अपने पैरों पर खड़ा होना सीखें", शरद पवार की तस्वीरों के इस्तेमाल पर अजित पवार खेमे को सुप्रीम कोर्ट की सलाह

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सुप्रीम कोर्ट में राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अजित पवार गुट को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट अजित पवार गुट को “विधानसभा चुनाव में एक स्वतंत्र पार्टी के रूप में लड़ने” का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि पार्टी का विभाजन होने के बाद अब वह संस्‍थापक शरद पवार की फोटो या वीडियो का महाराष्‍ट्र में हो रहे चुनावों में प्रचार के लिए इस्‍तेमाल नहीं करें।कोर्ट ने अजित पवार गुट से कहा कि आपकी अपनी अलग पहचान है, आप उस पर महाराष्ट्र का चुनाव लड़िए।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुयन की बेंच ने केस पर सुनवाई की। एनसीपी शरद पवार की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने सोशल मीडिया पोस्ट, पोस्टर्स के फोटो दिखाए और बेंच से कहा कि एनसीपी अजित पवार ने ये सभी चीजें कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर पब्लिश की हैं। अभिषेक सिंघवी ने कहा कि अजित गुट चुनाव प्रचार में शरद पवार के पुराने वीडियो का इस्‍तेमाल कर रहा है। इससे लोगों में ये भ्रम उत्‍पन्‍न हो गया है कि दोनों गुट एक दूसरे के विरोधी नहीं है।

इस दलील का विरोध करते हुए अजित गुट की ओर से पेश वकील बलबीर सिंह ने कहा कि ये वीडियो मौजूदा चुनाव प्रचार अभियान का हिस्‍सा नहीं है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ये वीडियो पुराना है या नहीं...लेकिन आपका शरद पवार के साथ वैचारिक मतभेद है और आप एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। इसलिए आपको खुद अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए।

कोर्ट ने अजित पवार के ऑफिस को निर्देश दिया कि वो अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए एक सर्कुलर जारी करें कि वो शरद पवार का फोटो या वीडियो प्रचार के लिए यूज नहीं करे। कोर्ट ने कहा कि आप पृथक और भिन्‍न राजनीतिक दल होने के नाते अपनी अलग पहचान बनाएं।

बता दें कि एनसीपी पार्टी में फूट के बाद अजित पवार और शरद पवार अलग-अलग पार्टी बन गई। इसके बाद एनसीपी शरद पवार गुट ने पार्टी और सिंबल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। साथ ही शरद पवार गुट ने यह भी आरोप लगाया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों का अजित पवार गुट द्वारा पालन नहीं किया जा रहा है। याचिका पर 7 नवंबर को सुनवाई हुई। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार ग्रुप को 36 घंटे के अंदर अखबार में विज्ञापन प्रकाशित करने का आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि घड़ी चुनाव चिन्ह का मामला कोर्ट में विचाराधीन है।

ट्रंप ने पूर्व शीर्ष खुफिया अधिकारी को चुना सीआईए का चीफ, अब काश पटेल का क्या?*
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अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को ऐतिहासिक जीत हासिल हुई है। इस जीत के साथ ही ट्रंप अपनी प्रशासनिक टीम बनाने के लिए अधिकारियों को चुनने में लगे हैं। ट्रंप ने अमेरिका पहले का नारा दिया है। वह ऐसे लोगों को चुन रहे हैं, जिनके जरिए वह अपनी नीतियों को सीमा, व्यापार, अर्थव्यवस्था और अन्य क्षेत्रों में लागू कर सकें। इसी कड़ी में ट्रंप ने अमेरिका की केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआइए) के निदेशक के लिए उन्होंने एक ऐसे पूर्व खुफिया अधिकारी को चुना है, जिनका नाम अमेरिका के शीर्ष जासूसों में है और जिनको चीन के लिए "बाज" कहा जाता है। डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को घोषणा की कि पूर्व जासूस और राष्ट्रीय खुफिया निदेशक जॉन रैटक्लिफ उनके प्रशासन में केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) का नेतृत्व करेंगे। अहम पदों पर लगातार की जा रही घोषणाओं के तहत ट्रंप ने कांग्रेस सदस्य माइक वाल्ट्ज को अपना राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाने का भी फैसला किया और कहा कि वह चीन, रूस, ईरान तथा वैश्विक आतंकवाद के कारण उत्पन्न हुए खतरों पर विशेषज्ञ हैं। *ट्रंप के पहले कार्यकाल में इस पर थे कार्यरत* जॉन रैटक्लिफ ट्रंप के पहले कार्यकाल के अंत में भी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक थे। बता दें कि रैटक्लिफ ने मई 2020 के अंत से जनवरी 2021 में ट्रम्प के कार्यालय छोड़ने तक देश के शीर्ष जासूस के रूप में कार्य किया था। हाल ही में वह सेंटर फॉर अमेरिकन सिक्योरिटी के सह-अध्यक्ष हैं जो ट्रम्प के पदों की वकालत करने वाला एक थिंक टैंक है। इसके अलावा रैटक्लिफ ने पूर्व रिपब्लिकन राष्ट्रपति को अपने 2024 अभियान के दौरान नीतियों को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा पर सलाह भी दी थी। *चीन के लिए बाज कहे जाते हैं रैटक्लिफ* रैटक्लिफ अमेरिका के प्रतिद्वंदी चीन के लिए बाज कहे जाते हैं। बाज यानि जो सबसे हमलावर पक्षी है। वहीं हाल ही में रैटक्लिफ ने मध्य-पूर्व में राष्ट्रपति जो बाइडेन की नीतियों की भी आलोचना की थी। जून 2023 में प्रकाशित एक लेख में, उन्होंने तर्क दिया था कि गाजा में सैन्य कार्रवाइयों को लेकर इज़रायल को हथियारों की खेप रोकने की बाइडेन की धमकी ने एक प्रमुख सहयोगी को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि प्रशासन ईरान पर पर्याप्त सख्त नहीं था। रैटक्लिफ ने डीएनआई के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान खुद को चीन के बाज़ के रूप में भी स्थापित किया। *पहले काश पटेल के नाम की थी चर्चा* इससे पहले अटकलें लगाई जा रही थी कि सीआईए चीफ का यह पद भारतीय-अमेरिकी काश पटेल को दिया जाएगा। पूर्व राष्ट्रपति के प्रति काश पटेल की अटूट निष्ठा को देखते हुए, उन्हें सीआईए निदेशक का पद मिलने की व्यापक उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बता दें कि काश पटेल को ट्रंप के सबसे वफ़ादार लोगों में गिना जाता है। *काश पटेल के लिए अब क्या है संभावना?* हालांकि उन्हें यह पद तो नहीं मिला, लेकिन उनको ट्रंप प्रशासन में एक प्रमुख भूमिका मिलने की संभवना अभी खत्म नहीं हुई हैं। राष्ट्रीय खुफिया निदेशक का पद अभी भी खाली है। वह इससे पहले अमेरिका के कार्यवाहक रक्षा मंत्री क्रिस्टोफर मिलर के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इसके अलावा नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में राष्ट्रपति के डिप्टी असिस्टेंट और आतंकवाद निरोधक विभाग के वरिष्ठ निदेशक रह चुके हैं।
बुलडोजर एक्शन पर शीर्ष कोर्ट ने रोक तो लगाई लेकिन इन जगहों पर नहीं होगा लागू, पढ़िए,

सुप्रीम फैसला सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाते हुए ये भी बता दिया कि उसका फैसला किन जगहों पर लागू नहीं होगा. सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि उसका निर्देश उन जगहों पर लागू नहीं होगा, जहां सार्वजनिक भूमि पर कोई अनधिकृत निर्माण है. साथ ही वहां भी जहां न्यायालय द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मनमानी तरीके से बुलडोजर चलाने वाली सरकारें कानून को हाथ में लेने की दोषी हैं. घर बनाना संवैधानिक अधिकार है. राइट टू शेल्टर मौलिक अधिकार है. अदालत ने आगे कहा कि मकान सिर्फ एक संपत्ति नहीं है, बल्कि पूरे परिवार के लिए आश्रय है और इसे ध्वस्त करने से पहले राज्य को यह विचार करना चाहिए कि क्या पूरे परिवार को आश्रय से वंचित करने के लिए यह अतिवादी कदम आवश्यक है.
बुलडोजर एक्शन पर शीर्ष कोर्ट ने रोक तो लगाई लेकिन इन जगहों पर नहीं होगा लागू, पढ़िए,

सुप्रीम फैसला सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाते हुए ये भी बता दिया कि उसका फैसला किन जगहों पर लागू नहीं होगा. सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि उसका निर्देश उन जगहों पर लागू नहीं होगा, जहां सार्वजनिक भूमि पर कोई अनधिकृत निर्माण है. साथ ही वहां भी जहां न्यायालय द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मनमानी तरीके से बुलडोजर चलाने वाली सरकारें कानून को हाथ में लेने की दोषी हैं. घर बनाना संवैधानिक अधिकार है. राइट टू शेल्टर मौलिक अधिकार है. अदालत ने आगे कहा कि मकान सिर्फ एक संपत्ति नहीं है, बल्कि पूरे परिवार के लिए आश्रय है और इसे ध्वस्त करने से पहले राज्य को यह विचार करना चाहिए कि क्या पूरे परिवार को आश्रय से वंचित करने के लिए यह अतिवादी कदम आवश्यक है.
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर कहा, 15 दिन के नोटिस के बगैर निर्माण गिराया तो अफसर के खर्च पर दोबारा बनाना पड़ेगा, 15 गाइडलाइंस भी दीं

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अफसर जज नहीं बन सकते। वे तय न करें कि दोषी कौन है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने ये भी कहा कि 15 दिन के नोटिस के बगैर निर्माण गिराया तो अफसर के खर्च पर दोबारा बनाना पड़ेगा। अदालत ने 15 गाइडलाइंस भी दीं। कोर्ट ने कहा, जीवनभर की मेहनत के बाद परिवार एक मकान बना पाता है। इसे सरकारें यूं हीं नहीं तोड़ सकती है। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्‍शन को लेकर लंबी चौड़ी गाइडलाइन जारी की है, जिनका मकसद सरकारों को इस तरह की कार्रवाई से रोकना है। सरकारी तंत्र के पास यह पूरा अधिकार है कि वो अवैध रूप से बनाए गए मकान पर एक्‍शन लें। कोर्ट ने कहा किसी एक की गलती से सबको मकान से वंचित नहीं किया जा सकता। भारत के संविधान की धारा-142 के तहत नई गाइडलाइन जारी की गई है। बता दें, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सरकार ने आरोपियों के घर बुलडोजर से तोड़ दिए थे। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिनमें प्रॉपर्टी तोड़ने को लेकर गाइडलाइंस बनाने की मांग की गई थी। बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन अगर बुलडोजर एक्शन का ऑर्डर दिया जाता है तो इसके खिलाफ अपील करने के लिए वक्त दिया जाना चाहिए। रातोंरात घर गिरा दिए जाने पर महिलाएं-बच्चे सड़कों पर आ जाते हैं, ये अच्छा दृश्य नहीं होता। उन्हें अपील का वक्त नहीं मिलता। हमारी गाइडलाइन अवैध अतिक्रमण, जैसे सड़कों या नदी के किनारे पर किए गए अवैध निर्माण के लिए नहीं है। शो कॉज नोटिस के बिना कोई निर्माण नहीं गिराया जाएगा। रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए कंस्ट्रक्शन के मालिक को नोटिस भेजा जाएगा और इसे दीवार पर भी चिपकाया जाए। नोटिस भेजे जाने के बाद 15 दिन का समय दिया जाए। कलेक्टर और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को भी जानकारी दी जाए। डीएम और कलेक्टर ऐसी कार्रवाई पर नजर रखने के लिए नोडल अफसर की नियुक्ति करें। नोटिस में बताया जाए कि निर्माण क्यों गिराया जा रहा है, इसकी सुनवाई कब होगी, किसके सामने होगी। एक डिजिटल पोर्टल हो, जहां नोटिस और ऑर्डर की पूरी जानकारी हो। अधिकारी पर्सनल हियरिंग करें और इसकी रिकॉर्डिंग की जाए। फाइनल ऑर्डर पास किए जाएं और इसमें बताया जाए कि निर्माण गिराने की कार्रवाई जरूरी है या नहीं। साथ ही यह भी कि निर्माण को गिराया जाना ही आखिरी रास्ता है। ऑर्डर को डिजिटल पोर्टल पर दिखाया जाए। अवैध निर्माण गिराने का ऑर्डर दिए जाने के बाद व्यक्ति को 15 दिन का मौका दिया जाए, ताकि वह खुद अवैध निर्माण गिरा सके या हटा सके। अगर इस ऑर्डर पर स्टे नहीं लगाया गया है, तब ही बुलडोजर एक्शन लिया जाएगा। निर्माण गिराए जाने की कार्रवाई की वीडियोग्राफी की जाए। इसे सुरक्षित रखा जाए और कार्रवाई की रिपोर्ट म्युनिसिपल कमिश्नर को भेजी जाए। गाइडलाइन का पालन न करना कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी। इसका जिम्मेदार अधिकारी को माना जाएगा और उसे गिराए गए निर्माण को दोबारा अपने खर्च पर बनाना होगा और मुआवजा भी देना होगा। हमारे डायरेक्शन सभी मुख्य सचिवों को भेज दिए जाएं।
5 साल पहले भाजपा संग सरकार बनाने को शरद पवार की जानकारी में हुई बैठक में अमित शाह, गौतम अदाणी, प्रफुल पटेल, देवेंद्र फडणवीस भी थे, अजीत पवार ने

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एवं राकांपा नेता अजीत पवार के ताजा बयान से महाराष्ट्र में सनसनी फैल गई है। उन्होंने कहा है कि पांच वर्ष पहले भाजपा और राकांपा की सरकार बनाने के लिए हुई बैठक में देश के मशहूर उद्योगपति गौतम अदाणी भी शामिल थी। अजीत पवार पहले भी इस बैठक का जिक्र कई बार कर चुके हैं, लेकिन उन्होंने गौतम अदाणी का नाम पहली बार लिया है।

एक डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म को साक्षात्कार देते हुए अजीत पवार ने कहा कि पांच वर्ष पहले हुई बैठक में कहा कि पांच साल पहले भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए जो बैठक हुई थी, वह शरद पवार की जानकारी में हुई थी। उस बैठक में अमित शाह थे, गौतम अदाणी थे, प्रफुल पटेल थे, देवेंद्र फडणवीस थे, अजीत पवार थे, और पवार साहब खुद भी थे।

इसी क्रम में आगे यह पूछे जाने पर कि आप लोग तो भाजपा के साथ आ गए, लेकिन शरद पवार को क्या हिचक थी, अजीत पवार ने कहा कि शरद पवार एक ऐसे नेता है कि उनके मन में क्या है, ये दुनिया का एक भी आदमी बता नहीं सकता। यहां तक कि मेरी चाची भी नहीं। सुप्रिया सुले भी नहीं।

अजीत पवार द्वारा यह तथ्य उद्घाटित किए जाने के बाद कांग्रेस की ओर से भी प्रतिक्रिया आ गई है। कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा है कि और यह वही गौतम अदाणी हैं, जिनको मुंबई की लाखों-करोड़ों की जमीन कौड़ियों के दाम पर भाजपा के फडणवीस और शिंदे सरकार ने दे दी है।

बता दें कि इस वार्तालाप में अजीत पवार पांच साल पहले 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद के घटनाक्रम का जिक्र कर रहे थे। उस समय एक तरफ तब की अविभाजित राकांपा के नेता शरद पवार उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की बातचीत कर रहे थे, दूसरी तरफ भाजपा से भी उनकी बातचीत चल रही थी। तीन बार बैठक हुई थी।

अजीत पवार पहले भी यह बात कर चुके हैं, लेकिन नाम का जिक्र पहली बार किया। बता दें कि 20 नवंबर को महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होना है।

5 साल पहले भाजपा संग सरकार बनाने को शरद पवार की जानकारी में हुई बैठक में अमित शाह, गौतम अदाणी, प्रफुल पटेल, देवेंद्र फडणवीस भी थे, अजीत पवार ने

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एवं राकांपा नेता अजीत पवार के ताजा बयान से महाराष्ट्र में सनसनी फैल गई है। उन्होंने कहा है कि पांच वर्ष पहले भाजपा और राकांपा की सरकार बनाने के लिए हुई बैठक में देश के मशहूर उद्योगपति गौतम अदाणी भी शामिल थी। अजीत पवार पहले भी इस बैठक का जिक्र कई बार कर चुके हैं, लेकिन उन्होंने गौतम अदाणी का नाम पहली बार लिया है। एक डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म को साक्षात्कार देते हुए अजीत पवार ने कहा कि पांच वर्ष पहले हुई बैठक में कहा कि पांच साल पहले भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए जो बैठक हुई थी, वह शरद पवार की जानकारी में हुई थी। उस बैठक में अमित शाह थे, गौतम अदाणी थे, प्रफुल पटेल थे, देवेंद्र फडणवीस थे, अजीत पवार थे, और पवार साहब खुद भी थे। इसी क्रम में आगे यह पूछे जाने पर कि आप लोग तो भाजपा के साथ आ गए, लेकिन शरद पवार को क्या हिचक थी, अजीत पवार ने कहा कि शरद पवार एक ऐसे नेता है कि उनके मन में क्या है, ये दुनिया का एक भी आदमी बता नहीं सकता। यहां तक कि मेरी चाची भी नहीं। सुप्रिया सुले भी नहीं। अजीत पवार द्वारा यह तथ्य उद्घाटित किए जाने के बाद कांग्रेस की ओर से भी प्रतिक्रिया आ गई है। कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा है कि और यह वही गौतम अदाणी हैं, जिनको मुंबई की लाखों-करोड़ों की जमीन कौड़ियों के दाम पर भाजपा के फडणवीस और शिंदे सरकार ने दे दी है। बता दें कि इस वार्तालाप में अजीत पवार पांच साल पहले 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद के घटनाक्रम का जिक्र कर रहे थे। उस समय एक तरफ तब की अविभाजित राकांपा के नेता शरद पवार उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की बातचीत कर रहे थे, दूसरी तरफ भाजपा से भी उनकी बातचीत चल रही थी। तीन बार बैठक हुई थी। अजीत पवार पहले भी यह बात कर चुके हैं, लेकिन नाम का जिक्र पहली बार किया। बता दें कि 20 नवंबर को महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होना है।
तांत्रिक बोला, आपके घर में खजाना गड़ा हुआ है, मकान मालिक ने खुदवा डाला घर तो उड़ गए होश, पांच लाख भी गंवाए, पढ़िए, पूरी कहानी


उत्तर प्रदेश के बरेली में तांत्रिक ने एक दंपति को घर में जमीन के अंदर गढ़े खजाने को निकालने का झांसा देकर पांच लाख रुपये की ठगी की वारदात को अंजाम दे दिया. हालांकि बाद में तांत्रिक और उसका सहयोगी पकड़ा गया और उनसे 50 हजार रुपये भी बरामद हुए. बरेली के भभोरा इलाके में एक तांत्रिक ने दंपति को अपनी बातों में उलझा लिया और उनसे पांच लाख रुपये की ठगी कर ली. तांत्रिक ने पीड़ित दंपति से कहा कि उनके घर में माया (खजाना) गढ़ी हुई है. इसको निकालने के लिए पूजा-पाठ करनी होगी, जिसमें पांच लाख रुपये का खर्च आएगा. ठगों ने मिट्टी की एक हांडी में बुजुर्ग से पांच लाख रखवाए. पूजा शुरू होने से ठीक पहले 5 फीट का एक गड्डा खोदा गया और इसके बाद पड़ोस में पूजा शुरू की गई. दंपति पर छिडका इत्र, किया बेहोश पूजा शुरू करने के बाद ठगों ने बुजुर्ग दंपति पर कोई सुगंधित पदार्थ डाला. इत्र डालते ही बुजुर्ग दंपति बेहोश हो गए और तीनों ठग पांच लाख रुपये लेकर चंपत हो गए. बताया जा रहा है इत्र के अंदर नशीली दवाई मिली हुई थी जिसके सूंघते ही सभी लोग बेहोश हो गए. होश में आए तो हुआ ठगी का एहसास कई घंटे के बाद जब दंपति होश में आए तो उनको ठगी का एहसास हुआ. पीड़ित की ओर से 10 नवंबर को एसएसपी से शिकायत की गई. इसके बाद मुकदमा दर्ज हुआ. पुलिस ने 12 नवंबर को घटना के दो आरोपियों सादिक अली और शेर खां को गिरफ्तार कर उनके पास से 50 हजार रुपये बरामद कर लिए. एसपी सिटी ने बताया कि उनका एक साथी नजाकत अली फरार है. एसपी सिटी के मुताबिक, 10 नवंबर को भमौरा थाना इलाके के बलिया गांव के रहने वाले व्यक्ति ने सूचना दी कि उनके साथ ये घटना हुई है. इस वारदात में शामिल सादिक अली और शेर खां को 12 नवंबर को गिरफ्तार कर लिया गया है. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि पहले उन्होंने शान मोहम्मद के साथ दोस्ती की और बताया कि वो तंत्र मंत्र का कार्य करते थे. इन लोगों ने उन्हें झांसा दिया कि आपके घर में खजाना गढ़ा हुआ है. यदि वो किसी प्रकार का अनुष्ठान करते हैं तो खजाना ढूंढ कर उनको दे देंगे. यह प्रक्रिया उन्होंने घर के अंदर शुरू की. इसके बाद इन्होंने शान मोहम्मद और उसकी पत्नी को बताया कि एक इत्र लगाना होगा और इत्र लगाने के बाद आगे की प्रक्रिया की जाएगी. यह वस्तु प्रयोग होते ही दोनों लोग बेहोश हो गए. इस प्रक्रिया के लिए इन्होंने 5 लाख रुपये इकट्ठे किए थे. ये लोग उन पैसों को लेकर फरार हो गए. इस घटना में शामिल तीसरा आरोपी फरार है, उसकी तलाश की जा रही है.
अल-कायदा भारत में आतंकी हमले की रच रहा साजिश, जानें पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश से क्या है कनेक्शन?*
#how_al_qaeda_instigate_muslim_youth_in_india_connection_with_bangladesh
नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को देश भर में कई जगहों पर छापेमारी की। ये छापेमारी अल-कायदा से जुड़े कुछ बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ की गई। यह छापेमारी बांग्लादेशी नागरिकों द्वारा भारत में प्रतिबंधित आतंकी संगठन अल-कायदा की गतिविधियों को बढ़ावा देने से जुड़ी थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक एनआईए ने ऐसी 9 जगहों पर रेड की जो अल-कायदा की गतिविधियों का समर्थन और उन्हें कथित तौर पर फंड मुहैया कराने वाले संदिग्ध लोगों से जुड़े थे। एनआईए के मुताबिक, छापेमारी में बैंक लेनदेन से जुड़े कई कागजात, मोबाइल फोन और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मिले हैं। ये सभी चीजें आतंकवाद को फंडिंग करने के मामले में अहम सबूत हो सकते हैं। एनआईए ने बताया, 'जिन लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की गई, वो बांग्लादेशी अल-कायदा नेटवर्क के समर्थक हैं। एनआईए ने कहा कि ये तलाशी 2023 के एक मामले में चल रही जांच का हिस्सा है, जिसमें बांग्लादेश स्थित अल-कायदा के गुर्गों द्वारा गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों के साथ मिलकर रची गई साजिश शामिल है। *भारत में भोले-भाले युवाओं को गुमराह करना मकसद* एनआईए के मुताबिक अल-कायदा का बांग्लादेश बेस्ड एक नेटवर्क है, जो भारत के खिलाफ हमले की साजिश रच रहा है और युवाओं को चरमपंथी गतिविधियों के लिए उकसा रहा है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी कई महीनों से इसकी पड़ताल कर रही है। एजेंसी ने एक बयान में कहा कि 11 नवंबर की रेड एनआईए की 2023 से चल रही जांच का हिस्सा थी। जिसमें कई गिरफ्तारियां भी हुई थीं। इन पर आरोप था कि इनका उद्देश्य अल-कायदा की आतंकवादी गतिविधियों को फैलाना और भारत में भोले-भाले युवाओं को कट्टरपंथी बनाना था। *चार बांग्लादेशी समेत पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट* पिछले साल नवंबर में एनआईए ने पांच आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, जिनमें चार मोहम्मद सोजीब मियां, मुन्ना खालिद अंसान उर्फ मुन्ना खान, अजरुल इस्लाम उर्फ जहांगिर या आकाश खान और अब्दुल लतीफ उर्फ मोमिनुल अंसारी बांग्लादेशी नागरिक शामिल थे। पांचवां आरोपी फरीद भारतीय नागरिक था। एनआईए की जांच में पता चला कि आरोपियों ने अपनी गतिविधियों को गुप्त रूप से अंजाम देने के लिए जाली दस्तावेज तैयार किए थे। एनआईए के अनुसार वे भारत में मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और प्रेरित करने, अल-कायदा की हिंसक विचारधारा फैलाने, धन जुटाने और इस धन को संगठन को पहुंचाने में सक्रिय रूप से शामिल थे।
अवैध निर्माण पर बुलडोजर एक्शन के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस, जिसे फॉलो कर तोड़ा जा सकता है मकान
#supreme_court_guideline_on_bulldozer_action

* सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्‍शन पर बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि किसी का भी आशियाना तोड़ना अवैध है। अदालत ने कहा है कि अधिकारी न्यायाधीश नहीं बन सकते। आरोपी को दोषी घोषित नहीं कर सकते और उसका घर नहीं गिरा सकते। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्‍शन को लेकर लंबी चौड़ी गाइडलाइन जारी की है, जिनका मकसद सरकारों को इस तरह की कार्रवाई से रोकना है। बुलडोजर एक्शन पर गाइडलाइन जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी आरोपी का घर सिर्फ इसलिए नहीं गिराया जा सकता क्योंकि उस पर किसी अपराध का आरोप है, जिसकी सच्चाई का निर्धारण सिर्फ न्यायपालिका ही करेगी। कोर्ट ने कहा कि यदि राज्य कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसी संपत्तियों को ध्वस्त करता है तो यह सही नहीं होगा। यदि कार्यपालिका संपत्ति को ध्वस्त करता है तो यह कानून के नियमों का उल्लंघन है। किसी को भी बिना ट्रायल के दोषी नहीं ठहराया जा सकता। यह शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन है। ऐसे सरकारी अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। *बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए ये निर्देश* • यदि ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया जाता है, तो इस आदेश के विरुद्ध अपील करने के लिए समय दिया जाना चाहिए। • बिना अपील के रात भर ध्वस्तीकरण के बाद महिलाओं और बच्चों को सड़कों पर देखना सुखद तस्वीर नहीं है। • सड़क, नदी तट आदि पर अवैध संरचनाओं को प्रभावित न करने के निर्देश। • बिना कारण बताओ नोटिस के ध्वस्तीकरण नहीं। • मालिक को पंजीकृत डाक द्वारा नोटिस भेजा जाएगा और संरचना के बाहर चिपकाया जाएगा। • नोटिस से 15 दिनों का समय नोटिस तामील होने के बाद है। • तामील होने के बाद कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सूचना भेजी जाएगी। • कलेक्टर और डीएम नगरपालिका भवनों के ध्वस्तीकरण आदि के प्रभारी नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे। • नोटिस में उल्लंघन की प्रकृति, निजी सुनवाई की तिथि और किसके समक्ष सुनवाई तय की गई है, निर्दिष्ट डिजिटल पोर्टल उपलब्ध कराया जाएगा, जहां नोटिस और उसमें पारित आदेश का विवरण उपलब्ध होगा। • प्राधिकरण व्यक्तिगत सुनवाई सुनेगा और मिनटों को रिकॉर्ड किया जाएगा और उसके बाद अंतिम आदेश पारित किया जाएगा/ इसमें यह उत्तर दिया जाना चाहिए कि क्या अनधिकृत संरचना समझौता योग्य है, और यदि केवल एक भाग समझौता योग्य नहीं पाया जाता है और यह पता लगाना है कि विध्वंस का चरम कदम ही एकमात्र जवाब क्यों है। • आदेश डिजिटल पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाएगा। • आदेश के 15 दिनों के भीतर मालिक को अनधिकृत संरचना को ध्वस्त करने या हटाने का अवसर दिया जाएगा और केवल तभी जब अपीलीय निकाय ने आदेश पर रोक नहीं लगाई है, तो विध्वंस के चरण होंगे। • विध्वंस की कार्यवाही की वीडियोग्राफी की जाएगी वीडियो को संरक्षित किया जाना चाहिए। उक्त विध्वंस रिपोर्ट नगर आयुक्त को भेजी जानी चाहिए। • सभी निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए। • इन निर्देशों का पालन न करने पर अवमानना और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी और अधिकारियों को मुआवजे के साथ ध्वस्त संपत्ति को अपनी लागत पर वापस करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा। • सभी मुख्य सचिवों को निर्देश दिए जाने चाहिए। *यूपी की योगी सरकार में शुरू हुआ बुलडोजर एक्‍शन?* उत्‍तर प्रदेश की योगी आदित्‍यनाथ सरकार ने सबसे पहले बुलडोजर एक्‍शन का चलन शुरू किया था, जिसे धीरे धीरे अन्‍य बीजेपी शासित राज्‍यों में भी अपनाया गया. इसके तहत अगर कोई व्‍यक्ति हिंसक घटना या दंगों में शामिल पाया गया जाता है तो उसके घर पर बुलडोजर की कार्रवाई की होती है. आमतौर पर हर किसी के घर पर थोड़ा बहुत अवैध निर्माण तो होता ही है. बस इसी को तोड़ने में पूरा सरकारी तंत्र लग जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने सीधे तौर पर माना क‍ि किसी आरोपी के घर को तोड़ना एक गलत प्रथा है. हालां‍कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भविष्‍य में बुलडोजर एक्‍शन बंद हो जाएगा, ऐसा होना मुश्किल नजर आता है