अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा 2024 भारत में नवंबर ज्यादा गर्म

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

विश्व में जलवायु परिवर्तन के चलते 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा। भारत में नवंबर अन्य वर्षों के मुकाबले अधिक गर्म होने का अनुमान है। यूरोपीय जलवायु एजेंसी कॉपरनिकस ने अपनी एक रिपोर्ट में इसे दुनिया के लिए खतरे की घंटी बताया है। एजेंसी ने चेताया कि औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में कम से कम 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहेगा। यह दूसरा वर्ष है जब इतिहास में अक्तूबर सबसे गर्म दर्ज किया गया।कॉपरनिकस के निदेशक कार्लो बुओनटेंपो ने कहा, मैं समझता हूं कि तापमान में निरंतर वृद्धि चिंताजनक है। आंकड़े बताते हैं कि यदि वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की निरंतर वृद्धि के कारण वैश्विक गर्मी नहीं होती, तो धरती पर रिकॉर्ड तोड़ तापमान का इतना लंबा क्रम देखने को नहीं मिलता।

बुओनटेंपो ने दी जानकारी

बुओनटेंपो ने कहा कि तापमान में लंबे समय तक उतार-चढ़ाव होना दुनिया के लिए एक बुरा संकेत है। पेरिस में 2015 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में विश्व नेताओं ने जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने की प्रतिबद्धता जताई थी। यूरोप, उत्तरी कनाडा में तापमान औसत से अधिक व मध्य-पश्चिमी अमेरिका में काफी अधिक पाया गया।

1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाला पहला वर्ष

कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) की उप निदेशक सामंथा बर्गेस ने कहा, इस वर्ष के 10 माह बीतने के बाद अब यह तय है कि 2024 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष होगा। यह वर्ष वैश्विक तापमान रिकॉर्ड में एक नया मील का पत्थर है, जो आगामी जलवायु परिवर्तन सम्मेलन सीओपी29 में जलवायु संबंधी लक्ष्य को पाने के लिए एक उत्प्रेरक के तौर पर काम करेगा।

1.55 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की संभावना

यूरोपीय एजेंसी के वैज्ञानिकों ने कहा कि 2023 का तापमान पूर्व-औद्योगिक काल के स्तर से 1.48 डिग्री सेल्सियस अधिक था, इसलिए यह भी लगभग निश्चित है कि 2024 का वार्षिक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक होगा। इसके 1.55 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की संभावना है।

खत्म हुआ जेट एयरवेज का “सफर”, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विक जाएंगी एयरलाइन की सभी संपत्तियां

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भारत में बजट एयरलाइंस के तौर पर चर्चित जेट एयरवेज अब कभी भी उड़ान नहीं भर पाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने बंद पड़ी एयरलाइंस जेट एयरवेज के ऐसेट्स को बेचने का आदेश दे दिया। इसके साथ ही जेट एयरलाइन का सफर हमेशा के लिए खत्म हो गया है। जेट एयरवेज ने 25 साल तक पूर्ण सेवा एयरलाइन के रूप में उड़ान भरने के बाद पांच साल पहले अप्रैल के महीने में अस्थाई रूप से अपना परिचालन बंद करने की घोषणा की थी। नकदी संकट की वजह से एयरलाइन ने यह कदम उठाया था। अब सुप्रीम कोर्ट के एयरलाइन के परिसमापन के आदेश के बाद इसके फिर से उड़ान भरने की संभावना पूरी तरह समाप्त हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 7 नवंबर को जेट एयरवेज को लिक्विडेट करने का आदेश दे दिया। लिक्विडेशन का मतलब है- किसी कंपनी की परिसंपत्तियों को जब्त करके उन्हें बेचने से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल उसके कर्ज और देनदारियों को चुकाने में करना। अदालत ने इस आदेश में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के फैसले को पलट दिया। एनसीएलएटी ने मार्च में समाधान योजना (एयरलाइन को संकट से उबारने) के तहत जेट एयरवेज का मालिकाना हक जालान-कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को देने का फैसला सुनाया था।

बता दें कि आर्थिक संकट की वजह से जेट एयरवेज का ऑपरेशन 2019 से बंद है। उस वक्त एयरवेज पर कई बैंकों का 4783 करोड़ का कर्ज था। सबसे ज्यादा लोन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने दिया था। एयरलाइन के घाटे में जाने के बाद बैंकों ने दिवालिया की कार्रवाई शुरू की थी। समाधान योजना के तहत जेकेसी को मालिकाना हक मिलना था। दरअसल, समाधान योजना के अनुसार जालान-कलरॉक कंसोर्टियम को 4783 करोड़ रुपए का भुगतान करना था। पहली किश्त में 350 करोड़ रुपए देने थे, जिसमें कंसोर्टियम 200 करोड़ रुपए ही दे पाई थी।

इसके खिलाफ बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिक्कतों से जूझ रही जेट एयरवेज को लिक्विडेट करने यानी कि इसकी संपत्तियों को बेचने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि लिक्विडेशन इसके ऋणदाताओं और कर्मचारियों के हित में होगा, क्योंकि जालान-कालरॉक कंसोर्टियम मंजूरी के 5 साल बाद भी समाधान योजना को लागू करने में विफल रहा है।

बिक जाएंगी ये सम्पतियां

• बैंकों के पास सबसे बड़ी संपत्ति मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद के हवाई अड्डों पर खड़े ग्यारह जेट एयरवेज विमान हैं।

• तीन बोइंग 777, दो एयरबस ए330 और एक बोइंग 737 सहित छह विमान मुंबई हवाई अड्डे पर खड़े हैं।

• दिल्ली हवाई अड्डे पर दो बोइंग 777 और एक बोइंग 737 हैं, जबकि एक बोइंग 737 और एक एयरबस ए330 हैदराबाद हवाई अड्डे पर हैं।

• बैंकों के अनुमान के मुताबिक, ये विमान ₹1,000 करोड़ से ₹1,500 करोड़ के बीच प्राप्त कर सकते हैं, हालांकि अंतिम मूल्यांकन परिसमापक द्वारा निर्धारित किया जाएगा।

• अन्य संपत्तियों में इंजन, सहायक बिजली इकाइयां (एपीयू), विमान के पुर्जे, और जनरेटर, टो ट्रैक्टर, वाहन, कंप्रेसर, कोच और ट्रॉलियां जैसे जमीनी उपकरण शामिल हैं।

• जेट एयरवेज़ ब्रांड नाम भी बिक्री के लिए उपलब्ध होगा. इसके अलावा, जेट एयरवेज के पास मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में एक व्यावसायिक इमारत में आधी मंजिल है, जिसका मूल्य जून 2019 तक ₹245 करोड़ है।

• बैंकों को जेट एयरवेज के बैंक खाते में जमा लगभग ₹100 करोड़ भी भुनाने का मौका मिलेगा।

• इसके अलावा, बैंकों के पास जालान-कलरॉक कंसोर्टियम द्वारा जमा की गई लगभग ₹350 करोड़ की सीधी नकदी तक पहुंच है।

• सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को अपने समाधान योजना प्रस्तुत करने के दौरान जालान-कलरॉक कंसोर्टियम द्वारा दी गई ₹150 करोड़ की प्रदर्शन बैंक गारंटी को भुनाने का आदेश दिया।

• शीर्ष अदालत ने कंसोर्टियम द्वारा एस्क्रो खाते में जमा किए गए ₹200 करोड़ को जब्त करने का भी आदेश दिया।

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में आतंकी हमला, ग्राम रक्षा समूह के दो सदस्यों की अपहरण के बाद हत्या

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जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में आतंकवादियों ने दो ग्राम रक्षा रक्षकों का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी है। मृतकों की पहचान नजीर अहमद और कुलदीप कुमार के रूप में हुई है। वह ओहली कुंतवाड़ा गाँव के निवासी थे। आतंकियों ने इस घटना को तब अंजाम दिया जब दोनों लोग शाम के समय में मवेशी चराने के लिए जंगल गए थे। इसी दौरान आतंकवादियों ने उन्हें अगवा किया और बाद में उन्हें तड़पाकर उनकी हत्या कर दी।यह हमला श्रीनगर के रविवार के बाजार में ग्रेनेड हमले में कम से कम 12 लोगों के घायल होने के कुछ दिनों बाद हुआ है।

घटना की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद संगठन की एक शाखा कश्मीर टाइगर्स ने ली है। कश्मीर टाइगर्स की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वीडीजी के दो सक्रिय सैनिक कुलदीप कुमार और नाजीर किश्तवाड़ इलाके में मुजाहिद्दीन इस्लाम को पीछा करते पहुंचे। कश्मीर के मुजाहिद्दीन ने पहले उन्हें इग्ननोर किया, लेकिन उनलोगों ने पीछा करना नहीं छोड़ा और करीब आ गए। उसके बाद मुजाहिद्दीन ने उन्हें पकड़ लिया और दोनों ने अपने अपराध कबूल किए। उसके बाद उन्हें सजा दी गई।

वहीं जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने इस बर्बरता की निंदा की है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पार्टी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला दोनों ने हत्याओं की निंदा की है। पार्टी के ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया गया, "जेकेएनसी अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला और उप-राष्ट्रपति एवं मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने किश्तवाड़ के दो ग्राम रक्षा रक्षकों नजीर अहमद और कुलदीप कुमार की वन क्षेत्र में नृशंस हत्या की निंदा की है। उन्होंने कहा है कि इस तरह की बर्बर हिंसा की घटनाएं जम्मू-कश्मीर में दीर्घकालिक शांति प्राप्त करने में एक बड़ी बाधा बनी हुई हैं। दुख की इस घड़ी में उनकी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं मृतकों के परिवारों के साथ हैं।"

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी हत्या की निंदा की। लेफ्टिनेंट गवर्नर सिन्हा ने एक्स पर लिखा, "किश्तवाड़ में वीडीजी सदस्यों पर हुए जघन्य आतंकवादी हमले की निंदा करने के लिए कोई भी शब्द पर्याप्त नहीं है। मैं इस कायरतापूर्ण हमले में शहीद हुए वीर सपूतों के परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं। हम सभी आतंकवादी संगठनों को नष्ट करने और इस बर्बर कृत्य का बदला लेने के लिए दृढ़ संकल्प हैं।

ट्रूडो सरकार की ये कैसी करतूत, जयशंकर की प्रेस कॉन्फ्रेंस टेलीकास्ट के बाद ऑस्ट्रेलियाई चैनल को किया बैन

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ख़ालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत-कनाडा के बीच संबंध पहले ही निम्नतम स्तर पर पहुंच चुका है। इस बीच हाल ही में हिंदू मंदिर पर हमले और हिंदू समुदाय को निशाना जाने को लेकर घमासान अभी थमा भी नहीं था। इसी बीच कनाडा सरकार की एक और करतूत पर भारत ने सवाल उठाए हैं। इस बार कनाडा ने एक ऑस्ट्रेलियाई मीडिया संस्थान 'ऑस्ट्रेलिया टुडे' के सोशल मीडिया अकाउंट को ब्लॉक कर दिया। यह कार्रवाई भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और ऑस्ट्रेलिया में उनकी समकक्ष पेनी वोंग की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ घंटों बाद हुई।

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और पेनी वोंग के बीच प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कनाडा ने ऑस्ट्रेलियाई चैनल 'ऑस्ट्रेलिया टुडे' के सोशल मीडिया पेज को ब्लॉक कर दिया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में, एस जयशंकर ने कनाडा पर आरोप लगाया था कि वह बिना किसी ठोस सबूत के भारत पर झूठे आरोप लगा रहा है। इसके तुरंत बाद ही कनाडा ने 'ऑस्ट्रेलिया टुडे' के सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया।

कनाडा सरकार की ओर से ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख आउटलेट 'ऑस्ट्रेलिया टुडे' को ब्लॉक/बैन करने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हमें पता चला है कि कनाडा में एक महत्वपूर्ण प्रवासी आउटलेट के सोशल मीडिया हैंडल, पेज को ब्लॉक/बैन कर दिया गया है। यह इस विशेष हैंडल से पेनी वोंग के साथ विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की प्रेस कॉन्फ्रेंस को प्रसारित करने के ठीक कुछ घंटों बाद हुआ। इस कार्रवाई को लेकर हमें आश्चर्य हुआ।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति कनाडा के पाखंड को उजागर करता है। विदेश मंत्री ने अपने मीडिया कार्यक्रमों में तीन चीजों के बारे में बात की। पहला, कनाडा की ओर से बिना किसी विशेष सबूत के आरोप लगाना। दूसरा, कनाडा में भारतीय राजनयिकों की अस्वीकार्य निगरानी करना। तीसरा, कनाडा में भारत विरोधी तत्वों को राजनीतिक स्थान दिया जाना...इससे आप निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि ऑस्ट्रेलिया टुडे चैनल को कनाडा द्वारा क्यों ब्लॉक किया गया।

बता दें कि यह घटना कनाडा के ब्रैम्पटन में स्थित हिंदू मंदिर पर हुए हमले के वीडियो के सामने आने के बाद हुई। इस हमले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कनाडाई समकक्ष जस्टिन ट्रूडो ने निंदा की थी। कनाडा में रविवार को ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर पर खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने हमला बोला था। इस दौरान भारतीय कांसुलेट वहां एक कार्यक्रम आयोजित कर रहा था। खालिस्तान समर्थकों ने लाठी डंडों के साथ वहां मौजूद लोगों पर हमला बोल दिया था।

अमेरिका में ट्रंप की वापसी, क्या बढ़ेगी भारत के “दुश्मनों” की दुश्वारियां?

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डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जीत चुके हैं, वह अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति होंगे। चार साल बाद वॉइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी कई मायनों में खास है। ट्रंप की वापसी से दुनियाभर में खलबली मची हुई है।डोनाल्ड ट्रंप की वापसी को प्रधानमंत्री मोदी के लिए सकारात्मक घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा है। पीएम मोदी का पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ मजबूत रिश्ता रहा है। चुनाव से पहले दिवाली पर संदेश में डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी को दोस्त बताया था। दोनों नेता पहले भी एक दूसरे की तारीफ करते रहे हैं। अब सवाल ये है कि ट्रंप का अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव जीतने का भारत के ‘दुश्मन’ देशों पर क्या असर होगा?

डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी आपस में बहुत अच्छे दोस्त हैं। दोनों विश्व नेताओं की जुगलबंदी जगजाहिर है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी भारत-अमेरिका के रिश्ते काफी मजबूत रहे हैं। इसमें और मजबूती आने की उम्मीद है। वहीं, ट्रंप की जीत भारत के साथ दुश्मनी वाला रवैया रखने वाले देशों के लिए बुरी खबर हो सकती है। इस लिस्ट में चीन से लेकर बांग्लादेश और कनाडा तक का नाम शामिल हो सकता है।यहां सावल ये भी है कि क्या ट्रंप, भारत के दुश्मनों से सख्ती से निपटेंगे या फिर डिप्लोमेटिक खेल खेलेंगे जैसा बाइडेन प्रशासन करता आ रहा था?

जानबूझ कर दुश्मनी निकाल रहे कनाडा का क्या होगा?

भारत के लिए इन दिनों कनाडा दुश्मन नंबर एक बनकर उभरा है। अमेरिका और कनाडा में खालिस्‍तानी गतिविधियां के बढ़ने से हाल के महीनों में भारत को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। कनाडा में भारतीय हिंदुओं की सुरक्षा भी खतरे में आ गई है। ट्रूडो ने पिछले साल कनाडा में आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाए। भारत सरकार ने जब ट्रूडो के एजेंडे को बेनकाब कर दिया तब जाकर उन्होंने यह बात स्वीकार की कि उन्होंने सारे आरोप बिना सबूत के लगाए थे। अब तक बाइडेन प्रशासन काफी हद तक इस मामले में ट्रूडो का साथ दे रहा था लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ऐसे मामलों में कनाडा का साथ नहीं देने वाले। ट्रंप के प्रशासन में अमेरिका में भारतीय हिंदुओं को खालिस्तान से होने वाले खतरे और धमकी को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। कनाडा को सुरक्षा और खालिस्तान समर्थकों के मसले पर गंभीर और साफ संदेश भी जाएगा।।

नए नवेले दुश्मन का क्या हाल होगा?

भारत के साथ संबंधों को बिगाड़ने वाले देशों में एक नाम बांग्लादेश का भी है। जिसके साथ दशकों तक भारत के अच्छे संबंध रहे। जिसके साथ भारत ने पूरी शिद्दत से दोस्ती निभाई लेकिन इस साल अगस्त महीने में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट होते ही बांग्लादेश के सुर बदल गए। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ जमकर हिंसा की गई। अपने चुनावी अभियान के दौरान दिवाली के मौके पर धर्म विरोधी एजेंडे के तहत हिंदू अमेरिकन की रक्षा की बात करने वाले ट्रंप बांग्लादेश में हिंदू और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले की भर्त्सना कर चुके हैं।बांग्लादेश की यूनुस सरकार को भी ट्रंप ने अपने निर्वाचन से पहले ही साफ संदेश दे दिया था। यही नहीं, हसीने के बाद बाद आए मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने भारत को आंख दिखाने की जुर्रत भी की। जान बचाकर भारत आईं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को जब भारत ने शरण दी तो यूनुस सरकार के मंत्री धमकी भरे लहज़े में बात करने लगे।

कहा जाता है कि बांग्लादेश यह सब कुछ अमेरिका की शह पर कर रहा था। बाइडेन और मोहम्मद यूनुस की मुलाकात की उस तस्वीर को याद करिए जब वह यूनुस से ऐसे मिल रहे थे मानो कोई पिता अपने बेटे की किसी उपलब्धि पर उसे दुलार रहा हो।

चीन की बढ़ेगी मुश्किल

ट्रंप के आने से चीन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। चीन के आक्रामक और विस्तारवादी रवैये के चलते दुनिया के ज्यादातर मुल्क चीन की आलोचना करते रहे हैं। ट्रंप जब पहली बार राष्ट्रपति बने थे तो उन्होंने चीन के खिलाफ काफी सख्त रुख अपनाया था। इस बार वह इससे एक कदम आगे बढ़ सकते हैं। ट्रंप ने अपनी चुनावी रैलियों में चीन के आयात पर टैरिफ बढ़ाने का वादा किया था। पूरी संभावना है कि वह जब व्हाइट हाउस में होंगे तो चीन के खिलाफ कई कड़े फैसले ले सकते हैं। व्यापार और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच टकराव और प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी, मुमकिन है कि दोनों के बीच एक बार फिर ट्रेड वॉर की शुरुआत हो।

चीन की अर्थव्यवस्था इस वक्त काफी कमजोर दौर से गुजर रही है, ऐसे में ट्रंप का अमेरिका का राष्ट्रपति चुना जाना बीजिंग के लिए बड़ा झटका है। ट्रंप की जीत को लेकर ड्रैगन की निराशा उसके बयान में भी झलकती दिखी, चीन की ओर से कहा गया कि वह अमेरिका के साथ परस्पर सम्मान के आधार पर काम करता रहेगा। चीन के बयान में कोई जोश नहीं दिखा जैसा भारतीय प्रधानमंत्री के बधाई संदेश में था। उन्होंने ट्रंप को अपना दोस्त बताते हुए बधाई दी।

पाकिस्तान को पहले ही मिल चुका है सबक

भारत में पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद के लिए ट्रंप एक सीधा और साफ संदेश है। अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप पाकिस्तान को प्रायोजित आतंकवाद के लिए लताड़ चुके हैं और यही नहीं ट्रंप ने पाकिस्तान को अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक सहायता भी रोक दी थी। पाकिस्तान इस वक्त आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में आतंकवाद समेत किसी मसले पर पाकिस्तान से ट्रंप की नाराजगी उसे न सिर्फ अमेरिका से मिलने वाली मदद बल्कि अलग-अलग संगठनों से मिलने वाली आर्थिक सहायता पर भी तेज आंच डाल सकती है।

अमेरिका में ट्रंप की वापसी, क्या बढ़ेगी भारत के “दुश्मनों” की दुश्वारियां?*
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डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जीत चुके हैं, वह अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति होंगे। चार साल बाद वॉइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी कई मायनों में खास है। ट्रंप की वापसी से दुनियाभर में खलबली मची हुई है।डोनाल्ड ट्रंप की वापसी को प्रधानमंत्री मोदी के लिए सकारात्मक घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा है। पीएम मोदी का पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ मजबूत रिश्ता रहा है। चुनाव से पहले दिवाली पर संदेश में डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी को दोस्त बताया था। दोनों नेता पहले भी एक दूसरे की तारीफ करते रहे हैं। अब सवाल ये है कि ट्रंप का अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव जीतने का भारत के ‘दुश्मन’ देशों पर क्या असर होगा? डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी आपस में बहुत अच्छे दोस्त हैं। दोनों विश्व नेताओं की जुगलबंदी जगजाहिर है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी भारत-अमेरिका के रिश्ते काफी मजबूत रहे हैं। इसमें और मजबूती आने की उम्मीद है। वहीं, ट्रंप की जीत भारत के साथ दुश्मनी वाला रवैया रखने वाले देशों के लिए बुरी खबर हो सकती है। इस लिस्ट में चीन से लेकर बांग्लादेश और कनाडा तक का नाम शामिल हो सकता है।यहां सावल ये भी है कि क्या ट्रंप, भारत के दुश्मनों से सख्ती से निपटेंगे या फिर डिप्लोमेटिक खेल खेलेंगे जैसा बाइडेन प्रशासन करता आ रहा था? *जानबूझ कर दुश्मनी निकाल रहे कनाडा का क्या होगा?* भारत के लिए इन दिनों कनाडा दुश्मन नंबर एक बनकर उभरा है। अमेरिका और कनाडा में खालिस्‍तानी गतिविधियां के बढ़ने से हाल के महीनों में भारत को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। कनाडा में भारतीय हिंदुओं की सुरक्षा भी खतरे में आ गई है। ट्रूडो ने पिछले साल कनाडा में आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाए। भारत सरकार ने जब ट्रूडो के एजेंडे को बेनकाब कर दिया तब जाकर उन्होंने यह बात स्वीकार की कि उन्होंने सारे आरोप बिना सबूत के लगाए थे। अब तक बाइडेन प्रशासन काफी हद तक इस मामले में ट्रूडो का साथ दे रहा था लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ऐसे मामलों में कनाडा का साथ नहीं देने वाले। ट्रंप के प्रशासन में अमेरिका में भारतीय हिंदुओं को खालिस्तान से होने वाले खतरे और धमकी को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। कनाडा को सुरक्षा और खालिस्तान समर्थकों के मसले पर गंभीर और साफ संदेश भी जाएगा।। *नए नवेले दुश्मन का क्या हाल होगा?* भारत के साथ संबंधों को बिगाड़ने वाले देशों में एक नाम बांग्लादेश का भी है। जिसके साथ दशकों तक भारत के अच्छे संबंध रहे। जिसके साथ भारत ने पूरी शिद्दत से दोस्ती निभाई लेकिन इस साल अगस्त महीने में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट होते ही बांग्लादेश के सुर बदल गए। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ जमकर हिंसा की गई। अपने चुनावी अभियान के दौरान दिवाली के मौके पर धर्म विरोधी एजेंडे के तहत हिंदू अमेरिकन की रक्षा की बात करने वाले ट्रंप बांग्लादेश में हिंदू और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले की भर्त्सना कर चुके हैं।बांग्लादेश की यूनुस सरकार को भी ट्रंप ने अपने निर्वाचन से पहले ही साफ संदेश दे दिया था। यही नहीं, हसीने के बाद बाद आए मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने भारत को आंख दिखाने की जुर्रत भी की। जान बचाकर भारत आईं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को जब भारत ने शरण दी तो यूनुस सरकार के मंत्री धमकी भरे लहज़े में बात करने लगे। कहा जाता है कि बांग्लादेश यह सब कुछ अमेरिका की शह पर कर रहा था। बाइडेन और मोहम्मद यूनुस की मुलाकात की उस तस्वीर को याद करिए जब वह यूनुस से ऐसे मिल रहे थे मानो कोई पिता अपने बेटे की किसी उपलब्धि पर उसे दुलार रहा हो। *चीन की बढ़ेगी मुश्किल* ट्रंप के आने से चीन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। चीन के आक्रामक और विस्तारवादी रवैये के चलते दुनिया के ज्यादातर मुल्क चीन की आलोचना करते रहे हैं। ट्रंप जब पहली बार राष्ट्रपति बने थे तो उन्होंने चीन के खिलाफ काफी सख्त रुख अपनाया था। इस बार वह इससे एक कदम आगे बढ़ सकते हैं। ट्रंप ने अपनी चुनावी रैलियों में चीन के आयात पर टैरिफ बढ़ाने का वादा किया था। पूरी संभावना है कि वह जब व्हाइट हाउस में होंगे तो चीन के खिलाफ कई कड़े फैसले ले सकते हैं। व्यापार और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच टकराव और प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी, मुमकिन है कि दोनों के बीच एक बार फिर ट्रेड वॉर की शुरुआत हो। चीन की अर्थव्यवस्था इस वक्त काफी कमजोर दौर से गुजर रही है, ऐसे में ट्रंप का अमेरिका का राष्ट्रपति चुना जाना बीजिंग के लिए बड़ा झटका है। ट्रंप की जीत को लेकर ड्रैगन की निराशा उसके बयान में भी झलकती दिखी, चीन की ओर से कहा गया कि वह अमेरिका के साथ परस्पर सम्मान के आधार पर काम करता रहेगा। चीन के बयान में कोई जोश नहीं दिखा जैसा भारतीय प्रधानमंत्री के बधाई संदेश में था। उन्होंने ट्रंप को अपना दोस्त बताते हुए बधाई दी। *पाकिस्तान को पहले ही मिल चुका है सबक* भारत में पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद के लिए ट्रंप एक सीधा और साफ संदेश है। अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप पाकिस्तान को प्रायोजित आतंकवाद के लिए लताड़ चुके हैं और यही नहीं ट्रंप ने पाकिस्तान को अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक सहायता भी रोक दी थी। पाकिस्तान इस वक्त आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में आतंकवाद समेत किसी मसले पर पाकिस्तान से ट्रंप की नाराजगी उसे न सिर्फ अमेरिका से मिलने वाली मदद बल्कि अलग-अलग संगठनों से मिलने वाली आर्थिक सहायता पर भी तेज आंच डाल सकती है।
हेट स्पीच मामले में फंसे मिथुन चक्रवर्ती, बीजेपी नेता ने ऐसा क्या बोला मच गया बवाल?

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अभिनेता और भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है।मिथुन चक्रवर्ती के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा है। इस मामले में मिथुन चक्रवर्ती के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की है। पहली एफआईआर बिधाननगर पुलिस स्टेशन में दूसरी प्राथमिकी बौबाजार थाने में दर्ज हुई है। उनके ऊपर पिछले महीने नॉर्थ 24 परगना जिले में एक पार्टी कार्यक्रम के दौरान कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने का आरोप है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, चक्रवर्ती के खिलाफ शिकायत 27 अक्टूबर को साल्ट लेक क्षेत्र में ईजेडसीसी में भाजपा के एक कार्यक्रम के दौरान उनके द्वारा दिए गए भाषण से संबंधित है, जिसके आधार पर पुलिस ने बिधाननगर दक्षिण थाने में प्राथमिकी दर्ज की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यता अभियान के पश्चिम बंगाल चरण की शुरुआत के लिए आयोजित किया गया था।

बिधाननगर दक्षिण थाने में कौशिक साहा नामक व्यक्ति ने प्राथमिकी दर्ज कराई है। कौशिक ने कहा कि मिथुन ने गत 27 अक्टूबर को साल्टलेक इलाके में भाजपा के सदस्यता अभियान के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में भड़काऊ बयान दिया था। इससे सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है।

बताया जा रहा है कि मिथुन ने सदस्यता अभियान के दौरान सार्वजनिक तौर पर कहा था, मैं आज अभिनेता के तौर पर नहीं, बल्कि साठ के दशक का मिथुन चक्रवर्ती बोल रहा हूं। मैंने खून की राजनीति की है इसलिए राजनीति के दांवपेंच मेरे लिए नए नहीं हैं। मुझे पता है कि कौन सा कदम उठाने से क्या काम होगा। मैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सामने कह रहा हूं कि इसके लिए जो भी जरूरी होगा, सब करूंगा। कुछ भी यानी कुछ भी ...और इसका एकअंतर्निहित अर्थ है।

मिथुन ने आगे कहा था,यहां के एक नेता ने कहा था कि हिदुओं को काटकर भागीरथी में बहा देंगे। मैंने सोचा था कि मुख्यमंत्री उसे कुछ कहेंगी, पर कुछ नहीं कहा, लेकिन मैं कह रहा हूं कि तुम्हें (उक्त नेता) तुम्हारी जमीन में गाड़ दूंगा।

वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने एफआईआर को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि उनके भाषण में कुछ भी भड़काऊ नहीं है। यह पुलिस को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करके उन्हें डराने के अलावा और कुछ नहीं है।

हेट स्पीच मामले में फंसे मिथुन चक्रवर्ती, बीजेपी नेता ने ऐसा क्या बोला मच गया बवाल?*
#kolkata_police_filled_fir_on_mithun_chakraborty_for_statement
अभिनेता और भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है।मिथुन चक्रवर्ती के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा है। इस मामले में मिथुन चक्रवर्ती के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की है। पहली एफआईआर बिधाननगर पुलिस स्टेशन में दूसरी प्राथमिकी बौबाजार थाने में दर्ज हुई है। उनके ऊपर पिछले महीने नॉर्थ 24 परगना जिले में एक पार्टी कार्यक्रम के दौरान कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, चक्रवर्ती के खिलाफ शिकायत 27 अक्टूबर को साल्ट लेक क्षेत्र में ईजेडसीसी में भाजपा के एक कार्यक्रम के दौरान उनके द्वारा दिए गए भाषण से संबंधित है, जिसके आधार पर पुलिस ने बिधाननगर दक्षिण थाने में प्राथमिकी दर्ज की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यता अभियान के पश्चिम बंगाल चरण की शुरुआत के लिए आयोजित किया गया था। बिधाननगर दक्षिण थाने में कौशिक साहा नामक व्यक्ति ने प्राथमिकी दर्ज कराई है। कौशिक ने कहा कि मिथुन ने गत 27 अक्टूबर को साल्टलेक इलाके में भाजपा के सदस्यता अभियान के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में भड़काऊ बयान दिया था। इससे सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है। बताया जा रहा है कि मिथुन ने सदस्यता अभियान के दौरान सार्वजनिक तौर पर कहा था, मैं आज अभिनेता के तौर पर नहीं, बल्कि साठ के दशक का मिथुन चक्रवर्ती बोल रहा हूं। मैंने खून की राजनीति की है इसलिए राजनीति के दांवपेंच मेरे लिए नए नहीं हैं। मुझे पता है कि कौन सा कदम उठाने से क्या काम होगा। मैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सामने कह रहा हूं कि इसके लिए जो भी जरूरी होगा, सब करूंगा। कुछ भी यानी कुछ भी ...और इसका एकअंतर्निहित अर्थ है। मिथुन ने आगे कहा था,यहां के एक नेता ने कहा था कि हिदुओं को काटकर भागीरथी में बहा देंगे। मैंने सोचा था कि मुख्यमंत्री उसे कुछ कहेंगी, पर कुछ नहीं कहा, लेकिन मैं कह रहा हूं कि तुम्हें (उक्त नेता) तुम्हारी जमीन में गाड़ दूंगा। वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने एफआईआर को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि उनके भाषण में कुछ भी भड़काऊ नहीं है। यह पुलिस को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करके उन्हें डराने के अलावा और कुछ नहीं है।
सलमान खान के बॉलीवुड के “बादशाह” को भी मिली धमकी, रायपुर से आया धमकी भरा फोन,
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मांगे 50 लाख रुपए* सलमान खान के बाद बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान को भी जान से मारने की धमकी मिली है। मोबाइल पर धमकी मिलने के बाद शाहरुख की टीम ने शिकायत दर्ज करवाई है। महाराष्ट्र के बांद्रा पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। मुंबई पुलिस ने शिकायत मिलते ही मामले की जांच शुरू कर दी है। धमकी मिलने के बाद शाहरुख के घर मन्नत के बाहर सिक्योरिटी बढ़ा दी गई है। बांद्रा पुलिस स्टेशन में ही धमकी भरा कॉल किया गया था। इस दौरान 50 लाख रुपये की मांग की गई। 50 लाख रुपये देने से इनकार किया गया, तो उसने शाहरुख खान को जान से मारने की धमकी दी। 5 नवंबर को इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस के मुताबिक, धमकी देने वाले शख्स ने फोन पर कहा कि बैंड स्टैंड वाले शाहरुख खान को मार दूंगा। दरअसल शाहरुख खान का घर ‘मन्नत’ मुंबई के बांद्रा बैंडस्टैंड इलाके में है। *छत्तीसगढ़ से आया धमकी भरा कॉल* जिस फैजान नाम के शख्स ने शाहरुख खान को जान से मारने की धमकी दी है, जब उसका कॉल ट्रेस किया गया, तो वो रायपुर का निकला। क्राइम ब्रांच ने फैजान को हिरासत में ले लिया गया है। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, अज्ञात के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 308 (4), 351 (3)(4) के तहत मामला दर्ज किया गया है। जिस नंबर से धमकी दी गई है, वह छत्तीसगढ़ के फैजान नाम के शख्स के नाम पर रजिस्टर्ड है। नंबर ट्रेस होते ही मुंबई पुलिस रायपुर पहुंच गई है। *2023 में भी मिली थी धमकियां* साल 2023 में भी शाहरुख खान को पठान और जवान फिल्म की कामयाबी के बाद लगातार धमकियां मिली थीं। मामले की शिकायत दर्ज होने पर सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें Y प्लस सिक्योरिटी दी गई थी। तभी से शाहरुख खान हर जगह कड़ी सिक्योरिटी में जाते हैं।
ट्रंप की जीत से कनाडा की बढ़ी बेचैनी, जाने किस बात को लेकर खौफ में हैं ट्रूडो?

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डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। अमेरिका के पिछले एक सौ साल के इतिहास में वो पहले राष्ट्रपति हैं जो एक बार चुनाव हारने के बाद व्हाइट हाउस में वापसी कर रहे हैं। ट्रंप अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति रह चुके हैं। ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी के साथ ही अमेरिकी विदेश नीति में बदलाव देखने को मिल सकता है। खासकर डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद कनाडा में चिंता और घबराहट का माहौल है। डोनाल्ड ट्रंप की जीत कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। दरअसल, जस्टिन ट्रूडो ने रिपब्लिकन नेता ने कभी 'दूर-वामपंथी पागल' करार दिया था।

विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि वॉइट हाउस में ट्रंप की वापसी से व्यापार विवाद बढ़ सकते हैं, जो कनाडा के लिए मंदी की वजह बन सकते हैं। कनाडा का 75 फीसदी निर्यात अमेरिका को जाता है। कनाडा में एक साल के भीतर चुनाव होने वाले हैं और अधिकांश सर्वेक्षणों में जस्टिन ट्रूडो की हार की भविष्यवाणी की गई है। ऐसे में आइए कनाडा पर ट्रंप की जीत के मायने समझते हैं।

कनाडा दुनिया का चौथे नंबर का कच्चा तेल उत्पादक है। वहीं, ट्रंप की योजना सभी आयातों पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाने और अमेरिकी ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने की है, जो कनाडा के लिए खास तौर पर बुरा संकेत है।कनाडा का 75% निर्यात अमेरिका को जाता है, और ऐसे में यह टैरिफ कनाडा की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। कनाडाई चैंबर ऑफ कॉमर्स के अनुसार, ट्रंप की टैरिफ नीति से कनाडा की आय में सालाना 0.9% और श्रम उत्पादकता में लगभग 1% की कमी आएगी। यदि व्यापारिक तनाव बढ़ता है, तो इसका असर कनाडा की आर्थिक वृद्धि पर और गंभीर हो सकता है।

वहीं, ट्रंप और ट्रूडो के बीच का संबंध भी हमेशा से तनावपूर्ण रहा हैं। 2018 में क्यूबेक में जी-7 शिखर सम्मेलन में ट्रंप ने ट्रूडो को "बेईमान और कमजोर" कहकर आलोचना की थी। इसके बाद 2022 में, कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर भी ट्रंप ने ट्रूडो को पागल कहा था। ट्रंप की इन टिप्पणियों के कारण दोनों नेताओं के बीच सार्वजनिक मंच पर तनाव देखा गया है।

हालांकि, ट्रूडो ने ट्रंप को जीत की बधाई देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच दोस्ती "दुनिया की ईर्ष्या" का कारण है और वे मिलकर काम करेंगे।ट्रूडो ने एक्स पर कहा, 'मुझे पता है कि राष्ट्रपति ट्रम्प और मैं अपने दोनों देशों के लिए अधिक अवसर, समृद्धि और सुरक्षा बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे।'