महाराष्ट्र विधानसभा चुनावःरुझानों में महायुति गठबंधन को बहुमत, भाजपा की 61 सीटों पर बढ़त

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की 288 सीटों पर मतगणना जारी है।महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती 8 बजे शुरू हो रही है। सभी की निगाहें सत्तारूढ़ महायुति और सत्ता में वापसी की कोशिश में जुटे महा विकास आघाडी (एमवीए) के बीच मुकाबले के नतीजे पर टिकी हैं। अभी तक आए रुझानों में, सत्ताधारी महायुति की वापसी होती दिख रही है।

रुझानों में महायुति को बहुमत, एमवीए की हातल बेहद खराब

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रुझानों में महायुती ने बहुमत हासिल कर लिया है। अब तक 185 सीटों से रुझान आए हैं। उसमें से 145 पर सीटों पर महायुती को बढ़त हासिल है। महायुती की तीनों पार्टियां अच्छा प्रदर्शन करती दिख रही हैं। महायुती में अकेले भाजपा को 75 सीटों पर बढ़त हासिल है। वहीं दूसरी एमवीए की हालत पतली दिख रही है। उसे अब तक केवल 33 सीटों पर बढ़त हासिल है. सात सीटों पर अन्य आगे है।

महाराष्ट्र में कुल कितनी सीटें?

महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए 144 सीटों का बहुमत जरूरी है। दो प्रमुख गठबंधन है महायुति (बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी गुट) जिसमें भारतीय जनता पार्टी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) अजित पवार का एनसीपी गुट शामिल है। दूसरा प्रमुख गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) है। जिसमें शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), कांग्रेस, शरद पवार का एनसीपी गुट एक साथ चुनाव लड़ रही है।

महिला कांस्टेबल ने 9 महीने में 104 लापता बच्चे को परिवार से मिलाया

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गुमशुदा बच्चों की पहचान में दिल्ली पुलिस की दो महिला हेड कांस्टेबल ने कुछ ऐसा कर दिया, जिसके बाद उनकी चारों ओर वाहवाही हो रही है। दिल्ली पुलिस की दो हेड कांस्टेबल सीमा देवी और सुमन हुड्डा ने नौ महीने में 104 लापता बच्चों का पता लगाया।

दिल्ली पुलिस की बाहरी उत्तरी जिला की एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) में तैनात, सीमा और सुमन ने बताया कि 'ऑपरेशन मिलाप' के तहत मार्च से नवंबर के बीच यह रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया।

मार्च से नवंबर के बीच 'ऑपरेशन मिलाप' के तहत उन्होंने हरियाणा,बिहार और यूपी के दूर-दराज के इलाकों का दौरा किया और बच्चों को उनके परिवारों से मिलाया। इस दौरान उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा,जिनमें बच्चों की नई तस्वीरें न होना, भाषा की बाधा,अनजान जगहों पर जाना और स्थानीय लोगों से मदद न मिलना शामिल था। इन मुश्किलों के बावजूद,दोनों ने बच्चों को ढूंढ निकाला और उन्हें उनके परिवारों से मिला दिया

पहली बार साथ दिखे मोहम्मद यूनुस और खालिदा जिया, क्या शेख हसीना के दुश्मनों का हो रहा गठजोड़?

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शेख हसीना ने 15 साल तक बांग्लादेश की सत्ता संभाली। इतने सालों के बाद अगस्त में तख्तापलट के बाद शेख हसीना को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। जून के महीने से शुरू हुआ आरक्षण विरोधी आंदोलन अचानक हिंसक हो गया, आंदोलनकारियों ने शेख हसीना से इस्तीफे की मांग की। 5 अगस्त को हिंसक भीड़ राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ रही थी कि अचानक शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया। हसीने के देश छोड़ने के बाद उनके दुश्मन अब एक जुट होने लगे हैं। अवामी लीग के नेता की सबसे बड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया और अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस एक साथ नजर आए।

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गुरुवार को बांग्लादेश के ढाका कैंटोनमेंट में सेनाकुंजा में आर्म्ड फोर्स डे का आयोजन किया गया। आर्मी के इस सालाना आयोजन में शेख हसीना की सबसे बड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी खालिदा करीब 12 साल में पहली बार शामिल हुईं। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्षी नेता खालिदा जिया , जो कई बीमारियों से जूझ रही हैं, गुरुवार को छह साल में पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आईं। वह अपनी पुरानी विरोधी शेख हसीना के जाने के बाद नजरबंदी से रिहा हुईं हैं।

खास बात ये है कि इस कार्यक्रम में उनके ठीक बगल वाली कुर्सी पर अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस मौजूद रहे। इस दौरान मोहम्मद यूनुस और खालिदा जिया मंच पर कुछ बातें भी करते नज़र आए। यही नहीं, कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने खास तौर पर खालिदा जिया का जिक्र किया।

मुख्य सलाहकार नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस ने कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में पूर्व पीएम खालिदा जिया की जमकर तारीफ की। उन्होंने संबोधन में खालिदा का जिक्र करते हुए कहा, हम खास तौर पर भाग्यशाली और गौरवान्वित हैं कि तीन बार की पीएम, फ्रीडम फाइटर और शहीद प्रेसिडेंट जियाउर रहमान की बीवी बेगम खालिदा जिया हमारे बीच मौजूद हैं।

पहली बार साथ दिखे मोहम्मद यूनुस और खालिदा जिया, क्या शेख हसीना के दुश्मनों का हो रहा गठजोड़?

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शेख हसीना ने 15 साल तक बांग्लादेश की सत्ता संभाली। इतने सालों के बाद अगस्त में तख्तापलट के बाद शेख हसीना को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। जून के महीने से शुरू हुआ आरक्षण विरोधी आंदोलन अचानक हिंसक हो गया, आंदोलनकारियों ने शेख हसीना से इस्तीफे की मांग की। 5 अगस्त को हिंसक भीड़ राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ रही थी कि अचानक शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया। हसीने के देश छोड़ने के बाद उनके दुश्मन अब एक जुट होने लगे हैं। अवामी लीग के नेता की सबसे बड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया और अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस एक साथ नजर आए।

गुरुवार को बांग्लादेश के ढाका कैंटोनमेंट में सेनाकुंजा में आर्म्ड फोर्स डे का आयोजन किया गया। आर्मी के इस सालाना आयोजन में शेख हसीना की सबसे बड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी खालिदा करीब 12 साल में पहली बार शामिल हुईं। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्षी नेता खालिदा जिया , जो कई बीमारियों से जूझ रही हैं, गुरुवार को छह साल में पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आईं। वह अपनी पुरानी विरोधी शेख हसीना के जाने के बाद नजरबंदी से रिहा हुईं हैं।

खास बात ये है कि इस कार्यक्रम में उनके ठीक बगल वाली कुर्सी पर अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस मौजूद रहे। इस दौरान मोहम्मद यूनुस और खालिदा जिया मंच पर कुछ बातें भी करते नज़र आए। यही नहीं, कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने खास तौर पर खालिदा जिया का जिक्र किया।

मुख्य सलाहकार नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस ने कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में पूर्व पीएम खालिदा जिया की जमकर तारीफ की। उन्होंने संबोधन में खालिदा का जिक्र करते हुए कहा, हम खास तौर पर भाग्यशाली और गौरवान्वित हैं कि तीन बार की पीएम, फ्रीडम फाइटर और शहीद प्रेसिडेंट जियाउर रहमान की बीवी बेगम खालिदा जिया हमारे बीच मौजूद हैं।

चुनाव से पहले 'आप' का बड़ा दांव, लॉन्च किया 'रेवड़ी पर चर्चा' कैंपेन

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दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का अभी ऐलान तो नहीं हुआ है लेकिन सियासी बिसात बिछने लगी है। खासकर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी एक्शन मोड में नजर आ रही हैं। आम आदमी पार्टी ने उम्मीदवारों की एक लिस्ट भी जारी कर दी है। अब आम आदमी पार्टी ने नयां दाव चला है। पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर 'रेवड़ी पर चर्चा' नामक चुनावी कैंपेन लांच किया।

अरविंद केजरीवाल लगातार बीजेपी को घेरने में भी जुटे हैं। इस कड़ी में उन्होंने ‘मुफ्त की रेवड़ियों’ को लेकर बीजेपी पर हमला बोला है।पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पीएम मोदी कई बार ये कह चुके हैं कि केजरीवाल मुफ्त की रेवड़ी दे रहे हैं, ये बंद होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता हमें बताए कि ये मुफ्त की रेवड़ी चाहिए या नहीं। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी की कहती है कि ये मुफ्त की सुविधाएं बंद होनी चाहिए। अगर दिल्ली में बीजेपी की सरकार आ गई तो ये मुफ्त की सुविधाएं बंद कर देगी। उन्होंने कहा कि बीजेपी की 20 राज्यों में सरकार है उसने ये मुफ्त सुविधाएं किसी भी राज्य में नहीं दी है तो दिल्ली में भी नहीं देगी।

बीजेपी शासित 20 राज्यों में मुफ्त रेवड़ी नहीं-केजरीवाल

केजरीवाल ने कहा, जनता का पैसा, जनता की रेवड़ी.. तो उस पर हक भी जनता का ही है। जब दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी, तब रोजाना 8 से 10 घंटे बिजली कटती है। बीजेपी शासित 20 राज्यों में भी एक भी राज्य ऐसा नहीं है, जहां 24 घंटे बिजली आती है। केजरीवाल ने उन 6 योजनाओं के नाम भी बताए, जिनको खुद उन्होंने मुफ्त की रेवड़ियां कहा है।

कुल 65,000 बैठकें होंगी

केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में चुनाव आ गए हैं। हम आज दिल्ली भर में एक नया अभियान शुरू कर रहे हैं। यह 'रेवड़ी पे चर्चा' है। हर गली, हर मोहल्ले और हर सोसायटी में कुल 65,000 बैठकें होंगी। पर्चे बांटे जाएंगे। इनके जरिए हमारे कार्यकर्ता लोगों के बीच जाएंगे और लोगों को बताएंगे कि हमने दिल्ली में बहुत काम किया है। हमने दिल्ली के लोगों को छह मुफ्त 'रेवाड़ियां' दी हैं। हम दिल्ली के लोगों से पूछना चाहते हैं कि उन्हें ये 'रेवड़ियां' चाहिए या नहीं। 

केजरीवाल ने गिनाईं ‘6 रेवड़ियां’

1. ⁠चौबीस घंटे मुफ्त बिजली

2. मुफ्त पानी

3. अच्छी और शानदार मुफ्त शिक्षा

4. शानदार मोहल्ला क्लीनिक और सरकारी अस्पताल

5. ⁠महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा

6. बुजुर्गों को मुफ्त तीर्थ यात्रा

मणिपुर में कैसे थमेगी हिंसा? तैयार की जा रही महिला ब्रिगेड, दी जा रही हथियार चलाने की ट्रेनिंग

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मणिपुर एक बार फिर हिंसा की आग में झुलस रहा है। कुछ दिनों पहले मैतेई समुदाय की महिलाओं और बच्चों के शव मिलने के बाद राज्य में हिंसा भड़क गई। हत्या और आगजनी की घटनाओं से मणिपुर उबल रहा है। इस हिंसा से पूरे राज्य में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। इस बीच एक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है।मणिपुर में हिंसा फैलाने की साजिश रची जा रही है। मणिपुर में बकायदा हिंसा फैलाने के लिए महिला ब्रिगेड तैयार हुई है। कुकी आतंकी संगठनों ने महिला ब्रिगेड तैयार की है। उनको हथियार की ट्रेनिंग दी जा रही है।

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न्यूज18 इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक मणिपुर में कांग्लीपाक नेशनल पार्टी (KNP), कुकी नेशनल फ्रंट (KNF) और यूनाइटेड पीपल पार्टी ऑफ़ कांग्लीपाक (UPPK) ने मणिपुर के कई इलाकों में हिंसा के लिए साजिश रची है। रिपोर्ट में बताया गया है कि यह अपनी आतंकी गतिविधियाँ फंड करने के लिए बाहर से आने वाले कामगारों से वसूली करना चाहते हैं। यह संगठन नेपाल और बिहार से मणिपुर पहुँचने वाले व्यापारियों से ₹1-1.5 लाख/महीने का वसूलने की साजिश रच चुके हैं। इसके अलावा यह सुरक्षाबलों की गतिविधियों पर की जासूसी भी कर रहे हैं।

रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ है कि मणिपुर में 15 से 20 साल की लड़कियों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। मणिपुर में चल रही लड़कियों की ट्रेनिंग पूरे 45 दिनों की है। ट्रेनिंग के हर बैच में 50-50 लड़कियां को शामिल किया गया है। ये ट्रेनिंग सेंटर रहत शिविर में मणिपुर के याइथिबी लौकोल,थाना खोंगजाम, जिला काकचिंग में खेले गए हैं। ये ट्रेनिंग सरकार द्वारा बनाए गए राहत शिविरों में आयोजित किया जा रहा है।रिपोर्ट के मुताबिक लड़कियों का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें सीधे संगठन में शामिल नहीं किया जाता है।

कुकी संगठनों ने यह सोच कर यह ट्रेनिंग दी थी कि यदि महिलाएँ सुरक्षाबलों पर हमला करेंगी तो वह वापस जवाब भी देने में हिचकिचाएँगे और बाद में विक्टिम कार्ड भी खेला जा सकेगा। दरअशल, इस तरह के हालात पहले बी पैदा हुए हैं। कई बार महिलाओं ने सुरक्षाबलों का रास्ता रोका है। 30 अप्रैल 2024 को भारतीय सेना अपने साथ वो हथियार और गोला बारूद लेकर जा रहे थे, जो उन्होंने बिष्णुपुर में कुछ वाहनों से जब्त किए थे। लेकिन, इस बीच रास्ते में महिलाओं का एक ग्रुप आया और काफिला रोककर 11 उपद्रवियों को रिहा कराया।

मणिपुर मुद्दे को सनसनीखेज बना रही है कांग्रेस', मल्लिकार्जुन खरगे की चिट्ठी पर जेपी नड्डा का जवाब

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मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़क गई है। मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा था। अपने खत खरगे ने राष्ट्रपति मुर्मू से मणिपुर में तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह किया था। जिस पर अब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने खरगे को पत्र लिखा है।बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मणिपुर में जारी हिंसा पर कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे गए पत्र की आलोचना की। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर हमला करते हुए कहा कि पार्टी राज्य में चल रहे तनाव और अशांति के बीच इस मुद्दे को 'सनसनीखेज' बनाने की कोशिश कर रही है।

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पत्र में नड्डा ने लिखा, इस साल की शुरुआत में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर में हिंसा के मुद्दे को संबोधित कर रहे थे, तब आप और आपकी पार्टी ने जिस अपमानजक और गैर-जिम्मेदाराना तरीके वॉकआउट किया था, उसे प्रत्यक्ष रूप से देखने के बाद इस मुद्दे पर राष्ट्रपति को संबोधित आपका पत्र देखना मेरे लिए हैरान करने वाला है। कांग्रेस के नेताओं की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर अनगिनत अपमानजनक टिप्पणियां की गई हैं, फिर भी आपके पत्र को देखकर यह देखकर खुशी हुई कि आपकी पार्टी ने भारत के सर्वोच्च संविधानिक पद और उस पर बैठे प्रतिष्ठित व्यक्ति को कुछ तो सम्मान दिखाया है।

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पत्र में लिखा है कि मणिपुर अभी भी स्थानीय मुद्दों से निपटने में सत्ता में रहने के दौरान कांग्रेस की उस विफलता को महसूस कर रहा है। ऐसा लगता है कि आप आपकी पार्टी और कांग्रेस सरकार दोनों ने 90 के दशक में और यूपीए सरकार के समय किए गए गलत फैसलों को भूल रही है। मैं आपकी पार्टी को याद दिलाना चाहता हूं कि कांग्रेस की इस बड़ी नाकामी के परिणाम आज मणिपुर में महसूस किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि कांग्रेस नेता ये भूल गए हैं कि उनकी सरकार ने न सिर्फ बाहरी आतंकियों के भारत में अवैध प्रवास को वैध बनाया, बल्कि तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने उनके साथ संधि भी की।

नड्डा ने आगे लिखा है कि कांग्रेस नेताओं का मणिपुर पर स्टैंड विदेशी और विभाजनकारी शक्तियों के गठजोड़ को मजबूती देती है। देश को कमजोर करने वाली शक्तियों के प्रयास को हम सफल नहीं होने देंगे। नड्डा ने लिखा है कि यह हमारे देश के लोगों को जानने का हक है, कि सत्ता के लिए कांग्रेस की प्यास या सावधानीपूर्वक तैयार की गई, रणनीति का हिस्सा तो नहीं?, कि लोगों को विभाजित करें और हमारे लोकतंत्र को किनारे कर दें। कांग्रेस नेताओं का यह पैटर्न विदेशी गठजोड़ का समर्थन और प्रोत्साहन करता है। जो ताकतें भारत की प्रगति को पटरी से उतारना चाहती हैं, वह वास्तव में चिंताजनक है।

नड्डा ने कहा कि केंद्र और मणिपुर सरकार हिंसा के बाद से ही हालात को नॉर्मल करने और लोगों की सुरक्षा को लेकर काम कर रही है। पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमारे पूर्वोत्तर क्षेत्र ने हर क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखा है, चाहे वह अर्थव्यवस्था हो, सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा या विकास के अवसरों तक पहुंच हो। हमारे पूर्वोत्तर में गोलीबारी और विस्फोट रोजमर्रा की बात बन गए थे,वहां देश की आजादी के बाद वहां पहली बार शांति, समृद्धि और प्रगति देखी जा रही है।

प्रदूषण पर दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, दिए जरूरी दिशानिर्देश

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दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के हलफनामे पर नाराजगी जताई। जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सवाल किया कि दिन के समय भी ट्रकों की आवाजाही क्यों हो रही है? सुप्रीम कोर्ट ने एंट्री प्वाइंट पर लापरवाही को लेकर भी नाराजगी जताई। कोर्ट ने दिल्ली सरकार और पुलिस से 113 एंट्री प्वाइंट्स पर सख्त निगरानी सुनिश्चित करने को कहा है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि राजधानी में ट्रकों की एंट्री कैसे रोकी जा रही है। इस पर दिल्ली सरकार ने कहा कि सभी मालवाहक वाहनों को रोका जा रहा है। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वीडियो में ट्रक वाले कह रहे हैं कि पुलिस को 200 रुपये देकर एंट्री कर रहे हैं।

दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए अदालत ने कहा कि पिछले आदेश का अनुपालन दिखाया जाए, जिसमें हमने कहा था कि आप टीमें बनाएं और सुनिश्चित करें कि इन चीजों की निगरानी हो और उन पर नियंत्रण रखा जाए। आपका हलफनामा बहुत अस्पष्ट है। यह भी नहीं बताया कि कितने चेकपोस्ट बनाए हैं। ⁠अगर वहां तैनात अधिकारियों को आवश्यक वस्तुओं की छूट के बारे में पता नहीं है तो आप जो प्रतिबंध बता रहे हैं वह पूरी तरह से मनमाना है। सभी कर्मचारियों को स्पष्ट बताया जाए कि क्या सामान लेकर जा रहे ट्रकों की एंट्री हो सकती है।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में भयानक रूप ले रहे प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कुछ दिशानिर्दश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि वे दिल्ली में प्रवेश के सभी 113 बिंदुओं पर तुरंत चेकपॉइंट स्थापित करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रवेश बिंदुओं पर तैनात कर्मियों को आवश्यक वस्तुओं के अंतर्गत स्वीकार्य वस्तुओं के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 113 प्रवेश बिंदुओं में से 13 प्रमुख प्रवेश बिंदुओं पर निगरानी रखी जाती है ताकि ग्रैप चरण IV के खंड A और B का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लगभग 100 प्रवेश बिंदु मानव रहित हैं और ट्रकों के प्रवेश की जांच करने वाला कोई नहीं है।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर के दूसरे राज्यों से 3 दिन में हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने यह बताने को कहा था कि उन्होंने इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की है। कोर्ट ने एनसीआर के सभी राज्य के 12वीं तक की कक्षाओं को ऑनलाइन मोड में चलाने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकार दफ्तरों में 50% कर्मचारियों के साथ काम करने पर भी विचार करें।

कौन होगा महायुति का मुख्यमंत्री? फडणवीस, शिंदे या अजित, नतीजों से पहले कुर्सी के खींचतान

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महाराष्‍ट्र में वोटों की गिनती से पहले महायुति और महाविकास अघाड़ी के सामने सबसे बड़ा सवाल ये है कि मुख्‍यमंत्री पद का दावेदार कौन होगा? वोटों की गिनती शनिवार को होगी, तब पता चलेगा कि किस खेमे को जनता ने चुना है। लेकिन इससे पहले सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महाविकास अघाड़ी के भीतर इस बात को लेकर मतभेद उभर आए हैं कि अगली सरकार का नेतृत्व कौन करेगा, क्योंकि दोनों खेमों के दल मुख्यमंत्री पद पर दावा कर रहे हैं। 

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महाराष्ट्र में सीएम की कुर्सी भी नंबर गेम में फंसी है। महायुति और महा विकास अघाड़ी दोनों गठबंधनों ने सीएम चेहरे का नाम उजागर नहीं किया है। सभी पार्टियां अपने-अपने स्तर पर अपने शीर्ष नेताओं को सीएम प्रोजेक्ट कर रही हैं। महा विकास अघाड़ी में उद्धव ठाकरे, नाना पटोले, पृथ्वीराज चौहान जैसे दावेदार हैं तो महायुति में एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फड़णवीस और अजीत पवार भी सीएम की रेस में हैं।

अधिकांश एग्जिट पोल ने भविष्यवाणी की है कि बीजेपी की अगुवाई वाली महायुति सत्ता बरकरार रखेगी। एग्जिट पोल ने बीजेपी के लिए सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने का भी दावा किया है। ज्यादातर राजनीतिक पंडितों का भी मानना है कि बीजेपी ही अकेली सबसे ज्यादा विधायकों वाली पार्टी होगी, लेकिन कोई यह दावा नहीं कर रहा कि बीजेपी सिर्फ अपने विधायकों के दम पर सरकार बना लेगी।

अगर बीजेपी के 100 से कम विधायक जीतकर आते हैं, तो खेल दिलचस्प होगा। बीजेपी सत्ता के लिए फिर शिंदे और अजित पर निर्भर हो जाएगी। इस निर्भरता की कीमत उसे फिर मुख्यमंत्री पद देकर चुकानी पड़े, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। मराठा मुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे और अजीत पवार दोनों ही तैयार बैठे हैं। 

महाराष्ट्र का अगला सीएम कौन होगा, जनता ने किसको कितने नंबर दिए हैं, इस पर सारा खेला निर्भर है। इस बार बड़ी संख्या में बागी और निर्दलीयों ने चुनाव लड़ा है, अगर वे अच्छी-खासी संख्या में जीते, तो शिंदे और अजित से पहले बीजेपी उन्हें ही पसंद करेगी। उन्हें साथ लेकर बीजेपी अपना सीएम बनाने की कोशिश करेगी। अगर निर्दलीयों के दम पर सरकार बनी, तो निर्विवाद रूप से देवेंद्र फडणवीस सीएम पद की पहली पसंद होंगे।

वहीं, इस गठबंधन में सीएम पद को लेकर चल रही सुगबुगाहट के बीच बारामती में कुछ पोस्टर्स लगे हैं जिसमें लिखा है प्रदेश के अगले सीएम राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष अजित पवार होंगे। पोस्टर ऐसे समय में लगाया गया है, जब राज्य में राजनीतिक हलचल तेज है और अजित पवार की मुख्यमंत्री पद की संभावनाओं को लेकर चर्चा हो रही है। इन पोस्टरों के जरिए यह संकेत दिया जा रहा है कि अजित पवार को पार्टी और समर्थकों की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा है। अलग-अलग जगह लगे इन पोस्टर में लिखा गया है कि अजित पवार का लगातार आठवीं बार विधायक चुनकर आने के लिए अभिनंदन।

अजित पवार महाराष्ट्र में चार बार के उपमुख्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री बनने की इच्छा वो कई बार मंच से कर चुके हैं। चाचा शरद पवार से अलग होने के बाद अजीत पवार और उनके कार्यकर्ताओं की इच्छा है कि प्रदेश की कमान उन्हें सौंपी जाए।

इससे पहले देवेंद्र फडणवीस के कार्यकर्ताओं ने उन्हें भावी मुख्यमंत्री बताते हुए बैनर लगाए थे। विधानसभा चुनावी नतीजों को लेकर कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर है। ऐसे में राज्य में भावी मुख्यमंत्री के बैनर दिखने से राजनीतिक माहौल गरमाने की आशंका जताई जा रही है।

महाराष्ट्र में नतीजों से पहले सियासी हलचल तेज, सबके अपने-अपने दावा

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव संपन्न हो गए। अब नतीजों का इंतजार है। एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में ज्यादातर एग्जिट पोल में महायुति की जीत की भविष्यवाणी की गई है। हालांकि, एग्जिट पोल के नतीजे सही होंगे या नहीं, 23 नवंबर को यह साफ हो जाएगा। इससे पहले राज्य में सियासी हलचल तेज है।

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एग्जिट पोल के नतीजों पर उद्धव वाली शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में एमवीए की सरकार बनेगी। हमें 160 सीटें मिल रही हैं। महाराष्ट्र बड़ा राज्य है। एमवीए के सभी विधायकों को जीत के बाद मुम्बई आएंगे। उनके ठहरने के लिए यहाँ व्यवस्था की जा रही है। वो मुम्बई आएंगे तो उनके ठहरने की व्यवस्था की जा रही है। कल सुबह 10 बजे मुख्यमंत्री कौन होगा? यह हम बताएंगे। मुख्यमंत्री बनाने को लेकर एमवीए में कोई फार्मूला तय नहीं हुआ है। ऐसा नहीं कि जिसकी सीट ज़्यादा होगी उसका ही सीएम बनेगा। एमवीए सभी नेता एक साथ बैठेंगे, फिर मुख्यमंन्त्री कौन बनेगा… यह तय करेंगे?

खोखे वालों का प्रेशर भी रहेगा-राउत

वहीं, संजय राउत ने आगे कहा कि खोखे वालों का प्रेशर भी रहेगा। कई लोग बाहर से भी आएंगे तो कहां रहेंगे, इसके लिए हम होटल में व्यवस्था बना रहे हैं। हमारा पूरा बहुमत रहेगा। सब एक साथ मिलकर रहेंगे। वहीं, वंचित बहुजन आघाड़ी को लेकर राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर ने ये तो नहीं कहा कि बीजेपी के साथ जा रहे हैं। सरकार बनाने से हमें कोई रोक नहीं सकता। हमारे छोट-छोटे घटक दल भी होंगे। बाद में बैठ कर विचार करेंगे। हमारा डॉयलॉग सभी से चल रहा है जो लोग मजबूत स्थिति में हैं। सब मिलकर सीएम पद का चेहरा चुनेंगे। अभी तक किसी फॉर्मूले को लेकर कोई चर्चा नहीं है। ये महाराष्ट्र है, महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर यहां वोट किया है।

बीजेपी के होर्डिंग्स पर फडणवीस की तस्वीरें

महाराष्ट्र चुनाव को लेकर आए तमाम एग्जिट पोल में बीजेपी के अगुवाई वाले महायुति की सरकार बनाने की संभावना जताई गई है। ऐसे में बीजेपी के अगुवाई वाले महायुति के लिए सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर मुख्यमंत्री कौन बनेगा। बीजेपी ने इन चुनावों में सबसे ज्यादा सीटों (152) पर चुनाव लड़ा है और उसे उम्मीद है कि वह करीब 100 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। बारामती में अजीत पवार के ‘भावी मुख्यमंत्री’ के पोस्टर लगाए गए हैं। अलग-अलग जगह लगे इन पोस्टर में लिखा गया कि अजित पवार को लगातार आठवीं बार विधायक चुनकर आने के लिए अभिनंदन, इन पोस्टर के बाद महायुति के अंदर इनकी जमकर चर्चा हो रही है।

शिंदे कैंप का दावा- एकनाथ शिंदे ही रहेंगे सीएम

वहीं, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) ग्रुप के कुछ विधायकों ने जैसे संजय शिर्सेट ने कहा कि शिंदे ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे। क्योंकि वे बहुत ज्यादा लोकप्रिय हैं और इस पद पर बने रहना उनका हक है। शिंदे ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा है कि महायुती खेमे में सीएम पद को लेकर कोई खींचतान नहीं है और नतीजे आने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।