अबकी बार गुयाना समेत तीन देशों की यात्रा पर जा रहे हैं पीएम मोदी, जानें ये दौरा क्यों है खास?*
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इस साल जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी ब्राजील कर रहा है। रियो-डि- जेनेरियो में जी-20 देशों के शीर्ष नेता पहुंचेंगे। इसमें भारत की तरफ से हिस्सा लेने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्राजील दौरे पर 18-19 नवंबर को जाएंगे। इसके अलावा पीएम मोदी नाइजीरिया और गुयाना का दौरा भी करेंगे। विदेश मंत्रालय ने पीएम मोदी के विदेश दौरे की जानकारी दी।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 16-21 नवंबर तक तीन देशों की यात्रा पर रहेंगे। *17 सालों के बाद कोई पीएम जा रहा नाइजीरिया* पीएम मोदी 16 नवंबर को नाइजीरिया पहुचेंगे, जहां नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनूबू से मिलेंगे। नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनूबू के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी 16-17 नवंबर को नाइजीरिया की यात्रा पर जाएंगे। यह 17 वर्षों में भारत के प्रधानमंत्री की नाइजीरिया की पहली यात्रा होगी।यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री भारत और नाइजीरिया के बीच रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा करेंगे तथा द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के अवसरों पर चर्चा करेंगे।भारत और नाइजीरिया के बीच 2007 से रणनीतिक साझेदारी है, जिसमें ऊर्जा, आर्थिक और रक्षा सहयोग शामिल हैं। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री भारतीय समुदाय को भी संबोधित करेंगे, जो दोनों देशों के सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को और मज़बूत करेगा। *जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने ब्राजील जाएंगे पीएम मोदी* नाइजीरिया के दौरे के बाद प्रधानमंत्री मोदी 18-19 नवंबर को रियो डी जेनेरो में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि भारत ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के साथ जी-20 ‘‘ट्रोइका’’ का हिस्सा है और जी-20 शिखर सम्मेलन की चर्चाओं में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री वैश्विक महत्व के विभिन्न मुद्दों पर भारत का रुख सामने रखेंगे और पिछले दो वर्षों में भारत द्वारा आयोजित ‘जी-20 नयी दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन’ और ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट’ के परिणामों पर चर्चा करेंगे।’’ *56 साल बाद भारतीय पीएम की ऐतिहासिक यात्रा* प्रधानमंत्री मोदी 19-21 नवंबर को गुयाना का दौरा करेंगे, जो 1968 के बाद इस देश में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा होगी। राष्ट्रपति मोहम्मद इरफ़ान अली के निमंत्रण पर इस यात्रा का आयोजन हो रहा है। प्रधानमंत्री यहां गुयाना के नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ताएं करेंगे और भारतीय प्रवासी के एक बड़े सम्मेलन में भी भाग लेंगे। इसके अलावा, वे दूसरे कारिकॉम-भारत शिखर सम्मेलन में भी शामिल होंगे, जिससे कैरिबियन देशों के साथ भारत के संबंध और गहरे होंगे। पीएम मोदी गुयाना की संसद के नेशनल एसेम्‍बली को संबोधित करेंगे। यह दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच लोकतांत्रिक रिश्‍ते कितने मजबूत हैं। *पीएम मोदी का दौरा रणनीतिक और कूटनीतिक रूप से अहम* पीएम मोदी का यह दौरा भारत के लिए एक रणनीतिक और कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मिशन है। यह यात्रा दो महाद्वीपों के तीन प्रमुख देशों के साथ संबंधों को और गहरा करने का महत्वपूर्ण अवसर है. यह यात्रा प्रमुख वैश्विक साझेदारों के साथ राजनयिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और जी-20 तथा कैरेबियाई समुदाय के बहुपक्षीय मंचों के भीतर संबंधों को गहरा करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करेगा।
सउदी अरब के साथ मिलकर क्या प्लानिंग कर रहा भारत? दोनों देशों के विदेश मंत्री के बीच हुई मुलाकात

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सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल-सऊद अपने दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर भारत पहुंचे हैं। जहां उन्होंने हैदराबाद हाउस में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद से मुलाकात में एस जयशंकर ने कहा कि भारत गाजा में शीघ्र युद्धविराम का समर्थन करता है और वह लगातार दो स्टेट सॉल्यूशन के माध्यम से फिलिस्तीनी मुद्दे के समाधान के लिए खड़ा है। जयशंकर ने कहा कि पश्चिम एशिया की स्थिति खासकर गाजा में स्थिति गहरी चिंता का विषय है। विदेश मंत्री ने सऊदी अरब को क्षेत्र में स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण ताकत बताया।

दिल्ली के हैदराबाद हाउस में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद से मुलाकात की। एस जयशंकर और प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद के बीच बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया। एस जयशंकर ने कहा कि हमने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों, विशेष रूप से पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष और विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर हमारे संयुक्त प्रयासों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। जयशंकर ने कहा कि भारत दो-राज्य समाधान के माध्यम से फिलिस्तीनी मुद्दे के समाधान के लिए खड़ा है। फिलिस्तीनी संस्थाओं के निर्माण में योगदान दिया है।

इन मुद्दों पर हुई दोनों नेताओं की बात

जारी बयान में कहा गया है कि एस जयशंकर और प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद ने व्यापार, रक्षा, निवेश, ऊर्जा, सुरक्षा और कांसुलर मुद्दों पर भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। एस जयशंकर और प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद भारत-सऊदी रणनीतिक साझेदारी परिषद (एसपीसी) की राजनीतिक, सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक (पीएसएससी) समिति की सह-अध्यक्षता करते हैं। इस दौरान दोनों ने सितंबर 2023 में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की भारत यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की।

हम शीघ्र युद्धविराम का समर्थन करते हैं’

एस जयशंकर ने कहा कि पश्चिम एशिया की स्थिति गहरी चिंता का विषय है। विशेषकर गाजा में संघर्ष. इस संबंध में भारत की स्थिति सैद्धांतिक और सुसंगत रही है। उन्होंने कहा, हालांकि हम आतंकवाद और बंधक बनाने के कृत्यों की निंदा करते हैं। हम निर्दोष नागरिकों की मौत से बहुत दुखी हैं। हम शीघ्र युद्धविराम का समर्थन करते हैं।

सऊदी के साथ भारत की पार्टनरशिप

जयशंकर ने कहा कि सऊदी अरब का 'विजन 2030' और भारत का विकसित भारत 2047 दोनों देशों के उद्योगों के लिए नई पार्टनरशिप करने के लिए पूरक हैं। उन्होंने कहा कि व्यापार और निवेश हमारी साझेदारी के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। हम प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन सहित नवीकरणीय ऊर्जा, कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य और शिक्षा सहित नए क्षेत्रों में अपने सहयोग को मजबूत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब में भारतीय समुदाय की संख्या 26 लाख है।

क्या है सरकारी ठेकों में मुसलमानों को आरक्षण पर विवाद? सिद्धारमैया ने दी सफाई

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कर्नाटक की कांग्रेस सरकार अब एक बार फिर मुस्लिम आरक्षण पर फंसती नजर आ रही है। दरअसल, कर्नाटक में सरकारी ठेकों में मुसलमानों के लिए चार फीसदी आरक्षण के मसले पर विवाद बढ़ गया है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कर्नाटक सरकार मुसलमानों को सरकारी निर्माण (सिविल) ठेकों में आरक्षण देने पर विचार कर रही है। इसके बाद से विपक्षी दल खासकर भाजपा ने कड़ा रूख अख्तिय़ार कर लिया है। हालांकि, इसे लेकर अब कर्नाटक के मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से सफाई आई है।

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सरकारी ठेकों में मुसलमानों को चार प्रतिशत आरक्षण देने की मांग पर अपना पक्ष स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि इस पर अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक के नगर प्रशासन और हज मंत्री रहीम खान, कांग्रेस विधायक और विधान परिषद सदस्यों ने 24 अगस्त को पत्र लिखकर आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े मुसलमानों को सरकारी ठेकों में चार प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की थी। सिद्धारमैया ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण की मांग उठ रही है, लेकिन फिलहाल इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

इसस पहले मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कर्नाटक सरकार मुसलमानों को सरकारी ठेकों में चार फीसदी आरक्षण देने पर विचार कर रही है। यह आरक्षण उन ठेकों के लिए होगा जिनकी लागत एक करोड़ रुपये तक हो। सरकारी ठेकों में आरक्षण पहले से ही अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) के लिए निर्धारित है। मुसलमानों को यह आरक्षण कैटगरी 2बी के तहत मिल सकता है, जो कि ओबीसी का एक वर्ग है।

अगर यह प्रस्ताव मंजूर होता है तो कर्नाटक में सरकारी ठेकों में आरक्षण की सीमा बढ़कर 47 फीसदी तक हो जाएगी। फिलहाल राज्य में सरकारी ठेकों में कुल 43 फीसदी आरक्षण है। इसमें एससी/एसटी को 24 फीसदी आरक्षण मिलता है और बाकी आरक्षण ओबीसी के लिए है। ठेके की सीमा एक करोड़ से बढ़ाकर दो करोड़ करने का भी विचार किया जा रहा है।

इस मामले पर अब कर्नाटक बीजेपी ने कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया। बीजेपी नेता आर. अशोक ने कहा कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीतिक सभी हद को पार कर रही है।वक्फ की जमीन हड़पने की तरकीबों को समर्थन देने के बाद कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया की अगुवाई में अब कर्नाटक की कांग्रेस सरकार सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को चार फीसदी आरक्षण देने की योजना बना रही है। इस तरह तो कर्नाटक जल्द ही इस्लामिक राज्य में तब्दील हो जाएगा और यहां हिंदू दोयम दर्जे के नागरिक बनकर रह जाएंगे।

कौन हैं तुलसी गबार्ड? ट्रंप की टीम में पहली हिंदु महिला, मिली ये अहम जिम्मेदारी*
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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपनी सरकार के अहम पदों पर नियुक्तियां कर रहे हैं। ट्रम्प ने हिन्दू नेता तुलसी गबार्ड को नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर की जिम्मेदारी दी है। 43 वर्षीय तुलसी गबार्ड, बाइडेन प्रशासन की कट्टर आलोचक और पूर्व डेमोक्रेटिक प्रतिनिधि रही हैं। वे पिछले महीने रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हुई थीं। वह जनवरी में रिपब्लिकन राष्ट्रपति-निर्वाचित ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद इस पद को संभालेंगी। तुलसी गबार्ड (43) अमेरिका की पहली हिन्दू सांसद रही हैं। गबार्ड ने 21 साल की उम्र में हवाई से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वह 4 बार डेमोक्रेटिक पार्टी से सांसद रहीं। तुलसी पहले बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता थी। उन्होंने पिछले महीने ही रिपब्लिकन पार्टी को ज्वाइन किया है। *एक्स पर पोस्ट से ट्रंप ने दी जानकारी* अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया विभाग का निदेशक नियुक्त किया। ट्रंप ने पोस्ट कर इसकी जानकारी दी। अपने पोस्ट में लिखा, ‘मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि पूर्व कांग्रेस सदस्य लेफ्टिनेंट कर्नल तुलसी गबार्ड नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर (डीएनआई) के रूप में काम करेंगी। 2 दशकों से तुलसी ने हमारे देश और सभी अमेरिकियों की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी है। डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी के लिए नामांकन करने की वजह से, उन्हें दोनों दलों में समर्थन प्राप्त है। वह अब एक प्राउड रिपब्लिकन हैं! मुझे पता है कि तुलसी हमारे खुफिया विभाग में अपने शानदार करियर में निडरता की भावना लाएंगी, हमारे संवैधानिक अधिकारों की वकालत करेगी और ताकत के माध्यम से शांति सुनिश्चित करेगी। तुलसी हम सभी को गौरवान्वित करेगी!’ *कौन है तुलसी?* तुलसी गबार्ड रिपब्लिकन पार्टी ज्वाइन करने से पहले डेमोक्रेटिक नेता रह चुकी हैं। उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी से 2013 से 2021 तक हवाई आईलैंड के दूसरे कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट का प्रतिनिधित्व किया। तुलसी एक दशक पहले लेफ्टिनेंट कर्नल के तौर पर इराक युद्ध में लड़ चुकी हैं और अमेरिकी आर्मी रिजर्विस्ट रही हैं। उन्होंने अक्टूबर 2022 में डेमोक्रेटिक पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी थी। तुलसी का कहना था कि डेमोक्रेटिक पार्टी कुछ एलीट लोगों के कंट्रोल में आ चुकी है। ये जंग की बातें करते हैं। श्वेत लोगों का विरोध करते हैं और नस्लभेदी ग्रुप में तब्दील हो रहे हैं। उन्होंने इस्लामी चरमपंथ को न रोक पाने के लिए डेमोक्रेटिक सरकार की आलोचना की थी। *हिंदू धर्म को मानती हैं तुलसी गबार्ड* तुलसी गबार्ड का भारत से कोई नाता नहीं हैं, लेकिन उनकी मां ने हिंदू धर्म अपना लिया था, जिसके चलते उन्होंने अपने बच्चों के नाम भी हिंदू धर्म वाले रखे। तुलसी गबार्ड भी हिंदू धर्म को मानती हैं। जब उन्होंने संसद में शपथ ली थी तो भागवत गीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी।
रेप किया, बदन में कीलें ठोकी, फिर जिंदा जलाया...मणिपुर में तीन बच्चों की मां के साथ हैवानियत

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पूर्वोतर का राज्य मणिपुर रह-रह कर सुलग रहा है। राज्य में एक बार हिंसक घटनाओं में तेजी देखी जा रही है। पिछले महीने केन्द्र की पहल पर कुकी, जो-हमार, मैतई और नगा समुदाय के करीब बीस विधायकों ने जातीय संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान ढूंढने के लिए दिल्ली में गृह मंत्रालय के अफसरों के साथ बातचीत की थी। शांति की अपील की गई, लेकिन उसका कोई असर नजर नहीं आ रहा है। बैठक के तीन हफ्ते बाद ही फिर से हिंसा शुरू हो गई। पिछले दो दिनों में हिंसा के ताजा दौर में एक बार फिर महिलाओं के साथ हैवानियत दिखी है।

मणिपुर में पिछले डेढ़ साल से हिंसा का दौर जारी है। बहुसंख्यक मैतई और अल्पसंख्यक कुकी समुदायों के बीच अधिकारों की इस लड़ाई में अब तक 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। दो हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। वहीं साठ हजार से ज्यादा लोग अपना घर-बार छोडक़र राहत शिविरों में रह रहे हैं। इस दौरान मणिपुर हिंसा की कई खौफनाक कहानियां सामने आ चुकी हैं। हिंसाग्रस्त राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बर्बरता बढ़ती जा रही है। ताजा मामला मणिपुर के जिरीबाम जिले की है। जहां रात संदिग्ध उग्रवादियों ने कहर तीन बच्चों की एक मां पर टूटा। उग्रवादियों ने तीन बच्चों की मां के साथ कथित तौर पर “बलात्कार कर उसे जिंदा जला दिया” और कम से कम 20 घरों में आग लगा दी।

अटॉप्सी रिपोर्ट से पता चला है कि महिला के साथ हैवानों जैसा सलूक किया गया। महिला के पति ने जो एफआईआर दर्ज कराई, उसमें कहा कि घर के भीतर 'बेरहमी से हत्या' किए जाने से पहले उसका बलात्कार किया गया था। 

हालांकि, असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज में हुए पोस्टमार्टम से यह पता नहीं चल सका कि महिला का रेप किया गया था या नहीं। क्योंकि उसके जले हुए शरीर को देखते हुए डॉक्टरों ने योनि से स्मीयर जुटाने की किसी भी संभावना को सिरे से खारिज कर दिया। महिला का शरीर 99 प्रतिशत तक जल चुका था। हड्डियां तक राख बन गई थीं। रिपोर्ट में 'दाहिनी जांघ के पीछे एक घाव' और 'बाईं जांघ में धातु की एक कील धंसी होने' की बात है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'दाहिना ऊपरी अंग, दोनों निचले अंगों के हिस्से और चेहरे की संरचना गायब है।'

दिल्ली में घुटने लगा दमः इन 10 इलाकों में AQI 400 के पार, अभी नहीं सुधरेंगे हालात

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देश का राजधानी दिल्ली की हवा एक बार फिर दमघोटू हो गई है। दिल्ली-एनसीआर धुंध की चादर में ढंक गई है। धुंध और कोहरे की वजह से विजिबिलिटी कम हुई है। मौसम की ऐसी हालत की वजह हिमालय क्षेत्र में एक्टिव वेस्टर्न डिस्टर्बेंस है। जिसकी वजह से हवा की दिशा पश्चिम से पूर्व की तरफ चलने लगी है, लिहाजा अब तक पाकिस्तानी साइड के ऊपर जमा प्रदूषण दिल्ली की तरफ आ गया है। ऐसे में दिल्ली समेत पूरे एनसीआर की हवा की हालत दमघोटू सी हो गई है।

बुधवार को नई दिल्ली का AQI इस मौसम में पहली बार गंभीर स्तर पर पहुंच गई। राष्ट्रीय राजधानी में एक्यूआई 418 दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, गुरूवार को भी दिल्ली में सुबह धुंध की परत छाई रही और वहीं साथ ही वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में बनी हुई है। कोहरे और स्मॉग की वजह से दृश्यता कम रही। प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ने के कारण राजधानी में धुंध की चादर छाई हुई है। सीरीफोर्ट इलाके में एक्यूआई 438 दर्ज किया गया है, जिसे सीपीसीबी के मुताबिक 'गंभीर' श्रेणी में रखा गया है। आनंद विहार में एक्यूआई 472 दर्ज हुआ है।

इन 10 इलाकों की हवा में सांस लेना मुश्किल

-आनंद विहार-------460

-जहांगीरपुरी--------445

-अशोक विहार------441

-सोनिया विहार------436

-आया नगर--------434

-नॉर्थ कैंपस--------431

-आईजीआई एयरपोर्ट---430

-आईटीओ----------429

-नजफगढ़----------426

-रोहिणी-----------429

स्कूलों को बंद करने की मांग

दिल्ली-एनसीआर के आसमान में प्रदूषण का स्तर आज बेहद खतरनाक लेवल तक पहुंच गया है। सुबह के समय सबसे ज्यादा पॉल्यूशन देखने को मिला। प्रदूषण से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सुबह-सुबह स्मॉग के चलते विजिबिलिटी भी बहुत कम है। एक्यूआई के बढ़ने से लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। साथ ही आंखों में जलन होने से लोग परेशान हैं। मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली के कई इलाकों में जहरीली हवा चल रही है, जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है, वहीं बढ़ते प्रदूषण पर स्कूलों को बंद करने की मांग तेज हो गई है ।

घने कोहरे को लेकर ऑरेंज अलर्ट*

प्रदूषण के बीच मैसम विभाग ने एक और समस्‍या को लेकर आगाह किया है। आईएमडी ने घने कोहरे को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसका मतलब यह है कि गाड़ी चलाने वालों को संभलकर और सावधानी के साथ वाहन चलाना होगा, क्‍योंकि विजिबिलिटी के काफी होने के आसार हैं। आईएमडी ने दिल्‍ली के मौसम को लेकर अलर्ट जारी किया है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि गुरुवार 14 नवंबर 2024 को दिल्‍ली और आसपास के इलाकों में मौसम में बदलाव देखने को मिल सकता है। घने कोहरे को लेकर ऑरेंज अलर्ट तक जारी किया गया है। ऐसे में विजिबिलिटी के कम रहने के पूरे आसार हैं। इससे ट्रैफिक व्‍यवस्‍था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, लिहाजा आमलोगों को वाहन चलाते समय अतिरिक्‍त सावधानी बरतने की भी सलाह दी गई है। घने कोहरे की वजह से एयर के साथ ही ट्रेन सर्विसेज के प्रभावित होने की भी आशंका है। बता दें कि बुधवार को भी सुबह घना कोहरा छाया रहा।

दिल्ली में घुटने लगा दमः इन 10 इलाकों में AQI 400 के पार, अभी नहीं सुधरेंगे हालात*
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देश का राजधानी दिल्ली की हवा एक बार फिर दमघोटू हो गई है। दिल्ली-एनसीआर धुंध की चादर में ढंक गई है। धुंध और कोहरे की वजह से विजिबिलिटी कम हुई है। मौसम की ऐसी हालत की वजह हिमालय क्षेत्र में एक्टिव वेस्टर्न डिस्टर्बेंस है। जिसकी वजह से हवा की दिशा पश्चिम से पूर्व की तरफ चलने लगी है, लिहाजा अब तक पाकिस्तानी साइड के ऊपर जमा प्रदूषण दिल्ली की तरफ आ गया है। ऐसे में दिल्ली समेत पूरे एनसीआर की हवा की हालत दमघोटू सी हो गई है। बुधवार को नई दिल्ली का AQI इस मौसम में पहली बार गंभीर स्तर पर पहुंच गई। राष्ट्रीय राजधानी में एक्यूआई 418 दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, गुरूवार को भी दिल्ली में सुबह धुंध की परत छाई रही और वहीं साथ ही वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में बनी हुई है। कोहरे और स्मॉग की वजह से दृश्यता कम रही। प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ने के कारण राजधानी में धुंध की चादर छाई हुई है। सीरीफोर्ट इलाके में एक्यूआई 438 दर्ज किया गया है, जिसे सीपीसीबी के मुताबिक 'गंभीर' श्रेणी में रखा गया है। आनंद विहार में एक्यूआई 472 दर्ज हुआ है। *इन 10 इलाकों की हवा में सांस लेना मुश्किल* -आनंद विहार-------460 -जहांगीरपुरी--------445 -अशोक विहार------441 -सोनिया विहार------436 -आया नगर--------434 -नॉर्थ कैंपस--------431 -आईजीआई एयरपोर्ट---430 -आईटीओ----------429 -नजफगढ़----------426 -रोहिणी-----------429 स्कूलों को बंद करने की मांग* दिल्ली-एनसीआर के आसमान में प्रदूषण का स्तर आज बेहद खतरनाक लेवल तक पहुंच गया है। सुबह के समय सबसे ज्यादा पॉल्यूशन देखने को मिला। प्रदूषण से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सुबह-सुबह स्मॉग के चलते विजिबिलिटी भी बहुत कम है। एक्यूआई के बढ़ने से लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। साथ ही आंखों में जलन होने से लोग परेशान हैं। मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली के कई इलाकों में जहरीली हवा चल रही है, जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है, वहीं बढ़ते प्रदूषण पर स्कूलों को बंद करने की मांग तेज हो गई है । *घने कोहरे को लेकर ऑरेंज अलर्ट* प्रदूषण के बीच मैसम विभाग ने एक और समस्‍या को लेकर आगाह किया है। आईएमडी ने घने कोहरे को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसका मतलब यह है कि गाड़ी चलाने वालों को संभलकर और सावधानी के साथ वाहन चलाना होगा, क्‍योंकि विजिबिलिटी के काफी होने के आसार हैं। आईएमडी ने दिल्‍ली के मौसम को लेकर अलर्ट जारी किया है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि गुरुवार 14 नवंबर 2024 को दिल्‍ली और आसपास के इलाकों में मौसम में बदलाव देखने को मिल सकता है। घने कोहरे को लेकर ऑरेंज अलर्ट तक जारी किया गया है। ऐसे में विजिबिलिटी के कम रहने के पूरे आसार हैं। इससे ट्रैफिक व्‍यवस्‍था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, लिहाजा आमलोगों को वाहन चलाते समय अतिरिक्‍त सावधानी बरतने की भी सलाह दी गई है। घने कोहरे की वजह से एयर के साथ ही ट्रेन सर्विसेज के प्रभावित होने की भी आशंका है। बता दें कि बुधवार को भी सुबह घना कोहरा छाया रहा।
अमेरिका में बड़ा दांव खेलने की तैयारी में गौतम अडानी, करेंगे 10 बिलियन डॉलर का निवेश

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भारत और एशिया के दूसरे बड़े रईस गौतम अडानी अमेरिका में बड़ा दांव खेलने की तैयारी में हैं। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक साझेदारी तेजी से बढ़ रही है। अब अडानी ग्रुप ने अमेरिका के एनर्जी और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में भारी निवेश करने का ऐलान किया है। अदानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने कहा कि उनकी कंपनी यूएस एनर्जी सिक्योरिटी और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में 10 अरब डॉलर का निवेश करेगा। इस प्रोजेक्ट से 15 हजार नौकरियां पैदा होंगी।

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अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने अपने सोशल मीडिया फ्लेटफॉर्म एक्स पर खुद इसकी जानकारी दी। गौतम अडानी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा डोनाल्ड ट्रंप को बधाई, जैसे-जैसे भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी गहरी होती जा रही है, अडानी ग्रुप अपनी ग्लोबल विशेषज्ञता का फायदा उठाने और अमेरिका के एनर्जी सिक्योरिटी और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में 10 बिलियन डॉलर का निवेश करने के लिए तैयार है। आगे उन्होंने लिखा इसका लक्ष्य 15000 नौकरियां पैदा करना है।

मेटल इंडस्ट्री में भी अडानी ने किया निवेश

इससे पहले अडानी ग्रुप ने देश के मेटल इंडस्ट्री में भी निवेश करने की घोषणा की थी। बता दें कंपनी मेटल इंडस्ट्री में करीब 42 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है। इससे नौंकरियों के साथ मेटल कारोबार में खनन, लोहा, शोधन, इस्पात और एल्युमीनियम के प्रोडक्शन में इजाफा होगा।

यूरोपीय राजदूतों की मेजबानी

इससे पहले मंगलवार को गौतम अडानी ने यूरोपीय यूनियन, जर्मनी, डेनमार्क और बेल्जियम के राजदूतों को अडानी ग्रुप के नवीकरणीय ऊर्जा प्रतिष्ठानों का दौरा कराया। अडानी ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अडानी की मेजबानी में यूरोपीय राजदूतों को गुजरात में कंपनी के रिन्युएबल एनर्जी ऑपरेशन का गहन दौरा कराया गया। उन्होंने गुजरात के खावड़ा में दुनिया के सबसे बड़े रिन्युएबल एनर्जी पार्क और मुंद्रा में भारत के सबसे बड़े पोर्ट, लॉजिस्टिक्स और औद्योगिक केंद्र का दौरा किया। खावड़ा रिन्युएबल एनर्जी पार्क, पूरा होने के बाद 30 गीगावॉट के साथ दुनिया का सबसे बड़ा रिन्युएबल एनर्जी पार्क होगा, जिसमें पेरिस से पांच गुना बड़े क्षेत्र में सोलर और विंड एनर्जी प्रोजेक्ट शामिल होंगे।

राष्ट्रपति चुनाव जीतने पर ट्रंप को दी थी बधाई

वहीं, 6 नवंबर को अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद गौतम अडानी ने एक्स पर एक पोस्ट लिखकर उन्हें बधाई दी थी। अडानी ने लिखा था, "अगर इस धरती पर कोई एक व्यक्ति जो अटूट दृढ़ता, धैर्य, दृढ़ संकल्प और अपने विश्वासों के प्रति सच्चे साहस का प्रतीक है, तो वे डोनल्ड ट्रंप हैं। ये देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका का लोकतंत्र किस तरह अपने लोगों को सशक्त बनाता है। कैसे अपने संस्थापकों के सिद्धांतों को कायम रखता है। 47वें निर्वाचित राष्ट्रपति को बधाई।

पाकिस्तान में अपनी सेना तैनात करेगा चीन! क्या पाकिस्तान को मंजूर होगा ड्रैगन का प्रपोजल*
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#china_in_talks_with_pakistan_to_send_army_and_secure_its_own_citizen
पाकिस्‍तान की धरती पर मौजूद चीनी नागरिकों पर बार-बार हमले हो रहे हैं।पिछले महीने कराची हवाई अड्डे के पास हुए कार बम विस्फोट में दो चीनी इंजीनियरों की जान चली गई। पाकिस्तान में इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, और चीनी नागरिकों के खिलाफ हो रहे हमलों ने चीन को चिंतित कर दिया है। पाकिस्तान में अपने नागरिकों पर लगातार हो रहे हमलों ने चीन का पाक सुरक्षाबलों से भरोसा उठा दिया है। बीजिंग अब पाकिस्तान में अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए चीनी सिक्योरिटी स्टाफ को तैनात करना चाहता है। ऐसे में चीन की सरकार इस्लामाबाद पर पाकिस्तान में काम करने वाले हजारों कर्मियों को सुरक्षा देने के लिए अपने सैनिकों की तैनाती को अनुमति देने के लिए दबाव डाल रहा है। बीजिंग ने इस्लामाबाद को एक लिखित प्रस्ताव भेजा है, जिसमें चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए चीन की अपनी सुरक्षा एजेंसियों की तैनाती की मांग की गई है।इस प्रस्ताव में यह प्रावधान भी शामिल है कि दोनों देश एक-दूसरे के क्षेत्र में आतंकवाद-रोधी अभियानों और संयुक्त हमलों के लिए अपनी सैन्य और सुरक्षा एजेंसियों को भेज सकेंगे। इस प्रावधान का उद्देश्य पाकिस्तान में चीनी नागरिकों और परियोजनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, कराची एयरपोर्ट के पास बीते हुए पिछले महीने हुए विस्फोट में दो चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई थी। कराची हवाई अड्डे के पास हुए इस कार बम विस्फोट को चीन ने सुरक्षा में बड़ी चूक की तरह देखा है। इसने चीन की नाराजगी को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। इसने पाकिस्तान सरकार को ज्वाइंट सिक्योरिटी मैनेजमेंट सिस्टम के लिए औपचारिक वार्ता शुरू करने के लिए मजबूर किया है। सूत्रों के हवाले से दावा किया गया कि एक ज्‍वाइंट सिक्‍योरिटी मैनेजमेंट सिस्‍टम बनाने करने पर आम सहमति थी। हालांकि ग्राउंड लेवल पर सुरक्षा के संबंध में कोई समझौता नहीं हुआ है। पाकिस्‍तान पर चीन का काफी कर्ज है। ऊपर से देश में हो रहे विकासकार्यों को देखते हुए शाहबाज शरीफ सरकार ज्‍यादा वक्‍त तक चीन के प्रस्‍ताव को होल्‍ड करने की स्थिति में नहीं है। उसे आज नहीं तो कल चीन की बात माननी ही होगी। इस मामले पर पाकिस्तान या चीन की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि वह संयुक्त सुरक्षा योजना पर बातचीत से परिचित नहीं है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि चीन पाकिस्तान के साथ सहयोग को मजबूत करना जारी रखेगा और चीनी कर्मियों और संस्थानों की सुरक्षा बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। पाकिस्तान सेना ने भी इस पर टिप्पणी करने से मना कर दिया है। पिछले महीने कराची हवाई अड्डे पर बम विस्फोट हुआ था, जिसमें दो चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई थी। चीनी नागरिकों पर लगातार हो रहे हमलों और उन्हें रोकने में इस्लामाबाद की नाकामी से शी जिनपिंग नाराज हैं। हाल ही में पाकिस्‍तानी अधिकारियों के साथ बैठक में चीन की तरफ से कहा गया कि वे अपनी सुरक्षा खुद लाना चाहते हैं। हालांकि पाकिस्तान ने अभी तक इस तरह के प्रस्‍ताव पर सहमति नहीं जताई है।
ट्रंप की जीत से ख़फ़ा आधी आबादी, न शादी, न डेटिंग, न करेंगी बच्चे, जानें क्या है पूरा मामला?*
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#donald_trump_win_women_swear_off_men_no_sex_babies_4b_movement
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव जीत चुके हैं। वे अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में जल्द ही पदभार ग्रहण करेंगे। इससे पहले ट्रंप पूरे एक्शन में दिख रहे हैं। उन्होंने अपने कैबिनेट को रूपरेखा देना शुरू भी कर दिया है। हालांकि, ट्रंप की वापसी बहुतों का रास नहीं आ रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत कई महिलाओं को रास नहीं आ रहा है। हज़ारों महिलाएं अमेरिका के अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन कर रही हैं। वो ट्रंप की जीत के लिए पुरुषों को ‘दोषी’ ठहरा रही हैं। दरअसल, ट्रंप की जीत के बाद अमेरिकी महिलाओं की दक्षिण कोरिया के 4बी आंदोलन में दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। बता दें कि 4बी आंदोलन की समर्थक महिलाएं पुरुषों के साथ डेटिंग करने, शादी करने, यौन संबंध बनाने या बच्चे पैदा करने से इनकार करती हैं। ट्रंप की जीत के बाद महिलाओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'अमेरिकी महिलाओं! ऐसा लगता है कि दक्षिण कोरिया के 4B आंदोलन से प्रभावित होने का समय आ गया है।' एक अन्य महिला ने लिखा, 'दक्षिण कोरिया की महिलाएं ऐसा कर रही हैं। अब समय आ गया है कि हम भी उनके साथ जुड़ें। पुरुषों को अब न कोई इनाम नहीं मिलेगा और न उन्हें हमारा शरीर मिलेगा।' अमेरिका के न्यूयॉर्क और सिएटल समेत कई बड़े शहरों में महिलाओं ने ट्रंप की जीत के खिलाफ प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि ट्रंप पहले भी प्रजनन अधिकारों के ख़िलाफ़ धमकियां दे चुके हैं। प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि वो इस बात से निराश हैं कि युवकों ने ऐसे उम्मीदवार को वोट दिया, जो उनकी शारीरिक स्वायत्तता का सम्मान नहीं करता। चुनाव के दौरान भी डेमोक्रेटिक उम्मीवार कमला हैरिस ने ट्रंप की ‘नारी-विरोधी इमेज’ का ख़ूब ज़िक्र किया था। इस आंदोलन के जरिए महिलाएं ट्रंप की जीत का बदला लेने और विरोध के तौर पर सेक्स न करने, रिश्ते न बनाने, शादी न करने और बच्चे न पैदा करने की कसमें खा रही हैं। हालिया दिनों में 4B मूवमेंट अमेरिका में ट्रेंड कर रहा है। इस आंदोलन में शामिल महिलाओं का कहना है कि ट्रंप महिला विरोधी हैं। वो गर्भपात का संवैधानिक अधिकार खत्म करने के समर्थक हैं। *गर्भपात के अधिकार पर प्रतिबंधों की आशंका* ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान में साल 2022 में रो बनाम वेड को पलटने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लिए बार-बार खुद को क्रेडिट दिया। इस फैसले ने अमेरिका में गर्भपात के राष्ट्रीय अधिकार को खत्म कर दिया था। अब ट्रंप की जीत के बाद अमेरिकी महिलाओं की दक्षिण कोरिया के 4बी आंदोलन में दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। *क्या है 4B आंदोलन?* इस आंदोलन की शुरुआत कोरियाई महिलाओं ने साल 2019 में की थी। यह चार शब्दों के साथ शुरू किया गया था, जिन्हें कोरियाई शब्द Bi को पहले लगाकर बोला जाता है। इसका मतलब होता है नो यानी नहीं। इसीलिए इसे '4 NO' भी कहा जाता है। *क्या हैं चार शब्द?* बिहोन (Bihon)- किसी विपरीतलिंगी यानी पुरुष से शादी नहीं बिकुलसन (Bichilsan- कोई बच्चा नहीं बियोनाए (Biyeonae)- पुरुषों के साथ डेटिंग भी नहीं बिसेकसेउ (Bisekseu)- विपरीतलिंग यानी पुरुषों के साथ यौन संबंध नहीं