एलन मस्क ने क्यों की भारत में चुनाव की तारीफ, जानें क्या कहा?

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माइक्रा ब्‍लॉगिंग साइट के मालिक और दुनिया के सबसे अमीर बिजनेस मैन एलन मस्क ने भारत की चुनाव व्यवस्था की तारीफ की है। यही नहीं मस्क ने अमेरिका की चुनावी प्रक्रिया पर सवाल भी उठाए हैं।मस्क ने कहा है कि भारत ने एक ही दिन में 64 करोड़ वोट गिनकर चुनाव का फैसला सुना दिया। वहीं अमेरिका के कैलिफोर्निया में अभी भी 5 नवंबर को हुए चुनावों के लिए गिनती जारी है। बता दें कि भारत में 23 नवंबर को महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा समेत 13 राज्यों में विधानसभा उप-चुनावों की गिनती हुई। जिसको लेकर मस्क ने ये टिप्पणी की।

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एलन मस्क ने भारत के इलेक्‍शन सिस्‍टम का जिक्र अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव के दौरान कैलिफोर्निया में वोटों की गिनती 18 दिन बाद भी खत्‍म नहीं होने के संदर्भ में किया। मस्क सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट का जवाब दे रहे थे। इस न्‍यूज को शेयर करते हुए उन्‍होंने लिखा “भारत ने एक दिन में 640 मिलियन वोट कैसे गिने”। यूजर द्वारा किए गए पोस्ट के कैप्‍शन में कैलिफोर्निया के नतीजों पर कटाक्ष करते हुए लिखा गया, “इस बीच भारत में, जहां धोखाधड़ी चुनावों का प्राथमिक लक्ष्य नहीं है” पोस्ट का हवाला देते हुए, मस्क ने कहा, “भारत ने 1 दिन में 640 मिलियन वोट गिने। कैलिफोर्निया अभी भी वोटों की गिनती कर रहा है।” एलन मस्‍क ने एक्स पर एक अन्य पोस्ट का जवाब दिया जिसमें कहा गया था, “भारत ने एक ही दिन में 640 मिलियन वोटों की गिनती की। कैलिफोर्निया अभी भी 15 मिलियन वोटों की गिनती कर रहा है…18 दिन बाद।

यूएस में वोटों की गिनती में क्यों लगता है समय?

बता दें कि अमेरिका में ज्यादातर वोटिंग बैलेट पेपर या ईमेल बैलेट से होती है। 2024 के राष्ट्रपति चुनावों में सिर्फ 5% क्षेत्रों में वोटिंग के लिए मशीन का उपयोग किया गया था। ऐसे में यहां काउंटिंग में काफी समय लगता है। कैलिफोर्निया अमेरिका का सबसे बड़ा राज्य है। यहां 3.9 करोड़ लोग रहते हैं। 5 नवंबर को हुए राष्ट्रपति चुनावों में 1.6 करोड़ लोगों ने वोट डाले थे। मतदान के दो हफ्ते बाद भी अभी तक लगभग 3 लाख वोटों की गिनती होना बाकी है। अमेरिका में हर साल वोटों की गिनती में हफ्ते लग जाते हैं।

संभल हिंसा पर राहुल से लेकर ओवैसी तक ने योगी सरकार को घेरा, जानें क्या कहा?

#sambhalviolencerahulgandhiasaduddin_owaisi

संभल जिले में स्थित जामा मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर रविवार को हुए बवाल के बाद सूबे की राजनीति गरमा गई हैं। अब इस मामले पर सियासत शुरू हो गई है। संभल में हुई हिंसा के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी को हिंसा का जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही राहुल गांधी ने यूपी पुलिस को भी घेरा है। वहीं, संभल में हुई हिंसा को पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के फैसले को गलत बताया और पुलिस की मंशा पर सवाल उठाया है।बता दें, संभल में हुई हिंसा के दौरान भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया था। इसके बाद स्थिति बेकाबू हो गई थी। इस बवाल में पांच लोगों की मौत की रिपोर्ट है। जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए हैं।

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राहुल ने कहा- सीधी ज़िम्मेदार भाजपा सरकार

संभल की घटना पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पोस्ट करते हुए लिखा कि संभल, उत्तर प्रदेश में हालिया विवाद पर राज्य सरकार का पक्षपात और जल्दबाज़ी भरा रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हिंसा और फायरिंग में जिन्होंने अपनों को खोया है उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। प्रशासन द्वारा बिना सभी पक्षों को सुने और असंवेदनशीलता से की गई कार्रवाई ने माहौल और बिगाड़ दिया और कई लोगों की मृत्यु का कारण बना। जिसकी सीधी ज़िम्मेदार भाजपा सरकार है। राहुल ने आगे कहा कि भाजपा का सत्ता का उपयोग हिंदू-मुसलमान समाजों के बीच दरार और भेदभाव पैदा करने के लिए करना न प्रदेश के हित में है, न देश के।

ओवैसी ने की सदन में चर्चा की मांग

संभल हिंसा को लेकर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सदन में चर्चा की मांग की। ओवैसी ने कार्य स्थगन का नोटिस दिया है। ओवैसी ने संभल हिंसा को लेकर कहा, हिंसा ने हालात को गंभीर बना दिया है, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई है। उन्होंने कहा कि इस हिंसा के पीछे की वजह और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है। ओवैसी ने चाहते हैं कि सरकार इस मामले में स्थिति साफ करें और दोषियों के खिलाफ जल्द कानूनी कार्रवाई की जाए।

ओवैसी ने कोर्ट के फैसले को गलत बताया और पुलिस की मंशा पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि संभल की मस्जिद 50-100 साल पुरानी नहीं है, यह 250-300 साल से भी ज़्यादा पुरानी है और कोर्ट ने बिना मस्जिद के लोगों की बात सुने एकतरफा आदेश दिया जो गलत है। जब दूसरा सर्वे किया गया तो कोई जानकारी नहीं दी गई।

रद्द होगी मनसे की मान्यता? महाराष्ट्र में करारी हार के बाद बढ़ी राज ठाकरे के मुश्किलें

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महाराष्ट्र में मिली करारी हार के बाद राज ठाकरे की टेंशन बढ़ गई है। राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) को इस विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। उनके बेटे अमित ठाकरे तक माहिम विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं। सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोरो पर है कि चुनाव आयोग राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की मान्यता रद्द कर सकती है

चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक अगर किसी पार्टी का एक विधायक चुना जाता है और उसे कुल वोट का 8% वोट मिल जाए, तो उसकी मान्यता बनी रहती है। अगर 2 विधायक चुने जाते हैं और कुल वोट का 6% वोट मिले, अगर 3 विधायक और कुल वोट का 3% वोट मिले, तो ही चुनाव आयोग की शर्तें पूरी होती हैं और पार्टी की मान्यता बनी रहती है। ये शर्तें पूरी नहीं होने पर मान्यता रद्द की जा सकती है।

मनसे को कितने % वोट मिले?

इस चुनाव में मनसे को सिर्फ 1.55 वोट मिले हैं और एक भी सीट नहीं मिली है। महाराष्ट्र चुनाव में मनसे की जमानत जब्त हो गई। राज ठाकरे की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। राज ठाकरे ने अपने बेटे अमित ठाकरे सहित 125 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन एक भी सीट पर मनसे का खाता नहीं खुला।

इस बीच राज ठाकरे ने आज अपने घर पर पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई है। बैठक में चुनाव में खराब प्रदर्शन और आगे की रणनीति पर चर्चा हो सकती है।

किसे कितनी सीटें मिली?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की भाजपा को 132, एनसीपी को 41 और शिवसेना को 57 सीटों (कुल 230) पर जीत हासिल हुई है। वहीं, महाविकास अघाड़ी की शिवसेना (यूबीटी) को 20, कांग्रेस को 16 और एनसीपी (शरद चंद्र पवार) को 10 (कुल 46) सीटों पर जीत मिली है। बाकी की 12 सीटें अन्य दलों या फिर निर्दलीय ने जीती हैं।

संभल हिंसा मामले में बड़ी कार्रवाई, सपा सांसद और विधायक के बेटे के खिलाफ FIR दर्ज; दंगा भड़काने का आरोप

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डेस्क: जिले में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर बवाल हो गया। इस दौरान हुई पत्थरबाजी की घटना और पुलिस की ओर से किए गए लाठीचार्ज में चार लोगों की मौत हो गई है। वहीं अब हंगामे के बाद संभल में बाहरी लोगों के आने पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा इलाके में स्कूलों को भी बंद कर दिया गया है। अब पुलिस ने पूरे मामले को लेकर संभल कोतवाली में एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर में सपा सांसद जिया उर रहमान और विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहेल इकबाल के खिलाफ साजिश का मुकदमा दर्ज किया गया है।

दरअसल, रविवार को जिले में हुए बवाल के बाद संभल कोतवाली में दंगे को लेकर FIR दर्ज की गई है। इसमें सुनियोजित साजिश, दंगा भड़काने और भीड़ इक्कठा करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। बता दें कि समाजवादी पार्टी के स्थानीय सांसद जिया उर रहमान और विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहेल इकबाल के खिलाफ साजिश का मुकदमा दर्ज किया गया है। इसके साथ ही पुलिस के हाथ दंगा भड़काने वाले कुछ वीडियो पोस्ट भी लगे हैं, जिनकी जांच की जा रही है।

संभल में हुई हिंसा मामले में अब तक सात एफआईआर दर्ज की गई है। इन सभी एफआईआर में कुल मिलाकर 2500 से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। संभल के एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा, "हमारे सब-इंस्पेक्टर दीपक राठी जो कल घायल हुए थे, उन्होंने 800 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

जिया उर रहमान बर्क और सोहेल इकबाल को आरोपी बनाया गया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने भीड़ को उकसाया था।" बर्क को पहले भी नोटिस दिया गया था, इसके बावजूद उन्होंने लोगों को भड़काया, जिस वजह से लोगों ने इस घटना को अंजाम दिया था। बर्क को गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

बता दें कि रविवार की सुबह जामा मस्जिद का सर्वे किया गया। हालांकि सर्वे की टीम जैसे ही पहुंची, तभी वहां पर भीड़ इकट्ठा हो गई। इसके बाद भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। वहीं देखते ही देखते बवाल बढ़ गया और भीड़ उग्र हो गई। इस दौरान भीड़ ने पत्थरबाजी भी की।

इस पूरी घटना में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि 21 लोग घायल बताए जा रहे हैं। वहीं पुलिस ने इस मामले में अब कार्रवाई करते हुए 24 लोगों को हिरासत में ले लिया है। वहीं अब पुलिस ने संभल कोतवाली में एफआईआर भी दर्ज कर ली गई है।

महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस की करारी हार का दिखने लगा साइड इफेक्ट, नाना पटोले ने की प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश की

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी की हार के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने इस्तीफे की पेशकश की है। विधानसभा चुनाव में करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए पटोले ने अपने इस्तीफे की पेशकश का दी है। पटोले ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से जिम्मेदारी से मुक्त किए जाने का आग्रह किया है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी आलाकमान ने अभी तक उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है।

पटोले का यह इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अबतक का सबसे खराब प्रदर्शन किया है। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ एनडीए ने कांग्रेस पार्टी और महाविकास अघाड़ी को चुनाव में करारी शिकस्त दी है। कांग्रेस पार्टी ने राज्य में 103 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे सिर्फ 16 सीटें मिली।

कांग्रेस चुनाव में बड़ी मुश्किल से दहाई के आंकड़े तक पहुंची है। यही नहीं, साकोली सीट से पार्टी के उम्मीदवार नाना पटोले ने सबसे कम अंतर से 208 वोटों से जीत दर्ज की। साकोली में उनकी जीत इस साल सबसे कम अंतर से जीती गई सीटों में शीर्ष तीन में शुमार है। यह नतीजे 2019 विधानसभा चुनावों के बिल्कुल उलट हैं, जब नाना पटोले ने साकोली में लगभग 8,000 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की थी। पटोले साकोली सीट से चार बार के विधायक हैं। फिर भी उन्हें इस सीट से जीत दर्ज करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।

नाना पटोले ने ही चुनाव परिणाम घोषित होने से दो दिन पहले यह दावा करके विवाद खड़ा कर दिया था कि कांग्रेस अगली महाविकास अघाड़ी सरकार का नेतृत्व करेगी। हालांकि, उनकी अगुवाई में 2024 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 13 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद उन्होंने कांग्रेस आलाकमान के सामने इस्तीफे की पेशकश की है।

महाराष्ट्र में सीएम पर सस्पेंसः नतीजों के दो दिन बाद भी जारी है मंथन, शिंदे-फडणवीस या होगा कोई तीसरा नाम*
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महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद अब साफ हो गया है कि राज्य में महायुति की सरकार बनेगी। हालांकि, महायुति से राज्य के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर कौन बिराजेगा अभी तक ये साफ नहीं हुआ है। विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है, इसलिए इससे पहले सरकार गठित होनी है। ऐसा न होने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ेगा। ऐसे में संभव है कि आज इस सस्पेंस से पर्दा हट जाएगा। देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री की रेस में हैं। महायुति में अब तक फैसला नहीं हो पाया है कि किसे मुख्यमंत्री बनाया जाए। हालांकि, पलड़ा देवेंद्र फडणवीस का भारी लग रहा है। इसकी वजह भी है। बीजेपी के सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद देवेंद्र फडणवीस का नाम सीएम की रेस में सबसे आगे चल रहा है। हालांकि, एकनाथ शिंदे गुट अब भी सीएम पद को लेकर अडिग है। दरअसल, महायुति में साथी बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटें हासिल की हैं। इस कारण बीजेपी के नेता चाहेंगे कि देवेंद्र फडणवीस सीएम पद पर बैठें। वहीं, शिवसेना के नेता चाहते हैं कि एकनाथ शिंदे एक बार फिर से सीएम बनें। वहीं, सूत्रों का कहना है कि अजीत पवार की एनसीपी देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाने की मांग कर सकती है। महाराष्ट्र चुनाव नतीजे आने के बाद से ही मुंबई से दिल्ली तक बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी नेताओं की अलग-अलग बैठकों का दौर जारी है। इसके साथ ही सीएम पद को लेकर दबाव बनाने की राजनीति भी शुरू हो गई है। एनसीपी के विधायक दल की बैठक में अजित पवार को नेता चुना गया है। एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने अजित पवार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठाई। वहीं, शिवसेना विधायकों ने एकनाथ शिंदे को अपना नेता चुना और पार्टी नेता प्रताप सरनाईक ने कहा कि सभी विधायक चाहते हैं कि एकनाथ शिंदे सीएम बने रहें। इस बीच सरकार का चेहरा यानी मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार आज यानी सोमवार को दिल्ली रवाना होंगे। भाजपा आलाकमान के साथ मीटिंग के बाद सीएम के नाम का ऐलान हो सकता है। सीएम के नाम के ऐलान के बाद कल मुंबई, राजभवन में शपथग्रहण समारोह हो सकता है।
महाराष्ट्र में सीएम पर सस्पेंसः नतीजों के दो दिन बाद भी जारी है मंथन, शिंदे-फडणवीस या होगा कोई तीसरा नाम*
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महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद अब साफ हो गया है कि राज्य में महायुति की सरकार बनेगी। हालांकि, महायुति से राज्य के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर कौन बिराजेगा अभी तक ये साफ नहीं हुआ है। विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है, इसलिए इससे पहले सरकार गठित होनी है। ऐसा न होने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ेगा। ऐसे में संभव है कि आज इस सस्पेंस से पर्दा हट जाएगा। देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री की रेस में हैं। महायुति में अब तक फैसला नहीं हो पाया है कि किसे मुख्यमंत्री बनाया जाए। हालांकि, पलड़ा देवेंद्र फडणवीस का भारी लग रहा है। इसकी वजह भी है। बीजेपी के सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद देवेंद्र फडणवीस का नाम सीएम की रेस में सबसे आगे चल रहा है। हालांकि, एकनाथ शिंदे गुट अब भी सीएम पद को लेकर अडिग है। दरअसल, महायुति में साथी बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटें हासिल की हैं। इस कारण बीजेपी के नेता चाहेंगे कि देवेंद्र फडणवीस सीएम पद पर बैठें। वहीं, शिवसेना के नेता चाहते हैं कि एकनाथ शिंदे एक बार फिर से सीएम बनें। वहीं, सूत्रों का कहना है कि अजीत पवार की एनसीपी देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाने की मांग कर सकती है। महाराष्ट्र चुनाव नतीजे आने के बाद से ही मुंबई से दिल्ली तक बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी नेताओं की अलग-अलग बैठकों का दौर जारी है। इसके साथ ही सीएम पद को लेकर दबाव बनाने की राजनीति भी शुरू हो गई है। एनसीपी के विधायक दल की बैठक में अजित पवार को नेता चुना गया है। एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने अजित पवार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठाई। वहीं, शिवसेना विधायकों ने एकनाथ शिंदे को अपना नेता चुना और पार्टी नेता प्रताप सरनाईक ने कहा कि सभी विधायक चाहते हैं कि एकनाथ शिंदे सीएम बने रहें। इस बीच सरकार का चेहरा यानी मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार आज यानी सोमवार को दिल्ली रवाना होंगे। भाजपा आलाकमान के साथ मीटिंग के बाद सीएम के नाम का ऐलान हो सकता है। सीएम के नाम के ऐलान के बाद कल मुंबई, राजभवन में शपथग्रहण समारोह हो सकता है।
जिन्हें जनता ने 80 बार नकारा, वो संसद का काम रोक रहे,' पीएम मोदी का विपक्ष पर जोरदार हमला

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आज से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री मोदी मीडिया से रूबरू हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना किसी का नाम लिए तंज कसते हुए कहा कि आज से शीतकालिन सत्र की शुरुआत हो रही है उम्मीद है माहौल भी शीत रहेगा। पीएम मोदी ने कहा कि संसद का ये सत्र कई मामलों में विशेष है। सबसे बड़ी बात है कि हमारे संविधान की यात्रा का 75वें साल में प्रवेश अपने आप में लोकतंत्र के लिए एक बहुत ही उज्जवल अवसर है। हम चाहते हैं कि संसद में स्वस्थ्य चर्चा हो, ज्यादा से ज्यादा लोग चर्चा में योगदान दें।

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प्रधानमंत्री न विपक्ष पर निशाना साधते हुए संसद में चर्चा न होने देने का आरोप लगाया। पीएम मोदी ने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ लोगों ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए, जिनको जनता ने अस्वीकार किया है, मुट्ठी भर लोगों की हुड़दंगबाजी से सदन को कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है। उनका अपना मकसद तो संसद की गतिविधि को रोकने से सफल होता नहीं। लेकिन उनकी ऐसी हरकतें देखकर जनता उन्हें नकार देती है। पीएम मोदी ने कहा कि इन लोगों को 80-90 बार जनता नकार चुकी है।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि सबसे ज्यादा पीड़ा की बात ये है कि जो नए सांसद नए विचार और नई ऊर्जा लेकर आते हैं, उनके अधिकारों को कुछ लोग दबोच देते हैं। सदन में उनको बोलने का अवसर नहीं मिलता।लोकतांत्रिक परंपरा में हर पीढ़ी का काम करना है अगली पीढ़ी को तैयार करें, लेकिन 80-90 बार जनता ने जिनको लगातार नकार दिया है, वे न संसद में चर्चा होने देते हैं और न ही लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते हैं। न ही वे लोगों की आकांक्षाओं को समझते हैं। उसका परिणाम है कि वे जनता की उम्मीदों पर कभी भी खरे नहीं उतरते। इसके चलते जनता को उन्हें बार-बार रिजेक्ट करना पड़ रहा है।'

महाराष्ट्र चुनाव: महायुति गठबंधन ने 6 महीने में किया कमाल, लोकसभा चुनाव के झटकों से ऐसे उबरी
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* महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ‘महायुति’ गठबंधन ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। इस गठबंधन में शामिल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 132, एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 57 और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने 41 सीटें जीती हैं। यानी महायुति ने कुल 230 सीटें हासिल कर सत्ता में धमाकेदार वापसी की है। दूसरी ओर, महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और शरद पवार की एनसीपी शामिल हैं। इन्हें कुल 46 सीटें मिली हैं और करारी हार का सामना करना पड़ा है। शिवसेना (यूबीटी) ने 20 सीट, कांग्रेस ने 16 और एनसीपी (शरद पवार) ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की। इस साल मई में हुए लोकसभा चुनाव में महायुति का महाराष्ट्र में करारा झटका लगा था। जिसके बाद से सवाल उठ रहे थे कि क्या महायुति विधानसभा चुनाव में वापसी कर सकेगी? आम चुनाव में कांग्रेस 13 सीटें जीतक सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना(यूबीटी) ने 9 और शरद पवार की एनसीपी ने 8 सीटें जीती थीं। उस वक्त अजीत पवार की एनसीपी ने महज एक, शिवसेना(शिंदे) ने सात और बीजेपी ने महज 9 सीटें मिली थी। अब विधानसभा चुनाव में महायुति ने महाविकास अघाड़ी को करारा झटका दिया है। महाज 6 महीने के अंतराल में हुए चुनाव में बीजपी ने हार को बड़ी जीत में बदल दिया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इन 6 महीनों में महायुति की इतनी बड़ी सफलता की वजह क्या रही? महायुति को इतनी बड़ी विजय मिलने की वजहें ये हैः- *लाडली बहन योजना साबित हुई ‘गेमचेंजर’* महायुति की जीत में सबसे बड़ा योगदान 'मुख्यमंत्री- माझी लाडकी बहीण योजना' (मुख्यमंत्री मेरी लाडली बहन योजना) का माना जा रहा है। इस योजना के तहत कम आय वाले परिवारों की महिलाओं को सीधे डेढ़ हज़ार रुपये की आर्थिक मदद हर महीने दी जा रही है। चुनाव शुरू होने से पहले ही, लगभग 30 लाख से अधिक महिलाओं को इस योजना का फ़ायदा मिल गया था। उनके बैंक खातों में तीन हज़ार रुपये जमा हो चुके थे। इसके अलावा, चुनाव के दौरान महायुति ने इस योजना के विस्तार की घोषणा की। इसने भी उसके पक्ष में एक मज़बूत लहर बनाई। गठबंधन ने वादा किया कि सरकार बनने पर इस राशि को बढ़ा कर हर महीने दो हज़ार एक सौ रुपये कर दिया जाएगा। चुनाव आयोग के आँकड़ों के अनुसार, इस बार महिला वोटरों की संख्या में 5.95 फ़ीसदी का इजाफा हुआ। महिला वोटरों की संख्या में बढ़ोतरी को इस योजना के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। *आरएसएस की मेहनत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इस बार भाजपा के लिए पूरी ताक़त झोंक दी थी। लोकसभा चुनाव में संघ की सक्रियता अपेक्षाकृत कम थी। हालाँकि, विधानसभा चुनाव में उन्होंने शहरी मतदाताओं को जोड़ने के लिए व्यापक अभियान चलाया। संघ के कार्यकर्ताओं ने नागपुर और पुणे जैसे शहरी क्षेत्रों में घर-घर जाकर भाजपा के लिए प्रचार किया। आरएसेस के हजारों स्वयंसेवकों ने सुबह दो घंटे और शाम को दो घंटे का वक्त दिया है। स्वयंसेवक घर-घर जाकर कह कि शतप्रतिशत मतदान करना है। उन्होंने भाजपा का नाम लिए बगैर “स्थिरता और विकास” के मुद्दे की बात की और अपने संदेश को फैलाया। *हिंदु वोटों को एकजुट करने में कामयाबी* लोकसभा चुनाव में संविधान के मुद्दे पर बीजेपी को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। इस चुनाव में बीजेपी ने हर कदम रणनीति के तहत बढ़ाया। योजनाबद्ध रूप से धार्मिक ध्रुवीकरण को अंजाम दिया गया। लोकसभा चुनाव में आघाडी को मिले मुस्लिम वोटों को बीजेपी ने वोट जिहाद कहना शुरू किया। उसके बाद बीजेपी ने 'ऐलान' की जगह 'शंखनाद' कहना शुरू किया। आगे का काम योगी आदित्यनाथ के नारे 'बंटेंगे तो कटेंगे' और मोदी के नारे 'एक हैं तो सेफ हैं' ने किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए गए नारों ने चुनाव प्रचार के दौरान हिंदुत्व की राजनीति को मज़बूत किया। “बँटेंगे तो कटेंगे या एक रहेंगे तो सेफ़ रहेंगे” जैसे नारों ने भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे को और धार दी। *स्थानीय मुद्दों को केंद्र में रखा* इसके अलावा भाजपा ने महाराष्ट्र के इस चुनाव में स्थानीय मुद्दों को केंद्र में रखा। महायुति अपने ढाई साल के कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों को जनता को बताने में सफल रही। शिंदे मुख्यमंत्री बनने के बाद से 24×7 काम करते नजर आए। उनकी सरकार ने फैसले लेने तेजी दिखाई। महायुति के भीतर के राजनीतिक अंतर्कलह को मुख्यमंत्री ने सरकार के कामकाज पर हावी नहीं होने दिया। *मराठों का गुस्सा कम करने में रही कामयाब* लोकसभा चुनाव में भाजपा को मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण अच्छा-खासा नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार एक तरफ भाजपा के सहयोगी दल शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे ने अपने विश्वस्त साथियों के जरिए मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल के साथ अच्छा तालमेल स्थापित किया, तो दूसरी तरफ भाजपा ने अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के अपने प्रतिबद्ध मतदाताओं को जोड़ने पर ध्यान दिया। इससे महायुति मराठों का गुस्सा कम करने के साथ-साथ ओबीसी का वोट पाने में सफल रही।
सदन में एक साथ गांधी परिवार के 3 सदस्‍य, वायनाड से धमाकेदार जीत के बाद भाई-मां के साथ संसद में बैठेंगी प्रियंका

#priyankagandhiwon3memberofgandhifamilyenter_parliament

वायनाड संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने धमाकेदार जीत दर्ज करने के साथ अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत की है। इसी के साथ प्रियंका गांधी आज से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के साथ संसद में एंट्री करेंगी। शीतकालीन सत्र के दौरान गांधी परिवार की बेटी प्रियंका गांधी भी नजर आएंगी। यह पहला मौका होगा जब प्रियंका एक सांसद के रूप में पार्लियामेंट में प्रवेश करेंगी।

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संसद में एक साथ गांधी परिवार के 3 सदस्‍य

प्रियंका गांधी की संसद में एंट्री के साथ अब गांधी परिवार के तीन सदस्‍य लोकतंत्र के मंदिर में पहुंच गए हैं। यह पहला मौका है जब परिवार के तीन सदस्‍य एक साथ सदन में नजर आएंगे। केरल के वायनाड उपचुनाव में उनके निर्वाचन के बाद यह पहली बार है कि संसद में गांधी-नेहरू परिवार तीन सदस्य होंगे। उनके भाई राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं तथा मां सोनिया गांधी राज्यसभा की सदस्य हैं।

आजादी के बाद से गांधी परिवार के तीन सदस्य कभी एक साथ संसद में नहीं बैठे थे। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के समय भी ऐसा अवसर नहीं आया। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी दोनों ही अलग-अलग समय में प्रधानमंत्री रहे थे, लेकिन कभी परिवार के तीन सदस्य एक साथ संसद में नहीं थे। इस बदलाव ने गांधी परिवार के राजनीतिक महत्व को एक नया आयाम दिया है।

गांधी परिवार की चौथी महिला सांसद

प्रियंका संसद पहुंचने वाली गांधी परिवार की 9वीं सदस्य और चौथी महिला सदस्य हैं। प्रियंका से पहले गांधी परिवार से जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, फिरोज गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, मेनका गांधी, वरुण गांधी और राहुल गांधी सियासत में उतर चुके हैं। गांधी परिवार की महिला के तौर पर इससे पहले उनकी दादी और देश की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी, मां सोनिया गांधी और चाची मेनका गांधी लोकसभा सांसद चुनी गई थीं।

भाई ने बहन के लिए छोड़ी थी यह सीट

बता दें कि राहुल गांधी ने साल 2004 में कांग्रेस की पारंपरिक सीट अमेठी से पहला चुनाव लड़ा था। इस सीट से वह तीन बार सांसद चुने गए थे। लेकिन साल 2019 के आम चुनाव में उन्हें बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने हरा दिया था। 2019 में उन्होंने अमेठी और वायनाड से चुनाव लड़ा था, वह अमेठी से हार गए थे, लेकिन वायनाड से चुनाव रिकॉर्ड मतों से जीत लिया था। साल 2024 के आम चुनाव में राहुल गांधी ने यूपी की रायबरेली और वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और दोनों सीटों से जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव के कुछ दिनों बाद, जून में कांग्रेस ने घोषणा की थी कि राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में रायबरेली संसदीय क्षेत्र रखेंगे और केरल की वायनाड सीट खाली कर देंगे, जहां से प्रियंका लड़ेंगी। इस सीट से राहुल लगातार दो चुनावों में जीते थे। लोकसभा चुनाव में प्रियंका ने रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस की जीत में बड़ी भूमिका निभाई।