शेख हसीना के जाने के बाद समुद्री रास्ते करीब आ रहे पाकिस्तान-बांग्लादेश, भारत को कैसे हो सकता है ख़तरा?

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हाल में पाकिस्तान के बंदरगाह शहर कराची से कंटेनरों से लदे एक जहाज ने करीब 53 साल बाद बांग्लादेश के सबसे बड़े चटगांव बंदरगाह पर लंगर डाला। 53 साल बहुत लंबा समय है, जब दोनों देशों के बीच पहला सीधा समुद्री संपर्क हुआ है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधा समुद्री संपर्क एक ऐतिहासिक बदलाव का संकेत है। 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के बाद खराब हुए रिश्तों को फिर से बहाल करने की कोशिश है। इसने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ने की उम्मीदें बढ़ी हैं। हालांकि, इसने भारत की चिंता ज़रूर बढ़ा दी है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के इस फैसले का दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। बांग्लादेश की भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से निकटता के चलते राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल भी है।

क्या आया जहाज में

एक 182 मीटर (597 फुट) लंबा कंटेनर जहाज युआन जियांग फा झान पाकिस्तान के कराची से बांग्लादेश के चटगांव के लिए रवाना हुआ था। एएफपी ने चटगांव के शीर्ष अधिकारी उमर फारूक के हवाले से बताया कि जहाज ने बंदरगाह छोड़ने से पहले 11 नवंबर को बांग्लादेश में अपना माल उतार दिया था। चटगांव बंदरगाह अधिकारियों ने कथित तौर पर कहा कि जहाज पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात से सामान लेकर आया है, जिसमें बांग्लादेश के प्रमुख कपड़ा उद्योग के लिए कच्चा माल और बुनियादी खाद्य पदार्थ शामिल हैं।

पाकिस्तान ने बताया बड़ा कदम

पाकिस्तानी माल को बांग्लादेश ले जाने से पहले आमतौर पर श्रीलंका, मलेशिया या सिंगापुर में फीडर जहाजों पर भेजा जाता था। हालांकि, सितंबर में बांग्लादेश ने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली नई अंतरिम सरकार के तहत, पाकिस्तानी सामानों पर आयात प्रतिबंधों में ढील दे दी थी। सीधे समुद्री संपर्क को खोलने को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का पाकिस्तान के साथ मजबूत संबंध बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। ढाका में पाकिस्तान के दूत सैयद अहमद मारूफ की एक सोशल मीडिया पोस्ट की बांग्लादेश में सोशल मीडिया की खूब चर्चा हुई है, जिसमें सीधे शिपिंग मार्ग को दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए "एक बड़ा कदम" बताया गया है।

दोनों देशों के बीच सीधा समुद्री संपर्क

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और बांग्लादेश के आज़ाद होने के बाद यह पहला मौका है जब दोनों देशों के बीच सीधा समुद्री संपर्क कायम हुआ है।सीधे समुद्री लिंक स्थापित कर यूनुस सरकार पाकिस्तान के साथ रिश्ते मजबूत करना चाहती है। सवाल उठता है आखिर क्यों?

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ती नज़दीकियों को समझने के लिए हमें अतीत में झांकना होगा।1971 के युद्ध और बांग्लादेश के स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर उभरने के बाद पाकिस्तान के साथ उसके रिश्तों में हमेशा खटास रही है। नौ महीने तक चले मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तान सेना के अत्याचार की यादें बांग्लादेश के लोगों के मन में गहराई तक बसी हैं। पाकिस्तानी सेना के हाथों करीब 30 लाख लोग मारे गए और हज़ारों को अत्याचार और बलात्कार झेलना पड़ा। इससे बचने के लिए लाखों लोग देश छोड़कर पलायन कर गए थे।

बांग्लादेश में पाकिस्तान के लिए प्रेम कभी नहीं रहा

1971 की जंग में भारत ने बंगाली स्वतंत्रता सेनानियों की मदद की थी। तब पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाने वाला बांग्लादेश पश्चिमी पाकिस्तान के साथ नौ महीने के युद्ध के बाद एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। बांग्लादेश का जनक कहे जाने वाले शेख मुजीबुर रहमान के नेहरू-गांधी परिवार से निजी संबंध थे। युद्ध के बाद बने बांग्लादेश में पाकिस्तान के लिए प्रेम कभी नहीं रहा। रहमान की अवामी लीग का केंद्रीय राजनीतिक एजेंडा ही क्रूर युद्ध के दौरान पाकिस्तान द्वारा किए गए अत्याचारों के लिए न्याय की मांग करना था। 1996-2001 और फिर 2009-2024 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना, उन्हीं रहमान की बेटी हैं। वह भारत की हिमायती रही हैं और पाकिस्तान को लेकर सतर्क।

हसीना की भारत से नज़दीकियां बहुतों को खली

सत्ता में रहने के दौरान शेख़ हसीना ने 1971 के युद्ध अपराधियों को चुन-चुन कर सज़ा दी। वर्ष 2010 में उन्होंने ऐसे लोगों को सज़ा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण का गठन किया और पाकिस्तान समर्थक जमात-ए-इस्लामी पर पाबंदी लगा दी। हसीना के सत्ता में रहते हुए बांग्लादेश और भारत के संबंध काफी मजबूत बने। ये नई दिल्ली से दोस्ताना रिश्‍ते ही थे। लेकिन बांग्लादेश में एक तबका ऐसा भी था जिसे हसीना की भारत से बढ़ती नज़दीकियां पसंद नहीं थीं। यही आगे चलकर वहां भारत-विरोधी अभियान की वजह बनी।

बांग्लादेश में हुए हालिया प्रदर्शनों से भी संकेत मिला कि शायद बांग्लादेश की एक बड़ी आबादी अवामी लीग के विचारों से सहमत नहीं है। हसीना की भारत से नजदीकियां भी बहुतों को अखर रही थीं। बांग्लादेश में बढ़ती 'भारत विरोधी' भावना तब खुलकर सामने आई जब अगस्त में भीड़ ने ढाका के इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र में तोड़फोड़ की और आग लगा दी।

पाकिस्तान से सहयोग मजबूत करना चाहते हैं यूनुस

हसीना के जाने के बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार गठित की गई। जमात-ए-इस्लामी, जिसने बांग्लादेश के निर्माण का विरोध किया था, की ढाका में हसीना के बाद की सरकार में मजबूत उपस्थिति है। यूनुस सरकार ने पाकिस्तान से रिश्ते मजबूत करने चाहे। इसी साल सितंबर में, संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और यूनुस ने द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की थी।

भारत को कैसे खतरा?

भारत पहले से ही पाकिस्तान से चलने वाली आतंकी ट्रेनिंग कैंपों और नारकोटिक्स ट्रेड से परेशान है। ऐसे में इस्लामाबाद और ढाका के बीच बढ़ते संबंध भारत के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता का विषय बन सकते हैं। भारत की चिंता की वजह यह है कि दोनों देशों के बीच सीधा समुद्री संपर्क कायम होने से खासकर पूर्वोत्तर में सुरक्षा और उग्रवाद को नया ईंधन मिलने की आशंका है। इसकी वजह यह है कि बांग्लादेश का दक्षिण-पूर्वी इलाका पूर्वोत्तर से सटा है। नई दिल्ली के लिए एक और सुरक्षा चिंता क्षेत्र को अस्थिर करने वाली गतिविधियों में पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई की भागीदारी है। आईएसआई इन नजदीकियों का फायदा उठाकर क्षेत्र में अशांति फैलाने की कोशिश कर सकती है। पहले भी बांग्लादेश के जरिए भारत में खलबली मचाने की कोशिश होती रही है। वर्षों से, भारत ने चटगांव बंदरगाह पर गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए शेख हसीना के साथ अपने संबंधों का उपयोग किया है।

मणिपुर हिंसा के बीच संकट में बीरेन सरकार, सीएम की बैठक से गायब रहे 37 में से 19 विधायक*
#manipur_violence_crises_on_nda_govt_bjp_mla_boycott_cm_biren_singh_meeting *
मणिपुर एक साल से ज्यादा समय से सांप्रदायिक हिंसा की जद में है। लंबे समय से हिंसा की घटनाएं वहां निरंतर जारी है। कुछ समय की शांति के बाद हिंसक मामलों में फिर तेजी देखी जा रही है। हिंसा की ताजा घटनाएं उस समय शुरू हुई, जब मैतेय समुदाय से आने वाले 6 लोगों की लाश बरामद की गई। इसके बाद से राज्य का सियासी पारा फिर से गरमा चुका है। इस सियासी घमासान के बीच बीजेपी बुरी तरह से फंसती हुई नजर आ रही है। मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह की ओर से सीएम की अगुवाई वाली एक बैठक रखी गई थी। इस बैठक में 37 में से 19 बीजेपी विधायक गैरहाजिर रहे। मणिपुर हिंसा की आग की आंच अब सरकार पर भी आती दिख रही है।मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की कुर्सी खतरे में नजर आ रही है। राज्य की स्थिति का आंकलन करने के लिए सीएम बीरेन सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को बुलाई गई अहम बैठक में 37 में से 19 बीजेपी विधायक नहीं शामिल हुए। इनमें मुख्य रूप से मैतेई समुदाय से आने वाले एक कैबिनेट मंत्री भी शामिल हैं। सोमवार को एनडीए के कुल 53 विधायकों में से केवल 27 विधायक (सीएम सहित) बैठक में शामिल हुए। इनमें से 18 बीजेपी के, चार-चार एनपीपी और एनपीएफ के और एक निर्दलीय विधायक थे। बैठक में बीजेपी के 19 सदस्यों ने भाग नहीं लिया। इनमें सात कुकी विधायक भी शामिल हैं, जो पिछले साल 3 मई से बैठक से दूरी बनाए हुए हैं। अनुपस्थित रहने वाले अन्य 12 बीजेपी सदस्यों में प्रमुख रूप से बीजेपी के ग्रामीण विकास मंत्री युमनाम खेमचंद सिंह थे। बैठक का निमंत्रण रविवार को मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बीजेपी और एनडीए में उसके सहयोगी दलों के सभी मंत्रियों और विधायकों को तब भेजा गया था। जब उसके प्रमुख सहयोगी एनपीपी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद एनपीपी अध्यक्ष और मेघालय के सीएम कोनराड संगमा ने कहा था कि उनकी पार्टी अब सीएम बीरेन सिंह पर भरोसा नहीं रखती है और नेतृत्व में बदलाव होने पर अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी। जानकारों के मुताबिक पार्टी के भीतर कुछ भी सही नहीं चल रहा है। हाल में हिंसा के बाद से पार्टी के भीतर सीएम और मौजूदा सरकार को लेकर असंतोष की भावना भड़क चुकी है। माना जा रहा है कि इस अंदरूनी कलह की वजह से बीरेन सिंह की सरकार को खतरा भी हो सकता है। पिछले ही दिनों राज्य में बीजेपी की सहयोगी पार्टी एनपीपी ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। इस हालिया घटनाक्रम ने राज्य के सीएम के सिरदर्द को बढ़ा दिया है। मणिपुर के 60 सदस्यीय विधानसभा में 37 विधायक बीजेपी के, सात एनपीपी के, पांच एनपीएफ के, एक जेडी(यू) के और तीन निर्दलीय विधायक हैं। इसके अलावा कांग्रेस के पांच और कुकी पीपुल्स अलायंस के 2 विधायक हैं। एनपीपी अध्यक्ष और मेघालय के सीएम कोनराड संगमा ने बीरेन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी अब सीएम बीरेन सिंह पर भरोसा नहीं रखती है और नेतृत्व में बदलाव होने पर अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी। इसके बाद अब 19 विधायक सीएम की बैठक से शिरकत नहीं करना एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
परिवारवाद की “जंग” का अखाड़ा बना महाराष्ट्र, कहीं चाचा-भजीता तो कहीं पति-पत्नी बीच मुकाबला

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आज राजनीति केवल देश सेवा का माध्यम नहीं है, ये परिवार को “पालने” का बड़ा जरिया बन चुका है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में भी परिवारवाद की सियासी लड़ाई देखी जा रही है। वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप विरोधियों पर मढ़ने वाले भी चुनावी मौसम में तेवर बदल लेते हैं। महाराष्ट्र चुनाव में राजनीतिक पार्टियां पूरी तहर से परिवारवाद की आंच पर रोटियां सेकते नजर आ रही हैं। इस बार की चुनावी जंग में कहीं भाई-बहन तो कहीं से चाचा-भतीजा और कहीं से पति-पत्नी एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं।

अजित पवार का भतीजे से मुकाबला

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे हाई प्रोफाइल मुकाबला चाचा-भतीजे के बीच है। ये जंग राज्य के सबसे पावरफुर पवार परिवार के बीच है। पवार परिवार के बीच हाई-प्रोफाइल मुकाबले में शरद पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) से उम्मीदवार युगेंद्र पवार बारामती सीट पर सत्तारूढ़ राकांपा का प्रतिनिधित्व कर रहे। युगेंद्र पवार अपने चाचा तथा उपमुख्यमंत्री अजित पवार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। अजित पवार सात बार बारामती विधानसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं और एक बार बारामती संसदीय सीट पर भी जीत हासिल की है। यह दूसरी बार है जब पवार खानदान के गढ़ बारामती में परिवार के बीच ही मुकाबला देखने को मिलेगा।

2024 के लोकसभा चुनाव में उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को उनकी ननद और राकांपा (शरदचंद्र पवार) नेता सुप्रिया सुले ने बारामती संसदीय सीट से हराया था। पड़ोसी कर्जत-जामखेड़ में अजित पवार के एक अन्य भतीजे रोहित पवार राकांपा (एसपी) उम्मीदवार के तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राम शिंदे के खिलाफ मुकाबले में हैं। रोहित पवार, शरद पवार के पोते हैं।

पति-पत्नी में कौन जीतेगा जंग?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 की लड़ाई बेहद रोचक बन गई है, क्योंकि छत्रपति संभाजीनगर के कन्नड़ निर्वाचन क्षेत्र से पति-पत्नी ही एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में आमने-सामने आ गए हैं। कन्नड़ निर्वाचन क्षेत्र में निर्दलीय उम्मीदवार हर्षवर्धन जाधव अपनी अलग रह रही पत्नी और शिवसेना उम्मीदवार संजना जाधव के खिलाफ मैदान में हैं।

बता दें कि संजना अपने पति से अलग रह रही है लेकिन अभी दोनों के बीच अभी तलाक नहीं हुआ है। चुनाव प्रचार के दौरान शिवसेना उम्मीदवार संजना जाधव का एक वीडियो भी सामने आया था। इस वीडियो में संजना जाधव रोती हुई नजर आ रही थी। उस दौरान उन्होंने कहा था कि 'मैंने जो कुछ सहा, उसका मुझे कोई इनाम नहीं मिला, लेकिन आप जानते हैं कि मेरी जगह किसने ली। मेरे पिता पर तमाम तरह के आरोप लगाए गए, हमने सह लिया, क्योंकि एक लड़की के पिता को इसे सहना पड़ता है।

महाराष्ट्र में वंशवाद की सियासत

महाराष्ट्र में चुनावी मैदान में कई परिवारों के सदस्य एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे राजनीति में रिश्तेदारों के बीच तकरार और प्रतिस्पर्धा का नया अध्याय जुड़ रहा है। इसके अलावा एक ही परिवार के कई सदस्य अलग-अलग सीटों से भी अपने पारिवारिक बिरासत को आगे ले जानें की होड़े में। इस लिस्ट में ठाकरे परिवार, राणे परिवार, देशमुख परिवार समेत कई परिवार हैं जो वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं।

विलासराव देशमुख के घर में भी परिवारवाद

महाराष्ट्र पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के घर में भी परिवारवाद का बेहतरीन नमूना देखने को मिल रहा है। विलासराव देशमुख के बेटे अमित देशमुख लातूर शहर से मैदान में हैं तो विलासराव के दूसरे बेटे धीरज देशमुख लातूर ग्रामीण से ताल ठोक रहे हैं।

ठाकरे परिवार भी चुनावी जंग में

ठाकरे परिवार के रिश्तेदार भी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से दूर नहीं हैं। मुंबई में ठाकरे परिवार के सदस्य अलग-अलग सीटों से चुनावी मुकाबले में हैं। आदित्य ठाकरे वर्ली से मैदान में हैं तो उनकी मौसी के बेटे वरुण सरदेसाई पार्टी की टिकट पर बांद्रा से चुनाव लड़ रहे हैं। तो आदित्य के चचेरे भाई और राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे एमएनएस के टिकट पर माहिम सीट से मैदान में हैं।

राणे परिवार का भी चुनावी मुकाबला

बीजेपी सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के बेटे नितेश राणे और निलेश राणे क्रमशः शिवसेना और बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर कुडाल और कणकवली सीट से चुनावी मैदान में हैं।

चुनावी मैदान में गावित परिवार

इस तरह महाराष्ट्र के मंत्री विजयकुमार गावित और उनकी बेटी एवं पूर्व सांसद हिना गावित भी चुनावी मैदान में हैं। मंत्री विजयकुमार गावित बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर नंदुरबार सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनकी बेटी हिना गावित निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अक्कलकुवा सीट से चुनावी मुकाबले में हैं।

भुजबल और पाटिल परिवार का चुनावी मुकाबला

एनसीपी के मंत्री छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर भुजबल भी चुनावी मैदान में हैं। छगन भुजबल येवला सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि समीर भुजबल नंदगांव सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, NCP-SP प्रदेश प्रमुख जयंत पाटिल इस्लामपुर से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनके भतीजे और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री प्राजक्त तनपुरे पार्टी के टिकट पर राहुरी से चुनाव लड़ रहे हैं।

चनावी मैदान में शेलार परिवार

बीजेपी के मुंबई इकाई के अध्यक्ष आशीष शेलार और उनके भाई विनोद शेलार क्रमशः वांद्रे (पश्चिम) और मलाड पश्चिम सीट से चुनावी मुकाबले में हैं।

हंबार्डे परिवार का चुनावी मुकाबला*

नांदेड में संतुकराव हंबार्डे और उनके भाई मोहनराव हंबार्डे भी एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मुकाबले में हैं। संतुकराव हंबार्डे नांदेड लोकसभा सीट से उपचुनाव लड़ रहे हैं, जबकि मोहनराव हंबार्डे कांग्रेस के टिकट पर नांदेड दक्षिण विधानसभा सीट से चुनावी जंग में हैं।

जी-20 में हिस्सा लेने के बाद ब्राजील से गुयाना पहुंचे पीएम मोदी, स्‍वागत करने राष्‍ट्रपति से लेकर पूरी कैबिनेट एयरपोर्ट पर उतर आई*
#pm_modi_guyana_visit_president_whole_cabinet_welcome

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को कैरेबिया देश गुयाना पहुंचे। ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19-20 नवंबर की दरम्यानी रात गुयाना रवाना हो गए। जैसे ही उनका विमान गुयाना के अंतरराष्‍ट्रीय अवाई अड्डे पर उतरा, वहां के राष्‍ट्रपति से लेकर पूरी कैबिनेट तक पीएम मोदी के स्‍वागत के लिए तैयार खड़ी नजर आई। *गुयाना के राष्ट्रपति ने किया पीएम मोदी का स्वागत* गुयाना के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफ़ान अली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गले मिलते हुए जॉर्जटाउन, गुयाना में स्वागत किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुयाना के जॉर्जटाउन में औपचारिक स्वागत और गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। पीएम मोदी 56 साल में गुयाना की यात्रा करने वाले पहले भारतीय पीएम हैं. जिसके चलते एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए, राष्ट्रपति इरफान अली और एक दर्जन से ज्‍यादा कैबिनेट मंत्रियों ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। *पीएम मोदी ने जताया आभार* पीएम ने एक्‍स पर लिखा, ‘कुछ समय पहले ही गुयाना पहुंचा हूं। राष्ट्रपति डॉ. इरफान अली, प्रधानमंत्री मार्क एंथनी फिलिप्स, वरिष्ठ मंत्रियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का हवाई अड्डे पर स्वागत करने के लिए आभार। मुझे विश्वास है कि यह यात्रा हमारे देशों के बीच मित्रता को और मजबूत करेगी। अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे और गुयाना की संसद की विशेष बैठक को संबोधित करेंगे। वे दूसरे भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन के लिए कैरेबियाई साझेदार देशों के नेताओं के साथ भी शामिल होंगे। *गुयाना और बारबाडोस पीएम मोदी को करेंगे सम्मानित* गुयाना और बारबाडोस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने सर्वोच्च पुरस्कार प्रदान करेंगे। गुयाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार, "द ऑर्डर ऑफ एक्सीलेंस" प्रदान करेगा। बारबाडोस बारबाडोस के प्रतिष्ठित मानद ऑर्डर ऑफ फ्रीडम से सम्मानित करेगा। डोमिनिका ने भी कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी के लिए अपने शीर्ष पुरस्कार की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री मोदी को मिले अंतरराष्ट्रीय सम्मानों की संख्या 19 हो गई है।
जी-20 में हिस्सा लेने के बाद ब्राजील से गुयाना पहुंचे पीएम मोदी, स्‍वागत करने राष्‍ट्रपति से लेकर पूरी कैबिनेट एयरपोर्ट पर उतर आई

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को कैरेबिया देश गुयाना पहुंचे। ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19-20 नवंबर की दरम्यानी रात गुयाना रवाना हो गए। जैसे ही उनका विमान गुयाना के अंतरराष्‍ट्रीय अवाई अड्डे पर उतरा, वहां के राष्‍ट्रपति से लेकर पूरी कैबिनेट तक पीएम मोदी के स्‍वागत के लिए तैयार खड़ी नजर आई।

गुयाना के राष्ट्रपति ने किया पीएम मोदी का स्वागत

गुयाना के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफ़ान अली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गले मिलते हुए जॉर्जटाउन, गुयाना में स्वागत किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुयाना के जॉर्जटाउन में औपचारिक स्वागत और गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। पीएम मोदी 56 साल में गुयाना की यात्रा करने वाले पहले भारतीय पीएम हैं. जिसके चलते एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए, राष्ट्रपति इरफान अली और एक दर्जन से ज्‍यादा कैबिनेट मंत्रियों ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया।

पीएम मोदी ने जताया आभार

पीएम ने एक्‍स पर लिखा, ‘कुछ समय पहले ही गुयाना पहुंचा हूं। राष्ट्रपति डॉ. इरफान अली, प्रधानमंत्री मार्क एंथनी फिलिप्स, वरिष्ठ मंत्रियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का हवाई अड्डे पर स्वागत करने के लिए आभार। मुझे विश्वास है कि यह यात्रा हमारे देशों के बीच मित्रता को और मजबूत करेगी।

अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे और गुयाना की संसद की विशेष बैठक को संबोधित करेंगे। वे दूसरे भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन के लिए कैरेबियाई साझेदार देशों के नेताओं के साथ भी शामिल होंगे।

गुयाना और बारबाडोस पीएम मोदी को करेंगे सम्मानित

गुयाना और बारबाडोस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने सर्वोच्च पुरस्कार प्रदान करेंगे। गुयाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार, "द ऑर्डर ऑफ एक्सीलेंस" प्रदान करेगा। बारबाडोस बारबाडोस के प्रतिष्ठित मानद ऑर्डर ऑफ फ्रीडम से सम्मानित करेगा। डोमिनिका ने भी कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी के लिए अपने शीर्ष पुरस्कार की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री मोदी को मिले अंतरराष्ट्रीय सम्मानों की संख्या 19 हो गई है।

*जी-20 नेताओं की ग्रुप फोटोः बगल में खड़े थे ट्रूडो, बाइडेन ने मोदी को दी ज्यादा तरजीह*
#pm_modi_justin_trudeau_joe_biden_captured_in_one_frame_in_g20_summit
भारत और कनाडा के बीच दुश्मनी की तलवार खींच गई है। जस्टिन ट्रूडो के खालिस्तान प्रेम की वजह से दोनों देशों के रिश्तों निचले स्तर पर पहुंच चुके हैं। इसका असर ब्राजील में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में भी दिखा। जब कनाडा के पीएम ट्रूडो को भारत ने पूरी तरह से अनदेखा कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन से अलग दुनिया भर के नेताओं से द्विपक्षीय मीटिंग की। पीएम मोदी ने इससे जुड़ी तस्वीरें शेयर की। लेकिन उनकी जस्टिन ट्रूडो से मुलाकात की कोई भी फोटो सामने नहीं आई। जी-20 से जुड़ा एक वीडियो अब वायरल हो रहा है, जिसमें पीएम मोदी जस्टिन ट्रूडो को इग्नोर करते दिख रहे हैं। दरअसल वीडियो तब का है जब जी-20 के सभी मेहमान फोटो खिंचवाने के लिए खड़े हुए थे। ट्रूडो और पीएम मोदी के बीच में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन मौजूद थे। इस दौरान पीएम मोदी के कंधे पर उनका हाथ रखा हुआ था और वह ट्रूडो से कुछ कह रहे थे। पीएम मोदी इस दौरान ट्रूडो को देख रहे थे। वीडियो में दिख रहा है कि बाइडन ने कुछ कहा जिस पर पीएम मोदी हंसने लगे। लेकिन उन्होंने बातचीत को आगे नहीं बढ़ाया। बाद में वह दूसरी तरफ देखने लगे तस्वीर में देखा जा रहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन के दायीं तरफ कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खड़े हैं। वहीं बायीं तरफ पीएम मोदी हैं और उनके साथ ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा भी मौजूद हैं। इस दौरान राष्ट्रपति जो बाइडेन और लूला डी सिल्वा पीएम मोदी का हाथ अपने हाथों में लेकर भारत के साथ अपने मजबूत संबंधों को दर्शाते नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो अपने दोस्त मुल्क अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन के बगल खड़े होकर भी अलग-थलग पड़े दिख रहे हैं। जबकि बाइडेन इस दौरान पीएम मोदी को ट्रूडो से ज्यादा तरजीह देते दिख रहे हैं। इससे ट्रूडो की हंसी में भी निराशा झलकती दिख रही है। दरअसल, जी20 समिट से जो तस्वीर सामने आई है, वह भारत के ग्लोबल दमखम को दिखाती है। जी20 समिट के फोटो में सेंटर में जो बाइडन के साथ पीएम मोदी दिख रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन जिस तरह से पीएम मोदी को इज्जत देते हैं और भारत की अहमियत को समझते हैं, उससे जस्टिन ट्रूडो भी वाकिफ हैं। यही वजह है कि जस्टिन ट्रूडो का पीएम मोदी के सामने जी20 के मंच पर नरम और अलग तेवर दिखा। जी20 के फैमिली फोटो में एक चीज और गौर करने वाली है। इस तस्वीर में पीएम मोदी जो बाइडन के करीब सेंटर में दिख रहे हैं। बता दें कि ब्राजील के रियो डी जेनेरियो पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन में दुनिया भर के नेताओं, पश्चिम और वैश्विक दक्षिण से मुलाकात की है। जी20 शिखर सम्मेलन के लिए पीएम मोदी ने सोमवार को औपचारिक बैठकें और अनौपचारिक बैठकें भी कीं। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी के साथ भी द्विपक्षीय बैठक की। दोनों राष्ट्राध्यक्षों और विदेश मंत्री जयशंकर की मौजूदगी वाले प्रतिनिधिमंडल ने भारत और इटली से जुड़े अहम द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर संक्षिप्त मुलाकात की। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को यहां ब्राजील, चिली और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति से मुलाकात की तथा रक्षा, ऊर्जा, जैव ईंधन एवं कृषि जैसे विविध क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के तौर-तरीकों पर चर्चा की। नाइजीरिया की दो दिवसीय यात्रा के बाद, रविवार को ब्राजील के रियो डी जेनेरियो शहर पहुंचे मोदी ने यहां जी20 शिखर सम्मेलन से इतर राष्ट्रपति लुइज इनासियो लुला डा सिल्वा से मुलाकात की और जी20 की अध्यक्षता के दौरान ब्राजील की ओर से किये गए विभिन्न प्रयासों के लिए उनकी सराहना की।
महाराष्ट्र में चुनाव के बीच फूटा बिटकॉइन का बम, सुप्रिया सुले और नाना पटोले आरोपों के घेरे में, जानें पूरा मामला*
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महाराष्ट्र चुनाव से ठीक एक दिन पहले दो बड़े मामले सामने आए। पहले बीजेपी के दिग्गज नेता और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े पर वोट के बदले नोट का आरोप लगा। उसके कुछ घंटों के बाद पुणे के पूर्व आईपीएस अधिकारी रवींद्र नाथ पाटिल ने महाविकास अघाड़ी के दो बड़े नेता सुप्रिय सुले और नाना पटोले पर क्रिप्टोकरेंसी घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया। पूर्व आईपीएस अधिकारी रविंद्र नाथ पाटिल ने दावा किया कि सुले और पटोले ने 2018 के क्रिप्टोकरेंसी हेरफेर मामले से बिटकॉइन का दुरुपयोग करके महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए धन जुटाया। उस पैसे का इस्तेमाल अब विधानसभा चुनाव में किया जा रहा है। हालांकि, सुले ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) और साइबर क्राइम विभाग में एक आपराधिक शिकायत दर्ज करा दी है। इन आरोपों को लेकर बीजेपी भी महाविकास अघाड़ी पर हमलावर हो गई। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस और महा विकास अघाडी के नेताओं की ओर से तथाकथित बिटकॉइन के कैश ट्रांजैक्शन से जुड़े साक्ष्य, चैट्स और ऑडियो क्लिप्स को मीडिया के सामने रखे हैं। त्रिवेदी ने कहा, एक बहुत ही गंभीर और चिंताजनक तथ्य प्रकाश में आया है जो महा विकास अघाड़ी का असली चेहरा धीरे-धीरे उजागर कर रहा है। इससे यह गंभीर प्रश्न खड़ा हो रहा है। *कांग्रेस से यह सच बताने की मांग* बीजेपी प्रवक्ता ने कांग्रेस से यह सच बताने की मांग की कि क्या वह किसी भी तरह के अवैध बिटकॉइन लेनदेन में शामिल है या मामले में महत्वपूर्ण गवाहों और कानून प्रवर्तन अधिकारियों से जुड़ी हुई है। त्रिवेदी ने कहा, मोहब्बत की दुकान के सामान का भुगतान कहां से किया जा रहा है? कहीं ऐसा तो नहीं कि इस मोहब्बत की दुकान के सामान का भुगतान सात समंदर पार से किया जा रहा हो? मीडिया और न्यूज एजेंसियों की ओर से कुछ लोगों के इंटरव्यू, जिनमें पूर्व अधिकारियों के साक्षात्कार भी शामिल हैं, उनमें जो बातें बताई गई हैं, वह लोकतंत्र के लिए बहुत ही चिंताजनक हैं। इससे इस प्रकार के संकेत मिलते हैं कि मोहब्बत की दुकान का सामान कहीं दुबई से तो नहीं आ रहा है। उन्होंने चुनाव आयोग से भी स्थिति पर कड़ी नजर रखने का आग्रह किया। *बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी से पूछे पांच सवाल* • क्या कांग्रेस के नेता बिटकॉइन के किसी भी ट्रांजेक्शन में शामिल है या नहीं ? • डीलर गौरव मेहता की बात कर रहा है, सुप्रिया सुले का नाम ले रहा है, क्या गौरव नामक व्यक्ति से कोई संपर्क है? • इस प्रकार का कोई भी संवाद किसी भी व्यक्ति से हुआ है या नहीं? • आवाज को लेकर सामने आकर बताना होगा. बड़े लोग शामिल होने का दावा है, ये कौन बड़े लोग है? • चुनाव जीतने की कोई संभावना भी देख रहे होते तो यह काम कभी भी ना करते, साफ दिखता है की ये चुनाव हार रहे है? • डिजिटल इंडिया मोदी लाए लेकिन ये सब तो हाई टेक हो रहा था. कॉइन नहीं बिटकॉइन का मामला है क्या? *सुप्रिया सुले ने आरोपों पर दी सफाई* आरोपों के बाद सुप्रिया सुले ने कहा है कि मतदाताओं को गुमराह करने के लिए झूठी खबरें फैलाई जा रही है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, राज्य में मतदान के कुछ घंटों पहले मतदाताओं को गुमराह करने के लिए झूठी सूचना फैलाने के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। हमने बिटकॉइन के दुरुपयोग के झूठे आरोपों के खिलाफ भारतीय निर्वाचन आयोग और साइबर अपराध विभाग में आपराधिक शिकायत दर्ज कराई है। इसके पीछे की मंशा स्पष्ट है, यह निंदनीय है।
दिल्ली में सरकारी कर्मचारी घर से करेंगे काम, बढ़ते प्रदूषण के बीच सरकार का फैसला

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दिल्ली की हवा में गंभीर रूप से खतरनाक हो गई है। दिल्‍ली और एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए आतिशी सरकार ने बुधवार को एक बड़ा फैसला लिया। दिल्‍ली सरकार के अंतर्गत आने वाले सरकारी विभागों के लिए वर्क फ्रॉम होम नीति को लागू किया जा रहा है। दिल्‍ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि राजधानी में 50% सरकारी कर्मचारी अब घर से काम करेंगे।

देश की राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 से थोड़ा सा नीचे आ गया है। लेकिन अभी भी अति गंभीर श्रेणी में है। जबकि बीती सुबह एक्यूआई 500 पर था। शहर में कोहरा छा दिखा। मौसम विभाग ने भी ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दृश्यता कम रही। जिसके कारण 119 उड़ानें देरी से हैं और 6 रद्द हो गई हैं। जहरीली हवा के कारण स्कूल और कॉलेजों को बंद कर दिया गया है। शहर में निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। क्योंकि ग्रेप-4 लागू है। वहीं दिल्ली मंत्री गोपाल राय ने दिल्ली सरकार के 50 फीसदी कर्मचारियों के लिए घर से काम करने की घोषणा की है।

पूरे दिल्‍ली-एनसीआर में युद्ध स्‍तर पर पानी का छिड़काव किया जारहा है। इसके बावजूद भी प्रदूषण का स्‍तर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। ऐसे में दिल्‍ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स के माध्‍यम से राजधानी के सरकारी कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम पॉलिसी का ऐलान किया। उन्‍होंने बताया कि 50 प्रतिशत कर्मचारी फिलहाल घर से काम करेंगे। इसपर आज दिल्‍ली सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी।

दिल्ली सरकार ने सरकारी दफ्तरों के समय में बदलाव किया गया है। चूंकि अभी 50 प्रतिशत कर्मचारी ही दफ्तर जाएंगे, इसलिए एमसीडी के दफ्तर अब सुबह 8:30 से शाम 5:00 बजे तक खोले जाएंगे। वहीं, दिल्ली सरकार के कार्यालय सुबह 10:00 से शाम 6:30 तक खुलेंगे। दफ्तरों के खुलने-बंद होने के समय में अंतर से प्रदूषण का प्रभाव घटाने की कोशिश की जा रही है।

मौसम वैज्ञानिक डॉ. आनंद शर्मा का कहना है, वर्क फ्रॉम होम और स्कूल-कॉलेज बंद होने से तुरंत प्रदूषण पर लगाम तो नहीं कस जाएगी पर इससे प्रदूषण घटाने में मदद जरूर मिलेगी. यही नहीं, डॉक्टरों ने प्रदूषण के वर्तमान स्तर को स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक बताया है और लोगों को घरों से न निकलने की सलाह दी है। खासकर, बच्चों और बुजुर्गों को इससे बचने के लिए कहा जा रहा है। वहीं, डॉक्टर घर से निकलने पर एन-95 मास्क लगाने की हिदायत दे रहे हैं। ऐसे में वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन कक्षाओं के संचालन से बड़ा फायदा यह होगा कि लोग सीधे प्रदूषण के संपर्क में आने से कुछ हद तक बच सकेंगे।

महाराष्ट्र की सभी 288 सीटों के लिए वोटिंग जारी, सचिन तेंदुलकर से लेकर अक्षय कुमार तक ने किया अपने मताधिकार का प्रयोग

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए चुनाव हो रहे हैं। जहां कई बड़े नेताओं की साख दांव पर लगी है. इस बार राज्य के दिग्गज नेताओं पर सबकी नजर रहेगी कि उन्हें जीत मिलेगी या फिर हार का सामना करना पड़ेगा। चुनावी मैदान में शरद पवार, उद्धव ठाकरे, अजित परावर, देवेंद्र फडणवीस से लेकर सीएम एकनाथ शिंदे तक मौजूद है। अब 23 नवंबर 2024 को महाराष्ट्र चुनाव 2024 के नतीजों के बाद ही पता चल पाएगा कि किसे मिला जनता का आशीर्वाद मिलता है।

महाराष्‍ट्र चुनाव 2024 के लिए वोटिंग शुरू हो गई है। सुबह से ही मतदान केंद्रों पर लोग जुटना शुरू हो गए हैं. महाराष्‍ट्र में केवल एक चरण में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। यहां महयुति के सामने महाविकास अघाड़ी गठबंधन की चुनौती है। महाराष्‍ट्र चुनाव में वोट डालने के लिए कुल 9.70 करोड़ रजिस्‍टर्ड वोटर्स हैं। इनमें 5 करोड़ पुरुष और 4.69 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा चुनाव आयोग के आंकड़ों में 6101 लोग थर्ड जेंडर से भी हैं। अब देखना होगा कि कितने लोग इस बार वोट डालने के लिए घरों से निकलते हैं।

सुप्रिया सुले-युगेंद्र पवार ने डाला वोट

पुणे की बारामती सीट पर राकांपा-शरद पवार की सांसद सुप्रिया सुले ने मतदान किया। जहां उनकी पार्टी से इस बार युगेंद्र पवार को खड़ा किया गया है, वहीं इस सीट पर अजित पवार महायुति के उम्मीदवार हैं। सुप्रिया सुले के कुछ देर बाद ही युगेंद्र भी वोट डालने पहुंचे।

शाइना एनसी ने किया मताधिकार का प्रयोग

शिवसेना नेता और मुंबादेवी सीट से उम्मीदवार शाइना एनसी ने सुबह पहुंचकर ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वोट डालने के बाद उन्होंने कहा, "मैं हमारे मुंबई के लोगों से कहूंगी कि आप बाहर आएं और मतदान करें, क्योंकि अगर आप मतदान करते हैं तो आप सवाल कर सकते हैं, प्रश्न चिन्ह उठा सकते हैं। लेकिन जब तक हाथ पर ये निशान नहीं होगा आप कुछ नहीं कर सकते हैं। प्रजातंत्र और लोकतंत्र के इस पर्व में जरूर बाहर आएं और अपनी नैतिक जिम्मेदारी को निभाएं।

बॉलीवुड जगत की हस्तियां भी वोटिंग के लिए पहुंचीं

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए जारी वोटिंग के बीच सुबह-सुबह अभिनेता अक्षय कुमार वोट डालने पहुंचे। उन्होंने कहा, मतदान केंद्र पर बहुत अच्छा इंतजाम किया है। सफाई रखी हुई है, वरिष्ठ नागरिकों के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था की है। इसके अलावा फिल्म निर्देशक कबीर खान ने भी मुंबई के एक मतदान केंद्र पहुंचकर वोट डाला। अभिनेता राजकुमार राव ने वोट डालने के बाद कहा, "मतदान बहुत जरूरी है। महाराष्ट्र में सभी लोग जाएं और मतदान करें।

महाराष्‍ट्र चुनाव में युवाओं की भरमार

महाराष्‍ट्र चुनाव में पहली बार वोट डालने वाले युवाओं की भी कमी नहीं हैं। इस बार 18-19 साल की उम्र के फर्स्ट टाइम वोटर्स की संख्‍या 22.2 लाख है। ये वो युवा हैं, जिन्‍होंने लोकसभा चुनाव के बाद अपना वोटर आईडी कार्ड बनवाया है। इसके अलावा 6.41 लाख विकलांग भी इन चुनावों में वोट डालेंगे।

100 साल की उम्र से ज्‍यादा कितने वोटर्स?

महाराष्‍ट्र चुनाव 2024 के आज डाले जा रहे वोटर्स में बुजुर्गों की संख्‍या भी कम नहीं है. यहां 100 साल से ज्‍यादा उम्र के वोटर्स की भरमार है. चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक महाराष्‍ट्र में 100 या इससे ज्‍यादा उम्र के वोटर्स की संख्‍या 47,392 है. अब देखना होगा कि अधिक उम्र की इस बाधा को तोड़कर कितने लोग वोट डालने के लिए मैदान में उतरते हैं.

महाराष्ट्र कैश कांड: उद्धव ठाकरे ने भाजपा को घेरा, कांग्रेस बोली- नोट जिहाद में जुटी बीजेपी*
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महाराष्ट्र चुनाव से ठीक पहले वोट के बदले कैश कांड की एंट्री हो गई है। महाराष्ट्र में भाजपा नेता विनोद तावड़े पर पैसे बांटने का आरोप लगा है।बहुजन विकास अघाड़ी ने विनोद तावड़े पर पैसे बांटने का आरोप लगाया है। हालांकि, भाजपा नेता तावड़े ने इन आरोपों को खारिज किया है। यह घटना ऐसे वक्त में सामने आई है, जब 20 नवंबर को वोटिंग है। इस तरह महाराष्ट्र की सियासी लड़ाई अब कैश कांड पर आ गई है। विपक्षी दलों को मौका मिल गया है। *उनके बीच में शायद आपसी गैंगवार- उद्धव ठाकरे* भाजपा नेता विनोद तावड़े पर पैसा बांटने का आरोप लगने के बाद शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सभी सबूतों के आधार पर कार्रवाई होनी चाहिए। अन्यथा मुझे पूरा भरोसा है कि महाराष्ट्र अपनी तरफ से कार्रवाई करेगा। उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह उनके बीच में शायद आपसी गैंगवार भी हो सकती है। *चुनाव में बीजेपी का खेल खत्म हुआ समझें-संजय राउत* इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए उद्धव सेना के नेता संजय रावत ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि विनोद तावड़े पैसे बांट रहे थे, बहुजन विकास आघाड़ी के लोग वहां घुसे और उन्होंने पैसा जप्त किया है। नालासोपारा में जो हुआ है, वह कैमरे के सामने हुआ है। अब बीजेपी के लोग कह रहे हैं कि वे इसका खुलासा करेंगे, लेकिन इसमें खुलासा करने जैसा क्या है? बीजेपी का असली चेहरा अब जनता के सामने आ गया है। इस घटना के बाद चुनाव में बीजेपी का खेल खत्म हुआ समझें। *कांग्रेस ने भाजपा के साथ चुनाव आयोग को भी लपेटा* महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा, हमें बताया गया है कि विनोद तावड़े के पास से एक डायरी मिली है। इसमें पता चला है कि 10 करोड़ रुपये पहले ही बांटे जा चुके हैं। कल भी उनके पास से पांच करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए थे। मुझे उम्मीद है कि चुनाव आयोग ने भाजपा नेताओं के लिए कोई नया नियम नहीं बनाया है। उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।