एलन मस्क ने किया दावा 'रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए पुतिन नहीं बल्कि अमेरिका जिम्मेदार, एक्स पर किया वीडियो पोस्ट


* टेक अरबपति एलन मस्क, जो राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रम्प के अभियान के एक महत्वपूर्ण सदस्य थे, ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया है, जो रूस और यूक्रेन के बीच हाल ही में हुए संघर्ष में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा निभाई गई कथित भूमिका की ओर इशारा करता है। अमेरिकी अर्थशास्त्री जेफरी डी की विशेषता वाले इस सम्मोहक वीडियो में यूक्रेन में युद्ध की जड़ों और इसके सार के बारे में एक विचारोत्तेजक तर्क प्रस्तुत किया गया है, यह केवल व्लादिमीर पुतिन नहीं है। जेफ्री ने दावा किया कि यह केवल रूसी आक्रमण नहीं था, बल्कि अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो विस्तार ने पड़ोसी देशों के बीच संघर्ष को जन्म दिया। मस्क द्वारा साझा किए गए वीडियो में, जेफरी ने दावा किया कि यूक्रेन को नाटो में एकीकृत करने के संयुक्त राज्य अमेरिका के इरादे ने सीधे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा आक्रमण को उकसाया। उन्होंने जोर देकर कहा, "यह यूक्रेन पर व्लादिमीर पुतिन द्वारा किया गया हमला नहीं है, जैसा कि आज हमें बताया जाता है।" जेफरी के विचार रूस-यूक्रेन युद्ध के इर्द-गिर्द मुख्यधारा के वैश्विक आख्यानों को चुनौती देते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से, वीडियो की सटीक तारीख और समय की पुष्टि नहीं हो पाई है। *' वीडियो में जो बिडेन प्रशासन की आलोचना की गई* वीडियो में, जेफरी ने रूस की कार्रवाइयों को "अकारण" कहने के लिए बिडेन प्रशासन की खुलेआम आलोचना की, एक ऐसा शब्द जिसका इस्तेमाल उन्होंने पुतिन के खिलाफ़ कथित तौर पर आख्यान को बदलने के लिए लगातार किया है। कॉमन ड्रीम्स के लिए 2023 के एक लेख में उन्होंने कहा, "बिडेन टीम लगातार 'अकारण' शब्द का इस्तेमाल करती है। जेफरी ने 1990 में तत्कालीन सोवियत राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव के प्रति नाटो की प्रतिबद्धता का संदर्भ दिया, जहाँ गठबंधन ने जर्मन एकीकरण के बदले में "एक इंच भी पूर्व की ओर नहीं बढ़ने" का वचन दिया था - एक वादा जिसे उन्होंने तर्क दिया कि अमेरिका ने तब से धोखा दिया है। उन्होंने तर्क दिया कि बहुआयामी समस्याएं नाटो के विस्तार के साथ शुरू हुईं, जिसकी आधिकारिक शुरुआत 1999 में पोलैंड, हंगरी और चेक गणराज्य के प्रवेश के साथ हुई। इसके अलावा, जेफरी ने बताया कि अमेरिका ने 1999 में सर्बिया के खिलाफ बमबारी अभियान चलाया था, एक ऐसा कदम जिसने उस समय रूस से कड़ी असहमति जताई थी। *पुतिन ने कभी नाटो की सदस्यता पर विचार किया था: वीडियो दावा* जेफरी ने दावा किया कि पुतिन कभी "यूरोप समर्थक" नेता थे, जिन्होंने "पारस्परिक रूप से सम्मानजनक संबंध" को बढ़ावा देने के लिए नाटो की सदस्यता पर भी विचार किया था। जेफरी के अनुसार, 2002 में अमेरिका द्वारा एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल संधि से एकतरफा रूप से हटने के बाद संबंधों में नाटकीय रूप से खटास आ गई।
पाकिस्तान का चेहरा फिर हुआ बेनकाब, पंजाब सरकार ने भगत सिंह को बताया “आतंकी”*
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पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह को आतंकवादी करार दे दिया है। पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने लाहौर हाई कोर्ट में हलफनामा देकर भगत सिंह को आतंकी बताया। दरअसल, लाहौर में शादमान चौक है, जहां शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों ने फांसी दी थी। लाहौर में इस चौक का नाम बदलकर शहीद भगत सिंह चौक करने की अपील की गई थी। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने इसे खारिज कर दिया है। पाकिस्तान में पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट में कहा है कि भगत सिंह स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे। भगत सिंह के अपमान पर भारत में गुस्सा गहरा गया है। 1931 में अविभाजित भारत के लाहौर में जिस जगह पर शहीद भगत सिंह को फांसी दी गई थी, उस चौक का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने मांग हो रही है। इसी को लेकर लाहौर हाईकोर्ट में सुनवाई थी, जिस पर पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने हलफनामा देकर भगत सिंह को आतंकी बताया। लाहौर के शादमान चौक का नाम भगत सिंह रखने की मांग पाक के भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने की और चौक पर मूर्ति लगाने के लिए आवाज उठाई। इसको लेकर पंजाब सरकार ने कोर्ट में कहा कि भगत सिंह क्रांतिकारी नहीं बल्कि अपराधी थे। आज की परिभाषा के तहत वो एक आतंकवादी थे। पंजाब सरकार की ओर पूर्व सेना के अफसर तारिक मजीद ने कोर्ट में जवाब दिया। तारिक ने कहा कि भगत सिंह ने ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या की थी। इसलिए उन्हें और उनके दो साथियों को फांसी की सजा दी गई। खास बात ये है कि चौक का नामकरण करने और मूर्ति लगाने की योजना रद्द कर दी गई है। लाहौर हाईकोर्ट में 17 जनवरी को अगली सुनवाई होगी।
कोई मशीन से मेरा दिमाग कंट्रोल कर रहा, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा अजीबोगरीब मामला, याचिका हुई दाखिल तो जज रह गए हैरान


सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया, जिसमें एक व्यक्ति ने याचिका दाखिल करते हुए दावा किया कि उसका दिमाग एक मशीन के जरिए नियंत्रित किया जा रहा है। इस याचिका को सुनकर जज साहब ने हैरानी जताई और इसे विचित्र बताया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई तरीका या कारण नहीं दिखता, और फिर याचिका को खारिज कर दिया। इस मामले की सुनवाई जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच कर रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि कुछ लोगों ने एक मशीन के जरिए उसके दिमाग को कंट्रोल करना शुरू कर दिया है। पहले, याचिकाकर्ता ने इसी मामले में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की थी, जिसमें उसने दावा किया कि कुछ लोग सेंट्रल फॉरेंसिक साइंटिफिक लेबोरेटरी (CFSL) से "ब्रेन रीडिंग मशीनरी" का इस्तेमाल कर रहे हैं। उसने अदालत से इस मशीन को बंद करने का आदेश देने का अनुरोध किया था। हालांकि, CFSL और CBI ने हाईकोर्ट में हलफनामा देकर स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता पर कोई भी फॉरेंसिक जांच नहीं की गई है, जिससे मशीन को बंद करने का सवाल ही नहीं उठता। इसके बाद हाईकोर्ट ने नवंबर 2022 में याचिका खारिज कर दी थी। इस फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता, जो पेशे से शिक्षक हैं, ने सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दाखिल की। सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर 2024 को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता की परेशानी को समझने के लिए उनकी मातृभाषा में संवाद की व्यवस्था की जाए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी (SCLSC) ने रिपोर्ट दी कि याचिकाकर्ता का मानना है कि उसके दिमाग पर नियंत्रण करने वाली मशीन को निष्क्रिय किया जाना चाहिए।
दुनिया में मंडरा रहा तीसरे विश्व युद्ध का खतरा, एमपी के महाकौशल क्षेत्र में एक व्याख्यान में बोले, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि रूस-यूक्रेन एवं इजरायल-हमास युद्ध की स्थिति को देखते हुए तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। मोहन भागवत मध्य प्रदेश के महाकौशल क्षेत्र में दिवंगत संघ महिला नेता डॉ. उर्मिला जामदार की स्मृति में आयोजित एक व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। मोहन भागवत ने कहा, "हम सभी को तीसरे विश्व युद्ध का खतरा महसूस हो रहा है। इस पर अटकलें लगाई जा रही हैं कि यह यूक्रेन या गाजा में आरम्भ हो सकता है।" उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि विज्ञान ने बहुत प्रगति की है, किन्तु इसका लाभ अब भी देश और दुनिया के गरीबों तक नहीं पहुंच पाया है, जबकि विनाशकारी हथियार हर जगह पहुंच गए हैं। भागवत ने कहा, "कुछ बीमारियों की दवाएं ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध नहीं हो सकतीं, किन्तु देशी रिवॉल्वर (देशी कट्टा) आसानी से उपलब्ध है।" उन्होंने पर्यावरण पर भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि स्थिति अब ऐसी हो गई है कि यह बीमारियों की वजह बन रहा है। उन्होंने मानवता की सेवा को हिन्दू धर्म का हिस्सा बताते हुए कहा कि यह हिंदू धर्म का पर्याय है। भागवत ने कहा कि हिंदुत्व में दुनिया को राह दिखाने की क्षमता है। उन्होंने यह भी कहा कि 'हिंदू' शब्द भारतीय धर्मग्रंथों में आने से पहले से मौजूद था और इसे सार्वजनिक रूप से सबसे पहले गुरु नानक देव ने प्रवचन में प्रस्तुत किया था।
राजस्थान में विधानसभा उपचुनाव, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सीएम भजनलाल पर कसा तंज, सभा में खाली कुर्सियों का वीडियो किया शेयर


राजस्थान में सात विधानसभाओं के उपचुनाव को लेकर आज शाम प्रचार प्रसार का शौर थम जाएगा। इधर, 13 नवंबर को होने वाले मतदान को लेकर सियासी सरगर्मियां लगातार उफान पर है। इस बीच नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सीएम भजनलाल को जमकर घेरा। उन्होंने रामगढ़ में सीएम की सभा में खाली कुर्सियों का वीडियो पोस्ट किया। साथ सोशल मिडिया एक्स पर तंज कसते हुए लिखा कि 'हरियाणा एवं अन्य विधानसभा क्षेत्रों से लोग बुलाने के बावजूद मुख्यमंत्री जी की रामगढ़ सभा में भयंकर भीड़।' साथ में जूली ने हंसी उड़ाने की इमोजी भी शेयर की है। सीएम की सभा की खाली कुर्सियों को लेकर जूली ने कहा कि अब लोग इनकी बात सुनने को ही तैयार नहीं। दरअसल, सीएम भजनलाल अलवर की रामगढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी के समर्थन में चुनावी सभा को संबोधित करने आए थे। इसको लेकर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सीएम की रामगढ़ विधानसभा में आयोजित सभा का वीडियो पोस्ट किया। जिसमें खाली कुर्सियों का वीडियो दिखाते हुए लिखा कि 'हरियाणा एवं अन्य विधानसभा क्षेत्रों से लोग बुलाने के बावजूद मुख्यमंत्री जी की रामगढ़ सभा में भयंकर भीड़।' जनता अब इनकी बात सुनने को तैयार नहीं जूली ने निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी अपने पूरे ताम-झाम और संसाधनों से जुटी हुई है, लेकिन लोगों का विश्वास इन पर से उठ गया है और लोग इनकी बात सुनने को भी तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री जनसभा के दौरान बड़े-बड़े दावा करते हैं, अब जनता समझ चुकी है, जनता को उनकी बातों पर विश्वास नहीं है। सीएम ने रामगढ़ में कांग्रेस पर जमकर हमला किया अलवर की रामगढ़ विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर रविवार को सीएम भजनलाल ने चुनावी सभा को संबोधित किया। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी सुखवंत सिंह के समर्थन में संबोधित करते हुए कांग्रेस पर जमकर सियासी हमले किए। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली पर आरोप लगाया कि वह बीजेपी सरकार पर लेकर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं, जबकि कांग्रेस सरकार में रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में दलितों पर अत्याचार हो रहे थे, तब कांग्रेस कहां थी? सीएम ने कांग्रेस को पेपरलीक, घोटालों, अत्याचार और अपराधों को लेकर जमकर घेरा।
अलकायदा कनेक्शन खंगालने को बिहार में NIA की रेड: सीवान में फल कारोबारी से पूछताछ जारी


बांग्लादेश में आतंकी समूह अल-कायदा के देशविरोधी गतिविधियों के मामले की जांच कर रही एनआईए ने बिहार के सीवान समेत देश में 9 जगहों पर छापेमारी की। बिहार के अलावा जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम में एनआईए की टीमों ने तलाशी ली। एनआईए की टीम ने सोमवार की सुबह पांच बजे सीवान के सराय थाना क्षेत्र के पुरानी किला पोखरा मोहल्ले में एक फल विक्रेता के घर को खंगाला। इस दौरान फल विक्रेता अख्तर अली और उनके दोनों बेटों सुहैल अली और आमिर अली से पूछताछ की गई। NIA ने मोबाइल, लैपटॉप, बैंक अकाउंट, टैबलेट सहित अन्य जरूरी कागजात को जब्त किया गया है। पांच घंटे से ज्यादा समय तक पूछताछ के बाद जब एनआइए की पांच सदस्यीय टीम फल विक्रेता के घर से बाहर निकली। जानकारी के अनुसार सुहैल अली पिता के साथ फल का कारोबार करता हैं। उसका भाई आमिर अली शहर के तेलहट्टा बाजार में कपड़ा की दुकान चलाता है। जबकि सुहैल का कारोबार हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से होता हैं। 6 माह पहले संदिग्ध लेन देन के कारण इनका अकाउंट फ्रिज किया गया था। जानकारी के अनुसार सुहैल के अकाउंट से जम्मू कश्मीर और हिमाचल के में गलत तरीके से लेन देन की गई है। पूछताछ में सुहैल ने उसे कारोबार से संबंधित लेन देन बताया है। 2023 में पकड़े गए थे 12 कट्टरपंथी साल 2023 में एनआईए ने 12 कट्टरपंथियों को गिरफ्तार भी किया था। एनआईए ने दिल्ली की एक अदालत में इस मामले में 5 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर दी है। इनमें से चार - मो. सोजिबमियां, मुन्ना खालिद अंसारी उर्फ मुन्ना खान, अजारुल इस्लाम उर्फ जहांगीर या आकाश खान और अब्दुल लतीफ उर्फ मोमिनूल अंसारी - बांग्लादेशी नागरिक हैं। जबकि पांचवां आरोपी फरीद भारतीय नागरिक है। बताया जाता है कि इन सभी से पूछताछ के बाद ही NIA ने सीवान के फल कारोबारी के घर दबिश दी थी। सूत्रों के मुताबिक एनआईए की जांच में पता चला है कि बांग्लादेश से आकर इन लोगों ने यहां अपनी पहचान छुपाने के लिए फर्जी दस्तावेज बनवाए थे। फिर ये लोग चोरी-छिपे कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने लगे और युवाओं को अलकायदा में शामिल होने के लिए उकसाने लगे। साथ ही, ये अलकायदा के लिए धन जुटाने में भी लगे हुए थे। इन्होंने कई युवाओं के बैंक खातों का इस्तेमाल करके पैसे का लेनदेन किया। यहां तक कि पाकिस्तान जैसे दूसरे देशों से भी पैसा मंगवाने और भेजने के लिए इन खातों का इस्तेमाल किया गया। एनआईएएनआईए की जांच के अनुसार, जिन संदिग्धों के परिसरों पर छापे मारे गए, वे बांग्लादेश स्थित अल-कायदा नेटवर्क के समर्थक हैं। यह तलाशी पिछले साल बांग्लादेश स्थित अल-कायदा के गुर्गों द्वारा रची गई साजिश के पर्दाफाश से जुड़ी है।
दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान, वीजा प्रतिबंधों में ढील, चीनी पत्रकारों को भारत में रिपोर्टिंग और भारतीय फिल्मों को चीन में प्रदर्शन की अनुमति, स


भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने की दिशा में प्रयासों के तहत, चीनी अधिकारियों ने संकेत दिया है कि दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए लगातार बातचीत हो रही है। उनका कहना है कि दोनों देश ऐसे कई उपायों पर चर्चा कर रहे हैं, जो अप्रैल-मई 2020 से पहले की स्थिति जैसी सामान्य स्थिति में संबंधों को लाने के लिए हैं। यह बयान हाल ही में कज़ान, रूस में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई बैठक के बाद आया है। चीन को उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार के लिए कई कदम उठाए जाएंगे, जैसे कि दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों की बहाली, वीजा प्रतिबंधों में ढील, चीनी पत्रकारों को भारत में रिपोर्टिंग करने की अनुमति, और भारतीय फिल्मों को चीन में प्रदर्शित करने की अनुमति देना। चीन सरकार को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी अगले साल शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन का दौरा करेंगे। बीजिंग में अधिकारियों का कहना है कि कज़ान बैठक में दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत दोस्ती है और यह मुलाकात कोविड-19 महामारी और सीमा तनाव के बाद पांच साल में पहली बार हुई थी। चीन ने यह भी कहा कि सीमा मुद्दे का समाधान तेजी से होना चाहिए, लेकिन यह मुद्दा रिश्तों का मुख्य केंद्र नहीं होना चाहिए। दोनों देशों के बीच 20 दौर की बातचीत हो चुकी है, और कुछ सैनिकों की वापसी भी हुई है। चीनी अधिकारियों का मानना है कि सीमा विवाद और अन्य मुद्दों का समाधान बातचीत के जरिए किया जा सकता है, और इस दिशा में और अधिक बातचीत की आवश्यकता है। अधिकारियों ने यह भी बताया कि दोनों देशों के बीच जलवायु परिवर्तन, एआई, हरित ऊर्जा संक्रमण जैसे वैश्विक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, चीनी अधिकारियों का कहना है कि भारत और चीन को आपसी सहयोग को बढ़ाने की दिशा में एक सामान्य दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
हिंदू ऑफिसर्स व्हाट्सएप ग्रुप' बनाकर बुरे फंसे IAS अधिकारी, सरकार ने किया निलंबित, पूरे केरल में मच गया हंगामा*
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केरल में आईएएस अधिकारी के मोबाइल नंबर से एक समुदाय के अफसरों के लिए बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।हिंदू ऑफिसर्स नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाए जाने के मामले में केरल सरकार ने आईएएस अधिकारी के गोपालकृष्णन को सस्पेंड कर दिया गया है।30 अक्टूबर को यह ग्रुप बनाया गया था और इसमें सीनियर आईएएस अधिकारियों को जोड़ा गया था। हालांकि, व्हाट्सएप ग्रुप बनने के कुछ ही घंटों के भीतर हटा दिया गया था क्योंकि कई अधिकारियों ने ऐसे ग्रुप पर आपत्ति जताई थी। अब इस मामले में राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सोमवार को आईएएस अधिकारियों गोपालकृष्णन को निलंबित कर दिया। विवाद 31 अक्टूबर को शुरू हुआ, जब केरल कैडर के कई आईएएस अधिकारियों को अप्रत्याशित रूप से “मल्लू हिंदू अधिकारी” नामक एक नए वॉट्सऐप ग्रुप में जोड़ दिया गया। कथित तौर पर के गोपालकृष्णन द्वारा बनाए गए इस ग्रुप में केवल हिंदू अधिकारी शामिल थे, जिसके कारण तत्काल आपत्ति जताई गई। कई अधिकारियों ने इस ग्रुप को धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का उल्लंघन माना। हालांकि अगले ही दिन ग्रुप को डिलीट कर दिया गया। वॉट्सऐप ग्रुप बनाने को लेकर गोपालकृष्णन का कहना था कि उनका मोबाइल हैक कर लिया गया था। साथ ही साथ उन्होंने ये भी दावा किया कि हैकर ने 11 अन्य ग्रुप क्रिएट किए। इस संबंध में गोपालकृष्णन ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई। वहीं, उन्होंने अपना मोबाइल फोन फॉर्मेट कर दिया, जिसके बाद शक गहरा गया। मामले की जांच में पाया गया कि उनके मोबाइल की हैकिंग नहीं हुई। वहीं, कृषि विभाग के विशेष सचिव एन प्रशांत को पिछले तीन दिनों में सोशल मीडिया पर एक अन्य आईएएस अधिकारी, अतिरिक्त मुख्य सचिव ए जयतिलक के खिलाफ कई पोस्ट करके हलचल मचाने के आरोप में निलंबित किया है। मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन की रिपोर्ट के आधार पर सोमवार को दोनों को निलंबित करने का फैसला लिया। इससे पहले दिन में, राजस्व मंत्री के राजन ने कहा था कि सरकार अधिकारियों को अपनी मर्जी से काम करने की अनुमति नहीं देगी। अधिकारियों को मानदंडों और प्रक्रिया के अनुसार काम करना होगा।
महाराष्ट्र चुनावः समर्थन के लिए ये कैसी शर्तें? एमवीए का साथ देने के लिए उलेमा बोर्ड ने रखी ये मांग
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* महाराष्ट्र में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक उठापटक भी तेज होती जा रही है। एक तरफ राजनीतिक दल जनता से समर्थ के लिए नई-नी चालें चल रहे हैं। तो दूसरी ओर समर्थन के नाम पर “ब्लैकमेलिंग” भी शुरू हो गया है। दरअसल, ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड ने महाविकास अघाड़ी (एमवीए) को एक पत्र लिखकर समर्थन देने की पेशकश की है। हालांकि, इसके लिए 17 शर्तें भी रखी हैं। इनमें मुसलमानों को 10 फीसदी आरक्षण देने, आरएसएस पर बैन लगाने जैसी मांगें रखी हैं। *उलेमा बोर्ड की कैसी शर्तें* उलेमा बोर्ड ने अपने 17 सूत्री प्रस्ताव में बताया है कि महाराष्ट्र में अगर कांग्रेस नेतृत्व वाले गठबंधन महाविकास अघाड़ी (एमवीए) की सरकार बनी तो उसे क्या-क्या चाहिए। उलेमा बोर्ड ने एमवीए से वक्फ बिल का विरोध करने और मुस्लिमों को शिक्षा और नौकरियों में 10% आरक्षण देने की मांग की है। बोर्ड चाहता है कि राज्य के 48 जिलों में मस्जिदों, कब्रिस्तानों और दरगाहों की जब्त जमीनों का सर्वेक्षण किया जाए। इसके साथ ही महाराष्ट्र वक्फ मंडल के विकास के लिए 1000 करोड़ रुपये का फंड दिया जाए। बोर्ड ने 2012 से 2024 तक के दंगों के मामलों में बंद निर्दोष मुस्लिम कैदियों को रिहा करने की भी मांग की है। बोर्ड ने मस्जिदों के इमामों और मौलवियों को 15,000 रुपये मासिक सरकारी वेतन देने की मांग की है। *आरएसएस पर प्रतिबंध की भी शर्त* यही नहीं, बोर्ड चाहता है कि एमवीए की सरकार आने पर उलमा बोर्ड के मौलवियों और इमामों को सरकारी समितियों में शामिल किया जाए। 2024 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय के 50 उम्मीदवारों को टिकट दिया जाए। राज्य वक्फ बोर्ड में 500 कर्मचारियों की भर्ती की जाए। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों से अतिक्रमण हटाने के लिए कानून पारित किया जाए। पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ बोलने पर कानूनी प्रतिबंध लगाया जाए। एमवीए की सरकार बनने पर आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया जाए। *उलेमा बोर्ड की शर्ते ने दिलाई जिन्ना प्रस्ताव की याद* उलेमा बोर्ड की इन शर्तों ने 1929 के जिन्ना प्रस्ताव की याद दिला दी है। 1929 का जिन्ना का प्रस्ताव भारत में मुस्लिम हितों की रक्षा के लिए एक अलग मुस्लिम राष्ट्र की मांग का पहला कदम माना जाता है। जिन्ना के 14 सूत्रीय प्रस्ताव में संघीय ढांचे के साथ प्रांतों को अधिक स्वायत्तता देने, सभी निर्वाचित निकायों में मुस्लिम प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने, केंद्र में मुस्लिमों को कम से कम एक तिहाई प्रतिनिधित्व देने, मुस्लिम हितों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी विधेयक या प्रस्ताव का विरोध करने के लिए मुस्लिम सदस्यों को वीटो पावर देने जैसे मुद्दे शामिल थे। *जिन्ना के चौदह सूत्र* 1. संघीय संविधान जिसमें शेष शक्तियां प्रान्तों के पास होंगी। 2. प्रांतीय स्वायत्तता। 3. राज्यों की सहमति के बिना कोई संवैधानिक संशोधन नहीं। 4. सभी विधानमंडलों और निर्वाचित निकायों में पर्याप्त मुस्लिम प्रतिनिधित्व होगा, किसी प्रांत में मुस्लिम बहुमत को अल्पमत या समानता में बदले बिना। 5. सेवाओं और स्वशासी निकायों में मुसलमानों का पर्याप्त मुस्लिम प्रतिनिधित्व। 6. केन्द्रीय विधानमंडल में मुसलमानों का एक तिहाई प्रतिनिधित्व। 7. केन्द्रीय और राज्य मंत्रिमंडलों में एक तिहाई मुस्लिम सदस्य हैं। 8. पृथक निर्वाचक मंडल. 9. किसी भी विधानमंडल में कोई भी विधेयक पारित नहीं किया जाएगा यदि अल्पसंख्यक समुदाय का तीन चौथाई हिस्सा इसे अपने हितों के विरुद्ध मानता है। 10. बंगाल, पंजाब और उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत में मुस्लिम बहुसंख्यकों को प्रभावित न करने वाले क्षेत्रों का पुनर्गठन। 11. सिंध को बम्बई प्रेसीडेंसी से अलग करना। 12. उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत और बलूचिस्तान में संवैधानिक सुधार। 13. सभी समुदायों के लिए पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता। 14. मुसलमानों के धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक और भाषाई अधिकारों का संरक्षण। ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड की शर्तें 1. वक्फ बिल का विरोध। 2. नौकरी और शिक्षा में 10% मुस्लिम आरक्षण। 3. महाराष्ट्र के 48 जिलों में मस्जिद,कब्रिस्तान और दरगाह की जब्त जमीन को आयुक्त के ज़रिए सर्वे कराने का आदेश दिया जाए। 4. महाराष्ट्र के वक्फ मंडल के विकास के लिए 1000 करोड़ का फंड दिया जाए। 5. साल 2012 से 2024 के दंगे फैलाने के आरोपों में जेल में बंद निर्दोष मुसलमानों को बाहर निकालने की मांग। 6. मौलाना सलमान अजहरी को जेल से बाहर निकालने के लिए एमवीए के 30 सांसद पीएम मोदी को खत लिखे। 7. महाराष्ट्र में मस्जिदों के इमाम और मौलाना को सरकार हर महीने 15000 रुपये देने का वादा। 8. पुलिस भर्ती में मुस्लिम युवाओं को भी प्राथमिकता दी जाए। 9. महाराष्ट्र में शिक्षित मुस्लिम समुदाय को पुलिस भर्ती में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। 10. इंडिया गठबंधन को रामगिरी महाराज और नितेश राणे को जेल में डालने के लिए विरोध करना चाहिए। 11. महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन के सहयोगियों के सत्ता में आने के बाद ऑल इंडिया उलमा बोर्ड के मुफ्ती मौलाना, अलीम हाफिज मस्जिद के इमाम को सरकारी समिति में लिया जाना चाहिए। 12. महाराष्ट्र विधानसभा में 2024 के चुनाव में मुस्लिम समुदाय के 50 उम्मीदवारों को टिकट दिया जाना चाहिए। 13. महाराष्ट्र सरकार की ओर से राज्य वक्फ बोर्ड में 500 कर्मचारियों की भर्ती की जानी चाहिए। 14. महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर अतिक्रमण हटाने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा में एक कानून पारित किया जाना चाहिए। 15. हमारे पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ बोलने वाले लोगों पर कानूनी प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए। 16. जब महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन के सहयोगी सरकार बनाएंगे, तो आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। 17. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 भारत गठबंधन के लिए प्रचार करने के लिए अखिल भारतीय उलेमा बोर्ड को 48 जिलों में आवश्यक मशीनरी प्रदान की जानी चाहिए।
ढीली नहीं हुई पाकिस्तान की अकड़ तो इस देश में खेला जाएगा चैंपियंस ट्रॉफी, ICC ने कर लिया है प्लान*
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चैंपियंस ट्रॉफी 2025 को लेकर अभी से ही मुद्दा काफी गर्म है। इस टूर्नामेंट का आयोजन पाकिस्तान में किया जाना है। मगर भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान का दौरा करने से साफी इनकार कर दिया है।अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारत के पाकिस्तान जाने से इनकार के बाद पाकिस्तान से टूर्नामेंट की हाइब्रिड मॉडल में मेजबानी को लेकर जवाब मांगा है।हालांकि पाकिस्तान की ओर से इस मुद्दे को लेकर कोई भी जवाब सामने नहीं आया है। अब खबर ये है कि अगर पाकिस्तान हाईब्रिड मॉडल के लिए नहीं मानता है तो फिर ये टूर्नामेंट साउथ अफ्रीका में आयोजित किया जा सकता है।बता दें पाकिस्तान चाहता है कि टीम इंडिया चैंपियंस ट्रॉफी के लिए उसकी सरजमीं पर आए लेकिन बीसीसीआई ने इससे साफ इनकार कर दिया है। वहीं पाकिस्तान भी अड़ गया है कि वो हाईब्रिड मॉडल को नहीं मानेगा।यही वजह है कि आईसीसी अब दूसरे विकल्प पर सोच रही है। स्पोर्ट्सतक की रिपोर्ट के मुताबिक अगर पीसीबी आईसीसी के विचारों से सहमत नहीं होती है तो चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी उससे छीनकर दक्षिण अफ्रीका को दी जा सकती है।एक सूत्र ने पीटीआई से कहा, ‘अगर पीसीबी चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी से पीछे नहीं हटता है तो यह तय है कि भारत के मैच यूएई में और फाइनल दुबई में होगा। सूत्र ने कहा, ‘भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने आईसीसी से कहा है कि उसे हाइब्रिड मॉडल स्वीकार्य है बशर्ते फाइनल दुबई में हो , पाकिस्तान में नहीं।’ पीसीबी ने सोमवार को बीसीसीआई के इस फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की। लेकिन सूत्रों के अनुसार आईसीसी ने पीसीबी से पूछा है कि क्या उसे हाइब्रिड मॉडल स्वीकार्य है जिसमें भारत के मैच और फाइनल दुबई में खेले जायेंगे। आईसीसी ने यह भी कहा कि इसके तहत उसे पूरी मेजबानी फीस और अधिकांश मैच मिलेंगे। *16 साल पहले साउथ अफ्रीका में हुई थी चैंपियंस ट्रॉफी* सूत्र ने कहा कि पीसीबी के टूर्नामेंट की मेजबानी से इनकार की दशा में पूरा टूर्नामेंट दक्षिण अफ्रीका में कराया जा सकता है। बता दें कि साउथ अफ्रीका में चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन 16 साल पहले 2009 में हुआ था। उस टूर्नामेंट का विजेता ऑस्ट्रेलिया रहा था जबकि सेमीफाइनल में पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड की टीम पहुंची थी। खिताबी भिड़ंत ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच हुई जिसमें कंगारुओं ने बाजी मारी। टीम इंडिया की बात करें तो वो ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गई थी। उसे पहले ही मैच में पाकिस्तान से शिकस्त मिली थी और उसके बाद एक मैच बेनतीजा रहा वहीं आखिरी मैच जीतकर भी उसे कोई फायदा नहीं हुआ।