंदे ने कहा, 'मेरे प्रति प्रेम के कारण कुछ लोगों ने सभी से मुंबई आने और एकत्र होने की अपील की है। मैं आपके प्यार के लिए बहुत आभारी हूं लेकिन मैं अपील करता हूं कि कोई भी मेरे समर्थन में इस तरह से एकत्र नहीं हो।'

आज मनाया जाएगा संविधान दिवस, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को करेंगी संबोधित

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संसद का शीतकालीन सत्र कल से यानी 25 नवंबर से शुरू हो चुका है। शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक चलेगा।आज यानी 26 नवंबर को संविधान दिवस के अवसर पर सदन में विशेष कार्यक्रम का आयोजन होगा। भारत की राष्ट्रपति ‘संविधान दिवस’ के अवसर पर संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करेंगी।भारत की राष्ट्रपति ‘संविधान दिवस’ के अवसर पर संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करेंगी।

26 नवंबर, को संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ आयोजित की जा रही है। संविधान दिवस का यह कार्यक्रम संविधान सदन (पुराने संसद भवन) के सेंट्रल हॉल में होगा। लोकसभा सचिवालय का कहना है कि भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने का यह 75वां वर्ष है।इस दौरान एक सिक्का और डाक टिकट जारी किया जाएगा। पुस्तकों का विमोचन होगा। इसके साथ ही संविधान के संस्कृत और मैथिली संस्करण का संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में विमोचन किया जाएगा।

देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज ‘संविधान दिवस’ के अवसर पर संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करेंगी। सुबह ग्यारह बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आगमन के साथ संविधान दिवस पर कार्यक्रम का आरंभ होगा। 'भारत के संविधान का निर्माण: एक झलक' नामक पुस्तक का विमोचन किया जाएगा। 'भारत के संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा' शीर्षक से प्रकाशित एक और पुस्तक का विमोचन भी इस दौरान किया जाना है। यहां भारत के संविधान की कला को समर्पित पुस्तिका का विमोचन भी होगा। संस्कृत में भारत के संविधान का विमोचन और मैथिली में भारत के संविधान का विमोचन भी इस कार्यक्रम के मुख्य आकर्षणों में से एक है।

उपराष्ट्रपति भी दोनों सदनों को संबोधित करेंगे

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन के दौरान उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति, जगदीप धनखड़; प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी; लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला; केन्द्रीय मंत्री; संसद सदस्य; दिल्ली स्थित मिशनों के प्रमुख और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे। उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति भी दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करेंगे।

संविधान पर आधारित शॉर्ट फिल्म दिखाई जाएगी

इस अवसर पर, भारतीय संविधान की महिमा, इसके निर्माण और ऐतिहासिक यात्रा को दर्शाते हुए एक शॉर्ट फिल्म भी दिखाई जाएगी। गौरतलब है कि सोमवार 25 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र प्रारंभ हो गया है। राज्यसभा सचिवालय के मुताबिक यह सत्र अगले माह 20 दिसंबर तक चलेगा। सत्र के दूसरे दिन यानी 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने के लिए दोनों सत्रों की संयुक्त बैठक बुलाई गई है।

पुतिन ने दुनिया को दी न्यूक्लियर वॉर की वॉर्निंग, परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की कितनी आशंका?
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रूस-यूक्रेन के बीच लंबे समय से युद्ध हो रहा है। दूसरी तरफ इजराइल भी कई मोर्टों पर जंग लड़ रहा है। इस बीच तीसरा और बड़ा मोर्चा ना खुल जाए इसकी आशंका जोरों पर हैं। अमेरिका समेत यूरोप के कई देश खुलेआम रूस के खिलाफ यूक्रन की मदद कर रहे हैं। इस बीच अमेरिका में ट्रम्प के फिर से राष्ट्रपति चुने जाने के बाद बाइडेन सरकार यूक्रेन की मदद से जुड़े नए-नए फैसले ले रही है। बाइडेन ने यूक्रेन को ATACMS मिसाइलों से रूस पर हमले की मंजूरी दी। इसके बाद यूक्रेन ने रूस पर मिसाइलें दाग भी दी। यूक्रेन ने अमेरिकी और ब्रिटिश मिसाइलों की मदद से रूस पर कई हमले किए। इसके जवाब में रूस की ओर से इस युद्ध में पहली बार इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया गया। अमेरिकी मिसाइलों के यूज पर बाइडन से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद जेलेंस्की और फायर हो चुके हैं। यूक्रेन अब रूस पर ताबड़तोड़ अटैक कर रहा है। अमेरिकी लॉन्ग रेंज मिसाइलों से हमला करने के बाद अब यूक्रेन ने ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो मिसाइल से रूस पर हमला किया है।यूक्रेन ने लंबी दूरी वाली अमेरिकी मिसाइलें दागने के एक दिन बाद रूसी इलाकों में सैन्य ठिकानों पर ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो मिसाइलें दागीं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस सप्ताह अपनी नीति में बदलाव करते हुए यूक्रेन को रूस में अंदर तक हमला करने के लिए अमेरिकी निर्मित हथियारों का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी। बाइडेन प्रशासन के इस फैसले के बाद रूस ने अपने न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन में बदलाव करते हुए साफ कर दिया है कि अगर किसी परमाणु संपन्न देश के सहयोग से कोई देश रूस पर हमला करता है तो ऐसी स्थिति में वह परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर विचार कर सकता है। यही नहीं नए परमाणु सिद्धांतों के अनुसार, रूस पर अगर किसी सैन्य गठबंधन का देश हमला करता है तो रूस उसे पूरे ब्लॉक का हमला मानेगा। पुतिन के इस फैसले के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध के और भीषण होने की आशंका बढ़ गई है। *रूस की नई परमाणु नीति में क्या?* रूस की नई परमाणु नीति में कहा गया है कि कोई ऐसा देश जिसके पास खुद परमाणु हथियार न हों, लेकिन वो देश किसी परमाणु हथियार संपन्न देश के साथ मिलकर हमला करता है, तो इसे रूस संयुक्त हमला मानेगा। यूक्रेन के पास तो परमाणु हथियार नहीं हैं, लेकिन अमेरिका के पास हैं और इस युद्ध में अमेरिका और ब्रिटेन दोनों यूक्रेन के साथ हैं। साथ ही 32 देशों का सैन्य गठबंधन नेटो भी यूक्रेन को समर्थन दे रहा है। रूस की परमाणु नीति में ये भी कहा गया है कि अगर रूस को पता चला कि दूसरी तरफ़ से रूस पर मिसाइलों, ड्रोन और हवाई हमले हो रहे हैं तो वो परमाणु हथियारों से जवाब दे सकता है। यूक्रेन अब तक रूस पर कई बार हवाई हमले करते आया है जिसमें ड्रोन भी शामिल है, लेकिन अब उसने हमलों के लिए अमेरिकी मिसाइलों का भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा कुछ और स्थितियों की बात रूस की परमाणु नीति में की गई है। इसमें कहा गया है कि अगर किसी ने नया सैन्य गठबंधन बनाया, पुराने गठबंधन को और बढ़ाया, रूस की सीमा के करीब कोई सैन्य बुनियादी ढांचे को लाया गया या रूस की सीमा के आस-पास कोई सैन्य गतिविधियां की, तो परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया जा सकता है। *पहले भी परमाणु हमले को लेकर कर चुके हैं आगाह* रूस परमाणु हमले को लेकर पहले भी अमेरिका और बाक़ी देशों को आगाह कर चुका है। मार्च में रूस में चुनाव से पहले भी पुतिन ने कहा था कि रूस तो परमाणु हमले के लिए तैयार है। अगर अमेरिका ने अपनी सेना यूक्रेन में भेजी, तो मामला बहुत बढ़ सकता है। पुतिन की इन बातों को मीडिया और पश्चिम में रेटरिक कहा जाता है, यानी कि वे बस बोलने के लिए बोलते हैं। तो इस बात की कितनी आशंका है कि वे जो बोल रहे हैं वो वैसा कर भी सकते हैं। *क्या है पुतिन की मंशा?* कुछ विशेषज्ञों मानते हैं कि अगर रूस को बार-बार झटका लगता रहा या अपनी हार का डर हुआ, तो शायद टैक्टिकल हथियार का इस्तेमाल करे। कुछ जानकार इसे ऐसे देख रहे हैं कि पुतिन इस नई नीति से फिर से सबको चिंता में डालना चाहते हैं। उनका मानना है कि पुतिन इससे दुनिया में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते हैं। *कई बार तबाह हो सकती है दुनिया* रूस के पास दुनिया में परमाणु बमों का सबसे बड़ा भंडार है। रूस को ये परमाणु हथियार सोवियत संघ से विरासत में मिले हैं। दिलचस्प बात ये है कि सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन को भी हजारों परमाणु हथियार मिले थे, लेकिन वो सारे बाद में रूस के पास आ गए। फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (एफएएस) के अनुसार पुतिन के नियंत्रण में वर्तमान में 5580 परमाणु हथियार हैं। एफएएस के अनुसार, इनमें से लगभग 1200 को लगभग हटा दिया गया है, लेकिन वे काफी हद तक बरकरार हैं। लगभग 4380 को ऑपरेशन फोर्सेज के लिए भंडार में रखा गया है। शस्त्रागार में रखे गए परमाणु हथियारों में से 1710 स्ट्रैटेजिक वारहेड्स हैं, जिसमें लगभग 870 जमीन से हमला करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों, 640 पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली बैरिस्टिक मिसाइलों और संभवतः 200 भारी बमवर्षकों के ठिकानों पर हैं। इस मात्रा में परमाणु हथियारों का मतलब है कि रूस दुनिया को कई बार नष्ट कर सकता है।