जर्मनी ने भारत के लिए खोल दिया पिटारा, रोजगार और तकनीकी के क्षेत्र में किए समझौते*
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जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज भारत दौरे पर हैं, वह 7वें 'इंटरगवर्नमेंटल कंसल्टेशंस' में हिस्सा लेने के लिए गुरुवार की शाम नई दिल्ली पहुंचे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ से दिल्ली में मुलाकात की।इस दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने समझौता ज्ञापनों (एमओयू) का आदान प्रदान किया। इनमें नवाचार व प्रौद्योगिकी पर रोडमैड, रोजगार और श्रम क्षेत्र के एमओयू शामिल हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मन चांसलर से कहा, 'मैं जर्मनी और भारत के सातवें अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) में आपका और आपके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करता हूं। यह आपका तीसरा भारत दौरा है। सौभाग्य से यह मेरे तीसरे कार्यकाल की पहली आईजीसी है। एक तरह से यह हमारी दोस्ती का ट्रिपल सेलिब्रेशन है। हमने 2022 में बर्लिन में आखिरी आईजीसी में अपने द्विपक्षीय सहयोग पर महत्वपूर्ण फैसले लिए। दो वर्षों में हमारे रणनीतिक संबंधों के विभिन्न क्षेत्रों में उत्साहजनक प्रगति हुई है। रक्षा, प्रौद्योगिकी, उर्जा, हरित और सतत विकास जैसे क्षेत्रों में बढ़ता सहयोगी आप आपसी भरोसा सहयोग का प्रतीक बन गया है।' प्रधानमंत्री ने कहा, दुनिया तनाव, संघर्ष और अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कानून के शासन और नौवहन की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर चिंताएं हैं। ऐसे समय में भारत और जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी एक मजबूत आधार बनकर उभरी है। यह लेन-देन के संबंध नहीं हैं, बल्कि यह दो सक्षम और सशक्त लोकतंत्रों की परिवर्तनकारी साझेदारी है। इस संबंध में, हम आपकी ओर से जारी 'फोकस ऑन इंडिया' रणनीति का स्वागत करते हैं। मुझे खुशी है कि अपनी साझेदारी को विस्तार देने और उसे आगे बढ़ाने के लिए हम कई नई और महत्वपूर्ण पहलें कर रहे हैं। इसके अलावा पीएम मोदी ने जर्मनी के निवेशकों को भारत में निवेश करने का न्योता दिया। उन्होंने कहा, 'निवेश के लिए भारत से बेहतर कोई जगह नहीं है और देश की विकास गाथा का हिस्सा बनने का यह सही समय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी निवेशकों के लिए भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनना, ‘मेक इन इंडिया’ तथा ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ पहल में शामिल होने का यह ‘सही’ समय है। यह दौरा जर्मनी के लिए एक नाजुक समय पर हो रहा है। जर्मनी की अर्थव्यवस्था निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर है। वह लगातार दूसरे साल गिरावट का सामना कर रही है। यूरोपीय संघ (ईयू) और चीन के बीच व्यापार विवाद जर्मन कंपनियों के लिए एक और चिंता का विषय है।2022 में यूक्रेन युद्ध से पहले सस्ती रूसी गैस पर अपनी निर्भरता के कारण जर्मनी को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इसके बाद से जर्मनी चीन पर अपनी निर्भरता कम करने की रणनीति पर काम कर रहा है।
सुशांत सिंह राजपूत मामले में रिया चक्रवर्ती को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और सरकार को फटकारा

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सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने सीबीआई की उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। दरअसल, हाई कोर्ट ने रिया चक्रवर्ती, उनके पिता और भाई के खिलाफ जारी किए गए लुक-आउट सर्कुलर को रद्द कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट बेंच ने सीबीआई और महाराष्ट्र राज्य पर बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सिर्फ इसलिए चुनौती देने का आरोप लगाया क्योंकि वो हाई-प्रोफाइल बैकग्राउंड से हैं।इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई पर बड़ी टिप्पणी की है। जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हम चेतावनी दे रहे हैं। आप सिर्फ इसलिए इतनी ये तुच्छ याचिका दायर कर रहे हैं क्योंकि आरोपियों में से एक हाई-प्रोफाइल व्यक्ति है। इस पर यकीनन बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। इनकी समाज में गहरी जड़ें है। सीबीआई अगर जुर्माना और कुछ कड़ी टिप्पणियां लेना चाहती है तो मामले में बहस करें।

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में साल 2020 में सीबीआई ने रिया चक्रवर्ती उनके भाई और पिता पर लुक आउट सर्कुलर जारी किया था। इसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि इसे जारी करने के पीछे कोई खास वजह नहीं है। साथ ही यह भी कहा गया था कि एक्ट्रेस और उनके परिवार ने जांच एजेंसियों के साथ पूरा-पूरा सहयोग किया है।

बता दें, एक्टर सुशांत सिंह राजपूत 14 जून 2020 को बांद्रा के फ्लैट में मृत पाए गए थे। इस मामले में रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार पर सुशांत को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा, जिसकी जांच मुंबई पुलिस कर रही थी। हालांकि, बाद में यह केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद 2020 में ही सीबीआई ने रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार के खिलाफ लुक-आउट सर्कुलर जारी किया था।बॉम्बे हाई कोर्ट ने फरवरी में रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार के खिलाफ जारी सीबीआई का लुक-आउट सर्कुलर को रद्द कर दिया था। इसके बाद सीबीआई ने सर्कुलर लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

कनाडा से लौटे भारत के राजदूत ने खोला ट्रूडो के करतूतों का पिटारा, बताया भारतीय छात्रों को कैसे बरगलाते हैं खालिस्तानी आतंकी?

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कनाडा और भारत में बढ़ते तनाव के बीच वहां से लौटे हाई कमिश्नर संजय वर्मा ने जस्टिन ट्रूडो का कच्चा चिट्ठा खोला है। संजय वर्मा ने जस्टिन ट्रूडो सरकार पर खालिस्तानियों को पनाह देने का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी भारतीय छात्रों को कैसे बरगलाते हैं। वर्मा ने छात्रों और उनके परिवारों को आगाह करते हुए कहा कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी और उग्रवादी तत्व भारतीय छात्रों को गलत दिशा में ले जाने का प्रयास कर रहे हैं।

भारत-कनाडा के कूटनीतिक संबंध बहुत ही खराब हो चले हैं। हाल ही में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय हाई कमिश्नर और कुछ दूसरे डिप्लोमैट्स को कनाडाई नागरिक की हत्या में संदिग्ध बताया था। कनाडा के पीएम के इस आरोप के बाद भारत सरकार ने संजय वर्मा को वापस बुला लिया है। कनाडा से वापस लौटे संजय वर्मा ने एक मीडिया संस्थान को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने खुलकर बात की कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी कैसे काम करते हैं और भारतीय छात्रों को भर्ती करते हैं।

कनाडा में भारतीय छात्रों को खतरा

संजय वर्मा ने कहा कि इस समय कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादियों और उग्रवादियों से भारतीय समुदाय के 319,000 छात्रों को खतरा है। उन्होंने बताया कि खालिस्तानी आतंकवादी और उग्रवादी भारतीय छात्रों को नौकरी का झांसा देकर अपने नापाक इरादों को पूरा करवाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ छात्रों को भारतीय कूटनीतिक इमारतों के बाहर विरोध करने, भारत विरोधी नारे लगाने या ध्वज का अपमान करने वाली तस्वीरें और वीडियो बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है, फिर उन्हें शरण लेने के लिए कहा जाता है क्योंकि उनका कहना होगा, अगर वे भारत वापस गए, तो उन्हें दंडित किया जाएगा। ऐसे कई छात्रों को शरण दिए जाने के मामले सामने आए हैं। आगे उन्होंने बताया कि कनाडा में भारतीय छात्रों पर कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव डाले जा रहे हैं, जो उन्हें गलत दिशा की ओर धकेल रहे हैं।

छात्रों के माता-पिता को दी ये सलाह

संजय वर्मा ने आगे कहा कि कनाडा में भारतीय छात्रों को अपने आसपास के बारे में जागरूक होना चाहिए। साथ ही खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों द्वारा कट्टरपंथ के प्रयासों का विरोध करना चाहिए। उन्होंने कनाडा में रहने वाले छात्रों के माता-पिता को सलाह देते हुए अपील कि वे अपने बच्चों से नियमित रूप से बात करें और उनको समझने का प्रयास करें।

मुट्ठीभर खालिस्तानी अच्छे समाज को कर रहे खत्म

वर्मा ने आगे कहा, हमें ये समझने की जरूरत है कि खालिस्तानियों ने वहां गए भारतीयों के लिए ऐसी परिस्थिति पैदा कर दी है, जो दुखदायी है। जिसकी हमें चिंता होनी चाहिए। कुछ मुट्ठीभर खालिस्तानी वहां के एक अच्छे समाज को खत्म कर रहे ।

ये अरबपतियों की रेस है या राष्ट्रपति चुनाव ? अमेरिका में एलन मस्क vs बिल गेट्स हुआ

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अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में अब सिर्फ दो सप्ताह का ही वक्त रह गया है। साल 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में भी पिछले दो चुनाव की तरह की कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस आमने सामने हैं। चुनावी मैदान में पूर्व राष्‍ट्रपति डोनल्‍ड ट्रंप रिब्लिकन पार्टी की ओर से ताल ठोक रहे हैं तो उप-राष्‍ट्रपति कमला हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्‍ट्रपति चुने जाने की रेस में हैं। अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव में इस बार राजनीतिक पार्टियों के साथ ही उद्योगपतियों में भी जबरदस्‍त मुकाबला देखने को मिल रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में जहां एक तरफ डोनाल्ड ट्रंप को दिग्गज अरबपति एलन मस्क समर्थन कर रहे हैं। वहीं, अब माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने कमला हैरिस को अपना समर्थन और वित्तीय ताकत दी है। 

अमेरिका में अगले महीने की शुरुआत में यानी 5 नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। अंतिम दिनों में दो अरबपतियों की एंट्री होने से चुनाव दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। डोनाल्ड ट्रंप को दिग्गज अरबपति एलन मस्क का साथ मिला है। दुनिया के अरबपतियों की सूची में 243.4 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ शीर्ष पर बैठे एलन मस्क राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के कट्टर समर्थक बनकर उभरे हैं। पूर्व राष्ट्रपति को व्हाइट हाउस में वापस लाने के लिए उनकी राजनीतिक कार्रवाई समिति को 7.5 करोड़ डॉलर का दान दिया। इस दान ने मस्क को 2024 चक्र के सबसे बड़े खर्च करने वालों में से एक बना दिया।

मस्क पानी की तरह बहा रहे पैसा

एक गैर लाभकारी ट्रैकर संस्था ओपन सीक्रेट्स के अनुसार, ट्रंप का समर्थन करने वाली मस्क की पॉलिटिकल एक्शन कमेटी- अमेरिका पीएसी- ने इसी चुनाव में अबतक 11.9 करोड़ डॉलर खर्च कर दिया है। इसके अलावा मस्क का व्यक्तिगत चंदा उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में सबसे बड़ा निजी डोनर बना दिया है और महत्वपूर्ण स्विंग स्टेट में ट्रंप के चुनावी अभियान में कथित रूप से वो सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। स्टीव डेविस मस्क के प्रमुख क़रीबियों में से एक हैं जो स्पेस एक्स, एक्स और बोरिंग कंपनी समेत उनकी कई कंपनियों के लिए काम कर चुके हैं। उन्हें कथित रूप से इस चुनाव के लिए विशेष तौर पर नियुक्त किया गया है। एलन मस्‍क न केवल डोनाल्‍ड ट्रंप को भारी-भरकम चंदा दे रहे हैं, बल्कि वे खुलकर उनके समर्थन में धुआंधार चुनाव प्रचार भी कर रहे हैं।

गेट्स ने 50 मिलियन डॉलर का दान दिया

एक तरफ सुपर रईस एलन मस्क हैं, जो डोनाल्ड ट्रम्प के चुनावी अभियान में सक्रिय हैं। दूसरी ओर, बिल गेट्स भी मैदान में उतर गए हैं, जिन्होंने कमला हैरिस का समर्थन किया है। राजनीति से दूर रहने के दशकों बाद बिल गेट्स ने कुछ निजी बातचीत में घोषणा की कि उन्होंने हाल ही में "फ्यूचर फॉरवर्ड्स एक्शन" को लगभग 50 मिलियन डॉलर का दान दिया है।

एक बयान में, गेट्स ने हैरिस का समर्थन करने और ट्रंप का मुकाबला करने के अपने फैसले को स्पष्ट करते हुए कहा, 'मेरे पास राजनीतिक स्पेक्ट्रम के नेताओं के साथ काम करने का एक लंबा इतिहास है, लेकिन यह चुनाव अलग है, जिसका अमेरिकियों और दुनिया के सबसे कमजोर लोगों के लिए असाधारण महत्व है।'

पूरी गेट्स फैमिली कर रही है कमला का समर्थन

बिल गेट्स की पूर्व पत्नी मेलिंडा फ्रेंच गेट्स ने भी हैरिस के अभियान में योगदान दिया है। हैरिस के डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बनने के बाद से 1 बिलियन डॉलर की राशि मेलिंडा ने जुटाई है। गेट्स के दोनों बच्‍चे, रोरी और फोबे गेट्स भी कमला हैरिस के कट्टर समर्थक हैं। बिल और मिलिंडा गेट्स के अलावा स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स, स्टीवन स्पीलबर्ग, रीड हेस्टिंग्स, और माइकल मोरिट्ज़ भी कमला हैरिस की जमकर आर्थिक मदद कर रहे हैं।

महाराष्ट्र चुनाव: वर्ली में जोरदार होगा “वॉर”, आदित्य ठाकरे को घेरने का है जोरदार प्लान

#maharashtra_election_milind_deora_may_worli_against_aditya_thackeray

महाराष्ट्र में एक चरण यानी 20 नवंबर को विधानसभा के चुनाव हैं। यहां वोटों की गिनती 23 नवंबर को की जाएगी। इस दिन तय हो जाएगा की आखिर महाराष्ट्र के सत्ता की कुर्सी कौन संभालेगा? महाराष्ट्र में मुख्य लड़ाई दो गठबंधन के बीच है। ये गठबधंन महायुति और महाविकास अघाड़ी हैं। महायुति में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एनसीपी (अजित गुट) हैं। इसके साथ ही महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट) और कांग्रेस पार्टी शामिल है। महाराष्ट्र की वीआईपी सीटों की बात करें वर्ली विधानसभा सीट उनमें से एक है।

मुंबई की हाई प्रोफाइल सीटों में एक सीट है वर्ली विधानसभा सीट से शिवसेना (UBT) ने आदित्य ठाकरे को मैदान में उतारा है। शिवसेना (एकनाथ शिंदे) भी कड़ी चुनौती देने की तैयारी में जुटी है।उद्धव ठाकरे के बेटे और पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे आदित्य ठाकरे को वर्ली सीट से घेरने को शिंदे वाली शिवसेना राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा को मैदान में उतार सकती है।

दरअसल, वर्ली सीट पर एकनाथ शिंदे आदित्यनाथ को वॉकओवर नहीं देना चाहते हैं। पार्टी में इस संबंध में गंभीर मंथन भी हुआ है। इसी सिलसिले में मिलिंद देवड़ा से भी सीएम शिंदे सहित तमाम बड़े नेताओं ने बातचीत की है और विचार किया जा रहा है आदित्य के सामने मजबूत युवा चेहरे के तौर पर मिलिंद देवड़ा को ही उतारा जाए। हालांकि इस पर अभी तक अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका है।

बता दें कि मिलिंद देवड़ा को राजनीति विरासत में मिली है और उनके पिता मुरली देवड़ा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। मिलिंद देवड़ा इस समय राज्यसभा सदस्य हैं और दक्षिण मुंबई से तीन बार सांसद रह चुके हैं। मिलिंद देवड़ा ने जनवरी में ही कांग्रेस छोड़कर एकनाथ शिंदे की शिवसेना का दामन थामा था। लोकसभा चुनाव के दौरान मिलिंद देवड़ा को ही वर्ली की कमान दी गई थी। वर्ली सीट शिवसेना यूबीटी के प्रभाव वाली मानी जाती है और इसके बावजूद वर्ली से शिवसेना यूबीटी को महज 6500 वोट की ही बढ़त हासिल हुई थी।

हालांकि वर्ली सीट महायुति में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एनसीपी (अजित गुट) में से किसके कोटे में जाएगी, ये स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन कयास यही लगाए जा रहे हैं कि महायुति गठबंधन में शिंदे गुट को कोटे के तहत यह सीट मिल जाए। ऐसे में उनके पास मजबूत चेहरे के रूप में मिलिंद देवड़ा हैं लेकिन वर्ली सीट पर बहुतायत में मराठी वोटर्स जीत तय करते हैं, ऐसे में पार्टियों के लिए इसका भी ध्यान रखना अनिवार्य है।

अगर मिलिंद देवड़ा चुनाव नहीं लड़ते हैं तो बीजेपी शायना एनसी को शिंदे गुट ज्वाइन कराकर मैदान में उतार सकती है। इससे पहले बीजेपी अपने 2 पूर्व सांसदों समेत कुल 3 नेताओं को एनसीपी (अजीत पवार गुट) ज्वाइन कराकर वहां से टिकट दिला दिया है।

महाराष्ट्र चुनाव: वर्ली में जोरदार होगा “वॉर”, आदित्य ठाकरे को घेरने का है जोरदार प्लान
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* महाराष्ट्र में एक चरण यानी 20 नवंबर को विधानसभा के चुनाव हैं। यहां वोटों की गिनती 23 नवंबर को की जाएगी। इस दिन तय हो जाएगा की आखिर महाराष्ट्र के सत्ता की कुर्सी कौन संभालेगा? महाराष्ट्र में मुख्य लड़ाई दो गठबंधन के बीच है। ये गठबधंन महायुति और महाविकास अघाड़ी हैं। महायुति में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एनसीपी (अजित गुट) हैं। इसके साथ ही महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट) और कांग्रेस पार्टी शामिल है। महाराष्ट्र की वीआईपी सीटों की बात करें वर्ली विधानसभा सीट उनमें से एक है। मुंबई की हाई प्रोफाइल सीटों में एक सीट है वर्ली विधानसभा सीट से शिवसेना (UBT) ने आदित्य ठाकरे को मैदान में उतारा है। शिवसेना (एकनाथ शिंदे) भी कड़ी चुनौती देने की तैयारी में जुटी है।उद्धव ठाकरे के बेटे और पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे आदित्य ठाकरे को वर्ली सीट से घेरने को शिंदे वाली शिवसेना राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा को मैदान में उतार सकती है। दरअसल, वर्ली सीट पर एकनाथ शिंदे आदित्यनाथ को वॉकओवर नहीं देना चाहते हैं। पार्टी में इस संबंध में गंभीर मंथन भी हुआ है। इसी सिलसिले में मिलिंद देवड़ा से भी सीएम शिंदे सहित तमाम बड़े नेताओं ने बातचीत की है और विचार किया जा रहा है आदित्य के सामने मजबूत युवा चेहरे के तौर पर मिलिंद देवड़ा को ही उतारा जाए। हालांकि इस पर अभी तक अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका है। बता दें कि मिलिंद देवड़ा को राजनीति विरासत में मिली है और उनके पिता मुरली देवड़ा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। मिलिंद देवड़ा इस समय राज्यसभा सदस्य हैं और दक्षिण मुंबई से तीन बार सांसद रह चुके हैं। मिलिंद देवड़ा ने जनवरी में ही कांग्रेस छोड़कर एकनाथ शिंदे की शिवसेना का दामन थामा था। लोकसभा चुनाव के दौरान मिलिंद देवड़ा को ही वर्ली की कमान दी गई थी। वर्ली सीट शिवसेना यूबीटी के प्रभाव वाली मानी जाती है और इसके बावजूद वर्ली से शिवसेना यूबीटी को महज 6500 वोट की ही बढ़त हासिल हुई थी। हालांकि वर्ली सीट महायुति में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एनसीपी (अजित गुट) में से किसके कोटे में जाएगी, ये स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन कयास यही लगाए जा रहे हैं कि महायुति गठबंधन में शिंदे गुट को कोटे के तहत यह सीट मिल जाए। ऐसे में उनके पास मजबूत चेहरे के रूप में मिलिंद देवड़ा हैं लेकिन वर्ली सीट पर बहुतायत में मराठी वोटर्स जीत तय करते हैं, ऐसे में पार्टियों के लिए इसका भी ध्यान रखना अनिवार्य है। अगर मिलिंद देवड़ा चुनाव नहीं लड़ते हैं तो बीजेपी शायना एनसी को शिंदे गुट ज्वाइन कराकर मैदान में उतार सकती है। इससे पहले बीजेपी अपने 2 पूर्व सांसदों समेत कुल 3 नेताओं को एनसीपी (अजीत पवार गुट) ज्वाइन कराकर वहां से टिकट दिला दिया है।
टूट गई हमास की हिम्मत! इजरायल के साथ संघर्ष खत्म करने को तैयार, जानें क्या बोले नेतन्याहू

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इजराइल-हमास के बीच पिछले एक साल से संघर्ष जारी है। इजराइल इस युद्ध में हमेशा हमास पर भारी पड़ा है। इजराइल लगातार हमास पर हमले कर रहा है। उसका सबसे बड़ा नेता याह्रा सिनवार बीते दिनों इजरायली हमले में मारा गया। उसके तमाम बड़े नेता अब मारे जा चुके हैं। ऐसे में इजरायल डिफेंस फोर्स के लगातार एक्‍शन के बाद अब हमास हिम्मत हारता दिख रहा है।इस बीच गुरुवार को इजराइल ने बताया कि हमास के साथ जारी युद्ध को समाप्त करने के लिए लंबे समय से रुका प्रयास अब गति पकड़ते दिख रहा है। हमास का कहना है कि अगर इजराइल गाजा युद्धविराम समझौते के लिए मान जाता है तो वह युद्ध समाप्त कर देगा।

हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गुरुवार को काहिरा में मिस्र के अधिकारियों के साथ उनके प्रतिनिधिमंडल ने युद्ध विराम समझौते पर चर्चा की। उन्होंने कहा, "हमास ने युद्ध रोकने के लिए तत्परता दिखाई है। इस्राइल को युद्धविराम के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। उन्हें गाजा से निकल जाना चाहिए और विस्थापित लोगों को वहां वापस आने की अनुमति देनी चाहिए। इसके साथ गाजा में मानवीय सहायता की भी अनुमति देनी चाहिए।"

उधर, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि बंधकों की रिहाई के लिए एक समझौते पर पहुंचने के मिस्र के प्रयासों का हम स्वागत करते हैं। नेतन्याहू के ऑफिस की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया, काहिरा में हुई बैठकों के बाद प्रधानमंत्री ने मोसाद के निदेशक को दोहा जाने और सुरक्षा कैबिनेट के सदस्यों के समर्थन से एजेंडे में शामिल कई पहलों को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया है। इजराइल ने कहा कि मोसाद प्रमुख डेविड बार्निया रविवार को कतर में बैठक करने वाले थे, ताकि गाजा बंधक रिहाई समझौते की दिशा में बातचीत को फिर से शुरू किया जा सके।

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का बड़ा फैसला, शेख हसीना की पार्टी के छात्र संगठन पर लगाया प्रतिबंध

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के छात्र संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया है।अवामी लीग बांग्लादेश स्टूडेंट लीग (बीसीएल) को आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किया गया है। गृह मंत्रालय के तहत सार्वजनिक सुरक्षा प्रभाग के वरिष्ठ सचिव मोहम्मद अब्दुल मोमेन ने एक अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी है।

बांग्लादेश के गृह मंत्रालय ने एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा कि सरकार ने 'आतंकवाद विरोधी अधिनियम 2009' की धारा 18 की उपधारा (1) की शक्तियों का प्रयोग करते हुए 'बांग्लादेश छात्र लीग' पर प्रतिबंध लगा दिया है।

गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है, "बांग्लादेश की आजादी के बाद से, विशेष रूप से पिछले 15 वर्षों के तानाशाही शासन के दौरान, अवामी लीग का छात्र संगठन 'बांग्लादेश छात्र लीग' को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों में शामिल पाया गया है। इन गतिविधियों में हत्या, प्रताड़ना, कॉलेज परिसरों में उत्पीड़न, छात्र डॉर्मिटरी में सीट ट्रेडिंग, टेंडर में हेरफेर, दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न जैसी गंभीर आपराधिक गतिविधियां शामिल हैं।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अपनी सरकार के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन के कारण 5 अगस्त को भारत भाग गई थीं। अंतरिम सरकार का आरोप है कि हसीना के कारण जुलाई के मध्य में सैकड़ों लोग मारे गए। इसमें कहा गया है कि बीसीएल नेताओं के हमलों में सैकड़ों निर्दोष मारे गए और कई लोगों की जान खतरे में पड़ गई। सरकार ने इस बात के पुख्ता सबूत पेश किए हैं कि अवामी लीग सरकार के पतन के बाद भी बांग्लादेश स्टूडेंट लीग के खिलाफ षड्यंत्रकारी, विध्वंसक और भड़काऊ राज्य आंदोलन किए जा रहे हैं।

अंतरिम सरकार ने कहा कि बांग्लादेश स्टूडेंट लीग को सक्रिय प्रभाव में एक अवैध संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. यह घटना तब हुई जब मंगलवार को भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के संविधान को खत्म करने, राष्ट्रपति शहाबुद्दीन को हटाने और स्टूडेंट लीग पर प्रतिबंध लगाने सहित पांच सूत्री मांगें उठाईं.

महाराष्ट्र में चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका, बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान एनसीपी में शामिल, यहां से लड़ेंगे चुनाव
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* महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान कांग्रेस छोड़कर एनसीपी (अजित गुट) में शामिल हो गए हैं। शुक्रवार सुबह एनसीपी-अजित गुट ऑफिस में जीशान ने पार्टी की औपचारिक सदस्यता ली। इसके बाद एनसीपी-अजित गुट ने महाराष्ट्र विधानसभा 2024 के लिए कैंडिडेट्स की दूसरी लिस्ट जारी की। पार्टी ने जीशान को बांद्रा पूर्व से उम्मीदवार बनाया है। जीशान 2019 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे। एनसीपी में शामिल होने के बाद जीशान सिद्दीकी ने कहा, महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए और कांग्रेस की सीट शिवसेना (यूबीटी) को दे दी। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस और महा विकास अघाड़ी के नेता मेरे संपर्क में थे, लेकिन उनका इरादा धोखा देने का था। उस मुश्किल समय में अजित पवार और एनसीपी ने मुझ पर भरोसा जताया। यह मेरे पिता का अधूरा सपना था कि हमें यह सीट (बांद्रा पूर्व) फिर से जीतनी है और लोगों के अधिकारों के लिए लड़ना है। इसके लिए लड़ते हुए उनकी हत्या कर दी गई। उनका खून मेरी रगों में बहता है और मैं उनकी लड़ाई लड़ूंगा। इससे पहले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने गुरुवार रात 48 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की। पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण को कराड साउथ से उम्मीदवार बनाया गया। नागपुर दक्षिण पश्चिम से डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ प्रफुल विनोदराव गुडधे को टिकट दी गई। विलासराव देशमुख के दो बेटों को भी टिकट दी गई है। कांग्रेस ने बांद्रा पूर्व सीट शिवसेना (यूबीटी) को दे दी है। इसी सीट से जीशान सिद्दीकी विधायक हैं। इसी वजह से नाराज जीशान ने पार्टी छोड़ दी। वहीं, आज महाराष्ट्र चुनाव के लिए अजित पवार की पार्टी एनसीपी (राकांपा) ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है। इस सूची में सात उम्मीदवारों के नाम जारी किए गए हैं। सूची के तहत बांद्रा पूर्व से पार्टी ने बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी को अपना उम्मीदवार बनाया है। जीशान के अलावा तासगांव से संजय काका पाटिल, इस्लामपुर से निशिकांत भोसले, वडगाव शेरी से सुनील टिंगरे, शिरुर से ज्ञानेश्वर कटके और लोहा से प्रताप पाटिल को उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा अणुशक्ति नगर से सना मलिक को अपना उम्मीदवार बनाया है। गौरतलब है कि सना मलिक एनसीपी के दागी नेता नवाब मलिक की बेटी हैं। अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (राकांपा) ने एक दिन पहले ही 38 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। पहली सूची में पार्टी प्रमुख अजित पवार, छगन भुजबल और दिलीप वाल्से पाटील जैसे वरिष्ठ नेताओं का नाम था। अजित पवार बारामती सीट से, छगन भुजबल येवला सीट से और दिलीप वाल्से पाटील आंबेगाव सीट से चुनाव लड़ेंगे। पार्टी धनंजय मुडे को परली, नरहरी झिरवाल को दिंडौरी सीट से उम्मीदवार बनाया है।
दिखने लगा भारत-चीन सीमा समझौते का असर, पूर्वी लद्दाख एलएसी पर सेनाओं का पीछे हटना शुरू*
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भारत-चीन के बीच समझौते के बाद पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सेनाओं का डिसइंगेजमेंट यानी सैनिकों की वापसी शुरू हो गई है। 4 दिन पहले हुए नए पेट्रोलिंग समझौते के बाद भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख सीमा से पीछे हटना शुरू हो गई हैं।पूर्वी लद्दाख सेक्टर में डेमचोक और देपसांग में दो बिंदुओं पर भारत और चीन के सैनिक पीछे हट रहे हैं। दोनों सेनाओं ने अपने टेंट, गाड़ियां और मिलिट्री उपकरण सीमा से हटाने शुरू कर दिए हैं। न्यूज एजेंसी ANI ने बताया कि पूर्वी लद्दाख सेक्टर में डेमचोक और देपसांग में सेनाओं की डी-एस्केलेशन प्रॉसेस चल रही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन में सीमा पर 21 अक्टूबर को पेट्रोलिंग सिस्टम को लेकर समझौता हुआ है। इससे मई 2020 में हुई गलवान झड़प से पहले की स्थिति वापस लाई जाएगी। 21 अक्टूबर को दोनों देशों के कोर कमांडर ने सुबह 4:30 बजे फाइनल एग्रीमेंट पर दस्तखत किए थे। इसके बाद से ही दोनों देशों की सेनाएं छोटी-छोटी टुकड़ियों में पीछे हटने लगी थीं। *डेमचोक और देपसांग में पेट्रोलिंग को लेकर हुआ समझौता* मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत और चीन देपसांग और डेमचोक क्षेत्र में एक-दूसरे को गश्त के अधिकार बहाल करने पर सहमत हो गए हैं। इसका मतलब है कि भारतीय सैनिक देपसांग में गश्त बिंदु (पीपी) 10 से 13 तक और डेमचोक के चारडिंग नाला में गश्त कर सकते हैं। समझौते से पहले देपसांग और डेमचोक में दोनों पक्षों के 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय सैनिक चारडिंग नाला के पश्चिमी हिस्से की ओर वापस चले गए हैं, जबकि चीनी सैनिक नाला के पूर्वी हिस्से की ओर पीछे हट रहे हैं। दोनों पक्षों के लगभग 10-12 अस्थायी ढांचों और लगभग 12 टेंट हैं, जिन्हें हटाया जाना है।पूरी तरह से वापसी में कुछ समय लगेगा। *10 दिन के भीतर शुरू हो सकती है पेट्रोलिंग* भारतीय सेना ने उम्मीद जताई है कि सैनिक अब देपसांग में पेट्रोलिंग पॉइंट 10, 11, 11A, 12 और 13 तक जा सकेंगे। इसमें नॉर्थ में दौलत बेग ओल्डी और काराकोरम दर्रे की तरफ की 16 हजार फीट की ऊंचाई पर टेबल टॉप पठार शामिल है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो पेट्रोलिंग 10 दिन के भीतर शुरू हो सकती है। एलएसी के उन सभी 63 प्वाइंट्स पर आपसी सहमति की पेट्रोलिंग शुरू हो सकेगी। इसमें पैंगोंग त्सो के उत्तरी छोर पर फिंगर 8 तक गश्त की बहाली शामिल है, जहां भारतीय सेना फिंगर 4 तक नहीं जा पा रही थी। भारतीय सैनिक इस क्षेत्र में चीनी पेट्रोलिंग टीम को भी नहीं रोकेंगे। *21 अक्टूबर को हुआ था समझौता* आमने-सामने टकराव से बचने के लिए दोनों सेनाएं एक-दूसरे को अपनी पेट्रोलिंग की तारीख और समय के बारे में पहले से खबर करेंगी। इसका मकसद यह तय करना होगा है कि सैनिकों के बीच कोई झड़प और हिंसा न हो। बता दें कि साल 2020 में गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारतीय सेना के कर्नल रैंक के एक अधिकारी समेत 20 भारतीय जवान बलिदान हुए थे। जिसके बाद से दोनों देशों के बीच गतिरोध बढ़ गया था। पिछले चार साल से अधिक समय से दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध जारी थी। समाधान की कई बार कोशिश की गई लेकिन बात नहीं बनी। अब जाकर भारत ने सोमवार को घोषणा की थी कि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त के लिए एक समझौते पर सहमत हुए हैं। *भारत-चीन का नया पेट्रोलिंग समझौता* 1. पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने के लिए चीन और भारत राजी हुए। यानी अब चीन की आर्मी उन इलाकों से हटेगी, जहां उसने अतिक्रमण किया था। 2. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्री ने सोमवार को बताया था कि भारत-चीन के सीमावर्ती इलाकों में पेट्रोलिंग के साथ 2020 के बाद उठे मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रस्ताव तैयार हुआ है। इस पर दोनों देश कदम उठाएंगे। 3. अप्रैल 2020 में एक सैन्य अभ्यास के बाद चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में कम से कम 6 इलाकों में अतिक्रमण किया था, लेकिन दो साल बाद चीन की पीएलए 4 स्थानों से पीछे हट गई थी। दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक के फ्रिक्शन पॉइंट्स पर गश्त को लेकर सहमति नहीं बनी थी और भारतीय सेना को कई इलाकों में रोका जा रहा था।