चुनाव से पहले महायुति में तनाव! कैबिनेट की बैठक छोड़कर क्यों निकले अजित पवार

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महाराष्‍ट्र की सत्‍तारूढ़ महायुति (शिवसेना-बीजेपी-एनसीपी) सरकार में शायद सब कुछ टीक नहीं चल रहा है। राज्य में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। महायुति में तनाव की खबरें आ रही है। दरअसल, विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले गुरुवार को यह आखिरी कैबिनेट बैठक थी। उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार सिर्फ 10 मिनट के लिए बैठक में आये और रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने के फौरन बाद चले गए। उनके जाने के बाद ढाई घंटे तक चली बैठक में 38 फैसले ने लिये।

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले शिंदे सरकार दनादन कई बड़ी घोषणाएं कर रही है। दरअसल, आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। गुरुवार को इसी संदर्भ में मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्‍व में एक ऐसी ही कैबिनेट मीटिंग बुलाई गई। लेकिन जैसे ही मीटिंग शुरू हुई उसके 10 मिनट के भीतर ही डिप्‍टी सीएम और एनसीपी नेता मीटिंग छोड़कर चले गए। ऐसा तब हुआ जब उसके बाद भी मीटिंग करीब ढाई घंटे चली। उसमें वित्‍त विभाग के कई प्रोजेक्‍ट भी शामिल थे जिन पर फैसले हुए। जबकि वित्‍त विभाग का प्रभार अजित पवार के पास है।

द टाइम्‍स ऑफ इंडिया (टीओआई) की इस रिपोर्ट के मुताबिक कयास लगाए जा रहे हैं कि अजित पवार इस बात से नाराज थे कि अंतिम समय में अर्जेंट बेसिस पर मीटिंग में कई प्रस्‍तावों को रख लिया गया और इसका कोई सर्कुलर पहले से जारी नहीं किया गया था। वित्‍त विभाग ने कई मसलों पर आपत्तियां उठाई हैं जिनको कैबिनेट में पेश किया गया है।

अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि यह संभव है कि वह कुछ फैसलों से नाखुश थे और अंतिम समय में बिना पूर्व सूचना के कैबिनेट बैठक में बड़ी संख्या में जरूरी प्रस्ताव लाए गए थे। पिछले कुछ हफ्तों में वित्त विभाग ने कैबिनेट में लाए गए कई प्रस्तावों पर आपत्ति जताई थी। हालांकि बार-बार प्रयास करने के बावजूद अजित पवार से उनकी टिप्पणियों के लिए संपर्क नहीं किया जा सका।

बता दें कि विधानसभा चुनाव से पहले भूमि आवंटन, सब्सिडी और गारंटी को मंजूरी देने की होड़ मची हुई है। वित्त विभाग पहले ही चेतावनी दे चुका है कि 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटा 2 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। विभाग ने चेतावनी दी है कि राजकोषीय घाटा जीएसडीपी के 3% को पार कर गया है, जो कि महाराष्ट्र राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजटीय प्रबंधन अधिनियम द्वारा तय सीमा है।

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति में हालिया दिनों में शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी की टकराहट देखने को मिली है। 'लड़की बहन योजना' को लेकर दरार काफी दिनों से उभरी हुई है। शिवसेना शिंदे गुट के मंत्री ने योजना के विज्ञापनों और प्रचार सामग्री से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम "हटाने" के लिए सहयोगी एनसीपी और उसके अध्यक्ष अजित पवार के खिलाफ खुलेआम आपत्ति जताई गई। शिवसेना से राज्य के उत्पाद शुल्क मंत्री शंभूराज देसाई ने डिप्टी सीएम पवार द्वारा 'मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन' योजना को वस्तुतः "हाइजैक" करने का आरोप लगाया। इसके जरिये पात्र महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह देने की घोषणा की गई है। इस योजना का पूरा श्रेय अजित पवार की पार्टी ले रही है।

भारत पर ट्रंप के दो रुख़ः पहले की पीएम मोदी की तारीफ़, फिर साधा निशाना

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने फ‍िर से भारत की आलोचना की है। हालांकि, उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ की है। ट्रंप ने कहा है कि भारत, अमेरिका पर चीन से भी ज्यादा उत्पाद शुल्क लगाता है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी मेरे अच्छे दोस्त हैं लेकिन भारत हमसे बहुत ज्यादा टैरिफ वसूलता है जो मुझे पसंद नहीं है।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा क‍ि विदेशी वस्तुओं पर भारत की तरफ से सबसे ज्यादा टैक्स लगाया जाता है। डोनाल्ड ट्रम्‍प ने सत्ता में आने पर पारस्‍पर‍िक टैक्‍स लगाने का संकल्प दोहराते हुए आरोप लगाया कि सभी प्रमुख देशों में भारत विदेशी उत्पादों पर सबसे ज्‍यादा टैक्‍स लगाता है. उन्‍होंने कहा वह सत्‍ता में आने पर जैसे को तैसा टैक्‍स स‍िस्‍टम लाएंगे।

ट्रम्प ने डेट्रायट में प्रमुख आर्थिक नीति पर अपने भाषण में कहा, ‘शायद अमेरिका को फिर से असाधारण रूप से समृद्ध बनाने की मेरी योजना का सबसे अहम तत्व पारस्परिकता है। यह एक ऐसा शब्द है जो मेरी योजना में बहुत जरूरी है क्योंकि हम आमतौर पर शुल्क नहीं लगाते हैं। मैंने वह प्रोसेस शुरू क‍िया था वैन और छोटे ट्रक आदि के साथ, वह बहुत बढ़िया थी। हम वास्तव में शुल्क नहीं लगाते हैं। चीन 200 प्रतिशत शुल्क लगाएगा, ब्राजील भी बड़ा टैक्‍स वसूलता है। हालांकि, इनमें से सबसे अधिक शुल्क भारत लेता है।

इससे पहले सितंबर में भी ट्रंप ने कहा था, मोदी शानदार व्यक्ति हैं। कई नेता शानदार हैं। ये बिल्कुल भी पिछड़े हुए नहीं हैं। ट्रंप ने भले पीएम मोदी की तारीफ़ की है लेकिन भारत की नीतियों की आलोचना भी की। ट्रंप ने कहा कि भारत अमेरिका से आयात होने वाले वस्तुओं पर भारी टैक्स लगाता है और ख़ुद अमेरिका निर्यात करता है तो कोई टैक्स नहीं चाहता है। इसी मामले में ट्रंप ने भारत को नीतियों का दुरुपयोग करने वाला देश कहा था।

आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने इशारों में ड्रैगन को चेताया, जानें क्या कहा

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प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को लाओस की राजधानी वियनतियाने में ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। यहां बैठक को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, भारत हमेशा से ही आसियान देशों के बीच एकता को सपोर्ट करता रहा है। आसियान भारत के इंडो-पैसिफिक विजन और क्वाड को-ऑपरेशन के केंद्र में है।इस शिखर सम्मेलन में भारत ने एक बार फिर से चीन को सबक सिखा दिया। पीएम मोदी ने चीन का नाम लिए बगैर उसकी विस्तारवादी नीति पर जमकर प्रहार किया। पीएम मोदी ने साफ-साफ कहा कि हमारी अप्रोच विकासवाद की होनी चाहिए, न कि विस्तारवाद की।

दक्षिण चीन सागर को लेकर क्या बोले पीएम मोदी

शिखर सम्मेलन में पीएम मेदी ने कहा, 'भारत ने हमेशा ASEAN की एकता और केंद्रीयता का समर्थन किया है। ASEAN भारत के इंडो-पैसिफिक विजन और क्वाड सहयोग के केंद्र में भी है। भारत की "इंडो-पैसिफिक महासागरों की पहल'' और 'इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक'' के बीच गहरी समानताएं हैं। एक स्वतंत्र, खुला, समावेशी, समृद्ध और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक पूरे क्षेत्र की शांति और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। दक्षिण चीन सागर की शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के हित में है।'

समुद्री गतिविधियों पर चीन को सुनाया

पीएम मोदी ने कहा कि इस सम्मेलन में नेताओं ने कानूनी ढांचे के रूप में अनक्लोस के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि समुद्री गतिविधियां अन्क्लोस (UNCLOS) के तहत ही संचालित होनी चाहिए। फ्रीडम ऑफ नेविगेशन और एयर स्पेस सुनिश्चित करना जरूरी है। एक ठोस और प्रभावी कोड ऑफ कंडक्ट बनाया जाना चाहिए। इसमें क्षेत्रीय देशों की विदेश नीति पर अंकुश नहीं लगाए जाने चाहिए।

युद्ध को बीच ग्लोबल साउथ के देशों पर सबसे ज्यादा असर-पीएम मोदी

बिना नाम लिए चीन को नसीहत देते हुए पीएम मोदी ने अपने बयान में कहा कि हम शांतिप्रिय राष्ट्र हैं,जो एक-दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करते हैं। पीएम मोदी ने आगे कहा कि दुनिया भर में जारी अलग-अलग जंग का सबसे बुरा असर ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ रहा है। ऐसे में दुनिया में शांति बहाल करना बेहद जरूरी है। मैं बुद्ध की धरती से आता हूं। हमने हमेशा यही कहा है कि यह जंग का युग नहीं है।

भारत के भगोड़े पर भड़के पाकिस्तानी, जमकर सुनाई खरी-खोटी

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इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक इन दिनों पाकिस्तान में है। पहले तो पाकिस्तानियों ने इस कट्टरपंथी उपदेशक को सिर आंखों पर बैठाया और अब जमकर उसे खरी-खोटी सुना रहे हैं। दरअसल, इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक अक्सर अपने बयानों की वजह से विवादों में घिरा रहता हैं। अब पाकिस्तान में अपने हालिया बयानों के कारण आलोचना का सामना कर रहा है।खासकर उनके द्वारा महिलाओं पर दिए गए बयान पाकिस्तानी महिलाओं में गुस्सा भड़का है।नाइक के विवादास्पद बयानों की वजह उसके कुछ कट्टर अनुयायियों भी यह कहने लगे हैं कि इस्लामाबाद ने उसे देश में आमंत्रित करके 'बड़ी गलती' की है, वह भी एक 'राज्य अतिथि' के रूप में।

जाकिर नाइक के अलग-अलग शहरों में दिए जा रहे बयान उसकी आलोचना की वजह बन रहे हैं। खासतौर से महिलाओं पर जाकिर के बयान पाकिस्तान की औरतों को भड़का रहे हैं। जाकिर का एक और बयान अब पाकिस्तान में विवाद की वजह बन गया है, जिसमें उन्होंने गैरशादीशुदा लड़कियों को बाजारू कह दिया।

जाकिर नाइक से एक कार्यक्रम में दसवीं क्लास की बच्ची ने पूछा था कि इस्लाम मर्दों को चार शादी की इजाजत क्यों देता है। इस पर जाकिर ने कहा कि ये महिलाओं की हिफाजत के लिए है क्योंकि कुंवारी लड़कियों को लोग गलत निगाह से देखते हैं। जाकिर ने कह दिया किया कि बिना मर्द के बाहर घूमने वाली औरतों को पब्लिक प्रोपर्टी या बाजारू औरत की तरह देखा जाता है। जाकिर के इस बयान पर यूट्यूबर निमरा अहमद ने पाकिस्तान के आम लोगों से बात की है।

जाकिर नाइक के बयान पर पाकिस्तान की लड़कियों ने यूट्यूबर निमरा अहमद के साथ बातचीत के दौरान अपनी नाराजगी जाहिर की। एक लड़की ने कहा कि दसवीं की बच्ची के सवाल का जिस तरह से जवाब दिया गया, वह बेहद गलत था। उन्होंने यह भी कहा कि जाकिर नाइक को समझ नहीं है कि बच्चों से कैसे बात की जाए और उन्हें कैसे समझाया जाए। एक और लड़की ने कहा कि जाकिर नाइक का लड़कियां पब्लिक प्रॉपर्टी से जुड़ा बयान बहुत ही शर्मनाक है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जाकिर को कम से कम अपने घर की लड़कियों, बहनों और बेटियों के बारे में सोचना चाहिए और इस तरह की बातें करने से पहले समझना चाहिए कि वह किसी और की बेटी के बारे में क्या कह रहे हैं।

इससे पहले कराची में अपने एक लेक्चर के दौरान नाइक ने कहा, मैं पाकिस्तान आ रहा था, हमारा सामान 1000 किलोग्राम था। मैंने पीआईए के सीईओ से बात की. स्टेशन मैनेजर ने मुझसे कहा कि वह मेरे लिए कुछ भी करने को तैयार है। मैंने जवाब दिया, मेरे पास 500 से 600 किलोग्राम अतिरिक्त सामान है। उन्होंने मुझे 50 प्रतिशत छूट की पेशकश की। मैंने उनसे साफ कह दिया कि या तो सामान मुफ्त में जाने दें या रहने दें।

नाइक आगे कहा, भारत में मुझे मुफ्त में छोड़ दिया जाता है। वे मुझे देखते ही 1000-2000 किलो के लिए भी छूट दे देते हैं और यहां, पाकिस्तान में, मैं सरकार का मेहमान हूं, मेरे वीजा पर 'राज्य अतिथि' की मुहर लगी है लेकिन सीईओ मुझे 50 प्रतिशत की छूट दे रहे हैं।मुझे बुरा लग रहा है लेकिन यह सच है, पाकिस्तान में यही स्थिति है।

नाइक की यह टिप्पणी पाकिस्तानियों को पसंद नहीं आई और उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी जमकर आलोचना की।एक पाकिस्तानी कंटेंट क्रिएटर, साद कैसर, ने एक्स पर लिखा, 'जिसने भी जाकिर नाइक को आमंत्रित किया है, वह कृपया इसे दोबारा न बुलाएं!

पीएम मोदी का दिया तोहफा संभाल नहीं सकी युनूस सरकार, बांग्लादेश में चोरी हो गया माता का मुकुट

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बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट और मोहम्मद यूनुस के ने के बाद से हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ गया है। हालांकि, इस वक्त बांग्लादेश में भी र्गा पूजा का त्योहार मनाया जा रहा है। बांग्लादेश में एक तरफ जहां नवरात्रि की धूम है वहीं, सतखीरा में श्याम नगर के जेशोरेश्वरी मंदिर में देवी काली का मुकुट चोरी हो गया है। इस मुकुट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भेंट किया था। पीएम मोदी मार्च 2021 में जब बांग्लादेश की यत्रा पर गए थे, तब उन्होंने जेशोरेश्वरी मंदिर में देवी के दर्शन कर यह मुकुट चढ़ाया था।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस भारत के साथ रिश्तों को संभालने की बात कर रहे हैं। हालंकि, वो भारत के प्रधानमंत्री की ओर से दिया गया खास तोहफा ही संभाल नहीं सके। हालांकि, मंदिर से मुकुट चोरी होने के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। पुलिस स्टेशन के अधिकारी फकीर तैज़ुर रहमान ने कहा, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को जो तोहफा दिया था उसके चोरी होने के बाद हम उसको ढूंढने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। जांच जारी है और हम अपराधी की पहचान करने के लिए सीसीटीवी फुटेज को खंगाल रहे हैं।

बांग्‍लादेश के सतखीरा स्थित जेशोरेश्‍वरी मंदिर में देवी काली का मुकुट चोरी हो गया है। बांग्लादेशी अखबार डेली स्टार के मुताबिक, चांदी से बना और सोने से मढ़ा हुआ यह मुकुट गुरुवार को दोपहर 2:00 बजे से 2:30 बजे के बीच चोरी हो गया। उस समय मंदिर के पुजारी दिलीप मुखर्जी पूजा के बाद मंदिर से बाहर जा चुके थे। बाद में सफाई कर्मचारियों ने पाया कि देवी के सिर से मुकुट गायब है। इसके बाद घटना की सूचना पुलिस को दी गई।

हिंदू मान्यता के मुताबिक, जेशोरेश्वरी मंदिर भारत के भारत और पड़ोसी देशों में मौजूद 51 शक्तिपीठों में से एक है। “जेशोरेश्वरी” नाम का अर्थ है “जेशोर की देवी। सातखिरा के ईश्वरीपुर में स्थित यह जेशोरेश्वरी मंदिर अनारी नामक एक ब्राह्मण द्वारा 12वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में बनाया गया था। जिन्होंने जशोरेश्वरी पीठ के लिए 100 दरवाजों वाला मंदिर बनवाया था। बाद में इसका जीर्णोद्धार 13वीं शताब्दी में लक्ष्मण सेन ने करवाया था और अंततः 16 वीं शताब्दी में राजा प्रतापदित्य ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था।

पीएम मोदी ने बांग्लादेश यात्रा के दौरान 27 मार्च, 2021 को जेशोरेश्वरी मंदिर का दौरा किया था। उसी दिन पीएम ने काली मंदिर में देवता को स्वर्ण मुकुट पहनाया था।

दो दिनों की शांति के बाद फिर बेरूत पर बरसे बम, इजराइल के हमले में 22 की मौत*
#israel_air_strike_in_beirut_killed_22_people इजराइल ने लेबनान में ईरान समर्थित हिजबुल्ला के खिलाफ अपने हमलों का दायरा बढ़ा दिया है और वहां जमीनी हमला शुरू कर दिया है। हिजबुल्ला के खिलाफ लेबनान की धरती पर इजरायल का एक्‍शन गुरुवार को भी जारी रहा। बीती रात राजधानी बेरूत में जमकर गोले बरसाए गए। इस दौरान 22 लोगों की मौत हो गई जबकि 117 से ज्‍यादा लोग घायल हो गए। हिजबुल्‍ला के खिलाफ लेबनान में इजरायल डिफेंस फोर्स का ग्राउंड एक्‍शन जारी है। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इन हमलों से एक आवासीय इमारत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई तथा एक अन्य इमारत पूरी तरह ढह गई।घायलों को अमेरिकन यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ले जाया गया। ऐसी रिपोर्ट्स आई हैं कि इस हमले में हसन नसरल्लाह के बहनोई और हिजबुल्लाह के उच्च अधिकारी वाफिक सफा को मारने की कोशिश की गई है। हिजबुल्लाह ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। *दो दिनों की शांति के बाद हमले* एक रिपोर्ट के मुताबिक तीन सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि वाकिफ सफा उस बिल्डिंग के तीसरी मंजिल पर था जिसे निशाना बनाया गया। लेकिन वह हमले से बच कर भागने में कामयाब रहा। इजरायली हमलों में बचौरा की दो घनी आबादी वाले इलाकों में आवासीय इमारतों को निशाना बनाया गया। लेबनान की राजधानी में दो दिनों की शांति के बाद हमले हुए। हाल के हफ्तों में लगातार हमलों के बीच अचानक से हुई शांति भी लोगों को डरा रही थी। *स्कूल पर हमले में 27 लोगों की मौत* इससे पहले, फिलिस्तीनी चिकित्सा अधिकारियों ने बताया कि गाजा में विस्थापित लोगों को आश्रय देने वाले एक स्कूल पर गुरुवार को इजराइली हमले में कम से कम 27 लोगों की मौत हो गयी. इजराइली सेना ने बिना कोई सबूत दिए कहा कि उसने आम लोगों के बीच छुपे उग्रवादियों को निशाना बनाया. इजराइल ने फिलिस्तीनी क्षेत्र में उग्रवादी ठिकानों पर हमले जारी रखे हैं, जबकि उसका ध्यान लेबनान में हिजबुल्लाह के खिलाफ युद्ध और ईरान के साथ बढ़ते तनाव पर केंद्रित है. उसने इस हफ्ते की शुरुआत में उत्तरी गाजा में हमास के विरुद्ध बड़े पैमाने पर हवाई और जमीनी अभियान शुरू किया था.
हरियाणा चुनाव के बाद “आप” की राह नहीं आसान, दिल्ली में भी बढ़ेगा तनाव!*
#haryana_election_result_will_impact_aap_in_delhi_assembly_elections *
दिल्ली की सत्ता में 2013 से काबिज आम आदमी पार्टी ने पंजाब में चुनाव जीतकर सरकार बनाई। इसके बाद से पार्टी ने कई चुनाव लड़े और राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बन गई। लेकिन इस बार हरियाणा के चुनाव में आम आदमी पार्टी गर्त में गोते लगाते दिखी। हरियाणा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक राष्ट्रीय पार्टी ने 88 सीटों पर चुनाव लड़ा हो और उसकी 87 सीटों के उम्मीदवारों की जमानत जप्त हो गई हो। सिर्फ़ दो सीटों पर ही पार्टी उम्मीदवारों को 10 हज़ार से अधिक वोट मिल सके। आम आदमी पार्टी को हरियाणा में दो प्रतिशत से भी कम मत मिले और पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल सकी। हरियाणा चुनाव में ये हाल आम आदमी पार्टी का हुआ है। हरियाणा में आप का ये हाल तब हुआ जब दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल का गृह प्रदेश है।मूलरूप से भिवानी में सिवानी के रहने वाले अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा में दर्जनों रैलियां कीं और ख़ुद को ‘हरियाणा का लाल’ बताकर वोट मांगे।कथित शराब घोटाले में जाँच का सामना कर रहे और ज़मानत पर जेल से रिहा अरविंद केजरीवाल ने ‘ईमानदार सरकार’ देने का वादा किया लेकिन जनता ने उन्हें और उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को पूरी तरह नकार दिया। दिल्ली जैसी मुफ़्त बिजली देने, मोहल्ला क्लिनिक खोलने, मुफ़्त और अच्छी शिक्षा देने के अलावा पार्टी ने कई वादे किए, बेरोज़गारी को मुद्दा बनाया और जमकर बीजेपी पर निशाना साधा। लेकिन हरियाणा के मतदाताओं ने केजरीवाल और उनकी पार्टी को तवज्जो नहीं दी। चुनावों से पहले आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन का प्रयास किया, लेकिन जब बात नहीं बनीं तो अंत में पार्टी ने अकेले 90 में से 88 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फ़ैसला किया। इससे कुछ महीने पहले ही हरियाणा में लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ी थी और इंडिया गठबंधन ने हरियाणा में 47 फ़ीसदी मत और दस में से पांच सीटें हासिल की थीं। विधानसभा चुनावों की आहट के बीच, पार्टी ने अपने दम पर चुनाव लड़ने के प्रयास शुरू कर दिए थे और कांग्रेस से बातचीत के दौरान ही, अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल हरियाणा में रैलियां कर रहीं थीं। जब कांग्रेस से बात नहीं बनीं तो चुनावी रैलियों के दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी अहम खिलाड़ी बनकर उभरेगी और बिना उनकी पार्टी के हरियाणा में सरकार नहीं बनेगी। हालांकि, नतीजे पार्टी की उम्मीदों के बिल्कुल उलट रहे। हरियाणा के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या इसका असर दिल्ली के विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा? हरियाणा में मुंह की खाने के बाद इस बार खुद पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने नेताओं को अति आत्मविश्वास और आपसी कलह से बचने की सलाह तो दी ही है, साथ ही ये नसीहत भी दी है कि वे चुनाव को हल्के में ना लें।इससे यह संकेत मिल रहे हैं कि आम आदमी पार्टी भी इन नतीजों के बाद सतर्क हो गई है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने बुधवार को आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने के संकेत दिए हैं। आम आदमी पार्टी के पास इस समय दिल्ली में प्रचंड बहुमत है।दिल्ली में आम आदमी पार्टी के पास एक समर्थित वोट बैंक है। खासकर दिल्ली के गरीब और पिछड़े वर्ग के लोग आम आदमी पार्टी के साथ एक जुड़ाव महसूस करते हैं। फ़्री बिजली दिल्ली में एक बड़े वर्ग के लिए सबसे अहम मुद्दा है और शायद आगे भी ऐसा ही रहे। ऐसे में, ये नहीं कहा जा सकता कि हरियाणा के चुनाव नतीजों का कुछ ख़ास असर दिल्ली चुनावों पर भी होगा।
तालिबान से बचकर अमेरिका में ली शरण, फिर वहां 'जिहाद' करने लगा नासिर अहमद, सुरक्षा एजेंसियों ने किया गिरफ्तार

अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियों ने नासिर अहमद तौहीदी नाम के एक इस्लामी आतंकवादी को गिरफ्तार किया है, जो अमेरिका में चुनाव के दिन एक आतंकी हमले की योजना बना रहा था। तौहीदी तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान से भागकर अमेरिका में शरण लेने आया था। 7 अक्टूबर, 2024 को पकड़े गए तौहीदी ने इस्लामी आतंकवादी संगठन ISIS की विचारधारा से प्रभावित होकर हमले की साजिश रची थी। उसने इसके लिए हथियारों की खरीदारी की तैयारी शुरू कर दी थी।

तौहीदी के साथ एक नाबालिग भी इस योजना में शामिल था, जो लगातार इंटरनेट पर ISIS से जुड़ा सामग्री देखता था और ऐसे संगठनों को वित्तीय सहायता भी देता था। तौहीदी ने अपने लक्ष्य के तहत वाइट हाउस और अन्य महत्वपूर्ण स्थलों की फुटेज दिखाने वाले कैमरों की तलाश की। उसने चुनाव के दिन भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर हमले की योजना बनाई थी और AK-47 राइफल खरीदने की सोच रखी थी। इसके लिए वह उन राज्यों की खोज कर रहा था जहाँ हथियार खरीदने के कानून सख्त नहीं हैं। अभियान के दौरान, तौहीदी ने कहा कि वह और उसका साथी इस हमले के बाद "गाजी" बनना चाहते थे।

उसने बच्चों को 'शहीद' होने के फायदों के बारे में भी बताया और उन्हें आतंकवाद की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया। FBI ने तौहीदी को एक फर्जी बंदूक विक्रेता के रूप में पकड़ा। उन्होंने तौहीदी और उसके साथी से मिलकर उन्हें एक बंदूक और 500 गोलियां बेचीं। तौहीदी पर ISIS को सहायता देने और षड्यंत्र रचने के आरोप लगाए गए हैं, जिसके लिए उसे 20 साल तक की जेल हो सकती है। साथ ही, आतंकवादी हमले के लिए हथियार खरीदने के आरोप में उसे 15 साल की सजा भी हो सकती है। तौहीदी को सितंबर 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद अमेरिका में विशेष वीजा पर शरण दी गई थी, और वह अपने परिवार के साथ अमेरिका आया था। हालांकि, उसने अमेरिकी नागरिकों के खिलाफ हमले की योजना बनानी शुरू कर दी।

रतन टाटा की कहानी सुनाकर रो पड़े केंद्रीय मंत्री, बोले- जब वो हमारे घर आए और अपनी सरलता से सबका दिल जीता


उद्योगपति रतन टाटा के निधन के बाद भारत रत्न देने की मांग उठ रही है। उनके निधन पर विभिन्न क्षेत्रों से लोग, जैसे उद्योगपति, राजनेता और खिलाड़ी, शोक जता रहे हैं। इस संदर्भ में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने मीडिया के साथ एक पुरानी याद साझा की, जिसमें उन्होंने रतन टाटा के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त कीं और भावुक भी हो गए। गोयल ने याद दिलाया कि जब रतन टाटा एक बार उनके घर नाश्ते के लिए आए थे, तब उन्होंने साधारण इडली, सांभर और डोसा का आनंद लिया। गोयल ने कहा कि, उन्होंने इस नाश्ते की अत्यधिक प्रशंसा की, उनके पास दुनिया के बेहतरीन शेफ होने के बावजूद, वे सरलता की कद्र करते थे। टाटा ने नाश्ते परोसने वाले के प्रति भी दयालुता दिखाई। गोयल ने बताया कि जब टाटा उनके घर से जा रहे थे, तो उन्होंने बहुत प्रेम से उनकी पत्नी से पूछा कि क्या वह उनके साथ एक तस्वीर लेना चाहेंगी। यह उनकी विचारशीलता का एक उदाहरण था, जिसने उन्हें रतन टाटा जैसा महान व्यक्ति बना दिया, जिसे 140 करोड़ भारतीयों और पूरी दुनिया ने प्यार किया। कहा कि रतन टाटा बहुत संवेदनशील थे और उन्होंने टाटा समूह को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया। उनका व्यक्तित्व परोपकारी था, और कोविड महामारी के दौरान उन्होंने बिना किसी शर्त 1500 करोड़ रुपये दान करने का निर्णय लिया, जिससे देश को महामारी से लड़ने में मदद मिली। गोयल ने यह भी कहा कि रतन टाटा ने व्यापार को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और टाटा समूह को एक ऐसा उदाहरण बनाया, जिससे पता चलता है कि एक उद्योग कैसे ईमानदार व्यवस्थाओं के साथ विकसित हो सकता है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर जा सकता है। रतन टाटा का अंतिम संस्कार मुंबई के वर्ली श्मशान घाट पर किया जाएगा। एक बयान में कहा गया कि उनका पार्थिव शरीर शाम 4 बजे अंतिम यात्रा के लिए निकलेगा।
चीन-म्यामांर से घिरा लाओस भारत के लिए कितना अहम? जहां के दौरे पर हैं पीएम मोदी*
#pm_modi_on_visit_to_laos_why_this-country_important_for_india * प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय लाओस दौरे पर पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री यहां 21वें आसियान-भारत समिट और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। लाओस की राजधानी वियनतियाने में समिट का आयोजन किया जाएगा। इस साल लाओस आसियान सम्मेलन का मेजबान और वर्तमान अध्यक्ष है। लाओस एक छोटा सा देश है, जिसकी कुल आबादी महज 75 लाख के करीब है। भारत में बिहार की राजधानी पटना की कुल आबादी भी मौजूदा वक्‍त में करीब 75 लाख ही है। पीएम मोदी की लाओस यात्रा के बीच ये जानना जरूरी है कि आखिर भारत के लिए ये छोटा सा देश रणनीतिक रूप से कितना जरूरी है। भारत-लाओस के संबंध कैसे हैं और भारत के लिए इसे प्राथमिकता देना क्यों जरूरी है। रणनीतिक रूप से यह इसलिए अहम है क्योंकि लाओस की सीमा उत्तर-पश्चिम में म्यांमार और चीन, पूर्व में वियतनाम, दक्षिण-पूर्व में कंबोडिया और पश्चिम और दक्षिण पश्चिम में थाईलैंड से लगती है। चीन और म्यांमार से घिरे होने के कारण भारत के लिए इस देश की रणनीतिक महत्ता बढ़ जाती है। दरअसल, दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण, लाओस हमेशा से व्यापारिक नजरिए से भी अहम रहा है। यही कारण है कि इसपर कभी फ्रांस ने तो कभी जापान ने कब्जा जमाया। 1953 में जब लाओस को आजादी मिली तो चीन ने भी लाओस में अपने प्रभाव को आजमाना शुरू किया।दक्षिण चीन सागर में ड्रैगन की दादागिरी से हर कोई वाफिफ है। चीन इस क्षेत्र में अपने सभी पड़ोसियों पर धोंस जमाने की कोशिश से बाज नहीं आता। इन देशों में लाओस भी शामिल है। *भारत के लिए क्यों अहम है लाओस?* लाओस वैसे तो एक छोटा सा देश है लेकिन इसकी भौगोलिक स्थिति के चलते यह भारत के लिए रणनीतिक और व्यापारिक तौर पर काफी अहम माना जाता है। इसकी सीमा चीन और म्यांमार से लगती है, लिहाजा चीन और म्यांमार से घिरे होने के कारण यह देश रणनीतिक तौर पर भारत के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह भारत के इंडो-पैसिफिक विजन का महत्वपूर्ण स्तंभ है, साथ ही साउथ चाइना सी में चीन के बढ़ते दखल के कारण इसका महत्व और बढ़ जाता है। व्यापारिक नजरिए की बात करें तो दक्षिण पूर्व एशिया में लाओस की भौगोलिक स्थिति के कारण भी यह हमेशा से अहम रहा है। भारत के लिए लाओस कितना अहम है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1954 में और पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने 1959 में ही लाओस का दौरा किया था। लाओस को फ्रांस के कब्जे से मुक्ति दिलाने में भी भारत ने इंटरनेशनल कमीशन फॉर सुपरविजन एंड कंट्रोल (ICSC) के चेयरमैन के तौर पर अहम भूमिका निभाई थी। जुलाई 1954 में जेनेवा संधि के आधार पर ICSC की स्थापना की गई थी, इसका उद्देश्य भारत-चीन के बीच दुश्मनी को खत्म करने और लाओस से फ्रांसिसी उपनिवेशवादी शक्तियों की वापसी कराना था। *भारत और लाओस के बीच संबंध* भारत और लाओस के बीच दशकों पुराने मजबूत संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच 1956 में डिप्लोमैटिक संबंध स्थापित हुए। तब से अब तक दोनों देशों की ओर से द्विपक्षीय यात्राएं होती रहीं हैं। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1954 में ही लाओस का दौरा किया था। इसके बाद 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी ने लाओस की आधिकारिक यात्रा की थी। 2004 में मनमोहन सिंह और 2016 में प्रधानमंत्री मोदी आसियान-भारत समिट में हिस्सा लेने के लिए लाओस का दौरा कर चुके हैं। कोरोना महामारी के दौरान भारत की ओर से 50 हजार कोवैक्सीन की डोज और दवाइयां लाओस भेजी गईं थीं। हाल ही में आए तूफान यागी के दौरान भी भारत ने करीब एक लाख डॉलर की आपदा राहत सामग्री लाओस भेजी थी। इसके अलावा लाओस के साथ भारत के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सिविलाइजेशनल संबंध रहें हैं। बौद्ध धर्म और रामायण दोनों देशों की साझा विरासत का हिस्सा हैं। इसी साल 15 से 31 जनवरी के बीच लाओस के रॉयल बैलेट थियेटर के 14 आर्टिस्ट ने भारत में 7वें इंटरनेशनल रामायण मेला में भी हिस्सा लिया था।