डोनाल्ड ट्रंप कैसे पूरा करेंगे अपना वादा, लाखों अवैध प्रवासियों को निकालना होगा कितना मुश्किल?
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डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जीता है। वे जनवरी महीने में अपना पदभार ग्रहण करेंगे। दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन में ट्रंप अपनी आक्रामक नीतियों को लागू करेंगे। वे जो बाइडन प्रशासन के कई फैसलों को पलटने की तैयारी में हैं। अर्थव्यवस्था, विदेश नीति और महंगाई को लेकर ट्रंप बड़ा फैसला लेंगे। ट्रंप के प्लान में प्रवासियों का बड़े पैमाने पर निर्वासन भी शामिल है। डोनाल्ड ट्रंप सबसे पहले आव्रजन और उर्जा नीति में बदलाव करेंगे।
डोनाल्ड ट्रंप 2015 से ही आव्रजन पर सख्त रुख अपनाए हुए हैं। ट्रंप ने भारी संख्या में अवैध प्रवासियों को अमेरिका से निकालने का वादा किया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि ट्रंप सबसे पहले इसी पर काम करेंगे। चुनाव जीतने के बाद अपने भाषण में भी डोनाल्ड ट्रंप ने बिना प्राधिकरण के देश में रहने वाले विदेशियों के खिलाफ आलोचना की और चेतावनी दी कि अनियंत्रित आप्रवासन "हमारे देश के खून में जहर घोल रहा है" और इसे रोका जाना चाहिए। ट्रंप कह चुके हैं कि "पहले ही दिन, हम अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा निर्वासन अभियान शुरू करेंगे।"
दुनिया का सबसे बड़ा निर्वासन अभियान चलाने की प्लानिंग कर चुके डोनाल्ड ट्रंप ने इसके लिए टॉम होमन को जिम्मा सौंपा है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) के निदेशक टॉम होमन को "सीमा ज़ार" के रूप में नियुक्त करेंगे जो देश की सीमाओं के प्रभारी होंगे। टॉम होमन ने कहा कि उनका प्रशासन पहले उन 4 लाख 25 हजार अवैध प्रवासियों को निर्वासित करेगा। ये वे आंकड़े हैं जिनके खिलाफ आपराधिक रिकॉर्ड हैं।
ट्रंप इस मुद्दे को लेकर जितनी मुखरता दिखा रहे हैं, उसके रास्ते में कई कानूनी अड़चनें आने और हिंसक झड़पें होने के आसार हैं। केवल अवैध आप्रवासियों में ही नहीं बल्कि वैध रूप से अमेरिका आकर काम कर रहे और आगे यहां स्थायी रूप से बसने के लिए ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे लोगों के बीच भी संशय पैदा हो गया है। हालात यह हो गए हैं कि इससे बचने के रास्ते तलाशने के लिए आप्रवासन मामलों के वकीलों के पास सलाह लेने वालों का तांता लगने लगा है और इसके साथ ही अफवाहों का बाजार गर्म हो रहा है। ऐसी अफवाहें भी फैल गई हैं कि जन्म से नागरिकता दिए जाने की व्यवस्था भी ट्रंप सरकार खत्म करने जा रही है जबकि ऐसा कोई सरकारी एजेंडा नहीं है।
ट्रंप और नव-निर्वाचित उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने आपराधिक रिकॉर्ड वाले 50 लाख से लेकर 10 लाख तक अवैध आप्रवासियों को गिरफ्तार कर निर्वासित करने की शुरुआत करने की बात कही है। ट्रंप इस मुद्दे को लेकर जितनी मुखरता दिखा रहे हैं, उसके रास्ते में कई कानूनी अड़चनें आने और हिंसक झड़पें होने के आसार हैं। ट्रंप ने अपने सबसे बड़े चुनावी वादे को पूरा करने की अहम जिम्मेदारी टॉम होमन को सौंपी है। उन्हें सीमा सुरक्षा विभाग का मुखिया चुना है। साथ ही यह भी कहा है कि वह बार्डर जार साबित होंगे यानि की एक ऐसी शख्सियत जिन्हें निर्वासन प्रक्रिया के लिए जरूरी सभी अधिकार दिए जाएंगे। इन्हीं होमन और उनके परिवार को पिछले कुछ दिनों में जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जब कार्रवाई शुरू होगी तो ऐसे मामले तेजी से बढ़ेंगे।
वहीं, अवैध प्रवासियों का सामूहिक निर्वासन अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। दरअसल, अमेरिका में निर्माण कार्यो और खेती बाड़ी जैसे क्षेत्र तो पूरी तरह से आप्रवासी श्रमिकों पर ही टिके हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये लोग स्थानीय लोगों की तुलना में कम पैसों में काम करने को राजी हो जाते हैं। ऐसे में कारोबारियों के लिए ये सस्ते में उपलब्ध श्रमिक होते हैं। इनमें से ज्यादातर अवैध रूप से मेक्सिको के रास्ते घुस आए आप्रवासी हैं। कई को दो साल तक के लिए अमेरिका में काम करने का अस्थायी लाइसेंस मिला हुआ है लेकिन जिनकी यह अवधि खत्म हो रही है, वह ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से बेहद चिंतित नजर आ रहे हैं। इससे
ट्रंप को अपना वादा पूरा करने के लिए उनके प्रशासन को आव्रजन अदालत प्रणाली का विशाल विस्तार करना होगा। वह नए न्यायाधीशों की एक बड़ी सेना कैसे जुटाएंगे, यह अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है। बड़े पैमाने पर कार्यस्थल पर छापेमारी सहित गैर-दस्तावेज आप्रवासियों को ढूंढना और उनका पता लगाना, आईसीई एजेंटों का काम होगा। उनकी संख्या, जो अब लगभग 20,000 है, बहुत अधिक बढ़ानी होगी, शायद दोगुनी या तिगुनी। ट्रम्प के कार्यालय संभालने के समय इतने सारे एजेंटों की भर्ती करना उतना ही असंभव है जितना कि आप्रवासन न्यायाधीशों की एक बड़ी सेना को खड़ा करना। ये केवल दो बाधाएं हैं जिन्हें विशेषज्ञ ट्रम्प के नए कार्यकाल की शुरुआत में बड़ी कार्रवाई की संभावना पर संदेह के कारणों के रूप में उद्धृत करते हैं।
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