शारदीय नवरात्रःपहले दिन हो रही शैलपुत्री स्वरूप की पूजा, जानें क्या है कथा*
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नवरात्रि, देवी दुर्गा को समर्पित नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार है। इन दिनों के दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती आ रही है। इसमें महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, योगमाया, रक्तदंतिका, शाकुंभरी देवी, दुर्गा, भ्रामरी देवी व चंडिका प्रमुख हैं। इन नौ रूपों को शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री नामों से जाना जाता है। शारदीय नवरात्रि पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होता है और नवमी तिथि तक चलता है। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना का विधान है। इस दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। *ऐसा है मां शैलपुत्री का स्वरूप* शैलपुत्री का संस्कृत में अर्थ होता है ‘पर्वत की बेटी’। मां शैलपुत्री के स्वरूप की बात करें तो मां के माथे पर अर्ध चंद्र स्थापित है। मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल का फूल है। वे नंदी बैल की सवारी करती हैं। *मां शैलपुत्री से जुड़ी पौराणिक कथा* मां दुर्गा अपने पहले स्वरुप में 'शैलपुत्री' के नाम से पूजी जाती हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। अपने पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थीं तब इनका नाम सती था। इनका विवाह भगवान शंकर जी से हुआ था। एक बार प्रजापति दक्ष ने बहुत बड़ा यज्ञ किया जिसमें उन्होंने सारे देवताओं को अपना-अपना यज्ञ भाग प्राप्त करने के लिए निमंत्रित किया किन्तु शंकर जी को उन्होंने इस यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया। देवी सती ने जब सुना कि हमारे पिता एक अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं,तब वहां जाने के लिए उनका मन विकल हो उठा। अपनी यह इच्छा उन्होंने भगवान शिव को बताई। भगवान शिव ने कहा-''प्रजापति दक्ष किसी कारणवश हमसे रुष्ट हैं,अपने यज्ञ में उन्होंने सारे देवताओं को निमंत्रित किया है किन्तु हमें जान-बूझकर नहीं बुलाया है। ऐसी स्थिति में तुम्हारा वहां जाना किसी प्रकार भी श्रेयस्कर नहीं होगा।'' शंकर जी के इस उपदेश से देवी सती का मन बहुत दुखी हुआ। पिता का यज्ञ देखने वहां जाकर माता और बहनों से मिलने की उनकी व्यग्रता किसी प्रकार भी कम न हो सकी। उनका प्रबल आग्रह देखकर शिवजी ने उन्हें वहां जाने की अनुमति दे दी। *सती ने खुद को योगाग्नि में खुद को भस्म कर दिया* सती ने पिता के घर पहुंचकर देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेम से बातचीत नहीं कर रहा है। केवल उनकी माता ने ही स्नेह से उन्हें गले लगाया। परिजनों के इस व्यवहार से देवी सती को बहुत क्लेश पहुंचा। उन्होंने यह भी देखा कि वहां भगवान शिव के प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है,दक्ष ने उनके प्रति कुछ अपमानजनक वचन भी कहे। यह सब देखकर सती का ह्रदय ग्लानि और क्रोध से संतप्त हो उठा। उन्होंने सोचा कि भगवान शंकर जी की बात न मानकर यहाँ आकर मैंने बहुत बड़ी गलती की है।वह अपने पति भगवान शिव के इस अपमान को सहन न कर सकीं, उन्होंने अपने उस रूप को तत्काल वहीं योगाग्नि द्वारा जलाकर भस्म कर दिया। *शैलपुत्री के रूप में फिर शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं* इस दारुणं-दुखद घटना को सुनकर शंकर जी ने क्रुद्ध हो अपने गणों को भेजकर दक्ष के उस यज्ञ का पूर्णतः विध्वंस करा दिया। सती ने योगाग्नि द्वारा अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस बार वह शैलपुत्री नाम से विख्यात हुईं। पार्वती,हेमवती भी उन्हीं के नाम हैं। इस जन्म में भी शैलपुत्री देवी का विवाह भी शंकर जी से ही हुआ।
फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची असली एनसीपी की लड़ाई, चुनाव से पहले शरद पवार ने रखी ये मांग

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) बनाम एनसीपी विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।महाराष्ट्र में इसी साल नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। उससे पहले शरद पवार ने महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों के दौरान अजित पवार को ‘घड़ी’ चिह्न का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।उन्होंने कोर्ट में एक नई याचिका दायर की है। आगामी विधानसभा चुनाव में अजित पवार गुट को 'घड़ी' चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल करने से रोकने की मांग की है।

शरद पवार गुट ने अपनी याचिका में कहा है कि अजित पवार गुट को विधानसभा चुनाव के लिए एक नया सिंबल अलॉट किया जाए। शरद पवार गुट ने कहा है कि लोकसभा चुनावों के दौरान अजित पवार गुट ने 'घड़ी' सिंबल पर चुनाव लड़ा था, जिससे मतदाताओं में भ्रम पैदा हुआ और उन्हें यह समझने में कठिनाई हुई कि असली एनसीपी कौन है। शरद पवार गुट का कहना है कि जब तक सिंबल मामले पर चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ दाखिल उसकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट फैसला नहीं देता, तब तक अजित पवार गुट को नया सिंबल अलॉट किया जाना चाहिए। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 15 अक्टूबर को सुनवाई करेगा।

उधर, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले एनसीपी (शरद पवार) ने बुधवार को राज्य सरकार के खिलाफ एक आरोप पत्र पेश किया। इसमें राज्य से उद्योगों के पलायन और कानून-व्यवस्था के ध्वस्त होने का दावा किया।शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी ने महाराष्ट्र की आर्थिक गिरावट, उद्योगों के पलायन और महिला सुरक्षा सहित 10 महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक अभियान शुरू किया। लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले और पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल के नेतृत्व में पार्टी नेताओं ने मंत्रालय के पास महात्मा गांधी की प्रतिमा से पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा तक मार्च किया और बाद में दक्षिण मुंबई के हुतात्मा चौक तक पैदल मार्च किया।

पीएम मोदी ने नीरज चोपड़ा की मां को क्यों लिखा पत्र? बोले- 9 दिन व्रत में मिलेगी राष्ट्र सेवा के लिए शक्ति!*
#pm_modi_write_a_letter_for_neeraj_chopra_mother प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा की मां को चिट्ठी लिखी है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पत्र में नीरज चोपड़ा की मां की ओर से भेजे गए तोहफे की तारीफ की है।पीएम मोदी भारत के जेवलिन थ्रो स्टार नीरज चोपड़ा से उनकी मां के हाथ का चूरमा खाने की फरमाइश की थी। जिसके बाद नीरज चोपड़ा ने मंगलवार को पीएम मोदी ने जमैका के प्रधानमंत्री से मुलाकात की। इस अवसर पर गोल्डन ब्वॉय नीरज चोपड़ा ने उन्हें मां के हाथ का चूरमा खिला दिया। जिसे खाने के बाद पीएम को अपनी मां की याद आ गई और उन्होंने नीरज चोपड़ा की मां के लिए एक पत्र लिख दिया। पीएम मोदी ने लिखा कि, आदरणीया सरोज देवी जी कल जमैका के प्रधानमंत्री जी की भारत यात्रा के अवसर पर आयोजित भोज में मुझे भाई नीरज से मिलने का अवसर मिला। उनसे चर्चाओं के बीच मेरी खुशी तब और बढ़ गई, जब उन्होंने मुझे आपके हाथों से बना स्वादिष्ट चूरमा दिया। पीएम ने लिखा कि आज इस चूरमे को खाने के बाद आपको पत्र लिखने से खुद को रोक ना सका। भाई नीरज अक्सर मुझसे इस चूरमे की चर्चा करते हैं, लेकिन आज इसे खाकर मैं भावुक हो गया। आपके अपार स्नेह और अपनेपन से भरे इस उपहार ने, मुझे मेरी मां की याद दिला दी। पीएम ने आगे लिखा कि मां शक्ति, वात्सल्य और समर्पण का रूप होती है। यह संयोग ही है कि मुझे मां का ये प्रसाद नवरात्र पर्व के एक दिन पहले मिला है। मैं नवरात्रि के इन 9 दिनों में उपवास करता हूं। एक तरह से आपका ये चूरमा मेरे उपवास के पहले मेरा मुख्य अन्न बन गया है। 'राष्ट्र सेवा की शक्ति देगा ये चूरमा' उन्होंने लिखा कि जिस तरह आपका बनाया भोजन जैसे भाई नीरज को देश के लिए मेडल जीतने की ऊर्जा देता है। वैसे ही ये चूरमा, अगले 9 दिन मुझे राष्ट्र सेवा की शक्ति देगा। पीएम ने लिखा कि शक्ति पर्व नवरात्र के इस अवसर पर मैं आपके साथ, देशभर की मातृशक्ति को ये विश्वास दिलाता हूं कि मैं विकसित भारत के संकल्प को साकार करने के लिए और अधिक सेवाभाव से निरंतर काम में जुटा रहूंगा। पीएम ने ओलंपिक 2024 में की थी फरमाइश पेरिस ओलंपिक 2024 में नीरज चोपड़ा ने सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया था. जिसके बाद पीएम मोदी ने ओलंपिक्स में सभी एथलीट्स को संबोधित किया. उस दौरान पीएम ने नीरज चोपड़ा से उनकी मां के हाथ का चूरमा खाने की फरमाइश रख दी थी जो अब पूरी हो चुकी है.
इजरायल ने यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस पर लगाया बैन, कहा- संयुक्त राष्ट्र के लिए धब्बा*
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इजराइल हमास युद्ध के बीच इजरायल और ईरान के बीच सीधी जंग छिड़ गई है। लेबनान पर हिजबुल्लाह के ठिकानों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद ईरान ने इजराइल पर हमला बोल दिया। ईरान की ओर से हमले के बाद इजराइल ने यूएन चीफ एंटोनियो गुटेरेस के इजराइल आने पर रोक लगा दी है। इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपने देश में बैन लगा दिया है। इस बैन के बाद संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस अब इजरायल की यात्रा नहीं कर पाएंगे। बता दें कि, मंगलवार रात ईरान ने इजराइल पर 200 के करीब बैलिस्टिक मिसाइल दागी थीं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इजराइल के विदेश मंत्री ने कहा कि यूएन चीफ ने ईरान के हमलों की निंदा नहीं की, जिसके बाद यह फैसला लिया गया। इजरायल के विदेश मंत्री कैट्ज ने कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को इजरायल में प्रवेश करने से रोक दिया है। विदेश मंत्री काट्ज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को इजरायल के भीतर एक अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया है। साथ ही देश में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कैट्ज ने कहा कि जो व्यक्ति इजरायल पर ईरान के आपराधिक हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करने में असमर्थ है, वह इजरायल की धरती पर पैर रखने के लायक नहीं है। यह इजरायल से नफरत करने वाला महासचिव है, जो आतंकवादियों, बलात्कारियों और हत्यारों को समर्थन देता है। गुटेरेस को संयुक्त राष्ट्र के इतिहास पर एक दाग के रूप में याद किया जाएगा। इजरायल की तरफ से यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है, जब ईरान ने इजरायल पर भारी संख्या में मिसाइल हमला किया है। यही नहीं, संयुक्त राष्ट्र हमेशा फिलिस्तीनियों के हित की बात करता है रहा है। इसके साथ ही इजरायल पर उनको मानवीय मदद पहुंचाने को लेकर दबाव बनाता रहा है। ईरानी की तरफ से किए गए हमले के बाद इजरायल का समर्थन नहीं करने पर इजरायल ने एंटोनियो गुटेरेस पर बैन लगा दिया है।
BSNL को लेकर केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सिंधिया ने कर दिया बड़ा ऐलान, साल के अंत तक लगेंगे एक लाख टावर, पढ़िए, और भी किए बड़े ऐलान

केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीएसएनएल के 25 वें स्थापना दिवस पर कई बड़े ऐलान किए हैं. उन्होंने कहा है कि जून 2025 तक देश में एक लाख नए टावर लग जाएंगे, जो कि दूरसंचार के क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. सिंधिया ने कहा कि इस बार 3 गुना तेजी से काम किया जाएगा. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि भारत में 119 करोड़ दूरसंचार के उपभोक्ता है जबकि बीएसएनएल के 9 से 10 करोड़ उपभोक्ता है.

सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का दूरसंचार क्षेत्र केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व पटल पर अपना वर्चस्व बनाए रखा है. इसका सबसे बड़ा कारण डिजिटल इंडिया का स्लोगन है. सिंधिया ने यह भी कहा की जून 2025 तक देश में 1 लाख नए टावर लग जाएंगे. नए टावर लगने से उपभोक्ताओं को आने वाले समय में और भी सुविधा मिलेगी. उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया स्लोगन इसलिए भी सफल हुआ है क्योंकि देश में होने वाले 15 लाख करोड़ से अधिक के ट्रांजैक्शन देश विश्व के ट्रांजैक्शन के अनुपात में 40% है. दूरसंचार विभाग के लिए यह भी सबसे बड़ी उपलब्धि है.

केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मोदी सरकार का तीसरा टर्म है, इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इस बार 3 गुना तेजी से विकास कार्य किए जाएंगे और तीन गुना मेहनत की जाएगी. जिसके परिणाम भी तीन गुना आएंगे. इसी फार्मूले के साथ दूरसंचार विभाग भी तीन गुना तेजी से काम करेगा.

अवैध है जामा मस्जिद, इसे गिराओ', हिमाचल की राजधानी शिमला के बाद अब कुल्लू में हिन्दुओं ने किया प्रदर्शन

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के पश्चात् अब हिन्दू संगठनों ने कुल्लू में स्थित एक अन्य मस्जिद को अवैध बताते हुए विरोध शुरू कर दिया है। इस बार कुल्लू के अखाड़ा बाजार में स्थित जामा मस्जिद को गिराने की माँग की जा रही है। सोमवार (30 सितंबर 2024) को हिन्दू संगठनों ने एक बड़े जुलूस के माध्यम से विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें पुलिस के साथ हल्की धक्का-मुक्की भी हुई। वर्तमान में मस्जिद के आसपास सुरक्षा के मद्देनज़र भारी आंकड़े में पुलिस बल तैनात किया गया है। यह मांग अब तक जारी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विवादित मस्जिद कुल्लू के अखाड़ा बाजार में स्थित है तथा इसे मुस्लिम समुदाय जामा मस्जिद के नाम से जानता है। प्रशासन ने इस मस्जिद को वैध ठहराया है, किन्तु हिन्दू संगठनों का दावा है कि इसका निर्माण अवैध है। सोमवार को इन संगठनों ने लगभग 3 किलोमीटर लंबा जुलूस निकाला, जिसे ‘धर्म जागरण यात्रा’ का नाम दिया गया। इस यात्रा के चलते ढोल-नगाड़े बजते रहे तथा लोगों ने पारंपरिक परिधान पहनकर भगवा ध्वज लहराया। जुलूस का आरम्भ रामशिला से हुआ, जिसमें बड़े आंकड़े में लोग सम्मिलित थे। जब यह जुलूस जामा मस्जिद के पास पहुँचा, तो कुछ प्रदर्शनकारी उत्तेजित हो गए और मस्जिद की तरफ बढ़ने लगे। पुलिस ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से इन्हें रोकने का प्रयास किया, जिसके चलते हल्की धक्का-मुक्की हुई।

हालांकि, पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में रखते हुए जुलूस को शांतिपूर्ण ढंग से आगे बढ़ने दिया तथा मस्जिद के पास कोई प्रदर्शन नहीं होने दिया। प्रशासन ने एहतियात के तौर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 163 लागू कर दी थी।प्रदर्शनकारियों ने हनुमान चालीसा का पाठ करने के पश्चात् सनातन धर्म की रक्षा की शपथ ली और मस्जिद को गिराने की माँग को लेकर प्रशासन से वार्ता की। उपायुक्त तोरुल एस रवीश एवं SDM विकास शुक्ला ने मस्जिद के वैध दस्तावेज़ दिखाए, मगर प्रदर्शनकारी इससे संतुष्ट नहीं हुए। SDM विकास शुक्ला ने बताया कि अखाड़ा बाजार की जामा मस्जिद वक्फ बोर्ड के अधीन है, इसके बाद भी प्रदर्शनकारियों ने अधिक उग्र प्रदर्शन करने की चेतावनी दी।

गौरतलब है कि 21 जून 2017 को विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने इस मस्जिद को अवैध बताते हुए नगर परिषद कुल्लू से शिकायत की थी। 28 जून को नगर परिषद ने एक नोटिस जारी किया, तत्पश्चात, मस्जिद का निर्माण कार्य रोक दिया गया था। यह मस्जिद 14 जुलाई 2000 से अस्तित्व में है, जहाँ पहले एक मंजिल थी तथा बाद में तीन मंजिलें बनाई गईं। हालांकि, आरोप है कि मस्जिद का निर्माण स्वीकृत नक्शे के अनुरूप नहीं हुआ, जिसकी तहकीकात शहरी विकास विभाग द्वारा की जा रही है। हिन्दू संगठनों ने अब प्रशासन पर सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी का आरोप लगाते हुए इस मामले को अदालत में ले जाने की घोषणा की है।

शराब खरीदने के पैसे नहीं दिए तो मां को मारकर सारे अंग खा गया बेटा, कोर्ट ने कहा, ऐसे नरभक्षी को मौत की सजा भी कम

महाराष्ट्र के कोल्हापुर से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है यहाँ आज से 7 वर्ष पहले, यानी 2017 में, एक कलयुगी बेटे ने अपनी ही मां का क़त्ल कर दिया था। उसने शव के टुकड़े किए और एक-एक अंग को पकाकर खा गया। कोल्हापुर की जिला न्यायालय ने तब बेटे को दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी। मामला बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा, जहां अदालत ने मंगलवार को इस केस में अपना फैसला सुनाया। जज ने कहा कि ऐसा बेटा नरभक्षी से कम नहीं है तथा उसकी मौत की सजा बरकरार रखी जाए।

जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि यह मामला ‘दुर्लभतम में से दुर्लभतम’ है, जिसमें दोषी के सुधार की कोई संभावना नहीं है। इसलिए उसकी मौत की सजा कम नहीं की जा सकती है। अदालती कार्यवाही के चलते, 7 वर्ष पहले हुए इस खौफनाक अपराध की कहानी कोर्टरूम में सुनाई गई। बताया गया कि दोषी कुचकोरवी ने न सिर्फ अपनी 63 वर्षीय मां यल्लामा रामा कुचकोरवी की हत्या की, बल्कि उसने मां की लाश को टुकड़े-टुकड़े कर उसके मस्तिष्क, हृदय, यकृत, गुर्दे एवं आंतों समेत कई अंगों को पकाकर खाया।

अदालत में बताया गया कि नरभक्षी बेटे कुचकोरवी को तब पकड़ा गया जब वह मां की लाश से दिल निकालकर उसे पकाने की तैयारी कर रहा था। अभियोजन पक्ष ने बताया कि जब सुनील कुचकोरवी की मां ने शराब खरीदने के लिए उसे पैसे देने से इनकार किया, तब उसने मां की खौफनाक तरीके से क़त्ल कर दिया। मां की नृशंस हत्या एवं खौफनाक तरीके से लाश को टुकड़े-टुकड़े कर अंग खाने की कहानी जानकर उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से दुर्लभतम श्रेणी में आता है। पीठ ने कहा कि दोषी ने न सिर्फ अपनी मां की हत्या की है, बल्कि उसके अंगों को पकाकर खाया भी है, जो जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है। उच्च न्यायालय ने कहा कि अपराधी की प्रवृत्तियों को देखते हुए उसमें सुधार के कोई लक्षण नहीं हैं।

न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि इसकी मौत की सजा कम कर आजीवन कारावास में तब्दील की जाती है, तो वह इसी प्रकार के अपराध कर सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, खंडपीठ ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि यदि इस अपराधी को आजीवन कारावास की सजा दी जाती है, तो वह जेल के अंदर भी इसी प्रकार का अपराध कर सकता है। फिलहाल कुचकोरवी पुणे की यरवदा जेल में बंद है तथा उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश किया गया था।

वाराणसी में साईं की प्रतिमाओं को गंगा में किया जा रहा है प्रवाहित, सौ मंदिरों की सूची तैयार, जानिए, पूरा मामला

उत्तर प्रदेश की धर्मनगरी काशी में कई मंदिरों से शिरडी साईं बाबा की मूर्तियां हटाई जा रही हैं। अब तक 14 मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमाएं हटा दी गई हैं। यह कदम केंद्रीय ब्राह्मण सभा के विरोध के पश्चात् उठाया गया, जिसमें साईं बाबा की पूजा को हिन्दू धर्म के खिलाफ बताया गया था। प्रतिमाएं हटाने से पहले संबंधित मंदिरों से सहमति ली गई तथा उन्हें विधि-विधान से गंगा नदी में विसर्जित किया जा रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वाराणसी के प्रमुख मंदिरों में से साईं बाबा की मूर्तियां हटाई गई हैं, जिनमें बड़ा गणेश मंदिर, त्र्यंबकेश्वर मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, एवं पुरुषोत्तम मंदिर समेत 14 मंदिर सम्मिलित हैं। सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने बताया कि कुल 100 मंदिरों की सूची तैयार की गई है, जहाँ से साईं बाबा की प्रतिमाओं को हटाया जाएगा। इनमें अगस्त्यकुंडा और भूतेश्वर जैसे पौराणिक स्थल भी सम्मिलित हैं। अजय शर्मा का दावा है कि काशी महादेव शिव की नगरी है, तथा अनजाने में लोग साईं बाबा की पूजा करने लगे थे। उन्होंने बताया कि जिन मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमाएं हटाई जा रही हैं, वे 2013 में स्थापित की गई थीं। प्रतिमाओं को हटाने के बाद विधिपूर्वक गंगा में विसर्जित किया जा रहा है। बड़ा गणेश मंदिर में साईं बाबा की मूर्ति की जगह माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

अजय शर्मा ने यह भी कहा कि साईं बाबा की पूजा करने वालों को अपने घरों में पूजा करने की छूट है, या वे चाहें तो अलग से एक मंदिर का निर्माण कर सकते हैं। मंदिरों से प्रतिमाएं हटाने से पहले मंदिर प्रबंधन की सहमति ली जा रही है। बड़ा गणेश मंदिर के महंत रम्मू गुरु ने बताया कि लोग अज्ञानता के कारण साईं बाबा की पूजा कर रहे थे। अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी ने भी इस कदम का समर्थन किया, उनका कहना है कि शास्त्रों में शिरडी साईं बाबा की पूजा का कोई विधान नहीं है। हालाँकि, समाजवादी पार्टी के MLC आशुतोष सिंह तथा कुछ अन्य लोग इस कदम का विरोध कर रहे हैं।

सद्गुरु जग्गी वासुदेव के आश्रम में तमिलनाडु पुलिस ने भेज दी पूरी बटालियन, डिटेल में पढ़िए, क्या है पूरा माजरा

सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन ने कहा है कि वह लोगों पर शादी करने या संन्यास लेने के लिए कोई दबाव नहीं डालता। यह बयान मंगलवार (1 अक्टूबर, 2024) को कोयम्बटूर के थोंडामुथुर स्थित ईशा फाउंडेशन में पुलिस के सैकड़ों जवानों तथा अफसरों के पहुंचने के पश्चात् आया। पुलिस टीम संस्थान में मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के तहत पहुंची थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार को पुलिस के चार बड़े अफसरों समेत 150 जवानों की टीम थोंडामुथुर स्थित ईशा फाउंडेशन के अंदर गई थी। इस पुलिस टीम ने आश्रम में रहने वाले लोगों का सत्यापन किया तथा अंदर के तौर-तरीकों की जानकारी भी ली। यह जांच बुधवार (2 अक्टूबर, 2024) को भी जारी है। पुलिस टीम ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पूर्व में दर्ज किए गए मामलों की जानकारी इकट्ठा करना भी शुरू कर दिया है। इसके साथ ही समाज कल्याण और बाल कल्याण विभाग के अफसरों ने भी आश्रम में जांच के लिए प्रवेश किया। यह पुलिस जांच मद्रास उच्च न्यायालय में सुनवाई के पश्चात् आरम्भ हुई है। सोमवार (30 सितंबर, 2024) को मद्रास हाई कोर्ट में ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दायर की गई एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई हुई थी। इस याचिका में एक वरिष्ठ नागरिक ने आरोप लगाया कि उसकी दो बेटियों को आश्रम में कैद कर लिया गया है और उन्हें बाहर नहीं आने दिया जाता। उन्होंने यह भी कहा कि वहां ऐसा खाना और दवाइयाँ दी जाती हैं, जिससे लोगों की क्षमताएँ कम हो जाती हैं।

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि उनकी बेटियों का आश्रम में जाने से पहले अच्छा करियर था, मगर वहां जाने के पश्चात् उनका करियर ठप हो गया। याचिकाकर्ता का कहना था कि सद्गुरु जग्गी का आश्रम लोगों को सामान्य जीवन छोड़कर साधु बनने के लिए ब्रेनवाश करता है। यह भी आरोप लगाया गया कि इस के चलते लोगों को उनके परिवार से मिलने नहीं दिया जाता तथा उनका बाहरी दुनिया से संपर्क काट दिया जाता है। मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले में सद्गुरु जग्गी वासुदेव एवं ईशा फाउंडेशन को आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने कहा, "हम जानना चाहते हैं कि एक व्यक्ति जिसने अपनी बेटी की शादी कर दी तथा उसका जीवन अच्छे से स्थापित कर दिया, वह दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और एकांत में जीवन जीने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहा है?"

मद्रास उच्च न्यायालय की सुनवाई के चलते याचिकाकर्ता की दोनों बेटियाँ भी मौजूद थीं। बेटियों ने दावा किया कि वे अपनी मर्जी से आश्रम के भीतर हैं तथा उन्होंने दबाव की बात मानने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने याचिकाकर्ता की बेटियों को भी आड़े हाथों लिया तथा कहा कि जो लोग संत बनते हैं वे सभी से प्रेम करते हैं, लेकिन ये दोनों महिलाएँ अपने पिता से बदतमीजी से बात कर रही हैं और उनसे घृणा रखती हैं। कोर्ट ने पूछा कि क्या अपने परिजनों से घृणा रखना पाप नहीं है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता की याचिका में किए गए गंभीर दावों के आधार पर प्रशासन को आदेश दिया है कि वह ईशा फाउंडेशन के आश्रम के भीतर जांच करे तथा इसकी रिपोर्ट न्यायालय के सामने पेश करे। इस दौरान ईशा फाउंडेशन ने न्यायालय में कहा कि वह किसी से संन्यास लेने को नहीं कहते। इस संबंध में ईशा फाउंडेशन ने एक प्रेस रिलीज भी जारी की है।

फाउंडेशन ने कहा, "ईशा फाउंडेशन की स्थापना सद्गुरु ने लोगों को योग तथा आध्यात्मिकता प्रदान करने के लिए की थी। हमारा मानना ​​है कि वयस्क व्यक्ति को अपना रास्ता चुनने की स्वतंत्रता और समझ है। हम लोगों से शादी करने या साधु बनने के लिए नहीं कहते, क्योंकि ये व्यक्तिगत इच्छाएँ हैं। ईशा योग केंद्र में हजारों लोग रहते हैं जो साधु नहीं हैं, और कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने ब्रह्मचर्य या संन्यास लिया है।" ईशा फाउंडेशन ने याचिकाकर्ता पर भी कई आरोप लगाए हैं। ईशा फाउंडेशन ने बताया कि याचिकाकर्ता ने एक बार झूठी जानकारी के आधार पर आश्रम में घुसने की कोशिश की थी। फाउंडेशन ने कहा है कि याचिकाकर्ता द्वारा दर्ज किए गए मामलों के अतिरिक्त उनके खिलाफ कोई अन्य मुकदमा दर्ज नहीं है।

सद्गुरु जग्गी वासुदेव के आश्रम में तमिलनाडु पुलिस ने भेज दी पूरी बटालियन, डिटेल में पढ़िए, क्या है पूरा माजरा

सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन ने कहा है कि वह लोगों पर शादी करने या संन्यास लेने के लिए कोई दबाव नहीं डालता। यह बयान मंगलवार (1 अक्टूबर, 2024) को कोयम्बटूर के थोंडामुथुर स्थित ईशा फाउंडेशन में पुलिस के सैकड़ों जवानों तथा अफसरों के पहुंचने के पश्चात् आया। पुलिस टीम संस्थान में मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के तहत पहुंची थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार को पुलिस के चार बड़े अफसरों समेत 150 जवानों की टीम थोंडामुथुर स्थित ईशा फाउंडेशन के अंदर गई थी। इस पुलिस टीम ने आश्रम में रहने वाले लोगों का सत्यापन किया तथा अंदर के तौर-तरीकों की जानकारी भी ली। यह जांच बुधवार (2 अक्टूबर, 2024) को भी जारी है। पुलिस टीम ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पूर्व में दर्ज किए गए मामलों की जानकारी इकट्ठा करना भी शुरू कर दिया है। इसके साथ ही समाज कल्याण और बाल कल्याण विभाग के अफसरों ने भी आश्रम में जांच के लिए प्रवेश किया। यह पुलिस जांच मद्रास उच्च न्यायालय में सुनवाई के पश्चात् आरम्भ हुई है। सोमवार (30 सितंबर, 2024) को मद्रास हाई कोर्ट में ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दायर की गई एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई हुई थी। इस याचिका में एक वरिष्ठ नागरिक ने आरोप लगाया कि उसकी दो बेटियों को आश्रम में कैद कर लिया गया है और उन्हें बाहर नहीं आने दिया जाता। उन्होंने यह भी कहा कि वहां ऐसा खाना और दवाइयाँ दी जाती हैं, जिससे लोगों की क्षमताएँ कम हो जाती हैं।

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि उनकी बेटियों का आश्रम में जाने से पहले अच्छा करियर था, मगर वहां जाने के पश्चात् उनका करियर ठप हो गया। याचिकाकर्ता का कहना था कि सद्गुरु जग्गी का आश्रम लोगों को सामान्य जीवन छोड़कर साधु बनने के लिए ब्रेनवाश करता है। यह भी आरोप लगाया गया कि इस के चलते लोगों को उनके परिवार से मिलने नहीं दिया जाता तथा उनका बाहरी दुनिया से संपर्क काट दिया जाता है। मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले में सद्गुरु जग्गी वासुदेव एवं ईशा फाउंडेशन को आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने कहा, "हम जानना चाहते हैं कि एक व्यक्ति जिसने अपनी बेटी की शादी कर दी तथा उसका जीवन अच्छे से स्थापित कर दिया, वह दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और एकांत में जीवन जीने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहा है?"

मद्रास उच्च न्यायालय की सुनवाई के चलते याचिकाकर्ता की दोनों बेटियाँ भी मौजूद थीं। बेटियों ने दावा किया कि वे अपनी मर्जी से आश्रम के भीतर हैं तथा उन्होंने दबाव की बात मानने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने याचिकाकर्ता की बेटियों को भी आड़े हाथों लिया तथा कहा कि जो लोग संत बनते हैं वे सभी से प्रेम करते हैं, लेकिन ये दोनों महिलाएँ अपने पिता से बदतमीजी से बात कर रही हैं और उनसे घृणा रखती हैं। कोर्ट ने पूछा कि क्या अपने परिजनों से घृणा रखना पाप नहीं है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता की याचिका में किए गए गंभीर दावों के आधार पर प्रशासन को आदेश दिया है कि वह ईशा फाउंडेशन के आश्रम के भीतर जांच करे तथा इसकी रिपोर्ट न्यायालय के सामने पेश करे। इस दौरान ईशा फाउंडेशन ने न्यायालय में कहा कि वह किसी से संन्यास लेने को नहीं कहते। इस संबंध में ईशा फाउंडेशन ने एक प्रेस रिलीज भी जारी की है।

फाउंडेशन ने कहा, "ईशा फाउंडेशन की स्थापना सद्गुरु ने लोगों को योग तथा आध्यात्मिकता प्रदान करने के लिए की थी। हमारा मानना ​​है कि वयस्क व्यक्ति को अपना रास्ता चुनने की स्वतंत्रता और समझ है। हम लोगों से शादी करने या साधु बनने के लिए नहीं कहते, क्योंकि ये व्यक्तिगत इच्छाएँ हैं। ईशा योग केंद्र में हजारों लोग रहते हैं जो साधु नहीं हैं, और कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने ब्रह्मचर्य या संन्यास लिया है।" ईशा फाउंडेशन ने याचिकाकर्ता पर भी कई आरोप लगाए हैं। ईशा फाउंडेशन ने बताया कि याचिकाकर्ता ने एक बार झूठी जानकारी के आधार पर आश्रम में घुसने की कोशिश की थी। फाउंडेशन ने कहा है कि याचिकाकर्ता द्वारा दर्ज किए गए मामलों के अतिरिक्त उनके खिलाफ कोई अन्य मुकदमा दर्ज नहीं है।