महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : मिशन-महाराष्ट्र की शुरुआत मुस्लिम बहुल इलाकों से करेंगे अखिलेश जहां AIMIM का है मजबूत आधार, पढ़िए, कैसे दिलचस्प होगा

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी और समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव के बीच मुस्लिम वोटों को लेकर हमेशा से तनाव रहा है। अब, अखिलेश यादव ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ओवैसी के प्रभाव को कम करने के लिए एक नई रणनीति बनाई है।

अखिलेश यादव ने अपने मिशन-महाराष्ट्र की शुरुआत मुस्लिम बहुल इलाकों से करने का निर्णय लिया है, जहां AIMIM का मजबूत आधार है। वे 17 और 18 अक्टूबर को महाराष्ट्र के मालेगांव और धुले में कार्यक्रमों में भाग लेने जा रहे हैं। 2019 विधानसभा चुनाव में मालेगांव और धुले में AIMIM ने शानदार प्रदर्शन किया था, जिससे यह स्पष्ट है कि यह क्षेत्र ओवैसी के लिए महत्वपूर्ण है। अखिलेश यादव अब ओवैसी के गढ़ से अपनी चुनावी ताकत को दिखाना चाहते हैं। ओवैसी ने लगातार यह दावा किया है कि कांग्रेस और एनसीपी केवल मुस्लिम वोट लेते हैं लेकिन उनके मुद्दों की अनदेखी करते हैं। वे मुस्लिमों के बीच अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए इसी नारे का उपयोग कर रहे हैं। इसके विपरीत, अखिलेश यादव का प्रयास है कि वे ओवैसी की पार्टी से मुस्लिम वोटरों का समर्थन प्राप्त करें। हालाँकि, महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट) और NCP (शरद गुट) की नज़र भी मुस्लिम वोटर्स पर हैं, जो भाजपा के खिलाफ किसी भी विपक्षी पार्टी को एकमुश्त वोट देते रहे हैं, फिर चाहे उम्मीदवार कोई भी हो। उद्धव गुट और कांग्रेस में तो मुंबई की मुस्लिम बहुल सीटों को लेकर खींचतान भी चल रही है, क्योंकि इन सीटों पर विपक्ष की जीत की संभावना अधिक है, अब इन्ही वोटर्स के लिए सपा और AIMIM ने भी बाहें खोलना शुरू कर दिया है।

सपा का महाराष्ट्र में प्रदर्शन 2009 में सबसे अच्छा रहा था, जब उन्होंने 4 सीटें जीती थीं। हाल के चुनावों में यह संख्या घटकर एक और दो रह गई। सपा की योजना 2024 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अधिक से अधिक सीटें जीतने की है, जिसमें मालेगांव, भायखला, और ठाणे जैसी सीटें शामिल हैं। अखिलेश यादव ने इंडिया गठबंधन में भी भागीदारी की योजना बनाई है और 12 सीटों की मांग रखी है, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम बहुल हैं। उनका मुख्य उद्देश्य यह है कि वे ओवैसी के प्रभाव को चुनौती दें और यह संदेश दें कि मुस्लिम समुदाय का विश्वास ओवैसी पर नहीं, बल्कि सपा पर है। अब यह देखना होगा कि महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय पर कौन अधिक प्रभाव डालने में सफल होता है और चुनावी खेल में किसकी रणनीति सफल होती है।

उत्तरप्रदेश उपचुनाव: कांग्रेस 5 सीट पर अड़ी, लेकिन सपा ने कहा- 2 से ज्यादा नहीं ! जानिए, कैसे हो रही है खींचतान

उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होने हैं। इन चुनावों को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे पर खींचतान जारी है। सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि कांग्रेस ने केवल दो सीटों—खैर (अलीगढ़) और गाज़ियाबाद—पर चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है, जबकि बाकी आठ सीटों पर सपा चुनाव लड़ेगी। हालाँकि, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने इससे अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि वे अभी भी पांच सीटों की मांग पर अड़े हैं।

सपा ने सात सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। मीरापुर से सुंबुल राणा को मैदान में उतारा गया है, जो पूर्व सांसद कादिर राणा की बहू हैं और पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। जिन 10 सीटों पर उपचुनाव संभावित हैं, उनमें मैनपुरी की करहल, कानपुर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मिर्जापुर की मझवां, अयोध्या की मिल्कीपुर, गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, और मुरादाबाद की कुंदरकी सीटें शामिल हैं। हालांकि, फिलहाल केवल 9 सीटों पर उपचुनाव की तारीख घोषित हुई है; मिल्कीपुर सीट की तारीख का अभी ऐलान नहीं हुआ है।

सपा के उम्मीदवारों में मीरापुर के अलावा करहल से तेज प्रताप यादव, फूलपुर से मुस्तफा सिद्दीकी, मिल्कीपुर से सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद, मझवां से पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी ज्योति बिंद, कटेहरी से लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा, और सीसामऊ से इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी शामिल हैं।

जम्मू-कश्मीर: उमर अब्दुल्ला के शपथ-ग्रहण के बाद पहली हत्या, आतंकियों ने बिहारी मजदूर को मारी गोली

जम्मू-कश्मीर के शोपियां में आतंकवादियों ने एक बार फिर गैर-कश्मीरी युवक को निशाना बनाते हुए उसकी गोली मारकर हत्या कर दी है। घटना के बाद सुरक्षाबल मौके पर पहुंचे और पूरे इलाके को घेर लिया है। मृतक के शव को अस्पताल भेज दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, मृतक की पहचान बिहार के रहने वाले अशोक चौहान के रूप में हुई है। पुलिस ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए छानबीन शुरू कर दी है। पुलिस ने लोगों से आग्रह किया है कि वे किसी भी जानकारी के लिए उनके साथ सहयोग करें।

जम्मू-कश्मीर में संगठित आतंकवाद की गतिविधियों में कमी आने के बाद भी टारगेट किलिंग की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। पिछले वर्ष भी आतंकियों ने कई हिंदू और गैर-कश्मीरी लोगों की चुन-चुनकर हत्या की थी। अनंतनाग, पुलवामा और पुंछ में इस तरह की कई घटनाएं सामने आई थीं। इसी साल फरवरी में श्रीनगर के हब्बा कदल इलाके में आतंकियों ने सिख समुदाय के दो व्यक्तियों को भी AK राइफल से गोली मारी थी, जिसमें अमृतसर के निवासी अमृत पाल और रोहित की मौत हुई थी। इससे पहले पुलवामा में आतंकियों ने कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की हत्या की थी और मई 2023 में अनंतनाग में एक अन्य व्यक्ति को भी निशाना बनाया गया था।

इस घटना को उमर अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री बनने के बाद आतंकियों द्वारा की गई पहली गैर-कश्मीरी हत्या के रूप में देखा जा रहा है। चुनाव प्रचार और मतदान के दौरान आतंकियों ने कोई बड़ी हरकत नहीं की, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि वे चुनाव खत्म होने का इंतजार कर रहे थे। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जम्मू-कश्मीर की नई सरकार आतंकवादियों के खिलाफ किस तरह की रणनीति अपनाती है और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाती है।

सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह कानून में बताई सुधार की जरुरत, कहा-पर्सनल लॉ के जरिए अड़ंगा नहीं लगाया जा सकता

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सुप्रीम कोर्ट ने देश में बढ़ते बाल विवाह के मामलों से जुड़ी याचिका पर फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पर्सनल लॉ के चलते बाल विवाह निषेध कानून का प्रभावित होना सही नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि कम उम्र में विवाह लोगों को अपने पसंद का जीवनसाथी चुनने के अधिकार से वंचित करता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि बाल विवाह निषेध कानून को पर्सनल लॉ से ऊपर रखने का मसला संसदीय कमिटी के पास लंबित है। इसलिए, वह उस पर अधिक टिप्पणी नहीं कर रहा।

भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिसरा की तीन सदस्यों वाली बेंच ने यह महत्त्वपूर्ण फैसला सुनाया है। साथ ही, कुछ अहम दिशानिर्देश भी जारी किए हैं, ताकि बाल विवाह को रोकने के लिए बनाए गए कानून को बेहतर तरीके से लागू किया जा सके।

प्रधान न्यायाधीश ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि बाल विवाह की रोकथाम के कानून को ‘पर्सनल लॉ’ के जरिए प्रभावित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि इस तरह की शादियां नाबालिगों की जीवन साथी चुनने की स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन हैं।

अदालत ने बाल विवाह कानून में भी कुछ खामियों की बात कही है। पीठ ने यह भी कहा कि बाल विवाह निषेध कानून में कुछ खामियां हैं। बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 बाल विवाह को रोकने और इसका उन्मूलन सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया था। इस अधिनियम ने 1929 के बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम का स्थान लिया।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि बाल विवाह कराने वाले अपराधियों को दंडित करना आखिरी विकल्प होना चाहिए। उससे पहले अधिकारियों को बाल विवाह रोकने और नाबालिगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर ध्यान देना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा – अलग-अलग समुदायों के हिसाब से बाल विवाह को रोकने की रणनीति पर काम किया जाना चाहिए। यह कानून तभी सफल होगा जब अलग-अलग क्षेत्रों के बीच एक समन्वय स्थापित होगा। साथ ही, कानून लागू करने वाले अधिकारियों का सही से प्रशिक्षण और उनकी क्षमता का निर्माण जरूरी है।

ताइवान ने मुंबई में खोला कॉन्सुलेट तो चीन को लग गई मिर्ची, जानें क्या कहा?

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भारत और चीन आपसी रिश्तों को संभालने की लाख कोशिश कर लेकिन जो सच्चाई है वो किसी से छुपी नहीं है। अपने पड़ोसियों के मामलों में अपनी नाक अड़ाने वाले चीन ने ताइवान को लेकर भारत को नसीहत दी है।चीन ने भारत से ताइवान के मामलों को "विवेकपूर्ण तरीके से" संभालने की सलाह दी है। साथ ही इस बात पर जोर दिया कि नई दिल्ली को ऐसी कार्रवाइयों से बचना चाहिए जो चीन-भारत संबंधों को प्रभावित कर सकती हैं। दरअसल, ड्रैगन को ये तिममिलाहट मुंबई में ताइवान के ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र (टीईसीसी) के नए कार्यालय को लेकर हुई हैं।

ताइवान ने भारत की धरती पर एक नया वााणिज्‍य दूतावास खोला है। यह बात चीन को नागवार गुजरी है। ताइवन के भारत में वाणिज्‍य दूतावास पहले से ही दिल्‍ली और चेन्‍नई में मौजूद हैं। भारत और ताइवान की बढ़ती नजदीकियों से चीन ने कड़वाहट “उगली” है। अब भारत के इस मित्र देश ने अपना नया दूतावास देश की आर्थिक राजधानी यानी मुंबई में खोला है। इसके बाद चीन की तरफ से कहा गया कि ताइवान के मामलों को भारत विवेकपूर्ण तरीके से डील करे।

चीन के प्रवक्‍ता ने क्‍या कहा?

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि चीन बीजिंग के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले देशों द्वारा ताइवान के साथ किसी भी तरह के आधिकारिक संपर्क का विरोध करता है। “चीन ने भारतीय पक्ष के समक्ष गंभीर प्रतिनिधित्व दर्ज कराया है। वन चाइना पॉलिसी भारतीय पक्ष द्वारा की गई एक गंभीर राजनीतिक प्रतिबद्धता और चीन-भारत संबंधों की राजनीतिक नींव है। चीन भारत से आग्रह करता है कि वह अपनी प्रतिबद्धताओं का सख्ती से पालन करे, ताइवान से संबंधित मुद्दों को विवेकपूर्ण और उचित तरीके से संभाले और ताइवान के साथ किसी भी प्रकार का आधिकारिक आदान-प्रदान करने से परहेज करे।”

ताइवान को चीन अपना क्षेत्र मानता है

बता दें कि ताइवान को चीन अपना क्षेत्र मानता है। हाल ही में ड्रैगन ने इस द्वीप के आसपास युद्धाभ्‍यास करके दबदबा जाहिर किया। वह बात अलग है कि ताइवान ड्रैगन के दावों को सिरे से नकारता है। उसकी संप्रभुता और अंतरराष्‍ट्रीय प्रतिनिधित्व को भारत, अमेरिका समेत कई देश मान्यता देते हैं। चीन ऐसे देशों से खार खाता है।

महाकुंभ की तैयारी, पुलिस चप्पे-चप्पे पर रखेगी नजर, 2750 सीसीटीवी से होगी निगरानी, ए आई आधारित होगी कई व्यवस्था, जानिए सरकार का प्लान

योगी सरकार महाकुंभ-25 को दिव्य और भव्य बनाने के लिए काम कर रही है. महाकुंभ से पहले पूरे शहर को भव्य रूप से सजाया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर भी खास इंतजाम किये जा रहे हैं. पुलिस चप्पे-चप्पे पर नजर रखेगी. वहीं दूसरी ओर टेक्नोलॉजी के जरिए सुरक्षा व्यवस्था को और भी पुख्ता करने की तैयारी चल रही है. इसमें सबसे अहम रोल एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित सीसीटीवी कैमरे निभाएंगे. योगी सरकार पूरे शहर में 2500 से ज्यादा सीसीटीवी लगाएगी. इनमें एआई आधारित सीसीटीवी कैमरे भी शामिल हैं, जिन्हे सीधे कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा.

2750 सीसीटीवी से होगी निगरानी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में प्रयागराज में महाकुंभ के कार्यों की समीक्षा की थी. मेला अधिकारी विजय किरण आनंद ने बताया कि सीएम ने अधिकारियों को 15 दिसंबर तक सारे काम पूरे करने के निर्देश दिए थे. साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के निर्देश दिए थे, ताकि महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो. इसके बाद विकास कार्यों ने और तेज रफ्तार पकड़ ली है.

वहीं सीएम योगी के निर्देश पर पूरे शहर में सुरक्षा व्यवस्था को अभेद्य करने के लिए हाईटेक 2,750 सीसीटीवी लगाने का काम चल रहा है. वहीं कई प्रमुख स्थानों और मेला क्षेत्र में एआई आधारित सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे. अब तक एक हजार सीसीटीवी को विभिन्न स्थानों पर इंस्टॉल भी किया जा चुका है. वहीं इन सभी कैमरों को कंट्रोल रूम से सीधा जोड़ा जाएगा. यहां से आने-जाने वाले श्रद्धालुओं पर सीधी नजर रखी जाएगी. इसके अलावा शहर के विभिन्न स्थानों पर 80 वीएमडी टीवी स्क्रीन को लगाया जाएगा. इसके जरिए विभिन्न महत्वपूर्ण जानकारियों को डिस्पले किया जाएगा.

AI आधारित रियल टाइम अलर्ट

सीसीटीवी से लैस होगा मेला

महाकुंभ में करीब 25 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. ऐसे में मेला क्षेत्र, मेला को जाने वाले मार्ग और शहर के प्रमुख मार्गों पर क्राउड मैनेजमेंट सिस्टम वाले एआई आधारित रियल टाइम अलर्ट सीसीटीवी भी लगाए जा रहे हैं. इसकी मॉनीटरिंग के लिए कंट्रोल रूम में अलग से व्यवस्था की जा रही है. वहीं महाकुंभ मेला हेल्पलाइन 1920 के लिए डेडिकेटेड 50 सीटर कॉल सेंटर स्थापित किया जा रहा है, जहां पर 24 घंटे पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे. यह सभी पल-पल की अपडेट अधिकारियों के साथ शेयर करेंगे. वहीं कोई संदिग्ध व्यक्ति, वस्तु या फिर अगर किसी स्थान पर ज्यादा भीड़ एकत्रित होने पर संबंधित चौकी और थाने को सूचना देंगे, ताकि वहां से भीड़ को कम किया जा सके. साथ ही भीड़ को एक जगह एकत्रित होने से रोकने के लिए रियल टाइम अलर्ट सीसीटीवी अहम रोल निभाएगा.

AI आधारित पार्किंग प्रबंधन प्रणाली

श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए पार्किंग पर खासा फोकस किया जा रहा है. यहां पर पांच लाख से अधिक वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था की जा रहा है. इन स्थानों पर भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहा हैं. यहां पर बेहतर पार्किंग प्रबंधन के लिए एआई आधारित पार्किंग प्रबंधन प्रणाली अपनायी जाएगी. इसके जरिए हर वाहन पर नजर रखी जाएगी. जैसे वाहन किस समय आया, कितनी देर पार्किंग में रहा और कब पार्किंग से निकलकर कहां गया.

उज्जैन के महाकाल मंदिर में फिर उड़ी नियमों की धज्जियां! CM के बेटे ने परिवार संग गर्भगृह में किया प्रवेश, सितंबर 2023 से प्रवेश प्रतिबंधित

मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन के महाकाल मंदिर में लगातार नियमों का उल्लंघन हो रहा है. हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे ने अपनी पत्नी और अन्य लोगों के साथ गर्भगृह में प्रवेश कर दर्शन किए. जबकि मंदिर प्रशासन ने गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगा रखी है. यह घटना दर्शाती है कि मंदिर में वीआईपी संस्कृति हावी है और आम श्रद्धालुओं के लिए नियम सख्त हैं.

महाराष्ट्र CM के बेटे ने परिवार संग गर्भगृह में किया प्रवेश

दरअसल, महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे ने अपने परिवार के साथ बाबा महाकाल के धाम में गर्भगृह में प्रवेश कर दर्शन किए, जबकि सितंबर 2023 से गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगी हुई है. इस घटना से श्रद्धालुओं में गुस्सा है क्योंकि मंदिर में पहले भी नियमों का उल्लंघन देखा गया है. गर्भगृह में सिर्फ पुजारी, साध्वी, साधु और संतों को ही प्रवेश की अनुमति है.

विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल का धाम लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का विशेष केंद्र है. सितंबर 2023 से मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. लेकिन फिर भी नेता और मंत्री हर दिन नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आते हैं. यहां सिर्फ पुजारी, साध्वी, साधु और संतों को ही प्रवेश की अनुमति है. लेकिन पिछले 1 साल में कई बार नियमों की अनदेखी की गई है.

उज्जैन महाकाल के प्रसाद पैकेट में बड़ा बदलाव

वहीं दूसरी ओर महाकालेश्वर मंदिर ने अपने प्रसिद्ध लड्डू प्रसाद के पैकेट का डिज़ाइन बदल दिया है. महाकाल मंदिर समिति की बैठक में लड्डू प्रसाद के पैकेट के नए डिज़ाइन को मंज़ूरी दे दी गई. आपको बता दें कि मंदिर समिति को यह फ़ैसला इंदौर हाईकोर्ट में दायर एक याचिका के बाद लेना पड़ा. पहले पैकेट पर मंदिर के शिखर की तस्वीर होती थी, लेकिन अब उसे हटाकर लड्डू और फूलों की तस्वीरें लगा दी गई हैं.

बॉलीवुड अभिनेत्री रश्मिका मंदाना को मिली बड़ी जिम्मेदारी, गृह मंत्रालय ने जताया बड़ा भरोसा

डीपफेक के बढ़ते मामलों के बाद भारत में साइबर सुरक्षा की रक्षा के लिए दिग्गज अभिनेत्री रश्मिका मंदाना को ‘राष्ट्रीय राजदूत’ नियुक्त किया गया है। उन्हें गृह मंत्रालय के तहत ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (I4C) साइबर सुरक्षा को बढ़ावा और जागरूकता के लिए यह जिम्मेदारी दी गई है।

एक्ट्रेस का पिछले साल सामने आए एक डीपफेक “एआई-जनरेटेड” वीडियो का शिकार होने के बाद हुआ है। उस दौरान एक्ट्रेस काफी परेशान दिखीं थीं। उन्हें काफी ट्रोलिंग का सामना भी करना पड़ा था। हालांकि उन्होंने बाद में फिर वीडियो की सच्चाई बताई थी। एक्ट्रेस का वीडियो पूरी तरह से “एआई-जनरेटेड” था। लेकिन अब अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर, रश्मिका का लक्ष्य साइबर अपराध के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और ऑनलाइन सुरक्षा को बढ़ावा देना है।

वह ऑनलाइन धोखाधड़ी, डीपफेक वीडियो, साइबर बुलिंग और AI-जनरेटेड दुर्भावनापूर्ण सामग्री सहित विभिन्न साइबर खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए देशव्यापी अभियानों का नेतृत्व करेंगी। यह विकास ऐसे समय में हुआ है जब साइबर अपराध की दरें लगातार बढ़ रही हैं और भारत में डिजिटल खतरे तेजी से विकसित हो रहे हैं।

रश्मिका ने कहा, “साइबर अपराध काफी खतरनाक है और दुनिया भर के व्यक्तियों और व्यवसायों के लिए खतरा है। मैं मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और साइबर सुरक्षा के बारे में संदेश फैलाने के लिए समर्पित हूं। हमें अपने डिजिटल स्पेस की सुरक्षा के लिए खतरों का मुकाबला करने के लिए एक साथ आना होगा”।

रश्मिका ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया पेज पर एक वीडियो भी पोस्ट किया और उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए अपने डीपफेक वीडियो के बारे में खुलासा किया। फिर उसने साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूकता फैलाने का फैसला किया।

पीएम मोदी फिर जा रहे रूस, राष्ट्रपति पुतिन ने दिया ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने का न्योता

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर रूस के दौरे पर जाने वाले हैं। पीएम मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए रूस का दौरा करेंगे। पीएम मोदी 22 और 23 अक्टूबर को रूस दौरे पर रहेंगे। इस बार ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन रूस के कजान में किया जा रहा है।इस दौरे के दौरान पीएम मोदी ब्रिक्स सदस्यीय देशों के साथ द्विपक्षीय बैठक कर सकते हैं। पीएम मोदी का इस साल रूस का ये दूसरा दौरा होगा। इससे पहले जुलाई में भी रूस पहुंचे थे।

विदेश मंत्रालय के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस जाएंगे। पीएम मोदी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 22-23 अक्टूबर को रूस की यात्रा पर रहेंगे। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, रूस यात्रा के दौरान ब्रिक्स देशों के अपने समकक्षों के साथ पीएम मोदी द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। इस बार रूस की अध्यक्षता में ब्रिक्स समिट हो रहा है। यह 16वां ब्रिक्स सम्मेलन होगा। इसमें ‘जस्ट ग्लोबल डेवलपमेंट एंड सिक्योरिटी के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना’ थीम वाले इस समिट में दुनिया के कई मुद्दों पर चर्चा होगी। यह शिखर सम्मेलन ब्रिक्स द्वारा शुरू की गई पहलों की प्रगति का आकलन करने और भविष्य में सहयोग के लिए संभावित क्षेत्रों की पहचान करने का एक शानदार अवसर होगा। पीएम मोदी अपनी रूस यात्रा के दौरान ब्रिक्स समिट को संबोधित करेंगे। इस समिट में ब्रिक्स देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल होंगे।

चीनी राष्ट्रपति भी लेंगे हिस्सा

 रूस के कजान में आयोजित इस सम्मेलन में पीएम मोदी के अलावा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी हिस्सा लेंगे। लगभग एक साल बाद पहली बार ऐसा होगा कि पीएम मोदी और जिनपिंग एक साथ एक मंच पर होंगे। इससे पहले दोनों नेताओं की मुलाकात अगस्त 2023 में दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान ही हुई थी। ब्रिक्स की इस बैठक में ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजेश्कियान और फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास भी होंगे। रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म कराने के लिए भारत की तरफ से दिए गए शांति सहयोग प्रस्ताव पर रूसी कूटनीतिक सूत्रों ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि रूस ऐसे सभी प्रयासों का सम्मान करता है। लेकिन यूक्रेन अपनी शांति समझौता शर्तों पर ही बात करना चाहता है। ऐसे में फिलहाल न तो रूस साथ बैठने की स्थिति में है और न यूक्रेन इसके लिए राजी है। 

जुलाई में पीएम मोदी ने किया था रूस का दौरा

आठ जुलाई को पीएम मोदी ने रूस का दौरा किया था। वह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन को आयोजित करने के लिए रूस पहुंचे थे। इस दौरान पीएम मोदी ने पुतिन के साथ वार्ता की, जिसके दौरान व्यापार और रक्षा सौदों सहित द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की गई। अपनी इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी को रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल से भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भी चर्चा हुई। 

रूस दौरे के महीने बाद पहुंचे थे यूक्रेन

वहीं, फरवरी 2022 में मास्को की तरफ से यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से प्रधानमंत्री मोदी की यह पहली रूस यात्रा थी। इसके एक महीने बाद ही उन्होंने यूक्रेन का दौरा किया था। पोलैंड की यात्रा खत्म कर वे ट्रेन से 10 घंटे का सफर करके यूक्रेन पहुंचे थे। अपनी इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की।

नवाज शरीफ ने भारत से रिश्ते शुरू करने की लगाई गुहार, बोले-75 साल बर्बाद किए अब...

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भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के दौरे के बाद पाकिस्तान “शराफत” में नजर आ रहा है। दरअसल, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 16 अक्टूबर को पाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लिया। जिसके बाद पाकिस्तान को भारत के साथ रिश्तों को लेकर नई उम्मीदें जगी हैं।पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी पीएमएल-एन के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने तो भारत के साथ रिश्तों को सुधारने की सार्वजनिक तौर पर अपील कर डाली। नवाज शरीफ ने कहा कि एस जयशंकर का पाकिस्तान दौरा एक शुरुआत है। यहां से भारत और पाकिस्तान को अपने इतिहास को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए।

पाकिस्तान मुस्लिस लीग (एन) के अध्यक्ष शरीफ ने भारतीय पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा दोनों देशों के रिश्ते के लिए अहम है। जिससे भारत और पाकिस्तान दोनों को अपनी समस्याओं जैसे ऊर्जा संकट और जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने का मौका मिल सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देशों को शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की जरूरत है। 

हमने 75 साल गंवा दिए-शरीफ

शरीफ ने कहा बात ऐसे ही बढ़ती है। यह खत्म नहीं होनी चाहिए। अच्छा होता मोदी साहब यहां खुद तशरीफ लाते, लेकिन ये भी अच्छा है कि जयशंकर आए। अब हमें वहीं से शुरुआत करनी चाहिए, जहां हमने इसे छोड़ा था। हमने 75 साल गंवा दिए हैं, अब हमें अगले 75 सालों के बारे में सोचना चाहिए।

पीएम मोदी की लाहौर यात्रा की सराहना की

दिसंबर 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लाहौर की अचानक यात्रा की सराहना करते हुए शरीफ ने कहा कि वह दोनों देशों के बीच संबंधों में 'लंबे समय से जारी ठहराव से खुश नहीं हैं और उम्मीद जतायी कि दोनों पक्षों को सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना चाहिए। नवाज ने कहा, हम अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते, न ही पाकिस्तान और न ही भारत। हमें अच्छे पड़ोसियों की तरह रहना चाहिए।

रिश्तों में लंबे विराम से खुश नहीं-नवाज

नवाज शरीफ ने ये भी कहा, मेरे पिता के पासपोर्ट में उनका जन्मस्थान अमृतसर लिखा है। हम एक ही संस्कृति, परंपरा, भाषा, भोजन साझा करते हैं। मैं इस बात से खुश नहीं हूं कि हमारे रिश्ते में एक लॉन्ग पॉज (लंबा विराम) आ चुका है। भले ही लीडर्स के बीच अच्छा व्यवहार न हो, लेकिन लोगों के बीच रिश्ता बहुत बढ़िया है। मैं पाकिस्तान के उन लोगों की तरफ से बोल सकता हूं जो भारत के लोगों के लिए सोचते हैं और मैं भारतीय लोगों के लिए भी यही कहूंगा।'

बिगड़े रिश्तों के लिए इमरान खान को बताया जिम्मेदार

शरीफ ने दोनों देशों के बीच बिगड़े रिश्तों के लिए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को जिम्मेदार ठहराया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों का जिक्र किया। शरीफ ने कहा कि उन्होंने जिस भाषा का इस्तेमाल किया, उसने भारत के साथ संबंधों को खराब कर दिया। नेताओं को ऐसी भाषा बोलना तो दूर, सोचना भी नहीं चाहिए।