NDA के दो बड़े नेता JMM में शामिल, JMM ने कहा बीजेपी की सरकार का नजरिया झारखंड के प्रति सही नहीं है

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : आज NDA गठबंधन को लगा बड़ा झटका, दो बड़े नेता हुए जन्म में शामिल। इसे लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रिया भट्टाचार्य ने बीजेपी पर कटास करते हुए कहा अभी तो शुरुआत हुई है अभी और लोग झारखंड मुक्ति मोर्चा में होंगे शामिल।

झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा झारखंड की अस्मिता की लड़ाई है। झारखंड में बीजेपी बांटना चाहती है धर्म जाती के आधार पर भोले भाले सीधे साढ़े लोगों को बांटने की कोशिश की जा रही है। NDA गठबंधन का मंसूबा और केंद्र में बैठी बीजेपी की सरकार का नजरिया झारखंड के प्रति सही नहीं है।

 झारखंड की अस्मिता के सवाल पर हमेशा हमलोग साथ रहे है। यहां की आदिवासी, महिला, दलित, ओबीसी सभी मिलकर रहना चाहते है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि आजआज NDA के केदार हाजरा, उमाकांत रजक हमारे साथ आए। उनको NDA में घुटन महसूस हो रही थी बोलने की आजाद नहीं थी कभी किसी भी तरह का छूट नहीं था। 

झारखंड की जनता का आदिवासी मूलवासी की सोच हमेशा झारखंड की अस्मिता को लेकर लड़ाई लड़ी है। झारखंड को लूटने और बर्बाद करने की छूट यहां की जनता नहीं देगी। जनता जवाब देगी 23 नवम्बर को।

सुप्रियो ने एनडीए में हुए भाजपा आजसू और जदयू के गठबंधन पर कहां की एक नया गठजोड़ देखने को मिला है केंद्र में मंत्री है बिहार से है वह झारखंड में सीट मांग रहे है। गांव की सरकार बनाने को लेकर दो चार सीट मांग रहे है। यह नापाक गठजोड़ जो हुआ है लूटने के लिए हुआ है। अभी तो शुरुआत है आपस में ये सब लड़ जायेंगे। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि बीजेपी के संकड़ों नेता JMM के संपर्क में है हमलोग बैरियर लगा दिया है इधर आने से पहले पश्चाताप करो तब संघर्ष करो।

एनटीपीसी ने प्रतिष्ठित एसएचआरएम एचआर एक्सीलेंस अवार्ड्स 2024 में जीते 4 पुरस्कार


रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची डेस्क : सोसाइटी फॉर ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट (SHRM) इंडिया ने 17 अक्टूबर को नई दिल्ली में एसएचआरएम एचआर एक्सीलेंस अवार्ड्स समारोह का आयोजन किया, जिसमें उन संगठनों को मान्यता दी गई जो लोगों को प्राथमिकता देते हैं, भविष्य-केंद्रित उत्कृष्टता प्रदान करते हैं और मानव पूंजी के व्यवसाय परिणामों में महत्वपूर्ण योगदान को समझते हैं। 

एनटीपीसी को इन प्रतिष्ठित पुरस्कारों में "पीएसई श्रेणी" में 4 पुरस्कार प्राप्त हुए। एनटीपीसी के निदेशक (एचआर) अनिल कुमार जदली और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने एनटीपीसी की ओर से पुरस्कार प्राप्त किए।

एनटीपीसी ने पीएसई श्रेणी में जीते गए4 पुरस्कार इस प्रकार है :-

1 "विजेता" - उभरते नेताओं के विकास में उत्कृष्टता

2 "विजेता" - लाभ और कल्याण में उत्कृष्टता

3 "प्रथम उपविजेता" - सीखने और विकास में उत्कृष्टता

4 "प्रथम उपविजेता" - सामुदायिक प्रभाव में उत्कृष्टता

एसएचआरएम एचआर एक्सीलेंस अवार्ड्स अग्रणी पहलों को सम्मानित करते हैं और इन्हें एक प्रतिष्ठित जूरी द्वारा मूल्यांकन किया जाता है। ये पुरस्कार एनटीपीसी के "पीपल बिफोर पीएलएफ" दृष्टिकोण का परिणाम हैं, जो एनटीपीसी की संपूर्ण एचआर नीतियों के पीछे की मार्गदर्शक विचारधारा है।

NDA गठबंधन को लगा झटका, भाजपा और आजसू के विधायक और पूर्व विधायक ने थामा झामुमो का दामन

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : चुनाव आते ही विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर राजनीतिक दलों के नेताओं का घर बदलने का सिलसिला शुरू हो गया है। इसी क्रम में जमुआ से वर्तमान भाजपा विधायक केदार हाजरा और चंदनकियारी से आजसू के पूर्व विधायक उमाकांत रजक ने झामुमो का दामन थामा है।

 झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए गठबंधन को बड़ा झटका लगा है। दोनों सीनियर नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी से इस्तीफा दे दिया और JMM में शामिल हो गये। केदार हाजरा भाजपा की जमुआ सीट से तीन बार के विधायक हैं। साल 2019 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की मंजू कुमारी को 18 हजार से अधिक वोटों से हराया था। लेकिन मंजू कुमारी ने हाल ही में अपने पिता के साथ बीजेपी का दामन थाम लिया। जिसके बाद से ही ये चर्चा तेज हो गयी थी कि वर्तमान सीटिंग विधायक का टिकट बीजेपी काट सकती है।

ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले ही उमाकांत रजक ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की थी। जिसके बाद से ही ये कयास लगाये जा रहे थे कि वो जल्द ही झामुमो का दामन थाम सकते है। और झामुमो के हो गए। बता दे साल 2009 में वे चंदनकियारी से चुनाव लड़े थे. उस वक्त उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी अमर बाउरी को हराया था।

रांची के कांके स्थित सीएम आवास में सीएम हेमंत सोरेन ने दोनों नेताओं को पार्टी की सदस्यता दिलायी। दोनों नेताओं के साथ उनके सैकड़ों समर्थक भी JMM में शामिल हो गये। मिली जानकारी के अनुसार झामुमो केदार हाजरा को जमुआ से अपना उम्मीदवार बनायेगी और उमाकांत रजक को चंदनकियारी सीट से चुनाव लड़ने का मौका देगी।

झारखंड में आज जारी हो सकते हैं भाजपा प्रत्याशियों की सूची,जारी करने से पहले करना पड़ रहा मंथन, विरोध की संभावना

* झारखंड डेस्क रांची : झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा की सूची का इंतजार गुरुवार को देर रात होता रहा, लेकिन यह जारी नहीं हो पायी. अब उम्मीद की जा रही है कि आज शुक्रवार को इसकी सूची जारी कर दी जाये. बताया जाता है कि इस बार जो सूची जारी की जायेगी, उन्हीं सीटों की घोषणा की जायेगी, जहां पर कोई विवाद नहीं है. बताया जाता है कि जमशेदपुर पूर्वी, बहरागोड़़ा , ईचागढ़,पोटका और घाटशिला विधानसभा सीट की घोषणा बाद में की जायेगी. पहले तो सीटों के बंटवारे की घोषणा होगी, जिसके बाद प्रत्याशियों की घोषणा की जायेगी. बताया जाता है कि प्रत्याशियों की घोषणा के पहले ही सोशल मीडिया में इसकी सूची लीक हो जाने के बाद पार्टी बैकफुट पर आ गयी है और फिर से विचार करने को मजबूर हो गयी है. इसको लेकर भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा ही विरोध किया जा रहा है. खास तौर पर वैसी सीट, जहां भाजपा जीतती आयी है और वहां बाहर से नेताओं को बुलाकर टिकट दिया जा रहा है,इसको लेकर विरोध की स्थिति है. इसको देखते हुए पा्टी पुनर्विचार के मोड में है. रांची सीट और हटिया सीट को लेकर भी काफी उधेड़बुन चल रहा है. हटिया सीट से कांग्रेस के अजय शाहदेव को लाया जा रहा था, लेकिन इसका विरोध शुरू हो गया है.इसी तरह रांची से प्रत्याशी के तौर पर सीपी सिंह को बदला जा रहा था, जिसका विरोध हो रहा है.नवीन जायसवाल को लेकर सर्वे रिपोर्ट बेहतर नहीं है, जिस कारण भी पार्टी विचार करने के मूड में है. इसके अलावा जमशेदपुर पूर्वी में भी रघुवरदास या उनके परिवार को टिकट देने के बजाय कोई स्वतंत्र नेता को टिकट देने का दबाव आ गया है. पोटका से मीरा मुंडा को टिकट देने का भी विरोध हुआ है. चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को घाटशिला से टिकट देने का विरोध भाजपा के नेता ही कर रहे है. इस कारण इस पर विचार चल रहा है. बहरागोड़ा से कई और प्रत्याशियों पर विचार चल रहा है. आभा महतो के अलावा दिनेशानंद गोस्वामी के साथ कुणाल षाडंगी और दिनेश षाडंगी पर भी पार्टी विचार कर रही है. इस कारण अभी घोषणा को रोका गया है.लेकिन यह तय माना जा रहा है कि शुक्रवार को प्रथम सूची जारी कर दी जायेगी.
आप अगर किसी व्हाट्सअप ग्रुप में एडमिन हैं तो इन बातों का रखें ध्यान, नहीं तो पड़ सकते हैं कानूनी पचरे में

* रांची। क्‍या आप व्हाट्सएप ग्रुप के सदस्य हैं। अगर हां तो यह सूचना आपके लिए है। इसका पालन जरूर करें। चुनाव की घोषणा के साथ ही 15 अक्टूबर से 23 नवंबर, 2024 तक झारखंड में आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है। अब चुनाव को लेकर कई तरह की खबरें सोशल मीडिया पर प्रचारित और प्रसारित की जाएगी। इसे लेकर सभी व्हाट्सएप ग्रुप के सदस्यों से प्रशासन ने अनुरोध किया है कि वे जिम्मेदार नागरिक होने का फर्ज निभाएं। इसके नाते किसी भी प्रकार की असत्य, भ्रामक या उकसाने वाली सूचना सोशल मीडिया पर साझा नहीं करें। इन बातों का ध्यान रखें सत्यापित सूचना ही साझा करें : किसी भी समाचार या जानकारी को फैलाने से पहले उसकी प्रामाणिकता जांच लें। धार्मिक और राजनैतिक संतुलन बनाए रखें : किसी भी प्रकार की धार्मिक या राजनैतिक विवादों को जन्म देने वाले संदेशों से दूर रहें। कानूनी परिणामों का ध्यान रखें : गैर-जिम्मेदाराना पोस्ट के कारण आपको कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। विवादित या भड़काऊ टिप्पणियों से बचें : ऐसी किसी भी पोस्ट पर विवादित या भड़काऊ प्रतिक्रिया देने से बचें।
सांसद चन्द्र प्रकाश चौधरी ने मुख्य चुनाव अधिकारी को पत्र लिखकर दुमका रेंज के डीआईजी को चुनाव के दौरान पद मुक्त रखने की मांग की

* रांची: विधानसभा चुनाव के साथ हीं पक्ष विपक्ष एक दूसरे पर आरोप और अधिकारियों के निष्पक्षता पर सवाल उठाने लगे हैं. इसी कड़ी में गिरिडीह सांसद चन्द्र प्रकाश चौधरी ने झारखंड के मुख्य चुनाव अधिकारी के रवि कुमार को पत्र लिखा है. उन्होंने अपने पत्र में दुमका रेंज के डीआईजी संजीव कुमार को विधानसभा चुनाव के दौरान पद मुक्त रखने की मांग की है। विदित हो इन पर भाजपा के लोग आरोप लगाते रहे हैं. अब देखना है कि चुनाव आयोग का इस मामले में क्या जबाब आता है
ईचागढ़ विधानसभा सीट से भाजपा को टिकट देने की मांग पर कार्यकर्ताओं ने BJP प्रदेश कार्यालय रांची में की नारेबाजी, देखिए

* रिपोर्टर जयंत कुमार रांची : झारखंड के ईचागढ़ विधानसभा सीट से भाजपा को टिकट देने की मांग को लेकर रांची प्रदेश कार्यालय में विधानसभा क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं ने जोरदार नारेबाजी की। हर हाल मे ईचागढ़ सीट से भाजपा को ही टिकट देने की मांग पर लोग अड़े रहे। भाजपा म नेता व ईचागढ़ के पूर्व विधायक अरविंद सिंह उर्फ मलखान सिंह के भतीजे अंकुर सिंह ने कहा कि ईचागढ़ विधानसभा भाजपा की पारंपारिक सीट है। भाजपा यहां से अपना परचम लहराती आई है। ऐसे में इस सीट पर भाजपा को ही टिकट मिलनी चाहिए। ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र की जनता ने भी लोकसभा चुनाव में भाजपा को ही सबसे ज्यादा वोट दिया था। जनता भी भाजपा को ही चाहती है। इस बार विधानसभा चुनाव झामुमो, बीजेपी, कांग्रेस, आजसू और जदयू के लिए बेहद खास है। बात अगर झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 की करें तो ईचागढ़ क्षेत्र से झामुमो की उम्मीदवार सविता महतो ने अपने निकटतम कैंडिडेट आजसू पार्टी के हरेलाल महतो को 18,710 मतों से हराकर क्षेत्र की पहली महिला विधायक बनने का गौरव प्राप्त किया था। पिछली बार ईचागढ़ में झामुमो, भाजपा और आजसू पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था। वही इस बार गठबंधन में यह सीट आजसू के खाते में चली गई है। ऐसे में भाजपा की ओर से दावेदारी करने वाले अरविंद कुमार सिंह के समर्थक नारेबाजी करते दिख रहे हैं। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि इस पर हम लोग मिलकर विचार करेंगे और जब गठबंधन में चुनाव लड़ा जाता है तो किसी न किसी को त्याग देना पड़ता है।
राहुल गांधी के रांची आगमन को लेकर सियासी बयान बाजी तेज,कांग्रेस ने कहा वह बांग्लादेश के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं हम सामाजिक न्याय पर,

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर संविधान बचाओ सम्मेलन के माध्यम से झारखंड में चुनावी मुद्दों को टटोलेंगे और झारखंड विधानसभा चुनाव का शंखनाद करेंगे। इन दिनों राहुल गांधी के कोर कमेटी के सदस्य रांची में कैंप कर रहे है। संभावना जताई जा रही है कि19 अक्टूबर को रांची आएंगे। 

वही राहुल गांधी के रांची आगमन को लेकर कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध खान सहाय ने कहा कि भाजपा बांग्लादेशी मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है और हमारे नेता सामाजिक न्याय को लेकर बात करते हैं। यही फर्क है भाजपा और कांग्रेस में। 

वहीं दूसरी ओर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राहुल गांधी को आउटडेटेड बताया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कब क्या कहते हैं उन्हें खुद नहीं मालूम। इसलिए आज की तारीख में राहुल गांधी के बातों को कोई सीरियसली नहीं लेता।

झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड में 109 करोड़ फर्जीवाड़ा मामले में चीफ फाइनेंस ऑफिसर का नाम अभी तक प्राथमिकी में नहीं

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड के खाते से 109 करोड़ रुपये झारखंड पर्यटन विकास निगम लिमिटेड (जेटीडीसी) के फर्जी खाते में हस्तांतरित होने का मामला सामने आया है। 

इस मामले में झारखंड ऊर्जा विकास श्रमिक संघ के अध्यक्ष अजय राय ने झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड में हुए 109 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े के मामले में चीफ फाइनेंस ऑफिसर का नाम अभी तक प्राथमिकी में नहीं होने पर गहरी चिंता व्यक्त की।

उन्होंने कहा, यह मामला निगम की वित्तीय स्थिति के साथ-साथ राज्य की आर्थिक स्थिरता के लिए भी खतरनाक है। ऐसे में चीफ फाइनेंस ऑफिसर मधुप कुमार को अभी तक नामजद नहीं किया जाना गंभीर सवाल उठाता है। इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए, न कि विभागीय जांच। विभागीय जांच से मामले की गंभीरता को कम करने की कोशिश की जा सकती है।

उन्होंने बताया कि पूर्व में भी प्राथमिक में नामदज जयंत कुमार के कार्यकाल में करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा हुआ था। लेकिन अभी तक एक अनस्किल्ड कर्मी के गिरफ्तारि के अलावा कही कुछ नहीं हुआ। 

उन्होंने उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अधीन आने वाले इस विभाग में इतने बड़े पैमाने पर हुए फर्जी निकासी मामले को सरकार गंभीरता से लेगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।

इसबार के झारखंड विंधानसभा चुनाव में कई ऐसे चर्चित नए चेहरे होंगे मैदान में जिसपर रहेगी पूरे देश की नजर,आइए जानते हैं कौन हैं ये चेहरे...!

झारखंड डेस्क

झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा हो गयी है. चुनाव आयोग ने 2 चरण में राज्य में विधानसभा चुनाव करवाने का फैसला लिया है. पहले चरण के लिए 13 नवंबर और दूसरे चरण में 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. 23 तारीख को मतों की गिनती होगी. पूरे देश की नजर इस चुनाव पर है. हालांकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बीजेपी नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी सहित तमाम दिग्गजों के बीच कुछ ऐसे भी चेहरे हैं.

जिन चेहरों पर पूरे देश की नजर रहेगी उनमें सबसे पहला नाम कल्पना मुर्मू सोरेन का आता है जिन्होंने बहुत ही कम समय में झारखंड की राजनीति में एक अलग पहचान बनायी है. इसी तरह जयराम महतो, बाबूलाल सोरेन और चंद्रदेव महतो पर भी पूरे देश की नजर रहेगी.

कल्पना सोरेन ने बहुत ही कम समय में किया अपने आपको स्थापित

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने बहुत ही कम समय में झारखंड की राजनीति में अपने आपको स्थापित किया है. हेमंत सोरेन के सीएम बनने के बाद भी कल्पना सोरेन ने राजनीति से अपने आपको अलग रखा था. जब जेल जाने के कारण हेमंत सोरेन को पद छोड़ना पड़ा उस समय भी कल्पना सोरेन की राजनीति में डायरेक्ट एंट्री नहीं हुई थी. हालांकि बाद में गांडेय विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के माध्यम से उन्होंने राजनीति में एंट्री मारी.

महज पिछले 4-5 महीने में ही कल्पना सोरेन ने अपने आपको पूरी तरह से राजनीति में स्थापित कर लिया है. सोशल मीडिया पर उनके हजारों की संख्या में फॉलोअर्स हैं. महिला वोटर्स के बीच भी उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है. सूत्रों के अनुसार मंइयां सम्मान योजना के पीछे भी कल्पना सोरेन की रणनीति ही बतायी जा रही है.

 इस विधानसभा चुनाव में पूरे देश की नजर कल्पना सोरेन पर होगी. कई विधानसभा सीटों पर अभी से ही उनकी सभा के लिए प्रत्याशियों की तरफ से तैयारी की जा रही है. 

जयराम महतो ने पुराने मुद्दों को दी नई धार

जेएलकेएम के नेता जयराम महतो इस विधानसभा चुनाव में लगभग 1 दर्जन सीटों पर प्रभावी साबित हो सकते हैं. जयराम महतो ने झारखंड में स्थानीयता और भाषा जैसे मुद्दों के दम पर पिछले 2-3 सालों में छोटानागपुर और कोल्हान के कुछ क्षेत्रों में अपनी पकड़ बनायी है. हाल ही में उन्होंने अपनी पार्टी का भी गठन किया है. लोकसभा चुनाव में भी गिरिडीह सीट पर उन्होंने 3 लाख से अधिक वोट लाकर लोगों को चौका दिया था. 

कई अन्य सीटों पर भी उनके उम्मीदवारों ने अच्छा प्रदर्शन किया था. हालांकि हाल के दिनों में उनकी पार्टी में हुई टूट के कारण उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. युवाओं के बीच उनकी अच्छी पकड़ है. झारखंड की राजनीति में जयराम महतो की पार्टी को आजसू पार्टी के लिए खतरे के तौर पर देखा जा रहा है. 

ए.के. रॉय की विरासत संभालने आगे आए हैं चंद्रदेव महतो

झारखंड अलग राज्य आंदोलन को 60,70 और 80 की दशक में ए.के. रॉय ने नई दिशा दी थी. उनके प्रयासों से ही स्थापित झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बढ़ चढ़कर झारखंड आंदोलन में हिस्सा लिया. एक दौर में शिबू सोरेन, बिनोद बिहारी महतो और ए.के रॉय की तिकड़ी की चर्चा देश भर में होती थी. ए.के. रॉय शिबू सोरेन के कट्टर प्रशंसक थे और वो झारखंड की कमान आदिवासियों के हाथ में जाए इसके सबसे बड़े पैरवीकार रहे थे. 

ए.के रॉय के निधन के बाद उनकी पार्टी का हाल ही में भाकपा माले में विलय हो गया. ए.के. रॉय की पार्टी के नेता रहे चंद्रदेव महतो, ए.के रॉय की परंपरागत सीट सिंदरी से इस चुनाव में भाकपा माले की टिकट पर उतरने वाले हैं.

चंद्रदेव महतो बेहद ही इमानदार और ए.के. रॉय की ही तरह फक्कड़ स्वभाव के माने जाते हैं. चंद्रदेव महतो ने बतौर शिक्षक रहते हुए भी सिंदरी में जमकर काम किया और उन्होंने शिक्षक की नौकरी छोड़कर राजनीति में एंट्री ली है. 

उन तमाम पुराने मुद्दों को लेकर आगे बढ़ रहे हैं जिन्हें एक दौर में बिनोद बिहारी महतो, शिबू सोरेन और ए.के रॉय उठाते रहे थे.

झारखंड की राजनीति में सिंदरी सीट इस चुनाव में चंद्रदेव महतो के द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों के कारण तेजी से चर्चित हो रहा है. राजनीति के जानकारों का मानना है कि भाकपा माले के इंडिया गठबंधन में शामिल होने के बाद उत्तरी छोटानागपुर के क्षेत्र में चुनाव परिणाम पर भी इसका असर पड़ सकता है.  

चंपाई के बेटे बाबूलाल सोरेन ने मान सम्मान को बनाया मुद्दा

हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद जेएमएम की तरफ से झारखंड के मुख्यमंत्री बने चंपई सोरेन ने बाद में विद्रोह कर दिया और वो बीजेपी में शामिल हो गए. 

चंपई सोरेन के बीजेपी में एंट्री और जेएमएम में विद्रोह के पीछे सबसे बड़े सूत्रधार के तौर पर बाबूलाल सोरेन का नाम सामने आया. बाबूलाल सोरेन चंपई सोरेन के पुत्र हैं. उन्होंने चंपई सोरेन को सीएम पद से हटाने के जेएमएम के तरीके पर सवाल उठाया था और कहा जाता है कि बीजेपी के साथ दोस्ती के लिए भी पूरी कहानी के प्रमुख सूत्रधार वो रहे थे. 

बाबूलाल सोरेन के घाटशिला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा है. हालांकि बीजेपी की तरफ से प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं हुई है. लेकिन वो लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं. चंपई सोरेन के विधानसभा क्षेत्र में भी कार्यकर्ताओं की कमान बाबूलाल सोरेन के हाथ में ही लंबे समय से रही है. हालांकि जेएमएम की तरफ से उनके खिलाफ बड़ी तैयारी करने की योजना है. ऐसे में पूरे देश के लोगों की नजर है कि क्या बाबूलाल सोरेन राजनीति के मैदान में जोरदार एंट्री मार पाएंगे?