सरायकेला: आद्रा मंडल द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती एवं स्वच्छ भारत अभियान की 10वीं वर्षगांठ धूमधाम से मनाई गई।...
सरायकेला: आद्रा मंडल द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती एवं स्वच्छ भारत अभियान की 10वीं वर्षगांठ धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर स्वच्छता ही सेवा- 2024, जिसका मुख्य विषय "स्वभाव स्वच्छता, संस्कार स्वच्छता" रहा। इस विशेष मौके पर स्वच्छता से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में आयोजित मुख्य कार्यक्रम से हुई, जहां रघुनाथपुर के विधायक, श्री विवेकानंद बाउरी, तथा आद्रा मंडल के मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम), श्री सुमित नरूला की अध्यक्षता में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर मंडल के विभिन्न विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भी महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके पश्चात, मंडल रेल प्रबंधक श्री सुमित नरूला ने आद्रा स्टेशन और डीआरएम कार्यालय परिसर का निरीक्षण किया, जहां उन्होंने स्वच्छता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सभी को स्वच्छता बनाए रखने के लिए प्रेरित किया। महात्मा गांधी जयंती के उपलक्ष्य पर माननीय सांसद, पुरुलिया, श्री ज्योतिर्मय सिंह महतो की उपस्थिति में पुरुलिया स्टेशन पर वृक्षारोपण और स्वच्छता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें स्टेशन के विभिन्न रेल अधिकारियों, कर्मचारियों, और स्थानीय लोगों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। आद्रा मंडल के विभिन्न स्टेशनों, रेलवे आवासीय परिसरों, डिविजनल रेलवे हॉस्पिटल (DRH), आद्रा, मंडल की अन्य स्वास्थ्य इकाइयों, रेलवे विद्यालयों और रेलवे सुरक्षा बल बैरकों में गहन सफाई अभियान चलाया गया। इसके साथ ही प्रभात फेरी, नुक्कड़ नाटक, मानव श्रृंखला, स्वच्छता जागरूकता सेमिनार, विभिन्न प्रतियोगिताओं और सर्व धर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।इन कार्यक्रमों में मंडल के विभिन्न अधिकारियों, कर्मचारियों, विद्यालयों और कॉलेजों के शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और श्रमदान किया। सभी ने स्वच्छता की शपथ ली और आयोजित सेमिनारों में भाग लिया। इसके अलावा, जागरूकता पोस्टर, नुक्कड़ नाटक और मानव श्रृंखला के माध्यम से यात्रियों को स्वच्छता का महत्व समझाया गया। यात्रियों से यह अपील की गई कि वे अपने जीवन में स्वच्छता को अपनाएं और अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ बनाए रखें।
सरायकेला : बीते 15 दिनों से लगातार बामनी नदी तट पर हो रहा था जल तर्पण। शास्त्रों में आश्विन मास में पितरों के मोक्ष प्राप्ति के निमित्त गंगा जल
रायकेला : हिंदू धर्म शास्त्रों में पर पूर्वजों के मृत आत्मा की शांति व उनके मोक्ष प्राप्ति के लिए परिवार के लोगों द्वारा आश्विन मास में जल तर्पण की महत्ता वर्णित है। हालांकि लोग नदी व तालाब के तट पर भी पितरों के निमित्त जल तर्पण कर सकते हैं लेकिन गंगा तट पर जल तर्पण की विशेष महत्व बताई गई है यह जल तर्पण आश्विन मास के कृष्णपक्ष प्रतिपदा से अमावस्या तक पंन्द्रह दिनों तक किया जाता है। आज आश्विन मास कृष्ण पक्ष को पन्द्रहवें दिन जल तर्पण करने का कार्य समाप्त हो गया। इसके लिए रोज की तरह आज सुबह से ही लोगों की भारी भीड़ बामनी नदी तट पर हर समुदाय के लोग अपने-अपने पितरों की शांति वह मोक्ष की कामना लेकर पंडितों द्वारा बताए गए वैदिक रीति रिवाज से पिंड के साथ जल तर्पण किया। चांडिल अनुमंडल के निवासी कर्मकांड भटचार्ज द्वारा 17 वर्षो से चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के लोगो को तर्पण कराया जा रहा ।वही स्थानीय लोगो को आपने पूर्वजों के लिए तर्पण करने लिए गया धाम नही जाना पड़ता था । श्राद्ध कर्म में, तर्पण विधि का विशेष महत्व होता है। क्योंकि , तर्पण के माध्यम से पितरों को जल और आहार अर्पित किया जाता है। तर्पण संस्कार से, पूर्वजों की आत्मा को शांति और संतोष प्राप्त होता है। तर्पण विधि को सही ढंग से और शास्त्रों के अनुसार करना आवश्यक होता है। मौके पर पंडित जयदेव बनर्जी ने बताया कि आश्विन् मास कृष्ण पक्ष में पितर लोग जल में निवास करते हैं। शास्त्रों में ऐसा उल्लेख है। किसी भी व्यक्ति द्वारा पितरों की मृत्यु की तिथि के दिन जल तर्पण करने से उनके पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और इससे परिवार में सुख समृद्धि बढ़ती है। इसलिए आश्विन् मास में पितरों के प्रति जल तर्पण अवश्य करना चाहिए।"ओम् देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नमः स्वधायै स्वधाभ्यो नमो नमः।।
सरायकेला : खिलाड़ी खेल के माध्यम से भविष्य संवार सकते हैं: सुखराम हेम्ब्रम।....
सरायकेला : चांडिल प्रखंड के आदिवासी रोमोज क्लब जारियाडीह में आयोजित 54वें एक दिवसीय फुटबॉल प्रतियोगिता  में सुखराम हेंब्रम जी ने मुख्य अतिथि के रूप में फुटबॉल मैच का उद्घाटन किया और खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा कि खेल भावना से खेलने और अनुशासन में रहने से सफलता मिलेगी।




प्रत्येक बर्ष की तरह गांधी जयंती के शुभ अवसर पर एक दिवसीय फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन रखा गया ।  मुख्य अतिथि के रूप में ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के  समाजसेवी झारखंड आंदोलनकारी सह स्वच्छ चांडिल स्वस्थ चांडिल के संस्थापक सुखराम हेंब्रम  उपस्थित थे । मुख्य अतिथि सुखराम हेम्ब्रम ने फुटबॉल को किक मारकर मैच का उद्घाटन किए। तत्पश्चात कमेटी की ओर से मुख्य अतिथि को जोर दार स्वागत हुआ। वहीं श्री हेंब्रम  ने खिलाड़ीयों से परिचय प्राप्त कर प्रतिभागी टीम व खिलाड़ी को संबोधित करते हुए कहा खिलाड़ी खेल भावना से खेलें। अनुशासन में रहकर खेलने से सफलता अवश्य मिलेगी। खेल के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं , खिलाड़ी खेल के माध्यम से भी अपने भविष्य को संवार सकते हैं। इस मौके पर मुखिया बुद्धेश्वर बेसरा,  भुषण हेम्ब्रम, भास्कर टुडू, मन्टु राजवार, राजेन टुडू,वीरेंद्र माडी॔, मदन मुर्मू, देवेन्द्र बेसरा, गोपाल माडी॔, संतोष टुडू, गुलाब टुडू,

गुरुपद हेम्ब्रम एवं सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे।
तर्पण करने के बाद, ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा प्रदान करें।
तर्पण कैसे करना है :श्राद्ध कर्म में, तर्पण विधि का विशेष महत्व होता है। क्योंकि , तर्पण के माध्यम से पितरों को जल और आहार अर्पित किया जाता है। तर्पण संस्कार से, पूर्वजों की आत्मा को शांति और संतोष प्राप्त होता है। तर्पण विधि को सही ढंग से और शास्त्रों के अनुसार करना आवश्यक होता है।


1- तर्पण विधि

(1) सामग्री -------- तांबे या पीतल का पात्र (जल पात्र), कुशा (घास), काले तिल, जौ, चावल, जल, सफेद वस्त्र, दक्षिणा (ब्राह्मण को देने के लिए)।

(2) स्थान और समय ------- * तर्पण को प्रायः किसी नदी, तालाब, या घर के आंगन में कुशा बिछाकर किया जाता है। * श्राद्ध पक्ष में किसी भी दिन तर्पण किया जा सकता है, लेकिन अमावस्या का दिन सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। प्रातःकाल सूर्योदय के समय तर्पण करना सबसे उत्तम माना जाता है।


(3) विधि ------ * स्नान और शुद्धिकरण ------ तर्पण करने से पहले स्नान करके स्वयं को शुद्ध करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें और तर्पण के लिए सामग्री को एकत्र करें। *आसन ग्रहण ------- कुशा के आसन पर पूर्व दिशा या दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें। तर्पण के लिए दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा माना जाता है, इसलिए इसे शुभ माना जाता है। * संकल्प ------- सबसे पहले संकल्प करें। दाहिने हाथ में जल, अक्षत (चावल) और पुष्प लेकर भगवान विष्णु या अपने इष्ट देव का ध्यान करें। फिर अपने पितरों का स्मरण करते हुए संकल्प लें: " मैं (अपना नाम) आज अपने पितरों को जल अर्पण (तर्पण) करता हूं। इससे मेरे पितर संतुष्ट हों और मुझे उनका आशीर्वाद प्राप्त हो। "


(4) तर्पण प्रक्रिया --------- * कुशा धारण ------- तर्पण के दौरान कुशा को हाथ में धारण करें, इससे तर्पण का फल बढ़ता है। * जल अर्पण ----- जल पात्र में तिल, जौ, और चावल मिलाएं। अब हाथ में जल लेकर इसे अपने अंगूठे से धीरे-धीरे जमीन पर छोड़ते जाएं और "ओम् पितृभ्यः नमः" मंत्र का उच्चारण करते हुए पितरों को अर्पित करें। * तीन बार तिल और जल अर्पण करने की प्रक्रिया को दोहराएं।


(5) पिंडदान ------ (यदि कर रहे हैं): चावल के पिंड बनाकर पितरों को अर्पित करें और तर्पण मंत्रों का जाप करें।


(6) तर्पण मंत्र ------- तर्पण के दौरान निम्न मंत्र का जाप करें -------- "ओम् देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नमः

स्वधायै स्वधाभ्यो नमो नमः।।" (7) ब्राह्मण भोजन ------- तर्पण करने के बाद, ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा प्रदान करें। यदि ब्राह्मण भोजन संभव न हो, तो किसी गरीब व्यक्ति को भोजन कराकर या गाय को सामर्थ्य अनुसार चारा खिलाकर तर्पण का समापन करें।
सरायकेला :झामुमो नेता शमशेर अली के निधन के खबर पर विधायक पहुंचे उनके घर, बंधाया ढांडस
सरायकेला : झामुमो नेता शमशेर अली के निधन के खबर पर विधायक पहुंचे उनके घर, बंधाया ढांडस कुकड़ू प्रखंड के झामुमो अल्पसंख्यक नेता शमशेर अली के विगत दिनों निधन हो गया। उनके निधन के खबर पर मंगलवार को विधायक सविता महतो उनके चौड़ा स्थित आवास पहुंचे और परिवार को शौक संतना व्यक्त किया। इस दौरान विधायक ने असमय इस प्रकार से अल्पसंख्यक नेता शमशेर अली के निधन की खबर पाकर काफी मर्माहत हूँ। उनके इस प्रकार चले जाने से पार्टी के साथ साथ व्यक्तिगत क्षति हुई है। इस दौरान विधायक ने कहा इस दुख की घड़ी में मैं उनके परिवार के साथ खड़ा हूँ। इस अवसर पर झामुमो नेता ओम प्रकाश लायेक, झामुमो केंद्रीय सदस्य काबलु महतो, कृष्णा किशोर महतो, समर भुईया, शंकर लायेक समेत उनके परिवार के सदस्य उपस्थित थे।
सरायकेला : चौका अमूल दूध फैक्टरी में मजदूरों की हड़ताल समाप्त ।..
सरायकेला : जिला के चौका थाना अंतर्गत अमूल दूध फैक्टरी में मजदूरी दर बढ़ाने सहित विभिन्न मांगों को लेकर मजदूरों ने आज एक दिवसीय हड़ताल की। इस हड़ताल का नेतृत्व जे. बी.के. एस. एस. के केंद्रीय महासचिव गोपेश महतो ने किया। मजदूरों की प्रमुख मांगों में मजदूरी दर में वृद्धि और अन्य सुधार शामिल थे। हड़ताल के दौरान मजदूरों और फैक्टरी प्रबंधन के बीच दुइपक्षीय वार्ता हुई, जिसमें न्यूनतम मजदूरी 275 से बढ़ाकर 400 रुपए तय हुई ,सहित अन्य 7 मांगे दो दिनों बाद से लागू किए जाने सहित सभी मुद्दों पर सहमति बन गई। इस समझौते के बाद मजदूरों ने अपनी हड़ताल समाप्त कर दी और काम पर लौटने का फैसला किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस वार्ता में मजदूरों की मांगों को लेकर सकारात्मक चर्चा हुई, और प्रबंधन द्वारा उन्हें उचित समाधान का आश्वासन दिया गया। हड़ताल समाप्त होने के बाद फैक्टरी में कामकाज फिर से सामान्य रूप से शुरू हो गया है।इस अवसर पर केंद्रीय सचिव गोपेश महतो,संगठन सचिव फुल चंद महतो, अमरचंद महतो, पूर्ण शशि महतो, ललित महतो, भवन महतो, सुरेश,राधे, प्रेम सूरज, ललित आदि उपस्थित थे।
आश्विन माह की अमावस्या को ही सर्वपितृ अमावस्या भी कहते हैं। सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि करना चाहिए। दिवंगत पूर्वजों की
सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या आज

सरायकेला : आश्विन माह की अमावस्या को ही सर्वपितृ अमावस्या भी कहते हैं। सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि करना चाहिए। दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यह अनुष्ठान किया जाता है। हर साल श्राद्ध पक्ष में पितरों का तर्पण किया जाता है। पंचांग के अनुसार, 2024 में श्राद्ध पक्ष 17 सितंबर को भादो महीने की पूर्णिमा के दिन आरंभ हुआ था जो 2 अक्तूबर यानी आश्विन महीने की अमावस्या तक रहेगा। आश्विन माह की अमावस्या को ही सर्वपितृ अमावस्या भी कहते हैं। सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि करना चाहिए। दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यह अनुष्ठान किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस महान अनुष्ठान के बिना पितरों की आत्मा को शांति नहीं मिलती है। इसलिए हर साल पितृ पक्ष के दौरान लोग सच्चे मन से श्राद्ध पूजा करते हैं।


सर्वपितृ अमावस्या कब है ?

वैदिक पंचांग के अनुसार आश्विन माह में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की यह अमावस्या तिथि 1 अक्टूबर 2024 को प्रातः 9:34 बजे प्रारंभ होकर 2 अक्टूबर 2024 को 24:18 बजे समाप्त होगी। उदयतिथि के अनुसार 2 अक्टूबर को अमावस्या की पूजा होगी। इस दिन कुतुप मुहूर्त सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:24 बजे तक है। उसके बाद रोहिण मुहूर्त दोपहर 12:34 बजे से दोपहर 1:34 बजे तक होगा। कुतुप और रोहिण मुहूर्त के अलावा दोपहर में तर्पण करना भी शुभ माना जाता है। दरअसल, तर्पण पूजा दोपहर में ही होती है। मान्यता है कि दोपहर के समय किया गया तर्पण पितरों द्वारा स्वीकार किया जाता है। सर्वपितृ अमावस्या में तर्पण का मुहूर्त 2 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 21 मिनट से अपराह्न 3:43 बजे तक है।

अमावस्या पर किनका श्राद्ध करते हैं ?

सर्वपितृ अमावस्या के दिन सभी पितरों का श्राद्ध करना शुभ होता है। जिन लोगों की मृत्यु तिथि आपको ज्ञात नहीं है, उनका श्राद्ध भी सर्वपितृ अमावस्या के दिन किया जा सकता है।


तर्पण करने की विधि : आप जिस स्थान पर तर्पण करने जा रही हैं उसे गंगाजल से शुद्ध करें। इसके बाद एक दीपक जलाएं। आपको जिस व्यक्ति का तर्पण करना है, उनकी फोटो चौकी पर स्थापित करें। मंत्रों का जाप करके पितरों का आह्वान करें। जल से भरा लोटा लें और पितरों का नाम लेते हुए फोटो के सामने जल चढ़ाएं। घी, दूध और दही को साथ में मिलाएं और फिर उसे जल में अर्पित करें। इस दौरान तर्पयामी मंत्र का उच्चारण करें। पिंड बनाएं और फिर उसे कुश पर रखके जल से सींचें। पितरों व पूर्वजों को उनके प्रिय भोजन का भोग लगाएं। पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करें। पशु-पक्षियों को भोजन कराएं।


सर्वपितृ अमावस्या का महत्व : सर्वपितृ अमावस्या का दिन आखिरी श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सभी पितरों के नाम से श्राद्ध कर्म के कार्य किए जा सकते हैं। इस दिन जिन परिजनों की श्राद्ध की तिथि पता नहीं होती है उनके सभी नाम से भी श्राद्ध किया जाता है। सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण आदि के कार्य करने से पितरों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सरायकेला : पप्पू वर्मा ने झामुमो के केंद्रीय सदस्य पद और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और आग्रह किया कि इसे स्वीकार किया जाए।.....
सरायकेला : झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के पूर्व केंद्रीय सदस्य पप्पू वर्मा ने स्थानीय नेतृत्व से आहत होकर इस्तीफा दे दिया है। चांडिल बाजार डैम रोड स्थित अपने फार्म हाउस में आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान वर्मा ने कहा कि उनका झामुमो से 26 वर्षों का जुड़ाव मेरे बड़े भाई समान स्वर्गीय पूर्व उप मुख्यमंत्री सुधीर महतो से भावनात्मक जुड़ाव के कारण हुआ था। सुधीर दा से भावनात्मक संबंधों के चलते उन्होंने पार्टी में 1998 में अपना योगदान दिया, लेकिन सुधीर दा के निधन के बाद झामुमो संगठन में खालीपन आ गया। श्री वर्मा ने कहा, "सुधीर दा के जाने के बाद मुझे ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया। मैंने पूरी मेहनत से टीम वर्क के साथ संगठन को मजबूती प्रदान किया और 2019 के विधानसभा चुनाव में सविता महतो की जीत सुनिश्चित हुई।" हालांकि, उन्होंने स्थानीय नेतृत्व पर नाराजगी जताते हुए कहा, "कुछ ऐसी परिस्थितियां पैदा हुईं जिनसे मैं आहत हुआ हूं। मैं सार्वजनिक रूप से बहुत कुछ नहीं कह सकता, लेकिन हालातों ने मुझे यह फैसला लेने पर मजबूर किया।" वर्मा ने झामुमो के केंद्रीय सदस्य पद और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और आग्रह किया कि इसे स्वीकार किया जाए। साथ ही ये भी उन्होने कहा हैं झामुमो केंद्रीय नेतृत्व ने जो सम्मान दिया ,उसके प्रति आभार जताया है. आगे की रणनीति के सवाल पर वर्मा ने संकेत दिए कि आने वाले दिनों में राष्ट्रहित और क्षेत्रीय विकास को ध्यान में रखते हुए वे बड़ा कदम उठा सकते हैं। उन्होंने कहा, "कैसे क्षेत्र का विकास हो, यह आने वाले एक-दो दिनों में स्पष्ट हो जाएगा।" वर्मा के इस इस्तीफे ने झामुमो के भीतर हलचल मचा दी है और आगे क्या होगा, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं।
सरायकेला : झामुमो के केंद्रीय सदस्य पप्पू वर्मा ने पार्टी से दिया इस्तीफा ....
सरायकेला  : झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय सदस्य पप्पू वर्मा उर्फ रुपेश वर्मा ने अपने चांडिल डैम रोड स्थित बागान आवास में मंगलवार को प्रेस कांफ्रेस आयोजित कर पार्टी के केंद्रीय सदस्य व प्राथमिक सदस्य पद से इस्तीफा दिया।

ईचागढ़ में झामुमो नेतृत्व से नाराज होकर पार्टी से इस्तीफा दी। इस अवसर पर पप्पू वर्मा ने कहा कि झारखण्ड मुक्ति मोर्चा मेरे लिए एक परिवार के तरह था। झामुमो के पूर्व केंद्रीय उपाध्यक्ष सुधीर महतो के नेतृत्व में 26 साल पहले झामुमो में शामिल हुआ था और पार्टी का एक सिपाही बनकर संगठन के लिए दिन रात काम किया।

ईमानदारी से कार्य किया, पार्टी ने मुझे बहुत मान सम्मान दिया। मैंने सपने मे भी नहीं सोचा था मजबूर होकर पार्टी छोड़नी पढ़ी। पप्पू वर्मा ने कहा कि लगभग 26 बर्ष से पार्टी को खून पसीने मेहनत कर सींचा।

पूर्व उपमुख्य मंत्री स्वर्गीय सुधीर महतो के कार्यकाल के दौरान 1998 में उन्होंने मुझे राजनीती की पहली शिक्षा दी जिसके लिए पार्टी को एवं सुधीर दा को मैं आभार व्यक्त करता हूँ। 2019 विधान सभा चुनाव में झामुमो प्रत्याशी सबिता महतो को ईचागढ़ विधान सभा से जीत हुई। हमलोग पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं ने मिलकर ईमानदारी पूर्वक अपना अपना कार्यों का दायित्व निभाया और पार्टी को सफलता दिलाया। उन्होंने कहा कि ईचागढ़ विधान सभा के पार्टी नेतृत्व की अनदेखी के कारण आज इस्तीफा देने के लिए विवश हूँ। पत्रकारों के सवाल के जबाव में पप्पू वर्मा ने कहा कि राजनीति क्षेत्र से जुड़ा हूं बहुत जल्द अन्य पार्टी में शामिल होने की घोषणा किया जायेगा।
सरायकेला : नीमडीह मे 3 करोड़ 49 लाख कि लागत से लागत से बनने सड़क का विधायक सविता महतो ने किया शीलान्यास
सरायकेला : चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के सिंहभूम कॉलेज के आसपास माघोपाट मे भी किया चारदीवारी का शीलान्यास मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना से स्वीकृत , नीमडीह प्रखंड क्षेत्र के पीडब्लूडी रोड सासनटांड होते हुए लाकड़ी तक 3.18 किमी सड़क का शीलान्यास मंगलवार को विधायक सविता महतो ने विधिवत शीलापट्ट अनावरण कर किया।


इस दौरान विधायक सविता महतो ने कहा 349. 948 लाख रुपये कि लागत से सड़क का निर्माण होगा। वही इसी क्रम में विधायक ने विधायक योजना से 12 लाख 5 हाजार 3 सौ 60 रुपए कि लागत से निर्माण होने वाले चांडिल बाजार स्थित मेघोपाट मे चारदीवारी निर्माण का भी शीलान्यास विधिवत शीलापट्ट अनावरण कर किया। इस दौरान विधायक ने कहा पक्के सड़क का निर्माण होने से ग्रामीणों को यातायात मे सुविधा होगी। विधायक ने कहा लोगों के मांगों के अनुसार विकास योजनाओं का निर्माण कार्य हो रहा है। इस अवसर पर झामुमो नेता ओम प्रकाश लायेक, झामुमो केंद्रीय सदस्य काबलु महतो, प्रखंड अध्यक्ष कृष्णा किशोर महतो, हरिदास महतो, समर भुईया, विश्वनाथ गोप, राहुल वर्मा, शंकर लायेक, हरिपदों महतो, शंकर सिंह सरदार, सचिन गोप, यदुपति महतो, समेत काफी संख्या मे झामुमो कार्यकर्ता व ग्रामीण लोग उपस्थित थे।