इस क्रम में तालाब में पुरेंद्र महतो का शव उफनता हुआ पाया गया ।उन्होंने बताया कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी और इस घटना में किसी का कोई दोष नहीं है. सुरेंद्र महतो घर का इकलौता कमाऊ व्यक्ति था. उनकी मृत्यु होने पर पूरे परिवार के लोगों का रो-रो कर बुरा हाल है. इसकी जानकारी मिलने के बाद ईचागढ़ थाना की पुलिस द्वारा शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल सरायकेला भेज दिया।
सरायकेला : अष्टमी और नवमी तिथि का उससे भी ज्यादा महत्व है।
दुर्गाष्टमी व महानवमी आज ।
वैदिक पंचांग के अनुसार, 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। वैसे तो प्रत्येक साल 4 नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि और दो प्रकट नवरात्रि आती है। प्रकट नवरात्रि एक आश्विन माह में आती है, जिसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है और एक प्रकट नवरात्रि चैत्र माह में आता है, जिसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो लोग नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की पूजा करते हैं, उन्हें जीवन में किसी भी प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसे तो नवरात्रि के नौ दिनों का विशेष महत्व है, लेकिन अष्टमी और नवमी तिथि का उससे भी ज्यादा महत्व है। मान्यता है कि जो इस दिन पूजा और व्रत रखने से पूरे नवरात्रि का फल मिल जाते हैं।
कब है अष्टमी-नवमी तिथि?
वैदिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 अक्टूबर 2024 दिन गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर हो रही है और समाप्ति अगले दिन यानी 11 अक्टूबर 2024 दिन शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 6 मिनट पर होगी। इस मुहूर्त के बाद नवमी तिथि लग जाएगी, जो अगले दिन यानी 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। पंचांग के अनुसार, अष्टमी और नवमी तिथि का व्रत 11 अक्टूबर को रखा जाएगा।
अष्टमी-नवमी शुभ मुहूर्त ।चर मुहूर्त – सुबह 6 बजकर 20 मिनट से सुबह 07 बजकर 47 मिनट लाभ मुहूर्त– सुबह 07 बजकर 47 मिनट से सुबह 09 बजकर 14 मिनट अमृत मुहूर्त– सुबह 09 बजकर 14 मिनट से सुबह 10 बजकर 41 मिनट
अष्टमी-नवमी का महत्व । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अष्टमी और नवमी का महत्व सनातन धर्म में विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाष्टमी के दिन कन्या पूजन के साथ ही साथ माता दुर्गा की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन संधि पूजा भी की जाती है। यानी अष्टमी तिथि के अंतिम चौबीस मिनट और नवमी तिथि से पहले 24 मिनट होती है। उसे ही संधिकाल पूजा कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवरात्रि के अष्टमी व नवमी तिथि के दिन पूजा करने से सारी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही साथ माता रानी का आशीर्वाद भी मिलता है।
शारदीय नवरात्रि व्रत पारण।
इस साल शारदीय नवरात्रि व्रत का पारण आप कन्या पूजन के बाद कर सकते हैं। हालांकि, नवरात्रि व्रत के पारण के लिए सबसे उपयुक्त समय नवमी की समाप्ति के बाद माना जाता है, जब दशमी तिथि प्रचलित हो।
कन्या पूजन कब है?
इस साल अष्टमी और नवमी तिथि एक दिन ही है, जिसके कारण केवल 11 अक्टूबर 2024 को ही कन्या पूजन करना शुभ रहेगा। 11 अक्टूबर 2024 को कन्या पूजन करने का शुभ मुहूर्त प्रात: काल से लेकर सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक है। इसके बाद दोपहर 12 बजकर 08 मिनट तक राहुकाल रहेगा, जिस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।
Oct 11 2024, 12:10