भारत में मेटा पर लगा 213 करोड़ का जुर्माना, यूजर्स के डेटा से जुडा है मामला

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फेसबुक और वाट्सऐप की पेरेंट कंपनी मेटा पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने सोमवार को 213.14 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। मेटा पर सीसीआई ने यह जुर्माना 2021 में वाट्सऐप प्राइवेसी अपडेट के संबंध में अनुचित व्यावसायिक तरीकों को अपनाने पर लगाया है। वहीं दूसरी ओर व्हाट्सएप पर मेटा की दूसरी कंपनियों के साथ डेटा शेयर करने पर बैन लगा दिया है। इसके साथ ही, सीसीआई ने मेटा को प्रतिस्पर्धा-रोधी व्यवहार को रोकने और इस तरह की हरकत से दूर रहने का भी निर्देश दिया है।

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एक आदेश में कहा गया कि प्रतिस्पर्धा नियामक ने सोमवार को मेटा पर अपनी दबदबे का दुरुपयोग करने के लिए 213.14 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। सीसीआई ने डॉमिनेंस का दुरुपयोग करने के खिलाफ आदेश पारित करते हुए कहा कि यह जुर्माना इस बात से जुड़ा है कि व्हॉट्सएप की 2021 की निजता नीति को कैसे लागू किया गया, उपयोगकर्ता डेटा कैसे जमा किया गया और इसे मेटा की अन्य कंपनियों के साथ साझा किया गया।

वहीं दूसरी ओर सीसीआई ने व्हाट्सएप को अपने प्लेटफॉर्म पर कलेक्ट किए गए यूजर डेटा को विज्ञापन उद्देश्यों के लिए अन्य मेटा प्रोडक्ट्स या कंपनियों के साथ पांच साल की अवधि के लिए शेयर ना करने का भी निर्देश दिया है। यह रोक 5 साल के लिए लगाई गई है।विज्ञापन के अलावा दूसरे मकसद से वट्सऐप यूजर डेटा शेयर करने के मामले में वट्सऐप पॉलिसी में मेटा की दूसरी कंपनियों के साथ शेयर किए गए डेटा की विस्तृत जानकारी देनी होगी। इसमें बताना होगा कि किस उद्देश्य से डेटा साझा किया गया। हर डेटा की साझेदारी का मकसद साफ करना होगा।

सीसीआई ने मार्च 2021 में व्हाट्सएप की रिवाइज्ड प्राइवेसी पॉलिसी की जांच शुरू की, जिसने डेटा कलेक्शन के विस्तारित दायरे के साथ-साथ फेसबुक (अब मेटा) और उसकी कंपनियों के साथ अनिवार्य डेटा शेयरिंग को सक्षम बनाया। इससे पहले, 2016 से यूजर्स के पास यह तय करने का विकल्प था कि उन्हें अपना डेटा कंपनी के साथ शेयर करना है या नहीं। जनवरी 2021 से यूजर्स के लिए लागू होने वाली पॉलिसी फरवरी 2021 से प्रभावी होने वाली थी। व्हाट्सएप को चालू रखने के लिए यूजर्स को नई शर्तों को स्वीकार करने की आवश्यकता थी।

उसके बाद इसको लेकर काफी आलोचना की गई और मेटा ने इस रोलआउट को कैंसल कर दिया था। व्हाट्सएप ने बाद में स्पष्टीकरण भी जारी किया जिसमें कहा गया कि पॉलिसी अपडेट यूजर्स के अपने दोस्तों या परिवार के साथ पर्सनल मैसेज की प्राइवेसी को प्रभावित नहीं करेगा और इस बात पर जोर दिया कि बदलाव एप्लिकेशन द्वारा पेश की गई वैकल्पिक व्यावसायिक सुविधाओं से संबंधित थे।साढ़े तीन साल से अधिक की जांच के बाद, सीसीआई ने पाया कि व्हाट्सएप की ‘टेक-इट-या-लीव-इट’ पॉलिसी अपडेट फेयर नहीं थी।

भारत से FTA वार्ता फिर शुरू करेगा ब्रिटेन, मोदी-स्टार्मर मुलाकात के बाद डाउनिंग स्ट्रीट का बड़ा एलान, क्या है इसका मतलब?

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ब्राजील में चल रहे जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिटेन ने नए साल में भारत के साथ फिर से व्यापार वार्ता शुरू करने की बात कही है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने पीएम मोदी से मीटिंग के बाद इस बात की घोषणा कर दी। पीटीआई की खबर के मुताबिक, डाउनिंग स्ट्रीट ने कहा कि ब्रिटेन भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी की तलाश करेगा, जिसमें व्यापार समझौता और सुरक्षा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करना शामिल है।

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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के प्रवक्ता ने कहा, ब्रिटेन भारत के साथ एफटीए पर बातचीत के लिए प्रतिबद्ध है, जो दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यस्थाओं में से एक है। डाउनिंग स्ट्रीट ने स्टार्मर के हवाले से एक बयान में कहा, भारत के साथ एक नए एफटीए से ब्रिटेन में रोजगार और समृद्धि बढ़ेगी और यह हमारे देश में विकास और अवसर लाने के हमारे मिशन को एक कदम आगे ले जाएगा।

पीएम मोदी ने भी पहल को सराहा

प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन की तरफ से किए गए इस ऐलान का स्वागत किया और कहा कि भारत के लिए, यू.के. के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी अत्यधिक प्राथमिकता वाली है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मोदी ने कहा कि हम व्यापार के साथ-साथ सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत करना चाहते हैं। भारत के विदेश मंत्रालय (एमईए) ने भी कहा कि द्विपक्षीय बैठक ने भारत-यू.के. व्यापक रणनीतिक साझेदारी को नई गति दी है।

भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट

आपको बता दें, कि भारत और यूके जनवरी 2022 से मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं और इस साल की शुरुआत में दोनों देशों में आम चुनावों के दौरान से बातचीत रुकी हुई है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जून तक 12 महीनों में द्विपक्षीय व्यापार संबंध 42 बिलियन ब्रिटिश पाउंड के बराबर था। मुक्त व्यापार समझौते से इस आंकड़े में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। यू.के. में लेबर पार्टी की सरकार घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के साधन के रूप में व्यापार अनुकूल संदेश को उजागर करने में दिलचस्पी रखती है।

यह घोषणा दोनों देशों के बीच प्रमुख क्षेत्रों में संबंधों को गहरा करने के लिए नए सिरे से प्रयास को दर्शाती है। डाउनिंग स्ट्रीट ने भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी स्थापित करने के यूके के इरादे को सामने रखा है, जिसमें व्यापक व्यापार समझौते और सुरक्षा, शिक्षा, टेक्नोलॉजी और जलवायु परिवर्तन में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का प्रहार, AQI 500 पार, ठंड और कोहरे का भी कहर*
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दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के अन्य राज्यों में घने कोहरे के साथ ठंड शुरू हो गई है। मंगलवार को भी दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और यूपी के कुछ जिलों में सुबह के समय बेहद कम विजिबिलिटी दर्ज की गई। दिल्ली में तो कोहरे और ठंड के साथ ही प्रदूषण का ट्रिपल अटैक दिख रहा है। दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली हो गई है। वायु प्रदूषण से दिल्लीवालों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। ऐसा लग रहा है कि पूरा दिल्ली-एनसीआर गैस चैंबर बन चुका है। देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण से स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में एक्यूआई 500 या उससे ज्यादा तक पहुंच चुका है। मंगलवार को सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 498 तक पहुंच गया। दिल्ली के अधिकांश इलाकों का एक्यूआई 500 के पार आनंद विहार 500 अशोक विहार 500 बवाना 500 नरेला 500 पालम 500 नेहरू नगर 500 मुंडका 500 ओखला 500 करणी सिंह शूटिंग रेंज 500 द्वारका 500 मथुरा रोड 499 दिलशाद गार्डन 498 जे एल एन 500 नार्थ कैंपस 500 आयानगर 498 जहांगीरपुरी 500 नजफगढ़ 499 लोधी रोड 498 मेजर ध्यान चंद स्टेडियम 500 विशेषज्ञों के मुताबिक, एक्यूआई का 500 के करीब होना बताता है कि हवा में विषैले कणों की मात्रा इतनी अधिक हो गई है कि यह स्वास्थ्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक है, विशेषकर उन लोगों के लिए जिनकी उम्र कम या ज्यादा है और जिन्हें सांस की बीमारियां हैं। प्रदूषण के इस खतरनाक स्तर के कारण लोगों को सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वायु प्रदूषण को लेकर हालात बहुत ही चिंताजनक हो गए हैं। लोग अब मास्क पहनकर घर से बाहर निकल रहे हैं, ताकि वह प्रदूषण से बच सकें। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एक्यूआई 450 के पार पहुंच जाने के बाद दिल्ली व एनसीआर में चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के चौथे चरण के तहत प्रतिबंधों को लागू करने का आदेश दिया है। जिनमें ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध तथा सार्वजनिक परियोजनाओं में निर्माण गतिविधियों को स्थगित करना शामिल है। दिल्ली, हरियाणा के बाद उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) जिला प्रशासन ने सोमवार रात को सभी विद्यालयों में 12वीं कक्षा तक की प्रत्यक्ष कक्षाएं स्थगित करने का आदेश दिया और कहा कि क्षेत्र में खराब वायु गुणवत्ता के कारण पढ़ाई ऑनलाइन जारी रहेगी।
प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, दिल्ली-एनसीआर में स्कूलों को बंद करने के आदेश

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दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति लगातार गहराती जा रही है। दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कोर्ट रूम के अंदर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का स्तर 990 से ऊपर है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगर एक्यूआई 400 से नीचे चला जाता है, तब भी जीआरएपी का चौथा चरण उसके अगले आदेश तक लागू रहेगा और उसने सभी एनसीआर राज्यों को जीआरएपी का चौथा चरण लागू करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलावा एनसीआर में भी सभी स्कूल कॉलेज बंद करने के आदेश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह राज्य और केंद्र का संवैधानिक दायित्व है कि नागरिक प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ग्रैप चरण 3 और 4 के सभी खंडों के अलावा, सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाने चाहिए कि स्थिति सामान्य हो जाए। कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष गुरुवार तक आदेश के पालन को लेकर हलफनामा दाखिल करें। शुक्रवार को सुनवाई होगी।

ग्रैप 4 की निगरानी के लिए टीम गठित करने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने सभी एनसीआर सरकारों को ग्रैप चरण 4 को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया। साथ ही अदालत ने सभी एनसीआर राज्यों को ग्रैप 4 के तहत जरूरी कामों की निगरानी के लिए तत्काल टीमों का गठन करने का भी निर्देश दिया। अदालत ने निर्देश दिया कि वे ग्रैप 4 में दिए गए कदमों पर तुरंत निर्णय लें और अगली सुनवाई की तारीख से पहले उन्हें उसके समक्ष रखें। कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर सरकारों को इस कदम के उल्लंघन की रिपोर्ट करने के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने का भी निर्देश दिया।

12वीं कक्षा तक के सभी स्कूलों को बंद कर दिया जाए

कोर्ट ने एनसीआर राज्यों को आदेश दिया कि 12वीं कक्षा तक के सभी स्कूलों को बंद कर दिया जाए और सभी कक्षाओं को ऑनलाइन मोड में संचालित किया जाए। कोर्ट ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य प्राथमिकता होनी चाहिए और यह जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकारों की है कि वे प्रदूषण मुक्त वातावरण प्रदान करें।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग पर भी सवाल

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) पर भी सवाल उठाए, यह कहते हुए कि एक्यूआई 400 पार करने के बावजूद ग्रैप स्टेज 3 और स्टेज 4 को लागू करने में देरी हुई। कोर्ट ने कहा कि 12 नवंबर को एक्यूआई 400 से ऊपर पहुंच गया था, लेकिन ग्रैप स्टेज 3, 14 नवंबर को लागू किया गया और स्टेज 4 आज सुबह ही प्रभावी हो पाया।

बता दें कि रविवार को ही दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर 460 एक्यूआई की सीमा को पार कर गया था। हालात को देखते हुए उसी समय केंद्र सरकार की समिति ने दिल्ली एनसीआर में ग्रैप-4 लागू करने के आदेश जारी कर दिए थे. यह आदेश आज सोमवार की सुबह आठ बजे से लागू किए गए हैं। इस आदेश के तहत दिल्ली एनसीआर में पहली से 6 वीं तक के स्कूलों को तत्काल बंद करने और बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई करने के आदेश दिए गए थे। साथ ही कई तरह की अन्य पाबंदियां भी लागू की गई थी।

पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट की राष्ट्रपति से गुजारिश, जानें पूरा मामला

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सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में मौत की सजा पाने वाले बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका को राष्ट्रपति के समक्ष रखे जाने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सचिव को सोमवार को यह निर्देश दिया। जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस पी के मिश्रा और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने राष्ट्रपति से दो सप्ताह के भीतर याचिका पर विचार करने का अनुरोध किया।

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पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या मामले में राजोआना को फांसी की सजा दी गई है और उसने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की थी। राओआना ने दया याचिका के निपटारे में देरी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सजा कम करने और रिहाई की गुहार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि अगर दया याचिका पर तय समय में विचार नहीं किया गया तो वह याचिकाकर्ता को राहत देने की गुहार पर विचार करेगा।

सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया गया कि केंद्र सरकार की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। इस पर जस्टिस गवई ने निराशा जाहिर करते हुए कहा कि स्पेशल बेंच सिर्फ इसी मामले की सुनवाई के लिए बैठी थी क्योंकि केंद्र ने कहा था कि वह जवाब दाखिल करेगा। बेंच में शामिल जस्टिस विश्वनाथ ने मौखिक तौर पर टिप्पणी में कहा कि केंद्र मामले को बेहद ढीले-ढाले तरीके से देख रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता मौत की सजा पर है, हम भारत के राष्ट्रपति के सचिव को निर्देश देते हैं कि वह इस मामले को आज से दो सप्ताह के भीतर इस पर विचार करने के अनुरोध के साथ राष्ट्रपति भवन के समक्ष रखें। पीठ ने कहा कि पिछली तारीख पर मामले को स्थगित कर दिया गया था ताकि संघ राष्ट्रपति के कार्यालय से निर्देश ले सके कि दया याचिका पर कब तक निर्णय लिया जाएगा। यह ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता मृत्युदंड की सजा काट रहा है, हम सचिव को निर्देश देते हैं कि वे भारत के राष्ट्रपति के समक्ष रखें और उनसे आज से दो सप्ताह के भीतर इस पर विचार करने का अनुरोध करें।

राजोआना की ओर से दायर की याचिका में फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की गई है। राजोआना का कहना है कि वो 29 साल से जेल में हैं, दया याचिका 12 साल से लंबित है। पिछली सुनवाई में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राजोआना की दया याचिका लंबित है। हम इस पर जवाब दाखिल करेंगे।

राजोआना को 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर हुए विस्फोट मामले में दोषी पाया गया था। इस घटना में तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह तथा 16 अन्य लोग मारे गए थे। एक विशेष अदालत ने राजोआना को जुलाई, 2007 में मौत की सजा सुनाई थी। राजोआना ने अपनी याचिका में कहा है कि मार्च 2012 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उसकी ओर से क्षमादान का अनुरोध करते हुए संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत एक दया याचिका दायर की थी। उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष तीन मई को राजोआना को सुनाई गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने से इनकार कर दिया।

कौन हैं मोजतबा खामेनेई? जो बन सकते हैं ईरान के अगले सुप्रीम लीडर

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दुनिया के सबसे बड़े इस्लामिक देशों में से एक ईरान में बड़ी हलचल देखने को मिल रही है। पहले तो ये देश इजरायल के साथ युद्ध में व्यस्त है। इजराइल से जंग के बीच ईरान की राजनीति में एक बड़े बदलाव के संकेत मल रहे हैं। अचानक से सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई द्वारा अपने बेटे मोजतबा को उत्तराधिकारी बनाए जाने की खबर ने सब को चौंका दिया है।

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ईरान इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई के दूसरे बेटे मोजतबा खामेनेई को उनके उत्तराधिकारी के तौर पर चुना गया है।बताया जा रहा है कि यह फैसला 26 सितंबर को हुई एक सीक्रेट बैठक में लिया गया। दरअसल, वर्तमान में अयातुल्लाह अली खामेनेई की उम्र 85 वर्ष है। वह लंबे समय से गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर रहहे हैं। ऐसे में वह ईरान के सर्वोच्च नेता का पद छोड़ने की योजना बना रहे हैं, ताकि मोजतबा उनके जीवनकाल में ही देश का नेतृत्व संभाल सकें।

सर्वसम्मति से नेता चुने गए मोजतबा

इजराइली मीडिया आउटलेट वाईनेट न्यूज ने ईरान इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई के दूसरे बेटे मोजतबा खामेनेई को एक गुप्त बैठक के दौरान कथित तौर पर उनके पिता के उत्तराधिकारी के रूप में चुना गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 26 सितंबर को सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के अनुरोध पर ईरान के विशेषज्ञों की सभा के 60 सदस्यों की बैठक बुलाई गई थी, जिन्होंने उन्हें अपने उत्तराधिकार के संबंध में तत्काल और गोपनीय निर्णय लेने का निर्देश दिया था। सर्वसम्मति से, सभा ने खामेनेई के बेटे मोजतबा को उनके उत्तराधिकारी के रूप में चुना।

सार्वजनिक विरोध से बचने के लिए गुप्त बैठक

ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट बताती है कि सार्वजनिक विरोध से बचने के लिए इस फैसले को गुप्त रखा गया था। इसमें कहा गया है, व्यापक सार्वजनिक विरोध के डर से विधानसभा ने निर्णय पर अधिकतम गोपनीयता बनाए रखने का संकल्प लिया और सदस्यों को किसी भी लीक के लिए गंभीर परिणामों की चेतावनी दी गई थी।

परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई थी

ऐसा माना जा रहा है कि अलोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ संभावित सार्वजनिक प्रतिक्रिया के डर ने इन चरम उपायों को लागू किया गया। बैठक के बारे में कोई भी जानकारी लीक होने पर विधानसभा सदस्यों को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई थी।

एक महीने तक छिपाकर रखा गया फैसला

देश में अशांति को रोकने के लिए असेंबली के विचार-विमर्श का विवरण एक महीने से अधिक समय तक छिपाया गया था। मोजतबा के चयन ने उनके सरकारी अनुभव और आधिकारिक भूमिकाओं की कमी के कारण चिंताएं पैदा की हैं। हालांकि, पिछले दो वर्षों में, उन्हें शासन के आंतरिक कामकाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए लगातार तैनात किया गया है, जो सत्ता के सुचारू हस्तांतरण को सुनिश्चित करने के लिए अली खामेनेई द्वारा एक सुनियोजित प्रयास का संकेत देता है।

कौन है मोजतबा खामेनेई?

मोजतबा खामेनेई अयातुल्लाह अली खामेनेई के दूसरे बेटे हैं। उनका जन्म 8 सितंबर, 1969, मशहद ईरान में हुआ था। उन्होंने धर्मशास्त्र की पढ़ाई की और 1999 में मौलवी बनने की पढ़ाई की। मोजतबा की पहचान एक धार्मिक और राजनीतिक व्यक्ति के रूप में है। वह सर्वोच्च नेता के कार्यालय में एक कमांडिंग ऑफिसर की भूमिका निभाते हैं। 2005 और 2009 में ईरान के चुनावों में मोजतबा महमूद अहमदीनेजाद के समर्थक थे और कथित तौर पर 2009 में अहमदीनेजाद की जीत में भी उनका हाथ था। अहमदीनेजाद की जीत के बाद जून 2009 में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जिसमें मोजतबा ने कथित तौर पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों को दबाने वालों का नेतृत्व किया। हालांकि, बाद में अहमदीनेजाद के साथ उनके संबंध खराब हो गए जब उन्होंने मोजतबा खामेनेई पर सरकारी खजाने से धन के गबन का आरोप लगाया।

भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करेंगे” मोहम्मद यूनुस का बयान, अब क्या करेगी मोदी सरकार?

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पांच अगस्त को शेख हसीना ने अपनी सरकार के खिलाफ छात्रों और अन्य लोगों द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद इस्तीफा दे दिया था। बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शनों के चलते सत्ता से बेदखल होने के बाद शेख हसीना भारत चली गई थीं। बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के साथ शुरू हुई हिंसा की लहर आज तक बांग्लादेश में देखने को मिल रही है। इसी बीच बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने बड़ा बयान दिया है। मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि अंतरिम सरकार अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना का प्रत्यर्पण भारत से मांगेगी। अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर राष्ट्र के नाम संबोधन में यूनुस ने ये ऐलान किया।

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अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर राष्ट्र के नाम संबोधन में यूनुस ने कहा कि अंतरिम सरकार हसीना सहित उन लोगों पर मुकदमा चलाएगी, जो छात्र-नेतृत्व वाले प्रदर्शनों के दौरान सैकड़ों मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित यूनुस ने कहा, हम भारत से तानाशाह शेख हसीना को स्वदेश भेजने की मांग करेंगे। मैंने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) के मुख्य अभियोजक करीम खान के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की थी।

सरकार हर एक मौत का विवरण इकट्ठा कर रही- यूनुस

यूनुस ने यह भी बताया कि हसीना के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान लगभग 1500 लोग मारे गए थे और 19,931 लोग घायल हुए थे। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार हर एक मौत का विवरण इकट्ठा कर रही है और घायलों का इलाज भी सुनिश्चित कर रही है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार उन मामलों की जांच कर रही है जिनमें धार्मिक अल्पसंख्यकों को हिंसा का शिकार होना पड़ा। उन्होंने कहा हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि किसी भी नागरिक को हिंसा का शिकार न होना पड़े, चाहे वह हिंदू हो या कोई और।

निर्वाचित सरकार को सत्ता सौंपना सबसे महत्वपूर्ण काम- यूनुस

हसीना और उनके करीबी सहयोगी देश में कई आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं। वहीं, यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार भी इस मामले को आईसीसी को सौंपने पर जोर दे रही है। यूनुस ने कहा कि उनकी सरकार का सबसे महत्वपूर्ण काम एक निर्वाचित सरकार को सत्ता सौंपने के लिए चुनाव कराना है, लेकिन उन्होंने कोई समयसीमा नहीं बताई। उन्होंने कहा कि उनका प्रशासन सबसे पहले चुनावी प्रणाली सहित विभिन्न क्षेत्रों में सुधार लाएगा। यूनुस ने वादा किया कि एक बार चुनावी सुधार पूरे हो जाने के बाद नये चुनाव के लिए खाका पेश किया जाएगा।

हिंदू समुदाय के लोगों के साथ हुई हिंसा पर क्या बोले युनुस?

वहीं, मोहम्मद यूनुस ने कहा कि देश में कुछ हिंसक घटनाएं मुख्य रूप से राजनीतिक कारणों से हुईं और धार्मिक रूप से उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। हिंदू समुदाय के लोगों में से कई ने शिकायत की थी कि हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद से कट्टरपंथी इस्लामवादी तेजी से प्रभावशाली हो रहे हैं। लेकिन इस बारे में जो भी प्रचार किया गया वह पूरी तरह से अतिशयोक्तिपूर्ण है। हिंसा के जो छोटे-मोटे मामले हुए वे मुख्य रूप से राजनीतिक थे। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को धार्मिक रंग देकर देश को फिर से अस्थिर करने के प्रयास किए गए। उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी के सहयोग से स्थिति से दृढ़ता से निपटा। उनकी सरकार के सत्ता में आने के दो महीने बाद देश भर में लगभग 32,000 पूजा मंडपों में दुर्गा पूजा मनाई गई।

बता दे कि शेख हसीना ने सरकारी नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर अपनी सरकार के खिलाफ छात्रों और अन्य लोगों द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद इस्तीफा दे दिया था और भारत चली गई थीं। शेख हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं पर भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के क्रूर दमन का आदेश देने का आरोप है, जिसके परिणामस्वरूप जुलाई-अगस्त के विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई लोग हताहत हुए।

मणिपुर में शांति बहाली के लिए एक्शन में सरकार, अमित शाह की हाई लेवल मीटिंग आज, क्या सुधरेंगे हालात?

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भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर फिर से हिंसा की आग में झुलसने लगा है। शनिवार को जिरीबाम में छह शव बरामद होने की खबर फैलने के बाद, कई जिलों, खासकर इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम जिलों में भीड़ ने मंत्रियों, विधायकों और राजनीतिक नेताओं के करीब दो दर्जन घरों पर हमला किया और तोड़फोड़ की। इससे पहले सुरक्षा बलों का कुकी उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ हुआ था। जिसमें कम से कम 10 कुकी आतंकी के मारे गए थे। इसके बाद से ही हालत बिगड़ते चले जा रहे हैं।

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मणिपुर के हालातों को लेकर आज गृह मंत्रालय ने एक अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, आईबी चीफ, एडिशनल सेक्रेटरी (नॉर्थ ईस्ट), स्पेशल सेक्रेटरी (इंटरनल सिक्योरिटी), अर्द्ध सैनिक बलों के अधिकारी के साथ साथ मणिपुर के आला अफसर शामिल रहेंगे। मणिपुर को लेकर आज होने वाली गृहमंत्री अमित शाह की बैठक में मुख्य एजेंडा तय किए जाएंगे। इसमें गृह मंत्री ने रविवार को केंद्रीय बलों की बैठक बुलाई थी, इसमें कई दिशा निर्देश दिए गए थे, उनके क्रियान्वयन की समीक्षा की जाएगी। इस बैठक में पूर्वोत्तर राज्य संबधित गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, केंद्रीय गृह सचिव, आईबी डायरेक्टर, रॉ प्रमुख और सीआरपीएफ के अधिकारी शामिल होंगे। इसमें मैतेयी और कुकी समुदाय के लोगों से एक साथ वार्ता का खांका भी तैयार किया जाएगा

गृह मंत्री की लगातार दूसरे दिन बैठक हो रही है। इससे पहले मणिपुर के ताजा हालात पर एक दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की थी। बैठक में मणिपुर की सुरक्षा स्थिति को लेकर समीक्षा की गई।

फ्लैग मार्च के जरिए शांति बनाने की कोशिश

वहीं, इंफाल में भारतीय सेना और असम राइफल्स के जवानों ने फ्लैग मार्च निकाला है। इस मार्च के जरिए शांति बनाने की कोशिश की जा रही है। भारतीय सेना और स्पीयर कोर की असम राइफल्स इकाइयों ने सुरक्षाबलों के साथ इंफाल के संजेनथोंग, खुरई लामलोंग ब्रिज, थोंगजू ब्रिज, कोइरेंगेई, कांगला वेस्टर्न गेट, केशमपट, चुंगथम, सलाम मयाई लीकाई, कोंथूजाम, मयांग इम्फाल, हियांगथांग, नाम्बोल, मंत्रिपुखरी, बाबूपारा, वांगजिंग, थौबल और लिलोंग के इंफाल पूर्व, इंफालल पश्चिम और थौबल जिलों में फ्लैगमार्च किया है। वहीं, तनावपूर्ण स्थिति के मद्देनजर इंफाल पश्चिम और इंफाल पूर्व में कर्फ्यू लगा हुआ है। सड़कों पर वाहनों की आवाजाही कम देखी गई है, सुरक्षाकर्मियों जबरदस्त तैनाती। वहीं, मुख्यमंत्री आवास और राजभवन के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

सात जिलों में इंटरनेट बंद, दो जिलों में कर्फ्यू

मणिपुर में जारी हिंसा के बीच मणिपुर पुलिस ने रविवार को इंफाल के दोनों जिलों में अगले आदेश तक कर्फ्यू लगा दिया। प्रशासन ने यह फैसला छह लोगों की मौत के बाद लिया गया है। घटना के बाद मणिपुर सरकार ने सात जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया है।

आज बीजेपी में शामिल हो सकते हैं कैलाश गहलोत, कल आप से दिया था इस्तीफा, क्या छापेमारी और जांच के डर से छोड़ी पार्टी?

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आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले नजफगढ़ से विधायक कैलाश गहलोत आज भाजपा में शामिल हो सकते हैं। कैलाश गहलोत ने रविवार को ही आप की प्राथमिक सदस्यता और मंत्री पद से इस्तीफा दिया था। इस्तीफा देने से पहले कैलाश गहलोत ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए। गहलोत ने रविवार को अरविंद केजरीवाल और दिल्ली सरकार के कामकाज पर तमाम तरह के आरोप लगाए थे। उन्होंने केजरीवाल के सीएम रहते सरकारी निवास पर किए गए खर्च को लेकर भी सवाल उठाया था।

क्या छापेमारी और जांच के डर से छोड़ा आप?

कैलाश गहलोत पर भी कई तरह के आरोप लगे हैं। दिल्ली के कथित शराब घोटाले से उनका नाम भी जुड़ने की आशंका थी। क्योंकि जिस कमेटी ने दिल्ली की आबकारी नीति को मंजूरी दी थी उसमें कैलाश गहलोत भी थे। कैलाश गहलोत के पार्टी छोड़ने पर आप सदस्य संजय सिंह ने आरोप लगाया कि गहलोत ने भाजपा की गंदी राजनीति के दबाव में इस्तीफा दिया है। उनको ईडी और सीबीआई की छापेमारी और जांच का डर दिखाया गया है।

गहलोत ने क्या आरोप लगाए?

इससे पहले गहलोत ने रविरा को केजरीवाल को पत्र लिखा। पत्र में गहलोत ने कहा कि इस समय आम आदमी पार्टी गंभीर चुनौतियां से गुजर रही है। पार्टी में राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं लोगों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता पर हावी हो गई हैं, जिससे कई वादे अधूरे रह गए हैं। जो पार्टी ने दिल्ली की जनता से किए थे। यमुना को साफ करने का सपना पूरा नहीं हो पाया। यमुना अब पहले से ज्यादा प्रदूषित हो गई। इसके अलावा शीशमहल (मुख्यमंत्री आवास) जैसे कई अजीबोगरीब विवाद सामने आए। इसने पार्टी की छवि खराब हुई। सवाल उठ रहे हैं कि लोग पार्टी पर विश्वास कर रहे हैं। पार्टी लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय केवल अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए लड़ रहे हैं।

इसने दिल्ली के लोगों को बुनियादी सेवाएं देने की हमारी क्षमता कमजोर हुई। दिल्ली सरकार अपना अधिकांश समय केंद्र से लड़ने में बिताती है जिससे दिल्ली का वास्तविक विकास नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि राजनीतिक यात्रा दिल्ली के लोगों की सेवा करने के लिए शुरू की थी, इसे जारी रखना चाहता हूं। यही कारण है कि आप से अलग हो रहा हूं और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। इसके अलावा उन्होंने मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखकर अपने पद से इस्तीफा दिया।

दिल्ली-एनसीआर में सांसों पर संकट, जहरीली होती जा रही हवा, गंभीर श्रेणी में पहुंचा AQI तो आज से ग्रैप-4 लागू

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देश की राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर के शहरों पर प्रदूषण और कोहरे की दोहरी मार से हालत खराब है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) छठे दिन भी लागातार 400 के पार है। दिल्ली के 32 इलाकों में (एक्यूआई) 400 के पार दर्ज किया गया। जो बेहद खतरनाक है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का आलम यह है कि स्कूलों को बंद कर दिया गया है। अब आज से ग्रैप 4 लागू हो चुका है।

दिल्ली-एनसीआर का एक्यूआई

सोमवार की सुबह दिल्ली के 32 इलाकों को एक्यूआई रेड जोन में दर्ज किया गया है। दिल्ली के नेहरू नगर का एक्यूआई 494, अलीपुर-475, अशोक विहार-495, आनंद विहार-487, बवाना-495, द्वारका-499, बुराड़ी-461 पंजाबी 493, रोहिणी 491, आईजीआई एयरपोर्ट 494, मेजर ध्यानचंद स्टेडियम 495 और मुंडका 495 एक्यूआई दर्ज किया गया है। बढ़ते प्रदूषण की वजह से लोगों को सांस लेने के साथ-साथ आंखों में जलन का भी सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली सरकार ने बढ़ते एयर क्वालिटी इंडेक्स को लेकर अब ग्रैप -4 नियम को सोमवार से लागू कर दिया है, जिसका असर सरकारी दफ्तरों और स्कूलों के साथ ही साथ अन्य विभागों पर भी पड़ने वाला है। वहीं, जरूरी काम नहीं होने पर सरकार ने लोगों को घर ने नहीं निकलने की सलाह दी है।

वहीं एनसीआर की बात करें तो गुरुग्राम का औसत एक्यूआई 446 दर्ज किया गया। फरीदाबाद का औसत एक्यूआई 320 दर्ज हुआ। नोएडा का औसत एक्यूआई 384 दर्ज हुआ है। आज सुबह गाजियाबाद का एक्यूआई 404 मापा गया। लोनी और वसुंधरा स्टेशन का एक्यूआई गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। लोनी का एक्यूआई 445 और वसुंधरा का एक्यूआई 432 है। संजय नगर और इंदिरापुरम का एक्यूआई भी गंभीर श्रेणी के निकट बना हुआ है।

सोमवार से ग्रैप-4 लागू

दिल्ली में अतिशी सरकार ने आज यानी सोमवार से ग्रैप-4 लागू कर दिया है। इसके तहत आज सुबह 8 बजे से बहुत सी पाबंदियां लागू हो गई हैं। इसमें स्कूल बंद से लेकर ट्रकों की एंट्री पर रोक है। दिल्ली में आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले या स्वच्छ ईंधन (एलएनजी/सीएनजी/बीएस-छह डीजल/इलेक्ट्रिक) का उपयोग करने वाले ट्रकों को छोड़कर किसी भी ट्रक को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ग्रैप-4 में कारखानों, निर्माण कार्यों और यातायात पर कड़ी पाबंदियां लगाई जाएंगी।

ग्रेप-4 लागू होने से लगे ये प्रतिबंध

- दिल्ली के बाहर से आने वाले सभी ट्रकों को प्रवेश पर पाबंदी रहेगी। हालांकि, जरूरी सामान लाने वाले व सीएनजी और इलेक्ट्रिक ट्रकों पर पाबंदी से छूट दी गई है।

- दिल्ली में पंजीकृत मध्यम व भारी डीजल संचालित माल वाहनों पर प्रतिबंध। जरूरी सामान वाले वाहनों को छूट मिलेगी।

- एनसीटी दिल्ली व एनसीआर में डीजल चलित चार पहिया वाहनों पर रोक रहेगी। हालांकि, आपातकालीन वाहनों को छूट दी गई है। इस श्रेणी में केवल बीएस-6 वाहन चल सकते हैं।

- एनसीआर में उद्योगों पर पाबंदी। जहां पीएनजी ईंधन की सुविधा नहीं है और सरकार द्वारा अधिकृत सूची से बाहर के ईंधन का उपयोग किया जा रहा है तो रोक लगेगी। हालांकि, दूध व डेयरी उत्पादों और मेडिकल उपकरणों से जुड़े उद्योगों को छूट दी जाएगी।

- निर्माण व विध्वंस गतिविधियों पर रोक। इसके अलावा फ्लाईओवर, राजमार्ग, पुल व पाइपलाइन समेत अन्य गतिविधियों पर रोक। केंद्र सरकार केंद्रीय कर्मचारियों को घरों से काम करने की छूट दे सकती है।

- एनसीआर राज्य सरकारें सार्वजनिक, निगम और निजी दफ्तरों में 50 फीसदी क्षमता के साथ घरों से काम करने की छूट दे सकती है।

- राज्य सरकारें स्कूल व कॉलेज को बंद करने के साथ गैर आपातकालीन वाणिज्यिक गतिविधियों को बंद कर सकती है।

- राज्य सरकार लागू कर सकती है ऑड-ईवन योजना

- डीजल जनरेटर सेट पर प्रतिबंध