नार्वे से पधारे प्रवासी साहित्यकार डॉ शुक्ल का किया गया सारस्वत सम्मान
अमेठी। उत्तर रेलवे मेंस यूनियन के सभागार में अवधी साहित्य संस्थान अमेठी एवं उदगार मंच सुल्तानपुर के संयुक्त तत्वावधान में सारस्वत सम्मान समारोह एवं कवि गोष्ठी का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती जी की प्रतिमा पर पूजा अर्चना एवं माल्यार्पण से हुआ।
अतिथियों का स्वागत करते हुए अध्यक्ष उदगार मंच नरेन्द्र शुक्ल ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है, समाजोत्थान में जिसकी भूमिका अहम है।हमें निज भाषा पर गर्व होना चाहिए। मुख्य अतिथि भारतीय नार्वेजियन सांस्कृतिक फोरम के अध्यक्ष,ख्यातिलब्ध प्रवासी साहित्यकार डॉ सुरेश चंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिन्दी साहित्य सम्वर्द्धन में प्रवासी साहित्यकारों का योगदान सर्वोपरि है। दुनिया के लगभग सभी देशों में हिन्दी का प्रचालन है।हिन्दी साहित्य विश्वव्यापी बन चुकी है।
अध्यक्षता करते हुए अध्यक्ष अवधी साहित्य संस्थान डॉ अर्जुन पाण्डेय ने कहा कि गोस्वामी कृत श्रीरामचरितमानस दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है।साहित्य किसी देश की सभ्यता एवं संस्कृति की धरोहर है।हिन्दी सागर भी ज्यादा गहरी है।कवयित्री प्रतिभा पाण्डेय ने पढ़ा 'विविध विधाओं का उद्गम है हिंदी, हिन्दी है हिंदुस्तान की' कवि रामेश्वर सिंह निराश ने पढ़ा 'आवे गौरैया नाही हमरे दुआर हो।नरेंद्र शुक्ल ने पढ़ा 'जो न सबसे कह सके वह दर्द सबके पास है, किंतु रिश्तों को बचाने की जरूरत खास है'। ख़ाक सुल्तानपुरी ने पढ़ा,'फूल क्या छू लिया भूल हो ही गयी,हर कली मेरे प्रतिकूल हो ही गयी।हरिनाथ शुक्ल हरि ने पढ़ा 'घटा घिर घाट आयी हो तो समझो छठ आयी है 'सुरेश शुक्ल नवीन ने पढ़ा 'घिरे जब मुश्किलों में भी निकलना हमने सीखा है'।
जगदम्बा प्रसाद तिवारी 'मधुर' ने पढ़ा 'सुन सखी सइयां नीम कै छइयां, बाकी सब पतझड़ के पात', रामबदन शुक्ल 'पथिक' ने पढ़ा दिल तोड़ने वाले नही दिल को मिलाते हैं ' वरेण्य साहित्यकारों में श्रीनारायण लाल श्रीवास्तव श्रीश, आयोजिका डॉ पूनम मिश्र,श्रीमती रामकुमारी साहू ,श्रीनाथ मौर्य, कुंज बिहारी मौर्य 'काका श्री', डॉ अभिमन्यु पाण्डेय,
धवल मिश्र एवं अजय विक्रम सिंह ने अपनी रसभरी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। सम्मान समारोह में अवधी साहित्य संस्थान द्वारा नार्वे से पधारे प्रवासी साहित्यकार डॉ सुरेश चन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' का सारस्वत सम्मान स्वामी विवेकानंद जी प्रतिमा एवं अंगवस्त्र भेंट कर किया गया।साथ ही सभी कवियों एवं साहित्यकारों को भी अंगवस्त्र एवं मोमेन्टो भेंट कर सम्मानित किया गया। संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह का संचालन ख्यातिलब्ध साहित्यकार हरिनाथ शुक्ल 'हरि' ने किया।
Nov 09 2024, 16:43