पाकिस्तान में अपनी सेना तैनात करेगा चीन! क्या पाकिस्तान को मंजूर होगा ड्रैगन का प्रपोजल*
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पाकिस्‍तान की धरती पर मौजूद चीनी नागरिकों पर बार-बार हमले हो रहे हैं।पिछले महीने कराची हवाई अड्डे के पास हुए कार बम विस्फोट में दो चीनी इंजीनियरों की जान चली गई। पाकिस्तान में इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, और चीनी नागरिकों के खिलाफ हो रहे हमलों ने चीन को चिंतित कर दिया है। पाकिस्तान में अपने नागरिकों पर लगातार हो रहे हमलों ने चीन का पाक सुरक्षाबलों से भरोसा उठा दिया है। बीजिंग अब पाकिस्तान में अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए चीनी सिक्योरिटी स्टाफ को तैनात करना चाहता है। ऐसे में चीन की सरकार इस्लामाबाद पर पाकिस्तान में काम करने वाले हजारों कर्मियों को सुरक्षा देने के लिए अपने सैनिकों की तैनाती को अनुमति देने के लिए दबाव डाल रहा है। बीजिंग ने इस्लामाबाद को एक लिखित प्रस्ताव भेजा है, जिसमें चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए चीन की अपनी सुरक्षा एजेंसियों की तैनाती की मांग की गई है।इस प्रस्ताव में यह प्रावधान भी शामिल है कि दोनों देश एक-दूसरे के क्षेत्र में आतंकवाद-रोधी अभियानों और संयुक्त हमलों के लिए अपनी सैन्य और सुरक्षा एजेंसियों को भेज सकेंगे। इस प्रावधान का उद्देश्य पाकिस्तान में चीनी नागरिकों और परियोजनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, कराची एयरपोर्ट के पास बीते हुए पिछले महीने हुए विस्फोट में दो चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई थी। कराची हवाई अड्डे के पास हुए इस कार बम विस्फोट को चीन ने सुरक्षा में बड़ी चूक की तरह देखा है। इसने चीन की नाराजगी को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। इसने पाकिस्तान सरकार को ज्वाइंट सिक्योरिटी मैनेजमेंट सिस्टम के लिए औपचारिक वार्ता शुरू करने के लिए मजबूर किया है। सूत्रों के हवाले से दावा किया गया कि एक ज्‍वाइंट सिक्‍योरिटी मैनेजमेंट सिस्‍टम बनाने करने पर आम सहमति थी। हालांकि ग्राउंड लेवल पर सुरक्षा के संबंध में कोई समझौता नहीं हुआ है। पाकिस्‍तान पर चीन का काफी कर्ज है। ऊपर से देश में हो रहे विकासकार्यों को देखते हुए शाहबाज शरीफ सरकार ज्‍यादा वक्‍त तक चीन के प्रस्‍ताव को होल्‍ड करने की स्थिति में नहीं है। उसे आज नहीं तो कल चीन की बात माननी ही होगी। इस मामले पर पाकिस्तान या चीन की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि वह संयुक्त सुरक्षा योजना पर बातचीत से परिचित नहीं है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि चीन पाकिस्तान के साथ सहयोग को मजबूत करना जारी रखेगा और चीनी कर्मियों और संस्थानों की सुरक्षा बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। पाकिस्तान सेना ने भी इस पर टिप्पणी करने से मना कर दिया है। पिछले महीने कराची हवाई अड्डे पर बम विस्फोट हुआ था, जिसमें दो चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई थी। चीनी नागरिकों पर लगातार हो रहे हमलों और उन्हें रोकने में इस्लामाबाद की नाकामी से शी जिनपिंग नाराज हैं। हाल ही में पाकिस्‍तानी अधिकारियों के साथ बैठक में चीन की तरफ से कहा गया कि वे अपनी सुरक्षा खुद लाना चाहते हैं। हालांकि पाकिस्तान ने अभी तक इस तरह के प्रस्‍ताव पर सहमति नहीं जताई है।
ट्रंप की जीत से ख़फ़ा आधी आबादी, न शादी, न डेटिंग, न करेंगी बच्चे, जानें क्या है पूरा मामला?*
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डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव जीत चुके हैं। वे अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में जल्द ही पदभार ग्रहण करेंगे। इससे पहले ट्रंप पूरे एक्शन में दिख रहे हैं। उन्होंने अपने कैबिनेट को रूपरेखा देना शुरू भी कर दिया है। हालांकि, ट्रंप की वापसी बहुतों का रास नहीं आ रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत कई महिलाओं को रास नहीं आ रहा है। हज़ारों महिलाएं अमेरिका के अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन कर रही हैं। वो ट्रंप की जीत के लिए पुरुषों को ‘दोषी’ ठहरा रही हैं। दरअसल, ट्रंप की जीत के बाद अमेरिकी महिलाओं की दक्षिण कोरिया के 4बी आंदोलन में दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। बता दें कि 4बी आंदोलन की समर्थक महिलाएं पुरुषों के साथ डेटिंग करने, शादी करने, यौन संबंध बनाने या बच्चे पैदा करने से इनकार करती हैं। ट्रंप की जीत के बाद महिलाओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'अमेरिकी महिलाओं! ऐसा लगता है कि दक्षिण कोरिया के 4B आंदोलन से प्रभावित होने का समय आ गया है।' एक अन्य महिला ने लिखा, 'दक्षिण कोरिया की महिलाएं ऐसा कर रही हैं। अब समय आ गया है कि हम भी उनके साथ जुड़ें। पुरुषों को अब न कोई इनाम नहीं मिलेगा और न उन्हें हमारा शरीर मिलेगा।' अमेरिका के न्यूयॉर्क और सिएटल समेत कई बड़े शहरों में महिलाओं ने ट्रंप की जीत के खिलाफ प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि ट्रंप पहले भी प्रजनन अधिकारों के ख़िलाफ़ धमकियां दे चुके हैं। प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि वो इस बात से निराश हैं कि युवकों ने ऐसे उम्मीदवार को वोट दिया, जो उनकी शारीरिक स्वायत्तता का सम्मान नहीं करता। चुनाव के दौरान भी डेमोक्रेटिक उम्मीवार कमला हैरिस ने ट्रंप की ‘नारी-विरोधी इमेज’ का ख़ूब ज़िक्र किया था। इस आंदोलन के जरिए महिलाएं ट्रंप की जीत का बदला लेने और विरोध के तौर पर सेक्स न करने, रिश्ते न बनाने, शादी न करने और बच्चे न पैदा करने की कसमें खा रही हैं। हालिया दिनों में 4B मूवमेंट अमेरिका में ट्रेंड कर रहा है। इस आंदोलन में शामिल महिलाओं का कहना है कि ट्रंप महिला विरोधी हैं। वो गर्भपात का संवैधानिक अधिकार खत्म करने के समर्थक हैं। *गर्भपात के अधिकार पर प्रतिबंधों की आशंका* ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान में साल 2022 में रो बनाम वेड को पलटने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लिए बार-बार खुद को क्रेडिट दिया। इस फैसले ने अमेरिका में गर्भपात के राष्ट्रीय अधिकार को खत्म कर दिया था। अब ट्रंप की जीत के बाद अमेरिकी महिलाओं की दक्षिण कोरिया के 4बी आंदोलन में दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। *क्या है 4B आंदोलन?* इस आंदोलन की शुरुआत कोरियाई महिलाओं ने साल 2019 में की थी। यह चार शब्दों के साथ शुरू किया गया था, जिन्हें कोरियाई शब्द Bi को पहले लगाकर बोला जाता है। इसका मतलब होता है नो यानी नहीं। इसीलिए इसे '4 NO' भी कहा जाता है। *क्या हैं चार शब्द?* बिहोन (Bihon)- किसी विपरीतलिंगी यानी पुरुष से शादी नहीं बिकुलसन (Bichilsan- कोई बच्चा नहीं बियोनाए (Biyeonae)- पुरुषों के साथ डेटिंग भी नहीं बिसेकसेउ (Bisekseu)- विपरीतलिंग यानी पुरुषों के साथ यौन संबंध नहीं
दिल्ली में सांस लेना हुआ मुश्किल, इस मौसम में पहली बार 'गंभीर' श्रेणी में पहुंचा वायु गुणवत्ता

दिल्ली की वायु गुणवत्ता बुधवार को इस मौसम में पहली बार 'गंभीर' हो गई, वायु गुणवत्ता सूचकांक 418 तक पहुंच गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली के 36 निगरानी स्टेशनों में से 30 ने वायु गुणवत्ता को 'गंभीर' श्रेणी में बताया।

मंगलवार को, राष्ट्रीय राजधानी का 24 घंटे का औसत AQI प्रतिदिन शाम 4 बजे दर्ज किया गया, जो मंगलवार को 334 था। CPCB 0-50 के बीच के AQI को "अच्छा", 51 और 100 के बीच को "संतोषजनक", 101 और 200 के बीच को "मध्यम", 201 और 300 के बीच को "खराब", 301 और 400 के बीच को "बहुत खराब" और 400 से अधिक को "गंभीर" श्रेणी में वर्गीकृत करता है।

बुधवार को सुबह 9 बजे, वायु गुणवत्ता 366 के साथ 'बहुत खराब' थी। दिल्ली में "घना कोहरा" छाया रहा, जिससे दिल्ली हवाई अड्डे पर दृश्यता शून्य हो गई, जबकि पूरे क्षेत्र में शांत हवाएँ चल रही थीं। आईएमडी ने कहा कि शहर का तापमान मंगलवार को 17.9 डिग्री सेल्सियस से बुधवार सुबह 17 डिग्री सेल्सियस (63 डिग्री फ़ारेनहाइट) तक गिर गया। इसने चेतावनी दी कि तापमान में और गिरावट आ सकती है क्योंकि धुंध के कारण सूरज की रोशनी कटी हुई है।

दिल्ली हर सर्दियों में गंभीर प्रदूषण से जूझती है क्योंकि ठंडी, भारी हवाएँ धूल, उत्सर्जन और पड़ोसी कृषि राज्यों पंजाब और हरियाणा में अवैध रूप से लगाई गई आग से निकलने वाले धुएँ को अपने में समेट लेती हैं।

आज सुबह, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई ने शहर में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर दिल्ली सरकार से कक्षा 5 तक के सभी स्कूलों को तत्काल बंद करने का आग्रह किया। पार्टी ने शहर को गैस चैंबर में बदलने देने के लिए सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) की भी आलोचना की। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए बच्चों की सुरक्षा के लिए निजी और सरकारी दोनों स्कूलों को बंद कर देना चाहिए।

*उद्धव ठाकरे के चेकिंग विवाद के बीच चुनाव आयोग के अधिकारियों ने पालघर में एकनाथ शिंदे के बैग किया जांच


* महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बैग की बुधवार को चुनाव आयोग के अधिकारियों ने पालघर में जांच की। पालघर पुलिस ग्राउंड हेलीपैड पर हेलीकॉप्टर उतरने के बाद शिंदे के बैग की जांच की गई। यह कार्रवाई शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा चुनाव आयोग पर सवाल उठाने के बाद की गई, जब अधिकारियों ने उनके बैग की जांच की। ठाकरे ने कहा कि पिछले दो दिनों में लातूर और यवतमाल जिलों में पहुंचने के बाद चुनाव अधिकारियों ने उनके बैग की जांच की थी। उन्होंने चुनाव अधिकारियों से पूछा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ भी यही कार्रवाई की जाएगी। ठाकरे ने वानी में एक जनसभा में कहा था, "मैं [ईसीआई अधिकारियों] से नाराज़ नहीं हूँ क्योंकि वे अपना कर्तव्य निभा रहे थे। लेकिन साथ ही, मेरा एक सवाल है: 'क्या वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, उस दाढ़ी वाले व्यक्ति (एकनाथ शिंदे का जिक्र करते हुए), गुलाबी जैकेट वाले व्यक्ति (अजीत पवार का जिक्र करते हुए) और उस उपमुख्यमंत्री फडणवीस के बैग की जाँच करते हैं?" महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हालांकि कहा कि उद्धव ठाकरे चुनाव अधिकारियों द्वारा उनके बैग की जाँच के खिलाफ़ अनावश्यक रूप से विरोध करके ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं और "रोना-धोना करके वोट मांग रहे हैं"। उपमुख्यमंत्री ने कहा, "बैग की जाँच में क्या गलत है? हमारे बैग की जाँच चुनाव प्रचार के दौरान की गई थी और इस तरह की निराशा की कोई ज़रूरत नहीं थी।" उन्होंने आगे कहा कि चुनाव अधिकारियों ने उनकी अभियान टीम के साथ भी यही प्रक्रिया अपनाई। इससे पहले, बुधवार को बारामती में चुनाव आयोग के अधिकारियों ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के बैग की भी जाँच की थी। महाराष्ट्र भाजपा ने एक्स पर एक वीडियो भी पोस्ट किया था जिसमें अधिकारी देवेंद्र फडणवीस के बैग की जाँच करते हुए दिखाई दे रहे थे।
उद्धव ठाकरे के चेकिंग विवाद के बीच चुनाव आयोग के अधिकारियों ने पालघर में एकनाथ शिंदे के बैग किया जांच

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बैग की बुधवार को चुनाव आयोग के अधिकारियों ने पालघर में जांच की। पालघर पुलिस ग्राउंड हेलीपैड पर हेलीकॉप्टर उतरने के बाद शिंदे के बैग की जांच की गई। यह कार्रवाई शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा चुनाव आयोग पर सवाल उठाने के बाद की गई, जब अधिकारियों ने उनके बैग की जांच की। ठाकरे ने कहा कि पिछले दो दिनों में लातूर और यवतमाल जिलों में पहुंचने के बाद चुनाव अधिकारियों ने उनके बैग की जांच की थी। उन्होंने चुनाव अधिकारियों से पूछा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ भी यही कार्रवाई की जाएगी।

ठाकरे ने वानी में एक जनसभा में कहा था, "मैं [ईसीआई अधिकारियों] से नाराज़ नहीं हूँ क्योंकि वे अपना कर्तव्य निभा रहे थे। लेकिन साथ ही, मेरा एक सवाल है: 'क्या वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, उस दाढ़ी वाले व्यक्ति (एकनाथ शिंदे का जिक्र करते हुए), गुलाबी जैकेट वाले व्यक्ति (अजीत पवार का जिक्र करते हुए) और उस उपमुख्यमंत्री फडणवीस के बैग की जाँच करते हैं?"

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हालांकि कहा कि उद्धव ठाकरे चुनाव अधिकारियों द्वारा उनके बैग की जाँच के खिलाफ़ अनावश्यक रूप से विरोध करके ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं और "रोना-धोना करके वोट मांग रहे हैं"। उपमुख्यमंत्री ने कहा, "बैग की जाँच में क्या गलत है? हमारे बैग की जाँच चुनाव प्रचार के दौरान की गई थी और इस तरह की निराशा की कोई ज़रूरत नहीं थी।" उन्होंने आगे कहा कि चुनाव अधिकारियों ने उनकी अभियान टीम के साथ भी यही प्रक्रिया अपनाई।

इससे पहले, बुधवार को बारामती में चुनाव आयोग के अधिकारियों ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के बैग की भी जाँच की थी। महाराष्ट्र भाजपा ने एक्स पर एक वीडियो भी पोस्ट किया था जिसमें अधिकारी देवेंद्र फडणवीस के बैग की जाँच करते हुए दिखाई दे रहे थे।

अपने पैरों पर खड़ा होना सीखें", शरद पवार की तस्वीरों के इस्तेमाल पर अजित पवार खेमे को सुप्रीम कोर्ट की सलाह

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सुप्रीम कोर्ट में राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अजित पवार गुट को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट अजित पवार गुट को “विधानसभा चुनाव में एक स्वतंत्र पार्टी के रूप में लड़ने” का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि पार्टी का विभाजन होने के बाद अब वह संस्‍थापक शरद पवार की फोटो या वीडियो का महाराष्‍ट्र में हो रहे चुनावों में प्रचार के लिए इस्‍तेमाल नहीं करें।कोर्ट ने अजित पवार गुट से कहा कि आपकी अपनी अलग पहचान है, आप उस पर महाराष्ट्र का चुनाव लड़िए।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुयन की बेंच ने केस पर सुनवाई की। एनसीपी शरद पवार की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने सोशल मीडिया पोस्ट, पोस्टर्स के फोटो दिखाए और बेंच से कहा कि एनसीपी अजित पवार ने ये सभी चीजें कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर पब्लिश की हैं। अभिषेक सिंघवी ने कहा कि अजित गुट चुनाव प्रचार में शरद पवार के पुराने वीडियो का इस्‍तेमाल कर रहा है। इससे लोगों में ये भ्रम उत्‍पन्‍न हो गया है कि दोनों गुट एक दूसरे के विरोधी नहीं है।

इस दलील का विरोध करते हुए अजित गुट की ओर से पेश वकील बलबीर सिंह ने कहा कि ये वीडियो मौजूदा चुनाव प्रचार अभियान का हिस्‍सा नहीं है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ये वीडियो पुराना है या नहीं...लेकिन आपका शरद पवार के साथ वैचारिक मतभेद है और आप एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। इसलिए आपको खुद अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए।

कोर्ट ने अजित पवार के ऑफिस को निर्देश दिया कि वो अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए एक सर्कुलर जारी करें कि वो शरद पवार का फोटो या वीडियो प्रचार के लिए यूज नहीं करे। कोर्ट ने कहा कि आप पृथक और भिन्‍न राजनीतिक दल होने के नाते अपनी अलग पहचान बनाएं।

बता दें कि एनसीपी पार्टी में फूट के बाद अजित पवार और शरद पवार अलग-अलग पार्टी बन गई। इसके बाद एनसीपी शरद पवार गुट ने पार्टी और सिंबल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। साथ ही शरद पवार गुट ने यह भी आरोप लगाया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों का अजित पवार गुट द्वारा पालन नहीं किया जा रहा है। याचिका पर 7 नवंबर को सुनवाई हुई। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार ग्रुप को 36 घंटे के अंदर अखबार में विज्ञापन प्रकाशित करने का आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि घड़ी चुनाव चिन्ह का मामला कोर्ट में विचाराधीन है।

ट्रंप ने पूर्व शीर्ष खुफिया अधिकारी को चुना सीआईए का चीफ, अब काश पटेल का क्या?*
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अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को ऐतिहासिक जीत हासिल हुई है। इस जीत के साथ ही ट्रंप अपनी प्रशासनिक टीम बनाने के लिए अधिकारियों को चुनने में लगे हैं। ट्रंप ने अमेरिका पहले का नारा दिया है। वह ऐसे लोगों को चुन रहे हैं, जिनके जरिए वह अपनी नीतियों को सीमा, व्यापार, अर्थव्यवस्था और अन्य क्षेत्रों में लागू कर सकें। इसी कड़ी में ट्रंप ने अमेरिका की केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआइए) के निदेशक के लिए उन्होंने एक ऐसे पूर्व खुफिया अधिकारी को चुना है, जिनका नाम अमेरिका के शीर्ष जासूसों में है और जिनको चीन के लिए "बाज" कहा जाता है। डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को घोषणा की कि पूर्व जासूस और राष्ट्रीय खुफिया निदेशक जॉन रैटक्लिफ उनके प्रशासन में केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) का नेतृत्व करेंगे। अहम पदों पर लगातार की जा रही घोषणाओं के तहत ट्रंप ने कांग्रेस सदस्य माइक वाल्ट्ज को अपना राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाने का भी फैसला किया और कहा कि वह चीन, रूस, ईरान तथा वैश्विक आतंकवाद के कारण उत्पन्न हुए खतरों पर विशेषज्ञ हैं। *ट्रंप के पहले कार्यकाल में इस पर थे कार्यरत* जॉन रैटक्लिफ ट्रंप के पहले कार्यकाल के अंत में भी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक थे। बता दें कि रैटक्लिफ ने मई 2020 के अंत से जनवरी 2021 में ट्रम्प के कार्यालय छोड़ने तक देश के शीर्ष जासूस के रूप में कार्य किया था। हाल ही में वह सेंटर फॉर अमेरिकन सिक्योरिटी के सह-अध्यक्ष हैं जो ट्रम्प के पदों की वकालत करने वाला एक थिंक टैंक है। इसके अलावा रैटक्लिफ ने पूर्व रिपब्लिकन राष्ट्रपति को अपने 2024 अभियान के दौरान नीतियों को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा पर सलाह भी दी थी। *चीन के लिए बाज कहे जाते हैं रैटक्लिफ* रैटक्लिफ अमेरिका के प्रतिद्वंदी चीन के लिए बाज कहे जाते हैं। बाज यानि जो सबसे हमलावर पक्षी है। वहीं हाल ही में रैटक्लिफ ने मध्य-पूर्व में राष्ट्रपति जो बाइडेन की नीतियों की भी आलोचना की थी। जून 2023 में प्रकाशित एक लेख में, उन्होंने तर्क दिया था कि गाजा में सैन्य कार्रवाइयों को लेकर इज़रायल को हथियारों की खेप रोकने की बाइडेन की धमकी ने एक प्रमुख सहयोगी को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि प्रशासन ईरान पर पर्याप्त सख्त नहीं था। रैटक्लिफ ने डीएनआई के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान खुद को चीन के बाज़ के रूप में भी स्थापित किया। *पहले काश पटेल के नाम की थी चर्चा* इससे पहले अटकलें लगाई जा रही थी कि सीआईए चीफ का यह पद भारतीय-अमेरिकी काश पटेल को दिया जाएगा। पूर्व राष्ट्रपति के प्रति काश पटेल की अटूट निष्ठा को देखते हुए, उन्हें सीआईए निदेशक का पद मिलने की व्यापक उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बता दें कि काश पटेल को ट्रंप के सबसे वफ़ादार लोगों में गिना जाता है। *काश पटेल के लिए अब क्या है संभावना?* हालांकि उन्हें यह पद तो नहीं मिला, लेकिन उनको ट्रंप प्रशासन में एक प्रमुख भूमिका मिलने की संभवना अभी खत्म नहीं हुई हैं। राष्ट्रीय खुफिया निदेशक का पद अभी भी खाली है। वह इससे पहले अमेरिका के कार्यवाहक रक्षा मंत्री क्रिस्टोफर मिलर के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इसके अलावा नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में राष्ट्रपति के डिप्टी असिस्टेंट और आतंकवाद निरोधक विभाग के वरिष्ठ निदेशक रह चुके हैं।
बुलडोजर एक्शन पर शीर्ष कोर्ट ने रोक तो लगाई लेकिन इन जगहों पर नहीं होगा लागू, पढ़िए,

सुप्रीम फैसला सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाते हुए ये भी बता दिया कि उसका फैसला किन जगहों पर लागू नहीं होगा. सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि उसका निर्देश उन जगहों पर लागू नहीं होगा, जहां सार्वजनिक भूमि पर कोई अनधिकृत निर्माण है. साथ ही वहां भी जहां न्यायालय द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मनमानी तरीके से बुलडोजर चलाने वाली सरकारें कानून को हाथ में लेने की दोषी हैं. घर बनाना संवैधानिक अधिकार है. राइट टू शेल्टर मौलिक अधिकार है. अदालत ने आगे कहा कि मकान सिर्फ एक संपत्ति नहीं है, बल्कि पूरे परिवार के लिए आश्रय है और इसे ध्वस्त करने से पहले राज्य को यह विचार करना चाहिए कि क्या पूरे परिवार को आश्रय से वंचित करने के लिए यह अतिवादी कदम आवश्यक है.
बुलडोजर एक्शन पर शीर्ष कोर्ट ने रोक तो लगाई लेकिन इन जगहों पर नहीं होगा लागू, पढ़िए,

सुप्रीम फैसला सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाते हुए ये भी बता दिया कि उसका फैसला किन जगहों पर लागू नहीं होगा. सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि उसका निर्देश उन जगहों पर लागू नहीं होगा, जहां सार्वजनिक भूमि पर कोई अनधिकृत निर्माण है. साथ ही वहां भी जहां न्यायालय द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मनमानी तरीके से बुलडोजर चलाने वाली सरकारें कानून को हाथ में लेने की दोषी हैं. घर बनाना संवैधानिक अधिकार है. राइट टू शेल्टर मौलिक अधिकार है. अदालत ने आगे कहा कि मकान सिर्फ एक संपत्ति नहीं है, बल्कि पूरे परिवार के लिए आश्रय है और इसे ध्वस्त करने से पहले राज्य को यह विचार करना चाहिए कि क्या पूरे परिवार को आश्रय से वंचित करने के लिए यह अतिवादी कदम आवश्यक है.
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर कहा, 15 दिन के नोटिस के बगैर निर्माण गिराया तो अफसर के खर्च पर दोबारा बनाना पड़ेगा, 15 गाइडलाइंस भी दीं

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अफसर जज नहीं बन सकते। वे तय न करें कि दोषी कौन है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने ये भी कहा कि 15 दिन के नोटिस के बगैर निर्माण गिराया तो अफसर के खर्च पर दोबारा बनाना पड़ेगा। अदालत ने 15 गाइडलाइंस भी दीं। कोर्ट ने कहा, जीवनभर की मेहनत के बाद परिवार एक मकान बना पाता है। इसे सरकारें यूं हीं नहीं तोड़ सकती है। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्‍शन को लेकर लंबी चौड़ी गाइडलाइन जारी की है, जिनका मकसद सरकारों को इस तरह की कार्रवाई से रोकना है। सरकारी तंत्र के पास यह पूरा अधिकार है कि वो अवैध रूप से बनाए गए मकान पर एक्‍शन लें। कोर्ट ने कहा किसी एक की गलती से सबको मकान से वंचित नहीं किया जा सकता। भारत के संविधान की धारा-142 के तहत नई गाइडलाइन जारी की गई है। बता दें, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सरकार ने आरोपियों के घर बुलडोजर से तोड़ दिए थे। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिनमें प्रॉपर्टी तोड़ने को लेकर गाइडलाइंस बनाने की मांग की गई थी। बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन अगर बुलडोजर एक्शन का ऑर्डर दिया जाता है तो इसके खिलाफ अपील करने के लिए वक्त दिया जाना चाहिए। रातोंरात घर गिरा दिए जाने पर महिलाएं-बच्चे सड़कों पर आ जाते हैं, ये अच्छा दृश्य नहीं होता। उन्हें अपील का वक्त नहीं मिलता। हमारी गाइडलाइन अवैध अतिक्रमण, जैसे सड़कों या नदी के किनारे पर किए गए अवैध निर्माण के लिए नहीं है। शो कॉज नोटिस के बिना कोई निर्माण नहीं गिराया जाएगा। रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए कंस्ट्रक्शन के मालिक को नोटिस भेजा जाएगा और इसे दीवार पर भी चिपकाया जाए। नोटिस भेजे जाने के बाद 15 दिन का समय दिया जाए। कलेक्टर और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को भी जानकारी दी जाए। डीएम और कलेक्टर ऐसी कार्रवाई पर नजर रखने के लिए नोडल अफसर की नियुक्ति करें। नोटिस में बताया जाए कि निर्माण क्यों गिराया जा रहा है, इसकी सुनवाई कब होगी, किसके सामने होगी। एक डिजिटल पोर्टल हो, जहां नोटिस और ऑर्डर की पूरी जानकारी हो। अधिकारी पर्सनल हियरिंग करें और इसकी रिकॉर्डिंग की जाए। फाइनल ऑर्डर पास किए जाएं और इसमें बताया जाए कि निर्माण गिराने की कार्रवाई जरूरी है या नहीं। साथ ही यह भी कि निर्माण को गिराया जाना ही आखिरी रास्ता है। ऑर्डर को डिजिटल पोर्टल पर दिखाया जाए। अवैध निर्माण गिराने का ऑर्डर दिए जाने के बाद व्यक्ति को 15 दिन का मौका दिया जाए, ताकि वह खुद अवैध निर्माण गिरा सके या हटा सके। अगर इस ऑर्डर पर स्टे नहीं लगाया गया है, तब ही बुलडोजर एक्शन लिया जाएगा। निर्माण गिराए जाने की कार्रवाई की वीडियोग्राफी की जाए। इसे सुरक्षित रखा जाए और कार्रवाई की रिपोर्ट म्युनिसिपल कमिश्नर को भेजी जाए। गाइडलाइन का पालन न करना कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी। इसका जिम्मेदार अधिकारी को माना जाएगा और उसे गिराए गए निर्माण को दोबारा अपने खर्च पर बनाना होगा और मुआवजा भी देना होगा। हमारे डायरेक्शन सभी मुख्य सचिवों को भेज दिए जाएं।