28 नवंबर को झारखंड के सीएम पद की शपथ लेंगे हेमंत सोरेन

डेस्क: झारखंड विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन की जेएमएम को मिली बंपर जीत के बाद अब फाइनल हो गया है कि झारखंड के नए सीएम हेमंत सोरेन ही होंगे और उनका शपथ ग्रहण समारोह 28 नवंबर को होगा। हेमंत सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है और वे अब चुनाव में मिली जीत के बाद नए सीएम के तौर पर शपथ लेंगे। बता दें कि विधानसभा की 81 सीटों में झामुमो नीत इंडिया गठबंधन ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की है। यह आंकड़ा 41 के बहुमत से 15 सीट ज्यादा है।

झारखंड के सीएम और जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन का कहना है, ''28 नवंबर को नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा...'' उन्होंने आगे कहा, ''आज हमने (इंडिया) गठबंधन सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।'' उस सिलसिले में हमने राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया है। मैंने उन्हें अपना इस्तीफा भी दे दिया है...कांग्रेस और राजद प्रभारी भी यहां मौजूद थे...28 नवंबर को शपथ ग्रहण समारोह होगा।

वहीं, चुनाव में भाजपा गठबंधन ने 24 सीटों पर जीत दर्ज की है यानी बहुमत के आंकड़े से 13 सीट कम। हेमंत सोरेन ने जीत के बाद झारखंड की जनता का धन्यवाद जताया और कहा कि जमीन पर मौजूद उन नेताओं का भी शुक्रिया, जो जनता की ताकत को पार्टी तक लेकर आए। जेएमएम की जीत के साथ ही राजधानी रांची की सड़कों पर पोस्टर लग गए थे जिसमें लिखा था सबके दिलों पर छा गया, शेरदिल सोरेन फिर आ गया। हेमंत सोरेन झारखंड के पहले ऐसे मुख्यमंत्री होंगे जो लगातार दूसरा चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभालेंगे।

कांग्रेस नेताओं ने मुख्यमंत्री आवास में हेमंत सोरेन से मुलाकात की। झारखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा- पहले भी जब हमारी सरकार पर संकट आया था, तब हमने कहा था कि हम पूरे विश्वास के साथ सरकार बनाएंगे। हम एक बार फिर पूरे विश्वास के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं। वहीं, कांग्रेस पर्यवेक्षक तारिक अनवर ने कहा- यह अच्छा है, हम जीत की उम्मीद कर रहे थे।

संभल हिंसा में 3 की मौत, पीड़ित परिवार का आरोप- सीईओ की मौजूदगी में पुलिस ने मारी गोली

डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में रविवार को शाही जामा मस्जिद का सर्वे किया गया। इस दौरान यहां हिंसा भी भड़क गई। जमकर पत्थरबाजी हुई। गाड़ियों में आग लगा दी गई। इस बीच, जानकारी सामने आई है कि संभल हिंसा में 3 लोगों की मौत हो गई है। परिवार का आरोप है कि पुलिस ने युवक को गोली मारी है। मृतक का नाम नईम खान है, वह 32 साल का था। परिवार का आरोप है कि 11:00 बजे सीईओ की मौजूदगी में पुलिस ने गोलियां चलाईं। एक गोली नईम को जाकर लगी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

पुलिस ने जो फायरिंग की उस दीवार पर लगे लोहे के शटर पर भी निशान बने हैं। परिवार का कहना है नईम प्रदर्शन में शामिल नहीं था। वह अपनी दुकान की तरफ रिफाइंड लेने जा रहा था। गोली लगने के बाद नईम को अस्पताल ले जाया गया, उसकी मौत हो गई।

इस पूरी हिंसा में 3 लोगों की मौत हुई है। मृतकों के नाम नईम खान, बिलाल औप नोमान है। तीनों के पोस्टमॉर्टम की तैयारी की जा रही है। स्थानीय लोगों ने बताया कि तीनों लड़के हिंसा के समय मस्जिद के पीछे वाली सड़क पर मौजूद थे। जहां पर आगजनी और पत्थरबाजी हो रही थी। पुलिस की गोलीबारी में तीनों की मौत हो गई।

बता दें कि संभल में रविवार को करीब एक हजार लोगों की भीड़ ने जमकर हंगामा किया। पुलिस टीम पर पत्थरबाजी की गई। गाड़ियों में आग लगा दी गई। उपद्रवियों को काबू में करने के लिए पुलिस को उनपर लाठीचार्ज करना पड़ा। आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।

सर्वे टीम सुबह साढ़े सात बजे जामा मस्जिद के अंदर दाखिल हुई थी। करीब एक घंटे तक हालात नॉर्मल थे तभी अचानक भीड़ आ गई। अलग-अलग गलियों से करीब एक हजार लोगों की भीड़ मौके पर जुट गई। पुलिस ने जब उन्हें वापस भेजने की कोशिश की तो उपद्रवियों ने पुलिस टीम पर हमला करते हुए पथराव शुरू कर दिया। देखते ही देखते हिंसा भड़क गई।

इमरान का ‘‘गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने’’ का ऐलान, पाकिस्तान में तूफान, इस्लामाबाद में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा

डेस्क: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ (पीटीआई) ने एक बार फिर से देश में बड़े आंदोलन का बिगुल बजा दिया है। इससे पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। इमरान खान की ओर से यह संदेश दिया गया है कि अब गुलामी की बेड़ियों को नहीं सहन करेंगे और इसे उखाड़ फेकेंगे। इससे इस्लामाबद में प्रस्तावित प्रदर्शन के मद्देनजर सरकार ने रविवार को सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।

इमरान खान ने जनता से ‘‘गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने’’ के लिए एकजुट होने का आह्वान किया है। पाकिस्तान सरकार ने ‘पीटीआई’ द्वारा इस्लामाबाद में रविवार को किए जाने वाले प्रदर्शन को रोकने के लिए राष्ट्रीय राजधानी की ओर जाने वाले राजमार्गों को शनिवार को ही बंद कर दिया, इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं को आंशिक रूप से निलंबित कर दिया, सार्वजनिक परिवहन पर रोक लगा दी तथा महत्वपूर्ण सड़कों को कंटेनर खड़े कर अवरुद्ध कर दिया। इसके साथ ही भारी संख्या में सुरक्षाबलों को भी तैनात किया गया है। ‘

पीटीआई’ के नेतृत्व ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि योजनानुसार रविवार को प्रदर्शन किया जाएगा तथा इसे न तो स्थगित किया जाएगा और न ही लक्ष्य हासिल होने से पहले इसे समाप्त किया जाएगा। जियो न्यूज की खबर के मुताबिक, ‘पीटीआई’ के नेताओं ने खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री आवास पर रविवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें प्रदर्शन करने के लिए रणनीति को अंतिम रूप दिया गया। खबर में बताया गया कि खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने कहा कि वह प्रस्तावित प्रदर्शन की तैयारियों का निरीक्षण करने और इस्लामाबाद तक पार्टी के मार्च का नेतृत्व करने के लिए अपराह्न तीन बजे स्वाबी पहुंचेंगे।

मुख्यमंत्री ने मार्च में शामिल होने के इच्छुक पार्टी कार्यकर्ताओं को अपराह्न तीन बजे तक स्वाबी पहुंचने का भी निर्देश दिया है। पीटीआई दो महीने में दूसरी बार प्रदर्शन करने जा रही है। प्रदर्शन स्थगित करने के सरकार के आह्वान को नजरअंदाज करते हुए पार्टी ने इस्लामाबाद की ओर बढ़ने की घोषणा की है। वहीं, अधिकारियों ने इस प्रदर्शन के दौरान संभावित खतरे की चेतावनी जारी की है।

इमरान खान की पार्टी ने अपनी तीन मांगों को लेकर इस्लामाबाद तक एक लंबा मार्च करने की पिछले सप्ताह घोषणा की थी। पार्टी जेल में बंद खान और अन्य नेताओं को रिहा करने, आठ फरवरी के चुनावों में पीटीआई की जीत को मान्यता देने के अलावा 26वें संविधान संशोधन को निरस्त करने की मांग कर रही है। 26वें संविधान संशोधन ने न्यायाधीशों और मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया को बदल दिया था।

पाकिस्तानी न्यूज चैनल ‘एक्सप्रेस न्यूज टीवी’ की खबर के अनुसार, राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक प्राधिकरण (एनएसीटीए) ने इस्लामाबाद में पीटीआई के प्रदर्शन के दौरान संभावित आतंकवादी हमले की चेतावनी देते हुए सुरक्षा अलर्ट जारी किया है। इसने चेतावनी दी कि पीटीआई की सार्वजनिक सभा को आतंकवादी निशाना बना सकते हैं।

इस्लामाबाद में 18 नवंबर से धारा-144 लागू है, जिसके तहत लोग एकत्र नहीं हो सकते। दूसरी ओर, पंजाब सरकार ने भी 23 नवंबर से 25 नवंबर तक पूरे प्रांत में धारा 144 लागू कर दी है, जिसके तहत विरोध प्रदर्शन, सार्वजनिक सभाएं, रैलियां और धरने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कड़ी सुरक्षा और प्रतिबंधों के बावजूद, पीटीआई अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने पर अड़ी हुई है।

यूपी के संभल में बवाल, उग्र भीड़ ने वाहनों में लगाई आग, SP-CO और इंस्पेक्टर समेत कई पुलिसकर्मी घायल

डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल में आज फिर एक बार शाही जामा मस्जिद का सर्वे हुआ। सर्वे करने टीम सुबह 6 बजे पहुंच गई है। मौके पर डीएम-एसपी के अलावा एसडीएम-सीओ और पीएसी-आरआरएफ को तैनात कर दिया गया। हालांकि इस दौरान मस्जिद के बाहर बवाल भी देखने को मिला और अचानक से पुलिस की टीम पर पथराव किया गया। वहीं हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और कुछ लोगों पर लाठीचार्ज भी करना पड़ा। बता दें कि आज सुबह से ही इलाके में भारी संख्या में पुलिस को तैनात किया गया है। वहीं शाही जामा मस्जिद से सर्वे की टीम निकल चुकी है। पुलिस प्रशासन ने सुरक्षित रास्ते से सर्वे टीम को बाहर निकाला है।

दरअसल, आज एक बार फिर संभल की जामा मस्जिद में सर्वे का काम किया गया। इसी बीत सर्वे को लेकर भीड़ आक्रोशित हो गई और इसके बाद संभल में तनाव का माहौल है। इस बीच पुलिस और भीड़ के बीच जमकर धक्का मुक्की हुई। एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई और डीएम डॉ राजेंद्र पेंसिया ने मोर्चा संभाला। वहीं आक्रोशित भीड़ को भगाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गए। डीएम और एसपी आक्रोशित भीड़ को समझाने के लिए पहुंचे तो आक्रोशित भीड़ ने नारेबाजी की। वहीं हंगामा कर रही आक्रोशित भीड़ पर बमुश्किल काबू पाने में एसपी और डीएम जुटे हुए हैं। वहीं पत्थरबाजी की घटना के बाद हर गली में ड्रोन कैमरे से की जा रही निगरानी। घरों की छतों पर भी पुलिस बल तैनात किया गया है। फिलहाल जो गाड़ियां आग की चपेट में आई हैं, उनकी आग बुझाई जा रही है। वहीं इलाके में घरों के दरवाजे बंद हैं।

संभल के एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने कहा, "कोर्ट के आदेश के अनुसार, संभल जिले में जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। सर्वेक्षण के विरोध में कुछ लोग एकत्र हुए और सर्वेक्षण के समय पथराव शुरू कर दिया। पुलिस ने इस पर जवाबी कार्रवाई की और जामा मस्जिद के परिसर के पास खड़ी उप-निरीक्षकों की कुछ गाड़ियों को आग लगा दी गई। कानून-व्यवस्था नियंत्रण में है। हर जगह शांति और व्यवस्था कायम है। फिर से ड्यूटी लगाई जा रही है और सर्वेक्षण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। ड्रोन से वीडियोग्राफी की गई है और सीसीटीवी कैमरों की मदद से इन सभी लोगों की पहचान की जाएगी और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।"

वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि "19 नवंबर को पारित न्यायालय के आदेश के अनुपालन में आज एडवोकेट कमिश्नर द्वारा दूसरे दिन का सर्वेक्षण सुबह 7:30 बजे से 10:00 बजे तक किया गया। इस सर्वेक्षण के दौरान सभी विशेषताओं का अध्ययन किया गया। न्यायालय द्वारा निर्देशित वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी का अनुपालन किया गया है और अब यह सर्वेक्षण पूरा हो गया है। रिपोर्ट 29 नवंबर से पहले या 29 नवंबर को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।"

वहीं संभल में हुई पत्थरबाजी की घटना पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, "न्यायालय के निर्देश का पालन करना सरकार और पुलिस का कर्तव्य है और जो भी इसमें बाधा डालेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।' इसके अलावा राज्य मंत्री जयवीर सिंह का कहना है, "धर्म विशेष के लोग खुद को संविधान, कानून और न्यायपालिका से ऊपर समझ रहे हैं। पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार सभी से कानून का पालन कराएगी। इस तरह की गुंडागर्दी और कोर्ट के आदेश का अनादर नहीं चलेगा। किसी को भी अपने धर्म के नाम पर इस तरह की हरकत करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।"

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: राज ठाकरे के बेटे अमित ने पहली बार लड़ा था विधानसभा चुनाव, जीत मिली या हार?

डेस्क: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं। इस चुनाव में बीजेपी नीत महायुति को बंपर जीत हासिल हुई है, वहीं महाविकास अघाड़ी की करारी हार हुई है। इस चुनाव में कई सीटों पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला, उसी में से एक सीट माहिम भी है।

माहिम सीट से राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे MNS से मैदान में थे। ये उनके जीवन का पहला चुनाव था। ऐसे में सभी की नजरें इस सीट पर टिकी हुई थीं। लेकिन माहिम की जनता ने अमित ठाकरे पर भरोसा नहीं जताया और अमित ये चुनाव हार गए। माहिम सीट पर शिवसेना(यूबीटी) के महेश बलिराम सावंत को जीत हासिल हुई है।

महेश बलिराम सावंत को कुल 50,213 वोट मिले। दूसरे नंबर पर शिवसेना के सदा सरवणकर रहे। उन्हें कुल 48,897 वोट मिले। तीसरे नंबर पर एमएनएस के अमित ठाकरे रहे। उन्हें महज 33,062 वोट मिले।

इस सीट पर सबसे बड़ा झटका तो सदा सरवणकर को है क्योंकि वह इस सीट से 2014 और 2019 में अविभाजित शिवसेना के टिकट पर जीत हासिल कर चुके थे। यह उनके लिए हैट्रिक का मौका था लेकिन वह चुनाव हार गए। शिवसेना में जब विभाजन हुआ तो सरवणकर ने एकनाथ शिंदे का साथ दिया था। शिंदे ने उनपर इस चुनाव में भी भरोसा जताया लेकिन वह चुनाव हार गए।

यहां एक बार गौर करने वाली है कि एकनाथ शिंदे ने माहिम से अपना प्रत्याशी जरूर उतारा था लेकिन बीजेपी ने अमित ठाकरे को समर्थन देने का वादा किया था। यानी बीजेपी का सपोर्ट अमित ठाकरे के साथ था। फिर भी वह चुनाव नहीं जीत सके।

माहिम विधानसभा सीट पर किसी एक नेता का वर्चस्व नहीं रहा है। 1962 से लेकर अब तक कई बड़े नेताओं ने यहां से चुनाव जीता है। 1990 के दशक में इस सीट पर शिवेसना का दबदबा था। सुरेश गंभीर ने 1990,1995 और 1999 में यहां से लगातार जीत हासिल की थी। 2004 में भी गंभीर ही जीते।

लेकिन 2009 में इस सीट से शिवसेना को झटका लगा और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के उम्मीदवार नितिन सरदेसाई चुनाव जीत गए। 2014 में शिवसेना ने फिर वापसी की और सदा सरवणकर जीत गए। 2019 के चुनाव में सदा सरवणकर फिर जीत गए।

यूपी के संभल में आज फिर शाही जामा मस्जिद का सर्वे, मस्जिद के बाहर उपद्रवियों ने किया बवाल, पुलिस की टीम पर हुआ पथराव


डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल में आज फिर एक बार शाही जामा मस्जिद का सर्वे होगा। सर्वे करने टीम सुबह 6 बजे पहुंच गई है। मौके पर डीएम-एसपी के अलावा एसडीएम-सीओ और पीएसी-आरआरएफ को तैनात कर दिया गया है। हालांकि इस दौरान मस्जिद के बाहर बवाल भी देखने को मिला और अचानक से पुलिस की टीम पर पथराव किया गया। वहीं हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और कुछ लोगों पर लाठीचार्ज भी करना पड़ा। बता दें कि आज सुबह से ही इलाके में भारी संख्या में पुलिस को तैनात किया गया है। दरअसल, आज एक बार फिर संभल की जामा मस्जिद में सर्वे का काम किया जा रहा है। इसी बीत सर्वे को लेकर भीड़ आक्रोशित हो गई और इसके बाद संभल में तनाव का माहौल है। इस बीच पुलिस और भीड़ के बीच जमकर धक्का मुक्की हुई। एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई और डीएम डॉ राजेंद्र पेंसिया ने मोर्चा संभाला हुआ है। वहीं आक्रोशित भीड़ को भगाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गए। डीएम और एसपी आक्रोशित भीड़ को समझाने के लिए पहुंचे तो आक्रोशित भीड़ ने नारेबाजी की। वहीं हंगामा कर रही आक्रोशित भीड़ पर बमुश्किल काबू पाने में एसपी और डीएम जुटे हुए हैं। वहीं इस मामले पर भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, "जो लोग कानून को हाथ में लेने का प्रयास कर रहे हैं, उन पर कठोरता से कार्रवाई होगी। यह मुगलिया सल्तनत का दौर नहीं है। कोर्ट के आदेश से आपत्ति है तो ऊपरी अदालत में अपील करें। कुछ लोगों को संविधान में विश्वास नहीं। न्यायपालिका का आदेश सुनिश्चित होगा। सभी लोग शांति व्यवस्था बनाए रखें।" बता दें कि 19 नवंबर को हिंदू पक्ष की ओर से सिविल सीनियर डिवीजन चंदौसी न्यायालय में याचिका दायर की गई, जिसमें कहा गया कि संभल की शाही जामा मस्जिद श्री हरिहर मंदिर है और बाबर के शासनकाल में 1529 में इसे मस्जिद का रूप दिया गया। इसके बाद कोर्ट ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था। इसी मामले में आज फिर सर्वे होना है। वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए भारी पुलिस बल का भी इंतजाम किया गया है। जिला अदालत ने 29 नवंबर तक सर्वे की रिपोर्ट देने को कहा है। दरअसल, संभल जिले की एक अदालत के आदेश पर मंगलवार को जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया। दावा है कि इस मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को तोड़ कर किया गया है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिये ‘एडवोकेट कमीशन’ गठित करने के निर्देश दिये। कोर्ट ने कहा है कि कमीशन के माध्यम से वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी सर्वे कराकर अदालत में रिपोर्ट दाखिल की जाए। उन्होंने कहा था, ‘‘संभल में हरिहर मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है। हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर दशावतार में से कल्कि का अवतार यहां से होना है। बाबर ने 1529 में मंदिर को तोड़ कर मस्जिद में बदलने की कोशिश की थी। यह एएसआई द्वारा संरक्षित क्षेत्र है। उसमें किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं हो सकता।’’ विष्णु शंकर जैन ने कहा था, ‘‘वहां पर बहुत सारे निशान और संकेत हैं जो हिन्दू मंदिर के हैं। इन सारी बातों को ध्यान रखते हुए अदालत ने यह आदेश जारी किया है।’’
महाराष्ट्र में महायुति के सभी विधायकों को बुलाया गया मुंबई, सीएम के नाम पर आज हो सकता है फैसला

डेस्क: महाराष्ट्र की जनता ने महायुति को बहुमत दे दिया है। महाराष्ट्र में हुए चुनाव के परिणाम सामने आ गए हैं। वहीं नतीजों के मुताबिक अब महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है। माना जा रहा है कि मुंबई में महायुति के चुने गए विधायकों की बैठक होगी और इस दौरान विधायक दल का नेता भी चुना जाएगा और फिर महाराष्ट्र के अगले सीएम के नाम पर फैसला लिया जा सकता है। इसके अलावा महायुति के तीनों दलों भाजपा, शिवसेना और एनसीपी के विधायकों की अलग-अलग बैठक भी हो सकती है। 

दरअसल, महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद महायुति ने जीते हुए सभी विधायकों को मुंबई पहुंचने का आदेश दिया है। इसके अलावा आज महायुति के तीनों दलों की अपनी-अपनी विधायक दल की बैठक हो सकती है। वहीं विधायकों के मुंबई पहुंचने के बाद बीजेपी, एनसीपी और शिवसेना की सेपरेट विधायक दल की बैठक होगी। इसके अलावा विधायक दल का नेता चुनने के बाद महायुति के तीनों प्रमुख नेताओं की बीजेपी आलाकमान के साथ बैठक होगी और सीएम पद पर फैसला लिया जाएगा। बता दें कि कल हुई शिवसेना की ऑनलाइन बैठक में फैसला लेने का पूरा अधिकार एकनाथ शिंदे को दिया गया है।

बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत महायुति गठबंधन ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करते हुए 288 सदस्यीय विधानसभा की 230 सीट पर जीत दर्ज की। वहीं कांग्रेस नीत महा विकास आघाडी (एमवीए) महज 46 सीट पर सिमटकर रह गई। निर्वाचन आयोग ने घोषणा की कि भाजपा ने 132 सीट जीती हैं, जबकि शिवसेना ने 57 सीट और एनसीपी को 41 सीट मिली हैं। वहीं एमवीए में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के उम्मीदवारों ने 10 सीट जीतीं, जबकि कांग्रेस ने 16 सीट और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने 20 सीट जीती हैं।

सौतेली बेटी के आरोपों ने रूपाली गांगुली को किया कलंकित, वकील ने मानहानि का किया दावा

अभिनेत्री रूपाली गांगुली की वकील सना रईस खान ने साझा किया है कि उनकी सौतेली बेटी ईशा वर्मा ने अभी तक मानहानि नोटिस का जवाब नहीं दिया है, हालाँकि उन्होंने अपना इंस्टाग्राम पोस्ट हटा दिया है। न्यूज़18 से बात करते हुए, सना ने खुलासा किया कि यह अभिनेता ही थे जिन्होंने ईशा को मानहानि का नोटिस भेजने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि ईशा के “झूठे और दुर्भावनापूर्ण आरोपों” ने रूपाली को “बहुत भावनात्मक संकट और मानसिक पीड़ा” पहुँचाई है।

रूपाली ने ईशा को नोटिस भेजने का फैसला किया

सना ने कहा, “उसने (ईशा वर्मा) जवाब नहीं दिया है। हालाँकि, उसने हमारे नोटिस प्राप्त करने के बाद सभी मानहानि वाले पोस्ट हटा दिए हैं और एक अकाउंट हटा दिया है जो उसके गलत काम की स्वीकृति है। रूपाली ने यह कठोर कदम तब उठाया जब उसकी सौतेली बेटी ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से उसके 11 वर्षीय बच्चे को नाजायज करार दिया और मामला लगातार अपमानजनक पोस्ट के साथ आगे बढ़ा, जिससे रूपाली का चरित्र हनन हुआ।"

रूपाली 'बहुत आहत' है

वकील ने यह भी कहा, "यह (नोटिस भेजना) ज़रूरी था, क्योंकि वह लगातार अपमानजनक और निराधार पोस्ट कर रही थी, जिससे रूपाली की प्रतिष्ठा और चरित्र पर हमला हो रहा था। उसने 11 वर्षीय बच्चे पर हमला करके और उसे नाजायज बताकर सारी हदें पार कर दीं। सौतेली बेटी द्वारा लगाए गए झूठे और दुर्भावनापूर्ण आरोपों ने मेरे मुवक्किल को बहुत ज़्यादा भावनात्मक और मानसिक पीड़ा पहुँचाई। इन दुर्भावनापूर्ण और निराधार आरोपों ने न केवल उसकी व्यक्तिगत ईमानदारी पर हमला किया, बल्कि उसकी प्रतिष्ठा को भी धूमिल किया। इस तरह के बेबुनियाद दावों ने उन्हें बहुत दुखी किया है।

अब तक क्या हुआ

यह सब इस महीने की शुरुआत में तब शुरू हुआ जब ईशा ने इंटरव्यू और अपने इंस्टाग्राम अकाउंट के ज़रिए रूपाली की आलोचना की और उन पर कई आरोप लगाए। 10 नवंबर को ईशा ने इंस्टाग्राम पर एक लंबा वीडियो शेयर किया जिसमें उन्होंने अपने सौतेले भाई रुद्रांश के बारे में भी बात की। इसके बाद रूपाली ने उन्हें 50 करोड़ रुपये का मानहानि का नोटिस भेजा। इसके बाद ईशा ने वीडियो डिलीट कर दिया और अपने इंस्टाग्राम अकाउंट को प्राइवेट कर दिया।

वर्मा परिवार के बारे में

ईशा के मुताबिक, उनकी मां सपना और अश्विन की शादी 1997 में हुई थी और 2008 में दोनों अलग हो गए। 26 वर्षीय ईशा अमेरिका के न्यू जर्सी में रहती हैं। अश्विन की पिछली शादियों से दो बेटियाँ हैं। उन्होंने 2013 में रूपाली से शादी की। उनका एक बेटा रुद्रांश है।

जो काम किया है जनता ने उस पर वोट दिया, मिलकर तय करेंगे सीएम” शिंदे के बयान के क्या हैं मायने?*

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रुझानों में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को बंपर बहुमत मिलता दिख रहा है। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनने की राह पर है और चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, पार्टी 131 सीटों पर आगे चल रही है। इससे साफ है कि महाराष्ट्र की जनता ने एक बार फिर भाजपा के नेतृत्व पर विश्वास किया है। महायुति गठबंधन के लिए जहां रुझान खुश करने वाले हैं, लेकिन साथ ही महायुति गठबंधन में सीएम पद को लेकर भी पेच फंसता दिख रहा है।

बीजेपी का टेंशन बढ़ाने वाला बयान

महाराष्ट्र में आ रहे चुनावी परिणामों के बीच एकनाथ शिंदे ने प्रतिक्रिया दी है। सीएम शिंदे ने कहा है कि महाराष्ट्र की जनता ने कामों पर मुहर लगा दी है। हमने ढ़ाई साल सिर्फ महाराष्ट्र की जनता के लिए काम किया है, जिसका नतीजा अब सामने आ गया है।

इसी के साथ मुख्यमंत्री शिंदे ने यह कहकर बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है कि ज्यादा सीट जीतने वाली पार्टी के पास ही मुख्यमंत्री का पद हो, यह जरूरी नहीं है। शिंदे ने कहा है कि हम मिलकर तय करेंगे। अभी कुछ भी फाइनल नहीं है।

साथ बैठकर सीएम पद को लेकर फैसला करेंगे-शिंदे

शिंदे ने आगे कहा कि पीएम मोदी हैं, जेपी नड्डा जी हैं, हम सभी साथ मिलकर फैसला करेंगे। एकनाथ शिंदे ने कहा कि जिस तरह से महायुति ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा है उसी तरह सभी एक साथ बैठकर सीएम पद को लेकर फैसला करेंगे।

क्या इस बार भी बीजेपी शिंदे को देगी सीएम की कुर्सी?

बता दें कि 2022 में जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत किया था, उस वक्त उनके पास सिर्फ 40 विधायक थे। बीजेपी के पास 105 विधायकों का समर्थन था, लेकिन मुख्यमंत्री की कु्र्सी पार्टी ने शिंदे को दे दी।

अभी जो चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। उसमें बीजेपी 130 से ज्यादा सीटों पर बढ़त में है। शिंदे की पार्टी 50 के करीब सीटें जीतती नजर आ रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या 2022 की तरह ही बीजेपी इस बार शिंदे को सीएम की कुर्सी दे देगी?

दरअसल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना ने भी बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन सबसे बड़ी पार्टी भाजपा है। इससे साफ है कि सीएम पद को लेकर महायुति में खूब माथापच्ची होगी।

वायनाड से प्रचंड जीत की ओर प्रियंका गांधी, 3 लाख 57 हजार वोटों से आगे
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* प्रियंका का सियासत में डेब्यू सफल होने जा रहा है। केरल के वायनाड लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी अच्छी खासी लीड लेती दिख रही हैं। शुरुआती रुझानों में प्रियंका गांधी को बढ़त मिल गई है। बीजेपी पिछड़ गई है। वायनाड में प्रियंका गांधी प्रचंड जीत की ओर अग्रसर हो रही हैं। प्रियंका गांधी 3 लाख से ज्यादा वोटों से आगे चल रही है। अब तक कांग्रेस प्रत्याशी प्रियंका गांधी को 5 लाख 41 हजार 731 वोट मिले हैं, जबिक सीपीआई के उम्मीदवार सत्यन मोकेरी को 1 लाख 84 हजार 151 वोट मिले, जबकि बीजेपी तीसरे स्थान पर है। उसकी उम्मीदवार को नव्या हरिदास को 1लाख 210 वोट मिले हैं। प्रियंका गांधी 3 लाख 57 हजार 580 वोटों से आगे चल रही हैं। *क्या राहुल गांधी का रिकॉर्ड तोड़ेंगी प्रियंका?* इस बीच, एक बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या प्रियंका गांधी अपने भाई राहुल गांधी का 6 लाख से ज्यादा वोटों वाला रिकॉर्ड तोड़ पाएंगी? लोकसभा चुनाव 2024 में राहुल गांधी ने वायनाड सीट पर रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल की थी। उन्होंने 6लाख 47 हजार 445 वोट हासिल किए थे। जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी एनी राजा (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) को 2 लाख 83 हजार 023 वोट मिले थे। राहुल गांधी ने अपने प्रतिद्वंद्वी को 3 लाख 64 हजार 422 मतों के अंतर से हराया था और 4 लाख 31 हजार 770 वोटों के रिकॉर्ड बहुमत से विजयी हुए थे। *जीततीं हैं तो गांधी परिवार की तीसरी शख्स* प्रियंका गांधी की वायनाड की यह सीट उनके भाई राहुल गांधी ने खाली की थी, क्योंकि इस साल की शुरुआत में हुए आम चुनावों में वह उत्तर प्रदेश के रायबरेली से लोकसभा के लिए चुने गए थे। अगर प्रियंका गांधी वायनाड से जीतती हैं, तो वह संसद में पहुँचती हैं, तो वाली गांधी परिवार की तीसरी शख्स होंगी, और वायनाड प्रियंका गांधी के लिए सियासत का लॉन्चिंग पैड साबित होगा।