अखिलेश द्वारा नीतीश कुमार से भाजपा से समर्थन वापस लेने के अनुरोध के बाद जदयू ने ‘आपातकाल’ की दिलाई याद

अखिलेश यादव द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से ‘बाहर निकलने’ के अनुरोध के कुछ घंटों बाद, कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल (यूनाइटेड) के वरिष्ठ सदस्य केसी त्यागी ने शुक्रवार को कहा कि आपातकाल के दौरान जो कुछ हुआ, उसके कारण यादव को कांग्रेस के साथ अपना गठबंधन खत्म कर देना चाहिए।

उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा राष्ट्रीय प्रतीक जय प्रकाश नारायण की 122वीं जयंती पर उनके स्मारक पर जाने से रोके जाने के बाद लखनऊ में अपने आवास के बाहर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने यह टिप्पणी की। “जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में आंदोलन कांग्रेस की ‘तानाशाही’ के खिलाफ था। 25 जून (1975) को आपातकाल लगाया गया था। उस समय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं थी। अखिलेश यादव की टिप्पणी अनुचित है, मैं उन्हें याद दिलाना चाहता हूं कि आपातकाल के दौरान उनके पिता (मुलायम सिंह यादव) और नीतीश कुमार दोनों जेल गए थे। एबीपी न्यूज के अनुसार त्यागी ने कहा, "उन्हें ऐसी पार्टी के साथ अपनी साझेदारी समाप्त कर देनी चाहिए जिसने लोगों की स्वतंत्रता को सीमित किया और सभी लोकतांत्रिक मानदंडों का उल्लंघन किया।" 

आपातकाल लगाने वाली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं, जो पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी की दादी थीं, जो वर्तमान में लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं। कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी भारत ब्लॉक का नेतृत्व करती है और समाजवादी पार्टी इसके सदस्यों में से एक है। इस साल के लोकसभा चुनावों में, दोनों ने मिलकर उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 43 (सपा-37, कांग्रेस-6) सीटें हासिल कीं, जहाँ भाजपा सत्ता में है, जिससे भगवा पार्टी 33 सीटों पर सिमट गई, जो 2019 में 62 और 2014 में 71 थी। हालांकि भाजपा ने केंद्र में अपनी लगातार तीसरी सरकार बनाई, लेकिन वह अपने लगातार तीसरे व्यक्तिगत बहुमत से चूक गई, लेकिन सहयोगियों के समर्थन से सरकार बनाई। जेडी(यू) की 12 लोकसभा सीटें इसे भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण गठबंधन सहयोगी बनाती हैं।

हरियाणा हार के बाद कांग्रेस ने बदली रणनीति, चुनाव आयोग पर हमले के लिए ईवीएम नहीं होगा ‘हथियार”

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हरियाणा में बीजेपी तीसरी बार स्पष्ट बहुमत हासिल कर सरकार बनाने जा रही है।पार्टी ने 48 सीटों पर जीत हासिल की है, वहीं कांग्रेस 37 सीटों पर सिमट गई है। इन नतीजों को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाए।कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया था कि हिसार, महेंद्रगढ़ और पानीपत से शिकायतें मिली हैं कि 99 प्रतिशत बैटरी वाली ईवीएम पर भाजपा जीती, जबकि 60-70 प्रतिशत बैटरी वाली ईवीएम पर कांग्रेस जीती। वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे साजिश करार दिया था। हालांकि, हरियाणा में करारी हार के लिए ईवीएम पर आरोप लगाने वाली कांग्रेस ने अब रणनीति बदलने का फैसला किया है।

दरअसल, कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को हरियाणा में हार पर एक समीक्षा बैठक बुलाई थी। जिसमें ये फैसला लिया गया कि पार्टी अब अंदरूनी गुटबाजी और दूसरी कमजोरियों को दूर करने पर अपना फोकस करेगी जिसके कारण सफलता नहीं मिल सकी।

कांग्रेस के अंदर से ही आवाज उठने लगी कि हरियाणा में लीडरशिप की कुव्यवस्था साफ दिखी जिस वजह से पार्टी को वहां हार का सामना करना पड़ा है। चुनाव परिणाम पर इसी अंदरूनी खींचतान पर कांग्रेस नेतृत्व को फिलहाल चुनाव आयोग पर सवाल उठाने से बचने को मजबूर होना पड़ा। इसकी जगह यह तय हुआ कि प्रत्याशियों की शिकायतों और खामियों की जांच की जिम्मेदारी के लिए पार्टी एक टेक्निकल टीम का गठन करेगी।

इसके तहत फिलहाल वे कुछ भी गलत होने से संबंधित 'ठोस सबूत' जुटाने के बाद ही चुनावी हार के लिए ईवीएम पर दोष मढ़ेंगे। बाद में खरगे ऑफिस से जारी बयान में बताया गया कि पार्टी ने उम्मीदवारों की शिकायतों और विसंगतियों की जांच करने के लिए एक टीम बनाने का फैसला किया है। इसमें कहा गया है, कांग्रेस मतगणना प्रक्रिया और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के कामकाज पर फैक्ट-फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट के आधार पर विस्तृत प्रतिक्रिया देगी।

कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणामों की चर्चा के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के घर पर बैठक की थी। इसमें खरगे के अलावा राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, अजय माकन, दीपक बावरिया और अशोक गहलोत शामिल थे। हरियाणा के किसी भी नेता को इसमें आने का बुलावा नहीं भेजा गया था। हरियाणा में हुआ क्या, इसकी जानकारी जुटाने के लिए वहां राष्ट्रीय नेतृत्व की तरफ से नियुक्त अधिकारियों को ही बुलाया गया था। हरियाणा के नेताओं भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला जैसे नेताओं को अगली बैठक में बुलाया जा सकता है।

हैदराबाद: उपद्रवियों ने मां दुर्गा की प्रतिमा तोड़ी, पुलिस ने अज्ञात पर दर्ज किया केस, पुलिस ने दर्ज किया केस, जांच जारी

हैदराबाद के नामपल्ली एग्ज़ीबिशन ग्राउंड में दुर्गा माता की मूर्ति के साथ तोड़फोड़ की घटना ने स्थानीय लोगों और भक्तों में गुस्सा भर दिया है। यह घटना गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024 को उस समय हुई जब नवरात्रि उत्सव के दौरान स्थापित दुर्गा माता की मूर्ति को अज्ञात व्यक्तियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। इस पंडाल का आयोजन हर साल एग्ज़ीबिशन सोसाइटी द्वारा किया जाता है और यह हैदराबाद के सबसे प्रमुख धार्मिक आयोजनों में से एक है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, घटना की सूचना मिलते ही बेगम बाज़ार पुलिस स्टेशन से अधिकारियों की एक टीम घटनास्थल पर पहुंची और जांच शुरू की। एसीपी चंद्रशेखर ने इस बात की पुष्टि की कि अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है और जांच जारी है। पुलिस ने पंडाल पर अपनी उपस्थिति तब तक बनाए रखी, जब तक कि उसी रात को दांडिया कार्यक्रम बिना किसी बाधा के सफलतापूर्वक पूरा नहीं हो गया। इस घटना से स्थानीय निवासियों और भक्तों में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है, क्योंकि यह नवरात्रि जैसे बड़े त्योहार के दौरान हुआ है। पुलिस इंस्पेक्टर विजय ने बताया कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने पंडाल के अंदर रखी हंडी (दानपात्र) को हटाने का प्रयास किया, जिससे देवी दुर्गा की मूर्ति का हाथ टूट गया। आयोजकों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, और पुलिस ने कहा है कि इस घटना के दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाएगा और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

घटना के बाद, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता अभिषेक अग्रवाल ने भी इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ट्वीट करते हुए लिखा, “नामपल्ली ग्राउंड में माँ दुर्गा की मूर्ति को खंडित कर दिया गया है। यह बेगम बाज़ार पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में आता है। जब मैंने भाग्यलक्ष्मी मंदिर के लिए आवाज उठाई थी, तो मुझे ‘X’ के माध्यम से नोटिस दिया गया और मेरा अकाउंट ब्लॉक कर दिया गया। लेकिन मैं पीछे नहीं हटूँगा। यह भाग्यनगर है, पाकिस्तान नहीं। हम नवरात्रि के दौरान हैं, जो देवी माँ को समर्पित है। इस समय ऐसा कृत्य निंदनीय है।”

यह पहली बार नहीं है जब हैदराबाद में इस प्रकार की घटना सामने आई है। दो साल पहले भी, दो महिलाओं ने हथौड़ों का इस्तेमाल कर माँ दुर्गा की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया था। बाद में, कुछ इस्लामिक कट्टरपंथियों ने इन महिलाओं को मंदबुद्धि बताकर इस घटना पर पर्दा डालने की कोशिश की थी, हालांकि बाद में उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई थी। इस बार की घटना तब हुई है जब शहर में नवरात्रि का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस प्रकार की तोड़फोड़ ने भक्तों और स्थानीय निवासियों की धार्मिक भावनाओं को गहरा आघात पहुँचाया है। ये भी देखने लायक होगा कि, अक्सर छोटे-मोटे बयानों को लेकर समुदाय विशेष की भावनाएं आहत होने की बात कहने वाले हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी इस मामले पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं ? वैसे इस पर संशय है कि वे प्रतिक्रिया देंगे भी या नहीं, क्योंकि इससे उनके समुदाय की भावनाएं आहत नहीं हुईं हैं, ये हिन्दू आस्था का सवाल है।

19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारत का दबदबा, पीएम मोदी को सबसे पहले संबोधन का निमंत्रण, नौ बार भाग ले चुके हैं प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शुक्रवार (11 अक्टूबर) को 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) में हिस्सा लिया और इसका संबोधन किया। सूत्रों के अनुसार, मौजूदा मेजबान और अगले सम्मेलन के मेजबान के बाद बोलने के लिए आमंत्रित किए जाने वाले वे पहले नेता बने। इस सम्मेलन में मौजूदा मेजबान और अगला मेजबान सबसे पहले संबोधन देता है, उसके बाद किसी को बोलने के लिए आमंत्रित किया जाता है, जिसमे पीएम मोदी को सबसे पहले आमंत्रित किया गया। इसे एक बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है और यह आसियान देशों के बीच भारत के बढ़ते प्रभाव का संकेत माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी इस आयोजन में नौ बार भाग ले चुके हैं, जो किसी भी अन्य नेता से अधिक है। पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार प्रमुखों की बैठक होती है, जो हर साल आयोजित की जाती है। इस शिखर सम्मेलन की शुरुआत 2005 में मलेशिया के कुआलालंपुर में हुई थी, और तब इसमें 16 देश शामिल थे। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत हमेशा से आसियान की एकता और केंद्रीयता का समर्थन करता रहा है। उन्होंने म्यांमार की स्थिति पर आसियान के दृष्टिकोण और Five-point Consensus का समर्थन करने की बात कही। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत, म्यांमार का पड़ोसी होने के नाते, अपनी जिम्मेदारी निभाना जारी रखेगा।

प्रधानमंत्री ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चल रहे संघर्षों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि इनका सबसे अधिक असर वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों पर हो रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यूरेशिया और पश्चिम एशिया में जल्द से जल्द शांति और स्थिरता बहाल होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने बुद्ध की धरती से आने का जिक्र करते हुए कहा कि यह युद्ध का युग नहीं है, और समस्याओं का समाधान बातचीत और कूटनीति से ही संभव है। उन्होंने यह भी कहा कि संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करते हुए संवाद को प्राथमिकता देनी चाहिए।

आतंकवाद पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। उन्होंने मानवता में विश्वास रखने वाली सभी ताकतों से एकजुट होकर इसका मुकाबला करने की अपील की। उन्होंने साइबर सुरक्षा, समुद्री सहयोग, और अंतरिक्ष के क्षेत्रों में आपसी सहयोग को भी बढ़ाने पर बल दिया।

देश के दुश्मनों हो जाओ सावधान! मोदी सरकार ने दी 52 सैटलाइट्स वाली योजना को मंजूरी

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चीन पर अक्सर दूसरे देशों की जासूसी करने के आरोप लगते रहे हैं। पड़ोसी देश चीन की इस तरह की चालबाजियां भारत के लिए खतरनाक हो सकती हैं। दूसरी तरफ पाकिस्तान की ओर से हो रहे घुसपैठ भी सीमा पर लगातार सिरदर्द बना हुआ है। ऐसे में चीन-पाकिस्तान जैसेपड़ोसी देशों की निगेहबानी के लिए सैटलाइट्स की भूमिका लगातार बढ़ रही है। यही वजह है कि भारत सरकार अंतरिक्ष आधारित निगरानी मिशन (एसबीएसएम) के तहत आधुनिकतम इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने की दिशा में जी-जान से जुटी है। इसी के तहत मोदी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने 52 निगरानी उपग्रहों के प्रक्षेपण को मंजूरी दे दी है। इससे देश की जमीन और समुद्र की निगरानी में और भी मजबूती आएगी, जिसका फायदा आम लोगों के साथ-साथ सेना को भी होगा। इस परियोजना को रक्षा मंत्रालय में एकीकृत मुख्यालय के तहत रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय द्वारा संचालित किया जा रहा है।

52 उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की योजना

सुरक्षा कैबिनेट ने जो प्रस्ताव मंजूर किया है उसके अंतर्गत निगरानी के लिए पृथ्वी की निचली कक्षा और भूस्थिर कक्षा में कम से कम 52 उपग्रहों को प्रक्षेपित करना शामिल है।इस प्रस्ताव की लागत 26,968 करोड़ रुपये है, जिसमें इसरो द्वारा 21 उपग्रहों का निर्माण और प्रक्षेपण तथा शेष 31 उपग्रहों का निर्माण और प्रक्षेपण निजी कंपनियों द्वारा किया जाना शामिल है।

क्या होगा फायदा?

इस प्रक्षेपण के साथ भारत का ध्यान ऐसी क्षमताएं हासिल करने पर है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगा सकें। साथ ही भारत के साथ भूमि और समुद्री सीमा पर अपने विरोधियों द्वारा किए जा रहे बुनियादी ढांचे के निर्माण पर भी नजर रख सकें।

अटल बिहारी वाजपेयी के समय शुरू हुआ था मिशन

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने SBS 1 मिशन की शुरूआत 2001 में की थी, जिसमें निगरानी के लिए 4 उपग्रह, कार्टोसैट 2ए, कार्टोसैट 2बी, इरोस बी और रीसैट 2 लॉन्च हुए थे।SBS 2 2013 में 6 उपग्रह, कार्टोसैट 2सी, कार्टोसैट 2डी, कार्टोसैट 3ए, कार्टोसैट 3बी, माइक्रोसैट 1 और रीसैट 2ए को लॉन्च किया गया।SBS 3 से भारत अगले दशक के भीतर 52 उपग्रह लॉन्च करेगा। इससे तीनों सेनाओं के पास अपने समर्पित उपग्रह होंगे।

अमेरिका में सदी के सबसे खतरनाक तूफान ने मचाई तबाही, राहत बचाव कार्य में जुटे पुलिस कर्मियों को भी सुरक्षित स्थान पर लौटने का आदेश

सदी के सबसे खतरनाक तूफान मिलटन (Hurricane Milton) ने गुरुवार सुबह अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा (Florida) के सिएस्टा की तट पर दस्तक दी। जिससे पिछले एक हजार वर्षों में सबसे अधिक बारिश हुई है। इस भयानक तूफान ने वहां भारी तबाही मचाई है। जो आज यानी शुक्रवार तक जारी है। हालत ऐसे हो गए हैं कि राहत बचाव कार्य में जुटे सुरक्षा कर्मियों को भी अविलंब सुरक्षित स्थान पर लौटने का आदेश जारी कर दिया गया है। इस तूफान के कारण केवल 3 घंटे में 16 इंच बारिश हुई, जो कि आमतौर पर 3 महीनों में होती थी। मिलटन, जो पहले कैटेगरी 5 का तूफान था, सिएस्टा की के तट से टकराने के बाद कैटेगरी 3 में बदल गया और अब इसे कैटेगरी 2 का तूफान माना जा रहा है। इसकी शक्ति और प्रभाव बेहद खतरनाक हैं। तूफान के कारण फ्लोरिडा के कई शहरों में हवाएं 193 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हैं। इस तूफान की चपेट में लगभग 20 लाख लोग आ गए हैं और बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। कई क्षेत्रों में हालात इतने गंभीर हैं कि पुलिस कर्मियों को भी सुरक्षित स्थान पर लौटने के आदेश दिए गए हैं।
कौन हैं नोएल टाटा? जो रतन टाटा के बाद बने टाटा ट्रस्‍ट के चेयरमैन

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टाटा ट्रस्ट्स को नया चेयरमैन मिल गया है। रतन टाटा के निधन के बाद अब टाटा ट्रस्ट की कमान कौन संभालेगा इस सवाल का जवाब मिल गया है। रतन टाटा के उत्तराधिकारी की तलाश पूरी हो गई है। रतन टाटा के निधन के बाद अब टाटा ट्रस्ट की कमान नोएल टाटा संभालेंगे। टाटा ट्रस्ट के नए चेयरमैन को लेकर शुक्रवार को टाटा ट्रस्ट की अहम बैठक में यह फैसला हुआ। टाटा ट्रस्ट के बोर्ड ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से उन्हें अपना चेयरमैन चुना।

इस नियुक्ति के साथ ही नोएल सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के 11वें अध्यक्ष और सर रतन टाटा ट्रस्ट के छठे अध्यक्ष बन गए हैं। वह नवल एच. टाटा और सिमोन एन. टाटा के पुत्र और रतन टाटा के सौतेले भाई हैं। नोएल 40 से अधिक वर्षों से टाटा समूह से जुड़े हुए हैं। वह वर्तमान में टाटा ग्रुप की कई कंपनियों के बोर्ड में शामिल हैं। वह टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड, वोल्टास और टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के चेयरमैन और टाटा स्टील तथा टाइटन कंपनी लिमिटेड के वाइस-चेयरमैन हैं।

2010-11 में टाटा इंटरनेशनल के मैनेजिंग डायरेक्टर पद पर नियुक्ति के बाद से ही अटकलें लगनी शुरू हो गई थीं कि नोएल को रतन टाटा के बाद टाटा समूह के प्रमुख के रूप में तैयार किया जा रहा है। टाटा इंटरनेशनल विदेशों में पेश किए जाने वाले उत्पादों और सेवाओं के लिए टाटा समूह की शाखा है।

नोएल टाटा ने ससेक्स यूनिवर्सिटी (यूके) से ग्रेजुएशन किया है और फ्रांस में INSEAD से इंटरनेशनल एक्जीक्यूटिव प्रोग्राम (IEP) पूरा किया है। नोएल टाटा ने इससे पहले नेस्ले, यूके के साथ काम किया था। नोएल आयरिश नागरिक हैं और उनकी शादी पालोनजी मिस्त्री की बेटी आलू मिस्त्री से हुई है, जो टाटा संस में सबसे बड़े शेयरधारक थे। उनके तीन बच्चे हैं – लिआ, माया और नेविल।

दुनियाभर में इस्लामी शासन लाने का लक्ष्य! सरकार ने आतंकी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर पर लगाया प्रतिबंध

भारत सरकार ने गुरुवार को पैन-इस्लामिक संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (HuT) पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह संगठन, जिसकी स्थापना 1953 में यरुशलम में हुई थी, जिहाद और आतंकवादी गतिविधियों के जरिए भारत सहित दुनियाभर में इस्लामी राज्य और खिलाफत स्थापित करने का लक्ष्य रखता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में बताया कि HuT भोले-भाले युवाओं को आतंकवादी संगठनों, जैसे ISIS, में शामिल होने के लिए कट्टरपंथी बना रहा है और आतंकवादी गतिविधियों के लिए फंड जुटा रहा है।

गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति का पालन करते हुए, गृह मंत्रालय ने हिज्ब-उत-तहरीर को आतंकवादी संगठन घोषित किया है। उन्होंने बताया कि यह संगठन देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए गंभीर खतरा है। यह सोशल मीडिया और सुरक्षित मैसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल कर युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रहा है। साथ ही, इस संगठन के सदस्य 'दावा' बैठकों का आयोजन कर कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा दे रहे हैं।

अधिसूचना में कहा गया कि हिज्ब-उत-तहरीर का उद्देश्य भारत और अन्य देशों में लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकारों को उखाड़ फेंककर एक इस्लामी राज्य स्थापित करना है, जो भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली और आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है। केंद्र सरकार ने इस संगठन को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत प्रतिबंधित कर दिया है, जिससे यह प्रतिबंध प्रभावी होगा। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने हाल ही में तमिलनाडु में एचयूटी मामले में एक प्रमुख आरोपी को गिरफ्तार किया है, जो भारत विरोधी विचारधारा को फैलाने और अलगाववाद को भड़काने का प्रयास कर रहा था।

NIA ने अब तक इस मामले में कुल सात लोगों को गिरफ्तार किया है। एजेंसी का आरोप है कि ये लोग पाकिस्तान से सैन्य सहायता मांगकर भारत के खिलाफ जिहाद छेड़ने और कश्मीर को ‘आजाद’ कराने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे थे। 1953 में स्थापित यह समूह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका मुख्यालय लेबनान में है। यह संगठन दुनिया भर के 30 से अधिक देशों में सक्रिय है, जिनमें यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, कनाडा, और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। हिज्ब-उत-तहरीर का इतिहास यहूदियों और इजरायल के खिलाफ हमलों की प्रशंसा करने का रहा है। इस वजह से, जर्मनी, मिस्र, ब्रिटेन और कई मध्य एशियाई और अरब देशों सहित कई देशों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है।

अखिलेश यादव के घर के बाहर भारी फ़ोर्स तैनात, सपाई-कांग्रेसियों में गुस्सा, लखनऊ में बवाल, पुलिस ने लगाया बैरिकेड

'लोकनायक' जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर लखनऊ में राजनीति गर्मा गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जेपी सेंटर में जाकर श्रद्धांजलि देने का फैसला किया है, लेकिन सरकार ने उन्हें वहां जाने से रोक दिया है। जेपी सेंटर के प्रवेश द्वार पर टीन की बड़ी दीवार लगा दी गई है। अखिलेश यादव ने घोषणा की थी कि वह सुबह 10 बजे जेपी सेंटर जाकर प्रतिमा का माल्यार्पण करेंगे। इसके जवाब में लखनऊ पुलिस ने केंद्र के आसपास भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है।

अखिलेश यादव के आवास के बाहर बैरिकेडिंग लगा दी गई है, जिससे ट्रैफिक को बंद कर दिया गया है। पुलिस ने अखिलेश के आवास के दोनों ओर करीब 200 मीटर की दूरी पर बैरिकेड्स लगा दिए हैं, और केवल उनके सुरक्षाकर्मियों को ही आने-जाने की अनुमति दी गई है। समाजवादी पार्टी के नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, माता प्रसाद यादव, ने इस पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार समाजवादियों को जेपी सेंटर में क्यों जाने से रोकना चाहती है। उनका कहना है कि सरकार का यह कदम तानाशाही है, और वे केवल जयंती पर माल्यार्पण करने जाना चाहते थे।

इस मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अखिलेश और उनकी पार्टी के नेता केवल रात में सक्रिय क्यों होते हैं। दरअसल, अखिलेश कल रात को कई सपा कार्यकर्ताओं को लेकर जेपी सेंटर (JPNIC) पहुंच गए थे। इसको लेकर मनीष शुक्ला ने अखिलेश की गतिविधियों को बचकाना बताया। अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा और उनकी सरकार का हर काम नकारात्मक है और पिछली बार की तरह वे ‘जय प्रकाश नारायण’ की जयंती पर मूर्ति पर माल्यार्पण करने से समाजवादियों को रोक रहे हैं।

जेपी सेंटर के बाहर भारी सुरक्षा तैनात की गई है। पुलिस ने वाटर कैनन, आंसू गैस और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) के साथ महिला पुलिसकर्मियों को भी तैनात कर दिया है। पूरा मार्ग बैरिकेडिंग से बंद कर दिया गया है ताकि कोई व्यक्ति गेट तक न पहुंच सके। जॉइंट कमिश्नर स्वयं सुरक्षा बलों के साथ केंद्र पर मौजूद हैं और उन्होंने सड़क को पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया है।

लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने अखिलेश यादव के जेपी सेंटर के दौरे को लेकर एक पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि जेपी सेंटर अभी निर्माणाधीन है, जहां निर्माण सामग्री बिखरी हुई है और बारिश के कारण कीड़े-मकोड़े हो सकते हैं। चूंकि अखिलेश यादव को जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त है, इसलिए उनके दौरे के लिए यह सुरक्षित नहीं है।

पाकिस्तान के एक खदान में घुसे बंदूकधारी, की ताबड़तोड़ गोलीबारी, 20 मजदूरों को उतारा मौत के घाट

पाकिस्तान में एक बंदूकधारी ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसा कर 20 लोगों की जान ले ली है। खदान में काम करने वाले लोगों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई गईं। पाकिस्तान पुलिस ने इस घटना की जानकारी साझा की है। पुलिस की मानें तो हाथ में बंदूक लेकर खदान में घुसे एक शख्स ने धुंआधार फायरिंग शुरू कर दी। इस घटना में 20 मजदूरों की जान चली गई। वहीं 7 लोग गोली लगने के कारण बुरी तरह से घायल हैं।

यह हमला पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हुआ है। SCO सम्मेलन से ठीक पहले हुए इस हमले से न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि पूरी दुनिया में खलबली मच गई है। कुछ ही दिन में दुनिया के कई बड़े देशों के नेता पाकिस्तान में का रुख करने वाले हैं। ऐसे में बलूचिस्तान की खदान में हुए इस हमले ने हर तरफ हड़कंप मचा दिया है।

पुलिस ऑफिसर हिमांयु खान नासिर ने बताया कि गुरुवार की रात बलूचिस्तान के डंकी जिले में इस घटना को अंजाम दिया गया है। डंकी स्थित कोयले की खदान में एक बंदूकधारी आया और उसने सभी लोगों को एक-साथ खड़े होने का आदेश दिया। इसके बाद बंदूकधारी ने एक-एक करके सभी पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी। इस घटना में 20 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं 7 मजदूर गोली लगने से घायल हैं।

पाकिस्तान पुलिस का कहना है कि मरने वालों में ज्यादातर मजदूर बलूचिस्तान के पश्तून समुदाय से थे। इसके अलावा मृतकों में 3 अफगानी भी शामिल हैं। वहीं घायल मजदूरों में भी 4 मजदूर अफगानिस्तान के हैं।

पाकिस्तान में यह हमला शंघाई कॉपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) से ठीक पहले हुआ है। आगामी 16-17 अक्टूबर को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में यह सम्मलेन आयोजित होना है। भारतीय विदेश मंत्री एस.जयशंकर भी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए 15 अक्टूबर को पाकिस्तान जाएंगे। 9 सालों में भारतीय विदेश मंत्री की यह पहली पाकिस्तान यात्रा होगी। इससे पहले दिसंबर 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान गई थीं।

ANI की रिपोर्ट के अनुसार SCO समिट को लेकर इस्लामाबाद में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पाकिस्तान आर्मी का बेस कहे जाने वाले रावलपिंडी को 12 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक बंद कर दिया गया है। इसके अलावा इस्लामाबाद के रेस्टोरेंट से लेकर वेडिंग हॉल्स, कैफे और क्लब भी 5 दिनों के लिए बंद रहेंगे।